1. शिक्षा की संकल्पना/ अवधारणा
( CONCEPT OF EDUCATION)
By. Shiv Kumar Yadav
Asst. Professor, HNBPG
Collage , Pratapgarh ,UP
Email: shivkumaryadavedu@gmail.com
2. शिक्षा की अवधारणा
शिक्षा की व्युत्पन्निास्त्रीय (Etymological )अवधारणा एवं
अर्थ
शिक्षा की प्राचीन भारतीय एवं पाश्चात्य अवधारणा एवं
अर्थ
शिक्षा की आधुननक अवधारणा एवं अर्थ
शिक्षा का संक
ु चचत एवं व्यापक अर्थ
शिक्षा की व्युत्पन्निास्त्रीय (Etymological )अवधारणा एवं
अर्थ
संस्त्कृ त भाषा क
े संदभथ में
लैटिन भाषा क
े संदभथ में
3. व्युत्पन्निास्त्रीय अवधारणा एवं अर्थ
संस्त्कृ त भाषा क
े संदभथ में
संस्त्कृ त भाषा क
े “शिक्ष्” धातु में “अ” प्रत्यय लगने से
शिक्षा िब्द की उत्पत्ति हुयी है ।
“शिक्ष्”
धातु
“अ”
प्रत्यय
शिक्षा
4. व्युत्पन्निास्त्रीय अवधारणा एवं अर्थ
लैटिन भाषा क
े संदभथ में
“Education” िब्द ननम्नशलखित तीन लैटिन िब्दों से
व्युत्पन्न माना जाता है ।
Latin terms / words meaning
Educatum
To Train,To act of teaching
and training
( शिक्षक्षत एवं प्रशिक्षक्षत
करना )
Educare To Educate,To Bring Up, To
Lead Out (त्तवकशसत
करना/आगे बढ़ाना )
Educere To lead out, To draw out
( त्तवकशसत करना /बाहर
ननकालना
5. व्युत्पन्निास्त्रीय अवधारणा एवं अर्थ
“Educatum” िब्द दो लैटिन िब्दों “E” (ए) तर्ा
“Duco”(ड्यूको) से उत्पन्न माना जाता है ।
अंदर से बाहर लाना/ आगे बढ़ाना
अर्ाथत् मानव की अंतर्नथहहत िक्ततयों का सवाांगीण
ववकास करना ही शिक्षा है।
“E”
( from
inner/
out of )
“Duco”
( To
Lead)
Educatum
6. शिक्षा की प्राचीन भारतीय अवधारणा एवं अर्थ
वेदों क
े अनुसार – वेद िब्द की उत्पत्ति संस्त्कृ त भाषा क
े
“ववद्” धातु में “अ” प्रत्यय लगने से हुयी है।
प्राचीन भारत में त्तवद्या शिक्षा की पयाथय र्ी
त्तवद्या का अर्थ अज्ञान से मुक्तत /सत्य – असत्य में
त्तववेकपूणथ भेद करना र्ा ।
िंकराचायथ जी क
े अनुसार “सा त्तवद्या या त्तवमुततये”
अर्ाथत् त्तवद्या वह है जो मानव को अज्ञान से/
कटिनाइयों से मुक्तत प्रदान करे।
“अ”
प्रत्यय
त्तवद्या
“त्तवद्”
धातु
7. शिक्षा की प्राचीन भारतीय अवधारणा एवं अर्थ
उपर्नषद् क
े अनुसार -“त्तवद्या अमृतमश्नुते” (अमृतम्
+ अश्नुते)
अर्ाथत् त्तवद्या से अमृत शमलता है ।
उपर्नषदीय ववद्या-
परा त्तवद्या आध्याक्त्मक ज्ञान
अपरा त्तवद्या सांसाररक ज्ञान
उपननषद् क
े अनुसार शिक्षा मोक्ष प्राक्तत का साधन है
।
“ज्ञान वह है जो मनुष्य को सभी बंधनों से मुक्तत
टदलाए” ।
( Education is something which liberates man from all
8. शिक्षा की प्राचीन भारतीय अवधारणा एवं अर्थ
गीता क
े अनुसार-
“ऋते ज्ञानान्न मुक्तत:” अर्ाथत् ज्ञान क
े बबना मुक्तत नह ं
शमलती है ।
“नटह ज्ञानेन सदृिम पत्तवरशमह त्तवद्यते” अर्ाथत् ज्ञान क
े
समान क
ु छ भी पत्तवर नह ं है।
इस प्रकार वेदों , उपननषदों और लगभग सभी भारतीय
दिथनों क
े अनुसार त्तवद्या / ज्ञान / शिक्षा वह है जो सत्य-
असत्य में भेद कराये, संसार क
े सभी बंधनों से मुक्तत प्रदान
कर मोक्ष की प्राक्तत कराये ।
भारतीय संस्त्कृ र्त में शिक्षा को मनुष्य का तीसरा नेर कहा गया
है– तृतीयं मनुष्यस्त्य नेरम् ।
“ककं न साधयनत कल्पलतेव त्तवद्या” अर्ाथत् त्तवद्या
कल्पलता क
े समान है जो सभी चीजों की पूनतथ करती है।
9. शिक्षा की प्राचीन पाश्चात्य अवधारणा एवं अर्थ
सुकरात क
े अनुसार - शिक्षा का तात्पयथ संसार क
े उन
सवथमान्य त्तवचारों को प्रकि करने से है जो प्रत्येक
व्यक्तत क
े मक्स्त्तष्क में ननटहत है ।
( Education means bringing out of the ideas of
universal validity which are latent in the mind of
every man.- Socrates)
तलेिो क
े अनुसार - शिक्षा व्यक्तत क
े िर र तर्ा आत्मा
में ननटहत उस समस्त्त सौंदयथ और पूणथता को त्तवकशसत
करती है क्जसकी उसमें क्षमता है।
( Education develops in the body and in the soul of
the pupil, all the beauty and all the perfection of
which he is capable.- Plato)
10. शिक्षा की प्राचीन पाश्चात्य अवधारणा एवं अर्थ
अरस्त्तु क
े अनुसार - शिक्षा व्यक्तत की योग्यता का और
त्तविेष रूप से मानशसक योग्यता का त्तवकास करती है
क्जससे कक वह परम सत्य, शिव और सुंदर क
े चचंतन
का आनंद उिा सक
े ।
(Education develops man’s faculty, specially his
mind so that he may be able to enjoy the
contemplation of supreme truth , goodness and
beauty.-Aristotle )
11. शिक्षा की आधुर्नक अवधारणा एवं अर्थ
मनुष्य की अंतननथटहत पूणथता को अशभव्यतत करना ह
शिक्षा है।- स्त्वामी त्तववेकानंद
( Education is manifestation of perfection already
present in man. -Swami Vivekananda )
शिक्षा से मेरा अशभप्राय बालक एवं मनुष्य क
े िर र,
मक्स्त्तष्क तर्ा आत्मा क
े सवाांगीण एवं सवोतम त्तवकास
से है।- महात्मा गांधी
( By Education I mean an all around drawing out of
the best in the child and man –body, mind , and
spirit .-Mahatma Gandhi )
12. शिक्षा की आधुर्नक अवधारणा एवं अर्थ
शिक्षा से तात्पयथ अंतननथटहत िक्ततयों तर्ा बाह्य जगत
क
े मध्य समन्वय स्त्र्ात्तपत करने से है।–हरबिथ स्त्पेन्सर
( Education means establishment of co-ordination
between the inherent powers and the outer word.-
Herbert Spenser )
शिक्षा व्यक्तत की जन्मजात िक्ततयों का स्त्वाभात्तवक,
समरस तर्ा प्रगनतिील त्तवकास है ।- पेस्त्तालॉजी
(Education is a natural, harmonious, and
progressive development of man’s innate powers .-
Pestalozzi )
13. शिक्षा की आधुर्नक अवधारणा एवं अर्थ
शिक्षा व्यक्तत की उन समस्त्त क्षमतायों का त्तवकास करना है
जो उसे अपने वातावरण को ननयंबरत करने तर्ा अपनी
संभावनायों को पूरा करने योग्य बनाएंगी।-जॉन डीवी
( Education is the development of all those capacities in
the individual which will enable him to control his
environment and fulfil his possibilities.- John Dewey)
शिक्षा एक प्रक्रिया है , क्जसमें तर्ा क्जसक
े द्वारा बालक क
े
ज्ञान चररर तर्ा व्यवहार को ढाला तर्ा पररवर्तथत क्रकया जाता
है –ड्रेवर
(Education is a process in which and by which
the knowledge character and behaviour of the
young are shaped and moulded .- Drever)
14. शिक्षा की आधुर्नक अवधारणा एवं अर्थ
“Education is the Modification of behaviour”
“शिक्षा व्यवहार का पररमाजथन है”
इस प्रकार यह कहा जा सकता है क्रक,
“शिक्षा व्यक्तत की अंतननथटहत , और जन्मजात िक्ततयों का
त्तवकास करक
े उसक
े व्यवहार को पररमाक्जथत करती है
क्जस से व्यक्तत अपने वातावरण से सवोिम सामंजस्त्य
स्त्र्ात्तपत कर पता है।”
15. शिक्षा का संक
ु चचत अर्थ
संक
ु चचत अर्थ में त्तवद्यालयी शिक्षा को ह शिक्षा मानते
हैं ।
पूवथ ननधाथररत योजना
ननयंबरत वातावरण
ननक्श्चत त्तवषय -वस्त्तु
ननक्श्चत त्तवचध
ननक्श्चत काल /समय
शिक्षक क
े क्न्ित
बालक का गौण स्त्र्ान
सोद्देश्य सामाक्जक प्रकिया
संक
ु चचत शिक्षा
16. शिक्षा का व्यापक अर्थ
व्यापक अर्थ में शिक्षा का तात्पयथ बालक क
े उन सभी
अनुभवों से होता है क्जसका प्रभाव उसक
े उपर जन्म
से लेकर मृत्यु तक पड़ता है । अर्ाथत् शिक्षा जीवन पयांत
चलने वाल प्रकिया है।
कोई पूवथ ननधाथररत योजना नह ं
अननयंबरत वातावरण
अननक्श्चत त्तवषय -वस्त्तु
अननक्श्चत त्तवचध
अननक्श्चत काल /समय
बालक का मुख्य स्त्र्ान /बालक क
े क्न्ित
शिक्षक का गौण स्त्र्ान
बालक का सवाांगीण त्तवकास
व्यापक
शिक्षा
17. शिक्षा का ववश्लेषणात्मक अर्थ
शिक्षा जन्मजात िक्ततयों क
े त्तवकास क
े रूप में ।
शिक्षा नवीन सूचनायों क
े रूप में ।
शिक्षा एक प्रगनतिील प्रकिया क
े रूप में ।
शिक्षा त्तवद्यालय की पररचध क
े सीशमत ज्ञान क
े रूप में ।
शिक्षा जीवन पयांत चलने वाल प्रकिया क
े रूप में ।
शिक्षा का वास्त्तत्तवक अर्थ (अवाथचीन एवं वैज्ञाननक दृक्स्त्िकोण से ) ।
शिक्षा द्त्तवध्रुवीय प्रकिया क
े रूप में ।
शिक्षा एक बरध्रुवीय प्रकिया क
े रूप में ।
18. शिक्षा द्ववध्रुवीय प्रक्रिया क
े रूप में
शिक्षा की द्त्तवध्रुवीय प्रकिया (Bi-Polar Process of
Education) का सब से पहले एडम्स ने अपनी पुस्त्तक”
“Evaluation of Educational Theory” में बताया र्ा ।
शिक्षण-प्रकिया
शिक्षक
शिक्षार्ी
19. शिक्षा एक त्ररध्रुवीय प्रक्रिया क
े रूप में
शिक्षा की बरध्रुवीय प्रकिया ( Tri-polar process of
education) की अवधारणा अमेररकी प्रयोजनवाद
दािथननक जॉन डीवी ने टदया र्ा ।
जॉन डीवी क
े अनुसार शिक्षा एक सामाक्जक प्रक्रिया है।
डीवी ववद्यालय को समाज का लघु रूप मानते हैं
शिक्षक
शिक्षार्ी पाठ्यचयाथ
शिक्षा
प्रकिया