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स्वामी वववेकानन्द : स्री सशक्तीकरण
- वननता ठक्कय
स्त्री सशक्तीकयण – इस शब्द सभूह भें जो ववयोधाबास सभामा हुआ है, वह हभाये सभाज के लरए
शभम, वेदना, चचॊता औय चुनौती का ववषम है । हभाये सनातन धभम भें, हभायी वैददक ववचायधाया
भें, हभायी गौयवशारी सॊस्त्कृ नत भें स्त्री को शक्क्त-स्त्वरूऩा भाना गमा है । औय सभस्त्मा है, स्त्री के
सशक्तीकयण की ! साथ ही, मह सभस्त्मा ववश्व-व्माऩी है । ककसी देश मा प्रदेश ववशेष से इसे
जोड़ा नहीॊ जा सकता । सभस्त्मा का स्त्वरूऩ अरग-अरग हो सकता है, ऩय सभस्त्मा ऩुयानी है,
व्माऩक है औय गहयी बी है ।
स्त्वाभी वववेकानॊदजी ने अऩने सभम भें नायी सशक्तीकयण की आवश्मकता को जाना औय सभझा
था औय उसका फहुत भौलरक औय सही ननयाकयण फतामा था । उन्होंने क्स्त्रमों को लशक्षऺत कयने
तथा अऩने ननणमम स्त्वमॊ रेने की स्त्वतॊरता देने का ऩयाभशम ददमा था । ऩारयवारयक, साभाक्जक
औय आध्माक्मभक सॊदबम भें क्स्त्रमों ऩय ननणमम थोऩने के प्रचरन की वजह से व्माऩक रूऩ भें
सभाज भें पै रे असॊतुरन को दूय कयने का मह कायगय उऩाम है । उनके इस ऩयाभशम को सही
अथम भें सभझने औय कामाांववत कयने भें हभ ककतने सपर यहे हैं मह जानना औय सभझना
हभाये लरए आवश्मक है ।
लशऺण का सम्ऩूणम उद्देश्म, भानव जीवन की सभस्त्त सभस्त्माओॊ का सभाधान स्त्वाभी
वववेकानॊदजी के नाभ भार भें सभामा हुआ है – “वववेकानॊद” !!! ननमम-अननमम, सही-गरत की
सूक्ष्भ सभझ का एकाऺयी वणमन – वववेक – हभाये जीवनोमकषम का ददशा-सूचन औय ननमॊरण
कयता है । स्त्री सशक्तीकयण के सॊदबम भें बी वववेक सबय ववचाय-ववभशम औय उन ववचायों का
जीवन भें साकाय होना आवश्मक है । साऺयता लशऺण का भहत्त्वऩूणम औय अलबन्न अॊग है,
ऩयॊतु साऺयता भार को लशऺण भान रेना फहुत गम्बीय बूर है, जो हभने एक सभाज के रूऩ भें,
फड़े व्माऩक स्त्तय ऩय जाने-अनजाने ही सही, की है औय कयते ही जा यहे हैं ।
स्त्री सशक्तीकयण का नय औय नायी जानत के फीच का सॊघषम फन जाना इस सभस्त्मा के
ददशाच्मुत होने का एक भूरबूत कायण है । भनुष्ममव के अलबन्न अॊग – नायीमव – की सही
सभझ ववकलसत हो, मह सवमप्रथभ आवश्मक है । हभायी सॊस्त्कृ नत भें बगवान ् श्री लशवशॊकय का
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अधमनायीश्वय रूऩ प्रचलरत है । चीनी दशमन भें बी प्रममेक भनुष्म भें ववद्मभान नमन (अथामत ्
नायी) औय माॊग (अथामत ् नय) अॊग का उल्रेख है । मे दोनों ववचायधायाएॉ प्रकृ नत की सजमनशीरता
के गुणों से सम्फॊचधत यहस्त्म को उजागय कयती हैं । प्रममेक नायी भें नयमव औय प्रममेक नय भें
नायीमव ववद्मभान होता है । अऩने अॊदय के नय औय नायी तमव को सॊतुलरत यख ऩाना
व्मक्क्तगत एवॊ साभाक्जक, दोनों स्त्तयों ऩय सपर भनुष्म जीवन का द्मोतक है । व्मक्क्तगत
एवॊ साभाक्जक जीवन भें रज्जा, भभता, ऋजुता, सयरता, कोभरता, बावुकता जैसे स्त्री सहज
गुणों का अवभूल्मन होना औय शौमम, साहस, ऩयाक्रभ, फुद्धीभता, चातुमम, दृढ़ता जैसे ऩौरुषीम
गुणों का वचमस्त्व की अॊधी रारसा भें ऩरयवनतमत होकय हावी हो जाना स्त्री सशक्तीकयण की
आवश्मकता उमऩन्न कयता है । औय इस सशक्तीकयण को वववेक-सबय सम्वेदनशीरता से ककमा
जाना अननवामम है । ऩुरुष भार दोषी औय स्त्री भार ननदोष है मा स्त्री ही सफ भुसीफतों की जड़
है, ऐसा साभान्मीकयण फहुधा अन्मामऩूणम लसद्ध हो जाता है । स्त्री सशक्तीकयण से सम्फॊचधत
कु छ भसरों ऩय स्त्वस्त्थ दृक्ष्िकोण ववकलसत कयना अममॊत आवश्मक हो चरा है । प्रथभ है,
"स्त्वतॊरता" - वह शब्द जो भानव-भार को रुबाता है । कबी गौय कयें कक इस शब्द के प्रनत
इतना आकषमण क्मों है, तो फॊद कभर की खुरती ऩॊखुड़ड़मों की तयह उसका अथम खुरने औय
खखरने रगता है । स्त्वतॊरता भानव अक्स्त्तमव के बौनतक, भानलसक औय चैतलसक स्त्तयों भें से
भूरत: चैतलसक स्त्तय भें व्माप्त भुक्त-ववहायी बाव है । बौनतक स्त्तय ऩय, न के वर भानव
सभाज भें, अवऩतु सभस्त्त सृक्ष्ि भें "स्त्वतॊरता" जैसा कु छ है ही नहीॊ - सफ कु छ ऩयस्त्ऩयावरम्फी
है । बौनतक स्त्तय ऩय "स्त्वतॊरता" अथामत ् "ऩायस्त्ऩरयकता को (मथाशक्क्त, मथासम्बव) ननबाकय
भुक्त / सॊतुष्ि होना" । भानव का भानव से सम्फॊध हो (इसभें स्त्री-ऩुरुष के सॊफॊध का हय
स्त्वरूऩ बी सभाववष्ि है), मा भानव का प्रकृ नत से सम्फॊध हो, ऩायस्त्ऩरयकता ऩय ननबमय कयता है ।
मह ऩायस्त्ऩरयकता का एहसास भमामदा का सहज फोध कयाता है । औय भमामदा सम्फॊधों को
गरयभा एवॊ सौंदमम प्रदान कयती है । इसी तयह से "सभानता" को बी सभझा जा सकता है ।
बौनतक स्त्तय ऩय भची सभानता की होड़ कबी-कबी हास्त्मास्त्ऩद तो कबी-कबी क्रू य रूऩ बी धायण
कय रेती है । तुरनामभक फुद्धीभता के ननयॊकु श याज भें "सभानता" के नाभ ऩय गुणवत्ता का
अवभूल्मन "अॊधेय नगयी चौऩि याजा, िके सेय बाजी िके सेय खाजा" वारी क्स्त्थनत उमऩन्न कय
देता है .... कववता प्रस्त्तुत है :
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टके सेर भाजी टके सेर खाजा
- वननता ठक्कय (14.01.2017)
प्रचाय के नायों भें घोर
प्रगनत का वऩिवाएॉ ढोर !
सभानता का फजाएॉ फाजा,
िके सेय बाजी िके सेय खाजा !!
स्त्वतॊरता की ऩकड़े ऩूॉछ,
अचधकायों की भचाएॉ रूि !
क्जम्भेदायी हो तेर वारी,
ननबती ददख जाए फस खारी !
हभें तो बा गमा है छरावा !
सभानता का फजाएॉ फाजा,
िके सेय बाजी िके सेय खाजा !!
अच्छा होना कहाॉ जरूयी ?
अच्छे ददख गए ? वाताम ऩूयी  
उद्धायीकयण के नाभ,
गुणवत्ता का चक्का जाभ !
सभानता हय दुख भें राता !
सभानता का फजाएॉ फाजा,
िके सेय बाजी िके सेय खाजा !!
प्रचाय के नायों भें घोर
प्रगनत का वऩिवाएॉ ढोर !
सभानता का फजाएॉ फाजा,
िके सेय बाजी िके सेय खाजा !!
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सशक्तीकयण की प्रकक्रमा भें अशक्तीकयण का इस तयह चर ऩड़ा कु चक्र स्त्वाभी वववेकानन्दजी
द्वाया ननददमष्ि भागम से हभें ऩथभ्रष्ि कयता है ।
The Farce of (Women) Empowerment
- Vanita Thakkar (17-01-2017)
Women need empowerment !
Embodiment of Energy
Needs empowerment !
Poor Femininity !!
Soft and caring,
Gentle and tough !
It nurtured us,
It nurtures us
To see itself
Turn into
A dependent load !!
Poor dear !!! ….
We take pride
In our efforts
Towards the cause,
We thank the Almighty
For bestowing
Upon us
Such compassion and pity !!
We keep empowering
And wait for
The promising, strong ones
To become empower-able !
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Afterall, the show
Has to go on !!
दहॊदी अनुवाद :
(स्री) सशक्तीकरण का स्वाांग
- वननता ठक्कय (१७-०१-२०१७)
स्त्री को सशक्तीकयण की आवश्मकता !
शक्क्त-स्त्वरूऩा को सशक्तीकयण की आवश्मकता !
फेचाया नायीमव !!
कोभर, वामसल्मभम,
सौम्म औय दृढ़ !
उसने हभें ऩारा,
उसने हभें ऩोषा,
एक असहाम फोझ फन कय
यह जाने के लरए !!
फेचाया, प्माया नायीमव !
हभें गवम है
अऩने रक्ष्मसाधी प्रमासों ऩय !
हभ कृ तऻ हैं
सवमशक्क्तभान ऩयभामभा के ,
कक हभें ऐसी करूणा, ऐसी दमा प्रदान की !
हभ सशक्तीकयण कयते यहते हैं
औय याह देखते हैं,
होनहाय, सशक्त जनों के
सशक्तीकयण मोग्म फन जाने की !
आखखयकाय, तभाशा तो
जायी यखना ही ऩड़ेगा !!!
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स्त्वाभी वववेकानॊद ने सीता औय साववरी को बायतीम नायीमव का आदशम फतामा है । उनके द्वाया
प्रस्त्थावऩत याभकृ ष्ण लभशन की सॊघभाता श्री श्री भाॉ सायदा देवी ने नायी शक्क्त औय गरयभा को
अऩने जीवन भें भूतीभॊत ककमा । उनकी लशष्मा, बचगनी ननवेददता ने अऩने वतन को ममागकय
बायतीम नायी शक्क्त को ऩुनजामगृत कयने के लरए अऩना जीवन सभवऩमत कय ददमा । स्त्वाभीजी
की तेजोभम औय ऊजामवान आषमदृक्ष्ि ने बायत के ऐसे गौयवभम बववष्म के दशमन ककए थे क्जसके
आगे उसके अतीत की बव्मता बी साधायण-सी प्रतीत हो । वे कहते थे कक इस स्त्वप्न को
साकाय कयने के लरए नायी शक्क्त की ववलशष्ि भहमवऩूणम बूलभका यहेगी । ऐसा होना न के वर
इच्छनीम है, अवऩतु आवश्मक बी है । जीवन का समम, लशवभम सुॊदय स्त्वरूऩ का साऺामकाय
कयने के लरए दम्ब औय बम की कालरभा का नष्ि होना आवश्मक है । स्त्वाभी वववेकानन्द
कहा कयते थे – “I am a voice without form”, अथामत ् वे स्त्व्मॊ को एक अरूऩ ध्वनन - एक
शाश्वत ऊजाम के रूऩ भें दशामते थे । उनके इस शाश्वत स्त्वरूऩ के प्रबाव को उजागय कयने वारे
एक अनुबव के फाये भें फताना चाहूॉगी - ननश्छर ननबममता फचऩन का स्त्वबाव होती है । जाने-
अनजाने बम प्रवेश कयता है । ऐसा ही एक बम भेये बीतय घय कय गमा था - अॊधेये का बम ।
फात तफ की है जफ भैं 12-13 वषम की थी । बम ऺुब्ध कयता था, कपय बी जा नहीॊ यहा था ।
भेये वऩताजी की ऩोक्स्त्िॊग उन ददनों जभशेद्ऩुय भें थी । छु ट्दिमों भें हभ जभशेद्ऩुय से याउयके रा
जा यहे थे । वऩताजी की ट्ाॊस्त्फ़येफर जॉफ की वजह से येर का रम्फा सपय हभाये लरए
साभान्म-सा हो गमा था - वडोदया से फॊगाईगाॉव जाने भें चाय ददन (तीन यातें) रग जाते थे ।
औय येल्वे स्त्िेशन जाने का अथम भेये औय भेये बाई के लरए था - नई ककताफ लभरना - दोनों को
एक-एक, जो हभ जल्द से जल्द ऩढ़ रेने भें रग जाते थे .... इस फाय स्त्वाभी वववेकानॊद की
जीवनकथा औय प्रेभचॊद की "ननभमरा" - मे दो ककताफें हभें लभरी थीॊ । स्त्वाभी वववेकानॊद की
जीवनकथा फहुत ही प्रबावशारी थी - प्रेयणा औय ऊजाम से बयऩूय । ऩढ़ने के फाद जो फात सफसे
अचधक भन भें छाई यही, वह थी, ननबमम होने का आह्वान - "ननबमम फनो - डयना ऩाऩ है ...."
भैं ववचाय भें ऩड़ गई, "ककतने "ऩाऩ" हो गए !!??  ...." सोचा, बम को दूय कयना ही
होगा । हभाये फड़े से घय भें, जहाॉ ददन ढरने के फाद एक कभये से दूसये कभये भें जाने से बी
भुझे डय रगता था, भैंने अऩने डय को बगाने का अभ्मास शूरु ककमा - दो-दो-तीन-तीन लभननि
अॊधेये कभयों भें जा कय खड़ी यहती .... औय अचधक रुकती, फैठती .... डय दूय हो गमा, औय
अॊधेये से भानो दोस्त्ती हो गई .... औय भुझे एहसास हुआ कक वास्त्तव भें भुझे अॊधेये से नहीॊ,
अॊधेये भें इॊसानों से डय रगने रगा था - कु छ सुन लरमा था, कहीॊ कबी, ककसी ने कु छ कह ददमा
Vanita Thakkar : vanitaa.thakkar@gmail.com Page 7
था .... औय सच फताऊॉ तो, आज के दौय भें शामद मह डय सफ के भन भें है, उससे भुक्त होना,
खास कय क्स्त्रमों के लरए, फहुत कदठन है । औय कु छ हद तक ऐसा डय सहामक बी है -
क्मोंकक वह सावधान यहने के लरए प्रेरयत कयता है ।
सममननष्ठा ननबममता दे जाती है, ननबममता आमभववश्वास भें छरकती है, औय आमभववश्वास
प्रेयणा से फर प्राप्त कयता है । स्त्वाभी वववेकानॊद की प्रेयक वाणी आज बी राखों जीवन
प्रकालशत कय यही है । उस प्रकाश से प्रज्ज्वलरत चुनौनतमों से बयी याहों ऩय चर कय हय
प्रेयणाथी – नय-नायी – अऩने जीवन की कहानी को उस ददव्मता से बय दे, क्जसका स्त्वाभी
वववेकानन्द हय भानव के जीवन भें आववबामव कयाना चाहते थे, मही उनके प्रनत सच्ची
श्रद्धाॊजलर होगी ।
(12 जनवयी, 2017 को याभकृ ष्ण लभशन वववेकानॊद भेभोरयमर भें ददए गए वक्तव्म का सायाॊश
इस रेख भें ददमा गमा है । कववताएॉ उसी ववचाय-शृॊखरा से प्रेरयत हैं, अत: उनका बी सभावेश
ककमा गमा है ।
- वननता ठक्कय)

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स्वामी विवेकानन्द : स्त्री सशक्तीकरण (Swami Vivekananda : Women Empowerment)

  • 1. Vanita Thakkar : vanitaa.thakkar@gmail.com Page 1 स्वामी वववेकानन्द : स्री सशक्तीकरण - वननता ठक्कय स्त्री सशक्तीकयण – इस शब्द सभूह भें जो ववयोधाबास सभामा हुआ है, वह हभाये सभाज के लरए शभम, वेदना, चचॊता औय चुनौती का ववषम है । हभाये सनातन धभम भें, हभायी वैददक ववचायधाया भें, हभायी गौयवशारी सॊस्त्कृ नत भें स्त्री को शक्क्त-स्त्वरूऩा भाना गमा है । औय सभस्त्मा है, स्त्री के सशक्तीकयण की ! साथ ही, मह सभस्त्मा ववश्व-व्माऩी है । ककसी देश मा प्रदेश ववशेष से इसे जोड़ा नहीॊ जा सकता । सभस्त्मा का स्त्वरूऩ अरग-अरग हो सकता है, ऩय सभस्त्मा ऩुयानी है, व्माऩक है औय गहयी बी है । स्त्वाभी वववेकानॊदजी ने अऩने सभम भें नायी सशक्तीकयण की आवश्मकता को जाना औय सभझा था औय उसका फहुत भौलरक औय सही ननयाकयण फतामा था । उन्होंने क्स्त्रमों को लशक्षऺत कयने तथा अऩने ननणमम स्त्वमॊ रेने की स्त्वतॊरता देने का ऩयाभशम ददमा था । ऩारयवारयक, साभाक्जक औय आध्माक्मभक सॊदबम भें क्स्त्रमों ऩय ननणमम थोऩने के प्रचरन की वजह से व्माऩक रूऩ भें सभाज भें पै रे असॊतुरन को दूय कयने का मह कायगय उऩाम है । उनके इस ऩयाभशम को सही अथम भें सभझने औय कामाांववत कयने भें हभ ककतने सपर यहे हैं मह जानना औय सभझना हभाये लरए आवश्मक है । लशऺण का सम्ऩूणम उद्देश्म, भानव जीवन की सभस्त्त सभस्त्माओॊ का सभाधान स्त्वाभी वववेकानॊदजी के नाभ भार भें सभामा हुआ है – “वववेकानॊद” !!! ननमम-अननमम, सही-गरत की सूक्ष्भ सभझ का एकाऺयी वणमन – वववेक – हभाये जीवनोमकषम का ददशा-सूचन औय ननमॊरण कयता है । स्त्री सशक्तीकयण के सॊदबम भें बी वववेक सबय ववचाय-ववभशम औय उन ववचायों का जीवन भें साकाय होना आवश्मक है । साऺयता लशऺण का भहत्त्वऩूणम औय अलबन्न अॊग है, ऩयॊतु साऺयता भार को लशऺण भान रेना फहुत गम्बीय बूर है, जो हभने एक सभाज के रूऩ भें, फड़े व्माऩक स्त्तय ऩय जाने-अनजाने ही सही, की है औय कयते ही जा यहे हैं । स्त्री सशक्तीकयण का नय औय नायी जानत के फीच का सॊघषम फन जाना इस सभस्त्मा के ददशाच्मुत होने का एक भूरबूत कायण है । भनुष्ममव के अलबन्न अॊग – नायीमव – की सही सभझ ववकलसत हो, मह सवमप्रथभ आवश्मक है । हभायी सॊस्त्कृ नत भें बगवान ् श्री लशवशॊकय का
  • 2. Vanita Thakkar : vanitaa.thakkar@gmail.com Page 2 अधमनायीश्वय रूऩ प्रचलरत है । चीनी दशमन भें बी प्रममेक भनुष्म भें ववद्मभान नमन (अथामत ् नायी) औय माॊग (अथामत ् नय) अॊग का उल्रेख है । मे दोनों ववचायधायाएॉ प्रकृ नत की सजमनशीरता के गुणों से सम्फॊचधत यहस्त्म को उजागय कयती हैं । प्रममेक नायी भें नयमव औय प्रममेक नय भें नायीमव ववद्मभान होता है । अऩने अॊदय के नय औय नायी तमव को सॊतुलरत यख ऩाना व्मक्क्तगत एवॊ साभाक्जक, दोनों स्त्तयों ऩय सपर भनुष्म जीवन का द्मोतक है । व्मक्क्तगत एवॊ साभाक्जक जीवन भें रज्जा, भभता, ऋजुता, सयरता, कोभरता, बावुकता जैसे स्त्री सहज गुणों का अवभूल्मन होना औय शौमम, साहस, ऩयाक्रभ, फुद्धीभता, चातुमम, दृढ़ता जैसे ऩौरुषीम गुणों का वचमस्त्व की अॊधी रारसा भें ऩरयवनतमत होकय हावी हो जाना स्त्री सशक्तीकयण की आवश्मकता उमऩन्न कयता है । औय इस सशक्तीकयण को वववेक-सबय सम्वेदनशीरता से ककमा जाना अननवामम है । ऩुरुष भार दोषी औय स्त्री भार ननदोष है मा स्त्री ही सफ भुसीफतों की जड़ है, ऐसा साभान्मीकयण फहुधा अन्मामऩूणम लसद्ध हो जाता है । स्त्री सशक्तीकयण से सम्फॊचधत कु छ भसरों ऩय स्त्वस्त्थ दृक्ष्िकोण ववकलसत कयना अममॊत आवश्मक हो चरा है । प्रथभ है, "स्त्वतॊरता" - वह शब्द जो भानव-भार को रुबाता है । कबी गौय कयें कक इस शब्द के प्रनत इतना आकषमण क्मों है, तो फॊद कभर की खुरती ऩॊखुड़ड़मों की तयह उसका अथम खुरने औय खखरने रगता है । स्त्वतॊरता भानव अक्स्त्तमव के बौनतक, भानलसक औय चैतलसक स्त्तयों भें से भूरत: चैतलसक स्त्तय भें व्माप्त भुक्त-ववहायी बाव है । बौनतक स्त्तय ऩय, न के वर भानव सभाज भें, अवऩतु सभस्त्त सृक्ष्ि भें "स्त्वतॊरता" जैसा कु छ है ही नहीॊ - सफ कु छ ऩयस्त्ऩयावरम्फी है । बौनतक स्त्तय ऩय "स्त्वतॊरता" अथामत ् "ऩायस्त्ऩरयकता को (मथाशक्क्त, मथासम्बव) ननबाकय भुक्त / सॊतुष्ि होना" । भानव का भानव से सम्फॊध हो (इसभें स्त्री-ऩुरुष के सॊफॊध का हय स्त्वरूऩ बी सभाववष्ि है), मा भानव का प्रकृ नत से सम्फॊध हो, ऩायस्त्ऩरयकता ऩय ननबमय कयता है । मह ऩायस्त्ऩरयकता का एहसास भमामदा का सहज फोध कयाता है । औय भमामदा सम्फॊधों को गरयभा एवॊ सौंदमम प्रदान कयती है । इसी तयह से "सभानता" को बी सभझा जा सकता है । बौनतक स्त्तय ऩय भची सभानता की होड़ कबी-कबी हास्त्मास्त्ऩद तो कबी-कबी क्रू य रूऩ बी धायण कय रेती है । तुरनामभक फुद्धीभता के ननयॊकु श याज भें "सभानता" के नाभ ऩय गुणवत्ता का अवभूल्मन "अॊधेय नगयी चौऩि याजा, िके सेय बाजी िके सेय खाजा" वारी क्स्त्थनत उमऩन्न कय देता है .... कववता प्रस्त्तुत है :
  • 3. Vanita Thakkar : vanitaa.thakkar@gmail.com Page 3 टके सेर भाजी टके सेर खाजा - वननता ठक्कय (14.01.2017) प्रचाय के नायों भें घोर प्रगनत का वऩिवाएॉ ढोर ! सभानता का फजाएॉ फाजा, िके सेय बाजी िके सेय खाजा !! स्त्वतॊरता की ऩकड़े ऩूॉछ, अचधकायों की भचाएॉ रूि ! क्जम्भेदायी हो तेर वारी, ननबती ददख जाए फस खारी ! हभें तो बा गमा है छरावा ! सभानता का फजाएॉ फाजा, िके सेय बाजी िके सेय खाजा !! अच्छा होना कहाॉ जरूयी ? अच्छे ददख गए ? वाताम ऩूयी   उद्धायीकयण के नाभ, गुणवत्ता का चक्का जाभ ! सभानता हय दुख भें राता ! सभानता का फजाएॉ फाजा, िके सेय बाजी िके सेय खाजा !! प्रचाय के नायों भें घोर प्रगनत का वऩिवाएॉ ढोर ! सभानता का फजाएॉ फाजा, िके सेय बाजी िके सेय खाजा !!
  • 4. Vanita Thakkar : vanitaa.thakkar@gmail.com Page 4 सशक्तीकयण की प्रकक्रमा भें अशक्तीकयण का इस तयह चर ऩड़ा कु चक्र स्त्वाभी वववेकानन्दजी द्वाया ननददमष्ि भागम से हभें ऩथभ्रष्ि कयता है । The Farce of (Women) Empowerment - Vanita Thakkar (17-01-2017) Women need empowerment ! Embodiment of Energy Needs empowerment ! Poor Femininity !! Soft and caring, Gentle and tough ! It nurtured us, It nurtures us To see itself Turn into A dependent load !! Poor dear !!! …. We take pride In our efforts Towards the cause, We thank the Almighty For bestowing Upon us Such compassion and pity !! We keep empowering And wait for The promising, strong ones To become empower-able !
  • 5. Vanita Thakkar : vanitaa.thakkar@gmail.com Page 5 Afterall, the show Has to go on !! दहॊदी अनुवाद : (स्री) सशक्तीकरण का स्वाांग - वननता ठक्कय (१७-०१-२०१७) स्त्री को सशक्तीकयण की आवश्मकता ! शक्क्त-स्त्वरूऩा को सशक्तीकयण की आवश्मकता ! फेचाया नायीमव !! कोभर, वामसल्मभम, सौम्म औय दृढ़ ! उसने हभें ऩारा, उसने हभें ऩोषा, एक असहाम फोझ फन कय यह जाने के लरए !! फेचाया, प्माया नायीमव ! हभें गवम है अऩने रक्ष्मसाधी प्रमासों ऩय ! हभ कृ तऻ हैं सवमशक्क्तभान ऩयभामभा के , कक हभें ऐसी करूणा, ऐसी दमा प्रदान की ! हभ सशक्तीकयण कयते यहते हैं औय याह देखते हैं, होनहाय, सशक्त जनों के सशक्तीकयण मोग्म फन जाने की ! आखखयकाय, तभाशा तो जायी यखना ही ऩड़ेगा !!!
  • 6. Vanita Thakkar : vanitaa.thakkar@gmail.com Page 6 स्त्वाभी वववेकानॊद ने सीता औय साववरी को बायतीम नायीमव का आदशम फतामा है । उनके द्वाया प्रस्त्थावऩत याभकृ ष्ण लभशन की सॊघभाता श्री श्री भाॉ सायदा देवी ने नायी शक्क्त औय गरयभा को अऩने जीवन भें भूतीभॊत ककमा । उनकी लशष्मा, बचगनी ननवेददता ने अऩने वतन को ममागकय बायतीम नायी शक्क्त को ऩुनजामगृत कयने के लरए अऩना जीवन सभवऩमत कय ददमा । स्त्वाभीजी की तेजोभम औय ऊजामवान आषमदृक्ष्ि ने बायत के ऐसे गौयवभम बववष्म के दशमन ककए थे क्जसके आगे उसके अतीत की बव्मता बी साधायण-सी प्रतीत हो । वे कहते थे कक इस स्त्वप्न को साकाय कयने के लरए नायी शक्क्त की ववलशष्ि भहमवऩूणम बूलभका यहेगी । ऐसा होना न के वर इच्छनीम है, अवऩतु आवश्मक बी है । जीवन का समम, लशवभम सुॊदय स्त्वरूऩ का साऺामकाय कयने के लरए दम्ब औय बम की कालरभा का नष्ि होना आवश्मक है । स्त्वाभी वववेकानन्द कहा कयते थे – “I am a voice without form”, अथामत ् वे स्त्व्मॊ को एक अरूऩ ध्वनन - एक शाश्वत ऊजाम के रूऩ भें दशामते थे । उनके इस शाश्वत स्त्वरूऩ के प्रबाव को उजागय कयने वारे एक अनुबव के फाये भें फताना चाहूॉगी - ननश्छर ननबममता फचऩन का स्त्वबाव होती है । जाने- अनजाने बम प्रवेश कयता है । ऐसा ही एक बम भेये बीतय घय कय गमा था - अॊधेये का बम । फात तफ की है जफ भैं 12-13 वषम की थी । बम ऺुब्ध कयता था, कपय बी जा नहीॊ यहा था । भेये वऩताजी की ऩोक्स्त्िॊग उन ददनों जभशेद्ऩुय भें थी । छु ट्दिमों भें हभ जभशेद्ऩुय से याउयके रा जा यहे थे । वऩताजी की ट्ाॊस्त्फ़येफर जॉफ की वजह से येर का रम्फा सपय हभाये लरए साभान्म-सा हो गमा था - वडोदया से फॊगाईगाॉव जाने भें चाय ददन (तीन यातें) रग जाते थे । औय येल्वे स्त्िेशन जाने का अथम भेये औय भेये बाई के लरए था - नई ककताफ लभरना - दोनों को एक-एक, जो हभ जल्द से जल्द ऩढ़ रेने भें रग जाते थे .... इस फाय स्त्वाभी वववेकानॊद की जीवनकथा औय प्रेभचॊद की "ननभमरा" - मे दो ककताफें हभें लभरी थीॊ । स्त्वाभी वववेकानॊद की जीवनकथा फहुत ही प्रबावशारी थी - प्रेयणा औय ऊजाम से बयऩूय । ऩढ़ने के फाद जो फात सफसे अचधक भन भें छाई यही, वह थी, ननबमम होने का आह्वान - "ननबमम फनो - डयना ऩाऩ है ...." भैं ववचाय भें ऩड़ गई, "ककतने "ऩाऩ" हो गए !!??  ...." सोचा, बम को दूय कयना ही होगा । हभाये फड़े से घय भें, जहाॉ ददन ढरने के फाद एक कभये से दूसये कभये भें जाने से बी भुझे डय रगता था, भैंने अऩने डय को बगाने का अभ्मास शूरु ककमा - दो-दो-तीन-तीन लभननि अॊधेये कभयों भें जा कय खड़ी यहती .... औय अचधक रुकती, फैठती .... डय दूय हो गमा, औय अॊधेये से भानो दोस्त्ती हो गई .... औय भुझे एहसास हुआ कक वास्त्तव भें भुझे अॊधेये से नहीॊ, अॊधेये भें इॊसानों से डय रगने रगा था - कु छ सुन लरमा था, कहीॊ कबी, ककसी ने कु छ कह ददमा
  • 7. Vanita Thakkar : vanitaa.thakkar@gmail.com Page 7 था .... औय सच फताऊॉ तो, आज के दौय भें शामद मह डय सफ के भन भें है, उससे भुक्त होना, खास कय क्स्त्रमों के लरए, फहुत कदठन है । औय कु छ हद तक ऐसा डय सहामक बी है - क्मोंकक वह सावधान यहने के लरए प्रेरयत कयता है । सममननष्ठा ननबममता दे जाती है, ननबममता आमभववश्वास भें छरकती है, औय आमभववश्वास प्रेयणा से फर प्राप्त कयता है । स्त्वाभी वववेकानॊद की प्रेयक वाणी आज बी राखों जीवन प्रकालशत कय यही है । उस प्रकाश से प्रज्ज्वलरत चुनौनतमों से बयी याहों ऩय चर कय हय प्रेयणाथी – नय-नायी – अऩने जीवन की कहानी को उस ददव्मता से बय दे, क्जसका स्त्वाभी वववेकानन्द हय भानव के जीवन भें आववबामव कयाना चाहते थे, मही उनके प्रनत सच्ची श्रद्धाॊजलर होगी । (12 जनवयी, 2017 को याभकृ ष्ण लभशन वववेकानॊद भेभोरयमर भें ददए गए वक्तव्म का सायाॊश इस रेख भें ददमा गमा है । कववताएॉ उसी ववचाय-शृॊखरा से प्रेरयत हैं, अत: उनका बी सभावेश ककमा गमा है । - वननता ठक्कय)