Anúncio

तुम बिन जाएँ कहाँ

Director at IT Can Do It Pvt. Ltd em New Media Information Technologies
22 de Jan de 2017
तुम बिन जाएँ कहाँ
तुम बिन जाएँ कहाँ
Próximos SlideShares
Desh ka SalamDesh ka Salam
Carregando em ... 3
1 de 2
Anúncio

Mais conteúdo relacionado

Anúncio

तुम बिन जाएँ कहाँ

  1. तुम बिन जाएँ कहाँ --- ? मेरे वैसे तो ररश्तेदार हैं अनगिनत, किसी से ररश्ता है ही नहीीं पर | जी हााँ ! नातेदार हैं अनेिानेि, नाता तो है ही नहीीं किसी से | पहचानवालों िी है सींख्या भारी, पर पहचान है नहीीं किसी से | ममत्र-मींड़ली है ज़रूर बड़ी, पर किसीिी है नहीीं ममत्रता सच्ची | देखिर मुस्िु राने, मसर हहलानेवाले हैं िई, िुज़रते हैं मोच िे िारण िरदन में यों ही | िु छ ऐसे हैं जो चाहते जी से मुझे जान-से बढ़िर हाँ मै उनिे मलए | बबलिु ल चाहती हाँ नही मैं उन्हें द्वार सारे उनिे मलए हैं सदा बन्द | िोई वातायान खुला नहीीं िहीीं-िभी छज्जे पर भी है जाली-िााँच िा आवरण | आिमन िे मलए भी, लक्ष्मी मााँ िे खुलता तो, सावधानी सहहत क्षण भर द्वार | चौखट पर न फल न हल्दी-अक्षत ्, दोनों ओर सजे रहते नाफ़तमलन बॉल | दरवाज़े पर सदा महिती रहती है हहट-स्रे िी सुिींध, िले में खराश | कफर भी न जाने आते िहााँ से वे जीव --- िभी हदखाई देते रसोई में बरतनों िे बीच |
  2. कफर िभी हदखते पजा घर में भिवान िे पीछे िभी छज्जे में तो और िभी और िहीीं | मुझसे इतना क्या लिाव इतना अपार प्यार .. ? ताि िाली-िोल आाँखों से सरर से छछप जाते | िाड़ी-चालि माहहर है उन्हें पिड़ता फें ि आता अछत दर, कफर भी उनिा पीछा रहता बना | िभी वेिु अम क्लीनर से फाँ सािर छोड़ आता िहीीं िड़े में उन्हें रहने िे मलए | मैं पजा क्या िरती ? ! लिा रहता उन्हीीं िा ड़र, िब वे हदखाई दे िहीीं .. ? हे ईश्वर िृ पा िर | सींसार इतना बड़ा है, ज़मीन इतनी बड़ी है, वे क्यों आ जाते मेरे आवास ? न ममला उत्तर | हे मेरे शुभ-गचन्ति ! आप भी मााँिे दुआ मेरे मलए, ताकि मैं सााँस लाँ आराम से बािी जीवन-िाल ! अब बताती हाँ वह जीव है – जानी दुश्मन छिपकलियाँ, मेरी दृष्टट में बसा रहता सदा उन्हीीं िा रूप | मानो वे मुझसे िहते - िहतीीं तुम बबन जाएाँ िहााँ … ? समझ न आता – क्या िरूाँ ..? क्या िहाँ.. ?
Anúncio