2. मुंशी प्रेमचुंद की दो बैलोुं की कथा:-
दो बैलोों की कथा मोंशी प्रेमचोंद की
एक कथा है जिसमें प्रेमचोंद्र एक
जकसान और उसक
े दो बैलोों क
े
भाव को प्रकट करते हैं। इस
कहानी में वह यह दशााते हैं जक
चाहे िानवर हो या मनष्य सभी को
अपनी स्वतोंत्रता पसोंद होती है और
जिर वे सब अपनी स्वतोंत्रता क
े
जलए जितना भी सोंघर्ा करना हो
करते हैं, िैसा की कथा में बैलोों को
अपनी स्वतोंत्रता क
े जलए सोंघर्ा
करते हुए जदखाया गया है।
3. लेखक परिचय :-
• कथाकार मोंशी प्रेमचोंद देश ही नहीों, दजनयाभर में जवख्यात हुए और ‘कथा
सम्राट’ कहलाए। प्रेमचोंद का िन्म 1880 में बनारस क
े लमही गाोंव में हुआ
था। प्रेमचोंद्र ने बीए तक की पढाई पूरी करने क
े बाद जशक्षा जवभाग में नौकरी
प्राप्त की परोंत असहयोग आोंदोलन का जहस्सा बनने क
े जलए उन्ोोंने नौकरी से
इस्तीिा दे जदया। इसक
े बाद उन्ोोंने अपने लेखक िीवन की शरुआत की
और कई सारी कहाजनयाों जलखी जिसे आि हम पढते हैं। प्रेमचोंद का देहाोंत
1936 में हो गया।
4. दो बैलोुं की कथा पाठ का सािाुंश ( Very Short Summary):-
• यह कहानी दो बैलोों क
े बारे में है िो अपने माजलक से बेहद प्यार करते थे और
जिनमे आपस में भी गहरी जमत्रता थी। दोनोों बैल स्वाजभमानी, बहादर और
परोपकारी हैं। उनका माजलक उन्ें बडे स्नेह से रखता है। लेजकन एक
बार दोनोों बैलोों को माजलक क
े ससराल भेि जदया िाता है। नये जिकाने पर
उजचत सम्मान न जमलने क
े कारण दोनोों बैल वहााँ से भागकर अपने असली
माजलक क
े पास आते हैं। उन्ें दोबारा नये जिकाने पर भेि जदया िाता है।
िब वे दोबारा भागने की कोजशश करते हैं तो कई मसीबतोों में ि
ाँ स िाते हैं।
आखखर में उन्ें जकसी कसाई क
े हाथ नीलाम कर जदया िाता है। लेजकन
दोनोों बैल उस कसाई क
े चोंगल से छ
ू टने में भी कामयाब हो िाते हैं और अोंत में
अपने असली माजलक क
े पास पहुाँच िाते हैं। यह कहानी बडी ही
रोचक है और सरल भार्ा में जलखी गई है।
5. दो बैलोुं की कथा पाठ का सािाुंश (Detailed Summary):-
लेखक क
े अनसार गधा एक सीधा और जनरापद िानवर है । वह सख-
दख, हाजन-लाभ, जकसी भी दशा में कभी नहीों बदलता। उसमें ऋजर्-
मजनयोों क
े गण होते हैं, जिर भी आदमी उसे बेवक
ू फ़ कहता है। बैल
गधे क
े छोटे भाई हैं िो कई रीजतयोों से अपना असोंतोर् प्रकट करते हैं।
झूरी काछी क
े पास हीरा और मोती नाम क
े दो स्वस्थ और सोंदर बैल
थे। वह अपने बैलोों से बहुत प्रेम करता था। हीरा और मोती क
े बीच भी
घजनष्ठ सोंबोंध था। एक बार झूरी ने दोनोों को अपने ससराल क
े खेतोों में
काम करने क
े जलए भेि जदया। वहााँ उनसे खूब काम करवाया िाता था
लेजकन खाने को रुखा-सूखा ही जदया िाता था। अत: दोनोों रस्सी
तडाकर झूरी क
े पास भाग आए। झूरी उन्ें देखकर बहुत खश हुआ
और अब उन्ें खाने-पीने की कमी नहीों रही। दोनोों बडे खश थे। मगर
झूरी की स्त्री को उनका भागना पसोंद नहीों आया। उसने उन्ें खरी-
खोटी और मिूर द्वारा खाली सूखा भूसा खखलाया गया। दू सरे जदन झूरी
का साला जिर उन्ें लेने आ गया। जिर उन्ें कडी मेहनत करनी पडी
पर खाने को सूखा भूसा ही जमला।
6. Detailed summary:-
• कई बार काम करते समय मोती ने गाडी खाई में जगरानी चाही तो हीरा ने उसे समझाया। मोती
बडा गस्सैल था, हीरा धीरि से काम लेता था। हीरा की नाक पर िब खूब डोंडे बरसाए गए तो
मोती गस्से से हल लेकर भागा, पर गले में बडी रखस्सयााँ होने क
े कारण पकडा गया। कभी-कभी
उन्ें खूब मारा-पीटा भी िाता था। इस तरह दोनोों की हलत बहुत खराब थी।
वहााँ एक छोटी-सी बाजलका रहती थी। उसकी मााँ मर चकी थी। उसकी सौतेली मााँ उसे मारती रहती थी,
इसजलए उन बैलोों से उसे एक प्रकार की आत्मीयता हो गई थी। वह रोज़ दोनोों को चोरी-जछपे दो रोजटयााँ डाल
िाती थी। इस तरह दोनोों की दशा बहुत खराब थी। एक जदन उस बाजलका ने उनकी रखस्सयााँ खोल दी। दोनोों भाग खडे
हुए। झूरी का साला और दू सरे लोग उन्ें पकडने दौडे पर पकड न सक
े । भागते-भागते दोनोों नई ज़गह पहुाँच गए। झूरी क
े
घर िाने का रास्ता वे भूल गए। जिर भी बहुत खश थे। दोनोों ने खेतोों में मटर खाई और आज़ादी का अनभव करने लगे।
जिर एक सााँड से उनका मकाबला हुआ। दोनोों ने जमलकर उसे मार भगाया, लेजकन खेत में चरते समय माजलक आ गया। मोती को ि
ाँ सा देखकर
हीरा भी खद आ ि
ाँ सा। दोनोों कााँिीहौस में बोंद कर जदए गए। वहााँ और भी िानवर बोंद थे। सबकी हालत बहुत खराब थी । िब हीरा-मोती को रात
को भी भोिन न जमला तो जदल में जवद्रोह की ज्वाला भडक उिी। जिर एक जदन दीवार जगराकर दोनोों ने दू सरे िानवरोों को भगा जदया। मोती भाग
सकता था पर हीरा को बाँधा देखकर वह भी न भाग सका।
7. Detailed summary:-
• कााँिीहौस क
े माजलक को पता लगने पर उसने मोती की खूब मरम्मत की
और उसे मोटी रस्सी से बााँध जदया। एक सप्ताह बाद क
ाँ िीहोस क
े माजलक ने
िानवरोों को कसाई क
े हाथोों बेच जदया। एक दजढयल आदमी हीरा-मोती को
ले िाने लगा। वे समझ गए जक अब उनका अोंत समीप है। चलते-चलते
अचानक उन्ें लगा जक वे पररजचत राह पर आ गए हैं। उनका घर नज़दीक आ
गया था। दोनोों उन्मत्त होकर उछलने लगे और दौडते हुए झूरी क
े द्वार पर
आकर खडे हो गए। झूरी ने देखा तो खशी से ि
ू ल उिा। अचानक दजढयल ने
आकर बैलोों की रखस्सयााँ पकड ली। झूरी ने कहा जक वे उसक
े बैल हैं, पर
दजढयल ज़ोर-ज़बरदस्ती करने लगा। तभी मोती ने सीोंग चलाया और दजढयल
को दू र तक खदेड जदया। थोडी देर बाद ही दोनोों खशी से खली-भूसी-चूनी
खाते जदखाई पडे । घर की मालजकन ने भी आकर दोनोों को चूम जलया।
8. कठठन शब्द:-
दो बैलोुं की कथा से जडे कछ कठठन शब्द
• जनरापद – सरजक्षत
• पछाई – पालतू पशओों की एक नस्ल
• गोईों – िोडी
• कलेले – क्रीडा
• जवर्ाद – उदासी
• पराकाष्ठा – अोंजतम सीमा
• पगजहया – पश बाोंधने की रेजसपी
• रगेदना – खदेडना
9. कहानी मैं प्रयोग हुए कछ महावरे:-
• टकटकी लगाना: अथा: जनरोंतर देखना- वह दरवािे पर टकटकी लगाए देखता
रहा।
• दाोंतोों पसीना आना: अथा: कजिन पररश्रम करना- इतना भारी सामान उिाते
उसे दाोंतोों पसीना आ गया।
• िी तोड काम करना: अथा: बहुत मेहनत करना- मोहन ने िर्स्ा आने क
े जलए
िी तोड काम जकया।
• ग़म खाना: अथा: धैया रखना- कम खाना जमलने पर भी हीरा और मोती गम खा
िाते।