1. सामुदायिक विकास कार्यक्रम
https://calumet.extension.wisc.edu/files/2010/05/community-development.jpg
द्वारा डॉक्टर ममता उपाध्याय
एसोसिएट प्रोफ
े सर, राजनीति विज्ञान
क
ु मारी मायावती राजकीय महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय
बादलपुर, गौतम बुध नगर,उत्तर प्रदेश
यह सामग्री विशेष रूप से शिक्षण और सीखने को बढ़ाने क
े शैक्षणिक उद्देश्यों क
े लिए है। आर्थिक / वाणिज्यिक अथवा
किसी अन्य उद्देश्य क
े लिए इसका उपयोग पूर्णत: प्रतिबंध है। सामग्री क
े उपयोगकर्ता इसे किसी और क
े साथ वितरित,
प्रसारित या साझा नहीं करेंगे और इसका उपयोग व्यक्तिगत ज्ञान की उन्नति क
े लिए ही करेंगे। इस ई - क
ं टेंट में जो
जानकारी की गई है वह प्रामाणिक है और मेरे ज्ञान क
े अनुसार सर्वोत्तम है।
उद्देश्य-
● भारत में सामुदायिक विकास की विचारधारा एवं ऐतिहासिक पृष्ठभूमि का ज्ञान
● सामुदायिक विकास कार्यक्रम क
े उद्देश्यों की जानकारी
● समुदायिक विकास कार्यक्रम क
े स्वरूप एवं संगठन की जानकारी
● सामुदायिक विकास कार्यक्रम क
े समक्ष चुनौतियां एवं इसकी विफलताओं का विश्लेषण
● सामुदायिक विकास कार्यक्रम की उपलब्धियों का विश्लेषण
● सामुदायिक विकास कार्यक्रम की सफलता हेतु जन सहभागिता को प्रेरित करना
2. सामुदायिक विकास कार्यक्रम ग्रामीण पुनर्निर्माण की परियोजना है जिसका उद्देश्य जन
सहभागिता क
े माध्यम से ग्रामीण समुदाय क
े जीवन स्तर को ऊपर उठाना है। इस योजना को
‘भारत की दो तिहाई जनता की आशा तथा सुख का अधिकार पत्र’, ‘मुक्ति का इच्छा पत्र’,
दरिद्रता, अज्ञान ,गंदगी ,रोग क
े - जिनसे करोड़ों लोग पीड़ित हैं- विरुद्ध युद्ध की घोषणा जैसी
संज्ञा दी गई है। सदियों की राजनीतिक पराधीनता का शिकार रहे भारत की ग्रामीण जनता
पारस्परिक सहयोग और सहभागिता की भावना, जो भारतीय संस्कृ ति का मूल आधार थी, खो
चुकी थी और उसक
े मन में सत्ता क
े प्रति संदेह की भावना घर कर गई थी। संदेह की इस भावना
को दूर कर ग्रामीण अर्थव्यवस्था और संस्कृ ति क
े पुनरुत्थान क
े उद्देश्य से स्वतंत्र भारत की
सरकार द्वारा ग्राम स्वराज्य की स्थापना क
े लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए 1952 में इस कार्यक्रम
की शुरुआत की गई। इस कार्यक्रम क
े पीछे दृष्टि यह थी कि जिस देश की 74% जनता गांव में
रहती है, उस ग्रामीण जीवन को पुनर्गठित किए बिना राष्ट्रीय पुनर्निर्माण संभव नहीं था और न
ही कल्याणकारी राज्य क
े लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता था, अतः एक ऐसी योजना क
े रूप में
जो ग्राम समुदाय में व्याप्त अशिक्षा, निर्धनता, बेरोजगारी,कृ षि का पिछड़ापन ,गंदगी और
रूढ़िवादिता को दूर कर सक
े , सामुदायिक विकास कार्यक्रम को प्रारंभ किया गया।
ग्रामीण विकास क
े व्यापक लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए सर्वप्रथम सन 1948
में उत्तर प्रदेश क
े इटावा तथा गोरखपुर जिलों में एक प्रायोगिक योजना क्रियान्वित की गई।
इसकी सफलता से प्रेरित होकर जनवरी 1952 में भारत और अमेरिका क
े बीच एक समझौता
हुआ जिसक
े अंतर्गत भारत में ग्रामीण विकास क
े बहुआयामी स्वरूप को प्राप्त करने क
े लिए
अमेरिका क
े ‘फोर्ड फाउंडेशन’ द्वारा आर्थिक सहायता देना स्वीकार किया गया। 1952 में
महात्मा गांधी क
े जन्म दिवस अर्थात 2 अक्टूबर से 55 विकास खंडों की स्थापना करक
े इस
योजना पर कार्य प्रारंभ किया गया।
सामुदायिक विकास क्या है?
सामुदायिक विकास क
े वल एक कार्यक्रम ही नहीं, बल्कि एक विचारधारा है जो इस बुनियादी
विचार पर आधारित है कि व्यक्ति क
े व्यक्तित्व विकास में उसक
े समुदाय का बड़ा योगदान होता
है, अतः समुदाय क
े प्रति व्यक्ति का उत्तरदायित्व बनता है कि वह विभिन्न लोगों और संरचना क
े
3. साथ स्वयं को जोड़ते हुए समुदाय क
े सदस्य क
े रूप में संपूर्ण समुदाय क
े उत्थान का कारक बने
और स्वयं भी समुदाय क
े विकास से लाभान्वित हो । भारतीय संदर्भ में सामुदायिक विकास का
तात्पर्य एक ऐसी प्रणाली से है, जिसक
े माध्यम से ग्रामीण समाज की संरचना, उसक
े आर्थिक
संसाधनों, नेतृत्व क
े स्वरूप तथा ग्रामीण लोगों की सहभागिता क
े मध्य सामंजस्य स्थापित करते
हुए ग्रामीण समाज का चहुमुखी विकास करना है। कैं ब्रिज में हुए सम्मेलन में सामुदायिक
विकास को स्पष्ट करते हुए कहा गया था कि ‘’ सामुदायिक विकास एक ऐसा आंदोलन है जिसका
उद्देश्य संपूर्ण समुदाय क
े लिए एक उच्चतर जीवन स्तर की व्यवस्था करना है। इस कार्य में
प्रेरणा शक्ति समुदाय की ओर से आनी चाहिए तथा प्रत्येक समय इसमें जनता का सहयोग होना
चाहिए। ‘’
योजना आयोग क
े प्रतिवेदन में सामुदायिक विकास क
े अर्थ को स्पष्ट
करते हुए कहा गया है कि ‘’ समुदायिक विकास एक ऐसी योजना है जिसक
े द्वारा नवीन साधनों
की खोज करक
े ग्रामीण समाज क
े सामाजिक एवं आर्थिक जीवन में परिवर्तन लाया जा सकता है।
‘’
प्रोफ
े सर ए. आर . देसाई क
े अनुसार,’’ सामुदायिक विकास योजना एक ऐसी
पद्धति है जिसक
े द्वारा पंचवर्षीय योजनाओं में निर्धारित ग्रामों क
े सामाजिक तथा आर्थिक
जीवन में रूपांतरण की प्रक्रिया प्रारंभ करने का प्रयत्न किया जाता है। ‘’ इस परिभाषा में ग्रामीण
विकास को पंचवर्षीय योजनाओं क
े माध्यम से पूरा करने पर बल दिया गया है।
आर. एन . रैना क
े अनुसार ‘’ सामुदायिक विकास एक ऐसा समन्वित
कार्यक्रम है ,जो ग्रामीण जीवन से सभी पहलुओं से संबंधित है तथा धर्म ,जाति ,सामाजिक अथवा
आर्थिक असमानताओं को बिना कोई महत्व दिए एक संपूर्ण ग्रामीण समुदाय पर लागू होता है। ‘’
सामुदायिक विकास कार्यक्रमों क
े प्रशासक एस. क
े . डे ने सामुदायिक विकास
कार्यक्रम की तुलना उस उद्यान से की थी जिसका पालन पोषण किसी प्रशिक्षित माली ने किया
हो। उनक
े शब्दों में, ‘’ उद्यान सावधानी पूर्वक संजोया हुआ जंगल होता है, जिसमें एक महान
कलाकार सब क
े लिए उचित स्थान की व्यवस्था करता है जिस से वे पूर्णतया विकसित होकर
फल फ
ू ल सक
ें और उनमें से प्रत्येक अपने स्थान पर रहकर ब्रह्मांड की इस लीला में एक दूसरे
की पूर्ति कर सक
ें ।’’
‘’जियो और जीने दो’’ प्रत्येक को अपनी क्षमता अनुसार विकसित होने का पूरा अवसर मिले, यह
इस व्यवस्था का नैतिक समादेश है। एक जन समुदाय को उन्हीं आधारभूत सिद्धांतों का
4. अनुसरण करना पड़ेगा जो उद्यान में लागू होते हैं और महान कलाकार को अपने उपकरणों का
प्रयोग उसी रूप में करना पड़ेगा।
सामुदायिक विकास क
े विचार का इतिहास-
अपने वर्तमान रूप में सामुदायिक विकास कार्यक्रम नया है, किं तु इसक
े मूल में विद्यमान
विचार भारत क
े लिए नए नहीं है। प्रोफ
े सर श्री राम माहेश्वरी क
े अनुसार,’’ सामुदायिकता का
विचार उतना ही पुराना है ,जितने वेद और प्राचीन भारतीय सभ्यता । ‘’सामुदायिक सहयोग की
भावना सभी वैदिक अनुष्ठानों में, जिनमें समाज का प्रत्येक सदस्य सम्मिलित होता था, व्याप्त
थी। चौथी शताब्दी ईसा पूर्व में मेगस्थनीज ने जो क
ु छ लिखा था उससे पता चलता है कि उस
समय क
े भारतीय ग्रामीण समाज सहकारिता क
े आधार पर फल फ
ू ल रहे थे। उससे पहले वैशाली
क
े लिच्छवियों क
े शासन क
े अंतर्गत अनेक ग्राम- समाज एक शिथिल संघ क
े रूप में परस्पर बंधे
हुए थे। जैनियों क
े धर्म ग्रंथों एवं बौद्धों क
े जातक कथाओं में भी सहयोग मूलक सामुदायिक
जीवन क
े उदाहरण मिलते हैं। 800 ईसवी क
े बाद चोल राजाओं क
े अनेक उत्कीर्ण लेख ऐसे
मिलते हैं जिनमें इस बात का व्यापक वर्णन है कि प्राचीन तथा मध्ययुगीन भारत में ग्राम-
समाज किस प्रकार फल फ
ू ल रहे थे। किं तु अपने वर्तमान स्वरूप में सामुदायिक विकास कार्यक्रम
अमेरिकी विचार है। यह ग्रामीण पुनर्निर्माण क
े उस अर्थशास्त्र का परिणाम है जिसे संयुक्त राज्य
अमेरिका में सीखा और विकसित किया गया था तथा भारतीय परिस्थितियों क
े लिए इसे
उपयुक्त पाया गया। तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री पंडित नेहरू ने इससे एक ‘मौन क्रांति’ की
संज्ञा दी थी।
उद्देश्य--
सामुदायिक विकास कार्यक्रम का मूल उद्देश्य अधिकतम लोगों का अधिकतम कल्याण करना है
और इस रूप में सामुदायिक विकास कार्यक्रम क
े उद्देश्य इतने व्यापक हैं कि इनकी कोई
निश्चित सूची बना सकना एक कठिन कार्य है। विद्वानों ने इसक
े उद्देश्यों को प्राथमिकता क
े
आधार पर प्रस्तुत किया है।
● ग्रामीणों में मनोवैज्ञानिक परिवर्तन लाना-
प्रोफ
े सर ए. आर. देसाई ने सामुदायिक विकास कार्यक्रम का उद्देश्य ग्रामीणों में एक
मनोवैज्ञानिक परिवर्तन लाना बताया है। ग्रामीणों की नवीन आकांक्षाओं ,प्रेरणा, प्रविधि और
विश्वासों को ध्यान में रखते हुए मानव शक्ति क
े विशाल भंडार को देश की आर्थिक विकास में
लगाना है।
5. संयुक्त राष्ट्र संघ क
े महासचिव डॉग हैमर शोल्ड ने स्पष्ट किया था कि ‘’ सामुदायिक विकास
योजना का उद्देश्य ग्रामीणों क
े लिए क
े वल भोजन व आवास, स्वास्थ्य और सफाई की सुविधाएं
देना मात्र नहीं है, बल्कि भौतिक साधनों क
े विकास से अधिक महत्वपूर्ण इसका उद्देश्य ग्रामीणों
क
े दृष्टिकोण तथा विचारों में परिवर्तन उत्पन्न करना है। ‘’ वास्तव में जब तक ग्रामीणों में यह
विश्वास पैदा नहीं हो जाता कि वे अपने ग्राम की प्रगति स्वयं कर सकते हैं तथा अपनी
समस्याओं को स्वयं सुलझा सकते हैं, तब तक गांव का समग्र विकास संभव नहीं है, क्योंकि
विकास क
े अभिकर्ता स्वयं ग्रामवासी हैं।
● कृ षि उत्पादन, शिक्षा एवं ग्रामीण स्वास्थ्य-
प्रोफ
े सर एस. सी . दुबे ने सामुदायिक विकास कार्यक्रम का उद्देश्य देश का कृ षि उत्पादन प्रचुर
मात्रा में बढ़ाना और संचार की सुविधाओं में वृद्धि करते हुए शिक्षा का प्रसार करना तथा ग्रामीण
स्वास्थ्य और सफाई की दशा में सुधार करना बताया है। डॉ श्यामा चरण में भी सामुदायिक
विकास योजना का प्रमुख उद्देश्य कृ षि का विकास बताया है क्योंकि कृ षि क
े समुचित विकास क
े
बिना ग्रामीण समुदाय का विकास संभव नहीं है। इसक
े साथ-साथ जैसा कि प्रोफ
े सर माहेश्वरी ने
बताया है कि कृ षि से संबंधित सिंचाई की व्यवस्था, उन्नत कृ षि उपकरणों की व्यवस्था, बाजार
तथा ऋण संबंधी सुविधाओं की व्यवस्था, अंतर स्थलीय मछली पालन क्षेत्रों का विकास, वन
रोपण की व्यवस्था,यातायात और संचार साधनों का विकास, प्राथमिक स्तर पर अनिवार्य और
निशुल्क शिक्षा की व्यवस्था, सामाजिक तथा पुस्तकालय सेवाओं की व्यवस्था, सफाई एवं लोक
स्वास्थ्य संबंधी कार्यों की व्यवस्था तथा ग्रामीण कारीगरों क
े कौशल में सुधार हेतु पुनश्चर्या
पाठ्यक्रम,,स्वास्थ्य कर्मचारियों का प्रशिक्षण ,परियोजनाओं क
े लिए कार्यकारी अधिकारियों का
प्रशिक्षण तथा विभिन्न कार्यक्रमों क
े परिणामों का मूल्यांकन करने की व्यवस्था सामुदायिक
विकास कार्यक्रम क
े उद्देश्यों में सम्मिलित हैं। संक्षेप में, कहा जा सकता है कि -
● कृ षि तथा संबद्ध क्षेत्र
● संचार साधन
● शिक्षा
● स्वास्थ्य
● प्रशिक्षण
● रोजगार
● आवास
● समाज कल्याण
6. सामुदायिक विकास कार्यक्रम क
े व्यापक उद्देश्य में सम्मिलित हैं।
● आर्थिक आत्मनिर्भरता, उत्तरदाई एवं क
ु शल नेतृत्व तथा युवाओं में नागरिक गुणों का
विकास -
भारत सरकार क
े सामुदायिक विकास मंत्रालय द्वारा इस योजना क
े आठ उद्देश्यों को
स्पष्ट किया गया, जो इस प्रकार हैं-
1. ग्रामीण जनता क
े मानसिक दृष्टिकोण में परिवर्तन लाना।
2. ग्राम वासियों को आत्मनिर्भर एवं प्रगतिशील बनाना।
3. ग्रामीण जनता क
े जीवन स्तर को ऊ
ं चा उठाने क
े लिए एक ओर कृ षि का
आधुनिकीकरण और दूसरी ओर ग्रामीण उद्योगों को विकसित करना।
4. इन सुधारों को व्यवहारिक रूप देने क
े लिए स्त्रियों एवं परिवारों की दशा में सुधार
करना।
5. युवाओं क
े व्यक्तित्व क
े सर्वांगीण विकास को ध्यान में रखते हुए उन्हें भावी नागरिकों
क
े रूप में तैयार करना।
6. ग्रामीण शिक्षकों क
े हितों को सुरक्षित रखना।
7. ग्रामीण समुदाय क
े स्वास्थ्य की रक्षा करना।
8. गांव में उत्तरदाई तथा क
ु शल नेतृत्व का विकास करना।
सामुदायिक विकास कार्यक्रम की विशेषताएं एवं मान्यताएं-
उपर्युक्त विवेचन क
े आधार पर सामुदायिक विकास कार्यक्रम की क
ु छ प्रमुख मान्यताओं एवं
विशेषताओं का उल्लेख इस प्रकार किया जा सकता है-
● कार्यक्रम का व्यापक रूप-
सामुदायिक विकास कार्यक्रम का उद्देश्य ग्रामीणों की सभी समस्याओं को हल करना है।
शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, आर्थिक विकास, मानसिक विकास, सांस्कृ तिक विकास इन सभी
आयामों को परस्पर समन्वित करते हुए विकास की प्रक्रिया को आगे बढ़ाना सामुदायिक विकास
कार्यक्रम की विशेषता है।
● आर्थिक पुनरुत्थान- योजना का क
ें द्रीय तत्व-
ग्राम क
े समग्र विकास क
े साथ योजना में आर्थिक विकास को प्राथमिकता प्रदान की गई है। यह
माना गया है कि आर्थिक विकास हर तरह क
े विकास क
े लिए आधारभूत है, अतः ग्रामीण क्षेत्र में
कृ षि एवं उद्योग दोनों की विकास पर जोर दिया गया।
7. ● अवयवी स्वरूप-
सामुदायिक विकास कार्यक्रम की सफलता इस बात पर निर्भर है कि संपूर्ण ग्रामीण समुदाय एक
सावयव क
े रूप में कार्य करें। आम जनता और सरकारी अधिकारियों का परस्पर संबंध स्थापित
किया जाए और जनता इस कार्यक्रम को बाहर से थोपी हुई चीज न मानकर अपनी ही योजना क
े
रूप में स्वीकार करें।
● निम्नतम स्तर पर बहुउद्देशीय कार्यकर्ता-
ग्राम स्तर पर बहुउद्देशीय कार्यकर्ताओं की उपस्थिति इस कार्यक्रम की नवीनता है। क्योंकि
किसान बहुद्देशीय व्यक्ति होता है उसकी समस्याएं विविध प्रकार की होती हैं ,जिनका संबंध
कृ षि ,पशुपालन ,वनस्पति शास्त्र, उद्यान शास्त्र से होता है,अतः सामुदायिक विकास कार्यक्रम क
े
अंतर्गत निम्नतम स्तर पर बहुद्देशीय कार्यकर्ता इसका निर्देशक होता है, ताकि वह किसान की
अधिकतम सेवा कर सक
े । किसान को भी अपनी विभिन्न समस्याओं क
े संबंध में एक ही व्यक्ति
से संपर्क स्थापित करना पड़ता है।
● स्थानीय आवश्यकता एवं जन सहभागिता-
सामुदायिक विकास कार्यक्रम की प्रमुख मान्यता यह है कि सामुदायिक विकास योजनाएं
स्थानीय आवश्यकताओं पर आधारित होनी चाहिए तथा उद्देश्य प्राप्ति क
े लिए योजना में जन
सहभागिता क
े वल प्रेरणा और समर्थन से प्राप्त की जा सकती है, शक्ति प्रयोग क
े द्वारा नहीं।
इसक
े लिए सामुदायिक विकास कार्यकर्ताओं क
े चयन और प्रशिक्षण में विशेष सावधानी रखना
आवश्यक है।
● नौकरशाही मुक्त व्यवस्था-
सामुदायिक विकास कार्यक्रम की एक मान्यता यह भी है कि यह पूरी तरह नौकरशाही व्यवस्था
द्वारा संचालित न होकर अंततः ग्रामीण समुदाय द्वारा संचालित होना चाहिए जिसक
े लिए
योजना क
े आरंभ से अंत तक इसमें ग्रामीणों का सक्रिय सहयोग आवश्यक है।
सामुदायिक विकास योजना का संगठन
प्रारंभ में सामुदायिक विकास कार्यक्रम भारत सरकार क
े योजना मंत्रालय से संबंधित था, परंतु
बाद में इसक
े व्यापक कार्य क्षेत्र को देखते हुए इसक
े लिए एक पृथक मंत्रालय -’सामुदायिक
विकास मंत्रालय’ स्थापित किया गया। वर्तमान में यह योजना ‘कृ षि तथा ग्रामीण विकास
8. मंत्रालय ‘क
े अधीन है। इस योजना का संगठन तथा संचालन क
ें द्रीय स्तर से लेकर ग्राम स्तर
तक होता है । विभिन्न स्तरों पर स्थित संगठन को निम्नांकित रूपों में देखा जा सकता है-
● क
ें द्र स्तर -
क
ें द्रीय स्तर पर इस कार्यक्रम की प्रगति क
े मूल्यांकन और नीति निर्धारण क
े लिए एक विशेष
सलाहकार समिति का गठन किया गया है जिसका अध्यक्ष प्रधानमंत्री होता है। कृ षि मंत्री तथा
योजना आयोग क
े सदस्य समिति क
े सदस्य होते हैं। क
ें द्रीय स्तर पर एक अनौपचारिक रूप से
गठित परामर्श दात्री समिति भी होती है, जिसक
े सदस्य लोकसभा क
े क
ु छ मनोनीत सदस्य होते
हैं। यह समिति योजना की प्रगति क
े संबंध में औपचारिक समिति से सलाह मशवरा करती रहती
है।
● राज्य स्तर -
सामुदायिक विकास कार्यक्रम क
े संचालन की वास्तविक जिम्मेदारी राज्य सरकार की होती है।
राज्य स्तर पर भी एक समिति होती है जिसका अध्यक्ष उस राज्य का मुख्यमंत्री होता है तथा
समस्त विकास विभागों क
े मंत्री इसक
े सदस्य होते हैं। समिति का सचिव विकास आयुक्त होता
है जो सभी विभागों क
े कार्यक्रमों तथा नीतियों क
े बीच समन्वय स्थापित करता है। 9669 क
े बाद
से सामुदायिक विकास योजना क
े लिए वित्तीय साधनों का प्रबंध राज्य सरकार क
े अधीन हो जाने
क
े कारण विकास आयुक्त का कार्य अधिक महत्वपूर्ण हो गया है । ग्राम में विकास क
े संबंध में
विकास आयुक्त को सलाह देने का कार्य राज्य स्तर पर गठित एक अनौपचारिक सलाहकार
समिति द्वारा किया जाता है, जिसक
े सदस्य विधान सभा तथा विधान परिषद क
े क
ु छ मनोनीत
सदस्य होते हैं।
● जिला स्तर-
जिला स्तर पर सामुदायिक विकास कार्यक्रम क
े क्रियान्वयन का संपूर्ण दायित्व जिला परिषद
का होता है जिसमें जनता क
े चुने हुए प्रतिनिधि, खंड पंचायत समितियों क
े सभी अध्यक्ष तथा
उस जिले की लोकसभा क
े सदस्य एवं विधान सभा क
े सदस्य सम्मिलित होते हैं। जिला परिषद
द्वारा बनाई गई नीतियों को क्रियान्वित करने का कार्य ‘जिला नियोजन समिति’ क
े द्वारा
किया जाता है जिसका अध्यक्ष जिलाधीश होता है।
● खंड स्तर-
9. 100 से लेकर 120 गांव तक क
े लिए एक विकासखंड की स्थापना की जाती है, जिसक
े
प्रशासन क
े लिए प्रत्येक खंड में एक खंड विकास अधिकारी नियुक्त किया जाता है। उसकी
सहायता क
े लिए कृ षि, पशुपालन, सहकारिता, पंचायत, सामाजिक शिक्षा, ग्रामीण उद्योग,
महिला तथा शिशु कल्याण आदि विषयों से संबंधित प्रसार अधिकारी नियुक्त किए जाते हैं। खंड
स्तर पर नीतियों क
े निर्धारण तथा योजना क
े संचालन का दायित्व क्षेत्र पंचायत का होता है।
● ग्राम स्तर-
ग्राम स्तर पर योजना क
े क्रियान्वयन का दायित्व ग्राम पंचायत का होता है लेकिन ग्राम स्तर पर
सबसे महत्वपूर्ण भूमिका ग्राम सेवक क
े द्वारा निभाई जाती है। उसक
े द्वारा सरकारी
अधिकारियों एवं ग्रामीण समुदायों क
े मध्य संपर्क सूत्र का कार्य किया जाता है। यद्यपि वह
किसी विषय का विशेषज्ञ नहीं होता, लेकिन सामुदायिक विकास योजना क
े सभी कार्यक्रमों की
जानकारी उसे होती है। साधारणतया 10 गांव क
े ऊपर 1 ग्राम सेवक को नियुक्त किया जाता है,
वह ग्रामीणों की प्रतिक्रिया से सरकारी अधिकारियों को अवगत कराता है और विकास क
े विभिन्न
कार्यक्रमों क
े मध्य समन्वय बनाए रखने का कार्य करता है। इसक
े अतिरिक्त ग्राम स्तर पर
प्रशिक्षित दाइयाँ एवं ग्राम सेविकाएँ भी महिला और शिशु कल्याण क
े लिए कार्य करती है।
मूल्यांकन-
आलोचकों की दृष्टि में सामुदायिक विकास कार्यक्रम अपने वांछित परिणाम को प्राप्त नहीं कर
सका है। हालांकि अस्मिन गेर जैसे समाजशास्त्री आलोचकों को इस बात क
े प्रति सचेत करते हैं
कि सामुदायिक विकास कार्यक्रम का मूल्यांकन करते समय उन्हें धैर्य का प्रयोग करना चाहिए।
भारत जैसे विशाल देश में जहां लगभग 600000 गांव है और उनमें प्रजाति, भाषा, क्षेत्र और
संस्कृ ति की जितनी विविधता है, उसे देखते हुए 5 दशक से अधिक का समय किसी क्रांतिकारी
परिवर्तन क
े लिए अपर्याप्त है। कार्यक्रम क
े मूल्यांकन में एक कठिनाई यह भी है कि ग्रामीण
समुदाय बहुपक्षीय परिवर्तनों क
े दौर से गुजर रहा है, ऐसे में कारण और परिणाम क
े आधार पर
सामुदायिक विकास कार्यक्रमों का मूल्यांकन करना अत्यंत कठिन है। संक्षेप में आलोचकों ने
निम्नांकित आधारों पर सामुदायिक विकास कार्यक्रम की आलोचना की है-
● सामुदायिक विकास कार्यक्रम राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित और क्रियान्वित है। संपूर्ण देश
में एक ही जैसे प्रतिमान पर इसका आयोजन किया गया है, ब्लॉक स्तर पर स्थानीय
आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए इसका गठन नहीं किया गया है। व्यापक रूप में
ग्रामीण विकास क
े पक्ष की अनदेखी की गई है।
10. ● राजनीतिक विश्लेषकों क
े अनुसार भारत में ग्रामीण स्तर पर लोकतंत्र एक व्यवस्था क
े
रूप में बुरी तरह विफल हुआ है। जाति व्यवस्था जनतंत्र का मजाक उड़ाते दिखाई देती है।
पारंपरिक रूप में जिन जातियों क
े हाथों में शक्ति थी, वे आज भी वर्चस्व की स्थिति में है
और अपने हितों क
े अनुरूप प्रशासनिक तंत्र को संचालित करने में सफल है।जातियों क
े
मध्य दीवारें दिन प्रतिदिन चौड़ी हुई है और निम्न जातियां अभी उच्च जातियों क
े
शोषणकारी दबाव क
े अंतर्गत कार्य करती है। ऐसी स्थिति में सामुदायिक विकास
कार्यक्रम वांछित परिणाम को प्राप्त नहीं कर सका है।
● समुदायिक विकास कार्यक्रमों की विफलता क
े लिए नौकरशाही का दृष्टिकोण भी
उत्तरदाई है। भारतीय नौकरशाही का दृष्टिकोण नकारात्मक है, जो किसी तरह क
े
नवोन्मेष की विरोधी है। उसक
े द्वारा किए जाने वाले काम में देरी इन कार्यक्रमों को
विफल बना देती है। ग्रामीण लोगों का सहयोग और विश्वास प्राप्त करने क
े बजाए
नौकरशाही उन्हें अविश्वास की दृष्टि से देखती है। दुबे, लेविस एवं अन्य विश्लेषकों ने
आयोजकों को ऐसी विपरीत परिस्थितियों क
े प्रति सचेत किया है।
● भारत क
े ग्रामों में नेतृत्व संबंधी अध्ययनों से यह स्पष्ट होता है कि यद्यपि पंचायतों और
सहकारी समितियों में युवाओं का प्रतिनिधित्व बड़ा है, किं तु वे अपने वयस्कों क
े वफादार
समर्थक क
े रूप में कार्य करते हैं। महत्वपूर्ण एवं उपयोगी निर्णय वयोवृद्ध लोगों द्वारा
लिए जाते हैं।
● दुबे जैसे लेखकों ने इस बात की ओर संक
े त किया है कि ग्रामीण स्तर पर स्वैच्छिक
सेवाओं क
े नाम पर गरीब लोगों का शोषण किया जाता है।
● सामुदायिक विकास कार्यक्रम की सफलता बहुत हद तक ग्रामीण महिलाओं क
े
सशक्तिकरण पर निर्भर है और ऐसा प्रशिक्षित महिला कार्यकर्ताओं क
े सक्रिय सहयोग से
ही संभव है। ऐसी प्रशिक्षित महिला कार्यकर्ताओं की संख्या अभी कम ही है।
● नौकरशाही और ग्रामीण जनता में समन्वय का अभाव भी दिखाई देता है। ग्रामीण
जनता में इन कार्यक्रमों क
े प्रति एक सामान्य अरुचि भी दिखाई देती है। उनक
े सक्रिय
सहयोग क
े बिना सामुदायिक विकास कार्यक्रम वास्तविक अर्थों में जन आंदोलन का रूप
नहीं ले सका है।
सुझाव-
● सामुदायिक विकास कार्यक्रम को सफल बनाने क
े लिए अनेक सुझाव दिए जाते हैं
जिनमें से क
ु छ इस प्रकार है-
11. ● कृ षि उत्पादन की गुणवत्ता और मात्रा बढ़ाने पर और अधिक जोर दिया जाना
चाहिए, ताकि तेजी से बढ़ती हुई ग्रामीण जनसंख्या की आवश्यकताओं को पूरा
किया जा सक
े ।
● आवश्यकताओं और समस्याओं को ध्यान में रखते हुए सामुदायिक विकास
कार्यक्रमों को क्रियान्वित किया जाना चाहिए।
● स्वयं ग्रामीणों को अपने मे से ही स्त्री और पुरुष कार्यकर्ताओं को चुनने और
नियुक्त करने का अधिकार होना चाहिए, उन्हें समाज कार्य हेतु समुचित
प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए और इस रूप में प्रेरित करना चाहिए कि वे ग्राम
विकास क
े कार्यों को पूर्ण उत्साह एवं सेवा भावना से संपन्न कर सक
ें ।
● सामुदायिक विकास कार्यक्रम को इस तरह से नियोजित किया जाना चाहिए कि
सभी जातियों, वर्गों और दलों का सहयोग प्राप्त हो सक
े ।
● इस दिशा में प्रतिष्ठित गैर सरकारी संगठनों को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए
और सरकारी तथा गैर सरकारी प्रयासों में समुचित समन्वय स्थापित किया जाना
चाहिए।
● बलवंत राय मेहता कमेटी ने सुझाव दिया था कि ग्राम पंचायत और पंचायत
समितियों को सामुदायिक विकास कार्यक्रमों को सफल बनाने हेतु क्रियाशील होना
चाहिए।
उपलब्धियां-
सामुदायिक विकास कार्यक्रम की विभिन्न आलोचनाओं क
े बावजूद इस की
उपलब्धियां निम्नांकित कार्यक्रमों में देखी जा सकती है-
● समन्वित ग्रामीण विकास कार्यक्रम- यह कार्यक्रम विकास खंडों क
े द्वारा पूरा किया
जाने वाला सबसे महत्वपूर्ण कार्यक्रम है 1978- 79 में प्रारंभ किए गए इस कार्यक्रम में
ग्रामीण बेरोजगारी को कम करना और ग्रामीणों क
े जीवन स्तर में सुधार करना प्रमुख
उद्देश्य निर्धारित किया गया । इस कार्यक्रम क
े अंतर्गत प्रत्येक विकासखंड द्वारा
प्रतिवर्ष अपने क्षेत्र में से 600 निर्धन परिवारों का चयन करक
े उन्हें लाभ प्रदान किया
जाता है, जिनमें 400 परिवारों का कृ षि से संबंधित सुविधाओं द्वारा, 100 परिवारों को
क
ु टीर उद्योग धंधों द्वारा तथा शेष100 को अन्य सेवाओं द्वारा लाभ दिया जाता है।
इस योजना का संपूर्ण व्यय क
ें द्र और राज्य सरकार द्वारा आधा - आधा वहन किया
12. जाता है। व्यय की दृष्टि से सातवीं और आठवीं पंचवर्षीय योजना क
े अंतर्गत यह देश का
सबसे बड़ा कार्यक्रम रहा।
● राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार कार्यक्रम-
भारत की ग्रामीण जनसंख्या को अक्सर मौसमी बेरोजगारी या अर्थ बेरोजगारी का सामना
करना पड़ता है। इस समस्या को दूर करने क
े लिए किसानों को कृ षि क
े अतिरिक्त आय
क
े अन्य साधन उपलब्ध कराने की आवश्यकता महसूस की गई ,तो दूसरी ओर अधिक
निर्धन किसानों को खाली समय में रोजगार क
े नए अवसर प्रदान करने की आवश्यकता
अनुभव की गई। इस उद्देश्य की पूर्ति क
े लिए प्रारंभ में’ काम क
े बदले अनाज योजना’
प्रारंभ की गई लेकिन 1981 से इसक
े स्थान पर ‘राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार कार्यक्रम’ आरंभ
किया गया। 1989 में इसक
े स्थान पर एक नई रोजगार योजना प्रारंभ की गई जिसे
‘जवाहर रोजगार योजना’ कहा जाता है, जिसका उद्देश्य अत्यधिक निर्धन और भूमिहीन
किसानों क
े परिवार में किसी एक सदस्य को वर्ष में कम से कम 100 दिन का रोजगार
प्रदान करना है। वर्तमान में रोजगार गारंटी का यह कार्यक्रम ‘महात्मा गांधी राष्ट्रीय
रोजगार गारंटी कार्यक्रम’[ मनरेगा ] क
े रूप में प्रचलित है।
● सूखाग्रस्त क्षेत्रों क
े लिए कार्यक्रम-
देश में कई क्षेत्र ऐसे हैं जहां बरसात कम होने क
े कारण सूखे की समस्या उत्पन्न होती
रहती है। ऐसी स्थिति में यह कार्यक्रम इस उद्देश्य से आरंभ किया गया कि किसानों को
कम पानी की उपलब्धता की स्थिति में भी उत्पन्न होने वाली फसलों की जानकारी दी जा
सक
े , जल संसाधनों का अधिकाधिक उपयोग किया जा सक
े और वृक्षारोपण में वृद्धि की
जा सक
े । पशुओं की अच्छी नस्ल को विकसित कर ग्रामीण निर्धनता को कम करने का
लक्ष्य रखा गया।
● मरुस्थल विकास कार्यक्रम-
यह कार्यक्रम 1977 -78 से आरंभ किया गया ,जिसका उद्देश्य रेगिस्तानी और बंजर भूमि
पर अधिक से अधिक हरियाली लाना ,जल स्रोतों को ढूंढ कर उनका उपयोग करना और गांव में
बिजली की आपूर्ति कर ट्यूबवेल को प्रोत्साहित करना तथा कृ षि और बागवानी का विकास करना
है।
● जनजातीय विकास की योजना-
जनजाति विकास की योजना क
े अंतर्गत आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार तथा उड़ीसा क
े क
ु छ
आदिवासी बहुल क्षेत्र में जनजातियों क
े विकास क
े प्रयत्न में किए गए हैं । विकास खंडों क
े द्वारा
13. लोगों को पशु खरीदने, भूमि सुधार करने, बैलगाड़ियों की मरम्मत करने और दस्तकारी से
संबंधित कार्यों क
े लिए ऋण दिलवाने में सहायता दी जाती है।
● पर्वतीय विकास योजना-
हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश तथा तमिलनाडु क
े पर्वतीय क्षेत्रों में किसानों क
े सर्वांगीण विकास क
े
लिए यह कार्यक्रम आरंभ किया गया। प्रारंभ में इस कार्यक्रम को क
े वल पांचवी पंचवर्षीय योजना
की अवधि तक ही जारी रखने का प्रावधान था, किं तु बाद में छठी पंचवर्षीय योजना में भी इस
योजना पर कार्य किया गया।
● पौष्टिक आहार कार्यक्रम-
विश्व स्वास्थ्य संगठन तथा यूनिसेफ की सहायता से क
ें द्र सरकार द्वारा यह कार्यक्रम शुरू किया
गया जिसका उद्देश्य पौष्टिक आहार क
े उन्नत तरीकों से ग्राम वासियों को परिचित कराना तथा
स्क
ू ली बच्चों क
े लिए दिन में एक बार पौष्टिक आहार की व्यवस्था करना है। पौष्टिक आहार की
समुचित जानकारी देने क
े लिए ग्राम पंचायतों क
े युवकों और महिला मंडल की सहायता ली जाती
है। स्क
ू ली शिक्षा से वंचित रहे छात्रों को प्राथमिक शिक्षा की ओर आकर्षित करना भी इस योजना
का उद्देश्य है।
● पशुपालन-
ग्रामीणों की पशुपालन कार्य में सहायता प्रदान करने क
े उद्देश्य से उन्हें अच्छी नस्ल क
े पशुओं
की आपूर्ति करने क
े लिए इस कार्यक्रम का प्रारंभ किया गया। प्रत्येक विकास खंड द्वारा
औसतन 1 वर्ष में उन्नत किस्म क
े बीज, पशु तथा लगभग 400 मुर्गियों की सप्लाई की जाती है
और औसतन 530 पशुओं का उन्नत तरीकों से गर्भाधान कराया जाता है।
● स्वैच्छिक संगठनों को प्रोत्साहन-
सामुदायिक विकास कार्यक्रमों में जन सहभागिता को प्राप्त करने क
े उद्देश्य से ग्रामीण क्षेत्र में
स्वैच्छिक संगठनों क
े विकास पर विशेष बल दिया जा रहा है। इसक
े लिए ऐच्छिक संगठनों क
े
पंजीकरण क
े नियमों को सरल बनाना, कार्यकारिणी क
े सदस्यों को प्रशिक्षण देना ,विशेष
कार्यक्रमों क
े निर्धारण में सहायता देना, उन्हें अनुदान प्रदान करना, उनकी कार्यप्रणाली का
अवलोकन करना और महिला मंडलों को प्रेरणा पुरस्कार देना आदि सुविधाएं प्रदान कर जन
सहभागिता को प्राप्त करने का प्रयास किया जा रहा है।
● स्वास्थ्य तथा परिवार नियोजन -
14. गांव में छोटे परिवारों क
े प्रति जागरूकता उत्पन्न करने और ग्रामीणों क
े स्वास्थ्य स्तर में सुधार
करने की दृष्टि से सामुदायिक विकास खंडो ने विशेष सफलता प्राप्त की है।
● शिक्षा तथा प्रशिक्षण-
ग्रामीणों को सामुदायिक विकास कार्यक्रमों क
े संबंध में प्रशिक्षित करने क
े उद्देश्य से महिला
मंडल, कृ षक दल, युवक मंगल दल आदि स्थापित किए गए हैं। प्रदर्शनियों , उत्सवों और ग्रामीण
नेताओं क
े लिए प्रशिक्षण शिविरों का आयोजन करक
े उन्हें कृ षि और दस्तकारी की व्यावहारिक
शिक्षा दी जाती है। सामुदायिक विकास खंड प्रौढ़ शिक्षा का विस्तार करक
े भी ग्रामीण साक्षरता
में वृद्धि करने का प्रयत्न कर रहे हैं। ग्राम वासियों क
े अतिरिक्त विद्यालय क
े शिक्षकों, पंचायत
क
े सदस्य तथा ग्रामीण युवकों क
े लिए भी विशेष गोष्ठियों और शिविरों का आयोजन किया जाता
है और इन क
े माध्यम से शिक्षा क
े प्रति चेतना उत्पन्न की जाती है तथा विभिन्न सरकारी
योजनाओं से लोगों को परिचित कराया जाता है।
● सामाजिक सुरक्षा योजना-
इसका मूल उद्देश्य वृद्ध, असहाय ,विधवा, विकलांग लोगों को आर्थिक सहयोग एवं सुरक्षा
प्रदान करना है। जनधन योजना क
े अंतर्गत प्रत्येक ग्रामीण का बैंक में खाता खुलवाने का प्रयास
किया गया एवं खाते क
े साथ बीमा की व्यवस्था की गई।
● महिला समृद्धि एवं सुरक्षा योजना-
इस योजना का उद्देश्य ग्रामीण महिलाओं में आर्थिक आत्मनिर्भरता विकसित करना एवं
उनक
े स्वास्थ्य की सुरक्षा करना है। इस उद्देश्य क
े लिए वयस्क महिलाओं को खाता खोलने
,बचत करने आदि क
े लिए प्रोत्साहित किया जाता है। उज्जवला योजना क
े अंतर्गत ग्रामीण
महिलाओं को गैस कनेक्शन प्रदान किया गया, ताकि वे पारंपरिक चूल्हे पर खाना बनाने से होने
वाली स्वास्थ्य हानि से बच सक
ें ।
● स्वर्ण जयंती ग्राम स्वरोजगार योजना-
इस योजना क
े अंतर्गत छोटे-छोटे संगठन बनाकर ग्रामीणों को स्वरोजगार क
े लिए प्रेरित करने
का प्रयत्न किया गया है ताकि वे गरीबी रेखा से ऊपर उठकर अपनी आय में वृद्धि कर सक
ें ।
● प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना-
यह क
ें द्र सरकार द्वारा शुरू की गई योजना है जिसक
े लागू करने की जिम्मेदारी ग्रामीण विकास
मंत्रालय और राज्य सरकारों की है। इसे 2000 में प्रारंभ किया गया था और इसका उद्देश्य
2001 की जनगणना क
े अनुसार 500 से अधिक मैदानी क्षेत्रों तथा 250 से अधिक पूर्वोत्तर
15. ,पर्वतीय, जनजातीय, रेगिस्तानी क्षेत्रों को सभी मौसमों क
े अनुक
ू ल सड़क संचार सुविधा प्रदान
करना है ताकि क्षेत्र का समग्र सामाजिक आर्थिक विकास हो सक
े ।
प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना- 2015 में क
ें द्र सरकार द्वारा शुरू की गई इस योजना का
उद्देश्य गांव में आवास इकाइयों का निर्माण करना और गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करने
वाले ग्रामीणों को आवास सुविधा उपलब्ध कराना है। एक रिपोर्ट क
े अनुसार इस योजना क
े
अंतर्गत 26% बिहार में, 15% उड़ीसा में और 8% मध्य प्रदेश एवं तमिलनाडु में अब तक आवास
मुहैया कराए जा चुक
े हैं।
मुख्य शब्द-
सामुदायिक विकास, मॉल क्रांति, फोर्ड फाउंडेशन, आर्थिक आत्मनिर्भरता
References And Suggested Readings
● S. R. Maheshwari, Bharat Me Sthaniya Shasan
● http//egyankosh.ac.in
● Ajadi Ke Baad Bharat Me Gramin Vikas Ke
Karyakram,m.jagarankjosh.com
प्रश्न-
निबंधात्मक-
1. सामुदायिक विकास कार्यक्रम भारत क
े ग्रामीण पुनरुत्थान की एक योजना है, विवेचना
कीजिए।
2. सामुदायिक विकास कार्यक्रम की प्रमुख मान्यताओं का उल्लेख कीजिए तथा विभिन्न स्तरों
पर किए जाने वाले इसक
े संगठन की विवेचना कीजिए।
3. भारत में सामुदायिक विकास कार्यक्रम क
े क्रियान्वयन का मूल्यांकन कीजिए तथा इसकी
प्रमुख उपलब्धियों को रेखांकित कीजिए।
वस्तुनिष्ठ-
1. सामुदायिक विकास कार्यक्रम का प्रारंभ कब किया गया?
16. [ अ ] 1950 [ ब ] 1951 [ स ] 1952 [ द ] 1956
2. यह किसका कथन है कि ‘’भारत में सामुदायिकता का विचार उतना ही पुराना है, जितने वेद
और प्राचीन भारतीय सभ्यता। ‘’
[ अ ] जवाहरलाल नेहरू [ ब ] महात्मा गांधी [ स ] श्रीराम महेश्वरी [ द ] वी . एन. गाडगिल
3. भारत में सामुदायिक विकास कार्यक्रम का प्रारंभ किस देश क
े सहयोग से किया गया?
[ अ ] सोवियत संघ [ ब ] संयुक्त राज्य अमेरिका [ स ] चीन [ द ] ब्रिटेन
4. सामुदायिक विकास कार्यक्रम वर्तमान में किस मंत्रालय से संबंधित है?
[ अ ] योजना मंत्रालय [ ब ] सामुदायिक विकास मंत्रालय [ स ] कृ षि और ग्रामीण विकास
मंत्रालय [ द ] युवा मंत्रालय
5. सामुदायिक विकास कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य क्या है?
[ अ ] गांव का सांस्कृ तिक विकास
[ ब ] क
े वल आर्थिक विकास
[स ] समग्र एवं समन्वित विकास
[ द ] सामाजिक विकास
6. समुदायिक विकास कार्यक्रमों में क
ें द्रीय महत्त्व किस तत्व को दिया गया है?
[ अ ] आर्थिक विकास [ ब ] सामाजिक सांस्कृ तिक विकास [ स ] मनोवैज्ञानिक विकास [ द ]
सूचना एवं संचार साधनों का विकास
7. सामुदायिक विकास मंत्रालय द्वारा सामुदायिक विकास कार्यक्रम क
े कितने उद्देश्य बताएं
गए?
[ अ ] 5 [ ब ] 6 [ स ] 8 [ द ] 7
8. सामुदायिक विकास कार्यक्रम क
े पीछे मूल दृष्टि क्या थी?
[ अ ] नौकरशाही क
े माध्यम से गांव का विकास
[ ब ] ग्राम वासियों की स्वैच्छिक एवं सक्रिय सहभागिता क
े माध्यम से ग्राम विकास
[ स ] आर्थिक विकास
[ द ] विदेशी सहायता से गांव का विकास
9. सामुदायिक विकास कार्यक्रम का संगठन कितने स्तरों पर किया जाता है?
[ अ ] 4 [ ब ] 6 [ स ] 3 [द ] 5
10. सामुदायिक विकास कार्यक्रम की सफलता मे मुख्य बाधक तत्व क्या है?
[ अ ] नौकरशाही का नकारात्मक दृष्टिकोण
17. [ ब ] जन सहभागिता एवं सक्रियता का भाव
[स ] ग्राम स्तर पर प्रभावी नेतृत्व का विकास नहो पाना
[ द ] उपर्युक्त सभी
11. बलवंत राय मेहता समिति ने समुदाय कार्यक्रम की सफलता क
े लिए किसे उत्तर दायित्व
सौंपने का सुझाव दिया था?
[ अ ] राज्य सरकार [ ब ] क
ें द्र सरकार [ स ] ग्राम पंचायत एवं पंचायत समिति [ द ] उपर्युक्त
सभी
उत्तर- 1. स 2.स 3. ब 4. स 5. स 6.अ 7. स 8. ब 9. अ 10. द 11.स