http://spiritualworld.co.in सनमुख व बेमुख की परिभाषा: एक दिन समुंदे ने गुरु अर्जन देव जी से प्रार्थना की कि महाराज! हमारे मन में एक शंका है जिसका आप निवारण करें| उन्होंने कहा सनमुख कौन होता है और बेमुख कौन? गुरु जी पहले उसकी बात को सुनते रहे फिर उन्होंने वचन किया, भाई सनमुख वह होता है जो सदैव अपनी मालिक की आज्ञा में रहता है|जैसे परमात्मा ने मनुष्य को नाम जपने व स्नान करने के लिए संसार में भेजा है| इस प्रकार जो मनुष्य इस आज्ञा का पालन करता है जिसमे शारीरिक शुद्धता के लिए स्नान करना व मन की शुद्धता के लिए नाम जपना और शारीरिक आरोग्यता के लिए भूखे नंगे को यथा शक्ति दान करता है वाही सनमुख होता है| वही गुरु की आज्ञा में रहने वाला गुरु सिख होता है| ऐसा मनुष्य सदैव सुखी रहता है तथा दुख उसके नजदीक नहीं आता| more on http://spiritualworld.co.in