2. त्वचा पर खुजली चलने, दाद हो जाने, फोडे-फुुं सी
हो जाने पर खुजा-खुजाकर हाल बेहाल हो जाता है
और लोगों के सार्ने शर्म भी आती है।
यदद आप कोई क्रीर् या दवा लगाना न चाहें या
लगाने पर भी आरार् न हो तो घर पर ही यह
चर्म रोगनाशक तेल बनाकर लगाएँ, इससे यह
व्याधियाँ दूर हो जाती हैं।
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3. तेल बनाने की ववधि : नीर् की छाल, धचरायता,
हल्दी, लाल चन्दन, हरड, बहेडा, आँवला और
अडूसे के पत्ते, सब सर्ान र्ात्रा र्ें। ततल्ली का
तेल आवश्यक र्ात्रा र्ें। सब आठों द्रव्यों को 5-6
घुंटे तक पानी र्ें भभगोकर तनकाल लें और
पीसकर कल्क बना लें।
पीठी से चार गुनी र्ात्रा र्ें ततल का तेल और
तेल से चार गुनी र्ात्रा र्ें पानी लेकर भर्लाकर
एक बडे बरतन र्ें डाल दें। इसे र्ुंदी आुंच पर
इतनी देर तक उबालें कक पानी जल जाए भसफम
तेल बचे। इस तेल को शीशी र्ें भरकर रख लें।
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जहाँ भी खुजली चलती हो, दाद हो वहाँ या पूरे
शरीर पर इस तेल की र्भलश करें। यह तेल
चर्त्कारी प्रभाव करता है। लाभ होने तक यह
र्ाभलश जारी रखें, र्ाभलश स्नान से पहले या सोते
सर्य करें और चर्त्कार देखें।
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