5. रहीम कहते हैं कक प्रेम का नाता नाज़ुक होता है । इसे झटका
देकर तोड़ना उचित नहीीं होता ।
प्रेम से भरा ररश्ता कभी ककसी छोटी सी बात पर बबना सोिे
समझे नही तोड़ देना िाहहए ।
यहद यह प्रेम का धागा एक बार टूट जाता है तो किर इसे
ममलाना कहिन होता है और यहद ममल भी जाए तो टूटे ह़ुए
धागों के बीि में गााँि पड़ जाती है.
22. • रहीम कहते हैं कक बड़ी वस्त़ु को देख कर छोटी वस्त़ु
को िें क नहीीं देना िाहहए. जहाीं छोटी सी स़ुई काम
आती है, वहााँ तलवार बेिारी क्या कर सकती है ?
26. • इस दोहे में रहीम ने पानी को तीन अर्ों में प्रयोग
ककया है।
• पानी का पहला अर्थ मऩुष्य के सींदभथ में है जब
इसका मतलब ववनम्रता से है। रहीम कह रहे हैं कक
मऩुष्य में हमेशा ववनम्रता (पानी) होना िाहहए।
• पानी का दूसरा अर्थ आभा, तेज या िमक से है
जजसके बबना मोती का कोई मूल्य नहीीं।
• पानी का तीसरा अर्थ जल से है जजसे आटे (िून) से
जोड़कर दशाथया गया है।
• रहीम का कहना है कक जजस तरह आटे का अजस्तत्व
पानी के बबना नम्र नहीीं हो सकता और मोती का
मूल्य उसकी आभा के बबना नहीीं हो सकता है, उसी
तरह मऩुष्य को भी अपने व्यवहार में हमेशा पानी
(ववनम्रता) रखना िाहहए जजसके बबना उसका
मूल्यह्रास होता है।