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ूातः ःमरणीय पूÏयपादूातः ःमरणीय पूÏयपादूातः ःमरणीय पूÏयपादूातः ःमरणीय पूÏयपाद
संत ौी आसारामजी बापू केसंत ौी आसारामजी बापू केसंत ौी आसारामजी बापू केसंत ौी आसारामजी बापू के
स×संगस×संगस×संगस×संग----ूवचनूवचनूवचनूवचन
ौीकृ ंण दश[नौीकृ ंण दश[नौीकृ ंण दश[नौीकृ ंण दश[न
िनवेदनिनवेदनिनवेदनिनवेदन
ǔजतना मनुंय जÛम दुल[भ है उससे भी Ïयादा मनुंयता दुल[भ है और उससे भी Ïयादा
मानुषी शरȣर से, मन से, बुǒƨ से पार परमा×मदेव का सा¢ा×कार दुल[भ है। ौीकृ ंण के अवतार
से यह परम दुल[भ काय[ सहज सुलभ हो पाया। राजसी वातावरण मɅ, युƨ के मैदान मɅ
Ǒकं कƣ[åयमूढ़ अवःथा मɅ पड़ा अजु[न आ×म£ान पाकर – 'नƴो मोहः ःमृितल[Þधा' – अपने आ×म-
वैभव को पाकर सारे कम[बÛधनɉ से छू ट गया। जीते जी मुǒƠ का ऐसा दुल[भ अनुभव कर पाया।
ौीकृ ंण को अगर मानुषी Ǻǒƴ से देखा जाये तो वे आदश[ पुǾष थे। उनका उƧेँय था
मनुंय×व का आदश[ उपǔःथत करना।
मनुंय åयावहाǐरक मोह-ममता से मःत न होकर, धमा[नुƵान करता हुआ दुल[भ ऐसे
आ×मबोध को पा ले, इस हेतु मनुंय मɅ शौय[, वीय[, ूाणबल कȧ आवँयकता है। इस छोटे से
मंथ मɅ संमǑहत ूातः ःमरणीय पूÏयपाद संत ौी आसारामजी बापू के अनुभविसƨ ूयोग और
उपदेशɉ से ूाणशǒƠ, जीवनशǒƠ, मनःशǒƠ और बुǒƨ का ǒवकास करके इहलोक
और परलोक मɅ ऊँ चे िशखरɉ को सर कर सकते हɇ और तीो ǒववेक-वैराÊयसàपÛन ǔज£ासु
लोकातीत, देशातीत, कालातीत अपना आ×म-सा¢ा×कार का दुल[भ अनुभव पाने मɅ अमसर हो
सकता है।
आज हम सब भी रजो-तमोगुणी वातावरण मɅ पनपे हɇ और घसीटे जा रहे हɇ। भीतर
ǒवकारɉ-आकां¢ाओं का युƨ मचा है। इस समय ौीकृ ंण कȧ लीला, चǐरऽ, £ानोपदेश,
ूाणोपासना, जीवनयोग और ǒविभÛन ूसंगɉ पर अनुभव-ूकाश डालते हुए ूातःःमरणीय
पूÏयपाद संत ौी आसारामजी बापू ने आज के मानव कȧ आवँयकता अनुसार पथ-ूदश[न Ǒकया
है।
संतɉ के वचनɉ को िलǒपबƨ करके सु£ पाठकɉ के करकमलɉ मɅ अǒप[त करते हɇ।
ौी योग वेदाÛत सिमितौी योग वेदाÛत सिमितौी योग वेदाÛत सिमितौी योग वेदाÛत सिमित
अमदावाद आौमअमदावाद आौमअमदावाद आौमअमदावाद आौम
ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ
अनुबमअनुबमअनुबमअनुबम
िनवेदन............................................................................................................................................... 2
ौीकृ ंण-दश[न...................................................................................................................................... 3
अवतार............................................................................................................................................... 9
ौीकृ ंण और ǾǔÈमणी ....................................................................................................................... 14
हररायदासजी महाराज और बादशाह ..................................................................................................... 29
जीवनयोग......................................................................................................................................... 32
वेदमािल ॄाƺण कȧ आ×मोपलǔÞध ....................................................................................................... 52
अदभुत ूाणोपासना............................................................................................................................ 61
अनूठȤ मǑहमा...... स×संग कȧ और सदगुǾ कȧ..................................................................................... 73
पूणा[वतार ौीकृ ंण.............................................................................................................................. 74
ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ
ौीकृ ंणौीकृ ंणौीकृ ंणौीकृ ंण----दश[नदश[नदश[नदश[न
भगवान ौीकृ ंण ने जेल मɅ ूकट होना पसंद Ǒकया। रोǑहणी न¢ऽ, ौावण के कृ ंणप¢
कȧ अƴमी, अÛधकारमय राǒऽ और वह भी मÚयराǒऽ। जो िन×य, मुƠ, ूकाशमय है वह
अÛधकार कȧ राǒऽ पसंद कर लेता है। जो घट-घटवासी है वह कारावास को पसंद कर लेता है।
जो िन×य है, िनरंजन है, अगम है, अगोचर है वह साकार नÛहा-मुÛना Ǿप ःवीकार कर लेता है।
भगवान कȧ यह गǐरमा है, मǑहमा है Ǒक वे बÛधन मɅ पड़े हुए को मुƠ कर दɅ, ǒबछु ड़े हुए
को िमला दɅ, अ£ानी को £ान दे दɅ। शोकातुरɉ का शोक िनवृƣ करने के िलए बँसी बजानी पड़े
या बछड़े कȧ पूँछ पकड़नी पड़े Ǒफर भी उनको कोई बाधा नहȣं आती। भगवान को कोई भी काम
छोटा नहȣं लगता। ǔजसे कोई सेवाकाय[ छोटा न लगे वहȣ तो वाःतव मɅ बड़ा है।
ौीकृ ंण के जीवन मɅ ऐसे-ऐसे उतार और चढ़ाव आते हɇ Ǒक ǔजनको समझने से हमारे
नर जीवन मɅ नारायण का ूकाश हो जाय।
ौीकृ ंण जब करȣब साल के थे तब घोर आंिगरस ऋǒष के आौम मɅ गये। तेरह वष[
उÛहɉने एकाÛत मɅ उपिनषदɉ का अßयास Ǒकया। ÔछाÛदोÊय उपिनषदÕ ( - - ) मɅ यह
कथा आती है।
ौीकृ ंण के जीवन मɅ £ान भी अåवल नंबर का था। युƨ के मैदान मɅ उÛहɉने भगवɮ-
£ान बरसाया है। उनके जीवन मɅ उतार-चढ़ाव भी कै से आये !
भगवान के जीवन का एक Ǻँय और देखो। कालयवन कȧ सारȣ संपǒƣ हािथयɉ,
बैलगाǑड़यɉ, भɇसɉ, घोड़ɉ और गधɉ पर लादकर यदुवंशी Ʈारका जा रहे थे। ौीकृ ंण ने सोचा Ǒक
यह संपǒƣ हमारे घर मɅ जायेगी तो कु छ न कु छ हािन पहुँचाएगी। हमारे कु ल के लोगɉ कȧ संपǒƣ
बढ़ेगी तो उनमɅ ǒवलािसता आ जायेगी। पǐरौम करके संपǒƣ, धन-दौलत िमले तो ठȤक, अगर
ऐसे हȣ िमल तो जीवन को ǒवलासी बना देती है, खोखला कर देती है।
इसिलए ौीकृ ंण ने को छेड़ Ǒदया तो उसने यदुवंिशयɉ पर आबमण कर
Ǒदया। यदुवंिशयɉ कȧ सारȣ संपǒƣ छȤन ली। ौीकृ ंण और बलराम जरासÛध का सामना करना
उिचत न समझकर भाग िनकले।
हमारे परम ूेमाःपद भगवान नंगे पैर, नंगे िसर भाग रहे हɇ। साथ मɅ के वल एक धोती।
माँगकर खाते हɇ, धरती पर सोते हɇ, साधुओं के आौमɉ मɅ रहते हɇ, स×संग करते हɇ। यह भी एक
झाँकȧ है ौीकृ ंण के जीवन कȧ।
िगरनार के पव[तɉ मɅ रहते थे, वहाँ आग लगी तो वहाँ से भी भागे और समुि मɅ Ʈारका
बसायी। उस नगरȣ पर भी शाãव ने वायुयान से आबमण Ǒकया। उनके ससुर के घर मɅ डाका
पड़ा, वे मारे गये। उनके वहाँ से ःयमंतक मǔण कȧ चोरȣ हो गयी। ःवयं ौीकृ ंण के ऊपर मǔण
चुराने का आरोप लगाया गया। बड़े भाई बलरामजी भी उÛहȣं के ऊपर शंका कȧ। भागवत मɅ ःवयं
ौीकृ ंण कहते हɇ :
ǑकÛतु माममजः सàयɨ न ू×येित मǔणं ूित।ǑकÛतु माममजः सàयɨ न ू×येित मǔणं ूित।ǑकÛतु माममजः सàयɨ न ू×येित मǔणं ूित।ǑकÛतु माममजः सàयɨ न ू×येित मǔणं ूित।
'बलराम जी मǔण के बारे मɅ मेरा ǒवƳास नहȣं करते।'
जीवन मɅ ऐसे-ऐसे ǒवरोधी ूसंग आने पर भी ौीकृ ंण के िचƣ मɅ ¢ोभ नहȣं हुआ।
ौीकृ ंण सदा साधु-संतɉ का संग करते थे। घोर आंिगरस ऋǒष के आौम मɅ वषɟ तक
उपिनषद का अÚययन Ǒकया और एकाÛत-ǒवरƠता मɅ रहे। दुवा[सा जैसे ऋǒष का आितØय खूब
ूेम से Ǒकया। जबǑक ौीकृ ंण के कु ल मɅ उ×पÛन हुए यदुवंशी साधु-संतɉ कȧ मजाक उड़ाते थे।
जाàबवतीनÛदन साàब को Ƹी का वेश पहनाकर Ǒफर ऋǒष से जाकर पूछते हɇ Ǒक "महाराज !
यह सुंदरȣ गभ[वती है। उसे बेटा होगा Ǒक बेटȣ होगी ?"
ऋǒष ने कहाः "तुम संतɉ कȧ मजाक उड़ाते हो तो जाओ, न बेटा होगा न बेटा होगी। पेट
पर जो मूसल बाँधा है उसी से तुàहारा स×यानाश होगा।"
....तो ौीकृ ंण साधू-संतɉ का आदर करते थे जबǑक उनके कु टुàबीजन साधू-संतɉ कȧ
मजाक उड़ाते थे। ौीकृ ंण तो संयमी होकर ॄƺानÛद मɅ रमण करते थे और उनके कु ल के लोग
शराब पीते थे।
ौीकृ ंण के जीवन के चढ़ाव-उतार समाज को यह बताते हɇ Ǒक तुàहारा जÛम अगर
हथकǑड़यɉवाले माँ-बाप के घर हो गया हो तभी भी तुम अपने को दȣन-हȣन मत मानना।
हे जीव ! तेरा जÛम अगर कारावास मɅ हो गया हो तभी भी तू िचÛता मत कर। अपने
आÛतǐरक Ǒदåय×व को जगा। उÛनत काय[ कर। स×संग कर। समािध लगा। धम[, नीित और
आ×म£ान के अनुकू ल आचरण कर। अपने छु पे हुए भगवदभाव को ूकट कर ÈयɉǑक तू मेरा
ःवǾप है। तेरे कु टुàबी तेरे ǒवरोधी हɉ Ǒफर भी तू घबड़ाना नहȣं। कभी मामा से भानजे कȧ
अनबन हो जाय और दोनɉ का युƨ हो जाय, मामा चल बसे तभी भी िचÛता, दȣनता, हȣनता
महसूस नहȣं करना। तेरे पǐरवार वाले तेरे कहने मɅ न चलɅ तभी भी तू िनराश नहȣं होना।
जरासंध जैसा राजा तुझसे युƨ करे तो तू वीर होकर उसका मुकाबला करना। सऽह-सऽह बार
ौीकृ ंण ने जरासंध को भगाया। अठारहवीं बार ौीकृ ंण ःवयं जानबूझकर भागे। उनके
मɅ भी लाभ था। अपने कु टुàबीजनɉ को सबक िसखाना था।
ौीकृ ंण के जीवन मɅ कभी हताशा नहȣं आयी, कभी िनराशा नहȣं आयी, कभी पलायनवाद
नहȣं आया, कभी उƮेग नहȣं आया, कभी िचÛता नहȣं आयी, कभी भय नहȣं आया, कभी शोक
नहȣं आया, कभी ǒवषाद नहȣं आया और कभी ¢ुि अहंकार नहȣं आया Ǒक यह देह मɇ हूँ।
अǔÛतम समय मɅ ौीकृ ंण के कु टुǔàबयɉ कȧ मित ऋǒष के शाप से ǒवपरȣत हो गई और
आपस मɅ लड़ मरे। ौीकृ ंण का भी अपमान कर Ǒदया, कु छ-का-कु छ सुना Ǒदया, Ǒफर भी
ौीकृ ंण के िचƣ मɅ ¢ोभ नहȣं हुआ।
उनका मृ×यु भी कै सा ? उनका देहǒवलय समािध करते हुए या पलंग पर आराम करते-
करते ूाण छोड़े या तुलसीदल मुँह मɅ डालकर ूाण छोड़े ऐसा नहȣं हुआ। एक बहेिलये ने बाण
मारा। आǔखरȣ घǑड़याँ हɇ तब भी उनके िचƣ कȧ समता नहȣं जाती। बाण मारने वाले को भी
¢मा करते हुए बोलते हɇ- "तू िचÛता मत करना। ऐसा हȣ होने वाला था। िनयित मɅ जो होना
िनǔƱत हुआ था वहȣ हुआ।"
ौीकृ ंण ने इǔÛियɉ को मन मɅ लगा Ǒदया, मन को बुǒƨ मɅ और बुǒƨ को अपने शुƨ-बुƨ
िचदघन चैतÛय आ×मा के िचÛतन मɅ लगाकर कलेवर ×याग Ǒदया।
ौीकृ ंण का जो ूागÒय है वह नर को अपने नारायण ःवभाव मɅ जगाने का ूागÒय है।
जÛमाƴमी एक ऐसा उ×सव है Ǒक Ǒकतना भी थका-हारा जीव हो, उसे अपने भीतर के रस, ूेम
को ूकटाने कȧ ूेरणा िमल जाय। हँसते-खेलते, ूेम को छलकाते, बाँटते-बरसाते, अहंकाǐरयɉ को
और शोषकɉ को सबक िसखाते, थके -मांदे-असहायɉ को सहाय देते, िनब[लɉ मɅ बल फूँ कते, समाज
मɅ आÚयाǔ×मक बांित करते हुए, नर को अपने नारायण-ःवǾप मɅ पहुँचाने का अदभुत सफल
ूयास ौीकृ ंण-लीला से हुआ।
यह कृ ंण-अवतरण रोǑहणी न¢ऽ मɅ हुआ। मÚयराǒऽ के घोर अÛधकार मɅ भी भगवान ने
ूकाश कर Ǒदया। जो कै द से बाहर आ जायɅ वे भगवान हɇ। हम भी तो कै द मɅ बैठे हɇ, जैसे
वसुदेव-देवकȧ कं स कȧ जेल मɅ बÛद थे। हमारा भी जीवǾपी वसुदेव और बुǒƨǾपी देवकȧ
देहािभमान के कारावास मɅ पड़े हɇ। हम हाड़-मांस के शरȣर मɅ बÛद हɇ। इस कै द से हम बाहर आ
जायɅ। इस देह को 'मɇ' मानने कȧ गलती से बाहर आ जायɅ। इस देह कȧ उपलǔÞधयाँ या देह के
ǒवयोग वाःतव मɅ हमारे आ×मा पर कोई ूभाव नहȣं डालते हɇ। इस बात का £ान हो जाय तो
जोगी का जोग, तपी का तप, जपी का जप और सदगृहःथ का सदाचारयुƠ जीवन सफल हो
जाता है।
मनुंय अगर त×पर हो जाय तो दुःख खोजने पर भी नहȣं िमलेगा। स×य को समझने के
िलए, अपने को खोजने के िलए अगर वह त×पर हो जाय तो दुःख खोजने पर नहȣं िमलेगा। हम
अपनी असिलयत को खोजने मɅ त×पर नहȣं हɇ अतः सुखी होने के िलए खूब यƤ करते हɇ। सुबह
से शाम तक और जीवन से मौत तक ूाǔणमाऽ यह करता हैः दुःख को हटाना और सुख को
थामना।
धन कमाते हɇ तो भी सुख के िलये, धन खच[ करते हɇ तो भी सुख के िलये। शादȣ करते
हɇ तो भी सुख के िलए और पƤी को मायके भेजते हɇ तो भी सुख के िलये। पƤी के िलये हȣरा-
जवाहरात ले आते हɇ तो भी सुख के िलये और तलाक भी देते हɇ तो भी सुख के िलये। ूाणीमाऽ
जो कु छ चेƴा करता है वह सुख के िलए हȣ करता है। सुख को थामना और दुःख को हटाना।
Ǒफर भी देखा जाये तो आदमी दुःखी-का-दुःखी है ÈयɉǑक जहाँ सुख है वहाँ उसने खोज नहȣं कȧ।
जहाँ दुःख का ूवेश नहȣं उस आ×मा मɅ जीव जाता नहȣं। भगवान हमारे परम सुǿद हɇ। उन
परम सुǿद के उपदेश को सुनकर अगर जीव भीतर अपने ःवǾप मɅ जाय तो सुख और दुःख कȧ
चोटɉ से परे परमानÛद का अनुभव हो जाय।
ौीकृ ंण संिधदूत होकर गये। युƨ टालने कȧ कोिशश कȧ, युƨ टला नहȣं। संिध न हो पायी
Ǒफर भी भींम का स×कार Ǒकया, मान Ǒदया। 'मɇ संिध करने गया.... मेरȣ बात ये लोग नहȣं
मानते....' ऐसा समझकर उनको चोट नहȣं लगी। चोट हमेशा अहंकार को लगती है, आ×मा को
नहȣं लगती। दुःख हमेशा अहंकार को होता है, मन को होता है, आ×मा को नहȣं होता। साधारण
जीव मन मɅ जीते हɇ और उन साधारण जीवɉ को अपने िशव×व का £ान कराने के िलए भगवान
को जो आǒवभा[व हुआ उसे बोलते हɇ कृ ंणावतार।
मɇने सुनी है एक कहानी।
एक बार अंगूर और करेलɉ कȧ मुलाकात हुई। अंगूरɉ ने कहाः "हम Ǒकतने मीठे-मधुर और
ःवाǑदƴ हɇ। हमको देखकर लोगɉ के मुँह मɅ पानी आ जाता है। तुम तो कडुवे कडुवे करेले।"
करेलɉ ने कहाः "बस बस, चुप बैठो। तुमको देखकर लोगɉ के मन कȧ लोलुपता बढ़
जाती है। तुàहारा ःवाद लेते हɇ, मजा लेते हɇ तो उनको सूइयाँ (इंजेÈशन ) चुभानी पड़ती हɇ।
लोग बीमार होते हɇ, मधुूमेह (डायǒबटȣज़) हो जाता है। हम जब लोगɉ कȧ ǔजƾा पर जाते हɇ तो
कडुवे जǾर लगते हɇ, ǑकÛतु लोगɉ मɅ ःफू ित[ ले आते हɇ, डायǒबटȣज़ को मार भगाते हɇ और
तÛदुǾःती का दान करते हɇ। लगते कडुवे हɇ पर काम बǑढ़या करते हɇ।''
कभी-कभी कोई ूसंग, कोई दुःख आ जाता है तो लगता कडुवा है पर वह दुःख भी
स×संग मɅ भेज देता है। संसार कȧ समःयाएँ भी हǐर के चरणɉ तक पहुँचा देती हɇ। दुःख आये
तब समझ लेना Ǒक वह करेले का काम करता है।
हम मीठȤ-मीठȤ कथाएँ सुने, मीठे-मीठे चुटकु ले सुनɅ, अÍछा-अÍछा लगे वह सुनɅ, देखɅ,
खाये, ǒपयɅ – यह तो सब ठȤक लेǑकन कभी-कभी ॄƺ£ान कȧ सूआम बात भी सुनना चाǑहए।
समझ मɅ न आये तब भी सुनना चाǑहए। अÍछा न लगे तब भी ःवाःØय-सुर¢ा के िलए,
मधुूमेहवालɉ (डायǒबटȣज़वालɉ) को करेलɉ का रस पीना पड़ता है। ऐसे हȣ जÛम मरण कȧ
डायǒबटȣज़ लगी है तो साधन-भजनǾपी करेलɉ का रस अÍछा न लगे तब भी आदर से पीना
चाǑहए।
जब åयास जी बोलते हɇ, नारदजी बोलते हɇ, भगवान बोलते हɇ, शाƸ बोलते हɇ वह सब
मीठा मीठा हȣ लगे यह जǾरȣ नहȣं है। बुǒƨ कȧ सूआमता कै सी होगी ? वƠा ǔजतना ऊँ चा है,
महान है, उÛनत है और ौोता भी बǑढ़या योÊयतावाला है तो उन दोनɉ के बीच का संवाद हम
लोगɉ के िलए उÛनित करने वाला है। चबम कȧ कथाएँ, नॉवेल और साधारण Ǒकःसे-कहािनयाँ-
कथाएँ पढ़Ʌ-सुनɅ तो वे अÍछे तो लगते हɇ मगर बुǒƨ को ःथूल बना देते हɇ। उपिनषद, ॄƺसूऽ
आǑद कǑठन तो लगते हɇ मगर बुǒƨ को सूआम बना देते हɇ और सूआम बुǒƨ हȣ ठȤक आǔ×मक
ूकाश पा सकती है।
भगवान कȧ कथा जब पढ़ते हɇ, बोलते हɇ, सुनते हɇ उस समय भीतर अÛतःकरण धुलता
है, िचƣ मɅ ूसÛनता आती है, वƠा कȧ कु शलता से ौोताओं मɅ आ×मानÛद छलकता है। मानɉ
कभी उबासी भी आये Ǒफर भी भगवान कȧ कथा, हǐरचचा[, स×संग कãयाणकारȣ है।
भगवान ौीकृ ंण कȧ लीलाएँ बड़ȣ अनूठȤ है। उनके जीवन के चढ़ाव उतार से जीव को
सीखने को िमलता है Ǒक हमारे जीवन मɅ भी उतार चढ़ाव आ जाय तो Èया बड़ȣ बात है ? जब
सोलह कलाधारȣ पूणा[वतार भगवान ौीकृ ंण के कु टुàबी उनके ǒवरोधी हो सकते हɇ तो हमारȣ
ौीमती, हमारे ौीमान या बेटा-बेटȣ हमारा कहा नहȣं मानते तो Èया बड़ȣ बात है ? ौीकृ ंण मɅ
इतनी शǒƠ थी Ǒक सऽह बार जरासंध को मार भगाया Ǒफर भी अठारहवीं बार खुद को भागना
पड़ा तो कभी-कभी हमɅ भी घर छोड़कर, गाँव छोड़कर कहȣं और जगह जाना पड़े तो Èया हो
गया?
"बापू ! मेरȣ बदली होती है। मुझे अपना घर, गाँव छोड़ना पड़ता है।"
अरे, तेरे भगवान को भी छोड़ना पड़ा था तो तू Èयɉ घबड़ाता है ?
हारे हुए जीव को भगवान कȧ लीलाओं से आƳासन िमल जाता है। उदास को ूेम का
दान िमल जाता है। अहंकारȣ को िनरहंकारȣ होने का सबक िमल जाता है।
कहाँ संकãप माऽ से उथल-पुथल कर देने का सामØय[ रखने वाले ौीकृ ंण और कहाँ नंगे
पैर, नंगे िसर, एक हȣ धोती मɅ तीन महȣने तक उनका ऋǒषयɉ के आौम मɅ रहना। टुकड़ा
माँगकर खाया और स×संग सुना। तेरह वष[ घोर आंिगरस ऋǒष के आौम मɅ उपिनषदɉ का
अÚययन Ǒकया और ǒवरƠ जीवन ǔजये एकाÛत मɅ। एकाÛत मɅ ǒवरƠ जीवन जीने से योÊयता
बढ़ती है, शǒƠ बढ़ती है। ौीकृ ंण का ूभाव बढ़ गया, सामØय[ बढ़ गया, यश बढ़ गया। घोर
आंिगरस ऋǒष के आौम का एकाÛतवास और उपिनषदɉ का अÚययन युƨ के मैदान मɅ
भगवƥȣता होकर ूकट हो गया।
ौीकृ ंण के चǐरऽ महाभारत मɅ, हǐरवंशपुराण मɅ, ॄƺवैवत[पुराण मɅ, भागवत मɅ आते हɇ।
उन चǐरऽɉ से आप अपने जीवन मɅ जो खटकने वाले भाव हɇ उनको हटाकर, संसार कȧ
पǐरवत[नशीलता को समझकर, अपने अपǐरवत[नशील कू टःथ आ×मा को पहचान कर आप भी
ौीकृ ंण-तǂव का सा¢ा×कार करɅ इसिलए ौीकृ ंण-जÛमाƴमी का उ×सव होता है।
ौीकृ ंण का जीवन सवाɍगी ǒवकिसत है। उÛहɅ चार वेदɉ का £ान है। गीता वेदɉ का ूसाद
है, उपिनषदɉ का £ान है। चार वेद हɇ- ऋÊवेद , यजुवȶद, सामवेद और अथव[वेद। चार उपवेद हɇ-
आयुवȶद, धनुवȶद, ःथाप×यवेद और गांधव[वेद। आयुवȶद मɅ भी ौीकृ ंण कु शल थे। आरोÊय के
िसƨाÛत बǑढ़या जानते थे। गीता मɅ भी उÛहɉने कहाः
युƠाहारǒवहारःय युƠचेƴःय कम[सु।युƠाहारǒवहारःय युƠचेƴःय कम[सु।युƠाहारǒवहारःय युƠचेƴःय कम[सु।युƠाहारǒवहारःय युƠचेƴःय कम[सु।
युयुयुयुƠःवÜनावबोधःयƠःवÜनावबोधःयƠःवÜनावबोधःयƠःवÜनावबोधःय योगो भवित दुःखहा।।योगो भवित दुःखहा।।योगो भवित दुःखहा।।योगो भवित दुःखहा।।
'दुःखɉ का नाश करने वाला योग तो यथायोÊय आहार-ǒवहार करने वाले का, कमɟ मɅ
यथायोÊय चेƴा करने वाले का और यथायोÊय सोने तथा जागने वाले का हȣ िसƨ होता है।'
(भगवɮ गीताः ६.१७)
युƨ के मैदान मɅ भी तंदुǾःती कȧ तरफ इशारा कर Ǒदया। युƨ मɅ थके , मांदे, घावɉ से
भरे घोड़ɉ को शाम के समय ऐसी मरहमपÒटȣ ऐसी मािलश करते थे Ǒक दूसरे Ǒदन वे Ǒफर से
भागदौड़ करने के िलए तैयार हो जाते थे।
धनुǒव[ƭा, शƸǒवƭा मɅ भी वे अदभुत थे। सऽह बार जरासंध को ǒबना शƸ हȣ हरा Ǒदया।
युƨ कȧ ǒवƭा मɅ ऐसे कु शल थे। राजनीित मɅ भी अåवल नंबर थे।
वे पुऽ का पाट[ िनभाने मɅ भी अåवल नंबर, िमऽ का पाट[ िनभाने मɅ भी अåवल नंबर, िशंय का
पाट[ िनभाने मɅ भी अåवल नंबर और गुǽ का पाट[ अदा करने मɅ भी अåवल नंबर I
ःथाप×य वेद का £ान भी ौीकृ ंण मɅ खूब था। Ʈाǐरका नगरȣ बनायी। रथɉ के चलने कȧ
सड़क अलग, पैदल जानेवालɉ का राःता अलग। बीच मɅ बगीचे, ǒवौामगृह, Üयाऊ आǑद। आदमी
को वैकु Öठ जैसा सुख िमले ऐसी रचना थी, ऐसा सुÛदर नÈशा बनाया, बड़ȣ अनूठȤ Ʈाǐरका
बसायी।
गांधव[वेद मɅ भी उÛहɉने अपनी कु शलता Ǒदखायी। गांधव[वेद मɅ नृ×य, गीत और वाƭ होते
हɇ, गाना-बजाना होता है। बजाना भी दो ूकार का होता हैः एक ठोककर बजाया जाता है, जैसे
तबला, ढोलक, मंजीरा आǑद। दूसरा फूँ ककर बजाया जाता है, जैसे बँसी, ǒबगुल, तुरȣ, शहनाई
आǑद। ठोककर बजाने वाले वाƭɉ से फूँ ककर बजाये जाने वाले वाƭ अÍछे माने जाते हɇ। उसमɅ
भी बँसी बǑढ़या है।
ौीकृ ंण बँसी ऐसी बजाते Ǒक जो दूध के िलए ǒवरह मɅ छटपटाने वाले बछड़े गाय आने
पर दूध पीने लगते वे ौीकृ ंण कȧ बँसी सुनकर दूध पीना भूल जाते और बँसी का सुख पाकर
तÛमय हो जाते। ौीकृ ंण अपनी बँसी मɅ अपने ऐसे ूाण फूँ कते, ूेम फूँ कते Ǒक सुननेवालɉ के
िचƣ चुरा लेते।
अनुबम
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अवतारअवतारअवतारअवतार
जीव का जीवन सवाɍगी ǒवकिसत हो इसिलए भगवान के अवतार होते हɇ। उस समय उन
अवतारɉ से तो जीव को ूेरणा िमलती है, हजारɉ वषɟ के बाद भी ूेरणा िमलती रहती है।
ईƳर के कई अवतार माने गये हɇ- िन×य अवतार, नैिमǒƣक अवतार, आवेश अवतार,
ूवेश अवतार, ःफू ित[ अवतार, आǒवभा[व अवतार, अÛतया[मी Ǿप से अवतार, ǒवभूित अवतार,
आयुध अवतार आǑद।
भगवान कȧ अनÛत-अनÛत कलाएँ ǔजस भगवान कȧ समǒƴ कला से ःफु ǐरत होती है, उन
कलाओं मɅ से कु छ कलाएँ जो संसार åयवहार को चलाने मɅ पया[Ư हो जाती हɇ वे सब कलाएँ
िमलकर सोलह होती हɇ। इसिलए भगवान ौीकृ ंण को षोडश कलाधारȣ भी कहते हɇ और
पूणा[वतार भी कहते हɇ। वाःतव मɅ, भगवान मɅ सोलह कलाएँ हȣ हɇ ऐसी बात नहȣं है। अनÛत-
अनÛत कलाओं का सागर है वह। Ǒफर भी हमारे जीवन को या इस जगत को चलाने के िलए
भगवान-परॄƺ-परमा×मा, सǔÍचदानÛद कȧ सोलह कलाएँ पया[Ư होती हɇ। कभी दस कलाओं से
ूकट होने कȧ आवँयकता पड़ती है तो कभी दो कलाओं से काम चल जाता है, कभी एक कला
से। एक कला से भी कम मɅ जब काम चल जाता है, ऐसा जब अवतार होता है उसे अंशावतार
कहते हɇ। उससे भी कम कला से काम करना होता है तो उसे ǒवभूित अवतार कहते हɇ।
अवतार का अथ[ Èया है ?
अवतरित इित अवतारः।अवतरित इित अवतारः।अवतरित इित अवतारः।अवतरित इित अवतारः। जो अवतरण करे, जो ऊपर से नीचे आये। कहाँ तो परा×पर
परॄƺ, िनगु[ण, िनराकार, सत ् िचत ् आनÛद, अåयƠ, अजÛमा.... और वह जÛम लेकर आये !
अåयƠ åयƠ हो जाय ! अजÛमा जÛम को ःवीकार कर ले, अकƣा[ कतृ[×व को ःवीकार कर ले,
अभोƠा भोग को ःवीकार कर ले। यह अवतार है। अवतरित इित अअवतरित इित अअवतरित इित अअवतरित इित अवतारः।वतारः।वतारः।वतारः। ऊपर से नीचे आना।
जो शुƨ बुƨ िनराकार हो वह साकार हो जाय। ǔजसको कोई आवँयकता नहȣं वह
छिछयन भरȣ छाछ पर नाचने लग जाय। ǔजसको कोई भगा न सके उसको भागने कȧ लीला
करनी पड़े। ऐसा अवतार मनुंय के Ǒहत के िलए है, कãयाण के िलए है।
भगवान का एक अवतार होता है ूतीक अवतार, जैसे भƠ भगवान कȧ ूितमा बना लेता
है, ǔजस समय भोग लगाता है, जो भोग लगाता है, ǔजस भाव से भोग लगा देता है, पऽ, पुंप
और जो कु छ भी अप[ण करता है उस Ǿप मɅ महण करके वह भगवान अÛतया[मी ूितमा अवतार
मɅ भƠ कȧ भावना और शǒƠ पुƴ करते हɇ। कभी भगवान कȧ मूित[ से, ूितमा से, िचऽ से फू ल
या फू लमाला िगर पड़ȣ तो वह भƠ कȧ पूजा ःवीकार हो गयी इसका संके त समझा जाता है।
हम जब साधना काल के ूारंभ मɅ पूजा करते थे तब कभी-कभी ऐसा होता था। फू ल कȧ
माला भगवान को चढ़ा दȣ, Ǒफर पूजा मɅ तÛमय हो गये। एकाएक माला िगर पड़ȣ तो िचƣ मɅ
बड़ȣ ूसÛनता होती Ǒक देव ूसÛन हɇ।
ूितमा मɅ भगवɮ बुǒƨ करके उपासना कȧ और ूितमा से शांित, आनंद और ूेरणा
िमलने लगी। यह ूितमा अवतार। कोई ौीकृ ंण कȧ ूितमा रखता है कोई ौीराम कȧ कȧ, कोई
Ǒकसी और कȧ। धÛना जाट जैसे को पǔÖडत जी ने भाँग घोटने का िसलबÒटा दे Ǒदया ' ये
ठाकु रजी हɇ' कहकर। धÛना जाट ने उसमɅ भगवान कȧ Ǻढ़ भावना कȧ तो भगवान ूकट हो गये।
भगवान ूितमा के Ʈारा हमारȣ उÛनित कर दɅ, ूितमा के Ʈारा अवतǐरत हो जायɅ उसको
कहते हɇ ूितमा अवतार। ǔजस ूितमा को आप ौƨा-भǒƠ से पऽ-पुंप अप[ण करते हो, भोग
लगाते हो, उस ूितमा से आपको ूेरणा िमलती है।
अंतया[मी अवतार दो ूकार का होता है। सबके अंतया[मी भगवान सबको सƣा-ःफू ित[ देते
हɇ, कु छ कहते नहȣं। जन-साधारण के साथ भी भगवान हɇ। वह उÛहɅ माने चाहे न माने, आǔःतक
हो या नाǔःतक, भगवान को गािलयाँ देता हो Ǒफर भी भगवान उसकȧ आँख को देखने कȧ सƣा
देते हɇ, कान को सुनने कȧ सƣा देते हɇ। पेट मɅ उसका भोजन पचाने कȧ शǒƠ देते हɇ। दुराचारȣ-
से-दुराचारȣ, पापी से भी पापी, महापापी हो उसको भी अपनी सƣा, ःफू ित[ और चेतना देते हɇ
ÈयɉǑक वे ूाǔणमाऽ के सुǿद हɇ। वे सबके भीतर अंतया[मी आ×मा होकर बैठे हɇ। 'यह दुƴ मुझे
मानता नहȣं, भजता नहȣं.... चलो उसके ǿदय को बंद कर दूँ...' ऐसा भगवान 'नहȣं' कभी नहȣं
कहते। ǒबजली का ǒबल दो महȣने तक नहȣं भरो तो 'Connection Cut' हो जाता है, ǑकÛतु भगवान
को दस साल तक सलाम न भरो, रामनाम का ǒबल न भरो तो भी आपकȧ जीवन चेतना का
Connection Cut नहȣं होता। ǔजतने Ƴास उसके भाÊय मɅ होते हɇ उतने चलने देते हɇ। यह भगवान
का अंतया[मी अवतार अंतया[मी सƣा ःवǾप से सब जनɉ के िलए होता है। भƠजनɉ के िलए है
अÛतया[मी ूेरणा अवतार। जो भƠ हɇ, जो भǒƠ करते हɇ, उनका अंतया[मी ूेरक होता है, िचƣ मɅ
ूेरणा देता है Ǒकः 'अब यह करो, वह करो। सावन का महȣना आया है तो अनुƵान करो। इतने
जप-तप हो गये, अब आ×म£ान के स×संग मɅ जाओ। गुǾमुख बनो। िनगुरे रहने से कोई काम
नहȣं बनेगा....' इस ूकार अंतया[मी भगवान ूेरणा देते हɇ।
इस ूकार भगवान के कई तरह के अवतार होते हɇ। युग-युग मɅ, वƠ-वƠ पर, हर Ǒदल
और हर åयǒƠ कȧ योÊयता पर िभÛन-िभÛन ूेरणा और ूकाश िमले ऐसे अवतार होते हɇ।
ौीकृ ंण का अवतार सोलह कला से सàपÛन, सवाɍगी ǒवकास कराने वाला, सब साधकɉ
को, भƠɉ को ूकाश िमल सके , दुज[नɉ का दमन हो सके , मदोÛमƣ राजाओं का मद चूर कर
सके , माली, कु Þजा, दजȸ और तमाम साधारण जीवɉ पर अहैतुकȧ कृ पा बरसा सके ऐसा पूण[
लीला अवतार था। जो बँधे हुए को छु ड़ा दे, िनराश को आƳासन दे, Ǿखे को रस से भर दे,
Üयासे को ूेम से भर दे ऐसा अवतार था ौीकृ ंण का। कभी-कभी छोटे-मोटे काम के िलए
आवेशावतार हो जाता है, कभी अंशावतार हो जाता है, जैसे वामन अवतार, नृिसंह अवतार,
परशुराम अवतार। कभी आयुधावतार हो जाते हɇ। कभी संकãप Ǒकया और भगवान के पास
आयुध आ जाता है, सुदश[न चब आǑद आ जाता है।
परा×पर परॄƺ कȧ शǒƠ कभी अंशावतार मɅ तो कभी आयुध-अवतार मɅ तो कभी संतɉ के
ǿदय Ʈारा संत-अवतार मɅ तो कभी कारक अवतार मɅ अवतǐरत होते हुए मानव-जात को अपने
उÛनत िशखरɉ पर ले जाने का काम करती है। मानव अगर त×पर होकर अपने उÛनत िशखरɉ
पर पहुँचे तो उसे सुख और दुःख दोनɉ Ǒदखाई पड़ता है ǔखलवाड़, उपलǔÞध और हािन दोनɉ
Ǒदखाई पड़ता है ǔखलवाड़, शरȣर और शरȣर के सàबÛध Ǒदखाई पड़ते हɇ ǔखलवाड़। उसे अपनी
आ×मा कȧ स×यता का अनुभव हो जाता है।
आ×मा कȧ स×यता का अनुभव हो जाये तो ऐसा कोई आदमी नहȣं जो दुःख खोजे और
उसे दुःख िमल जाय । ऐसा कोई आदमी नहȣं जो मुƠ न हो। अपने आ×मा कȧ अनुभूित हो
जाय तो Ǒफर आपको दुःख नहȣं होगा, आपके संपक[ मɅ आने वाले लोग भी िनदु[ःख जीवन जीने
के माग[ पर आगे कू च कर सकते हɇ।
ौीकृ ंण को जो ूेम करे उसको तो वे ूेम दɅ हȣ, उनको जो देखे नहȣं उस पर भी ूेम से
बरस पड़े ऐसे ौीकृ ंण दयालु थे। वे मथुरा मɅ गये तो दजȸ से Êवालबालɉ के कपड़े ठȤक करवाकर
उसका उƨार Ǒकया। पर कु Þजा ? ǔजसने ौीकृ ंण कȧ ओर देखा तक नहȣं Ǒफर भी उसका
कãयाण करना चूके नहȣं।
ǒवकारȣ åयǒƠयɉ का, भोग-वासना मɅ फँ से हुए लोगɉ का संपक[ करने वाली बुǒƨ कु Þजा है।
कु Þजा छोटȣ जाित कȧ थी। राजा-महाराजाओं को तेल-मािलश करती, अंगराग लगाती,
कं स कȧ चाकरȣ करती। ऐसा उसका धंधा था।
ौीकृ ंण का दश[न करने के िलए सारा मथुरा उमड़ पड़ा था लेǑकन कु Þजा कृ ंण के साथ
हȣ पैदल जा रहȣ है Ǒफर भी आँख उठाकर देखती नहȣं। ौीकृ ंण तो उदारता का उदिध थे।
उÛहɉने सोचाः जब इतने सारे लोग आनǔÛदत हो रहे हɇ, ूसÛन हो रहे हɇ तो यह Èयɉ थोबड़ा
चढ़ाकर जाती है ? कृ ंण कहने लगेः
"हे सुÛदरȣ !"
कु Þजा सोचने लगी Ǒक मɇ सुÛदरȣ नहȣं.... आज तक मुझे Ǒकसी ने सुÛदरȣ कहा हȣ नहȣं।
ये Ǒकसी और को बुलाते हɉगे। कु Þजा ने सुना-अनसुना कर Ǒदया। ौीकृ ंण ने दुबारा कहाः
"हे सुÛदरȣ !"
कु Þजा ने सोचाः "कोई और सुÛदरȣ होगी। मगर Êवालबालɉ के टोले मɅ तो कोई Ƹी नहȣं
थी। जब तीसरȣ बार ौीकृ ंण ने कहाः
"हे सुÛदरȣ !"
तब कु Þजा से रहा न गया। वह बोल उठȤः
"बोलो सुÛदर ! Èया बोलते हो ?"
जो कु Ǿप मɅ भी सौÛदय[ को देख लɅ वे कृ ंण हɇ। सच पूछो तो कु Ǿप से कु Ǿप आदमी मɅ
भी आ×म-सौÛदय[ छु पा है। ौीकृ ंण को उस कु Ǿप कु Þजा मɅ भी अपना सौÛदय[ ःवǾप
सǔÍचदानंद Ǒदखा। उÛहɉने कु Þजा से कहाः
"यह चÛदन तू मुझे देगी ?"
"हाँ लो, लगा लो अपने बदन पर।"
उस कु Þजा को Ǒकसी ने सुÛदर कहा नहȣं था और ौीकृ ंण जो कु छ कहते, सÍचे ǿदय से
कहते। उनका åयवहार कृ ǒऽम नहȣं था। कु छ ǒवनोद भले Ǒकसी से कर लɅ वह अलग बात है,
बाकȧ भीतर से जो भी करते, गहराई से करते। पूणा[वतार तो जो कु छ करेगा, पूण[ हȣ करेगा।
ǒवनोद करते तो पूरा, उपदेश करते तो पूरा, नरो वा कुं जरो वानरो वा कुं जरो वानरो वा कुं जरो वानरो वा कुं जरो वा का आयोजन Ǒकया तो पूरा, संिध-
दूत होकर गये तो पूरे, िशशुपाल को ¢मा कȧ तो पूरȣ कȧ, पूरȣ सौ गािलयाँ सुन ली। वे जो कु छ
भी करते हɇ, पूरा करते है Ǒफर भी कभी कतृ[×व भार से बोǔझल नहȣं होते। यह नारायण कȧ
लीला नर को जगा देती है Ǒक हे नर ! तू भी बोझील मत हो। चार पैसे का कपड़ा, लकड़ा,
Ǒकराना बेचकर, 'मɇने इतना सारा धंधा Ǒकया' यह अहंकार मत रख। पाँच-पÍचीस हजार कȧ
िमठाई बेचकर अपने को िमठाईवाला मत मान। तू तो ॄƺवाला है।
'मɇ िमठाईवाला हूँ.... मɇ कपड़े वाला हूँ.... मɇ सोने-चाँदȣ वाला हूँ.... मɇ मकानवाला हूँ... मɇ
दुकानवाला हूँ.... मɇ ऑǑफसवाला हूँ... मɇ पɅटवाला हूँ..... मɇ दाढ़ȣवाला हूँ..... ' यह सब मन का
धोखा है। 'मɇ आ×मावाला हूँ... मɇ ॄƺवाला हूँ...' इस ूकार हे जीव ! तू तो परमा×मावाला है।
तेरȣ सÍची मूड़ȣ तो परमा×मा-रस है।
ौीकृ ंण ऐसे महान नेता थे Ǒक उनके कहने माऽ से राजाओं ने राजपाट का ×याग करके
ऋǒष-जीवन जीना ःवीकार कर िलया। ऐसे ौीकृ ंण थे Ǒफर भी बड़े ×यागी थे, åयवहार मɅ
अनासƠ थे। ǿदय मɅ ूेम.... आँखɉ मɅ Ǒदåय Ǻǒƴ....। ऐसा जीवन जीवनदाता ने जीकर
ूाणीमाऽ को, मनुंय माऽ को िसखाया Ǒक हे जीव ! तू मेरा हȣ अंश है। तू चाहे तो तू भी ऐसा
हो सकता है।
ममैवांशो जीवलोके जीवभूतः सनातनः।ममैवांशो जीवलोके जीवभूतः सनातनः।ममैवांशो जीवलोके जीवभूतः सनातनः।ममैवांशो जीवलोके जीवभूतः सनातनः।
मनः षƵानीǔÛियाǔण ूकृ ितःथािन कष[ित।।मनः षƵानीǔÛियाǔण ूकृ ितःथािन कष[ित।।मनः षƵानीǔÛियाǔण ूकृ ितःथािन कष[ित।।मनः षƵानीǔÛियाǔण ूकृ ितःथािन कष[ित।।
'इस देह मɅ यह सनातन जीव मेरा हȣ अंश है और वहȣ इन ूकृ ित मɅ ǔःथत मन और
पाँचɉ इǔÛियɉ को आकष[ण करता है।'
(भगवɮ गीताः १५.७)
तुम मेरे अंश हो, तुम भी सनातन हो। जैसे, मेरे कई Ǒदåय जÛम हो गये, मɇ उनको
जानता हूँ। हे अजु[न ! तुम नहȣं जानते हो, बाकȧ तुम भी पहले से हो।
अजु[न को िनिमƣ करके भगवान सबको उपदेश देते हɇ Ǒक आप भी अनाǑद काल से हो।
इस शरȣर के पहले तुम थे। बदलने वाले शरȣरɉ मɅ कभी न बदलने वाले £ानःवǾप आ×मा को
जान लेना हȣ मनुंय जÛम का फल है।
'मɇ हूँ' जहाँ से उठता है उस £ानःवǾप अिधƵान मɅ जो ǒवौांित पा लेता है वह ौीकृ ंण
के ःवǾप को ठȤक से जान लेता है।
इस £ान को पचाने के िलए बुǒƨ कȧ पǒवऽता चाǑहए। बुǒƨ कȧ पǒवऽता के िलए य£,
होम, हवन, दान, पुÖय ये सब बǑहरंग साधन हɇ। धारणा-Úयान आǑद अंतरंग साधन हɇ और
आ×म£ान का स×संग परम अंतरंग साधन हɇ। स×संग कȧ बिलहारȣ है।
स×संग सुनने से ǔजतना पुÖय होता है उसका Èया बयान करɅ !
तीरथ नहाये एक फल संत िमले फल चार।तीरथ नहाये एक फल संत िमले फल चार।तीरथ नहाये एक फल संत िमले फल चार।तीरथ नहाये एक फल संत िमले फल चार।
सदगुǾ िमले असदगुǾ िमले असदगुǾ िमले असदगुǾ िमले अनÛत फल कहे कबीर ǒवचार।।नÛत फल कहे कबीर ǒवचार।।नÛत फल कहे कबीर ǒवचार।।नÛत फल कहे कबीर ǒवचार।।
तीथ[ मɅ ःनान करो तो पुÖय बढ़ेगा। संत का साǔÛनÚय िमले तो धम[, अथ[, काम और
मो¢ इन चारɉ के Ʈार खुल जाएँगे। वे हȣ संत जब सदगुǾ के Ǿप मɅ िमल जाते हɇ तो उनकȧ
वाणी हमारे ǿदय मɅ ऐसा गहरा ूभाव डालती है Ǒक हम अपने वाःतǒवक 'मɇ' मɅ पहुँच जाते हɇ।
हमारा 'मɇ' तǂव से देखा जाय तो अनÛत है। एक शरȣर मɅ हȣ नहȣं बǔãक हरेक शरȣर मɅ
जो 'मɇ.... मɇ.... मɇ... मɇ....' चल रहा है वह अनÛत है। उस अनÛत परमा×मा का £ान जीव को
ूाƯ हो जाता है। इसिलए कबीर जी न ठȤक हȣ कहा है Ǒकः
तीरथ नहाये एक फल संत िमले फल चार।तीरथ नहाये एक फल संत िमले फल चार।तीरथ नहाये एक फल संत िमले फल चार।तीरथ नहाये एक फल संत िमले फल चार।
सदगुǾ िमले अनÛत फल कहे कबीर ǒवचार।।सदगुǾ िमले अनÛत फल कहे कबीर ǒवचार।।सदगुǾ िमले अनÛत फल कहे कबीर ǒवचार।।सदगुǾ िमले अनÛत फल कहे कबीर ǒवचार।।
सदगुǾ मेरासदगुǾ मेरासदगुǾ मेरासदगुǾ मेरा शूरमा करे शÞद कȧ चोट।करे शÞद कȧ चोट।करे शÞद कȧ चोट।करे शÞद कȧ चोट।
मारे गोला ूेम का हरे भरम कȧ कोट।।मारे गोला ूेम का हरे भरम कȧ कोट।।मारे गोला ूेम का हरे भरम कȧ कोट।।मारे गोला ूेम का हरे भरम कȧ कोट।।
जीव को ॅम हुआ है Ǒक 'यह कǾँ तो सुखी हो जाऊँ , यह िमले तो सुखी हो जाऊँ ....'
लेǑकन आज तक जो िमला है, आज के बाद जो भी संसार का िमलेगा, आज तक जो भी संसार
का जाना है और आज के बाद जो भी जानोगे, वह मृ×यु के एक झटके मɅ सब पराया हो
जायेगा।
मृ×यु झटका मारकर सब छȤन ले उसके पहले, जहाँ मौत कȧ गित नहȣं उस अपने आ×मा
को 'मɇ' ःवǾप मɅ जान ले, अपने कृ ंण तǂव को जान ले, तेरा बेड़ा पार हो जायेगा।
ौीकृ ंण कहते हɇ-
अमृतं चैव मृ×युƱ सदसÍचाहमजु[न।अमृतं चैव मृ×युƱ सदसÍचाहमजु[न।अमृतं चैव मृ×युƱ सदसÍचाहमजु[न।अमृतं चैव मृ×युƱ सदसÍचाहमजु[न।
'हे अजु[न ! मɇ अमृत हूँ, मɇ मृ×यु हूँ, मɇ सत ् हूँ और मɇ असत ् हूँ।'
(गीताः ९.१९)
Ǒकतना Ǒदåय अनुभव ! Ǒकतनी आ×मिनƵा ! Ǒकतना सवा[×मभाव ! सव[ऽ एका×मǺǒƴ !
जड़-चेतन मɅ अपनी सƣा, चेतनता और आनÛदǾपता जो ǒवलस रहȣ है उसक ू×य¢ अनुभव !
आप दुिनयाँ कȧ मजहबी पोिथयɉ, मत-मतांतरɉ, पीर-पैगàबरɉ को पढ़ लीǔजये, सुन
लीǔजये। उनमɅ से Ǒकसी मɅ ऐसा कहने कȧ Ǒहàमत है ? ǑकÛतु ौीकृ ंण भगवान के इस कथन से
सव[ऽ एका×मǺǒƴ और उनके पूणा[वतार, पूण[ £ान, पूण[ ूेम, पूण[ समता आǑद छलकते हɇ।
ौीकृ ंण जेल मɅ पैदा हुए हɇ, मुःकु रा रहे हɇ। मथुरा मɅ धनुषय£ मɅ जाना पड़ता है तो भी
मुःकरा रहे हɇ। मामा के षडयंऽɉ के समय भी मुःकरा रहे हɇ। संिधदूत होकर गये तब भी मुःकरा
रहे हɇ। िशशुपाल सौ-सौ बार अपमान करता है, हर अपमान का बदला मृ×युदंड हो सकता है,
Ǒफर भी िचƣ कȧ समता वहȣ कȧ वहȣ। युƨ के मैदान मɅ अपने £ानामृत से मुःकराते हुए उलझे,
थके , हारे अजु[न को भǒƠ का, योग का, £ान का आ×म-अमृतपान कराते हɇ।
संसार कȧ Ǒकसी भी पǐरǔःथित ने उन पर ूभाव नहȣं डाला। जेल मɅ पैदा होने से, पूतना
के ǒवषपान कराने से, मामा कं स के जुãमɉ से, मामा को मारने से, नगर छोड़कर भागने से,
िभ¢ा माँगते ऋǒषयɉ के आौम मɅ िनवास करने से, धरती पर सोने से, लोगɉ का और ःवयं
अपने भाई का भी अǒवƳास होने से, बÍचɉ के उƧÖड होने से, Ǒकसी भी कारण से ौीकृ ंण के
चेहरे पर िशकन नहȣं पड़ती। उनका िचƣ कभी उǑƮÊन नहȣं हुआ। सदा समता के साॆाÏय मɅ।
समिचƣ ौीकृ ंण का चेहरा कभी मुरझाया नहȣं। Ǒकसी भी वःतु कȧ ूािƯ-अूािƯ से, Ǒकसी भी
åयǒƠ कȧ िनÛदा-ःतुित से ौीकृ ंण कȧ मुखूभा àलान नहȣं हुई।
नोदेित नाःतमे×येषा सुखे दुःखे मुखूभा।नोदेित नाःतमे×येषा सुखे दुःखे मुखूभा।नोदेित नाःतमे×येषा सुखे दुःखे मुखूभा।नोदेित नाःतमे×येषा सुखे दुःखे मुखूभा।
ौीकृ ंण यह नहȣं कहते Ǒक आप मंǑदर मɅ, तीथ[ःथान मɅ या उƣम कु ल मɅ ूगट होगे
तभी मुƠ होगे। ौीकृ ंण तो कहते हɇ Ǒक अगर आप पापी से भी पापी हो, दुराचारȣ से भी
दुराचारȣ हो Ǒफर भी मुǒƠ के अिधकारȣ हो।
अǒप चेदिस पापेßयः सव[ßयः पापकृ ƣमः।अǒप चेदिस पापेßयः सव[ßयः पापकृ ƣमः।अǒप चेदिस पापेßयः सव[ßयः पापकृ ƣमः।अǒप चेदिस पापेßयः सव[ßयः पापकृ ƣमः।
सवɍ £ानÜलवेनैव वृǔजनं संतǐरंयिस।।सवɍ £ानÜलवेनैव वृǔजनं संतǐरंयिस।।सवɍ £ानÜलवेनैव वृǔजनं संतǐरंयिस।।सवɍ £ानÜलवेनैव वृǔजनं संतǐरंयिस।।
'यǑद तू अÛय सब पाǒपयɉ से भी अिधक पाप करने वाला है, तो भी तू £ानǾप नौका
Ʈारा िनःसÛदेह संपूण[ पाप-समुि से भलीभाँित तर जायेगा।'
(भगवɮ गीताः ४.३६)
हे साधक ! इस जÛमाƴमी के ूसंग पर तेजःवी पूणा[वतार ौीकृ ंण कȧ जीवन-लीलाओं
से, उपदेशɉ से और ौीकृ ंण कȧ समता और साहसी आचरणɉ से सबक सीख, सम रह, ूसÛन
रह, शांत हो, साहसी हो, सदाचारȣ हो। ःवयं धम[ मɅ ǔःथर रह, औरɉ को धम[ के माग[ मɅ लगाता
रह। मुःकराते हुए आÚयाǔ×मक उÛनित करता रह। औरɉ को सहाय करता रह। कदम आगे रख।
Ǒहàमत रख। ǒवजय तेरȣ है। सफल जीवन जीने का ढंग यहȣ है।
जय ौीकृ ंण ! कृ ंण कÛहैयालाल कȧ जय....!
अनुबम
ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ
ौीकृ ंण और ǾǔÈमणीौीकृ ंण और ǾǔÈमणीौीकृ ंण और ǾǔÈमणीौीकृ ंण और ǾǔÈमणी
उदासीना वयं नूनं न ःÑयाप×याथ[कामुकाः।उदासीना वयं नूनं न ःÑयाप×याथ[कामुकाः।उदासीना वयं नूनं न ःÑयाप×याथ[कामुकाः।उदासीना वयं नूनं न ःÑयाप×याथ[कामुकाः।
आ×मलÞÚयाऽऽःमहे पूणा[आ×मलÞÚयाऽऽःमहे पूणा[आ×मलÞÚयाऽऽःमहे पूणा[आ×मलÞÚयाऽऽःमहे पूणा[ गेहयोÏयȾितǑब[ या:।।।।।।।।
'िनƱय हȣ हम उदासीन हɇ। हम Ƹी, संतान और धन के लोलुप नहȣं हɇ। िनǔंबय और
देह-गेह से सàबÛधरǑहत हɇ दȣपिशखा के समान सा¢ी माऽ हɇ। हम अपने आ×मा के सा¢ा×कार
से हȣ पूण[काम हɇ।'
((((ौीमɮ भागवतःौीमɮ भागवतःौीमɮ भागवतःौीमɮ भागवतः १०-६०-२०))))
भगवान ौीकृ ंण ǽǔÈमणी से कह रहे हɇ।
ǽǔÈमणी ने ौीकृ ंण को पऽ िलखा था। साधु-ॄाƺणɉ से ǽǔÈमणी ने ौीकृ ंण के गुण,
यश, पराबम, चातुय[, सहजता, सरलता, िनƮ[ÛƮता, िनरामयता आǑद सदगुण सुनकर मन-हȣ-मन
संकãप Ǒकया Ǒक वǾँ गी तो िगरधर गोपाल को हȣ। उसके भाई ǽǔÈम, ǒपता, भींमक तथा अÛय
लोगɉ कȧ मजȸ िशशुपाल के साथ उसका ǒववाह करने कȧ थी, जबǑक ǽǔÈमणी कȧ मजȸ ौीकृ ंण
के साथ ǒववाह करने कȧ थी।
जीव जब भगवान कȧ सहजता, आनÛद, मुƠता, रसमयता जानता है तो वह भी इÍछा
करता है Ǒक मɇ भगवान को हȣ ूाƯ हो जाऊँ । जैसे ौीकृ ंण को सÛदेशा पहुँचाने के िलए
ǽǔÈमणी को ॄाƺण कȧ जǾरत पड़ȣ थी ऐसे हȣ जीव को ॄƺवेƣा सदगुǾ कȧ आवँयकता पड़ती
है Ǒक परमा×म-ःवǾप मɅ सÛदेशा पहुँचा दɅ।
ǽǔÈमणी ने पऽ िलखा तथा ौीकृ ंण तक पहुँचाने के िलए एक ॄाƺण को Ʈाǐरका भेजा।
ॄाƺणदेव Ʈाǐरका पहुँचे और पऽ दे Ǒदया। उस पऽ मɅ ǽǔÈमणी ने ौीकृ ंण को ǒवनती कȧ थी Ǒक
मेरे कु टुàबीजन मेरा ǒववाह ऐǑहक मोह-माया मɅ पड़े हुए, वासना के कȧड़े समान राजाओं से
करना चाहते हɇ लेǑकन मɇ आपको Ǒदल से वर चुकȧ।
ǽǔÈमणी कȧ तरह ǔƸयाँ जब ǔज£ासु बनती हɇ तब सोचती हɇ Ǒक संसार का वर हमको
छोड़कर चला जाय तो हम ǒवधवा हो जाती है अथवा हम उसको छोड़कर चली जायɅ तो दूसरे
जÛम मɅ दूसरे वर को वरना पड़ता है। इस देह के वर तो Ǒकतने हȣ जÛमɉ मɅ Ǒकतने हȣ बदले
और इस जÛम मɅ भी न जाने कौन Ǒकतना Ǒकसके साथ रहेगा, कोई पता नहȣं। इन वरɉ के साथ
रहते हुए भी जो मǑहलाएँ आ×मवर को वरने के िलए त×पर रहती हɇ वे ǔज£ासु कहȣ जाती है।
मɇ तो वǾँ मेरे िगरधर गोपालमɇ तो वǾँ मेरे िगरधर गोपालमɇ तो वǾँ मेरे िगरधर गोपालमɇ तो वǾँ मेरे िगरधर गोपाल कोकोकोको,,,,
मेरो चुडलो अमर हो जाय।मेरो चुडलो अमर हो जाय।मेरो चुडलो अमर हो जाय।मेरो चुडलो अमर हो जाय।
ǽǔÈमणी ौीकृ ंण को वरना चाहती है।
यह जीव जब अपने शुƨ, बुƨ चैतÛयःवǾप को वरना चाहता है तो वह ूेम मɅ चढ़ता है।
जीव Ǒकसी हाड़-मांस के पित या पƤी को वरकर ǒवकारȣ सुख भोगना चाहता है तब वह ूेम मɅ
पड़ता है। शरȣर के Ʈारा जब सुख लेने कȧ लालच होती है तो ूेम मɅ पड़ता है और अÛतमु[ख
होकर जब परम सुख मɅ गोता मारने कȧ इÍछा होती है तब वह ूेम मɅ चढ़ता है। ूेम Ǒकये बना
तो कोई रह हȣ नहȣं सकता। कोई ूेम मɅ पड़ता है तो कोई ूेम मɅ चढ़ता है।
ूेम मɅ जो पड़े वह संसार है....... ूेम मɅ जो चढ़े वह सा¢ा×कार है।
ǽǔÈमणी का सÛदेशा पाकर ौीकृ ंण ूसÛन हुए Ǒक यह जीव मुझे वरना चाहता है। ईƳर
का यह सहज ःवभाव है Ǒक अगर कोई उÛहɅ पाना चाहे तो वे उसका हाथ पकड़ लेते हɇ। Ǒकसी
भी समय, कै सा भी ूयोग करके जीव का हाथ पकड़ हȣ लेते हɇ।
जीव जब ईƳर का सा¢ा×कार करने चलता है तब देवता लोग ूसÛन नहȣं होते, ÈयɉǑक
जीव होगा तो जÛमेगा, य£ होम-हवन-पूजन करेगा, भोग चढ़ायेगा, देवताओं आǑद का गाड़ा
चलता रहेगा। जीव अगर सा¢ा×कार करेगा तो उनके सारे ूभावɉ से अलग हो जायेगा, ऊपर उठ
जायगा। देवी-देवता तो नहȣं चाहते Ǒक तुम सा¢ा×कार कर लो, तुàहारे कु टुàबीजन भी नहȣं
चाहते, तुàहारȣ पƤी भी नहȣं चाहती और तुàहारा पित भी नहȣं चाहता। अगर तुम थोड़ा-सा हȣ
सा¢ा×कार के माग[ पर आगे बढ़े तो टाँग खींचनेवाले तैयार हȣ हɇ।
भǒƠ के माग[ पर, ईƳर के माग[ पर नहȣं चलोगे तो लोग बोलɅगे नाǔःतक है। थोड़ा सा
चलोगे और सव[सामाÛय ढंग से मंǑदर गये, घंटनाद कर Ǒदया, आरती कर दȣ, टȣला-टपका कर
Ǒदया, Ǒकसी संूदाय का भƠ कहला Ǒदया....... तब तक तो ठȤक है। जब आ×मा-परमा×मा कȧ
एकता कȧ तरफ आगे कदम रखोगे तो कु टुàबी लोग तुमको ǒवËन डालɅगे। जो तुमको Úयान
िसखाते थे, जो तुमको मंǑदर मɅ, आौम मɅ ले गये वे हȣ तुàहɅ Ǒफर समझाएँगे Ǒक, 'इतनी सारȣ
भǒƠ Èया करना ? हम भी तो भƠ हɇ, हम भी तो बापू के िशंय हɇ। आप जरा Úयान-भजन
करना कम-करो-कम.... ऐसे कु छ चलता है Èया ?'
जो माँ Úयान िसखाती थी वहȣ माँ आसुमल को समझाने लगी थी Ǒक : 'बेटा इतना सारा
भजन नहȣं करना चाǑहए। मुझे पड़ोसी माई बोलती है Ǒक तुàहारा बेटा ूभात मɅ भगवान के
Úयान मɅ बैठा रहता है, रात को भी घÖटɉ तक बैठा रहता है। वह बहुत भजन करता है तो
भगवान को बार-बार ǒव¢ेप होता होगा। लआमीजी कȧ सेवा लेना छोड़कर उÛहɅ बार-बार भगत के
पास आना पड़ता होगा तो लआमीजी Ǿठ जायɅगी तुàहारे घर से। अतः बेटा ! Ïयादा Úयान
भजन करना ठȤक नहȣं।'
भोली माँ ने हमɅ समझाया Ǒक Ïयादा भǒƠ नहȣं करना, शायद लआमी Ǿठ जाय तो ?
जो लोग आपको ईƳर के माग[ ले जाते हɇ वे हȣ लोग आपको रोकɅ गे, यǑद आपकȧ साधना
कȧ गाड़ȣ ने जोर पकड़ा तो। अगर वे लोग नहȣं रोकते अथवा उनके रोकने से आप नहȣं ǽके तो
देवता लोग कु छ-न-कु छ ूलोभन भेजɅगे। अथवा यश आ जायगा, ǐरǒƨ-िसǒƨ आ जायेगी, स×य-
संकãप िसǒƨ आ जायगी। महसूस करोगे Ǒक मɇ जो संकãप करता हूँ वह पूण[ होने लगता है।
अपने आौम के एक साधक ने पंचेड़ (रतलाम) के आौम मɅ रहकर साठ Ǒदन का
अनुƵान Ǒकया। छोटȣ-मोटȣ कु छ इÍछा हुई और जरा सा ऐसा हो गया। उसने गाँठ बाँध ली Ǒक
मेरे पास स×य-संकãप िसǒƨ आ गयी। अरे भाई ! इतने मɅ हȣ संतुƴ हो गये ? साधना मɅ ǽक
गये ?
िसतारɉ से आगे जहाँ कु छ औरिसतारɉ से आगे जहाँ कु छ औरिसतारɉ से आगे जहाँ कु छ औरिसतारɉ से आगे जहाँ कु छ और भी है।है।है।है।
इँक के इàतीहाँ कु छ औरइँक के इàतीहाँ कु छ औरइँक के इàतीहाँ कु छ औरइँक के इàतीहाँ कु छ और भी हɇ।।हɇ।।हɇ।।हɇ।।
आगे बढ़ो। यह तो के वल शुǾआत है। थोड़ȣ-सी संसार कȧ लोलुपता कम होने से
अÛतःकरण शुƨ होता है। अÛतःकरण शुƨ होता है तो कु छ-कु छ आपके संकãप फिलत होते हɇ।
संकãप फिलत हुआ और उसके भोग मɅ आप पड़ गये तो आप ूेम मɅ पड़ जायɅगे। अगर
संकãप-फल के भोग मɅ नहȣं पड़े और परमा×मा को हȣ चाहा तो आप ूेम मɅ चढ़ जाओगे। ूेम
मɅ पड़ना एक बात है और ूेम मɅ चढ़ना कोई िनराली हȣ बात है।
थोड़ȣ बहुत साधना करने से पुÖय बढ़ते हɇ, सुǒवधाएँ आ जाती है, जो नहȣं बुलाते थे वे
बुलाने लगɅगे, जो अपमान करते थे वे मान कȧ िनगाहɉ से देखने लगɅगे, ǑकÛतु मनुंय जÛम के वल
इसीिलए नहȣं है Ǒक लोग मान से देखने लग जायɅ। ǔजसको वे देखɅगे वह (देह) भी तो ःमशान
मɅ जलकर खाक हो जायेगी भाई ! मनुंय जÛम इसिलए भी नहȣं है Ǒक बǑढ़या मकान िमल
जाय रहने को।
'हमɅ तो ठाठ से रहना है.....।'
यह तो अहंकार पोसने कȧ बात है। न ठाठ से रहना ठȤक है न बाट से रहना ठȤक है,
ǔजससे रहने का ǒवचार उ×पÛन होता है वह अÛतःकरण ǔजससे संचािलत होता है उस तǂव को
अपने आ×मा के Ǿप मɅ जानना अथा[त ् आ×म-सा¢ा×कार करना हȣ ठȤक है, बाकȧ सब मन कȧ
कãपना है। ःवामी रामतीथ[ ने बहुत बǑढ़या बात कहȣ। वे बोलते हɇ-
कोई हाल मःतकोई हाल मःतकोई हाल मःतकोई हाल मःत,,,, कोई माल मःतकोई माल मःतकोई माल मःतकोई माल मःत,,,, कोई तूती मैना सूए मɅ।कोई तूती मैना सूए मɅ।कोई तूती मैना सूए मɅ।कोई तूती मैना सूए मɅ।
कोई खान मःतकोई खान मःतकोई खान मःतकोई खान मःत,,,, पहरान मःतपहरान मःतपहरान मःतपहरान मःत,,,, कोई राग रािगनी दोहे मɅ।।कोई राग रािगनी दोहे मɅ।।कोई राग रािगनी दोहे मɅ।।कोई राग रािगनी दोहे मɅ।।
कोई अमल मःतकोई अमल मःतकोई अमल मःतकोई अमल मःत,,,, कोई रमल मःतकोई रमल मःतकोई रमल मःतकोई रमल मःत,,,, कोई शतरंज चौपड़ जूए मɅ।कोई शतरंज चौपड़ जूए मɅ।कोई शतरंज चौपड़ जूए मɅ।कोई शतरंज चौपड़ जूए मɅ।
इक खुद मःती ǒबन और मःतइक खुद मःती ǒबन और मःतइक खुद मःती ǒबन और मःतइक खुद मःती ǒबन और मःत,,,, सब पड़े अǒवƭा कू ए मɅ।।सब पड़े अǒवƭा कू ए मɅ।।सब पड़े अǒवƭा कू ए मɅ।।सब पड़े अǒवƭा कू ए मɅ।।
कोई अकल मःतकोई अकल मःतकोई अकल मःतकोई अकल मःत,,,, कोई शÈल मःतकोई शÈल मःतकोई शÈल मःतकोई शÈल मःत,,,, कोई चंचलताई हांसी मɅ।कोई चंचलताई हांसी मɅ।कोई चंचलताई हांसी मɅ।कोई चंचलताई हांसी मɅ।
कोई वेद मःतकोई वेद मःतकोई वेद मःतकोई वेद मःत,,,, Ǒकतेब मःतǑकतेब मःतǑकतेब मःतǑकतेब मःत,,,, कोई मÈके मɅ कोई काशी मɅ।।कोई मÈके मɅ कोई काशी मɅ।।कोई मÈके मɅ कोई काशी मɅ।।कोई मÈके मɅ कोई काशी मɅ।।
कोई माम मःतकोई माम मःतकोई माम मःतकोई माम मःत,,,, कोकोकोकोई धाम मःतई धाम मःतई धाम मःतई धाम मःत,,,, कोई सेवक मɅ कोई दासी मɅ।कोई सेवक मɅ कोई दासी मɅ।कोई सेवक मɅ कोई दासी मɅ।कोई सेवक मɅ कोई दासी मɅ।
इक खुद मःती ǒबन और मःतइक खुद मःती ǒबन और मःतइक खुद मःती ǒबन और मःतइक खुद मःती ǒबन और मःत,,,, सब बंधे अǒवƭा फाँसी मɅ।।सब बंधे अǒवƭा फाँसी मɅ।।सब बंधे अǒवƭा फाँसी मɅ।।सब बंधे अǒवƭा फाँसी मɅ।।
कोई पाठ मःतकोई पाठ मःतकोई पाठ मःतकोई पाठ मःत,,,, कोई ठाट मःतकोई ठाट मःतकोई ठाट मःतकोई ठाट मःत,,,, कोई भैरɉ मɅकोई भैरɉ मɅकोई भैरɉ मɅकोई भैरɉ मɅ,,,, कोई काली मɅ।कोई काली मɅ।कोई काली मɅ।कोई काली मɅ।
कोई मंथ मःतकोई मंथ मःतकोई मंथ मःतकोई मंथ मःत,,,, कोई पÛथ मःतकोई पÛथ मःतकोई पÛथ मःतकोई पÛथ मःत,,,, कोई Ƴेत पीतरंग लाली मɅ।।कोई Ƴेत पीतरंग लाली मɅ।।कोई Ƴेत पीतरंग लाली मɅ।।कोई Ƴेत पीतरंग लाली मɅ।।
कोई काम मःतकोई काम मःतकोई काम मःतकोई काम मःत,,,, कोई खाम मःतकोई खाम मःतकोई खाम मःतकोई खाम मःत,,,, कोई पूरन मɅकोई पूरन मɅकोई पूरन मɅकोई पूरन मɅ,,,, कोईकोईकोईकोई खाली मɅ।खाली मɅ।खाली मɅ।खाली मɅ।
इक खुद मःती ǒबन और मःत सब बंधे अǒवƭा जाली मɅ।।इक खुद मःती ǒबन और मःत सब बंधे अǒवƭा जाली मɅ।।इक खुद मःती ǒबन और मःत सब बंधे अǒवƭा जाली मɅ।।इक खुद मःती ǒबन और मःत सब बंधे अǒवƭा जाली मɅ।।
कोई हाट मःतकोई हाट मःतकोई हाट मःतकोई हाट मःत,,,, कोई घाट मःतकोई घाट मःतकोई घाट मःतकोई घाट मःत,,,, कोई बन पव[त ऊजाराकोई बन पव[त ऊजाराकोई बन पव[त ऊजाराकोई बन पव[त ऊजारा१
मɅ।मɅ।मɅ।मɅ।
कोई जात मःतकोई जात मःतकोई जात मःतकोई जात मःत,,,, कोईकोईकोईकोई पाँत मःतमःतमःतमःत,,,, कोईकोईकोईकोई तात ॅात सुत दारामɅ।मɅ।मɅ।मɅ।
कोईकोईकोईकोई कम[ मःतमःतमःतमःत,,,, कोई धम[ मःतकोई धम[ मःतकोई धम[ मःतकोई धम[ मःत,,,, कोई मसǔजद ठाकु रƮारा मɅ।कोई मसǔजद ठाकु रƮारा मɅ।कोई मसǔजद ठाकु रƮारा मɅ।कोई मसǔजद ठाकु रƮारा मɅ।
इक खुद मःती ǒबन और मःतइक खुद मःती ǒबन और मःतइक खुद मःती ǒबन और मःतइक खुद मःती ǒबन और मःत,,,, ससससब बहे अǒवƭा धारा मɅ।।ब बहे अǒवƭा धारा मɅ।।ब बहे अǒवƭा धारा मɅ।।ब बहे अǒवƭा धारा मɅ।।
कोई साककोई साककोई साककोई साक२
मःतमःतमःतमःत,,,, कोई खाक मःतकोई खाक मःतकोई खाक मःतकोई खाक मःत,,,, कोई खासे मɅ कोई मलमल मɅ।कोई खासे मɅ कोई मलमल मɅ।कोई खासे मɅ कोई मलमल मɅ।कोई खासे मɅ कोई मलमल मɅ।
कोई योग मःतकोई योग मःतकोई योग मःतकोई योग मःत,,,, कोई भोग मःतकोई भोग मःतकोई भोग मःतकोई भोग मःत,,,, कोई ǔःथित मɅकोई ǔःथित मɅकोई ǔःथित मɅकोई ǔःथित मɅ,,,, कोई चलचल मɅ।।कोई चलचल मɅ।।कोई चलचल मɅ।।कोई चलचल मɅ।।
कोई ऋǒƨ मःतकोई ऋǒƨ मःतकोई ऋǒƨ मःतकोई ऋǒƨ मःत,,,, कोई िसǒƨ मःतकोई िसǒƨ मःतकोई िसǒƨ मःतकोई िसǒƨ मःत,,,, कोई लेन देन कȧ कलकल मɅ।कोई लेन देन कȧ कलकल मɅ।कोई लेन देन कȧ कलकल मɅ।कोई लेन देन कȧ कलकल मɅ।
इक खुद मःती ǒबन और मःतइक खुद मःती ǒबन और मःतइक खुद मःती ǒबन और मःतइक खुद मःती ǒबन और मःत,,,, सब फँ से अǒवƭा दलदल मɅ।।सब फँ से अǒवƭा दलदल मɅ।।सब फँ से अǒवƭा दलदल मɅ।।सब फँ से अǒवƭा दलदल मɅ।।
कोई ऊकोई ऊकोई ऊकोई ऊÚव[ मःतÚव[ मःतÚव[ मःतÚव[ मःत,,,, कोई अधः मःतकोई अधः मःतकोई अधः मःतकोई अधः मःत,,,, कोई बाहर मɅ कोई अंतर मɅ।कोई बाहर मɅ कोई अंतर मɅ।कोई बाहर मɅ कोई अंतर मɅ।कोई बाहर मɅ कोई अंतर मɅ।
कोई देश मःतकोई देश मःतकोई देश मःतकोई देश मःत,,,, ǒवदेश मःतǒवदेश मःतǒवदेश मःतǒवदेश मःत,,,, कोई औषध मɅकोई औषध मɅकोई औषध मɅकोई औषध मɅ,,,, कोई मÛतर मɅ।।कोई मÛतर मɅ।।कोई मÛतर मɅ।।कोई मÛतर मɅ।।
कोई आप मःतकोई आप मःतकोई आप मःतकोई आप मःत,,,, कोई ताप मःतकोई ताप मःतकोई ताप मःतकोई ताप मःत,,,, कोई नाटक चेटक तÛतर मɅ।कोई नाटक चेटक तÛतर मɅ।कोई नाटक चेटक तÛतर मɅ।कोई नाटक चेटक तÛतर मɅ।
इक खुद मःती ǒबनइक खुद मःती ǒबनइक खुद मःती ǒबनइक खुद मःती ǒबन,,,, और मःतऔर मःतऔर मःतऔर मःत,,,, सब फँ से अǒवƭा जÛतर मɅ।।सब फँ से अǒवƭा जÛतर मɅ।।सब फँ से अǒवƭा जÛतर मɅ।।सब फँ से अǒवƭा जÛतर मɅ।।
कोई शुƴकोई शुƴकोई शुƴकोई शुƴ३
मःतमःतमःतमःत,,,, कोई तुƴकोई तुƴकोई तुƴकोई तुƴ४
मःतमःतमःतमःत,,,, कोई दȣरकोई दȣरकोई दȣरकोई दȣरध मɅ कोई छोटे मɅ।ध मɅ कोई छोटे मɅ।ध मɅ कोई छोटे मɅ।ध मɅ कोई छोटे मɅ।
कोई गुफा मःतकोई गुफा मःतकोई गुफा मःतकोई गुफा मःत,,,, कोई सुफा मःतकोई सुफा मःतकोई सुफा मःतकोई सुफा मःत,,,, कोई तूंबे मɅ कोई लोटे मɅ।।कोई तूंबे मɅ कोई लोटे मɅ।।कोई तूंबे मɅ कोई लोटे मɅ।।कोई तूंबे मɅ कोई लोटे मɅ।।
कोई £ान मःतकोई £ान मःतकोई £ान मःतकोई £ान मःत,,,, कोई Úयान मःतकोई Úयान मःतकोई Úयान मःतकोई Úयान मःत,,,, कोई असली मɅ कोई खोटे मɅ।कोई असली मɅ कोई खोटे मɅ।कोई असली मɅ कोई खोटे मɅ।कोई असली मɅ कोई खोटे मɅ।
इक खुद मःती ǒबनइक खुद मःती ǒबनइक खुद मःती ǒबनइक खुद मःती ǒबन,,,, और मःतऔर मःतऔर मःतऔर मःत,,,, सब रहे अǒवƭा टोटे मɅ।।सब रहे अǒवƭा टोटे मɅ।।सब रहे अǒवƭा टोटे मɅ।।सब रहे अǒवƭा टोटे मɅ।।
१ उजाड़ ǒबयावान २ ǐरँतेदारȣ ३ खाली, अतृƯ ४ ूसÛनिचƣ
ऐसा रहने का हो, ऐसा खाने का हो, ऐसी इÏजत-आबǾ हो ऐसा जीवन हो तो मजा है। I
am very happy. I am very lucky.
अगले जÛम या इस जÛम का थोड़ा-बहुत Úयान-भजन-जप-तप-पुÖय, जाने अनजाने कोई
एकामता फली है तो आप जरा-सा सुखी हɇ, ऐǑहक जगत मɅ सामाÛय जीवन जीनेवालɉ से आपका
जीवन थोड़ा ऐश-आरामवाला होगा, जरा ठȤक होगा। इसमɅ अगर आप सÛतुƴ होकर बैठ गये,
जीवन कȧ साथ[कता समझकर बैठ गये तो आप अपने पैर पर कु ãहाड़ा मार रहे हɇ, आप कृ ंण
का वरण नहȣं करना चाहते हɇ।
ǽǔÈमणी के पास राजा कȧ रानी होने का जीवन सामने था। िशशुपाल जैसे राजा थे जो
िशशुओं के , बÍचɉ के पालन-पोषण मɅ लगे रहɅ, Ƹी का आ£ा मानɅ, Ƹी के िलए छटपटायɅ ऐसे
कामुक लोग ǽǔÈमणी को िमल रहे थे। ूेम मɅ पड़ने के िलए उसके पास पूरा माहौल था लेǑकन
ǽǔÈमणीजी ूेम मɅ नहȣं पड़ȣ। वह ूेम मɅ चढ़ना चाहती थी।
ऐसे हȣ तुàहारȣ बुǒƨǾपी ǽǔÈमणी संसार कȧ सुǒवधाओं मɅ अगर तÛमय हो जाती है तो
वह ǽǔÈमणी िशशुपाल के हाथ चली जायगी।
अगर वह बुǒƨǾपी ǽǔÈमणी कृ ंण को हȣ वरना चाहती है, आ×मा को हȣ वरना चाहती है
तो Ǒफर ॄƺवेƣा को खोजेगी, छु पकर पऽ देगी। बुǒƨ ǿदयपूव[क ूाथ[ना करेगी और ॄƺवेƣाǾपी
ॄाƺण को पऽ देगी Ǒकः 'हे गुǾ महाराज ! मुझे तो चारɉ ओर से िगराने वाले, घसीटने वाले हɇ।
आप मेरा सÛदेशा पहुँचा दो। मुझे भगवान हȣ वरɅ, और कोई न वरे। मɇ भगवान के योÊय हूँ और
भगवान मेरे िलये योÊय वर हɇ।
सच पूछो तो ूाणीमाऽ का योÊय वर तो परमा×मा है, बाकȧ सब गुÔडा-गुÔडȣ है।
ǽǔÈमणी का दूसरा अथ[ है ूकृ ित। ूकृ ित का योÊय वर तो पुǾष हȣ है।
ूकृ ित के देह को जब हम 'मɇ' मानते हɇ तो हम सब दाढ़ȣ-मूँछवाले ǾǔÈमणी हɇ। कोई
दाढ़ȣ-मूँछवाली ǽǔÈमणी तो कोई कम दाढ़ȣ-मूँछवाली ǽǔÈमणी तो कोई ǒबना दाढ़ȣ-मूँछवाली
ǽǔÈमणी तो कोई चूǑड़यɉवाली ǽǔÈमणी। हम लोग सब ǽǔÈमणी हɇ अगर ूाकृ ितक शरȣर को 'मɇ'
मानकर ूाकृ ितक पदाथ[ पर हȣ आधाǐरत रहते हɇ तो।
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  • 1.
  • 2. ूातः ःमरणीय पूÏयपादूातः ःमरणीय पूÏयपादूातः ःमरणीय पूÏयपादूातः ःमरणीय पूÏयपाद संत ौी आसारामजी बापू केसंत ौी आसारामजी बापू केसंत ौी आसारामजी बापू केसंत ौी आसारामजी बापू के स×संगस×संगस×संगस×संग----ूवचनूवचनूवचनूवचन ौीकृ ंण दश[नौीकृ ंण दश[नौीकृ ंण दश[नौीकृ ंण दश[न िनवेदनिनवेदनिनवेदनिनवेदन ǔजतना मनुंय जÛम दुल[भ है उससे भी Ïयादा मनुंयता दुल[भ है और उससे भी Ïयादा मानुषी शरȣर से, मन से, बुǒƨ से पार परमा×मदेव का सा¢ा×कार दुल[भ है। ौीकृ ंण के अवतार से यह परम दुल[भ काय[ सहज सुलभ हो पाया। राजसी वातावरण मɅ, युƨ के मैदान मɅ Ǒकं कƣ[åयमूढ़ अवःथा मɅ पड़ा अजु[न आ×म£ान पाकर – 'नƴो मोहः ःमृितल[Þधा' – अपने आ×म- वैभव को पाकर सारे कम[बÛधनɉ से छू ट गया। जीते जी मुǒƠ का ऐसा दुल[भ अनुभव कर पाया। ौीकृ ंण को अगर मानुषी Ǻǒƴ से देखा जाये तो वे आदश[ पुǾष थे। उनका उƧेँय था मनुंय×व का आदश[ उपǔःथत करना। मनुंय åयावहाǐरक मोह-ममता से मःत न होकर, धमा[नुƵान करता हुआ दुल[भ ऐसे आ×मबोध को पा ले, इस हेतु मनुंय मɅ शौय[, वीय[, ूाणबल कȧ आवँयकता है। इस छोटे से मंथ मɅ संमǑहत ूातः ःमरणीय पूÏयपाद संत ौी आसारामजी बापू के अनुभविसƨ ूयोग और उपदेशɉ से ूाणशǒƠ, जीवनशǒƠ, मनःशǒƠ और बुǒƨ का ǒवकास करके इहलोक और परलोक मɅ ऊँ चे िशखरɉ को सर कर सकते हɇ और तीो ǒववेक-वैराÊयसàपÛन ǔज£ासु लोकातीत, देशातीत, कालातीत अपना आ×म-सा¢ा×कार का दुल[भ अनुभव पाने मɅ अमसर हो सकता है। आज हम सब भी रजो-तमोगुणी वातावरण मɅ पनपे हɇ और घसीटे जा रहे हɇ। भीतर ǒवकारɉ-आकां¢ाओं का युƨ मचा है। इस समय ौीकृ ंण कȧ लीला, चǐरऽ, £ानोपदेश, ूाणोपासना, जीवनयोग और ǒविभÛन ूसंगɉ पर अनुभव-ूकाश डालते हुए ूातःःमरणीय पूÏयपाद संत ौी आसारामजी बापू ने आज के मानव कȧ आवँयकता अनुसार पथ-ूदश[न Ǒकया है। संतɉ के वचनɉ को िलǒपबƨ करके सु£ पाठकɉ के करकमलɉ मɅ अǒप[त करते हɇ। ौी योग वेदाÛत सिमितौी योग वेदाÛत सिमितौी योग वेदाÛत सिमितौी योग वेदाÛत सिमित अमदावाद आौमअमदावाद आौमअमदावाद आौमअमदावाद आौम ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ
  • 3. अनुबमअनुबमअनुबमअनुबम िनवेदन............................................................................................................................................... 2 ौीकृ ंण-दश[न...................................................................................................................................... 3 अवतार............................................................................................................................................... 9 ौीकृ ंण और ǾǔÈमणी ....................................................................................................................... 14 हररायदासजी महाराज और बादशाह ..................................................................................................... 29 जीवनयोग......................................................................................................................................... 32 वेदमािल ॄाƺण कȧ आ×मोपलǔÞध ....................................................................................................... 52 अदभुत ूाणोपासना............................................................................................................................ 61 अनूठȤ मǑहमा...... स×संग कȧ और सदगुǾ कȧ..................................................................................... 73 पूणा[वतार ौीकृ ंण.............................................................................................................................. 74 ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ ौीकृ ंणौीकृ ंणौीकृ ंणौीकृ ंण----दश[नदश[नदश[नदश[न भगवान ौीकृ ंण ने जेल मɅ ूकट होना पसंद Ǒकया। रोǑहणी न¢ऽ, ौावण के कृ ंणप¢ कȧ अƴमी, अÛधकारमय राǒऽ और वह भी मÚयराǒऽ। जो िन×य, मुƠ, ूकाशमय है वह अÛधकार कȧ राǒऽ पसंद कर लेता है। जो घट-घटवासी है वह कारावास को पसंद कर लेता है। जो िन×य है, िनरंजन है, अगम है, अगोचर है वह साकार नÛहा-मुÛना Ǿप ःवीकार कर लेता है। भगवान कȧ यह गǐरमा है, मǑहमा है Ǒक वे बÛधन मɅ पड़े हुए को मुƠ कर दɅ, ǒबछु ड़े हुए को िमला दɅ, अ£ानी को £ान दे दɅ। शोकातुरɉ का शोक िनवृƣ करने के िलए बँसी बजानी पड़े या बछड़े कȧ पूँछ पकड़नी पड़े Ǒफर भी उनको कोई बाधा नहȣं आती। भगवान को कोई भी काम छोटा नहȣं लगता। ǔजसे कोई सेवाकाय[ छोटा न लगे वहȣ तो वाःतव मɅ बड़ा है। ौीकृ ंण के जीवन मɅ ऐसे-ऐसे उतार और चढ़ाव आते हɇ Ǒक ǔजनको समझने से हमारे नर जीवन मɅ नारायण का ूकाश हो जाय। ौीकृ ंण जब करȣब साल के थे तब घोर आंिगरस ऋǒष के आौम मɅ गये। तेरह वष[ उÛहɉने एकाÛत मɅ उपिनषदɉ का अßयास Ǒकया। ÔछाÛदोÊय उपिनषदÕ ( - - ) मɅ यह कथा आती है। ौीकृ ंण के जीवन मɅ £ान भी अåवल नंबर का था। युƨ के मैदान मɅ उÛहɉने भगवɮ- £ान बरसाया है। उनके जीवन मɅ उतार-चढ़ाव भी कै से आये ! भगवान के जीवन का एक Ǻँय और देखो। कालयवन कȧ सारȣ संपǒƣ हािथयɉ, बैलगाǑड़यɉ, भɇसɉ, घोड़ɉ और गधɉ पर लादकर यदुवंशी Ʈारका जा रहे थे। ौीकृ ंण ने सोचा Ǒक यह संपǒƣ हमारे घर मɅ जायेगी तो कु छ न कु छ हािन पहुँचाएगी। हमारे कु ल के लोगɉ कȧ संपǒƣ
  • 4. बढ़ेगी तो उनमɅ ǒवलािसता आ जायेगी। पǐरौम करके संपǒƣ, धन-दौलत िमले तो ठȤक, अगर ऐसे हȣ िमल तो जीवन को ǒवलासी बना देती है, खोखला कर देती है। इसिलए ौीकृ ंण ने को छेड़ Ǒदया तो उसने यदुवंिशयɉ पर आबमण कर Ǒदया। यदुवंिशयɉ कȧ सारȣ संपǒƣ छȤन ली। ौीकृ ंण और बलराम जरासÛध का सामना करना उिचत न समझकर भाग िनकले। हमारे परम ूेमाःपद भगवान नंगे पैर, नंगे िसर भाग रहे हɇ। साथ मɅ के वल एक धोती। माँगकर खाते हɇ, धरती पर सोते हɇ, साधुओं के आौमɉ मɅ रहते हɇ, स×संग करते हɇ। यह भी एक झाँकȧ है ौीकृ ंण के जीवन कȧ। िगरनार के पव[तɉ मɅ रहते थे, वहाँ आग लगी तो वहाँ से भी भागे और समुि मɅ Ʈारका बसायी। उस नगरȣ पर भी शाãव ने वायुयान से आबमण Ǒकया। उनके ससुर के घर मɅ डाका पड़ा, वे मारे गये। उनके वहाँ से ःयमंतक मǔण कȧ चोरȣ हो गयी। ःवयं ौीकृ ंण के ऊपर मǔण चुराने का आरोप लगाया गया। बड़े भाई बलरामजी भी उÛहȣं के ऊपर शंका कȧ। भागवत मɅ ःवयं ौीकृ ंण कहते हɇ : ǑकÛतु माममजः सàयɨ न ू×येित मǔणं ूित।ǑकÛतु माममजः सàयɨ न ू×येित मǔणं ूित।ǑकÛतु माममजः सàयɨ न ू×येित मǔणं ूित।ǑकÛतु माममजः सàयɨ न ू×येित मǔणं ूित। 'बलराम जी मǔण के बारे मɅ मेरा ǒवƳास नहȣं करते।' जीवन मɅ ऐसे-ऐसे ǒवरोधी ूसंग आने पर भी ौीकृ ंण के िचƣ मɅ ¢ोभ नहȣं हुआ। ौीकृ ंण सदा साधु-संतɉ का संग करते थे। घोर आंिगरस ऋǒष के आौम मɅ वषɟ तक उपिनषद का अÚययन Ǒकया और एकाÛत-ǒवरƠता मɅ रहे। दुवा[सा जैसे ऋǒष का आितØय खूब ूेम से Ǒकया। जबǑक ौीकृ ंण के कु ल मɅ उ×पÛन हुए यदुवंशी साधु-संतɉ कȧ मजाक उड़ाते थे। जाàबवतीनÛदन साàब को Ƹी का वेश पहनाकर Ǒफर ऋǒष से जाकर पूछते हɇ Ǒक "महाराज ! यह सुंदरȣ गभ[वती है। उसे बेटा होगा Ǒक बेटȣ होगी ?" ऋǒष ने कहाः "तुम संतɉ कȧ मजाक उड़ाते हो तो जाओ, न बेटा होगा न बेटा होगी। पेट पर जो मूसल बाँधा है उसी से तुàहारा स×यानाश होगा।" ....तो ौीकृ ंण साधू-संतɉ का आदर करते थे जबǑक उनके कु टुàबीजन साधू-संतɉ कȧ मजाक उड़ाते थे। ौीकृ ंण तो संयमी होकर ॄƺानÛद मɅ रमण करते थे और उनके कु ल के लोग शराब पीते थे। ौीकृ ंण के जीवन के चढ़ाव-उतार समाज को यह बताते हɇ Ǒक तुàहारा जÛम अगर हथकǑड़यɉवाले माँ-बाप के घर हो गया हो तभी भी तुम अपने को दȣन-हȣन मत मानना। हे जीव ! तेरा जÛम अगर कारावास मɅ हो गया हो तभी भी तू िचÛता मत कर। अपने आÛतǐरक Ǒदåय×व को जगा। उÛनत काय[ कर। स×संग कर। समािध लगा। धम[, नीित और आ×म£ान के अनुकू ल आचरण कर। अपने छु पे हुए भगवदभाव को ूकट कर ÈयɉǑक तू मेरा ःवǾप है। तेरे कु टुàबी तेरे ǒवरोधी हɉ Ǒफर भी तू घबड़ाना नहȣं। कभी मामा से भानजे कȧ अनबन हो जाय और दोनɉ का युƨ हो जाय, मामा चल बसे तभी भी िचÛता, दȣनता, हȣनता
  • 5. महसूस नहȣं करना। तेरे पǐरवार वाले तेरे कहने मɅ न चलɅ तभी भी तू िनराश नहȣं होना। जरासंध जैसा राजा तुझसे युƨ करे तो तू वीर होकर उसका मुकाबला करना। सऽह-सऽह बार ौीकृ ंण ने जरासंध को भगाया। अठारहवीं बार ौीकृ ंण ःवयं जानबूझकर भागे। उनके मɅ भी लाभ था। अपने कु टुàबीजनɉ को सबक िसखाना था। ौीकृ ंण के जीवन मɅ कभी हताशा नहȣं आयी, कभी िनराशा नहȣं आयी, कभी पलायनवाद नहȣं आया, कभी उƮेग नहȣं आया, कभी िचÛता नहȣं आयी, कभी भय नहȣं आया, कभी शोक नहȣं आया, कभी ǒवषाद नहȣं आया और कभी ¢ुि अहंकार नहȣं आया Ǒक यह देह मɇ हूँ। अǔÛतम समय मɅ ौीकृ ंण के कु टुǔàबयɉ कȧ मित ऋǒष के शाप से ǒवपरȣत हो गई और आपस मɅ लड़ मरे। ौीकृ ंण का भी अपमान कर Ǒदया, कु छ-का-कु छ सुना Ǒदया, Ǒफर भी ौीकृ ंण के िचƣ मɅ ¢ोभ नहȣं हुआ। उनका मृ×यु भी कै सा ? उनका देहǒवलय समािध करते हुए या पलंग पर आराम करते- करते ूाण छोड़े या तुलसीदल मुँह मɅ डालकर ूाण छोड़े ऐसा नहȣं हुआ। एक बहेिलये ने बाण मारा। आǔखरȣ घǑड़याँ हɇ तब भी उनके िचƣ कȧ समता नहȣं जाती। बाण मारने वाले को भी ¢मा करते हुए बोलते हɇ- "तू िचÛता मत करना। ऐसा हȣ होने वाला था। िनयित मɅ जो होना िनǔƱत हुआ था वहȣ हुआ।" ौीकृ ंण ने इǔÛियɉ को मन मɅ लगा Ǒदया, मन को बुǒƨ मɅ और बुǒƨ को अपने शुƨ-बुƨ िचदघन चैतÛय आ×मा के िचÛतन मɅ लगाकर कलेवर ×याग Ǒदया। ौीकृ ंण का जो ूागÒय है वह नर को अपने नारायण ःवभाव मɅ जगाने का ूागÒय है। जÛमाƴमी एक ऐसा उ×सव है Ǒक Ǒकतना भी थका-हारा जीव हो, उसे अपने भीतर के रस, ूेम को ूकटाने कȧ ूेरणा िमल जाय। हँसते-खेलते, ूेम को छलकाते, बाँटते-बरसाते, अहंकाǐरयɉ को और शोषकɉ को सबक िसखाते, थके -मांदे-असहायɉ को सहाय देते, िनब[लɉ मɅ बल फूँ कते, समाज मɅ आÚयाǔ×मक बांित करते हुए, नर को अपने नारायण-ःवǾप मɅ पहुँचाने का अदभुत सफल ूयास ौीकृ ंण-लीला से हुआ। यह कृ ंण-अवतरण रोǑहणी न¢ऽ मɅ हुआ। मÚयराǒऽ के घोर अÛधकार मɅ भी भगवान ने ूकाश कर Ǒदया। जो कै द से बाहर आ जायɅ वे भगवान हɇ। हम भी तो कै द मɅ बैठे हɇ, जैसे वसुदेव-देवकȧ कं स कȧ जेल मɅ बÛद थे। हमारा भी जीवǾपी वसुदेव और बुǒƨǾपी देवकȧ देहािभमान के कारावास मɅ पड़े हɇ। हम हाड़-मांस के शरȣर मɅ बÛद हɇ। इस कै द से हम बाहर आ जायɅ। इस देह को 'मɇ' मानने कȧ गलती से बाहर आ जायɅ। इस देह कȧ उपलǔÞधयाँ या देह के ǒवयोग वाःतव मɅ हमारे आ×मा पर कोई ूभाव नहȣं डालते हɇ। इस बात का £ान हो जाय तो जोगी का जोग, तपी का तप, जपी का जप और सदगृहःथ का सदाचारयुƠ जीवन सफल हो जाता है। मनुंय अगर त×पर हो जाय तो दुःख खोजने पर भी नहȣं िमलेगा। स×य को समझने के िलए, अपने को खोजने के िलए अगर वह त×पर हो जाय तो दुःख खोजने पर नहȣं िमलेगा। हम
  • 6. अपनी असिलयत को खोजने मɅ त×पर नहȣं हɇ अतः सुखी होने के िलए खूब यƤ करते हɇ। सुबह से शाम तक और जीवन से मौत तक ूाǔणमाऽ यह करता हैः दुःख को हटाना और सुख को थामना। धन कमाते हɇ तो भी सुख के िलये, धन खच[ करते हɇ तो भी सुख के िलये। शादȣ करते हɇ तो भी सुख के िलए और पƤी को मायके भेजते हɇ तो भी सुख के िलये। पƤी के िलये हȣरा- जवाहरात ले आते हɇ तो भी सुख के िलये और तलाक भी देते हɇ तो भी सुख के िलये। ूाणीमाऽ जो कु छ चेƴा करता है वह सुख के िलए हȣ करता है। सुख को थामना और दुःख को हटाना। Ǒफर भी देखा जाये तो आदमी दुःखी-का-दुःखी है ÈयɉǑक जहाँ सुख है वहाँ उसने खोज नहȣं कȧ। जहाँ दुःख का ूवेश नहȣं उस आ×मा मɅ जीव जाता नहȣं। भगवान हमारे परम सुǿद हɇ। उन परम सुǿद के उपदेश को सुनकर अगर जीव भीतर अपने ःवǾप मɅ जाय तो सुख और दुःख कȧ चोटɉ से परे परमानÛद का अनुभव हो जाय। ौीकृ ंण संिधदूत होकर गये। युƨ टालने कȧ कोिशश कȧ, युƨ टला नहȣं। संिध न हो पायी Ǒफर भी भींम का स×कार Ǒकया, मान Ǒदया। 'मɇ संिध करने गया.... मेरȣ बात ये लोग नहȣं मानते....' ऐसा समझकर उनको चोट नहȣं लगी। चोट हमेशा अहंकार को लगती है, आ×मा को नहȣं लगती। दुःख हमेशा अहंकार को होता है, मन को होता है, आ×मा को नहȣं होता। साधारण जीव मन मɅ जीते हɇ और उन साधारण जीवɉ को अपने िशव×व का £ान कराने के िलए भगवान को जो आǒवभा[व हुआ उसे बोलते हɇ कृ ंणावतार। मɇने सुनी है एक कहानी। एक बार अंगूर और करेलɉ कȧ मुलाकात हुई। अंगूरɉ ने कहाः "हम Ǒकतने मीठे-मधुर और ःवाǑदƴ हɇ। हमको देखकर लोगɉ के मुँह मɅ पानी आ जाता है। तुम तो कडुवे कडुवे करेले।" करेलɉ ने कहाः "बस बस, चुप बैठो। तुमको देखकर लोगɉ के मन कȧ लोलुपता बढ़ जाती है। तुàहारा ःवाद लेते हɇ, मजा लेते हɇ तो उनको सूइयाँ (इंजेÈशन ) चुभानी पड़ती हɇ। लोग बीमार होते हɇ, मधुूमेह (डायǒबटȣज़) हो जाता है। हम जब लोगɉ कȧ ǔजƾा पर जाते हɇ तो कडुवे जǾर लगते हɇ, ǑकÛतु लोगɉ मɅ ःफू ित[ ले आते हɇ, डायǒबटȣज़ को मार भगाते हɇ और तÛदुǾःती का दान करते हɇ। लगते कडुवे हɇ पर काम बǑढ़या करते हɇ।'' कभी-कभी कोई ूसंग, कोई दुःख आ जाता है तो लगता कडुवा है पर वह दुःख भी स×संग मɅ भेज देता है। संसार कȧ समःयाएँ भी हǐर के चरणɉ तक पहुँचा देती हɇ। दुःख आये तब समझ लेना Ǒक वह करेले का काम करता है। हम मीठȤ-मीठȤ कथाएँ सुने, मीठे-मीठे चुटकु ले सुनɅ, अÍछा-अÍछा लगे वह सुनɅ, देखɅ, खाये, ǒपयɅ – यह तो सब ठȤक लेǑकन कभी-कभी ॄƺ£ान कȧ सूआम बात भी सुनना चाǑहए। समझ मɅ न आये तब भी सुनना चाǑहए। अÍछा न लगे तब भी ःवाःØय-सुर¢ा के िलए, मधुूमेहवालɉ (डायǒबटȣज़वालɉ) को करेलɉ का रस पीना पड़ता है। ऐसे हȣ जÛम मरण कȧ
  • 7. डायǒबटȣज़ लगी है तो साधन-भजनǾपी करेलɉ का रस अÍछा न लगे तब भी आदर से पीना चाǑहए। जब åयास जी बोलते हɇ, नारदजी बोलते हɇ, भगवान बोलते हɇ, शाƸ बोलते हɇ वह सब मीठा मीठा हȣ लगे यह जǾरȣ नहȣं है। बुǒƨ कȧ सूआमता कै सी होगी ? वƠा ǔजतना ऊँ चा है, महान है, उÛनत है और ौोता भी बǑढ़या योÊयतावाला है तो उन दोनɉ के बीच का संवाद हम लोगɉ के िलए उÛनित करने वाला है। चबम कȧ कथाएँ, नॉवेल और साधारण Ǒकःसे-कहािनयाँ- कथाएँ पढ़Ʌ-सुनɅ तो वे अÍछे तो लगते हɇ मगर बुǒƨ को ःथूल बना देते हɇ। उपिनषद, ॄƺसूऽ आǑद कǑठन तो लगते हɇ मगर बुǒƨ को सूआम बना देते हɇ और सूआम बुǒƨ हȣ ठȤक आǔ×मक ूकाश पा सकती है। भगवान कȧ कथा जब पढ़ते हɇ, बोलते हɇ, सुनते हɇ उस समय भीतर अÛतःकरण धुलता है, िचƣ मɅ ूसÛनता आती है, वƠा कȧ कु शलता से ौोताओं मɅ आ×मानÛद छलकता है। मानɉ कभी उबासी भी आये Ǒफर भी भगवान कȧ कथा, हǐरचचा[, स×संग कãयाणकारȣ है। भगवान ौीकृ ंण कȧ लीलाएँ बड़ȣ अनूठȤ है। उनके जीवन के चढ़ाव उतार से जीव को सीखने को िमलता है Ǒक हमारे जीवन मɅ भी उतार चढ़ाव आ जाय तो Èया बड़ȣ बात है ? जब सोलह कलाधारȣ पूणा[वतार भगवान ौीकृ ंण के कु टुàबी उनके ǒवरोधी हो सकते हɇ तो हमारȣ ौीमती, हमारे ौीमान या बेटा-बेटȣ हमारा कहा नहȣं मानते तो Èया बड़ȣ बात है ? ौीकृ ंण मɅ इतनी शǒƠ थी Ǒक सऽह बार जरासंध को मार भगाया Ǒफर भी अठारहवीं बार खुद को भागना पड़ा तो कभी-कभी हमɅ भी घर छोड़कर, गाँव छोड़कर कहȣं और जगह जाना पड़े तो Èया हो गया? "बापू ! मेरȣ बदली होती है। मुझे अपना घर, गाँव छोड़ना पड़ता है।" अरे, तेरे भगवान को भी छोड़ना पड़ा था तो तू Èयɉ घबड़ाता है ? हारे हुए जीव को भगवान कȧ लीलाओं से आƳासन िमल जाता है। उदास को ूेम का दान िमल जाता है। अहंकारȣ को िनरहंकारȣ होने का सबक िमल जाता है। कहाँ संकãप माऽ से उथल-पुथल कर देने का सामØय[ रखने वाले ौीकृ ंण और कहाँ नंगे पैर, नंगे िसर, एक हȣ धोती मɅ तीन महȣने तक उनका ऋǒषयɉ के आौम मɅ रहना। टुकड़ा माँगकर खाया और स×संग सुना। तेरह वष[ घोर आंिगरस ऋǒष के आौम मɅ उपिनषदɉ का अÚययन Ǒकया और ǒवरƠ जीवन ǔजये एकाÛत मɅ। एकाÛत मɅ ǒवरƠ जीवन जीने से योÊयता बढ़ती है, शǒƠ बढ़ती है। ौीकृ ंण का ूभाव बढ़ गया, सामØय[ बढ़ गया, यश बढ़ गया। घोर आंिगरस ऋǒष के आौम का एकाÛतवास और उपिनषदɉ का अÚययन युƨ के मैदान मɅ भगवƥȣता होकर ूकट हो गया। ौीकृ ंण के चǐरऽ महाभारत मɅ, हǐरवंशपुराण मɅ, ॄƺवैवत[पुराण मɅ, भागवत मɅ आते हɇ। उन चǐरऽɉ से आप अपने जीवन मɅ जो खटकने वाले भाव हɇ उनको हटाकर, संसार कȧ
  • 8. पǐरवत[नशीलता को समझकर, अपने अपǐरवत[नशील कू टःथ आ×मा को पहचान कर आप भी ौीकृ ंण-तǂव का सा¢ा×कार करɅ इसिलए ौीकृ ंण-जÛमाƴमी का उ×सव होता है। ौीकृ ंण का जीवन सवाɍगी ǒवकिसत है। उÛहɅ चार वेदɉ का £ान है। गीता वेदɉ का ूसाद है, उपिनषदɉ का £ान है। चार वेद हɇ- ऋÊवेद , यजुवȶद, सामवेद और अथव[वेद। चार उपवेद हɇ- आयुवȶद, धनुवȶद, ःथाप×यवेद और गांधव[वेद। आयुवȶद मɅ भी ौीकृ ंण कु शल थे। आरोÊय के िसƨाÛत बǑढ़या जानते थे। गीता मɅ भी उÛहɉने कहाः युƠाहारǒवहारःय युƠचेƴःय कम[सु।युƠाहारǒवहारःय युƠचेƴःय कम[सु।युƠाहारǒवहारःय युƠचेƴःय कम[सु।युƠाहारǒवहारःय युƠचेƴःय कम[सु। युयुयुयुƠःवÜनावबोधःयƠःवÜनावबोधःयƠःवÜनावबोधःयƠःवÜनावबोधःय योगो भवित दुःखहा।।योगो भवित दुःखहा।।योगो भवित दुःखहा।।योगो भवित दुःखहा।। 'दुःखɉ का नाश करने वाला योग तो यथायोÊय आहार-ǒवहार करने वाले का, कमɟ मɅ यथायोÊय चेƴा करने वाले का और यथायोÊय सोने तथा जागने वाले का हȣ िसƨ होता है।' (भगवɮ गीताः ६.१७) युƨ के मैदान मɅ भी तंदुǾःती कȧ तरफ इशारा कर Ǒदया। युƨ मɅ थके , मांदे, घावɉ से भरे घोड़ɉ को शाम के समय ऐसी मरहमपÒटȣ ऐसी मािलश करते थे Ǒक दूसरे Ǒदन वे Ǒफर से भागदौड़ करने के िलए तैयार हो जाते थे। धनुǒव[ƭा, शƸǒवƭा मɅ भी वे अदभुत थे। सऽह बार जरासंध को ǒबना शƸ हȣ हरा Ǒदया। युƨ कȧ ǒवƭा मɅ ऐसे कु शल थे। राजनीित मɅ भी अåवल नंबर थे। वे पुऽ का पाट[ िनभाने मɅ भी अåवल नंबर, िमऽ का पाट[ िनभाने मɅ भी अåवल नंबर, िशंय का पाट[ िनभाने मɅ भी अåवल नंबर और गुǽ का पाट[ अदा करने मɅ भी अåवल नंबर I ःथाप×य वेद का £ान भी ौीकृ ंण मɅ खूब था। Ʈाǐरका नगरȣ बनायी। रथɉ के चलने कȧ सड़क अलग, पैदल जानेवालɉ का राःता अलग। बीच मɅ बगीचे, ǒवौामगृह, Üयाऊ आǑद। आदमी को वैकु Öठ जैसा सुख िमले ऐसी रचना थी, ऐसा सुÛदर नÈशा बनाया, बड़ȣ अनूठȤ Ʈाǐरका बसायी। गांधव[वेद मɅ भी उÛहɉने अपनी कु शलता Ǒदखायी। गांधव[वेद मɅ नृ×य, गीत और वाƭ होते हɇ, गाना-बजाना होता है। बजाना भी दो ूकार का होता हैः एक ठोककर बजाया जाता है, जैसे तबला, ढोलक, मंजीरा आǑद। दूसरा फूँ ककर बजाया जाता है, जैसे बँसी, ǒबगुल, तुरȣ, शहनाई आǑद। ठोककर बजाने वाले वाƭɉ से फूँ ककर बजाये जाने वाले वाƭ अÍछे माने जाते हɇ। उसमɅ भी बँसी बǑढ़या है। ौीकृ ंण बँसी ऐसी बजाते Ǒक जो दूध के िलए ǒवरह मɅ छटपटाने वाले बछड़े गाय आने पर दूध पीने लगते वे ौीकृ ंण कȧ बँसी सुनकर दूध पीना भूल जाते और बँसी का सुख पाकर तÛमय हो जाते। ौीकृ ंण अपनी बँसी मɅ अपने ऐसे ूाण फूँ कते, ूेम फूँ कते Ǒक सुननेवालɉ के िचƣ चुरा लेते। अनुबम ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ
  • 9. अवतारअवतारअवतारअवतार जीव का जीवन सवाɍगी ǒवकिसत हो इसिलए भगवान के अवतार होते हɇ। उस समय उन अवतारɉ से तो जीव को ूेरणा िमलती है, हजारɉ वषɟ के बाद भी ूेरणा िमलती रहती है। ईƳर के कई अवतार माने गये हɇ- िन×य अवतार, नैिमǒƣक अवतार, आवेश अवतार, ूवेश अवतार, ःफू ित[ अवतार, आǒवभा[व अवतार, अÛतया[मी Ǿप से अवतार, ǒवभूित अवतार, आयुध अवतार आǑद। भगवान कȧ अनÛत-अनÛत कलाएँ ǔजस भगवान कȧ समǒƴ कला से ःफु ǐरत होती है, उन कलाओं मɅ से कु छ कलाएँ जो संसार åयवहार को चलाने मɅ पया[Ư हो जाती हɇ वे सब कलाएँ िमलकर सोलह होती हɇ। इसिलए भगवान ौीकृ ंण को षोडश कलाधारȣ भी कहते हɇ और पूणा[वतार भी कहते हɇ। वाःतव मɅ, भगवान मɅ सोलह कलाएँ हȣ हɇ ऐसी बात नहȣं है। अनÛत- अनÛत कलाओं का सागर है वह। Ǒफर भी हमारे जीवन को या इस जगत को चलाने के िलए भगवान-परॄƺ-परमा×मा, सǔÍचदानÛद कȧ सोलह कलाएँ पया[Ư होती हɇ। कभी दस कलाओं से ूकट होने कȧ आवँयकता पड़ती है तो कभी दो कलाओं से काम चल जाता है, कभी एक कला से। एक कला से भी कम मɅ जब काम चल जाता है, ऐसा जब अवतार होता है उसे अंशावतार कहते हɇ। उससे भी कम कला से काम करना होता है तो उसे ǒवभूित अवतार कहते हɇ। अवतार का अथ[ Èया है ? अवतरित इित अवतारः।अवतरित इित अवतारः।अवतरित इित अवतारः।अवतरित इित अवतारः। जो अवतरण करे, जो ऊपर से नीचे आये। कहाँ तो परा×पर परॄƺ, िनगु[ण, िनराकार, सत ् िचत ् आनÛद, अåयƠ, अजÛमा.... और वह जÛम लेकर आये ! अåयƠ åयƠ हो जाय ! अजÛमा जÛम को ःवीकार कर ले, अकƣा[ कतृ[×व को ःवीकार कर ले, अभोƠा भोग को ःवीकार कर ले। यह अवतार है। अवतरित इित अअवतरित इित अअवतरित इित अअवतरित इित अवतारः।वतारः।वतारः।वतारः। ऊपर से नीचे आना। जो शुƨ बुƨ िनराकार हो वह साकार हो जाय। ǔजसको कोई आवँयकता नहȣं वह छिछयन भरȣ छाछ पर नाचने लग जाय। ǔजसको कोई भगा न सके उसको भागने कȧ लीला करनी पड़े। ऐसा अवतार मनुंय के Ǒहत के िलए है, कãयाण के िलए है। भगवान का एक अवतार होता है ूतीक अवतार, जैसे भƠ भगवान कȧ ूितमा बना लेता है, ǔजस समय भोग लगाता है, जो भोग लगाता है, ǔजस भाव से भोग लगा देता है, पऽ, पुंप और जो कु छ भी अप[ण करता है उस Ǿप मɅ महण करके वह भगवान अÛतया[मी ूितमा अवतार मɅ भƠ कȧ भावना और शǒƠ पुƴ करते हɇ। कभी भगवान कȧ मूित[ से, ूितमा से, िचऽ से फू ल या फू लमाला िगर पड़ȣ तो वह भƠ कȧ पूजा ःवीकार हो गयी इसका संके त समझा जाता है। हम जब साधना काल के ूारंभ मɅ पूजा करते थे तब कभी-कभी ऐसा होता था। फू ल कȧ माला भगवान को चढ़ा दȣ, Ǒफर पूजा मɅ तÛमय हो गये। एकाएक माला िगर पड़ȣ तो िचƣ मɅ बड़ȣ ूसÛनता होती Ǒक देव ूसÛन हɇ। ूितमा मɅ भगवɮ बुǒƨ करके उपासना कȧ और ूितमा से शांित, आनंद और ूेरणा िमलने लगी। यह ूितमा अवतार। कोई ौीकृ ंण कȧ ूितमा रखता है कोई ौीराम कȧ कȧ, कोई
  • 10. Ǒकसी और कȧ। धÛना जाट जैसे को पǔÖडत जी ने भाँग घोटने का िसलबÒटा दे Ǒदया ' ये ठाकु रजी हɇ' कहकर। धÛना जाट ने उसमɅ भगवान कȧ Ǻढ़ भावना कȧ तो भगवान ूकट हो गये। भगवान ूितमा के Ʈारा हमारȣ उÛनित कर दɅ, ूितमा के Ʈारा अवतǐरत हो जायɅ उसको कहते हɇ ूितमा अवतार। ǔजस ूितमा को आप ौƨा-भǒƠ से पऽ-पुंप अप[ण करते हो, भोग लगाते हो, उस ूितमा से आपको ूेरणा िमलती है। अंतया[मी अवतार दो ूकार का होता है। सबके अंतया[मी भगवान सबको सƣा-ःफू ित[ देते हɇ, कु छ कहते नहȣं। जन-साधारण के साथ भी भगवान हɇ। वह उÛहɅ माने चाहे न माने, आǔःतक हो या नाǔःतक, भगवान को गािलयाँ देता हो Ǒफर भी भगवान उसकȧ आँख को देखने कȧ सƣा देते हɇ, कान को सुनने कȧ सƣा देते हɇ। पेट मɅ उसका भोजन पचाने कȧ शǒƠ देते हɇ। दुराचारȣ- से-दुराचारȣ, पापी से भी पापी, महापापी हो उसको भी अपनी सƣा, ःफू ित[ और चेतना देते हɇ ÈयɉǑक वे ूाǔणमाऽ के सुǿद हɇ। वे सबके भीतर अंतया[मी आ×मा होकर बैठे हɇ। 'यह दुƴ मुझे मानता नहȣं, भजता नहȣं.... चलो उसके ǿदय को बंद कर दूँ...' ऐसा भगवान 'नहȣं' कभी नहȣं कहते। ǒबजली का ǒबल दो महȣने तक नहȣं भरो तो 'Connection Cut' हो जाता है, ǑकÛतु भगवान को दस साल तक सलाम न भरो, रामनाम का ǒबल न भरो तो भी आपकȧ जीवन चेतना का Connection Cut नहȣं होता। ǔजतने Ƴास उसके भाÊय मɅ होते हɇ उतने चलने देते हɇ। यह भगवान का अंतया[मी अवतार अंतया[मी सƣा ःवǾप से सब जनɉ के िलए होता है। भƠजनɉ के िलए है अÛतया[मी ूेरणा अवतार। जो भƠ हɇ, जो भǒƠ करते हɇ, उनका अंतया[मी ूेरक होता है, िचƣ मɅ ूेरणा देता है Ǒकः 'अब यह करो, वह करो। सावन का महȣना आया है तो अनुƵान करो। इतने जप-तप हो गये, अब आ×म£ान के स×संग मɅ जाओ। गुǾमुख बनो। िनगुरे रहने से कोई काम नहȣं बनेगा....' इस ूकार अंतया[मी भगवान ूेरणा देते हɇ। इस ूकार भगवान के कई तरह के अवतार होते हɇ। युग-युग मɅ, वƠ-वƠ पर, हर Ǒदल और हर åयǒƠ कȧ योÊयता पर िभÛन-िभÛन ूेरणा और ूकाश िमले ऐसे अवतार होते हɇ। ौीकृ ंण का अवतार सोलह कला से सàपÛन, सवाɍगी ǒवकास कराने वाला, सब साधकɉ को, भƠɉ को ूकाश िमल सके , दुज[नɉ का दमन हो सके , मदोÛमƣ राजाओं का मद चूर कर सके , माली, कु Þजा, दजȸ और तमाम साधारण जीवɉ पर अहैतुकȧ कृ पा बरसा सके ऐसा पूण[ लीला अवतार था। जो बँधे हुए को छु ड़ा दे, िनराश को आƳासन दे, Ǿखे को रस से भर दे, Üयासे को ूेम से भर दे ऐसा अवतार था ौीकृ ंण का। कभी-कभी छोटे-मोटे काम के िलए आवेशावतार हो जाता है, कभी अंशावतार हो जाता है, जैसे वामन अवतार, नृिसंह अवतार, परशुराम अवतार। कभी आयुधावतार हो जाते हɇ। कभी संकãप Ǒकया और भगवान के पास आयुध आ जाता है, सुदश[न चब आǑद आ जाता है। परा×पर परॄƺ कȧ शǒƠ कभी अंशावतार मɅ तो कभी आयुध-अवतार मɅ तो कभी संतɉ के ǿदय Ʈारा संत-अवतार मɅ तो कभी कारक अवतार मɅ अवतǐरत होते हुए मानव-जात को अपने उÛनत िशखरɉ पर ले जाने का काम करती है। मानव अगर त×पर होकर अपने उÛनत िशखरɉ
  • 11. पर पहुँचे तो उसे सुख और दुःख दोनɉ Ǒदखाई पड़ता है ǔखलवाड़, उपलǔÞध और हािन दोनɉ Ǒदखाई पड़ता है ǔखलवाड़, शरȣर और शरȣर के सàबÛध Ǒदखाई पड़ते हɇ ǔखलवाड़। उसे अपनी आ×मा कȧ स×यता का अनुभव हो जाता है। आ×मा कȧ स×यता का अनुभव हो जाये तो ऐसा कोई आदमी नहȣं जो दुःख खोजे और उसे दुःख िमल जाय । ऐसा कोई आदमी नहȣं जो मुƠ न हो। अपने आ×मा कȧ अनुभूित हो जाय तो Ǒफर आपको दुःख नहȣं होगा, आपके संपक[ मɅ आने वाले लोग भी िनदु[ःख जीवन जीने के माग[ पर आगे कू च कर सकते हɇ। ौीकृ ंण को जो ूेम करे उसको तो वे ूेम दɅ हȣ, उनको जो देखे नहȣं उस पर भी ूेम से बरस पड़े ऐसे ौीकृ ंण दयालु थे। वे मथुरा मɅ गये तो दजȸ से Êवालबालɉ के कपड़े ठȤक करवाकर उसका उƨार Ǒकया। पर कु Þजा ? ǔजसने ौीकृ ंण कȧ ओर देखा तक नहȣं Ǒफर भी उसका कãयाण करना चूके नहȣं। ǒवकारȣ åयǒƠयɉ का, भोग-वासना मɅ फँ से हुए लोगɉ का संपक[ करने वाली बुǒƨ कु Þजा है। कु Þजा छोटȣ जाित कȧ थी। राजा-महाराजाओं को तेल-मािलश करती, अंगराग लगाती, कं स कȧ चाकरȣ करती। ऐसा उसका धंधा था। ौीकृ ंण का दश[न करने के िलए सारा मथुरा उमड़ पड़ा था लेǑकन कु Þजा कृ ंण के साथ हȣ पैदल जा रहȣ है Ǒफर भी आँख उठाकर देखती नहȣं। ौीकृ ंण तो उदारता का उदिध थे। उÛहɉने सोचाः जब इतने सारे लोग आनǔÛदत हो रहे हɇ, ूसÛन हो रहे हɇ तो यह Èयɉ थोबड़ा चढ़ाकर जाती है ? कृ ंण कहने लगेः "हे सुÛदरȣ !" कु Þजा सोचने लगी Ǒक मɇ सुÛदरȣ नहȣं.... आज तक मुझे Ǒकसी ने सुÛदरȣ कहा हȣ नहȣं। ये Ǒकसी और को बुलाते हɉगे। कु Þजा ने सुना-अनसुना कर Ǒदया। ौीकृ ंण ने दुबारा कहाः "हे सुÛदरȣ !" कु Þजा ने सोचाः "कोई और सुÛदरȣ होगी। मगर Êवालबालɉ के टोले मɅ तो कोई Ƹी नहȣं थी। जब तीसरȣ बार ौीकृ ंण ने कहाः "हे सुÛदरȣ !" तब कु Þजा से रहा न गया। वह बोल उठȤः "बोलो सुÛदर ! Èया बोलते हो ?" जो कु Ǿप मɅ भी सौÛदय[ को देख लɅ वे कृ ंण हɇ। सच पूछो तो कु Ǿप से कु Ǿप आदमी मɅ भी आ×म-सौÛदय[ छु पा है। ौीकृ ंण को उस कु Ǿप कु Þजा मɅ भी अपना सौÛदय[ ःवǾप सǔÍचदानंद Ǒदखा। उÛहɉने कु Þजा से कहाः "यह चÛदन तू मुझे देगी ?" "हाँ लो, लगा लो अपने बदन पर।"
  • 12. उस कु Þजा को Ǒकसी ने सुÛदर कहा नहȣं था और ौीकृ ंण जो कु छ कहते, सÍचे ǿदय से कहते। उनका åयवहार कृ ǒऽम नहȣं था। कु छ ǒवनोद भले Ǒकसी से कर लɅ वह अलग बात है, बाकȧ भीतर से जो भी करते, गहराई से करते। पूणा[वतार तो जो कु छ करेगा, पूण[ हȣ करेगा। ǒवनोद करते तो पूरा, उपदेश करते तो पूरा, नरो वा कुं जरो वानरो वा कुं जरो वानरो वा कुं जरो वानरो वा कुं जरो वा का आयोजन Ǒकया तो पूरा, संिध- दूत होकर गये तो पूरे, िशशुपाल को ¢मा कȧ तो पूरȣ कȧ, पूरȣ सौ गािलयाँ सुन ली। वे जो कु छ भी करते हɇ, पूरा करते है Ǒफर भी कभी कतृ[×व भार से बोǔझल नहȣं होते। यह नारायण कȧ लीला नर को जगा देती है Ǒक हे नर ! तू भी बोझील मत हो। चार पैसे का कपड़ा, लकड़ा, Ǒकराना बेचकर, 'मɇने इतना सारा धंधा Ǒकया' यह अहंकार मत रख। पाँच-पÍचीस हजार कȧ िमठाई बेचकर अपने को िमठाईवाला मत मान। तू तो ॄƺवाला है। 'मɇ िमठाईवाला हूँ.... मɇ कपड़े वाला हूँ.... मɇ सोने-चाँदȣ वाला हूँ.... मɇ मकानवाला हूँ... मɇ दुकानवाला हूँ.... मɇ ऑǑफसवाला हूँ... मɇ पɅटवाला हूँ..... मɇ दाढ़ȣवाला हूँ..... ' यह सब मन का धोखा है। 'मɇ आ×मावाला हूँ... मɇ ॄƺवाला हूँ...' इस ूकार हे जीव ! तू तो परमा×मावाला है। तेरȣ सÍची मूड़ȣ तो परमा×मा-रस है। ौीकृ ंण ऐसे महान नेता थे Ǒक उनके कहने माऽ से राजाओं ने राजपाट का ×याग करके ऋǒष-जीवन जीना ःवीकार कर िलया। ऐसे ौीकृ ंण थे Ǒफर भी बड़े ×यागी थे, åयवहार मɅ अनासƠ थे। ǿदय मɅ ूेम.... आँखɉ मɅ Ǒदåय Ǻǒƴ....। ऐसा जीवन जीवनदाता ने जीकर ूाणीमाऽ को, मनुंय माऽ को िसखाया Ǒक हे जीव ! तू मेरा हȣ अंश है। तू चाहे तो तू भी ऐसा हो सकता है। ममैवांशो जीवलोके जीवभूतः सनातनः।ममैवांशो जीवलोके जीवभूतः सनातनः।ममैवांशो जीवलोके जीवभूतः सनातनः।ममैवांशो जीवलोके जीवभूतः सनातनः। मनः षƵानीǔÛियाǔण ूकृ ितःथािन कष[ित।।मनः षƵानीǔÛियाǔण ूकृ ितःथािन कष[ित।।मनः षƵानीǔÛियाǔण ूकृ ितःथािन कष[ित।।मनः षƵानीǔÛियाǔण ूकृ ितःथािन कष[ित।। 'इस देह मɅ यह सनातन जीव मेरा हȣ अंश है और वहȣ इन ूकृ ित मɅ ǔःथत मन और पाँचɉ इǔÛियɉ को आकष[ण करता है।' (भगवɮ गीताः १५.७) तुम मेरे अंश हो, तुम भी सनातन हो। जैसे, मेरे कई Ǒदåय जÛम हो गये, मɇ उनको जानता हूँ। हे अजु[न ! तुम नहȣं जानते हो, बाकȧ तुम भी पहले से हो। अजु[न को िनिमƣ करके भगवान सबको उपदेश देते हɇ Ǒक आप भी अनाǑद काल से हो। इस शरȣर के पहले तुम थे। बदलने वाले शरȣरɉ मɅ कभी न बदलने वाले £ानःवǾप आ×मा को जान लेना हȣ मनुंय जÛम का फल है। 'मɇ हूँ' जहाँ से उठता है उस £ानःवǾप अिधƵान मɅ जो ǒवौांित पा लेता है वह ौीकृ ंण के ःवǾप को ठȤक से जान लेता है। इस £ान को पचाने के िलए बुǒƨ कȧ पǒवऽता चाǑहए। बुǒƨ कȧ पǒवऽता के िलए य£, होम, हवन, दान, पुÖय ये सब बǑहरंग साधन हɇ। धारणा-Úयान आǑद अंतरंग साधन हɇ और आ×म£ान का स×संग परम अंतरंग साधन हɇ। स×संग कȧ बिलहारȣ है।
  • 13. स×संग सुनने से ǔजतना पुÖय होता है उसका Èया बयान करɅ ! तीरथ नहाये एक फल संत िमले फल चार।तीरथ नहाये एक फल संत िमले फल चार।तीरथ नहाये एक फल संत िमले फल चार।तीरथ नहाये एक फल संत िमले फल चार। सदगुǾ िमले असदगुǾ िमले असदगुǾ िमले असदगुǾ िमले अनÛत फल कहे कबीर ǒवचार।।नÛत फल कहे कबीर ǒवचार।।नÛत फल कहे कबीर ǒवचार।।नÛत फल कहे कबीर ǒवचार।। तीथ[ मɅ ःनान करो तो पुÖय बढ़ेगा। संत का साǔÛनÚय िमले तो धम[, अथ[, काम और मो¢ इन चारɉ के Ʈार खुल जाएँगे। वे हȣ संत जब सदगुǾ के Ǿप मɅ िमल जाते हɇ तो उनकȧ वाणी हमारे ǿदय मɅ ऐसा गहरा ूभाव डालती है Ǒक हम अपने वाःतǒवक 'मɇ' मɅ पहुँच जाते हɇ। हमारा 'मɇ' तǂव से देखा जाय तो अनÛत है। एक शरȣर मɅ हȣ नहȣं बǔãक हरेक शरȣर मɅ जो 'मɇ.... मɇ.... मɇ... मɇ....' चल रहा है वह अनÛत है। उस अनÛत परमा×मा का £ान जीव को ूाƯ हो जाता है। इसिलए कबीर जी न ठȤक हȣ कहा है Ǒकः तीरथ नहाये एक फल संत िमले फल चार।तीरथ नहाये एक फल संत िमले फल चार।तीरथ नहाये एक फल संत िमले फल चार।तीरथ नहाये एक फल संत िमले फल चार। सदगुǾ िमले अनÛत फल कहे कबीर ǒवचार।।सदगुǾ िमले अनÛत फल कहे कबीर ǒवचार।।सदगुǾ िमले अनÛत फल कहे कबीर ǒवचार।।सदगुǾ िमले अनÛत फल कहे कबीर ǒवचार।। सदगुǾ मेरासदगुǾ मेरासदगुǾ मेरासदगुǾ मेरा शूरमा करे शÞद कȧ चोट।करे शÞद कȧ चोट।करे शÞद कȧ चोट।करे शÞद कȧ चोट। मारे गोला ूेम का हरे भरम कȧ कोट।।मारे गोला ूेम का हरे भरम कȧ कोट।।मारे गोला ूेम का हरे भरम कȧ कोट।।मारे गोला ूेम का हरे भरम कȧ कोट।। जीव को ॅम हुआ है Ǒक 'यह कǾँ तो सुखी हो जाऊँ , यह िमले तो सुखी हो जाऊँ ....' लेǑकन आज तक जो िमला है, आज के बाद जो भी संसार का िमलेगा, आज तक जो भी संसार का जाना है और आज के बाद जो भी जानोगे, वह मृ×यु के एक झटके मɅ सब पराया हो जायेगा। मृ×यु झटका मारकर सब छȤन ले उसके पहले, जहाँ मौत कȧ गित नहȣं उस अपने आ×मा को 'मɇ' ःवǾप मɅ जान ले, अपने कृ ंण तǂव को जान ले, तेरा बेड़ा पार हो जायेगा। ौीकृ ंण कहते हɇ- अमृतं चैव मृ×युƱ सदसÍचाहमजु[न।अमृतं चैव मृ×युƱ सदसÍचाहमजु[न।अमृतं चैव मृ×युƱ सदसÍचाहमजु[न।अमृतं चैव मृ×युƱ सदसÍचाहमजु[न। 'हे अजु[न ! मɇ अमृत हूँ, मɇ मृ×यु हूँ, मɇ सत ् हूँ और मɇ असत ् हूँ।' (गीताः ९.१९) Ǒकतना Ǒदåय अनुभव ! Ǒकतनी आ×मिनƵा ! Ǒकतना सवा[×मभाव ! सव[ऽ एका×मǺǒƴ ! जड़-चेतन मɅ अपनी सƣा, चेतनता और आनÛदǾपता जो ǒवलस रहȣ है उसक ू×य¢ अनुभव ! आप दुिनयाँ कȧ मजहबी पोिथयɉ, मत-मतांतरɉ, पीर-पैगàबरɉ को पढ़ लीǔजये, सुन लीǔजये। उनमɅ से Ǒकसी मɅ ऐसा कहने कȧ Ǒहàमत है ? ǑकÛतु ौीकृ ंण भगवान के इस कथन से सव[ऽ एका×मǺǒƴ और उनके पूणा[वतार, पूण[ £ान, पूण[ ूेम, पूण[ समता आǑद छलकते हɇ। ौीकृ ंण जेल मɅ पैदा हुए हɇ, मुःकु रा रहे हɇ। मथुरा मɅ धनुषय£ मɅ जाना पड़ता है तो भी मुःकरा रहे हɇ। मामा के षडयंऽɉ के समय भी मुःकरा रहे हɇ। संिधदूत होकर गये तब भी मुःकरा रहे हɇ। िशशुपाल सौ-सौ बार अपमान करता है, हर अपमान का बदला मृ×युदंड हो सकता है, Ǒफर भी िचƣ कȧ समता वहȣ कȧ वहȣ। युƨ के मैदान मɅ अपने £ानामृत से मुःकराते हुए उलझे, थके , हारे अजु[न को भǒƠ का, योग का, £ान का आ×म-अमृतपान कराते हɇ।
  • 14. संसार कȧ Ǒकसी भी पǐरǔःथित ने उन पर ूभाव नहȣं डाला। जेल मɅ पैदा होने से, पूतना के ǒवषपान कराने से, मामा कं स के जुãमɉ से, मामा को मारने से, नगर छोड़कर भागने से, िभ¢ा माँगते ऋǒषयɉ के आौम मɅ िनवास करने से, धरती पर सोने से, लोगɉ का और ःवयं अपने भाई का भी अǒवƳास होने से, बÍचɉ के उƧÖड होने से, Ǒकसी भी कारण से ौीकृ ंण के चेहरे पर िशकन नहȣं पड़ती। उनका िचƣ कभी उǑƮÊन नहȣं हुआ। सदा समता के साॆाÏय मɅ। समिचƣ ौीकृ ंण का चेहरा कभी मुरझाया नहȣं। Ǒकसी भी वःतु कȧ ूािƯ-अूािƯ से, Ǒकसी भी åयǒƠ कȧ िनÛदा-ःतुित से ौीकृ ंण कȧ मुखूभा àलान नहȣं हुई। नोदेित नाःतमे×येषा सुखे दुःखे मुखूभा।नोदेित नाःतमे×येषा सुखे दुःखे मुखूभा।नोदेित नाःतमे×येषा सुखे दुःखे मुखूभा।नोदेित नाःतमे×येषा सुखे दुःखे मुखूभा। ौीकृ ंण यह नहȣं कहते Ǒक आप मंǑदर मɅ, तीथ[ःथान मɅ या उƣम कु ल मɅ ूगट होगे तभी मुƠ होगे। ौीकृ ंण तो कहते हɇ Ǒक अगर आप पापी से भी पापी हो, दुराचारȣ से भी दुराचारȣ हो Ǒफर भी मुǒƠ के अिधकारȣ हो। अǒप चेदिस पापेßयः सव[ßयः पापकृ ƣमः।अǒप चेदिस पापेßयः सव[ßयः पापकृ ƣमः।अǒप चेदिस पापेßयः सव[ßयः पापकृ ƣमः।अǒप चेदिस पापेßयः सव[ßयः पापकृ ƣमः। सवɍ £ानÜलवेनैव वृǔजनं संतǐरंयिस।।सवɍ £ानÜलवेनैव वृǔजनं संतǐरंयिस।।सवɍ £ानÜलवेनैव वृǔजनं संतǐरंयिस।।सवɍ £ानÜलवेनैव वृǔजनं संतǐरंयिस।। 'यǑद तू अÛय सब पाǒपयɉ से भी अिधक पाप करने वाला है, तो भी तू £ानǾप नौका Ʈारा िनःसÛदेह संपूण[ पाप-समुि से भलीभाँित तर जायेगा।' (भगवɮ गीताः ४.३६) हे साधक ! इस जÛमाƴमी के ूसंग पर तेजःवी पूणा[वतार ौीकृ ंण कȧ जीवन-लीलाओं से, उपदेशɉ से और ौीकृ ंण कȧ समता और साहसी आचरणɉ से सबक सीख, सम रह, ूसÛन रह, शांत हो, साहसी हो, सदाचारȣ हो। ःवयं धम[ मɅ ǔःथर रह, औरɉ को धम[ के माग[ मɅ लगाता रह। मुःकराते हुए आÚयाǔ×मक उÛनित करता रह। औरɉ को सहाय करता रह। कदम आगे रख। Ǒहàमत रख। ǒवजय तेरȣ है। सफल जीवन जीने का ढंग यहȣ है। जय ौीकृ ंण ! कृ ंण कÛहैयालाल कȧ जय....! अनुबम ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ ौीकृ ंण और ǾǔÈमणीौीकृ ंण और ǾǔÈमणीौीकृ ंण और ǾǔÈमणीौीकृ ंण और ǾǔÈमणी उदासीना वयं नूनं न ःÑयाप×याथ[कामुकाः।उदासीना वयं नूनं न ःÑयाप×याथ[कामुकाः।उदासीना वयं नूनं न ःÑयाप×याथ[कामुकाः।उदासीना वयं नूनं न ःÑयाप×याथ[कामुकाः। आ×मलÞÚयाऽऽःमहे पूणा[आ×मलÞÚयाऽऽःमहे पूणा[आ×मलÞÚयाऽऽःमहे पूणा[आ×मलÞÚयाऽऽःमहे पूणा[ गेहयोÏयȾितǑब[ या:।।।।।।।। 'िनƱय हȣ हम उदासीन हɇ। हम Ƹी, संतान और धन के लोलुप नहȣं हɇ। िनǔंबय और देह-गेह से सàबÛधरǑहत हɇ दȣपिशखा के समान सा¢ी माऽ हɇ। हम अपने आ×मा के सा¢ा×कार से हȣ पूण[काम हɇ।' ((((ौीमɮ भागवतःौीमɮ भागवतःौीमɮ भागवतःौीमɮ भागवतः १०-६०-२०)))) भगवान ौीकृ ंण ǽǔÈमणी से कह रहे हɇ।
  • 15. ǽǔÈमणी ने ौीकृ ंण को पऽ िलखा था। साधु-ॄाƺणɉ से ǽǔÈमणी ने ौीकृ ंण के गुण, यश, पराबम, चातुय[, सहजता, सरलता, िनƮ[ÛƮता, िनरामयता आǑद सदगुण सुनकर मन-हȣ-मन संकãप Ǒकया Ǒक वǾँ गी तो िगरधर गोपाल को हȣ। उसके भाई ǽǔÈम, ǒपता, भींमक तथा अÛय लोगɉ कȧ मजȸ िशशुपाल के साथ उसका ǒववाह करने कȧ थी, जबǑक ǽǔÈमणी कȧ मजȸ ौीकृ ंण के साथ ǒववाह करने कȧ थी। जीव जब भगवान कȧ सहजता, आनÛद, मुƠता, रसमयता जानता है तो वह भी इÍछा करता है Ǒक मɇ भगवान को हȣ ूाƯ हो जाऊँ । जैसे ौीकृ ंण को सÛदेशा पहुँचाने के िलए ǽǔÈमणी को ॄाƺण कȧ जǾरत पड़ȣ थी ऐसे हȣ जीव को ॄƺवेƣा सदगुǾ कȧ आवँयकता पड़ती है Ǒक परमा×म-ःवǾप मɅ सÛदेशा पहुँचा दɅ। ǽǔÈमणी ने पऽ िलखा तथा ौीकृ ंण तक पहुँचाने के िलए एक ॄाƺण को Ʈाǐरका भेजा। ॄाƺणदेव Ʈाǐरका पहुँचे और पऽ दे Ǒदया। उस पऽ मɅ ǽǔÈमणी ने ौीकृ ंण को ǒवनती कȧ थी Ǒक मेरे कु टुàबीजन मेरा ǒववाह ऐǑहक मोह-माया मɅ पड़े हुए, वासना के कȧड़े समान राजाओं से करना चाहते हɇ लेǑकन मɇ आपको Ǒदल से वर चुकȧ। ǽǔÈमणी कȧ तरह ǔƸयाँ जब ǔज£ासु बनती हɇ तब सोचती हɇ Ǒक संसार का वर हमको छोड़कर चला जाय तो हम ǒवधवा हो जाती है अथवा हम उसको छोड़कर चली जायɅ तो दूसरे जÛम मɅ दूसरे वर को वरना पड़ता है। इस देह के वर तो Ǒकतने हȣ जÛमɉ मɅ Ǒकतने हȣ बदले और इस जÛम मɅ भी न जाने कौन Ǒकतना Ǒकसके साथ रहेगा, कोई पता नहȣं। इन वरɉ के साथ रहते हुए भी जो मǑहलाएँ आ×मवर को वरने के िलए त×पर रहती हɇ वे ǔज£ासु कहȣ जाती है। मɇ तो वǾँ मेरे िगरधर गोपालमɇ तो वǾँ मेरे िगरधर गोपालमɇ तो वǾँ मेरे िगरधर गोपालमɇ तो वǾँ मेरे िगरधर गोपाल कोकोकोको,,,, मेरो चुडलो अमर हो जाय।मेरो चुडलो अमर हो जाय।मेरो चुडलो अमर हो जाय।मेरो चुडलो अमर हो जाय। ǽǔÈमणी ौीकृ ंण को वरना चाहती है। यह जीव जब अपने शुƨ, बुƨ चैतÛयःवǾप को वरना चाहता है तो वह ूेम मɅ चढ़ता है। जीव Ǒकसी हाड़-मांस के पित या पƤी को वरकर ǒवकारȣ सुख भोगना चाहता है तब वह ूेम मɅ पड़ता है। शरȣर के Ʈारा जब सुख लेने कȧ लालच होती है तो ूेम मɅ पड़ता है और अÛतमु[ख होकर जब परम सुख मɅ गोता मारने कȧ इÍछा होती है तब वह ूेम मɅ चढ़ता है। ूेम Ǒकये बना तो कोई रह हȣ नहȣं सकता। कोई ूेम मɅ पड़ता है तो कोई ूेम मɅ चढ़ता है। ूेम मɅ जो पड़े वह संसार है....... ूेम मɅ जो चढ़े वह सा¢ा×कार है। ǽǔÈमणी का सÛदेशा पाकर ौीकृ ंण ूसÛन हुए Ǒक यह जीव मुझे वरना चाहता है। ईƳर का यह सहज ःवभाव है Ǒक अगर कोई उÛहɅ पाना चाहे तो वे उसका हाथ पकड़ लेते हɇ। Ǒकसी भी समय, कै सा भी ूयोग करके जीव का हाथ पकड़ हȣ लेते हɇ। जीव जब ईƳर का सा¢ा×कार करने चलता है तब देवता लोग ूसÛन नहȣं होते, ÈयɉǑक जीव होगा तो जÛमेगा, य£ होम-हवन-पूजन करेगा, भोग चढ़ायेगा, देवताओं आǑद का गाड़ा चलता रहेगा। जीव अगर सा¢ा×कार करेगा तो उनके सारे ूभावɉ से अलग हो जायेगा, ऊपर उठ
  • 16. जायगा। देवी-देवता तो नहȣं चाहते Ǒक तुम सा¢ा×कार कर लो, तुàहारे कु टुàबीजन भी नहȣं चाहते, तुàहारȣ पƤी भी नहȣं चाहती और तुàहारा पित भी नहȣं चाहता। अगर तुम थोड़ा-सा हȣ सा¢ा×कार के माग[ पर आगे बढ़े तो टाँग खींचनेवाले तैयार हȣ हɇ। भǒƠ के माग[ पर, ईƳर के माग[ पर नहȣं चलोगे तो लोग बोलɅगे नाǔःतक है। थोड़ा सा चलोगे और सव[सामाÛय ढंग से मंǑदर गये, घंटनाद कर Ǒदया, आरती कर दȣ, टȣला-टपका कर Ǒदया, Ǒकसी संूदाय का भƠ कहला Ǒदया....... तब तक तो ठȤक है। जब आ×मा-परमा×मा कȧ एकता कȧ तरफ आगे कदम रखोगे तो कु टुàबी लोग तुमको ǒवËन डालɅगे। जो तुमको Úयान िसखाते थे, जो तुमको मंǑदर मɅ, आौम मɅ ले गये वे हȣ तुàहɅ Ǒफर समझाएँगे Ǒक, 'इतनी सारȣ भǒƠ Èया करना ? हम भी तो भƠ हɇ, हम भी तो बापू के िशंय हɇ। आप जरा Úयान-भजन करना कम-करो-कम.... ऐसे कु छ चलता है Èया ?' जो माँ Úयान िसखाती थी वहȣ माँ आसुमल को समझाने लगी थी Ǒक : 'बेटा इतना सारा भजन नहȣं करना चाǑहए। मुझे पड़ोसी माई बोलती है Ǒक तुàहारा बेटा ूभात मɅ भगवान के Úयान मɅ बैठा रहता है, रात को भी घÖटɉ तक बैठा रहता है। वह बहुत भजन करता है तो भगवान को बार-बार ǒव¢ेप होता होगा। लआमीजी कȧ सेवा लेना छोड़कर उÛहɅ बार-बार भगत के पास आना पड़ता होगा तो लआमीजी Ǿठ जायɅगी तुàहारे घर से। अतः बेटा ! Ïयादा Úयान भजन करना ठȤक नहȣं।' भोली माँ ने हमɅ समझाया Ǒक Ïयादा भǒƠ नहȣं करना, शायद लआमी Ǿठ जाय तो ? जो लोग आपको ईƳर के माग[ ले जाते हɇ वे हȣ लोग आपको रोकɅ गे, यǑद आपकȧ साधना कȧ गाड़ȣ ने जोर पकड़ा तो। अगर वे लोग नहȣं रोकते अथवा उनके रोकने से आप नहȣं ǽके तो देवता लोग कु छ-न-कु छ ूलोभन भेजɅगे। अथवा यश आ जायगा, ǐरǒƨ-िसǒƨ आ जायेगी, स×य- संकãप िसǒƨ आ जायगी। महसूस करोगे Ǒक मɇ जो संकãप करता हूँ वह पूण[ होने लगता है। अपने आौम के एक साधक ने पंचेड़ (रतलाम) के आौम मɅ रहकर साठ Ǒदन का अनुƵान Ǒकया। छोटȣ-मोटȣ कु छ इÍछा हुई और जरा सा ऐसा हो गया। उसने गाँठ बाँध ली Ǒक मेरे पास स×य-संकãप िसǒƨ आ गयी। अरे भाई ! इतने मɅ हȣ संतुƴ हो गये ? साधना मɅ ǽक गये ? िसतारɉ से आगे जहाँ कु छ औरिसतारɉ से आगे जहाँ कु छ औरिसतारɉ से आगे जहाँ कु छ औरिसतारɉ से आगे जहाँ कु छ और भी है।है।है।है। इँक के इàतीहाँ कु छ औरइँक के इàतीहाँ कु छ औरइँक के इàतीहाँ कु छ औरइँक के इàतीहाँ कु छ और भी हɇ।।हɇ।।हɇ।।हɇ।। आगे बढ़ो। यह तो के वल शुǾआत है। थोड़ȣ-सी संसार कȧ लोलुपता कम होने से अÛतःकरण शुƨ होता है। अÛतःकरण शुƨ होता है तो कु छ-कु छ आपके संकãप फिलत होते हɇ। संकãप फिलत हुआ और उसके भोग मɅ आप पड़ गये तो आप ूेम मɅ पड़ जायɅगे। अगर संकãप-फल के भोग मɅ नहȣं पड़े और परमा×मा को हȣ चाहा तो आप ूेम मɅ चढ़ जाओगे। ूेम मɅ पड़ना एक बात है और ूेम मɅ चढ़ना कोई िनराली हȣ बात है।
  • 17. थोड़ȣ बहुत साधना करने से पुÖय बढ़ते हɇ, सुǒवधाएँ आ जाती है, जो नहȣं बुलाते थे वे बुलाने लगɅगे, जो अपमान करते थे वे मान कȧ िनगाहɉ से देखने लगɅगे, ǑकÛतु मनुंय जÛम के वल इसीिलए नहȣं है Ǒक लोग मान से देखने लग जायɅ। ǔजसको वे देखɅगे वह (देह) भी तो ःमशान मɅ जलकर खाक हो जायेगी भाई ! मनुंय जÛम इसिलए भी नहȣं है Ǒक बǑढ़या मकान िमल जाय रहने को। 'हमɅ तो ठाठ से रहना है.....।' यह तो अहंकार पोसने कȧ बात है। न ठाठ से रहना ठȤक है न बाट से रहना ठȤक है, ǔजससे रहने का ǒवचार उ×पÛन होता है वह अÛतःकरण ǔजससे संचािलत होता है उस तǂव को अपने आ×मा के Ǿप मɅ जानना अथा[त ् आ×म-सा¢ा×कार करना हȣ ठȤक है, बाकȧ सब मन कȧ कãपना है। ःवामी रामतीथ[ ने बहुत बǑढ़या बात कहȣ। वे बोलते हɇ- कोई हाल मःतकोई हाल मःतकोई हाल मःतकोई हाल मःत,,,, कोई माल मःतकोई माल मःतकोई माल मःतकोई माल मःत,,,, कोई तूती मैना सूए मɅ।कोई तूती मैना सूए मɅ।कोई तूती मैना सूए मɅ।कोई तूती मैना सूए मɅ। कोई खान मःतकोई खान मःतकोई खान मःतकोई खान मःत,,,, पहरान मःतपहरान मःतपहरान मःतपहरान मःत,,,, कोई राग रािगनी दोहे मɅ।।कोई राग रािगनी दोहे मɅ।।कोई राग रािगनी दोहे मɅ।।कोई राग रािगनी दोहे मɅ।। कोई अमल मःतकोई अमल मःतकोई अमल मःतकोई अमल मःत,,,, कोई रमल मःतकोई रमल मःतकोई रमल मःतकोई रमल मःत,,,, कोई शतरंज चौपड़ जूए मɅ।कोई शतरंज चौपड़ जूए मɅ।कोई शतरंज चौपड़ जूए मɅ।कोई शतरंज चौपड़ जूए मɅ। इक खुद मःती ǒबन और मःतइक खुद मःती ǒबन और मःतइक खुद मःती ǒबन और मःतइक खुद मःती ǒबन और मःत,,,, सब पड़े अǒवƭा कू ए मɅ।।सब पड़े अǒवƭा कू ए मɅ।।सब पड़े अǒवƭा कू ए मɅ।।सब पड़े अǒवƭा कू ए मɅ।। कोई अकल मःतकोई अकल मःतकोई अकल मःतकोई अकल मःत,,,, कोई शÈल मःतकोई शÈल मःतकोई शÈल मःतकोई शÈल मःत,,,, कोई चंचलताई हांसी मɅ।कोई चंचलताई हांसी मɅ।कोई चंचलताई हांसी मɅ।कोई चंचलताई हांसी मɅ। कोई वेद मःतकोई वेद मःतकोई वेद मःतकोई वेद मःत,,,, Ǒकतेब मःतǑकतेब मःतǑकतेब मःतǑकतेब मःत,,,, कोई मÈके मɅ कोई काशी मɅ।।कोई मÈके मɅ कोई काशी मɅ।।कोई मÈके मɅ कोई काशी मɅ।।कोई मÈके मɅ कोई काशी मɅ।। कोई माम मःतकोई माम मःतकोई माम मःतकोई माम मःत,,,, कोकोकोकोई धाम मःतई धाम मःतई धाम मःतई धाम मःत,,,, कोई सेवक मɅ कोई दासी मɅ।कोई सेवक मɅ कोई दासी मɅ।कोई सेवक मɅ कोई दासी मɅ।कोई सेवक मɅ कोई दासी मɅ। इक खुद मःती ǒबन और मःतइक खुद मःती ǒबन और मःतइक खुद मःती ǒबन और मःतइक खुद मःती ǒबन और मःत,,,, सब बंधे अǒवƭा फाँसी मɅ।।सब बंधे अǒवƭा फाँसी मɅ।।सब बंधे अǒवƭा फाँसी मɅ।।सब बंधे अǒवƭा फाँसी मɅ।। कोई पाठ मःतकोई पाठ मःतकोई पाठ मःतकोई पाठ मःत,,,, कोई ठाट मःतकोई ठाट मःतकोई ठाट मःतकोई ठाट मःत,,,, कोई भैरɉ मɅकोई भैरɉ मɅकोई भैरɉ मɅकोई भैरɉ मɅ,,,, कोई काली मɅ।कोई काली मɅ।कोई काली मɅ।कोई काली मɅ। कोई मंथ मःतकोई मंथ मःतकोई मंथ मःतकोई मंथ मःत,,,, कोई पÛथ मःतकोई पÛथ मःतकोई पÛथ मःतकोई पÛथ मःत,,,, कोई Ƴेत पीतरंग लाली मɅ।।कोई Ƴेत पीतरंग लाली मɅ।।कोई Ƴेत पीतरंग लाली मɅ।।कोई Ƴेत पीतरंग लाली मɅ।। कोई काम मःतकोई काम मःतकोई काम मःतकोई काम मःत,,,, कोई खाम मःतकोई खाम मःतकोई खाम मःतकोई खाम मःत,,,, कोई पूरन मɅकोई पूरन मɅकोई पूरन मɅकोई पूरन मɅ,,,, कोईकोईकोईकोई खाली मɅ।खाली मɅ।खाली मɅ।खाली मɅ। इक खुद मःती ǒबन और मःत सब बंधे अǒवƭा जाली मɅ।।इक खुद मःती ǒबन और मःत सब बंधे अǒवƭा जाली मɅ।।इक खुद मःती ǒबन और मःत सब बंधे अǒवƭा जाली मɅ।।इक खुद मःती ǒबन और मःत सब बंधे अǒवƭा जाली मɅ।। कोई हाट मःतकोई हाट मःतकोई हाट मःतकोई हाट मःत,,,, कोई घाट मःतकोई घाट मःतकोई घाट मःतकोई घाट मःत,,,, कोई बन पव[त ऊजाराकोई बन पव[त ऊजाराकोई बन पव[त ऊजाराकोई बन पव[त ऊजारा१ मɅ।मɅ।मɅ।मɅ। कोई जात मःतकोई जात मःतकोई जात मःतकोई जात मःत,,,, कोईकोईकोईकोई पाँत मःतमःतमःतमःत,,,, कोईकोईकोईकोई तात ॅात सुत दारामɅ।मɅ।मɅ।मɅ। कोईकोईकोईकोई कम[ मःतमःतमःतमःत,,,, कोई धम[ मःतकोई धम[ मःतकोई धम[ मःतकोई धम[ मःत,,,, कोई मसǔजद ठाकु रƮारा मɅ।कोई मसǔजद ठाकु रƮारा मɅ।कोई मसǔजद ठाकु रƮारा मɅ।कोई मसǔजद ठाकु रƮारा मɅ। इक खुद मःती ǒबन और मःतइक खुद मःती ǒबन और मःतइक खुद मःती ǒबन और मःतइक खुद मःती ǒबन और मःत,,,, ससससब बहे अǒवƭा धारा मɅ।।ब बहे अǒवƭा धारा मɅ।।ब बहे अǒवƭा धारा मɅ।।ब बहे अǒवƭा धारा मɅ।। कोई साककोई साककोई साककोई साक२ मःतमःतमःतमःत,,,, कोई खाक मःतकोई खाक मःतकोई खाक मःतकोई खाक मःत,,,, कोई खासे मɅ कोई मलमल मɅ।कोई खासे मɅ कोई मलमल मɅ।कोई खासे मɅ कोई मलमल मɅ।कोई खासे मɅ कोई मलमल मɅ। कोई योग मःतकोई योग मःतकोई योग मःतकोई योग मःत,,,, कोई भोग मःतकोई भोग मःतकोई भोग मःतकोई भोग मःत,,,, कोई ǔःथित मɅकोई ǔःथित मɅकोई ǔःथित मɅकोई ǔःथित मɅ,,,, कोई चलचल मɅ।।कोई चलचल मɅ।।कोई चलचल मɅ।।कोई चलचल मɅ।। कोई ऋǒƨ मःतकोई ऋǒƨ मःतकोई ऋǒƨ मःतकोई ऋǒƨ मःत,,,, कोई िसǒƨ मःतकोई िसǒƨ मःतकोई िसǒƨ मःतकोई िसǒƨ मःत,,,, कोई लेन देन कȧ कलकल मɅ।कोई लेन देन कȧ कलकल मɅ।कोई लेन देन कȧ कलकल मɅ।कोई लेन देन कȧ कलकल मɅ। इक खुद मःती ǒबन और मःतइक खुद मःती ǒबन और मःतइक खुद मःती ǒबन और मःतइक खुद मःती ǒबन और मःत,,,, सब फँ से अǒवƭा दलदल मɅ।।सब फँ से अǒवƭा दलदल मɅ।।सब फँ से अǒवƭा दलदल मɅ।।सब फँ से अǒवƭा दलदल मɅ।। कोई ऊकोई ऊकोई ऊकोई ऊÚव[ मःतÚव[ मःतÚव[ मःतÚव[ मःत,,,, कोई अधः मःतकोई अधः मःतकोई अधः मःतकोई अधः मःत,,,, कोई बाहर मɅ कोई अंतर मɅ।कोई बाहर मɅ कोई अंतर मɅ।कोई बाहर मɅ कोई अंतर मɅ।कोई बाहर मɅ कोई अंतर मɅ। कोई देश मःतकोई देश मःतकोई देश मःतकोई देश मःत,,,, ǒवदेश मःतǒवदेश मःतǒवदेश मःतǒवदेश मःत,,,, कोई औषध मɅकोई औषध मɅकोई औषध मɅकोई औषध मɅ,,,, कोई मÛतर मɅ।।कोई मÛतर मɅ।।कोई मÛतर मɅ।।कोई मÛतर मɅ।। कोई आप मःतकोई आप मःतकोई आप मःतकोई आप मःत,,,, कोई ताप मःतकोई ताप मःतकोई ताप मःतकोई ताप मःत,,,, कोई नाटक चेटक तÛतर मɅ।कोई नाटक चेटक तÛतर मɅ।कोई नाटक चेटक तÛतर मɅ।कोई नाटक चेटक तÛतर मɅ।
  • 18. इक खुद मःती ǒबनइक खुद मःती ǒबनइक खुद मःती ǒबनइक खुद मःती ǒबन,,,, और मःतऔर मःतऔर मःतऔर मःत,,,, सब फँ से अǒवƭा जÛतर मɅ।।सब फँ से अǒवƭा जÛतर मɅ।।सब फँ से अǒवƭा जÛतर मɅ।।सब फँ से अǒवƭा जÛतर मɅ।। कोई शुƴकोई शुƴकोई शुƴकोई शुƴ३ मःतमःतमःतमःत,,,, कोई तुƴकोई तुƴकोई तुƴकोई तुƴ४ मःतमःतमःतमःत,,,, कोई दȣरकोई दȣरकोई दȣरकोई दȣरध मɅ कोई छोटे मɅ।ध मɅ कोई छोटे मɅ।ध मɅ कोई छोटे मɅ।ध मɅ कोई छोटे मɅ। कोई गुफा मःतकोई गुफा मःतकोई गुफा मःतकोई गुफा मःत,,,, कोई सुफा मःतकोई सुफा मःतकोई सुफा मःतकोई सुफा मःत,,,, कोई तूंबे मɅ कोई लोटे मɅ।।कोई तूंबे मɅ कोई लोटे मɅ।।कोई तूंबे मɅ कोई लोटे मɅ।।कोई तूंबे मɅ कोई लोटे मɅ।। कोई £ान मःतकोई £ान मःतकोई £ान मःतकोई £ान मःत,,,, कोई Úयान मःतकोई Úयान मःतकोई Úयान मःतकोई Úयान मःत,,,, कोई असली मɅ कोई खोटे मɅ।कोई असली मɅ कोई खोटे मɅ।कोई असली मɅ कोई खोटे मɅ।कोई असली मɅ कोई खोटे मɅ। इक खुद मःती ǒबनइक खुद मःती ǒबनइक खुद मःती ǒबनइक खुद मःती ǒबन,,,, और मःतऔर मःतऔर मःतऔर मःत,,,, सब रहे अǒवƭा टोटे मɅ।।सब रहे अǒवƭा टोटे मɅ।।सब रहे अǒवƭा टोटे मɅ।।सब रहे अǒवƭा टोटे मɅ।। १ उजाड़ ǒबयावान २ ǐरँतेदारȣ ३ खाली, अतृƯ ४ ूसÛनिचƣ ऐसा रहने का हो, ऐसा खाने का हो, ऐसी इÏजत-आबǾ हो ऐसा जीवन हो तो मजा है। I am very happy. I am very lucky. अगले जÛम या इस जÛम का थोड़ा-बहुत Úयान-भजन-जप-तप-पुÖय, जाने अनजाने कोई एकामता फली है तो आप जरा-सा सुखी हɇ, ऐǑहक जगत मɅ सामाÛय जीवन जीनेवालɉ से आपका जीवन थोड़ा ऐश-आरामवाला होगा, जरा ठȤक होगा। इसमɅ अगर आप सÛतुƴ होकर बैठ गये, जीवन कȧ साथ[कता समझकर बैठ गये तो आप अपने पैर पर कु ãहाड़ा मार रहे हɇ, आप कृ ंण का वरण नहȣं करना चाहते हɇ। ǽǔÈमणी के पास राजा कȧ रानी होने का जीवन सामने था। िशशुपाल जैसे राजा थे जो िशशुओं के , बÍचɉ के पालन-पोषण मɅ लगे रहɅ, Ƹी का आ£ा मानɅ, Ƹी के िलए छटपटायɅ ऐसे कामुक लोग ǽǔÈमणी को िमल रहे थे। ूेम मɅ पड़ने के िलए उसके पास पूरा माहौल था लेǑकन ǽǔÈमणीजी ूेम मɅ नहȣं पड़ȣ। वह ूेम मɅ चढ़ना चाहती थी। ऐसे हȣ तुàहारȣ बुǒƨǾपी ǽǔÈमणी संसार कȧ सुǒवधाओं मɅ अगर तÛमय हो जाती है तो वह ǽǔÈमणी िशशुपाल के हाथ चली जायगी। अगर वह बुǒƨǾपी ǽǔÈमणी कृ ंण को हȣ वरना चाहती है, आ×मा को हȣ वरना चाहती है तो Ǒफर ॄƺवेƣा को खोजेगी, छु पकर पऽ देगी। बुǒƨ ǿदयपूव[क ूाथ[ना करेगी और ॄƺवेƣाǾपी ॄाƺण को पऽ देगी Ǒकः 'हे गुǾ महाराज ! मुझे तो चारɉ ओर से िगराने वाले, घसीटने वाले हɇ। आप मेरा सÛदेशा पहुँचा दो। मुझे भगवान हȣ वरɅ, और कोई न वरे। मɇ भगवान के योÊय हूँ और भगवान मेरे िलये योÊय वर हɇ। सच पूछो तो ूाणीमाऽ का योÊय वर तो परमा×मा है, बाकȧ सब गुÔडा-गुÔडȣ है। ǽǔÈमणी का दूसरा अथ[ है ूकृ ित। ूकृ ित का योÊय वर तो पुǾष हȣ है। ूकृ ित के देह को जब हम 'मɇ' मानते हɇ तो हम सब दाढ़ȣ-मूँछवाले ǾǔÈमणी हɇ। कोई दाढ़ȣ-मूँछवाली ǽǔÈमणी तो कोई कम दाढ़ȣ-मूँछवाली ǽǔÈमणी तो कोई ǒबना दाढ़ȣ-मूँछवाली ǽǔÈमणी तो कोई चूǑड़यɉवाली ǽǔÈमणी। हम लोग सब ǽǔÈमणी हɇ अगर ूाकृ ितक शरȣर को 'मɇ' मानकर ूाकृ ितक पदाथ[ पर हȣ आधाǐरत रहते हɇ तो।