1. Screening of adolescents with hearing
impairment after school life
Supervisor
Shri. SANTOSH SIR
PRESENTED BY:
MR. DEEPARAM GURJAR
B.ED. SPL.ed (HI) 4th Sem 2015-17 Batch
2. Introduction:
एक संगठित व्यक्तित्व की पहचान ठिन्न-ठिन्न वातावरण की ठवठिन्न पररक्तथथठतय ं में उसके समाय जनशीलता से की
जाती है। समाय जन व्यक्ति की ठनजी कु शलता और सामाठजक दक्षता क प्रिाठवत करता है।
व्यक्ति का शैठक्षक, व्यावसाठयक, सामाठजक और वैयक्तिक समाय जन राष्ट्र और समाज तथा पररवार के ठलए
लािदायक ह सकता है।
व्यक्ति संतुष्ट् रूप से कायय करे और सही मागयदशयन में कायय करे त प्रगठत में सहायक ह सकता है। यठद उसे अपनी
रुठच, य ग्यता और क्षमता के अनुरूप व्यवसाय ठमलता है त उसे व्यावसाठयक संतुठष्ट् ठमलेगी और वह ठनरंतर प्रगठत की
ओर अग्रसर ह गा।
3. CONTD:
ठकश र बालक/बाठलकाओं में ठवद्यालयी ठशक्षा के दौरान बहुत से शारीररक, मानठसक, सवेगात्मक, तथा सामाठजक
पररवतयन ह ते है एवं उनके अंदर एक संदेहात्मक िाव जागृत ह ता है। ठजसके ठलए उन्हे उठचत मागयदशयन की आवश्यकता
ह ती है।
यह मागयदशयन उनकी क्षमता, शारीररक, मानठसक, सवेगात्मक, तथा सामाठजक स्तर क ध्यान में रखकर ठकया जा सकता
है, ठजसके ठलए उनकी उठचत ठविेदन (Screening) की आवश्यकता ह ती है।
4. Development during Adolescence
ठकश रावथथा जन्म परांत मानव ठवकास की तीसरी अवथथा है ज बाल्यावथथा की समाक्ति के उपरांत
प्रारम्भ ह ती है तथा प्रौढ़ावथथा के प्रारम्भ तक चलती है।
यद्यठप व्यक्तिगत ठविेद ं, जलवायु आठद के कारण ठकश रावथथा की अवठध में कु छ अंतर पाया जाता है
परंतु ठिर िी प्रायः 12 से 18 वर्य की आयु के बीच की अवठध क ठकश रावथथा कहा जाता है।
इस अवथथा में ह ने वाली शारीररक, मानठसक, सामाठजक तथा सवेगात्मक पररवतयन ं क व्यक्तिगत
ठवकास की दृठष्ट् से अत्यंत महत्वपूणय माना जाता है।
ठकश रावथथा क अँग्रेजी में Adolescence कहते हैं ज लैठिन शब्द से ठलया गया है ठजसका अथय
पररपक्वता की ओर बढ़ना है।
शैठक्षक दृठष्ट् से िी ठकश रावथथा क अत्यंत महत्वपूणय माना जाता है।
5. Developmental characteristics of Adolescence
ठकश रावथथा में ह ने वाले शारीररक, मानठसक, सामाठजक, सवेगात्मक तथा नैठतक ठवकास की प्रमुख ठवशेर्ताएँ हैं।
शारीररक एवं मानठसक ठवकास (Physical & Mental Development)
क्तथथरता तथा समाय जन का अिाव (Lack of stability and Adjustment)
घठनष्ठ ठमत्रता (Fast Friendship)
कामशक्ति की पररपक्वता (Maturity in Sex Instinct)
समूह क महत्व (Importance of Group)
स्वतन्त्रता वा ठवद्र ह की िावना (Feeling of Independence and Revolt)
समाज-सेवा की िावना (Faith in God and Religion)
स्वाठिमान की िावना (Feeling of Self Respect)
अपराध प्रवृठत का ठवकास (development of Delinquency)
व्यवसाय की ठचंता (Anxiety forVocation)
6. Education during Adloscence
ठकश रावथथा जीवन का सवायठधक कठिन, महत्वपूणय तथा नाजुक समय ह ता है। ठकश र ं के िावी जीवन ठनमायण की दृठष्ट् से
माताठपता अध्यापक तथा समाज का यह कतयव्य ह जाता है है की वे इस अवथथा में उनके ठलए उपयुि एवं सुठनय ठजत ठशक्षा
की व्यवथथा करें। जैसे-
शारीररक एवं मानठसकठवकास के ठलए ठशक्षा (Education for Physical & Mental Development)
सवेगात्मक ठवकास के ठलए ठशक्षा (Education for Emotional Development)
सामाठजक, धाठमयक तथा नैठतक ठवकास के ठलए ठशक्षा (Education forSocial, Religious and Moral Development)
वैयक्तिक ठविेद ं के ठलए ठशक्षा (Education for Individual Differences)
यौन ठशक्षा (Sex Education)
उपयुि ठशक्षण ठवठधय ं का प्रय ग (Use of ProperTeaching Method)
ठकश र के प्रठत वयस्क जैसा व्यवहार (AdultType Behaviour towards Adolescence)
7. Screening:
स्क्रीठनंग वह प्रठिया है ठजसके द्वारा ठवकासात्मक अवथथा में देरी या अक्षमता क सही ढंग
से वगीकृ त ठकया जाता है।
इससे बच्चे की आवश्यकता की शीघ्र पहचान प्राथठमक चरण में ही ह जाती है, चाहे वह
ठकसी िी संदिय में ह –बीमारी, क ई समस्या या ठिर क ई ठवकलांगता।
स्क्रीठनंग द्वारा व्यक्ति की अक्षमता की संिावना क व्यि जा सकता है।
8. History:
▪ िारत में ठकश रावथथा की संख्या कु ल आबादी का 23% से ज्यादा है (Census, 2000)
▪ ये पूरे ठवश्व की जनसंख्या का एक पांचवा िाग (1/5th ) हैं।
▪ एक अनुमान के अनुसार 13 लाख ठकश र ं की मृत्यु 2015 में हुई। 2012 में ज्यादातर मौत के प्रमुख कारण
सड़क यातायात में च ि, अठनयठमत इलाज थे, लगिग 330 ठकश र ं के हर ठदन मरने की खबर आती है।
▪ ठकश र ं में ह ने वाली मौत ं के अन्य मुख्य कारण एचआईवी, आत्महत्या, कम श्वसन संिमण और पारस्पररक
ठहंसा िी शाठमल हैं।
9. Types of Screening:
1. Child related Employment Screening
2. Aged Care Sector Screening
3. Disability Service Sector Screening
4.Vulnerable Person Employment Screening
5. General Employment integrity Screening
10. Person who do the Screening:
SCREENING
PERSON
DOCTOR
PSYCHOLOGIST
EDUCATORS
MULTISPECIALIST
15. Techniques of Screening
िै के न वगय के अनुसार-
जाँच की जाने वाली दशा की आवृठत
दशा की गंिीरता
प्रिावकारी ठचठकसा की उपलबद्धता
जाँच का समय
दशा का पता लगाने की य ग्यता
शीघ्र पता करने महत्व
जाँच का कम खचीला ह ना
16. Tools for Screening
Sr. No. ScreeningTools Age Duration Prepared By Years
1
Screening tools
prepared by India
Developmental
ScreeningTest
1-15 years J. Bharatraj varma 1978, 1983
2
BASAL - MR 18 year to above Reeta
Peshawariya, D.K
Menon
2000
3 RCPST 12-18 years G. Malar & Som
Krishan
2016
4
Screening tools
prepared byWestern
Countries
VSMS 0-15Years A.j, Molin 1970
5 AGS early screening
Profile
Above 7 years Hairishan et.al
17. Screening checklist for adolescent
with Hearing Impairment
यह जाँच सूची द िाग ं बांिी गई है पहले िाग में कु ल 5 सेक्शन हैं तथा दू सरे िाग में तीन सेक्शन हैं।
Part -I
Section-A
Independent
Living Skills
Section-B
Community
Living Skills
Section –C
Academic
Skills
Section-D
Employability
Section – E
Personal
Characteristics
of the
adolescent
18. Screening checklist for adolescent
with Hearing Impairment
Part -II
Section-A
Choice Favorite
Subjects & Co-
Curricular
Activities
Section-B
Matching Jobs
with images of
suitable tools &
settings
Section –C
Knowledge
Questions
20. Result
बच्चा दैठनक ठियाकलाप स्वतंत्ररूप से कर सकता है तथा अपनी सुरक्षा स्वयं कर सकता है कु छ जगह
दू सर ं की मदद लेता है।
बच्चा घर की व्यवथथा एवं समय का प्रबंधन अच्छी तरह से कर सकता है।
समुदाय में रहकर संचार आंठशक रूप से आठित ह कर एवं व्यवहार कु शलता तथा पैसे का लेनदेन स्वतः
कर सकता है।
बच्चा अभ्यास कु शलता , कायायत्मक साक्षरता, तथा कम्प्युिर कौशल में औसत से ऊपर है।
बालक नवीन ज्ञान लेने , सृजनात्मक कायय करने तथा स्वयं से सीखने में प्रवीण है।
बालक की रुठच वाठणज्य, गठणत, नृत्य, खेलकु द तथा कम्प्युिर मैं है।
बालक का सामान्य ज्ञान िी औसत से उपर है
21. Strategies for promotion of adolescent
A = Adoption of healthy life style
D= Develop appropriate i.e. strategy/ Screening discourage early marriage
O= Organize adolescent/ youth friendly clinic
L= Life skill training, legal support
E= Educate about sexuality, spirituality, responsible parenthood
S= Safe, secure and supportive environment to be provided
C= Counselling / curriculmu in school inclusive of family life education
E= Enable & empower for responsible citizenship
N= Networking for experience sharing
T= Training for income generation, teen clubs
22. Conclusion:
ठकश रावथथा जीवन की सबसे महत्वपूणय अवथथा है ठजसमें सही एवं उठचत मागयदशयन
देकर ठकश र बच्च ं के जीवन क सँवारा जा सकता है। सही एवं उठचत मागयदशयन के ठलए
सही माहौल एवं तकनीठक का प्रय ग ठकया जा सकता है। पररवार के सदस्य ं, माता ठपता
तथा ठवद्यालय के बीच एक सकारात्मक और उत्साहजनक रवैया अपना कर बालक के
िावी जीवन तैयारी की जा सकती है।
23. References:
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Persons with Disabilities in India, Retrieved from
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