पोवारी बोली, मध्य भारत के बालाघाट, भंडारा, गोंदिया और सिवनी जिलों में निवासरत पंवार(पोवार) समाज के द्वारा बोली जाती है और यही उनकी मूल मातृभाषा भी हैं।
2. 2
संपादकीय.......
दोस्तहो......जुलै मयना बारीसको मुख्य मयनामा गिनेव जासे. येन् मयनामा छमछम पळत्
बारीसलक धरती माता हहरवी बाली पेहरेवानी चोवसे. येन् मयनामा कास्तकारीका काम सुरू होसेत. जजत्
उत् धानको रोवना सुरू होसे. या बारीस अन्नदाता कास्तकारला बहुत खुशी देसे. कास्तकार अनाज
पकायस्यान पूरो देशला पालंसे. येव कास्तकार बारीसपर ननर्भर रहेलक बहुतबार पाणीकी कमी त् कयी
बार पूरपाणीलक कास्तकारीको नुकसानबी होसे. असो संकटमाबी कास्तकार सामनेसाल् बारीस साजरी
होये येन् सकारात्मक सोचलक कास्तकारीमा धान पेरंसे. अना परा लिावसे.
कास्तकारकी याच सकारात्मक सोच आदमीला जजवण जिताना प्रेरणा देसे. अशीच सकारात्मक
सोच तुमी आपल्
जीवनमा अपनावो अना आपलो जजवण समृद्ध करो. झुंझुरका माससक याच सकारात्मक सोच
ठेयस्यान पोवारी बाल साहहत्य तुमर् वरी पोवचावनको प्रयास कर रही से. येव बाल साहहत्य तुमला
पसंद आवसे का नही येको असर्प्राय तुमी आमला धाळत जाव.
- िुलाब बबसेन
संपादक - झुंझुरका पोवारी बाल ई माससक
मो. नं. 9404235191
संपादक मंडल
श्री िुलाब बबसेन, संपादक
श्री रणदीप बबसने, उपसंपादक
श्री महेंद्रकु मार पटले, उपसंपादक
श्री महेंद्र रहांिडाले, उपसंपादक
ननसमभती
महेंद्र रहांिडाले
3. 3
शब्दगचत्र कथा – 1
लेखक - िुलाब बबसेन, ससतेपार
मो.नं. 9404235191
श्लोक मा जात होतो. रस्तामा वोला समलेव.
पाऊचमा अना होता. होता.
पाऊचको अंदर सोहम कटरे असो नाव सलखेव होतो. श्लोकन ् शाळामा
(िुरूजी जवर देईस. िुरूजीन ् सोहमला देईन. सोहमन ् श्लोकला
देईस.
(सब बाल वाचक ईनन वरत्या की शब्द गचत्रकथा आपलो मम्मी पप्पा ला बाचक
े देखावो)
4. 4
🌷राधा िवडण 🌷
राधा िवड़न न सकाररच िाई इनको दूध कहाड़ीस।
अना रातीच ओन जिरा र्र दूध को दही जमाईतीस। एक घड़ा मा दूध दूसरों मा दही धररस। डोई पर
कपड़ा की चुंर्र बनाइस् । एक पर एक दुही घड़ा मंडाईस ना वा साकड़ी को बजार ला ननकली।
चलता चलता वा दूध दही बबकश्यानी जो पैसा समलेत, ओकों बीचार करन बसी। "जब मोला
पैसा समलेत ,तब ओन पैसा लक मी कोंबड़ी लेऊ
ं । सब कोंबडी अंडा देयेती, मंि मोरो जवर अहदक कोंबडी
होयेती। उनला बबक
ु न, असो करता करता मोरो जवर मनमानी पैसा जमा होयेती। मंि मी एक मोठो
जात घर लेऊन। सब मोला बबचारेती, तू पोल्ट्री फॉमभ बबकसेस का?? मी डोस्का हलाएकर ,नहीं बाबा
नहीं कहुन।"
अना ओका बबचार चालूच होता , ओन घड़ा को हाथ सोडडस ,ना डोस्की हलाईस। तसो ओको
दूध दही सब जसमनपरा संड ियेव। ना वा रोवन बसी।
✍️सौ छाया पारधी
5. 5
*🌷झिा नवो कोरो🌷*
(अष्टाक्षरी काव्य)
होतो नहान जब मी
तब आनं अजी मोरो |
इस्क
ु लमा जानसाती
मस्त झिा नवो कोरो ||१|
*✍️इंजी. िोवधभन बबसेन "िोक
ु ल"*
िोंहदया (महाराष्र), मो. ९४२२८३२९४१
मस्त झिा नवो देख
होतो टाकत तनमा |
मंि मावत नोहोती
खुशी मोरोच मनमा ||२||
जात होतो इस्क
ु लमा
टाकशानी झिा कोरो |
वहााँ सबको सामने
तोरा रव्हं मस्त मोरो ||३||
िोंहदया (महाराष्र) मो. ९४२२८३२९४१
इस्क
ु लमा लका घर
आऊ
ाँ जब घाईलका |
झिा मोरो र्रजाय
पुरो ननळो शाईलका ||४||
असो पयलो हदवस
रव्् इस्क
ू ल को मोरो |
डाट तब मोला माय
देखकर झिा कोरो ||५||
6. 6
🌷 *मोरी शाळा* 🌷
सुंदर साजरी शाळा मोरी
सबदून लिसे मोला प्यारी
सबजन शाळामा जाबीन
ए बी सी डी सशकबबन
✍️✍️सौ छाया सुरेंद्र पारधी
िणणत की ननकलसे सवारी
िुरुजी आमरा िुणी र्ारी
पायथािोरस ननयम बाचबीन
ए बी सी डी सशकबबन
कायभक्रम की याहा रेलचेल
नाटक नृत्य संिीत को मेल
सवाांिीण ववकास करबबंन
ए बी सी डी सशकबबन
सब िुन की खान या शाळा
लिसे जसो फ
ु लईनको मळा
सशककर सुसशक्षक्षत सब होबबन
ए बी सी डी सशकबबन
शाळा की सर्ती मोठी रंिीत
सुंदर गचत्र ना बजसे संिीत
राष्र िान सब िावबबन
ए बी सी डी सशकबबन
शाळा मा से सुंदर बिीचा
रंि रंिका फ
ु ल सेतं बबछ्या
फ
ु ल सररखा सुिंगधत होबीन
ए बी सी डी सशकबबन
मैदान मा खेलसेजन कबड्डी
अजवरी नहीं तुटी कोनीकी हड्डी
संिठन को महत्व जानबबन
ए बी सी डी सशकबबन
7. 7
*सशष्य की सफलता*
या कथा एक िुरु अना सशष्य की आय।आठ- दस बरस को एक टुरा िुरूजी जौर जासे।
टुरा कसे -"मी तुमरो जौर ज्ञान प्राप्त करन लाइक आई सेव"।
िुरूजी कसे-"ये चार सौ िायी सेती इनला चराव, जब ये हजार होय जाहेती तब मोरो
जौर ज्ञान लाइक आय जाजोस"।
चार सौ िायी इनला हजार होन मा बहुत समय लिे, येतरी मोठी जजम्मेदारी िुरूजी न
वोन दस बरस को टुरा ला दे देइस।
टुरा रोज िायी इनला सकारी चराय क
े हदवस बुढ़ता वावपस िुरु जौर आन लेत होतो।असो
काम ननयम लक काही समय वरी चलन लियो।
एक रोज िुरूजी न सशष्य लक पूनछस -"तोरो टोंड परा तेज चमक रही से, असो लिसे
तोला ज्ञान की प्राजप्त र्य िई से"।
सशष्य न नम्रतालक कहहस-"ज्ञान त िुरु लकच प्राप्त होसे"।
िुरूजी कसेत -वू त ठीक से, पर तोरो टोंड परा ज्ञान वानी तेज हदस रही से। तोला
कोइ न त ज्ञान देई रहे?
सशष्य कसे-"मोला मनुष्य गिन त नही, कोनी और ज्ञान देयी सेत।
वोला काई ज्ञान बइल लक समल्ट्यो, काई ज्ञान हंस लक समल्ट्यो होतो, काई पक्षी गिन
लक, काई ज्ञान पेड़ -पौधा गिनलक समल्ट्यो होतो।
िुरूजी कसेत -"तोला जो ज्ञान समलीसे वू बहुत साजरो से।"
िुरूजी न वोन ज्ञान की पूनतभ साठी जो कवह्नो होतो, वोला र्ी क
ै ह देइस। अन सशष्य
सफल र्य ियो।
*✒️बबंदु बबसेन बालाघाट*
8. 8
बाप
पररवार क् सुखसाती जेव
आपली जजिंदगी ठेवसे गहाण,
बाप पररवार साती रव्हसे
असो इन्सान महान.
- चचरिंजीव बबसेन
बाप आपुन पुराना कपडा
फाटी चप्पल पहहनसे,
पर टुरू पोटू इनकी सब
जरूरत पूरी करसे.
लहानपण बाप बेटा बेटी
साती रव्हसे सुपर हहरो,
वोक् सामने सब लोकईनला
समजसेत वोय झिरो.
बाप पर तसा बहुत कम
कववता या लेख सेती,
माय येतरीच जवाबदारी क्
बादबी होसे मायकीच् आरती.
बाप तसो रव्हसे उपेक्षितच
पहले बी ना बादमा बी,
बाप पेिा मायलाच जादा
मानसेत बेटा बेटी बी.
9. 9
गचऊताई
गचऊताई गचऊताई
वपल्ट्लाईन कर देख
चराव तु दानापानी
कर जरा देख रेख
चारो आण गचऊताई
जाए दरदर फफरं
एक एक कण दाना
वा चोचमा जमा कर
िोदा मा लहान वपल्ट्लु
बाट मायकी देखत
आहाट समली मायकी
चोच फाळत रेखत
गचऊताई खवावसे
चोचलका मंि दाना
लहान लहान वपल्ट्लू
फ
ु टेव प्रेमको पान्हा
जसी माय लेकरुला
चराव प्रेमको घास
मोटो होयपर राखो
मायबापको च ध्यास
******
श्री डी.पी.राहांिडाले
िोंहदया
10. 10
*अना पानी आयेव*
बबना रेनकोट 'ना छत्री बाहेर जाऊ
ॅं सोचेव
अना पानी आयेव
मुहूनस्यारी दुही खुटीला दुहीनला खोचेव
अना पानी आयेव ||
वपचवपच रस्ता, वपचवपच माती
पाय बबचारा, फफसलत जाती
कपड़ा डोईपर मातीको णखलपाला नोचेव
अना पानी आयेव ||५||
***********
डॉ. प्रल्ट्हाद हररणखेडे 'प्रहरी'
डोंिरिाव/ उलवे, नवी मुंबई
बाहेर हहटेव तं, तपन हहटीती
संिीइन की, कलपी डटीती
ईस्क
ू ल जानको बेरा अधो रस्तापर पोहोचेव
अना पानी आयेव ||१||
संिीसंिमा, अधाभ ओला
ईस्क
ू ल पोहोच्या, बरफका िोला
बंद छत्री को डंडा मोरो क
ु हूंिाला टोचेव
अना पानी आयेव ||२||
**************
ओली फकताबी, ओलीच पाटी
होमवक
भ बबन, खायेव डाटी
फफज िया उत्तर हदसेव मोला टेकरपर को देव
अना पानी आयेव ||३||
सुटेव ईस्क
ू ल, उचल्ट्या बस्ता
अधो अंतर, िाठ्या रस्ता
सुटमूंडामा संिी इनला जसो धर दबोचेव
अना पानी आयेव ||४||
****
12. 12
िोंहदया (महाराष्र) मो. ९४२२८३२९४१
*चल जाबीन शाळा मां*
-
रणदीप बबसने
चल जाबीन शाळा मां
नोको करूस आळस
सशक्षण जरूरी से बंडू
जीवन होये िा सालस.....
िुरू ससकावसेती िुण
मजबूत बनन र्ववष्य
झटक आळस मन को
सुंदर बनें ना आयुष्य ......
शाळा मां बनसेती संिी
मन बनसे खुलो संपूणभ
मन मां सुचसेती कल्ट्पना
जीवन बनसे ववस्तीणभ .....
र्ेटसे नवो ज्ञान ववज्ञान
समृद्धी आवसे जीवन मां
समस्या जो र्ी आयेती
उत्तर सहज सूचे मन मां.....
अ ब क ड से सुरूवात
अक्षरज्ञान को से महहमा
संस्कार सशक्षण का मोठा
उज्वल नाव होये सही मां......
माय बाप संि िुरूजी बी
जीवन संस्कार मां थोर
शाळा मां जाये परा र्ेटेती
सब प्रश्नइनक
ं खरो उत्तर.....
13. 13
*लहानपण की समस्या*
===============
वु जमानो अलग होतो जब तुकाराम महाराज न् कही होतीस, "लहानपण देगा देवा." बहुतस्
महापुरूष इनन् बी लहानपण की महहमा गायी सेन.पर आब् या बात गलत साबबत होय रही से.आब् का टुरा
लहानपण खोय बस्या सेती. उनक् काम को व्याप ना पढाई को बोिो देखकर लगसे, नही पाहहजे येव बचपन.
सकारी उठेव पासून रात्री सोवत वोरी कईप्रकार का क्लास, स्क
ू ल की पढाई, परसेंटेज को भूत,
क्लास मा पहहलो आवनको टेंिन ये सब देखकर लगसे लहान टुरूइनको बालपण कहीतबी खतम होय रही
से.उनक् जवर खेलनसाती समयच नाहाय. एकदम तीन सालक् टुरालाबी वोकी माय दटकारक
े पढाई ना होमवक
ग
करन लगावसे, तब लगसे बच्चाइनको बचपन गायब भय गयी से. कोरोना मा आनलाईन क्लास मा स्क
ू ल करल्
मोबाईलपर प्राप्त सूचनानुसार अभ्यास लेसे, तब लगसे नही पाहहजे बचपन.
टुराईनको बचपन स्क
ू ल की पढाई ना मोबाइल मा दबकर गायब भय गयी से. अना अत्यचधक
स्पधाग क् कारण अनखी दबन की सिंभावना से. येन अत्यचधक स्पधाग ल् उनला काहीतबी हदलासा भेटे पाह्यजे
असो कव्हन् की इच्छा होसे.
-गचरंजीव बबसेन
िोंहदया
14. 14
चल इस्कु ल
जल िा जाबीन इस्क
ू ल
ज्ञानाजभन साठी
अमृततुल्ट्य साधना
पेजन्शल दफ्तर पाटी
शेषराव वासुदेव येळेकर
ससंदीपार जजल्ट्हा र्ंडारा
मां सरस्वती की साधना
ज्ञान को आशीवाभद
अ आ इ A B C D
अक्षर शब्द को नाद
िुरू को छाव मां
कला ज्ञान र्ाव ववकास
उत्कषभ से प्रिती पथ
ज्ञानाजभन एकच ध्यास
बेंच,फळा,फक्रडांिण
नया नया सोबती
सशस्त, सुशासन, सशक्षा
ज्ञान िुंज अवती र्ोवती
ववद्या को आलंबन
तोडो मन को आलस
िुरू शरण मां जायक
े
र्रो तन,मन मा साहस