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Subtitle-1- सर्व शिक्षा अशियान
2-कस्तूरबा गााँधी बाशिका वर्द्यािय
3- धर्वननरपेक्षता
 सर्व शिक्षा अशियान भारत सरकार का एक प्रमुख कार्यक्रम है, जिसकी
शुरूआत (2001-02) मे अटल बिहारी िािपेर्ी द्वारा एक निजचित
समर्ावधि के तरीके से प्राथममक मशक्षा के सावयभौममकरण को प्राप्त करिे
के मलए ककर्ा गर्ा, िैसा कक भारतीर् संवविािके 86वें संशोिि द्वारा
निर्देमशत ककर्ा गर्ा है जिसके तहत 6-14 साल के िच्िों (2001 में 205
मममलर्ि अिुमानित) की मुफ्त और अनिवार्य मशक्षा के प्राविाि
को मौमलक अधिकार ििार्ा गर्ा है। इस कार्यक्रम का उद्र्देचर् 2010
तक संतोषजनक गुणर्त्ता र्ािी प्राथशर्क शिक्षा के सावयभौममकरण को प्राप्त
करिा है। एसएसए (SSA) में 8 मुख्र् कार्यक्रम हैं। इसमें आईसीडीएस
(ICDS) और आंगिवाडी आदर्द शाममल हैं। इसमें के िीिीवीवाई (KGBVY) भी
शाममल है। कस्तूरिा गांिी िामलका ववद्र्ालर् र्ोििा की शुरूआत 2004
में हुई जिसमें सारी लडककर्ों को प्राथममक मशक्षा र्देिे का सपिा र्देखा गर्ा,
िार्द में र्ह र्ोििा एसएसए के साथ ववलर् हो गई।
पृष्ठिूशर्
2003 तक सभी स्कू ल में हों।
 2007 तक प्राथममक मशक्षा का 5 साल पूरा करिा और
2010 तक स्कू ली
मशक्षा का 8 साल पूरा करिा।
 संतोषििक गुणवत्ता और िीवि के मलए मशक्षा पर िल र्देिा।
 2010 तक प्रारंमभक स्तर पर सभी लैंधगक और सामाजिक
अंतर को समाप्त करिा।
 वषय 2010 तक सावयभौममक प्रनतिारण।
 िीवि के मलए मशक्षा पर िल र्देते हुए संतोषििक गुणवत्ता
में प्रारंमभक मशक्षा पर िोर र्देिा।
उपिब्धधयााँ
इस कार्यक्रम िे गांव स्तर पर महत्वपूणय उपलजधिर्ां
हामसल की है। 2004 में भारत के कई गांवों को शाममल
ककर्ा गर्ा और प्रारंमभक मशक्षा कें द्र खोले गए।
र्दक्षक्षण भारत के तममलिाडु राज्र् में, एक गांव है जिसका
िाम सतिाथापुरम है (शहर: मसकायझी) िो कक
िागपट्दटिम जिले में जस्थत है, र्े एक ऐसा गांव हैं िहां
पहली िार इस कार्यक्रम को सफलतापूवयक लागू ककर्ा गर्ा
था।
सभी के मलए मशक्षा के साथ राज्र् सरकार की सहार्ता में
गरीि िच्िों के मलए र्दोपहर भोिि र्ोििाओं के िलते साक्षरता
र्दर में उल्लेखिीर् प्रगनत को र्देखा गर्ा।
के ब्रित क्षेत्र
सर्व शिक्षा अशियान र्ें ननजी क्षेत्र की िूशर्का
के ब्रित क्षेत्र (फोकस एररया)
संस्थागत सुधार
सवय मशक्षा अमभर्ाि के एक भाग के रूप में राज्र्ों में संस्थागत
सुिार ककए िाएंगे। राज्र्ों को अपिी मौिूर्दा शैक्षक्षक पद्िनत का
वस्तुपरक मूल्र्ांकि करिा होगा जिसमें शैक्षक्षक प्रशासि, स्कू लों
में उपलजधि स्तर, ववत्तीर् मामले, ववके न्द्द्रीकरण तथा सामुर्दानर्क
स्वाममत्व, राज्र् मशक्षा अधिनिर्म की समीक्षा, मशक्षकों की
निर्ुजतत तथा मशक्षकों की तैिाती को तकय सम्मत ििािा,
मॉिीटररंग तथा मूल्र्ांकि, लडककर्ों, अिुसूधित िानत/अिुसूधित
िििानत तथा सुवविाववहीि वगो के मलए मशक्षा, नििी स्कू लों
तथा ई.सी.सी.ई. संिंिी मामले शाममल होगें। कई राज्र्ों में
प्रारंमभक मशक्षा प्रर्दाि करिे की व्र्वस्था में सुिार के मलए
संस्थागत सुिार भी ककए गए हैं।
सतत वर्त्त पोषण - सवय मशक्षा अमभर्ाि इस तथ्र् पर आिाररत है कक
प्रारंमभक मशक्षा कार्यक्रम का ववत्त पोषण सतत् िारी रखा िाए। के न्द्द्र
और राज्र् सरकारों के िीि ववत्तीर् सहभाधगता पर र्दीियकालीि पररप्रेक्ष्र्
की अपेक्षा है।
सार्ुदानयक स्र्ाशर्त्र् - इस कार्यक्रम के मलए प्रभावी ववके न्द्द्रीकरण के
िररए स्कू ल आिाररत कार्यक्रमों में सामुर्दानर्क स्वाममत्व की अपेक्षा है।
मदहला समूह, ग्राम मशक्षा सममनत के सर्दस्र्ों और पंिार्तीराि
संस्थाओं के सर्दस्र्ों को शाममल करके इस कार्यक्रम को ि़ाार्ा िाएगा।
संस्थागत क्षर्ता ननर्ावण - सवय मशक्षा अमभर्ाि द्वारा राष्ट्रीर् शैक्षक्षक
र्ोििा एवं प्रशासि संस्थाि/ राष्ट्रीर् मशक्षक मशक्षा पररषद्/राज्र्
शैक्षक्षक अिुसंिाि व प्रमशक्षण पररषद्/सीमेट (एस.आई.ई.एम.ए.टी.)
िैसी राष्ट्रीर् एवं राज्र्स्तरीर् संस्थाओं के मलए क्षमता निमायण की
महत्वपूणय भूममका की पररकल्पिा की गर्ी है। गुणवत्ता में सुिार के
मलए ववशषज्ञों के स्थार्ी सहर्ोग वाली प्रणाली की आवचर्कता है।
िैक्षक्षक प्रिासन की प्रर्ुख धारा र्ें सुधार - इसमें संस्थागत ववकास, िर्ी
पहल को शाममल करके और लागत प्रभावी और कु शल पद्िनतर्ां अपिाकर
शैक्षक्षक प्रशासि की मुख्र् िारा में सुिार करिे की अपेक्षा है।
पूणव पारदशिवता युक्त सार्ुदानयक ननरीक्षण - इस कार्यक्रम में समुर्दार्
आिाररत पद्िनत अपिार्ी िार्ेगी। शैक्षक्षक प्रिंि सूििा पद्िनत, माइक्रो
र्ोििा और सवेक्षण से समुर्दार् आिाररत सूििा के साथ स्कू ल स्तरीर्
आंकडों का संिंि स्थावपत करेगा। इसके अनतररतत प्रत्र्ेक स्कू ल एक िोदटस
िोडय रखेगा जिसमें स्कू ल द्वारा प्राप्त ककर्े गए सारे अिुर्दाि और अन्द्र् धर्ौरे
र्दशायए िाएंगे।
योजना इकाई के रूप र्ें बस्ती - सवय मशक्षा अमभर्ाि आर्ोििा की इकाई के
रूप में िस्ती के साथ र्ोििा ििाते हुए समुर्दार् आिाररत दृजष्ट्टकोण पर कार्य
सर्ुदाय के प्रनत जर्ाबदेही - सवय मशक्षा अमभर्ाि में मशक्षकों,
अमभभावकों और पंिार्तीराि संस्थाओं के िीि सहर्ोग तथा िवािर्देही
एवं पारर्दमशयता की पररकल्पिा की गर्ी है।
िड़ककयों की शिक्षा - लडककर्ों ववशेषकर अिुसूधित िानत एवं
अिुसूधित िििानत की लडककर्ों की मशक्षा, सवय मशक्षा अमभर्ाि का
एक प्रमुख लक्ष्र् होगा।
वर्िेष सर्ूहों पर ध्यान - अिुसूधित िानत, अिुसूधित िििानत,
िाममयक एवं भाषाई अल्पसंख्र्कों, वंधित वगो के िच्िों और ववकलांग
िच्िों की शैक्षक्षक सहभाधगता पर ववशेष ध्र्ाि दर्दर्ा िाएगा।
पररयोजना पूर्व चरण - सवय मशक्षा अमभर्ाि पूरे र्देश में सुनिर्ोजित रूप
से पररर्ोििापूवय िरण प्रारम्भ करेगा िो ववतरण और निरीक्षण
(मॉिीटररंग) पद्िनत को सुिार कर क्षमता ववकास के कार्यक्रम
िलाएगा।
गुणर्त्ता पर बि देना - सवय मशक्षा अमभर्ाि पाठ्र्िर्ाय में सुिार करके
तथा िाल के जन्द्द्रत कार्यकलापों और प्रभावी मशक्षण पद्िनतर्ों को
अपिाकर प्रारंमभक स्तर तक मशक्षा को उपर्ोगी और प्रासंधगक ििािे
पर ववशेष िल र्देता है।
शिक्षकों की िूशर्का - सवय मशक्षा अमभर्ाि, मशक्षकों की महत्वपूणय
भूममका को स्वीकार करता है और उिकी ववकास संिंिी आवचर्कताओं
पर ध्र्ाि र्देिे का समथयि करता है। प्रखंड संसािि के न्द्द्र/सामूदहक
संसािि के न्द्द्र की स्थापिा, र्ोग्र् मशक्षकों की निर्ुजतत, पाठ्र्िर्ाय से
संिंधित सामग्री के ववकास में सहर्ोग के िररर्े मशक्षक ववकास के
अवसर, मशक्षा संिंिी प्रकक्रर्ाओं पर ध्र्ाि र्देिा और मशक्षकों के
एतसपोिर र्दौरे, मशक्षकों के िीि मािव संसािि को ववकमसत करिे के
उद्र्देचर् से तैर्ार ककए िाते हैं।
ब्जिा प्रारब्भिक शिक्षा योजनाएाँ - सवय मशक्षा अमभर्ाि के कार्य ढााँिे के
अिुसार प्रत्र्ेक जिला एक जिला प्रारजम्भक मशक्षा र्ोििा तैर्ार करेगा
िो संके दद्रत और समग्र दृजष्ट्टकोण से र्ुतत प्रारजम्भक मशक्षा के क्षेत्र में
ककए गए सभी निवेशों को र्दशायएगा।
ब्जिा प्रारंशिक शिक्षा योजना - सवय मशक्षा अमभर्ाि ढााँिा के अिुसार
प्रत्र्ेक जिला प्रारंमभक मशक्षा के क्षेत्र में समग्र एवं के जन्द्द्रत दृजष्ट्टकोण के
साथ, निवेश ककर्े िािे वाले और उसके मलए िरूरी रामश को प्रर्दमशयत
करिे वाली एक जिला प्रारंमभक मशक्षा र्ोििा तैर्ार करेगी। र्हााँ एक
प्रत्र्क्ष र्ोििा होगी िो र्दीर्ायवधि तक सावयभौममक प्रारंमभक मशक्षा के
लक्ष्र् को प्राप्त करिे की गनतववधिर्ों को ़ाााँिा प्रर्दाि करेगा। उसमें
एक वावषयक कार्यर्ोििा एवं ििट भी होगा जिसमें सालभर में
प्राथममकता के आिार पर संपादर्दत की िािे वाली गनतववधिर्ों की सूिी
होंगी। प्रत्र्क्ष र्ोििा एक प्रामाणणक र्दस्तावेि होगा जिसमें कार्यक्रम
कार्ायन्द्वर्ि के मध्र् में निरन्द्तर सुिार भी होगा।
वर्त्तीय प्रनतर्ानक
1.) सवय मशक्षा अमभर्ाि के अन्द्तगयत निर्ुतत ककए गए मशक्षकों के वेति
में के न्द्द्र सरकार और राज्र् सरकार की भागीर्दारी िौवीं र्ोििा अवधि
के र्दौराि 85:15 के अिुपात में, र्दसवीं र्ोििा अवधि के र्दौराि 75:25
के अिुपात में तथा इसके िार्द 50:50 के अिुपात में होगी।
2.) िाह्र् सहार्ता प्राप्त पररर्ोििाओं के संिंि में ककए गए सभी
ववधिक समझौते लागू रहेंगे, िितक कक ववर्देशी निधिर्ां प्रर्दाि करिे
वाली एिेंसी से वविार-ववमशय करके इसमें कोई ववमशष्ट्ट संशोिि करिे
पर सहमनत िहीं हो िाती।
3.) ववभाग की मौिूर्दा र्ोििाएं राष्ट्रीर् मशक्षक मशक्षा पररषद् के अलावा
िौवीं र्ोििा में ममला र्दी िाएंगी। प्राथममक मशक्षा की राष्ट्रीर् पोषाहार
सहार्ता कार्यक्रम र्ोििा (मध्र्ाह्ि भोिि र्ोििा) एक ववमशष्ट्ट
र्ोििा के रूप में कार्म रहेगी जिसमें खाद्र्ान्द्ि एवं र्ातार्ात की
लागत के न्द्द्र सरकार द्वारा वहि की िाएगी तथा भोिि पकािे की
1.)जिला मशक्षा र्ोििा अन्द्र् िातों के साथ-साथ र्ह स्पष्ट्ट रूप से
र्दशायती है कक िवाहर रोिगार र्ोििा, प्रिािमंत्री रोिगार र्ोििा,
सुनिजचित रोिगार र्ोििा, सांसर्द/वविार्क के मलए क्षेत्रीर् निधिर्ां,
राज्र् र्ोििा िैसी र्ोििाएं तथा ववर्देशी निधिर्ां तथा गैर सरकारी
क्षेत्र में िुटाए गए संसािि के अन्द्तगयत ववमभन्द्ि र्टकों से निधि /
संसािि उपलधि ककए िाते हैं।
2.)स्कू लों के स्तर में वृद्धि, रखरखाव, मरम्मत तथा अध्र्र्ि-
अध्र्ापि उपस्करों तथा स्थािीर् प्रिंिि के मलए प्रर्ोग की िािे
वाली सभी निधिर्ां ग्रामीण मशक्षा सममनत /स्कू ल प्रिंिि सममनत को
हस्तांतररत कर र्दी िाएंगी।
नििःशुल्क और अनिवार्य िाल मशक्षा अधिकार का
अधिनिर्म २००९ और इस अधिनिर्म के अन्द्तगयत ििाए
गए नििःशुल्क और अनिवार्य िाल मशक्षा का अधिकार
निर्म-२०११ के तहत ् राज्र् सरकार एवं स्थािीर् निकार्ों
का र्ह संवैिानिक र्दानर्त्व है कक ६-१४ वषय के सभी
िच्िे अनिवार्य रूप से शाला में र्दिय हों, शाला में
निर्ममत उपजस्थनत रहे तथा सभी िच्िे न्द्र्ूितम ् ८ वीं
स्तर की गुणवत्तार्ुतत मशक्षा अवचर् पूणय करें। इस कािूि
को सफलतापूवयक कक्रर्ाजन्द्वत करिे के मलए र्ह आवचर्क
है कक लक्षक्षत आर्ु वगय समूह के सभी िच्िों को धिजन्द्हत ्
ककर्ा िाए तथा सभी िच्िों के संिंि में उपरोततािुसार
• मशक्षा की दृजष्ट्ट से वंधित तिकों की िामलकाओं को मशक्षा के
अवसर उपलधि करािा।
• िालक िामलकाओं के िीि मशक्षा की दृजष्ट्ट से अंतर को समाप्त
करिा।
• िामलकाओं को प्रारंमभक स्तर तक की मशक्षा उपलधि करािे के
मलए आवासीर् ववद्र्ालर् की स्थापिा करिा।
• इि ववधिर्ालर्ो का उद्र्देचर् वंधित वगों की उि िामलकाओं को
िोडिा है, िो कदिि पररस्थनतर्ों और र्दुगयमवास स्थािों में रहते
हुए ककसी भी कारणवश (र्था सामाजिक, पाररवाररक आदर्द)
ववधिर्ालर्ो िही िा सकी अथवा जििकी आर्ु कक्षा में
अध्र्र्ि अन्द्र् िामलकाओं से अधिक हो िुकी है।
• ४७ जिलों के २०७ ववकासखण्डों में कस्तूरिा गााँिी िामलका
ववद्र्ालर्।
• पूवय से संिामलत माध्र्ममक ववद्र्ालर् में १००/१५०/२००
िामलकाओं के मलए आवासीर् सुवविा।
• आवासीर् व्र्वस्था के मलए हॉस्टल निमायण।
• अस्थार्ी व्र्वस्था हेतु शासकीर्/ककरार्े के भवि की
व्र्वस्था।
• वाडयि, सहार्क वाडयि, लेखापाल-निर्ुजतत जिला स्तर से
• मदहला रसोइर्ा, िौकीर्दार, अंशकामलक स्वीपर-निर्ुजतत शाला
प्रिंिि सममनत द्वारा
• व्र्ावसानर्क मशक्षा के मलए अंशकामलक मशक्षक्षक-निर्ुजतत
शाला प्रिंिि सममनत द्वारा
• ७५ प्रनतशत िामलकार्ें अिुसूधित िानत, िििानत, वपछडा
वगय, अल्पसंख्र्क समुर्दार् से।
• २५ प्रनतशत िामलकार्ें गरीिी रेखा के िीिे के पररवारों
से।
• ववकलांग िामलकाओं को प्राथममकता।
• कस्तूरिा गांिी िामलका आवासीर् ववद्र्ालर्ों में भी प्रर्देश
सरकार िे अि अल्पसंख्र्क एिेंड लागू कर दर्दर्ा है।
• आवासीर् बिि कोसय में र्दिय ऐसी िामलकार्ें िो कक्षा ५वीं
में र्दिय होिे र्ोग्र् हों।
• ५वीं तक की आश्रम शालाओं से ६ि ं में आिे वाली
िामलकार्ें।
• प्राथममक स्तर पर उि ग्रामों की िामलकाएाँ िहााँ 1
कक.मी.टी पररधि में प्राथममक सुवविा उपलधि िहीं है।
• ऐसे ग्राम िहााँ ३ कक.मी. की पररधि में कोई माध्र्ममक
शाला सुवविा उपलधि िहीं है, की िामलकाओं को माध्र्ममक
स्तर के मलए।
• नििःशुल्क आवास
• नििःशुल्क भोिि
• पिि-पािि एवं शैक्षणणक सामग्री
• गणवेश, पाठ्र्पुस्तकें
• िामलकाओं की व्र्जततगत आवचर्कता की
सामग्री
• वृवत्तका
• व्र्ावसानर्क मशक्षा
• स्वास्थ्र् परीक्षण
• खेलकू र्द की सामग्री
• पुस्तकालर्
• अिुसूधित िानत, िििानत की िामलकाओं को
छात्रवृवत्त शाला से।
• प्रत्र्ेक कस्तूरिा गााँिी िामलका ववद्र्ालर्/िामलका
छात्रावास की वाडयि द्वारा नििायररत प्रपत्र में िािकारी
प्रनतमाह जिला मशक्षा के न्द्द्र को भेिी िाएगी तथा 1 प्रनत
सीिे राज्र् मशक्षा के न्द्द्र को भेिी िार्ेगी।
• सहार्क पररर्ोििा समन्द्वर्क (िेण्डर) का र्ह र्दानर्त्व
होगा कक वह िािकारी का परीक्षण करी सही िािकारी
राज्र् स्तर पर भेिें। त्रुदटपूणय िािकारी के मलए संिंधित
सहार्क पररर्ोििा समन्द्वर्क (िेण्डर) उत्तरर्दार्ी
होंगे/होंगी।
धर्वननरपेक्षता
धर्वननरपेक्षता, परथननरपेक्षता र्ा सेक्युिरर्ाद िाममयक
संस्थािों व िाममयक उच्िपर्दिाररर्ों से सरकारी संस्थािों व राज्र्
का प्रनतनिधित्व करिे हेतु शासिार्देमशत लोगों के पृथतकरण
का मसद्िान्द्त है। र्ह एक आिुनिक राििैनतक एवं संवविािी
मसद्िान्द्त है। िमयनिरपेक्षता के मूलत: र्दो प्रस्ताव है
1) राज्र् के संिालि एवं िीनत-नििायरण में मिहि (रेमलिि) का
हस्तक्षेप िहीं होिी िादहर्े।
2) सभी िमय के लोग कािूि, संवविाि एवं सरकारी िीनत के आगे
समाि है।
छद्र् धर्वननरपेक्षता
छद्र् धर्वननरपेक्षता का अथय िमयनिरपेक्ष होिे का स्वांग करते हुए
व्र्वहार में मिहि-सापेक्ष निणयर्, िीनतर्ााँ और कार्य करिा है।
इस शधर्द का उपर्ोग वे समूह करते हैं िो र्दूसरों द्वारा मिहि के
आिार पर र्दोहरी िीनत अपिािे ववरोि करते हैं। र्ह इसका
सवयप्रथम र्दिय उपर्ोग एंथोिी एजल्न्द्ि ममटि िे अपिी पुस्तक
'Philosphy of RSS for Hind Swarajya' में ककर्ा था। छर्दम िमय
निरपेक्षता रािनिनतक र्दलों के द्वारा प्रनतपादर्दत शधर्द है।
धर्वननरपेक्ष राज्य
एक धर्वननरपेक्ष राज्य िमयनिरपेक्षता की एक अविारणा है, जिसके
तहत एक राज्र् र्ा र्देश स्वर्ं को िाममयक मामलों में आधिकाररक
तौर पर, ि िमय और ि ही अिमय का समथयि करते हुए, तटस्थ
र्ोवषत करता है। परंतु भारतीर् वाङ्मर् में िमय शधर्द का अथय
अत्र्ंत व्र्ापक है। कतयव्र्, आिारसंदहता, निर्म, रीनत, रस्म,
सांप्रर्दानर्क आिार वविार, िैनतक आिरण, मशष्ट्टािार आदर्द का
समावेश एक शधर्द "िमय" में ही हो िाता है। िमय का अथय
िीविप्रणाली भी मािा गर्ा है। सेतर्ुलर शधर्द का दहंर्दी अिुवार्द
करिा र्दुष्ट्कर प्रतीत होता है, तथावप उसके मलए कोई शधर्द रखिा
अत्र्ावचर्क है।
सेतर्ुलर शधर्द का कु छ ममलता-िुलता र्ा अिुवार्द "लौककक" हो
सकता है। सेतर्ुलर के मलए लौककक शधर्द दहंर्दी में प्रिमलत है।
वास्तव में सेतर्ुलर शधर्द के मलए दहंर्दी में अभी कोई उपर्ुतत
शधर्द िहीं निकल पार्ा है। कालांतर में शधर्द अपिा रूप तथा
भाव पकड लेते हैं। अतएव िमयनिरपेक्ष तथा लौककक शधर्द का
प्रर्ोग सेतर्ुलर के मलए र्हााँ ककर्ा गर्ा है।
पररचय
िमयनिरपेक्ष ककं वा लौककक राज्र् में ऐसे राज्र् की कल्पिा की
गई हैं, िो सभी िमों तथा संप्रर्दार्ों का समाि आर्दर करता है।
सिको एक समाि फलिे और फू लिे का अवसर प्रर्दाि करता
है। राज्र् ककसी िमय अथवा संप्रर्दार्ववशेष का पक्षपात िहीं
करता। वह ककसी िमयववशेष को राज्र् का िमय िहीं र्ोवषत
करता। प्रार्: ववचव के सभी मुसमलम राज्र्ों िे अपिे आपको
इस्लाममक राज्र् र्ोवषत ककर्ा है। िमाय िे अपिा राििमय
िौद्ििमय र्ोवषत ककर्ा है।
बिटेि िैसे र्देश में वहााँ के संवविाि के अिुसार राज्र् का एक
िमयववशेष से संिंि है। वह ईसाई िमय के एक संप्रर्दार् "ििय
ऑव इंग्लैंड से" संिंधित है। कफर भी वहााँ के लोग िमयनिरपेक्ष
भाव से अपिा लोकतंत्र तथा शासि िलाते हैं।
सदहष्ट्णुता िमयनिरपेक्ष राज्र् की आिारमशला है। भारत सिाति
काल से िाममयक ववषर्ों में सहिशीलता, उर्दारता, उर्दात्त वविार एवं
िीनत का आश्रर् लेता आर्ा है। र्ह िमयनिरपेक्ष राज्र् का एक पहलू
कहा िा सकता है। उसका उसे संपूणय रूप िहीं कह सकते। इसके
ववपरीत सोििे पर र्देश की राष्ट्रीर्ता के स्थाि पर िमयववशेष की
राष्ट्रीर्ता, र्था दहंर्दू राष्ट्रीर्ता, मुसमलम राष्ट्रीर्ता, मसख राष्ट्रीर्ता,
ककं वा िौद्ि राष्ट्रीर्ता का वविार करिा पडेगा। ऐसी जस्थनत में
भारतीर् राष्ट्रीर्ता, िमयि राष्ट्रीर्ता, अमरीकि राष्ट्रीर्ता के वल
िाम मात्र की िीिें रह िाएाँगी।
संकीणय राष्ट्रीर्ता पुरािे िमािे की िातें हो गई हैं। उिका मेल
आिुनिक िगत् से िहीं खाता। वे वपछडे और पुरािे िमािे के
ितशे कहे िाएाँगे।
र्ह िारणा कक िमयनिरपेक्ष राज्र् का मसद्िांत िमय के ववरुद्ि है,
गलत है। इसका र्ह भी अथय िहीं है कक िमयनिरपेक्ष राज्र् के
निवासी िमय के प्रनत उर्दासीि हो िाएाँ, अथवा उसे त्र्ाग र्दें। उसका
सरल अथय र्ह है कक िमय को र्दैनिक सामाजिक, राििीनतक तथा
इनतहास
19वीं शताधर्दी में होली ओक िे इस प्रसंग में िहुत कु छ मलखा है।
वे लौककक आंर्दोलि के प्रवतयक थे। उिकी पुस्तक "ओररजिि ऐंड
िेिर ऑव मसतर्ुलररज्म" ववचव के ककसी पुस्तकालर् में प्राप्र् िहीं
है। उिकी अन्द्र् पुस्तकें तथ लेख ममलते हैं। उिके आिार पर
उिके वविारों के ववषर् में ववनिजचित ककर्ा िा सकता है। ईसाई
समाि के एक वगय िे उिके मसद्िांतों को िमयववरोिी मािा था।
उिकी िहुत सी पुस्तकें असदहष्ट्णुता की वेर्दी पर िमयप्राण ईसाइर्ों
द्वारा फूं क र्दी गई थीं।
उन्द्होंिे सवयप्रथम सि् 1846 ई. में लौककक वविारिारा को िगत्
के सम्मुख रखा। इसी समर् कालय मातसय िे सि् 1848 ई. के
र्ोषणपत्र निकालकर समािवार्दी वविार ववचव को दर्दर्ा। एक ही
काल में, एक ही र्देशस्थाि से र्दो वविारिाराएाँ ववचव के सम्मुख
आई। रूस िे समािवार्दी वविारिारा का र्दर्द सफल प्रर्ोग करिे
श्री ओक िे सि् 1860 में कहा था लौकककवार्द ि तो िमयशास्त्र
की उपेक्षा करता है और ि उसकी स्तुनत करता है और ि उसे
अस्वीकार करता है। िहााँ लौककककार का अथय अथयशास्त्र के
ववरोिी अथय में ककर्ा िाता है वहीं लौककक शधर्द लौकककवार्द से
मभन्द्ि अथय रखता है।
िमयनिरपेक्ष राज्र् को िो लोग िमयववरोिी मािते हैं उिका उत्तर
र्देते हुए होली ओक कहता है- "लौकककता गणणतशास्त्र तुल्र्
ईचवरवार्द तथा अन्द्र् िातों से सवयथा अलग और मुतत है।
ज्र्ाममनत के अन्द्वेषक र्ुककलड िे अपिे समर् के परमेचवर तथा
तत्संिंिी भाविाओं की उपेक्षा िहीं की। ज्र्ाममनत में भगवाि की
सत्ता को स्वीकार करिा आवचर्क िहीं था। उसिे रेखागणणत में
भगवाि की सत्ता का कहीं वणयि भी िहीं ककर्ा है। अतएव ईचवर
संिंिी वविारों पर बििा मत प्रगट ककए लौकककता गणणतशास्त्र
तुल्र् स्वतंत्र "अध्र्र्ि का ववषर् हो सकती है।"
श्री ओक अंत में इसकी पररभाषा का सार इस प्रकार उपजस्थत करते
हैं- "मािव की भलाई के मलए मािव प्रर्ोग द्वारा मािव िुद्धि
द्वारा, िो भी िातें संमत हों जिन्द्हें इस िीवि में ककर्ा िा सकता
है, जििका संिंि इस िीवि से है वही लौकककता है।"
अमरीका में लौककक वविारिारा का उत्तरोत्तर ववकास होता रहा है।
िमय तथा वविारस्वातंत्र्र् को लेकर िहुत कु छ वार्दवववार्द भी हो िुका
है। सि् 1776 ई. के अधिकार र्ोषणापत्र में कहा गर्ा है-
"वविारस्वातंत्र्र् तथा िमय अिुकरण के निममत्त प्रत्र्ेक व्र्जतत मुतत
है।" सि् 1868 में अमरीका के सुप्रीम कोटय िे रेिाल्ड ििाम
अमरीका के संर्ुततराष्ट्र के मुकर्दमे में र्ह वविार स्पष्ट्ट ककर्ा है-
"ि तो संर् तथा ि राज्र् ििय की स्थापिा कर सकते हैं। ि तो वे
कही कािूि ििा सकते हैं कक एक िमय की सहार्ता अथवा अिेक
िमों की सहार्ता अथवा उिके स्थाि पर र्दूसरों को प्राथममकता र्दी
िाए। ककसी को कोई व्र्जतत ििय िािे अथवा ि िािे से रोक िहीं
सकता। ककसी संप्रर्दार् अथवा िमय के निममत्त ककसी प्रकार कर िहीं
लगार्ा िा सकता।"
राष्ट्रपनत अिाहम मलंकि िे सि् 1863 में स्पष्ट्ट कहा था- "मैं
इतिा और कहिा िाहता हूाँ कक संर्ुतत राष्ट्र अमरीका ििों को
िलािे का कार्य ि करे। र्दर्द कोई िागररक ििय अथवा ििय के
िाहर खतरिाक साबित होता है तो उसे रोकिा िादहए।"
संर्ुतत राष्ट्र अमरीका के िजस्टस श्री स्टुलेि िे इमसयि ििाम िोडय
ऑव एिूके शि के मुकर्दमे में निणयर् र्देते हुए कहा है- "िाममयक
स्वतंत्रता की सिसे िडी शतय र्ह है कक वह अपिा अजस्तत्व बििा
ककसी प्रकार के गुिारे के कार्म रखे और साथ ही साथ वह राज्र्
के हस्तक्षेप से मुतत रहे। राज्र् तथा ििय का पृथतकरण राज्र् के
मलए अच्छा है तथा ििय के मलए अच्छा है।"
संर्ुतत राष्ट्र के समाि समािवार्दी सोववर्त संर् में भी कु छ इस
प्रकार की र्टिाएाँ र्टी हैं। 1919 ई. में सोववर्त के संवविाि का
अिुच्छेर्द 13, िो पुि: 1927 में स्वीकार ककर्ा गर्ा था, स्पष्ट्ट
िमयनिरपेक्ष ककं वा लौककक राज्र् के मसद्िांत को र्ोवषत करता है-
"पररश्रमशील ििता के वववेकपूणय वास्तववक स्वतंत्रताप्राजप्त निममत्त
ििय को राज्र् से पृथक् तथा स्कू लों को भी ििय से पृथक् ककर्ा
िाता है। िाममयक एवं िमयववरोिी प्रिार की स्वतंत्रता समस्त
िागररकों के मलए स्वीकार की िाती है।"
सि् 1923 के िीि के गणतंत्रीर् संवविाि में लौककक मसद्िांतों
का समावेश ककर्ा गर्ा है- "िीिी गणतंत्र के िागररक कािूि के
सम्मुख बििा ककसी िानत अथवा िमय अथवा वगयभेर्द के एक
समाि समझे िाएाँगे।" मसतंिर सि् 1954 ई. में कम्र्ुनिस्ट िीि
सरकार िे संवविाि का, िो प्रारूप स्वीकार ककर्ा, उसके अिुच्छेर्द
88 में स्पष्ट्ट उल्लेख है- "गणतंत्र की ििता को िाममयक ववचवास
की स्वतंत्रता प्राप्त है।"
भारत में महात्मा गांिी िे राज्र् तथा िमय को एक र्दूसरे में ममला
र्देिे की कल्पिा िहीं की, िैसी कक मुजस्लम लीग के िेतागण िे
की थी। लीग िे िानत, िमय, संस्कृ नत और राििीनत को एक में
ममलाकर उलझि पैर्दा कर र्दी जिसके कारण भारत का ववभािि
हुआ। पाककस्ताि िाममयक राज्र् र्ोवषत ककर्ा गर्ा। महात्मा गांिी
िे इस ओर संके त ककर्ा था- "िमय तथा राििीनत र्दो िीिें हैं, एक
र्दूसरे को अििािे ममलािे में उलझि और अलग रखिे में िीवि
सरल तथा सुंर्दर होता है।
संवविाि के अिुच्छेर्द 29 पर िोलते हुए लोकसभा के भूतपूवय
अध्र्क्ष श्री अिंतशर्िम् आर्ंगर िे कहा था- "हम विििद्ि हैं
कक हमारा राज्र् िमयनिरपेक्ष होगा। शधर्द िमयनिरपेक्ष से हमारा र्ह
अमभप्रार् िहीं है कक हम ककसी िमय में ववचवास िहीं रखते और
हमारे र्दैनिक िीवि में इससे कोई संिंि िहीं है। इसका के वल
अथय र्ह है कक राज्र् सरकार ककसी मिहि को र्दूसरे की तुलिा
में ि तो सहार्ता र्दे सकती है और ि प्राथममकता। इसमलए राज्र्
अपिी पूणय निरपेक्ष जस्थनत रखिे को वववश है।"
श्री िवाहरलाल िेहरु िे 5 अगसत, सि् 1954 के भाषण में इसका और
स्पष्ट्टीकरण करते हुए कहा था "हम अपिे राज्र् को शार्र्द िमयनिरपेक्ष
कहते हैं। शार्र्द "सेतर्ुलर" शधर्द के मलए िमयनिरपेक्ष शधर्द िहुत अच्छा
िहीं है। कफर भी इससे िेहतर शधर्द ि ममलिे के कारण इसका प्रर्ोग
ककर् गर्ा है। इसका अथय है िाममयक स्वतंत्रता, अपिी अंतरात्मा की
प्रेरणा के अिुसार कार्य करिे की स्वतंत्रता। इसमें उि लोगों की भी
स्वतंत्रता सजम्ममलत है िो ककसी िमय को िहीं मािते। स्पष्ट्टत: इसका
र्ह मतलि िहीं है कक र्ह एक ऐसा राज्र् है िहााँ पर िमयपालि को
निरुत्सादहत ककर्ा िाता है। इसका मतलि है कक प्रत्र्ेक िमय के
अिुर्ानर्र्ों को िमयपालि की पूरी स्वतंत्रता है, िशते वे र्दूसरे के िमय में
र्ा हमारे राज्र् के मूल मसद्िांतों में हस्तक्षेप ि करें। इसका मतलि है
कक िमय की दृजष्ट्ट से िो अल्पसंख्र्क हैं वे इस जस्थनत को स्वीकार करें।
इसका र्ह भी तात्पर्य है कक िहुसंख्र्क लोग इस दृजष्ट्टकोण से इसका
पूरी तरह से महत्व समझें, तर्ोंकक िहुसंख्र्क होिे के िाते और र्दूसरे
कारणों से भी उिका प्रभाव अधिक है। अत: उिकी जिम्मेर्दरी हो िाती
है ककसी भी रूप में अपिी जस्थनत का इस तरह से प्रर्ोग ि करें जिससे
हमारे िमयनिरपेक्ष मसद्िांतों के पालि में िािा पहुाँिे।
"िमयनिरपेक्ष" शधर्द का एक और भी अथय समझा िा सकता हूाँ,
हालांकक र्ह शधर्दकोश में दर्दर्ा हुआ अथय िहीं हो सकता। मैं इसे
सामजिक और राििीनतक समािता के अथय का द्र्ोतक भी
मािता हूाँ। इस प्रकार ऐसे समाि को जिसमें िातपांत का
भेर्दभाव हो, सही रूप में िमयनिरपेक्ष िहीं कहा िा सकता। ककसी
भी व्र्जतत के ववचवास में हस्तक्षेप करिा अभीष्ट्ट िहीं है,
लेककि िि वे ववचवास िातपााँत का भेर्दभाव पैर्दा करते हैं तो
निस्संर्देह इिका प्रभाव सामाजिक ढााँिे पर पडता है। इससे हमारे
समािता के मसद्िांत की प्राजप्त और सफलता में िािा पडती है।
सांप्रर्दानर्कता की तरह इससे राििीनतक मामलों में भी अडिि
पडती है।"
भारतीर् संवविाि की प्रस्ताविा तथ द्ववतीर् भाग के अिुच्छेर्द,
5, तृतीर् भाग के अिुच्छेर्द 15, 16, 21, 25, 28, 30 में
िमयनिरपेक्ष मसद्िांतों समाववष्ट्ट ककर् गर्ा है।
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  • 3.  सर्व शिक्षा अशियान भारत सरकार का एक प्रमुख कार्यक्रम है, जिसकी शुरूआत (2001-02) मे अटल बिहारी िािपेर्ी द्वारा एक निजचित समर्ावधि के तरीके से प्राथममक मशक्षा के सावयभौममकरण को प्राप्त करिे के मलए ककर्ा गर्ा, िैसा कक भारतीर् संवविािके 86वें संशोिि द्वारा निर्देमशत ककर्ा गर्ा है जिसके तहत 6-14 साल के िच्िों (2001 में 205 मममलर्ि अिुमानित) की मुफ्त और अनिवार्य मशक्षा के प्राविाि को मौमलक अधिकार ििार्ा गर्ा है। इस कार्यक्रम का उद्र्देचर् 2010 तक संतोषजनक गुणर्त्ता र्ािी प्राथशर्क शिक्षा के सावयभौममकरण को प्राप्त करिा है। एसएसए (SSA) में 8 मुख्र् कार्यक्रम हैं। इसमें आईसीडीएस (ICDS) और आंगिवाडी आदर्द शाममल हैं। इसमें के िीिीवीवाई (KGBVY) भी शाममल है। कस्तूरिा गांिी िामलका ववद्र्ालर् र्ोििा की शुरूआत 2004 में हुई जिसमें सारी लडककर्ों को प्राथममक मशक्षा र्देिे का सपिा र्देखा गर्ा, िार्द में र्ह र्ोििा एसएसए के साथ ववलर् हो गई।
  • 5. 2003 तक सभी स्कू ल में हों।  2007 तक प्राथममक मशक्षा का 5 साल पूरा करिा और 2010 तक स्कू ली मशक्षा का 8 साल पूरा करिा।  संतोषििक गुणवत्ता और िीवि के मलए मशक्षा पर िल र्देिा।  2010 तक प्रारंमभक स्तर पर सभी लैंधगक और सामाजिक अंतर को समाप्त करिा।  वषय 2010 तक सावयभौममक प्रनतिारण।  िीवि के मलए मशक्षा पर िल र्देते हुए संतोषििक गुणवत्ता में प्रारंमभक मशक्षा पर िोर र्देिा।
  • 6. उपिब्धधयााँ इस कार्यक्रम िे गांव स्तर पर महत्वपूणय उपलजधिर्ां हामसल की है। 2004 में भारत के कई गांवों को शाममल ककर्ा गर्ा और प्रारंमभक मशक्षा कें द्र खोले गए। र्दक्षक्षण भारत के तममलिाडु राज्र् में, एक गांव है जिसका िाम सतिाथापुरम है (शहर: मसकायझी) िो कक िागपट्दटिम जिले में जस्थत है, र्े एक ऐसा गांव हैं िहां पहली िार इस कार्यक्रम को सफलतापूवयक लागू ककर्ा गर्ा था। सभी के मलए मशक्षा के साथ राज्र् सरकार की सहार्ता में गरीि िच्िों के मलए र्दोपहर भोिि र्ोििाओं के िलते साक्षरता र्दर में उल्लेखिीर् प्रगनत को र्देखा गर्ा।
  • 7.
  • 8.
  • 10. सर्व शिक्षा अशियान र्ें ननजी क्षेत्र की िूशर्का
  • 11. के ब्रित क्षेत्र (फोकस एररया)
  • 12. संस्थागत सुधार सवय मशक्षा अमभर्ाि के एक भाग के रूप में राज्र्ों में संस्थागत सुिार ककए िाएंगे। राज्र्ों को अपिी मौिूर्दा शैक्षक्षक पद्िनत का वस्तुपरक मूल्र्ांकि करिा होगा जिसमें शैक्षक्षक प्रशासि, स्कू लों में उपलजधि स्तर, ववत्तीर् मामले, ववके न्द्द्रीकरण तथा सामुर्दानर्क स्वाममत्व, राज्र् मशक्षा अधिनिर्म की समीक्षा, मशक्षकों की निर्ुजतत तथा मशक्षकों की तैिाती को तकय सम्मत ििािा, मॉिीटररंग तथा मूल्र्ांकि, लडककर्ों, अिुसूधित िानत/अिुसूधित िििानत तथा सुवविाववहीि वगो के मलए मशक्षा, नििी स्कू लों तथा ई.सी.सी.ई. संिंिी मामले शाममल होगें। कई राज्र्ों में प्रारंमभक मशक्षा प्रर्दाि करिे की व्र्वस्था में सुिार के मलए संस्थागत सुिार भी ककए गए हैं।
  • 13. सतत वर्त्त पोषण - सवय मशक्षा अमभर्ाि इस तथ्र् पर आिाररत है कक प्रारंमभक मशक्षा कार्यक्रम का ववत्त पोषण सतत् िारी रखा िाए। के न्द्द्र और राज्र् सरकारों के िीि ववत्तीर् सहभाधगता पर र्दीियकालीि पररप्रेक्ष्र् की अपेक्षा है। सार्ुदानयक स्र्ाशर्त्र् - इस कार्यक्रम के मलए प्रभावी ववके न्द्द्रीकरण के िररए स्कू ल आिाररत कार्यक्रमों में सामुर्दानर्क स्वाममत्व की अपेक्षा है। मदहला समूह, ग्राम मशक्षा सममनत के सर्दस्र्ों और पंिार्तीराि संस्थाओं के सर्दस्र्ों को शाममल करके इस कार्यक्रम को ि़ाार्ा िाएगा। संस्थागत क्षर्ता ननर्ावण - सवय मशक्षा अमभर्ाि द्वारा राष्ट्रीर् शैक्षक्षक र्ोििा एवं प्रशासि संस्थाि/ राष्ट्रीर् मशक्षक मशक्षा पररषद्/राज्र् शैक्षक्षक अिुसंिाि व प्रमशक्षण पररषद्/सीमेट (एस.आई.ई.एम.ए.टी.) िैसी राष्ट्रीर् एवं राज्र्स्तरीर् संस्थाओं के मलए क्षमता निमायण की महत्वपूणय भूममका की पररकल्पिा की गर्ी है। गुणवत्ता में सुिार के मलए ववशषज्ञों के स्थार्ी सहर्ोग वाली प्रणाली की आवचर्कता है।
  • 14. िैक्षक्षक प्रिासन की प्रर्ुख धारा र्ें सुधार - इसमें संस्थागत ववकास, िर्ी पहल को शाममल करके और लागत प्रभावी और कु शल पद्िनतर्ां अपिाकर शैक्षक्षक प्रशासि की मुख्र् िारा में सुिार करिे की अपेक्षा है। पूणव पारदशिवता युक्त सार्ुदानयक ननरीक्षण - इस कार्यक्रम में समुर्दार् आिाररत पद्िनत अपिार्ी िार्ेगी। शैक्षक्षक प्रिंि सूििा पद्िनत, माइक्रो र्ोििा और सवेक्षण से समुर्दार् आिाररत सूििा के साथ स्कू ल स्तरीर् आंकडों का संिंि स्थावपत करेगा। इसके अनतररतत प्रत्र्ेक स्कू ल एक िोदटस िोडय रखेगा जिसमें स्कू ल द्वारा प्राप्त ककर्े गए सारे अिुर्दाि और अन्द्र् धर्ौरे र्दशायए िाएंगे। योजना इकाई के रूप र्ें बस्ती - सवय मशक्षा अमभर्ाि आर्ोििा की इकाई के रूप में िस्ती के साथ र्ोििा ििाते हुए समुर्दार् आिाररत दृजष्ट्टकोण पर कार्य
  • 15. सर्ुदाय के प्रनत जर्ाबदेही - सवय मशक्षा अमभर्ाि में मशक्षकों, अमभभावकों और पंिार्तीराि संस्थाओं के िीि सहर्ोग तथा िवािर्देही एवं पारर्दमशयता की पररकल्पिा की गर्ी है। िड़ककयों की शिक्षा - लडककर्ों ववशेषकर अिुसूधित िानत एवं अिुसूधित िििानत की लडककर्ों की मशक्षा, सवय मशक्षा अमभर्ाि का एक प्रमुख लक्ष्र् होगा। वर्िेष सर्ूहों पर ध्यान - अिुसूधित िानत, अिुसूधित िििानत, िाममयक एवं भाषाई अल्पसंख्र्कों, वंधित वगो के िच्िों और ववकलांग िच्िों की शैक्षक्षक सहभाधगता पर ववशेष ध्र्ाि दर्दर्ा िाएगा।
  • 16. पररयोजना पूर्व चरण - सवय मशक्षा अमभर्ाि पूरे र्देश में सुनिर्ोजित रूप से पररर्ोििापूवय िरण प्रारम्भ करेगा िो ववतरण और निरीक्षण (मॉिीटररंग) पद्िनत को सुिार कर क्षमता ववकास के कार्यक्रम िलाएगा। गुणर्त्ता पर बि देना - सवय मशक्षा अमभर्ाि पाठ्र्िर्ाय में सुिार करके तथा िाल के जन्द्द्रत कार्यकलापों और प्रभावी मशक्षण पद्िनतर्ों को अपिाकर प्रारंमभक स्तर तक मशक्षा को उपर्ोगी और प्रासंधगक ििािे पर ववशेष िल र्देता है। शिक्षकों की िूशर्का - सवय मशक्षा अमभर्ाि, मशक्षकों की महत्वपूणय भूममका को स्वीकार करता है और उिकी ववकास संिंिी आवचर्कताओं पर ध्र्ाि र्देिे का समथयि करता है। प्रखंड संसािि के न्द्द्र/सामूदहक संसािि के न्द्द्र की स्थापिा, र्ोग्र् मशक्षकों की निर्ुजतत, पाठ्र्िर्ाय से संिंधित सामग्री के ववकास में सहर्ोग के िररर्े मशक्षक ववकास के अवसर, मशक्षा संिंिी प्रकक्रर्ाओं पर ध्र्ाि र्देिा और मशक्षकों के एतसपोिर र्दौरे, मशक्षकों के िीि मािव संसािि को ववकमसत करिे के उद्र्देचर् से तैर्ार ककए िाते हैं।
  • 17. ब्जिा प्रारब्भिक शिक्षा योजनाएाँ - सवय मशक्षा अमभर्ाि के कार्य ढााँिे के अिुसार प्रत्र्ेक जिला एक जिला प्रारजम्भक मशक्षा र्ोििा तैर्ार करेगा िो संके दद्रत और समग्र दृजष्ट्टकोण से र्ुतत प्रारजम्भक मशक्षा के क्षेत्र में ककए गए सभी निवेशों को र्दशायएगा। ब्जिा प्रारंशिक शिक्षा योजना - सवय मशक्षा अमभर्ाि ढााँिा के अिुसार प्रत्र्ेक जिला प्रारंमभक मशक्षा के क्षेत्र में समग्र एवं के जन्द्द्रत दृजष्ट्टकोण के साथ, निवेश ककर्े िािे वाले और उसके मलए िरूरी रामश को प्रर्दमशयत करिे वाली एक जिला प्रारंमभक मशक्षा र्ोििा तैर्ार करेगी। र्हााँ एक प्रत्र्क्ष र्ोििा होगी िो र्दीर्ायवधि तक सावयभौममक प्रारंमभक मशक्षा के लक्ष्र् को प्राप्त करिे की गनतववधिर्ों को ़ाााँिा प्रर्दाि करेगा। उसमें एक वावषयक कार्यर्ोििा एवं ििट भी होगा जिसमें सालभर में प्राथममकता के आिार पर संपादर्दत की िािे वाली गनतववधिर्ों की सूिी होंगी। प्रत्र्क्ष र्ोििा एक प्रामाणणक र्दस्तावेि होगा जिसमें कार्यक्रम कार्ायन्द्वर्ि के मध्र् में निरन्द्तर सुिार भी होगा।
  • 19. 1.) सवय मशक्षा अमभर्ाि के अन्द्तगयत निर्ुतत ककए गए मशक्षकों के वेति में के न्द्द्र सरकार और राज्र् सरकार की भागीर्दारी िौवीं र्ोििा अवधि के र्दौराि 85:15 के अिुपात में, र्दसवीं र्ोििा अवधि के र्दौराि 75:25 के अिुपात में तथा इसके िार्द 50:50 के अिुपात में होगी। 2.) िाह्र् सहार्ता प्राप्त पररर्ोििाओं के संिंि में ककए गए सभी ववधिक समझौते लागू रहेंगे, िितक कक ववर्देशी निधिर्ां प्रर्दाि करिे वाली एिेंसी से वविार-ववमशय करके इसमें कोई ववमशष्ट्ट संशोिि करिे पर सहमनत िहीं हो िाती। 3.) ववभाग की मौिूर्दा र्ोििाएं राष्ट्रीर् मशक्षक मशक्षा पररषद् के अलावा िौवीं र्ोििा में ममला र्दी िाएंगी। प्राथममक मशक्षा की राष्ट्रीर् पोषाहार सहार्ता कार्यक्रम र्ोििा (मध्र्ाह्ि भोिि र्ोििा) एक ववमशष्ट्ट र्ोििा के रूप में कार्म रहेगी जिसमें खाद्र्ान्द्ि एवं र्ातार्ात की लागत के न्द्द्र सरकार द्वारा वहि की िाएगी तथा भोिि पकािे की
  • 20. 1.)जिला मशक्षा र्ोििा अन्द्र् िातों के साथ-साथ र्ह स्पष्ट्ट रूप से र्दशायती है कक िवाहर रोिगार र्ोििा, प्रिािमंत्री रोिगार र्ोििा, सुनिजचित रोिगार र्ोििा, सांसर्द/वविार्क के मलए क्षेत्रीर् निधिर्ां, राज्र् र्ोििा िैसी र्ोििाएं तथा ववर्देशी निधिर्ां तथा गैर सरकारी क्षेत्र में िुटाए गए संसािि के अन्द्तगयत ववमभन्द्ि र्टकों से निधि / संसािि उपलधि ककए िाते हैं। 2.)स्कू लों के स्तर में वृद्धि, रखरखाव, मरम्मत तथा अध्र्र्ि- अध्र्ापि उपस्करों तथा स्थािीर् प्रिंिि के मलए प्रर्ोग की िािे वाली सभी निधिर्ां ग्रामीण मशक्षा सममनत /स्कू ल प्रिंिि सममनत को हस्तांतररत कर र्दी िाएंगी।
  • 21.
  • 22. नििःशुल्क और अनिवार्य िाल मशक्षा अधिकार का अधिनिर्म २००९ और इस अधिनिर्म के अन्द्तगयत ििाए गए नििःशुल्क और अनिवार्य िाल मशक्षा का अधिकार निर्म-२०११ के तहत ् राज्र् सरकार एवं स्थािीर् निकार्ों का र्ह संवैिानिक र्दानर्त्व है कक ६-१४ वषय के सभी िच्िे अनिवार्य रूप से शाला में र्दिय हों, शाला में निर्ममत उपजस्थनत रहे तथा सभी िच्िे न्द्र्ूितम ् ८ वीं स्तर की गुणवत्तार्ुतत मशक्षा अवचर् पूणय करें। इस कािूि को सफलतापूवयक कक्रर्ाजन्द्वत करिे के मलए र्ह आवचर्क है कक लक्षक्षत आर्ु वगय समूह के सभी िच्िों को धिजन्द्हत ् ककर्ा िाए तथा सभी िच्िों के संिंि में उपरोततािुसार
  • 23.
  • 24. • मशक्षा की दृजष्ट्ट से वंधित तिकों की िामलकाओं को मशक्षा के अवसर उपलधि करािा। • िालक िामलकाओं के िीि मशक्षा की दृजष्ट्ट से अंतर को समाप्त करिा। • िामलकाओं को प्रारंमभक स्तर तक की मशक्षा उपलधि करािे के मलए आवासीर् ववद्र्ालर् की स्थापिा करिा। • इि ववधिर्ालर्ो का उद्र्देचर् वंधित वगों की उि िामलकाओं को िोडिा है, िो कदिि पररस्थनतर्ों और र्दुगयमवास स्थािों में रहते हुए ककसी भी कारणवश (र्था सामाजिक, पाररवाररक आदर्द) ववधिर्ालर्ो िही िा सकी अथवा जििकी आर्ु कक्षा में अध्र्र्ि अन्द्र् िामलकाओं से अधिक हो िुकी है।
  • 25.
  • 26. • ४७ जिलों के २०७ ववकासखण्डों में कस्तूरिा गााँिी िामलका ववद्र्ालर्। • पूवय से संिामलत माध्र्ममक ववद्र्ालर् में १००/१५०/२०० िामलकाओं के मलए आवासीर् सुवविा। • आवासीर् व्र्वस्था के मलए हॉस्टल निमायण। • अस्थार्ी व्र्वस्था हेतु शासकीर्/ककरार्े के भवि की व्र्वस्था। • वाडयि, सहार्क वाडयि, लेखापाल-निर्ुजतत जिला स्तर से • मदहला रसोइर्ा, िौकीर्दार, अंशकामलक स्वीपर-निर्ुजतत शाला प्रिंिि सममनत द्वारा • व्र्ावसानर्क मशक्षा के मलए अंशकामलक मशक्षक्षक-निर्ुजतत शाला प्रिंिि सममनत द्वारा
  • 27.
  • 28. • ७५ प्रनतशत िामलकार्ें अिुसूधित िानत, िििानत, वपछडा वगय, अल्पसंख्र्क समुर्दार् से। • २५ प्रनतशत िामलकार्ें गरीिी रेखा के िीिे के पररवारों से। • ववकलांग िामलकाओं को प्राथममकता। • कस्तूरिा गांिी िामलका आवासीर् ववद्र्ालर्ों में भी प्रर्देश सरकार िे अि अल्पसंख्र्क एिेंड लागू कर दर्दर्ा है।
  • 29.
  • 30. • आवासीर् बिि कोसय में र्दिय ऐसी िामलकार्ें िो कक्षा ५वीं में र्दिय होिे र्ोग्र् हों। • ५वीं तक की आश्रम शालाओं से ६ि ं में आिे वाली िामलकार्ें। • प्राथममक स्तर पर उि ग्रामों की िामलकाएाँ िहााँ 1 कक.मी.टी पररधि में प्राथममक सुवविा उपलधि िहीं है। • ऐसे ग्राम िहााँ ३ कक.मी. की पररधि में कोई माध्र्ममक शाला सुवविा उपलधि िहीं है, की िामलकाओं को माध्र्ममक स्तर के मलए।
  • 31. • नििःशुल्क आवास • नििःशुल्क भोिि • पिि-पािि एवं शैक्षणणक सामग्री • गणवेश, पाठ्र्पुस्तकें • िामलकाओं की व्र्जततगत आवचर्कता की सामग्री • वृवत्तका
  • 32. • व्र्ावसानर्क मशक्षा • स्वास्थ्र् परीक्षण • खेलकू र्द की सामग्री • पुस्तकालर् • अिुसूधित िानत, िििानत की िामलकाओं को छात्रवृवत्त शाला से।
  • 33.
  • 34. • प्रत्र्ेक कस्तूरिा गााँिी िामलका ववद्र्ालर्/िामलका छात्रावास की वाडयि द्वारा नििायररत प्रपत्र में िािकारी प्रनतमाह जिला मशक्षा के न्द्द्र को भेिी िाएगी तथा 1 प्रनत सीिे राज्र् मशक्षा के न्द्द्र को भेिी िार्ेगी। • सहार्क पररर्ोििा समन्द्वर्क (िेण्डर) का र्ह र्दानर्त्व होगा कक वह िािकारी का परीक्षण करी सही िािकारी राज्र् स्तर पर भेिें। त्रुदटपूणय िािकारी के मलए संिंधित सहार्क पररर्ोििा समन्द्वर्क (िेण्डर) उत्तरर्दार्ी होंगे/होंगी।
  • 35.
  • 36. धर्वननरपेक्षता धर्वननरपेक्षता, परथननरपेक्षता र्ा सेक्युिरर्ाद िाममयक संस्थािों व िाममयक उच्िपर्दिाररर्ों से सरकारी संस्थािों व राज्र् का प्रनतनिधित्व करिे हेतु शासिार्देमशत लोगों के पृथतकरण का मसद्िान्द्त है। र्ह एक आिुनिक राििैनतक एवं संवविािी मसद्िान्द्त है। िमयनिरपेक्षता के मूलत: र्दो प्रस्ताव है 1) राज्र् के संिालि एवं िीनत-नििायरण में मिहि (रेमलिि) का हस्तक्षेप िहीं होिी िादहर्े। 2) सभी िमय के लोग कािूि, संवविाि एवं सरकारी िीनत के आगे समाि है।
  • 37. छद्र् धर्वननरपेक्षता छद्र् धर्वननरपेक्षता का अथय िमयनिरपेक्ष होिे का स्वांग करते हुए व्र्वहार में मिहि-सापेक्ष निणयर्, िीनतर्ााँ और कार्य करिा है। इस शधर्द का उपर्ोग वे समूह करते हैं िो र्दूसरों द्वारा मिहि के आिार पर र्दोहरी िीनत अपिािे ववरोि करते हैं। र्ह इसका सवयप्रथम र्दिय उपर्ोग एंथोिी एजल्न्द्ि ममटि िे अपिी पुस्तक 'Philosphy of RSS for Hind Swarajya' में ककर्ा था। छर्दम िमय निरपेक्षता रािनिनतक र्दलों के द्वारा प्रनतपादर्दत शधर्द है।
  • 38. धर्वननरपेक्ष राज्य एक धर्वननरपेक्ष राज्य िमयनिरपेक्षता की एक अविारणा है, जिसके तहत एक राज्र् र्ा र्देश स्वर्ं को िाममयक मामलों में आधिकाररक तौर पर, ि िमय और ि ही अिमय का समथयि करते हुए, तटस्थ र्ोवषत करता है। परंतु भारतीर् वाङ्मर् में िमय शधर्द का अथय अत्र्ंत व्र्ापक है। कतयव्र्, आिारसंदहता, निर्म, रीनत, रस्म, सांप्रर्दानर्क आिार वविार, िैनतक आिरण, मशष्ट्टािार आदर्द का समावेश एक शधर्द "िमय" में ही हो िाता है। िमय का अथय िीविप्रणाली भी मािा गर्ा है। सेतर्ुलर शधर्द का दहंर्दी अिुवार्द करिा र्दुष्ट्कर प्रतीत होता है, तथावप उसके मलए कोई शधर्द रखिा अत्र्ावचर्क है।
  • 39. सेतर्ुलर शधर्द का कु छ ममलता-िुलता र्ा अिुवार्द "लौककक" हो सकता है। सेतर्ुलर के मलए लौककक शधर्द दहंर्दी में प्रिमलत है। वास्तव में सेतर्ुलर शधर्द के मलए दहंर्दी में अभी कोई उपर्ुतत शधर्द िहीं निकल पार्ा है। कालांतर में शधर्द अपिा रूप तथा भाव पकड लेते हैं। अतएव िमयनिरपेक्ष तथा लौककक शधर्द का प्रर्ोग सेतर्ुलर के मलए र्हााँ ककर्ा गर्ा है।
  • 40.
  • 41. पररचय िमयनिरपेक्ष ककं वा लौककक राज्र् में ऐसे राज्र् की कल्पिा की गई हैं, िो सभी िमों तथा संप्रर्दार्ों का समाि आर्दर करता है। सिको एक समाि फलिे और फू लिे का अवसर प्रर्दाि करता है। राज्र् ककसी िमय अथवा संप्रर्दार्ववशेष का पक्षपात िहीं करता। वह ककसी िमयववशेष को राज्र् का िमय िहीं र्ोवषत करता। प्रार्: ववचव के सभी मुसमलम राज्र्ों िे अपिे आपको इस्लाममक राज्र् र्ोवषत ककर्ा है। िमाय िे अपिा राििमय िौद्ििमय र्ोवषत ककर्ा है। बिटेि िैसे र्देश में वहााँ के संवविाि के अिुसार राज्र् का एक िमयववशेष से संिंि है। वह ईसाई िमय के एक संप्रर्दार् "ििय ऑव इंग्लैंड से" संिंधित है। कफर भी वहााँ के लोग िमयनिरपेक्ष भाव से अपिा लोकतंत्र तथा शासि िलाते हैं।
  • 42. सदहष्ट्णुता िमयनिरपेक्ष राज्र् की आिारमशला है। भारत सिाति काल से िाममयक ववषर्ों में सहिशीलता, उर्दारता, उर्दात्त वविार एवं िीनत का आश्रर् लेता आर्ा है। र्ह िमयनिरपेक्ष राज्र् का एक पहलू कहा िा सकता है। उसका उसे संपूणय रूप िहीं कह सकते। इसके ववपरीत सोििे पर र्देश की राष्ट्रीर्ता के स्थाि पर िमयववशेष की राष्ट्रीर्ता, र्था दहंर्दू राष्ट्रीर्ता, मुसमलम राष्ट्रीर्ता, मसख राष्ट्रीर्ता, ककं वा िौद्ि राष्ट्रीर्ता का वविार करिा पडेगा। ऐसी जस्थनत में भारतीर् राष्ट्रीर्ता, िमयि राष्ट्रीर्ता, अमरीकि राष्ट्रीर्ता के वल िाम मात्र की िीिें रह िाएाँगी। संकीणय राष्ट्रीर्ता पुरािे िमािे की िातें हो गई हैं। उिका मेल आिुनिक िगत् से िहीं खाता। वे वपछडे और पुरािे िमािे के ितशे कहे िाएाँगे। र्ह िारणा कक िमयनिरपेक्ष राज्र् का मसद्िांत िमय के ववरुद्ि है, गलत है। इसका र्ह भी अथय िहीं है कक िमयनिरपेक्ष राज्र् के निवासी िमय के प्रनत उर्दासीि हो िाएाँ, अथवा उसे त्र्ाग र्दें। उसका सरल अथय र्ह है कक िमय को र्दैनिक सामाजिक, राििीनतक तथा
  • 43. इनतहास 19वीं शताधर्दी में होली ओक िे इस प्रसंग में िहुत कु छ मलखा है। वे लौककक आंर्दोलि के प्रवतयक थे। उिकी पुस्तक "ओररजिि ऐंड िेिर ऑव मसतर्ुलररज्म" ववचव के ककसी पुस्तकालर् में प्राप्र् िहीं है। उिकी अन्द्र् पुस्तकें तथ लेख ममलते हैं। उिके आिार पर उिके वविारों के ववषर् में ववनिजचित ककर्ा िा सकता है। ईसाई समाि के एक वगय िे उिके मसद्िांतों को िमयववरोिी मािा था। उिकी िहुत सी पुस्तकें असदहष्ट्णुता की वेर्दी पर िमयप्राण ईसाइर्ों द्वारा फूं क र्दी गई थीं। उन्द्होंिे सवयप्रथम सि् 1846 ई. में लौककक वविारिारा को िगत् के सम्मुख रखा। इसी समर् कालय मातसय िे सि् 1848 ई. के र्ोषणपत्र निकालकर समािवार्दी वविार ववचव को दर्दर्ा। एक ही काल में, एक ही र्देशस्थाि से र्दो वविारिाराएाँ ववचव के सम्मुख आई। रूस िे समािवार्दी वविारिारा का र्दर्द सफल प्रर्ोग करिे
  • 44. श्री ओक िे सि् 1860 में कहा था लौकककवार्द ि तो िमयशास्त्र की उपेक्षा करता है और ि उसकी स्तुनत करता है और ि उसे अस्वीकार करता है। िहााँ लौककककार का अथय अथयशास्त्र के ववरोिी अथय में ककर्ा िाता है वहीं लौककक शधर्द लौकककवार्द से मभन्द्ि अथय रखता है। िमयनिरपेक्ष राज्र् को िो लोग िमयववरोिी मािते हैं उिका उत्तर र्देते हुए होली ओक कहता है- "लौकककता गणणतशास्त्र तुल्र् ईचवरवार्द तथा अन्द्र् िातों से सवयथा अलग और मुतत है। ज्र्ाममनत के अन्द्वेषक र्ुककलड िे अपिे समर् के परमेचवर तथा तत्संिंिी भाविाओं की उपेक्षा िहीं की। ज्र्ाममनत में भगवाि की सत्ता को स्वीकार करिा आवचर्क िहीं था। उसिे रेखागणणत में भगवाि की सत्ता का कहीं वणयि भी िहीं ककर्ा है। अतएव ईचवर संिंिी वविारों पर बििा मत प्रगट ककए लौकककता गणणतशास्त्र तुल्र् स्वतंत्र "अध्र्र्ि का ववषर् हो सकती है।"
  • 45. श्री ओक अंत में इसकी पररभाषा का सार इस प्रकार उपजस्थत करते हैं- "मािव की भलाई के मलए मािव प्रर्ोग द्वारा मािव िुद्धि द्वारा, िो भी िातें संमत हों जिन्द्हें इस िीवि में ककर्ा िा सकता है, जििका संिंि इस िीवि से है वही लौकककता है।" अमरीका में लौककक वविारिारा का उत्तरोत्तर ववकास होता रहा है। िमय तथा वविारस्वातंत्र्र् को लेकर िहुत कु छ वार्दवववार्द भी हो िुका है। सि् 1776 ई. के अधिकार र्ोषणापत्र में कहा गर्ा है- "वविारस्वातंत्र्र् तथा िमय अिुकरण के निममत्त प्रत्र्ेक व्र्जतत मुतत है।" सि् 1868 में अमरीका के सुप्रीम कोटय िे रेिाल्ड ििाम अमरीका के संर्ुततराष्ट्र के मुकर्दमे में र्ह वविार स्पष्ट्ट ककर्ा है- "ि तो संर् तथा ि राज्र् ििय की स्थापिा कर सकते हैं। ि तो वे कही कािूि ििा सकते हैं कक एक िमय की सहार्ता अथवा अिेक िमों की सहार्ता अथवा उिके स्थाि पर र्दूसरों को प्राथममकता र्दी िाए। ककसी को कोई व्र्जतत ििय िािे अथवा ि िािे से रोक िहीं सकता। ककसी संप्रर्दार् अथवा िमय के निममत्त ककसी प्रकार कर िहीं लगार्ा िा सकता।"
  • 46. राष्ट्रपनत अिाहम मलंकि िे सि् 1863 में स्पष्ट्ट कहा था- "मैं इतिा और कहिा िाहता हूाँ कक संर्ुतत राष्ट्र अमरीका ििों को िलािे का कार्य ि करे। र्दर्द कोई िागररक ििय अथवा ििय के िाहर खतरिाक साबित होता है तो उसे रोकिा िादहए।" संर्ुतत राष्ट्र अमरीका के िजस्टस श्री स्टुलेि िे इमसयि ििाम िोडय ऑव एिूके शि के मुकर्दमे में निणयर् र्देते हुए कहा है- "िाममयक स्वतंत्रता की सिसे िडी शतय र्ह है कक वह अपिा अजस्तत्व बििा ककसी प्रकार के गुिारे के कार्म रखे और साथ ही साथ वह राज्र् के हस्तक्षेप से मुतत रहे। राज्र् तथा ििय का पृथतकरण राज्र् के मलए अच्छा है तथा ििय के मलए अच्छा है।"
  • 47. संर्ुतत राष्ट्र के समाि समािवार्दी सोववर्त संर् में भी कु छ इस प्रकार की र्टिाएाँ र्टी हैं। 1919 ई. में सोववर्त के संवविाि का अिुच्छेर्द 13, िो पुि: 1927 में स्वीकार ककर्ा गर्ा था, स्पष्ट्ट िमयनिरपेक्ष ककं वा लौककक राज्र् के मसद्िांत को र्ोवषत करता है- "पररश्रमशील ििता के वववेकपूणय वास्तववक स्वतंत्रताप्राजप्त निममत्त ििय को राज्र् से पृथक् तथा स्कू लों को भी ििय से पृथक् ककर्ा िाता है। िाममयक एवं िमयववरोिी प्रिार की स्वतंत्रता समस्त िागररकों के मलए स्वीकार की िाती है।"
  • 48. सि् 1923 के िीि के गणतंत्रीर् संवविाि में लौककक मसद्िांतों का समावेश ककर्ा गर्ा है- "िीिी गणतंत्र के िागररक कािूि के सम्मुख बििा ककसी िानत अथवा िमय अथवा वगयभेर्द के एक समाि समझे िाएाँगे।" मसतंिर सि् 1954 ई. में कम्र्ुनिस्ट िीि सरकार िे संवविाि का, िो प्रारूप स्वीकार ककर्ा, उसके अिुच्छेर्द 88 में स्पष्ट्ट उल्लेख है- "गणतंत्र की ििता को िाममयक ववचवास की स्वतंत्रता प्राप्त है।" भारत में महात्मा गांिी िे राज्र् तथा िमय को एक र्दूसरे में ममला र्देिे की कल्पिा िहीं की, िैसी कक मुजस्लम लीग के िेतागण िे की थी। लीग िे िानत, िमय, संस्कृ नत और राििीनत को एक में ममलाकर उलझि पैर्दा कर र्दी जिसके कारण भारत का ववभािि हुआ। पाककस्ताि िाममयक राज्र् र्ोवषत ककर्ा गर्ा। महात्मा गांिी िे इस ओर संके त ककर्ा था- "िमय तथा राििीनत र्दो िीिें हैं, एक र्दूसरे को अििािे ममलािे में उलझि और अलग रखिे में िीवि सरल तथा सुंर्दर होता है।
  • 49. संवविाि के अिुच्छेर्द 29 पर िोलते हुए लोकसभा के भूतपूवय अध्र्क्ष श्री अिंतशर्िम् आर्ंगर िे कहा था- "हम विििद्ि हैं कक हमारा राज्र् िमयनिरपेक्ष होगा। शधर्द िमयनिरपेक्ष से हमारा र्ह अमभप्रार् िहीं है कक हम ककसी िमय में ववचवास िहीं रखते और हमारे र्दैनिक िीवि में इससे कोई संिंि िहीं है। इसका के वल अथय र्ह है कक राज्र् सरकार ककसी मिहि को र्दूसरे की तुलिा में ि तो सहार्ता र्दे सकती है और ि प्राथममकता। इसमलए राज्र् अपिी पूणय निरपेक्ष जस्थनत रखिे को वववश है।"
  • 50. श्री िवाहरलाल िेहरु िे 5 अगसत, सि् 1954 के भाषण में इसका और स्पष्ट्टीकरण करते हुए कहा था "हम अपिे राज्र् को शार्र्द िमयनिरपेक्ष कहते हैं। शार्र्द "सेतर्ुलर" शधर्द के मलए िमयनिरपेक्ष शधर्द िहुत अच्छा िहीं है। कफर भी इससे िेहतर शधर्द ि ममलिे के कारण इसका प्रर्ोग ककर् गर्ा है। इसका अथय है िाममयक स्वतंत्रता, अपिी अंतरात्मा की प्रेरणा के अिुसार कार्य करिे की स्वतंत्रता। इसमें उि लोगों की भी स्वतंत्रता सजम्ममलत है िो ककसी िमय को िहीं मािते। स्पष्ट्टत: इसका र्ह मतलि िहीं है कक र्ह एक ऐसा राज्र् है िहााँ पर िमयपालि को निरुत्सादहत ककर्ा िाता है। इसका मतलि है कक प्रत्र्ेक िमय के अिुर्ानर्र्ों को िमयपालि की पूरी स्वतंत्रता है, िशते वे र्दूसरे के िमय में र्ा हमारे राज्र् के मूल मसद्िांतों में हस्तक्षेप ि करें। इसका मतलि है कक िमय की दृजष्ट्ट से िो अल्पसंख्र्क हैं वे इस जस्थनत को स्वीकार करें। इसका र्ह भी तात्पर्य है कक िहुसंख्र्क लोग इस दृजष्ट्टकोण से इसका पूरी तरह से महत्व समझें, तर्ोंकक िहुसंख्र्क होिे के िाते और र्दूसरे कारणों से भी उिका प्रभाव अधिक है। अत: उिकी जिम्मेर्दरी हो िाती है ककसी भी रूप में अपिी जस्थनत का इस तरह से प्रर्ोग ि करें जिससे हमारे िमयनिरपेक्ष मसद्िांतों के पालि में िािा पहुाँिे।
  • 51. "िमयनिरपेक्ष" शधर्द का एक और भी अथय समझा िा सकता हूाँ, हालांकक र्ह शधर्दकोश में दर्दर्ा हुआ अथय िहीं हो सकता। मैं इसे सामजिक और राििीनतक समािता के अथय का द्र्ोतक भी मािता हूाँ। इस प्रकार ऐसे समाि को जिसमें िातपांत का भेर्दभाव हो, सही रूप में िमयनिरपेक्ष िहीं कहा िा सकता। ककसी भी व्र्जतत के ववचवास में हस्तक्षेप करिा अभीष्ट्ट िहीं है, लेककि िि वे ववचवास िातपााँत का भेर्दभाव पैर्दा करते हैं तो निस्संर्देह इिका प्रभाव सामाजिक ढााँिे पर पडता है। इससे हमारे समािता के मसद्िांत की प्राजप्त और सफलता में िािा पडती है। सांप्रर्दानर्कता की तरह इससे राििीनतक मामलों में भी अडिि पडती है।" भारतीर् संवविाि की प्रस्ताविा तथ द्ववतीर् भाग के अिुच्छेर्द, 5, तृतीर् भाग के अिुच्छेर्द 15, 16, 21, 25, 28, 30 में िमयनिरपेक्ष मसद्िांतों समाववष्ट्ट ककर् गर्ा है।