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By,
अनीता खंगार , क
ृ षि अषिकारी
COE Devrawas
 क
ु ष्ांड क
ु ल की सब्जियां गर्मी और बरसात की र्मौसर्म
की प्रर्मुख सब्जियां हैं। इनका उपयोग सिी या सलाद क
े
रूप र्में षकया जाता है। इनक
े पौिे बेल नुर्मा होते हैं।
क
ु ष्ांड क
ु ल की प्रर्मुख सब्जियां तरबूज, खरबूजा कद् दू
तुरई लौकी पेठा परवल ककडी ष ंडा खीरा करेला आषद
है।
 क
ु ष्ांड क
ु ल की सब्जियों र्में पुष्प र्मोनोषियस होते हैं,
अर्ाात नर व र्मादा पुष्प एक ही बेल पर अलग-अलग
आते हैं। इनक
े परागण की षिया र्मुख्य रूप से की ों
द्वारा होती है।
 इनकी बेलों की अच्छी वृब्जदद 25 से 30 षडग्री सेब्जियस
तापर्मान पर होती है।
 इन पर पाले का प्रभाव बहुत अषिक होता है।
 इनक
े षलए उपजाऊ दोर्म भूषर्म जहां पानी का षनकास
अच्छा हो, उत्तर्म होती है।
 इनकी खेती गर्मी और विाा दोनों ररतुओं र्में की जाती है।
 तरबूज खरबूजा व ककडी फरवरी-र्मार्ा र्में तर्ा तुरई
खीरा लौकी कद् दू करेला तर्ा ष ंडे की बुवाई
ग्रीष्कालीन फसल क
े षलए फरवरी-र्मार्ा व विाा कालीन
फसल की जून-जुलाई र्में करना उषर्त है|
 बीर्माररयों की रोकर्ार्म क
े षलए बीजों को बोने से पूवा
बषवषिन 2 ग्रार्म प्रषत षकलो बीज क
े षहसाब से उपर्ाररत
कर बोना र्ाषहए|
 बुवाई का सर्मय इस बात पर षनभार करता है षक इन
सब्जियों की बुवाई नदी पे े र्में की जा रही है या सर्मतल
भूषर्म पर|
 अगेती फसल लेने क
े षलए बीजों को सीिे खेत र्में ना
बोकर प्रो- रे र्में बोया जा सकता है|
 प्रो- रे को वषर्माक्यूलाइ ,परले व कोकोपी क
े 1:1 क
े
अनुपात क
े षर्मश्रण से भरा जाता है| इन प्रो- रे र्में बीज को
बोया जाता है|
 प्रो- रे को 1/3 भाग षर्कनी षर्म ी , 1/3 भाग बालू व
1/3 भाग वर्मीकम्पोस्ट खाद षर्मलकर भी भरा जा सकता
है |
 वातावरण गर्मा बनाए रखने क
े षलए रात क
े सर्मय प्रो- रे
को पॉषलर्ीन से ढक देवें।
 उपयुक्त तापर्मान होने पर तैयार खेत र्में स्र्ानांतरण करें।
 सीिे खेत र्में बोने क
े षलए बीजों को बुवाई से पूवा 24 घं े
पानी र्में षभगोने क
े बाद ा र्में बांिकर 24 घं े रखें।
 उपयुक्त तापिर्म पर रखने से बीजों को अंक
ु रण प्रषिया
गषतिील हो जाती है इसक
े बाद बीजों को खेत र्में बोया
जा सकता है इससे अंक
ु रण प्रषतित बढ़ जाता है|
 ग्रीष् ऋतु की फसल र्में प्रारंषभक षदनों र्में लगभग 10 से
12 षदन क
े अंतर से तर्ा बाद र्में तापर्मान बढ़ने पर पांर्
6 षदन क
े अंतर से षसंर्ाई करनी र्ाषहए।
 खरीफ की फसल र्में षसंर्ाई की आवश्यकता नहीं पडती
है यषद लंबे सर्मय तक विाा ना हो तो आवश्यकतानुसार
षसंर्ाई अवश्य कर देनी र्ाषहए|
 पौिों की प्रारंषभक बढ़वार र्में खरपतवारओं से काफी
हाषन होती है। अतः पौिों की छो ी अवस्र्ा र्में षनराई-
गुडाई करना आवश्यक है।
 गर्मी की फसल र्में दो-तीन बार तर्ा बरसात की फसल र्में
तीन र्ार बार षनराई-गुडाई की आवश्यकता पड सकती
है|
1. लाल भृंग
 यह की लाल रंग का होता है तर्ा अंक
ु ररत एवं नई
पषत्तयों को खाकर छलनी कर देता है|
 इसक
े प्रकोप से कई बार पूरी फसल नि हो जाती है।
 षनयंत्रण हेतु क्योंनालफास 2 षर्मलीली र प्रषत ली र की
दर से षछडकाव करें एवं 15 षदन क
े अंतराल पर दोहरावे
|
2. फल र्मक्खी
 करेला,तुरई, ष ंडा, ककडी व खरबूजे आषद को अषिक
नुकसान पहुंर्ाती है|
 इसक
े आिर्मण से फल काणे हो जाते हैं षनयंत्रण हेतु
ग्रषसत फलों को तोडकर जला देवे या जर्मीन र्में गहरे गाढ़
कर नि कर दें|
 र्मेलाषर्यान 50 ईसी या डाइषर्मर्ोए 30 ईसी 1 षर्मली
ली र का प्रषत ली र या क्यूनालफास 2 षर्मलीली र पानी
की दर से षछडकाव करें, आवश्यकता अनुसार 10 से 15
षदन बाद षछडकाव को दोहरावें |
3. बरूर्ी
 यह की पषत्तयों की षनर्ली सतह पर रहकर र्मुलायर्म
तने तर्ा पषत्तयों का रस र्ूसते हैं।
 षनयंत्रण हेतु इषर्यन 50 ईसी 1 षर्मली ली र प्रषत ली र
पानी र्में घोल बनाकर जून क
े षद्वतीय सप्ताह र्में षछडकाव
करें|
1. तुलषसता
 इस रोग क
े र्मुख्य लक्षण पषत्तयों की ऊपरी सतह पर पीले
िब्बे षदखाई देते हैं और नीर्े की सतह पर कवक की
वृब्जि षदखाई देती है।
 उग्र अवस्र्ा र्में रोग ग्रषसत पषत्तयां झड जाती है तर्ा फल
ठीक से नहीं लगते हैं।
 षनयंत्रण हेतु र्मैनकोजेब 2 ग्रार्म प्रषत ली र पानी क
े घोल
का षछडकाव करें |
 2. झुलसा
 इस रोगीक
े प्रकोप से पषत्तयों पर भूरे रंग की छल्लेदार
िाररयां बन जाती हैं|
 इसक
े षनयंत्रण हेतु र्मैनकोजेब या जाइनेब 2 ग्रार्म या
जाईरर्म 2ml प्रषत ली र पानी षर्मलाकर षछडक
ें |
 आवश्यकता पडने पर षछडकाव को 15 षदन क
े अंतर से
दोहरावें |
 3. श्यार्म वणा
 इस रोग क
े प्रकोप से फलों एवं पषत्तयों पर गहरे भूरे रंग
क
े काले िब्बे बन जाते हैं।
 ग्रषसत भाग र्मुरझा कर सूखने लगता है फल कठोर हो
जाते हैं |
 रोकर्ार्म क
े षलए र्मैनकोजेब 2 ग्रार्म प्रषत ली र पानी क
े
घोल का षछडकाव करें|
 4. छाछया
 रोग ग्रषसत बेलोपर सफ
े द र्ूणी िब्बे षदखाई देते हैं।
 रोग ग्रषसत पषत्तयों और फलों की बढ़वार रुक जाती है
और बाद र्में सूख जाते हैं।
 षनयंत्रण हेतु क
े रार्ेन 1ml प्रषत ली र पानी क
े घोल का
षछडकाव 15 षदन क
े अंतराल पर करें |
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  • 1. By, अनीता खंगार , क ृ षि अषिकारी COE Devrawas
  • 2.  क ु ष्ांड क ु ल की सब्जियां गर्मी और बरसात की र्मौसर्म की प्रर्मुख सब्जियां हैं। इनका उपयोग सिी या सलाद क े रूप र्में षकया जाता है। इनक े पौिे बेल नुर्मा होते हैं। क ु ष्ांड क ु ल की प्रर्मुख सब्जियां तरबूज, खरबूजा कद् दू तुरई लौकी पेठा परवल ककडी ष ंडा खीरा करेला आषद है।  क ु ष्ांड क ु ल की सब्जियों र्में पुष्प र्मोनोषियस होते हैं, अर्ाात नर व र्मादा पुष्प एक ही बेल पर अलग-अलग आते हैं। इनक े परागण की षिया र्मुख्य रूप से की ों द्वारा होती है।
  • 3.  इनकी बेलों की अच्छी वृब्जदद 25 से 30 षडग्री सेब्जियस तापर्मान पर होती है।  इन पर पाले का प्रभाव बहुत अषिक होता है।  इनक े षलए उपजाऊ दोर्म भूषर्म जहां पानी का षनकास अच्छा हो, उत्तर्म होती है।  इनकी खेती गर्मी और विाा दोनों ररतुओं र्में की जाती है।
  • 4.
  • 5.  तरबूज खरबूजा व ककडी फरवरी-र्मार्ा र्में तर्ा तुरई खीरा लौकी कद् दू करेला तर्ा ष ंडे की बुवाई ग्रीष्कालीन फसल क े षलए फरवरी-र्मार्ा व विाा कालीन फसल की जून-जुलाई र्में करना उषर्त है|  बीर्माररयों की रोकर्ार्म क े षलए बीजों को बोने से पूवा बषवषिन 2 ग्रार्म प्रषत षकलो बीज क े षहसाब से उपर्ाररत कर बोना र्ाषहए|  बुवाई का सर्मय इस बात पर षनभार करता है षक इन सब्जियों की बुवाई नदी पे े र्में की जा रही है या सर्मतल भूषर्म पर|
  • 6.  अगेती फसल लेने क े षलए बीजों को सीिे खेत र्में ना बोकर प्रो- रे र्में बोया जा सकता है|  प्रो- रे को वषर्माक्यूलाइ ,परले व कोकोपी क े 1:1 क े अनुपात क े षर्मश्रण से भरा जाता है| इन प्रो- रे र्में बीज को बोया जाता है|  प्रो- रे को 1/3 भाग षर्कनी षर्म ी , 1/3 भाग बालू व 1/3 भाग वर्मीकम्पोस्ट खाद षर्मलकर भी भरा जा सकता है |  वातावरण गर्मा बनाए रखने क े षलए रात क े सर्मय प्रो- रे को पॉषलर्ीन से ढक देवें।
  • 7.  उपयुक्त तापर्मान होने पर तैयार खेत र्में स्र्ानांतरण करें।  सीिे खेत र्में बोने क े षलए बीजों को बुवाई से पूवा 24 घं े पानी र्में षभगोने क े बाद ा र्में बांिकर 24 घं े रखें।  उपयुक्त तापिर्म पर रखने से बीजों को अंक ु रण प्रषिया गषतिील हो जाती है इसक े बाद बीजों को खेत र्में बोया जा सकता है इससे अंक ु रण प्रषतित बढ़ जाता है|
  • 8.
  • 9.
  • 10.  ग्रीष् ऋतु की फसल र्में प्रारंषभक षदनों र्में लगभग 10 से 12 षदन क े अंतर से तर्ा बाद र्में तापर्मान बढ़ने पर पांर् 6 षदन क े अंतर से षसंर्ाई करनी र्ाषहए।  खरीफ की फसल र्में षसंर्ाई की आवश्यकता नहीं पडती है यषद लंबे सर्मय तक विाा ना हो तो आवश्यकतानुसार षसंर्ाई अवश्य कर देनी र्ाषहए|  पौिों की प्रारंषभक बढ़वार र्में खरपतवारओं से काफी हाषन होती है। अतः पौिों की छो ी अवस्र्ा र्में षनराई- गुडाई करना आवश्यक है।
  • 11.  गर्मी की फसल र्में दो-तीन बार तर्ा बरसात की फसल र्में तीन र्ार बार षनराई-गुडाई की आवश्यकता पड सकती है|
  • 12. 1. लाल भृंग  यह की लाल रंग का होता है तर्ा अंक ु ररत एवं नई पषत्तयों को खाकर छलनी कर देता है|  इसक े प्रकोप से कई बार पूरी फसल नि हो जाती है।  षनयंत्रण हेतु क्योंनालफास 2 षर्मलीली र प्रषत ली र की दर से षछडकाव करें एवं 15 षदन क े अंतराल पर दोहरावे |
  • 13.
  • 14. 2. फल र्मक्खी  करेला,तुरई, ष ंडा, ककडी व खरबूजे आषद को अषिक नुकसान पहुंर्ाती है|  इसक े आिर्मण से फल काणे हो जाते हैं षनयंत्रण हेतु ग्रषसत फलों को तोडकर जला देवे या जर्मीन र्में गहरे गाढ़ कर नि कर दें|  र्मेलाषर्यान 50 ईसी या डाइषर्मर्ोए 30 ईसी 1 षर्मली ली र का प्रषत ली र या क्यूनालफास 2 षर्मलीली र पानी की दर से षछडकाव करें, आवश्यकता अनुसार 10 से 15 षदन बाद षछडकाव को दोहरावें |
  • 15.
  • 16. 3. बरूर्ी  यह की पषत्तयों की षनर्ली सतह पर रहकर र्मुलायर्म तने तर्ा पषत्तयों का रस र्ूसते हैं।  षनयंत्रण हेतु इषर्यन 50 ईसी 1 षर्मली ली र प्रषत ली र पानी र्में घोल बनाकर जून क े षद्वतीय सप्ताह र्में षछडकाव करें|
  • 17.
  • 18. 1. तुलषसता  इस रोग क े र्मुख्य लक्षण पषत्तयों की ऊपरी सतह पर पीले िब्बे षदखाई देते हैं और नीर्े की सतह पर कवक की वृब्जि षदखाई देती है।  उग्र अवस्र्ा र्में रोग ग्रषसत पषत्तयां झड जाती है तर्ा फल ठीक से नहीं लगते हैं।  षनयंत्रण हेतु र्मैनकोजेब 2 ग्रार्म प्रषत ली र पानी क े घोल का षछडकाव करें |
  • 19.
  • 20.  2. झुलसा  इस रोगीक े प्रकोप से पषत्तयों पर भूरे रंग की छल्लेदार िाररयां बन जाती हैं|  इसक े षनयंत्रण हेतु र्मैनकोजेब या जाइनेब 2 ग्रार्म या जाईरर्म 2ml प्रषत ली र पानी षर्मलाकर षछडक ें |  आवश्यकता पडने पर षछडकाव को 15 षदन क े अंतर से दोहरावें |
  • 21.
  • 22.  3. श्यार्म वणा  इस रोग क े प्रकोप से फलों एवं पषत्तयों पर गहरे भूरे रंग क े काले िब्बे बन जाते हैं।  ग्रषसत भाग र्मुरझा कर सूखने लगता है फल कठोर हो जाते हैं |  रोकर्ार्म क े षलए र्मैनकोजेब 2 ग्रार्म प्रषत ली र पानी क े घोल का षछडकाव करें|
  • 23.  4. छाछया  रोग ग्रषसत बेलोपर सफ े द र्ूणी िब्बे षदखाई देते हैं।  रोग ग्रषसत पषत्तयों और फलों की बढ़वार रुक जाती है और बाद र्में सूख जाते हैं।  षनयंत्रण हेतु क े रार्ेन 1ml प्रषत ली र पानी क े घोल का षछडकाव 15 षदन क े अंतराल पर करें |