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भ िंडी की वैज्ञाभिक खेती
नाम - जय स िंह, शोध छात्र
चिंद्र शेखर आजाद क
ृ सि एविं प्रोद्योसिकी सवश्वसवद्यालय कानपुर उ. प्र . भारत
२०८००२
भ िंडी
सभिंडी की फ ल विष भर उिाई जाती है और यह मालवे ी क
ु ल े िंबिंसधत है।
इ का मूल स्थान एथोसपया है।
यह सवशेि तौर पर उष्ण और उपोष्ण क्षेत्रोिं में उिाई जाती है।
भारत में सभिंडी उिाने वाले मुख्य प्रािंत उत्तर प्रदेश, सबहार, पसिमी बिंिाल और उड़ी ा हैं।
सभिंडी की खेती सवशेि तौर पर इ मे लिने वाले हरे फल क
े कारण की जाती है।
इ क
े ूखे फल और सछल्क
े को कािज़ उदयोि में और रेशा (फाइबर) सनकालने क
े सलए प्रयोि
सकया जाता है।
सभिंडी सवटासमन, प्रोटीन, क
ै ल्शशयम और अन्य खसनजोिं का मुख्य स्त्रोत है।
जलवायु
तापमाि- 20-30°C
औषत वषाा- 1000 mm
कटाई क
े समय तापमाि- 25-35°C
बुवाई क
े समय तापमाि- 20-29°C
भमट्टी
सभिंडी कई तरह की समट्टी में उिाई जा कती है| परन्तु सभिंडी की फ ल क
े सलए उसचत समट्टी
रेतली े सचकनी होती है|
सज में जैसवक तत्व भरपूर मात्रा में होिं और सज की पानी की सनका प्रणाली अच्छी हो।
यसद सनका अच्छे ढिंि का हो तो यह भारी ज़मीनोिं में भी अच्छी उिती है।
 समट्टी का पी एच 6.0 े 6.5 होना चासहए।
खारी, नमक वाली या कम जल सनका वाली समट्टी में इ की खेती अच्छी उपज नहीिं होती है।
प्रभसद्ध भकस्में
Pusa Makhmali: यह सकस्म आई ए आर आई, नई सदल्ली द्वारा बनाई िई है। इ क
े फल हलक
े हरे रिंि क
े
होते हैं।
Parbhani Kranti: इ क
े फल आकार में लिंबे होते हैं और अच्छी क्वासलटी क
े कारण ज्यादा देर तक स्टोर
सकए जा कते हैं। यह सचतकबरा रोि को हने योग्य सकस्म है। यह 120 सदनोिं में पककर तैयार हो जाती है।
इ की औ तन पैदावार 40-48 ल्क्व
िं टल प्रसत एकड़ होती है।
Pusa Sawani: यह सकस्म आई ए आर आई, नई सदल्ली द्वारा बनाई िई है। यह सकस्म िमी और बर ात क
े
मौ म में उिाने योग्य सकस्म है। यह 50 सदनोिं में पककर तैयार हो जाती है। इ क
े फल िहरे हरे रिंि क
े और
कटाई क
े मय 10-12 ैं.मी. लिंबे होते हैं। यह सचतकबरा रोि को हने योग्य सकस्म है। इ की औ तन
पैदावार 48-60 ल्क्व
िं टल होता है।
Arka Anamika: यह सकस्म आई आई एच आर बैंिलोर द्वारा तैयार की िई है। यह सचतकबरा रोि की
रोधक सकस्म है।
जमीि की तैयारी
खेत की तैयारी करने क
े सलए ज़मीन की 5-6 बार िहरी जोताई करें। सफर
दो-तीन बार पटेला लिाकर ज़मीन को मतल करें।
आल्खरी बार जोताई करते मय 100 ल्क्व
िं टल प्रसत एकड़ अच्छी ड़ी हुई
िोबर की खाद समट्टी में समलाए।
इ े बुवाई वाली मशीन े या हाथोिं े िड्ढा खोदकर या हलोिं क
े पीछे बीज
डालकर भी बोया जा कता है।
बुवाई
बुवाई का समय
उत्तर भारत में यह विाष और ब िंत क
े मौ म में उिाई जाती है।
विाष वाले मौ म में, इ की बुवाई जून-जुलाई क
े महीने और ब िंत ऋतु में फरवरी-माचष क
े महीने में की जाती है।
स्पेभसिंग
पिंल्ियोिं क
े बीच की दू री 45 ैं.मी. और पौधोिं क
े बीच की दू री 15-20 ैं.मी. रखनी चासहए।
बीज बोिे की गहराई
बीज 1-2 ैं.मी. िहराई में बोयें।
बुवाई का ढिंग
इ की बुवाई िड्ढा खोदकर, हलोिं क
े पीछे बीज डालकर या बुवाई वाली मशीन े की जाती है।
खादें (भकलोग्राम प्रभत एकड़)
UREA SSP MURIATE OF POTASH
80 As per soil test results As per soil test results
NITROGEN PHOSPHORUS MURIATE OF POTASH
36 As per soil test results As per soil test results
खाद एविं उवारक
शुरूआती खाद क
े तौर पर 120-150 सक
िं वटल अच्छी ड़ी हुई िोबर की खाद डालें।
सभिंडी की फ ल क
े सलए नाइटरोजन 36 सकलो (80 सकलो यूररया) प्रसत एकड़ में प्रयोि करें।
नाइटरोजन की आधी मात्रा बुवाई क
े मय और बाकी बची मात्रा पहली तुड़ाई क
े बाद डालें।
अच्छी पैदावार प्राप्त करनें क
े सलए बुवाई क
े 10-15 सदनोिं क
े बाद NPK 19:19:19 की 4-5
ग्राम प्रसत लीटर पानी क
े ाथ स्प्रे करें।
अच्छी पैदावार और अच्छी क्वासलटी क
े फलोिं क
े सलए ,फ
ू ल बनने क
े मय 13:00:45 (पोटाल्िम
नाइटरेट) की 100 ग्राम प्रसत 10 लीटर पानी क
े ाथ स्प्रे करें।
खरपतवार भियिंत्रण
खरपतवार क
े सवका को रोकने क
े सलए िोडाई करनी चासहए।
विाष ऋतु वाली फ ल में पिंल्ियोिं क
े ाथ समट्टी चड़ाते रहना चासहए।
पहली िोडाई 20-25 सदन बाद और दू री िोडाई बुवाई क
े 40-45 सदन बाद करें।
बीजोिं क
े अिंक
ु रन े पहले खरपतवार नाशक डालने े खरपतवारोिं को आ ानी े
रोका जा कता है।
इ क
े सलए फलूक्लोरासलन (48 प्रसतशत) 1 लीटर प्रसत एकड़ या पैंडीमैथालीन 1
लीटर प्रसत एकड़ या ऐक्लोर 1.6 लीटर प्रसत एकड़ डालें।
भसिंचाई
यसद ज़मीन में आविक नमी ना हो तो, बीजोिं क
े अच्छे अिंक
ु रन क
े सलए
िसमषयोिं में बुवाई े पहले स िंचाई करें।
दू री स िंचाई बीज अिंक
ु रन क
े बाद करें।
खेत की स िंचाई िसमषयोिं में 4-5 सदन बाद और विाष ऋतु में 10-12 सदन क
े
अिंतराल पर करें।
पौधोिं की देख ाल
हाभिकारक कीट और रोकथाम
शाख और फल का कीट :
यह कीट पौधे क
े सवका क
े मय शाखाओिं में पैदा होता है।
इ क
े हमले े प्रभासवत शाखा ूखकर झड़ जाती है। बाद में यह फलोिं में जा कर इन्हें अपने मल
े भर देता है।
प्रभासवत भािोिं को नष्ट कर दें।
यसद इनकी िंख्या ज्यादा हो तो स्पाइनो ैड 1 सम.ली. प्रसत क्लोरॅटरीसनलीप्रोल 18.5 प्रसतशत ए
ी 7 सम.ली. प्रसत 15 लीटर पानी या फलूबैंडीअमाइड 50 सम.ली. प्रसत एकड़ को 200 लीटर
पानी में समलाकर स्प्रे करें।
चेपा:
 चेपे का हमला नए पत्तोिं और फलोिं पर देखा जा कता है।
 यह पौधे का र चू कर उ े कमज़ोर कर देता है।
 ििंभीर हमले की ल्स्थसत में पत्ते मुड़ जाते हैं या बेढिंिे रूप क
े हो जाते हैं।
 यह शहद की बूिंद जै ा पदाथष जो धुिंएिं जै ा होता है को छोड़ते हैं।
 प्रभासवत भािोिं पर काले रिंि की फफ
ूिं द पैदा हो जाती है।
रोकथाम:
 जै े ही हमला देखा जाये, तुरिंत प्रभासवत सहस्से नष्ट कर दें।
 डाइमैथोएट 300 सम.ली. प्रसत 150 लीटर पानी में समलाकर बुवाई े 20-35 सदन बाद डालें। यसद जरूरत हो तो
दोबारा डालें। हमला सदखने पर थाइमैथोक्सम 25 डब्लयु जी 5 ग्राम को प्रसत 15 लीटर पानी की स्प्रे करें।
भचतकबरा रोग :
इ बीमारी क
े लक्षणोिं क
े तौर पर ारे पत्तोिं पर एक जै ी
पीली धाररयािं होती हैं।
इ बीमारी पौधे की वृल्ि पर अ र पड़ता है और सवका
रूक जाता है।
इ बीमारी मे फल पीले सदखाई देते हैं और आकार में
छोटे और ख्त होते हैं।
इ े 80-90 प्रसतशत पैदावार कम हो जाती है। यह
बीमारी फ
े द मक्खी और पत्ते क
े सटड्डे क
े कारण फ
ै लती
है।
रोकथाम
इ की रोकथाम क
े सलए रोधक सकस्मोिं का प्रयोि करें।
बीमारी वाले पौधोिं को खेत े दू र ले जाकर नष्ट कर दें।
 फ
े द मक्खी की रोकथाम क
े सलए डाइमैथोएट 300
सम.ली. प्रसत 200 लीटर पानी में समलाकर स्प्रे करें।
बीमाररयािं और रोकथाम
पत्ोिं पर सफ
े द धब्बे :
इ े नए पत्तोिं और फलोिं पर फ
े द धब्बे पड़ जाते हैं। ििंभीर हमले की ल्स्थसत में
फल पकने े पहले ही झड़ जाते हैं।
इ े फल की क्वासलटी भी कम हो जाती है और फल आकार में छोटे रह जाते हैं।
रोकथाम
यसद इ का हमला सदखे तो घुलनशील लफर 25 ग्राम प्रसत 10 लीटर पानी या
डाइनोक
ै प 5 सम.ली. प्रसत 10 लीटर पानी की स्प्रे 4 बार 10 सदनोिं क
े फा ले पर करें।
या टराइडमॉफ
ष 5 सम.ली. या पैनकोनाज़ोल 10 सम.ली. प्रसत 10 लीटर की स्प्रे 4 बार
10 सदनोिं क
े फा ले पर करें।
पत्ोिं पर धब्बा रोग :
पत्तोिं क
े मध्य में लेटी और सकनारोिं पर लाल धब्बे पड़ जाते हैं।
ििंभीर हमले की ल्स्थसत में पत्ते झड़ने शुरू हो जाते हैं।
रोकथाम:
भसवष्य में हमले े बचने क
े सलए बीजोिं को थीरम े उपचार करें।
यसद खेत में इ का हमला सदखे तो मैनकोजेब 4 ग्राम प्रसत लीटर या
क
े पटान 2 ग्राम प्रसत लीटर या काबेनडासज़म 2 ग्राम प्रसत लीटर पानी का
स्प्रे करें।
डाइफ
ै नोकोनाज़ोल/ हैक्साकोनाज़ोल 0.5 ग्राम प्रसत लीटर पानी का स्प्रे
करें।
जड़ गलि :
 प्रभासवत जड़ें िहरे भूरे रिंि की हो जाती हैं और ज्यादा हमले की ल्स्थसत में पौधा मर
जाता है।
इ की रोकथाम क
े सलए एक ही फ ल खेत में बार बार ना लिाएिं , बल्ल्क फ ल चक्र
अपनाएिं ।
रोकथाम
बुवाई े पहले बीजोिं को काबेनडासज़म 2.5 ग्राम प्रसत सकलो बीज े उपचार करें।
समट्टी में काबेनडासज़म घोल 1 ग्राम प्रसत लीटर पानी डालें।
सूखा रोग :
इ े शुरूआत में पुराने पत्ते पीले पड़ जाते हैं और बाद में ारी फ ल ही
ूख जाती है।
यह बीमारी फ ल पर सक ी भी मय हमला कर कती है। यसद इ का
हमला सदखे तो पौधे की नज़दीक की जड़ोिं में काबेनडासज़म 10 ग्राम प्रसत
10 लीटर पानी डालें।
फसल की तुड़ाई
फ ल बुवाई क
े 60-70 सदनोिं क
े बाद पककर तैयार हो जाती है।
छोटे और कच्चे फलोिं की तुड़ाई करें।
फलोिं की तुड़ाई ुबह और शाम क
े मय करनी चासहए।
तुड़ाई में देरी े सभिंसडयोिं में रेशा बढ़ जाता है और इनका कच्चापन और
स्वाद भी चला जाता है।
कटाई क
े बाद प्रबिंधि
सभिंसडयोिं को ज्यादा देर तक भिंडाररत करक
े नहीिं रखा जा कता।
सभिंसडयोिं को 7-10 सडग्री ैल्िय और 90 प्रसतशत नमी पर क
ु छ सदनोिं तक
स्टोर करक
े रखा जा कता है।
नज़दीक क
े बाज़ारोिं में सभिंसडयोिं को जूट की बोररयोिं में भरकर ले जाया जा
कता है, जबसक लिंबी दू री वाले स्थानोिं पर इन्हें ित्ते क
े बक्से में पैक करक
े ले
जाया जा कता है।

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  • 1. भ िंडी की वैज्ञाभिक खेती नाम - जय स िंह, शोध छात्र चिंद्र शेखर आजाद क ृ सि एविं प्रोद्योसिकी सवश्वसवद्यालय कानपुर उ. प्र . भारत २०८००२
  • 2. भ िंडी सभिंडी की फ ल विष भर उिाई जाती है और यह मालवे ी क ु ल े िंबिंसधत है। इ का मूल स्थान एथोसपया है। यह सवशेि तौर पर उष्ण और उपोष्ण क्षेत्रोिं में उिाई जाती है। भारत में सभिंडी उिाने वाले मुख्य प्रािंत उत्तर प्रदेश, सबहार, पसिमी बिंिाल और उड़ी ा हैं। सभिंडी की खेती सवशेि तौर पर इ मे लिने वाले हरे फल क े कारण की जाती है। इ क े ूखे फल और सछल्क े को कािज़ उदयोि में और रेशा (फाइबर) सनकालने क े सलए प्रयोि सकया जाता है। सभिंडी सवटासमन, प्रोटीन, क ै ल्शशयम और अन्य खसनजोिं का मुख्य स्त्रोत है।
  • 3. जलवायु तापमाि- 20-30°C औषत वषाा- 1000 mm कटाई क े समय तापमाि- 25-35°C बुवाई क े समय तापमाि- 20-29°C
  • 4. भमट्टी सभिंडी कई तरह की समट्टी में उिाई जा कती है| परन्तु सभिंडी की फ ल क े सलए उसचत समट्टी रेतली े सचकनी होती है| सज में जैसवक तत्व भरपूर मात्रा में होिं और सज की पानी की सनका प्रणाली अच्छी हो। यसद सनका अच्छे ढिंि का हो तो यह भारी ज़मीनोिं में भी अच्छी उिती है।  समट्टी का पी एच 6.0 े 6.5 होना चासहए। खारी, नमक वाली या कम जल सनका वाली समट्टी में इ की खेती अच्छी उपज नहीिं होती है।
  • 5. प्रभसद्ध भकस्में Pusa Makhmali: यह सकस्म आई ए आर आई, नई सदल्ली द्वारा बनाई िई है। इ क े फल हलक े हरे रिंि क े होते हैं। Parbhani Kranti: इ क े फल आकार में लिंबे होते हैं और अच्छी क्वासलटी क े कारण ज्यादा देर तक स्टोर सकए जा कते हैं। यह सचतकबरा रोि को हने योग्य सकस्म है। यह 120 सदनोिं में पककर तैयार हो जाती है। इ की औ तन पैदावार 40-48 ल्क्व िं टल प्रसत एकड़ होती है। Pusa Sawani: यह सकस्म आई ए आर आई, नई सदल्ली द्वारा बनाई िई है। यह सकस्म िमी और बर ात क े मौ म में उिाने योग्य सकस्म है। यह 50 सदनोिं में पककर तैयार हो जाती है। इ क े फल िहरे हरे रिंि क े और कटाई क े मय 10-12 ैं.मी. लिंबे होते हैं। यह सचतकबरा रोि को हने योग्य सकस्म है। इ की औ तन पैदावार 48-60 ल्क्व िं टल होता है। Arka Anamika: यह सकस्म आई आई एच आर बैंिलोर द्वारा तैयार की िई है। यह सचतकबरा रोि की रोधक सकस्म है।
  • 6. जमीि की तैयारी खेत की तैयारी करने क े सलए ज़मीन की 5-6 बार िहरी जोताई करें। सफर दो-तीन बार पटेला लिाकर ज़मीन को मतल करें। आल्खरी बार जोताई करते मय 100 ल्क्व िं टल प्रसत एकड़ अच्छी ड़ी हुई िोबर की खाद समट्टी में समलाए। इ े बुवाई वाली मशीन े या हाथोिं े िड्ढा खोदकर या हलोिं क े पीछे बीज डालकर भी बोया जा कता है।
  • 7. बुवाई बुवाई का समय उत्तर भारत में यह विाष और ब िंत क े मौ म में उिाई जाती है। विाष वाले मौ म में, इ की बुवाई जून-जुलाई क े महीने और ब िंत ऋतु में फरवरी-माचष क े महीने में की जाती है। स्पेभसिंग पिंल्ियोिं क े बीच की दू री 45 ैं.मी. और पौधोिं क े बीच की दू री 15-20 ैं.मी. रखनी चासहए। बीज बोिे की गहराई बीज 1-2 ैं.मी. िहराई में बोयें। बुवाई का ढिंग इ की बुवाई िड्ढा खोदकर, हलोिं क े पीछे बीज डालकर या बुवाई वाली मशीन े की जाती है।
  • 8. खादें (भकलोग्राम प्रभत एकड़) UREA SSP MURIATE OF POTASH 80 As per soil test results As per soil test results NITROGEN PHOSPHORUS MURIATE OF POTASH 36 As per soil test results As per soil test results
  • 9. खाद एविं उवारक शुरूआती खाद क े तौर पर 120-150 सक िं वटल अच्छी ड़ी हुई िोबर की खाद डालें। सभिंडी की फ ल क े सलए नाइटरोजन 36 सकलो (80 सकलो यूररया) प्रसत एकड़ में प्रयोि करें। नाइटरोजन की आधी मात्रा बुवाई क े मय और बाकी बची मात्रा पहली तुड़ाई क े बाद डालें। अच्छी पैदावार प्राप्त करनें क े सलए बुवाई क े 10-15 सदनोिं क े बाद NPK 19:19:19 की 4-5 ग्राम प्रसत लीटर पानी क े ाथ स्प्रे करें। अच्छी पैदावार और अच्छी क्वासलटी क े फलोिं क े सलए ,फ ू ल बनने क े मय 13:00:45 (पोटाल्िम नाइटरेट) की 100 ग्राम प्रसत 10 लीटर पानी क े ाथ स्प्रे करें।
  • 10. खरपतवार भियिंत्रण खरपतवार क े सवका को रोकने क े सलए िोडाई करनी चासहए। विाष ऋतु वाली फ ल में पिंल्ियोिं क े ाथ समट्टी चड़ाते रहना चासहए। पहली िोडाई 20-25 सदन बाद और दू री िोडाई बुवाई क े 40-45 सदन बाद करें। बीजोिं क े अिंक ु रन े पहले खरपतवार नाशक डालने े खरपतवारोिं को आ ानी े रोका जा कता है। इ क े सलए फलूक्लोरासलन (48 प्रसतशत) 1 लीटर प्रसत एकड़ या पैंडीमैथालीन 1 लीटर प्रसत एकड़ या ऐक्लोर 1.6 लीटर प्रसत एकड़ डालें।
  • 11. भसिंचाई यसद ज़मीन में आविक नमी ना हो तो, बीजोिं क े अच्छे अिंक ु रन क े सलए िसमषयोिं में बुवाई े पहले स िंचाई करें। दू री स िंचाई बीज अिंक ु रन क े बाद करें। खेत की स िंचाई िसमषयोिं में 4-5 सदन बाद और विाष ऋतु में 10-12 सदन क े अिंतराल पर करें।
  • 12. पौधोिं की देख ाल हाभिकारक कीट और रोकथाम शाख और फल का कीट : यह कीट पौधे क े सवका क े मय शाखाओिं में पैदा होता है। इ क े हमले े प्रभासवत शाखा ूखकर झड़ जाती है। बाद में यह फलोिं में जा कर इन्हें अपने मल े भर देता है। प्रभासवत भािोिं को नष्ट कर दें। यसद इनकी िंख्या ज्यादा हो तो स्पाइनो ैड 1 सम.ली. प्रसत क्लोरॅटरीसनलीप्रोल 18.5 प्रसतशत ए ी 7 सम.ली. प्रसत 15 लीटर पानी या फलूबैंडीअमाइड 50 सम.ली. प्रसत एकड़ को 200 लीटर पानी में समलाकर स्प्रे करें।
  • 13. चेपा:  चेपे का हमला नए पत्तोिं और फलोिं पर देखा जा कता है।  यह पौधे का र चू कर उ े कमज़ोर कर देता है।  ििंभीर हमले की ल्स्थसत में पत्ते मुड़ जाते हैं या बेढिंिे रूप क े हो जाते हैं।  यह शहद की बूिंद जै ा पदाथष जो धुिंएिं जै ा होता है को छोड़ते हैं।  प्रभासवत भािोिं पर काले रिंि की फफ ूिं द पैदा हो जाती है। रोकथाम:  जै े ही हमला देखा जाये, तुरिंत प्रभासवत सहस्से नष्ट कर दें।  डाइमैथोएट 300 सम.ली. प्रसत 150 लीटर पानी में समलाकर बुवाई े 20-35 सदन बाद डालें। यसद जरूरत हो तो दोबारा डालें। हमला सदखने पर थाइमैथोक्सम 25 डब्लयु जी 5 ग्राम को प्रसत 15 लीटर पानी की स्प्रे करें।
  • 14. भचतकबरा रोग : इ बीमारी क े लक्षणोिं क े तौर पर ारे पत्तोिं पर एक जै ी पीली धाररयािं होती हैं। इ बीमारी पौधे की वृल्ि पर अ र पड़ता है और सवका रूक जाता है। इ बीमारी मे फल पीले सदखाई देते हैं और आकार में छोटे और ख्त होते हैं। इ े 80-90 प्रसतशत पैदावार कम हो जाती है। यह बीमारी फ े द मक्खी और पत्ते क े सटड्डे क े कारण फ ै लती है। रोकथाम इ की रोकथाम क े सलए रोधक सकस्मोिं का प्रयोि करें। बीमारी वाले पौधोिं को खेत े दू र ले जाकर नष्ट कर दें।  फ े द मक्खी की रोकथाम क े सलए डाइमैथोएट 300 सम.ली. प्रसत 200 लीटर पानी में समलाकर स्प्रे करें। बीमाररयािं और रोकथाम
  • 15. पत्ोिं पर सफ े द धब्बे : इ े नए पत्तोिं और फलोिं पर फ े द धब्बे पड़ जाते हैं। ििंभीर हमले की ल्स्थसत में फल पकने े पहले ही झड़ जाते हैं। इ े फल की क्वासलटी भी कम हो जाती है और फल आकार में छोटे रह जाते हैं। रोकथाम यसद इ का हमला सदखे तो घुलनशील लफर 25 ग्राम प्रसत 10 लीटर पानी या डाइनोक ै प 5 सम.ली. प्रसत 10 लीटर पानी की स्प्रे 4 बार 10 सदनोिं क े फा ले पर करें। या टराइडमॉफ ष 5 सम.ली. या पैनकोनाज़ोल 10 सम.ली. प्रसत 10 लीटर की स्प्रे 4 बार 10 सदनोिं क े फा ले पर करें।
  • 16. पत्ोिं पर धब्बा रोग : पत्तोिं क े मध्य में लेटी और सकनारोिं पर लाल धब्बे पड़ जाते हैं। ििंभीर हमले की ल्स्थसत में पत्ते झड़ने शुरू हो जाते हैं। रोकथाम: भसवष्य में हमले े बचने क े सलए बीजोिं को थीरम े उपचार करें। यसद खेत में इ का हमला सदखे तो मैनकोजेब 4 ग्राम प्रसत लीटर या क े पटान 2 ग्राम प्रसत लीटर या काबेनडासज़म 2 ग्राम प्रसत लीटर पानी का स्प्रे करें। डाइफ ै नोकोनाज़ोल/ हैक्साकोनाज़ोल 0.5 ग्राम प्रसत लीटर पानी का स्प्रे करें।
  • 17. जड़ गलि :  प्रभासवत जड़ें िहरे भूरे रिंि की हो जाती हैं और ज्यादा हमले की ल्स्थसत में पौधा मर जाता है। इ की रोकथाम क े सलए एक ही फ ल खेत में बार बार ना लिाएिं , बल्ल्क फ ल चक्र अपनाएिं । रोकथाम बुवाई े पहले बीजोिं को काबेनडासज़म 2.5 ग्राम प्रसत सकलो बीज े उपचार करें। समट्टी में काबेनडासज़म घोल 1 ग्राम प्रसत लीटर पानी डालें।
  • 18. सूखा रोग : इ े शुरूआत में पुराने पत्ते पीले पड़ जाते हैं और बाद में ारी फ ल ही ूख जाती है। यह बीमारी फ ल पर सक ी भी मय हमला कर कती है। यसद इ का हमला सदखे तो पौधे की नज़दीक की जड़ोिं में काबेनडासज़म 10 ग्राम प्रसत 10 लीटर पानी डालें।
  • 19. फसल की तुड़ाई फ ल बुवाई क े 60-70 सदनोिं क े बाद पककर तैयार हो जाती है। छोटे और कच्चे फलोिं की तुड़ाई करें। फलोिं की तुड़ाई ुबह और शाम क े मय करनी चासहए। तुड़ाई में देरी े सभिंसडयोिं में रेशा बढ़ जाता है और इनका कच्चापन और स्वाद भी चला जाता है।
  • 20. कटाई क े बाद प्रबिंधि सभिंसडयोिं को ज्यादा देर तक भिंडाररत करक े नहीिं रखा जा कता। सभिंसडयोिं को 7-10 सडग्री ैल्िय और 90 प्रसतशत नमी पर क ु छ सदनोिं तक स्टोर करक े रखा जा कता है। नज़दीक क े बाज़ारोिं में सभिंसडयोिं को जूट की बोररयोिं में भरकर ले जाया जा कता है, जबसक लिंबी दू री वाले स्थानोिं पर इन्हें ित्ते क े बक्से में पैक करक े ले जाया जा कता है।