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GURUTVA JYOTISH MONTHLY E-MAGAZINE MARCH-2020
गुरुत्व ज्योतिष ई पत्रीका मार्च-2020 में प्रकशित लेख
चैत्र नवरात्र विशेष विशेष
12. 12 भार्ा 2020
श्री भशारक्ष्भी मॊि
धन फक देली रक्ष्भी शैं जो भनुष्म को धन, वभृत्रद्ध एलॊ ऐद्वमा प्रदान कयती शैं। अथा(धन) के त्रफना भनुष्म जीलन दु्ख, दरयरता,
योग, अबालों वे ऩीफडत शोता शैं, औय अथा(धन) वे मुक्त भनुष्म जीलन भें वभस्त वुख-वुत्रलधाएॊ बोगता शैं। श्री भशारक्ष्भी मॊि के
ऩूजन वे भनुष्म की जन्भों जन्भ की दरयरता का नाळ शोकय, धन प्रासद्ऱ के प्रफर मोग फनने रगते शैं, उवे धन-धान्म औय
रक्ष्भी की लृत्रद्ध शोती शैं। श्री भशारक्ष्भी मॊि के सनमसभत ऩूजन एलॊ दळान वे धन की प्रासद्ऱ शोती शै औय मॊि जी सनमसभत
उऩावना वे देली रक्ष्भी का स्थाई सनलाव शोता शै। श्री भशारक्ष्भी मॊि भनुष्म फक वबी बौसतक काभनाओॊ को ऩूणा कय धन
ऐद्वमा प्रदान कयने भें वभथा शैं। अषम तृतीमा, धनतेयव, दीलालरी, गुरु ऩुष्माभृत मोग यत्रलऩुष्म इत्माफद ळुब भुशूता भें मॊि की
स्थाऩना एलॊ ऩूजन का त्रलळेऴ भशत्ल शैं।
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GURUTVA KARYALAY
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ऩूजन भें शुई िुफट के सनलायण शेतु षभा प्राथना कयें।
षभा प्राथाना
न भॊिॊ नोमॊिॊ तदत्रऩ र् न जाने स्तुसतभशो
न र्ाह्लानॊ ध्मानॊ तदत्रऩ र् न जाने स्तुसतकथा्।
न जाने भुरास्ते तदत्रऩ र् न जाने त्रलरऩनॊ
ऩयॊ जाने भातस्त्लदनुवयणॊ क्रेळशयणभ्॥1॥
त्रलधेयसानेन रत्रलणत्रलयशेणारवतमा
त्रलधेमाळक्मत्लात्तल र्यणमोमाा च्मुसतयबूत ् ।
तदेतत्षतव्मॊ जनसन वकरोद्धारयत्ण सळले
कु ऩुिो जामेत क्लसर्दत्रऩ कु भाता न बलसत ॥2॥
ऩृसथव्माॊ ऩुिास्ते जनसन फशल् वत्न्त वयरा्
ऩयॊ तेऴाॊ भध्मे त्रलयरतयरोऽशॊ तल वुत् ।
भदीमोऽमॊत्माग् वभुसर्तसभदॊ नो तल सळले
कु ऩुिो जामेत ् क्लसर्दत्रऩ कु भाता न बलसत ॥3॥
जगन्भातभाातस्तल र्यणवेला न यसर्ता
न ला दत्तॊ देत्रल रत्रलणभत्रऩ बूमस्तल भमा ।
तथात्रऩत्लॊ स्नेशॊ भसम सनरुऩभॊ मत्प्रकु रुऴे
कु ऩुिो जामेत क्लसर्दऩ कु भाता न बलसत ॥4॥
ऩरयत्मक्तादेला त्रलत्रलधत्रलसधवेलाकु रतमा
भमा ऩॊर्ाळीतेयसधकभऩनीते तु लमसव ।
इदानीॊ र्ेन्भातस्तल कृ ऩा नात्रऩ बत्रलता
सनयारम्फो रम्फोदय जनसन कॊ मासभ ळयण्॥5॥
द्वऩाको जल्ऩाको बलसत भधुऩाकोऩभसगया
सनयातॊको यॊको त्रलशयसत सर्यॊ कोफटकनकै ् ।
तलाऩणे कणे त्रलळसत भनुलणे परसभदॊ
जन् को जानीते जनसन जऩनीमॊ जऩत्रलधौ ॥6॥
सर्ताबस्भारेऩो गयरभळनॊ फदक्ऩटधयो
जटाधायी कण्ठे बुजगऩतशायी ऩळुऩसत् ।
कऩारी बूतेळो बजसत जगदीळैकऩदलीॊ
बलासन त्लत्ऩात्णग्रशणऩरयऩाटीपरसभदभ ् ॥7॥
न भोषस्माकाॊषा बलत्रलबल लाॊछात्रऩर्नभे
न त्रलसानाऩेषा ळसळभुत्ख वुखेच्छात्रऩ न ऩुन् ।
अतस्त्लाॊ वॊमार्े जनसन जननॊ मातु भभ लै
भृडाणी रुराणी सळलसळल बलानीसत
जऩत् ॥8॥
नायासधतासव त्रलसधना त्रलत्रलधोऩर्ायै्
फकॊ रूषसर्ॊतन ऩयैनाकृ तॊ लर्ोसब् ।
श्माभे त्लभेल मफद फकॊ र्न भय्मनाथे
धत्वे कृ ऩाभुसर्तभम्फ ऩयॊ तलैल ॥9॥
आऩत्वु भग्न् स्भयणॊ त्लदीमॊ कयोसभ दुगे
करुणाणालेसळ ।
नैतच्छठत्लॊ भभ बालमेथा् षुधातृऴाताा
जननीॊ स्भयत्न्त॥10॥
जगदॊफ त्रलसर्िभि फकॊ ऩरयऩूणा करुणात्स्त सर्न्भसम ।
अऩयाधऩयॊऩयालृतॊ नफश भातावभुऩेषते वुतभ् ॥11 ॥
भत्वभ् ऩातकी नात्स्तऩाऩघ्नी त्लत्वभा नफश ।
एलॊ सात्ला भशादेत्रलमथामोग्मॊ तथा कु रु ॥12॥
***
13. 13 भार्ा 2020
त्रलक्रभ वॊलत 2077 औय 9 ग्रशों का भॊिी भॊड़र
वॊकरन गुरुत्ल कामाारम
फशन्दू धभा के अनुवाय ब्रह्माजी ने वृत्रद्श का
आयम्ब र्ैि भाश भें ळुक्र ऩष की प्रसतऩदा सतसथ वे
फकमा था, इव सरए फशन्दू वॊस्कृ सत भें नल वॊलत का
प्रायम्ब बी र्ैि ळुक्र प्रसतऩदा फकमा जाता शै।
फशन्दू ऩयॊऩया भें वबी प्रकाय के ळुब कामों मा
त्रलसध-त्रलधान का ळुबायॊब का वॊकल्ऩ कयते वभम उव
वभम के वॊलत्वय का उच्र्ायण फकमा जाता शै। कु र
वॊलत्वय 60 प्रकाय के शैं। ज्मोसतऴ सवद्धाॊत के अनुवाय
जफ 60 वॊलत्वय ऩूये शो जाते शैं तो फपय ऩशरे वे
वॊलत्वय का प्रायॊब शो जाता शै।
इव लऴा फशन्दू नलवॊलत्वय त्रलक्रभ वॊलत 2077
के नए वार की ळुरुआत फुधलाय के फदन शो यशी शै।
ज्मोसतऴ के अनुवाय शय नलवॊलत्वय के दौयान 9 ग्रशों
के फीर् फनने लारे भॊत्रि-भॊडर भें याजा का र्मन र्ैि
भाश के ळुक्र ऩष की प्रसतऩदा सतथी के लाय के
अनुवाय शोता शै, उव फदन जो लाय शोता शै उव लाय के
स्लाभी को वॊलत का याजा भाना जाता शै। इव लऴा के
याजा फुध शोंगे औय भॊिी र्ॊरभा शोंगे। इव सरए
त्रलक्रभ वॊलत 2077 के ऩूये लऴा तक फुध देल का
असधऩत्म यशेगा।
फुध का वॊफॊध ऩमाालयण वे शोने के कायण
ऩमाालयण के भें वकायात्भक ऩरयलतान राने के प्रमावों
भें लृत्रद्ध शोगी। ज्मोसतऴ के अनुवाय इव वॊलत के प्रबाल
वे कृ ऴी के षेि भें त्रलळेऴ फदराल एलॊ त्रलकाव देखने को
सभरेगा। अनाज का उत्ऩादन अच्छा शो वकता शै।
कु छ खाद्य ऩदाथों के भूल्मों भें अकस्भात रुऩ वे
लृत्रद्ध देखने को सभरेगी। फुध एलॊ र्ॊर के फीर् भें सभिता
की कभी शोने वे वयकाय की तयप वे कु छ त्रलळेऴ कड़े
सनमभ-कानून फन वकते शैं। इववे प्रजा भें कु छ वभम
के सरए अवॊतोऴ फढ़ वकता शै।
इव वॊलत्वय लऴा के याजा फुध शोंगे। फुध के ळुब
प्रबाल वे त्रलसबन्न ळुब एलॊ भाॊगसरक कामों को वॊऩन्न
कयने अलवय सभरते यशेंगे। रेफकन अळुब प्रबाल भें
फकवी व्मत्रक्त त्रलळेऴ के द्राया फकवी कायण ऩयेळानी शो
वकती शैं। त्रप्रमजनो के वाथ त्रलयोध यश वकता शै। धन
वॊऩत्रत्त औय वुख वुत्रलधा की ऩूसता शेतु अत्मासधक
ऩरयश्रभ कयना ऩड़ वकता शै।
त्रलद्रानो के भत वे इव दौयान कई रोगों भें झूठ,
छर, कऩट तथा प्रऩॊर् आफद की लृत्रद्ध शो वकती शै।
नौकयी, कायोफाय वे जुड़े रोगों को ऩरयश्रभ के अनुरुऩ शी
पर प्राद्ऱ शोगें।
वॊलत्वय के भॊिी र्ॊरभा
नल वॊलत्वय के भॊिी र्ॊरभा शोगें। र्ॊर के ळुब प्रबाल
वे जीलन भें बौसतक वुख वुत्रलधाओॊ लृत्रद्ध शोगी। लऴाा शोने
की वॊबालनाएॊ अच्छ शो वकती शै। त्रलसबन्न लस्तुओॊ के
भूल्मों भें रगाताय अत्स्थयता नज़य आवकती शै।
वाधायणत् रोगों भें अवॊतोऴ औय सर्ॊता
अत्मासधक शो वकती शै। वाधायण रुऩ वे स्त्री लगा एल
नौकयी ऩैवा की आसथाक त्स्थसत भें वुधाय देखा जा
वकता शै।
धनेळ फुध का प्रबाल
फुध के प्रबाल वे धन का वॊग्रश अच्छे वे शो वकता शै।
रोगों को व्माऩाय वे राब शोगा। एलॊ धासभाक कामों भें
जुड़े रोगों को धन राब शो वकता शै।
धान्मेळ भॊगर का प्रबाल
भॊगर के प्रबाल वे अनाज़ के भूल्म भें लृत्रद्ध देखने को
सभर वकती शै। तेर, रव्म आफद ऩदाथों भशॊगे शो
वकते शै।
भेघळ वूमा का प्रबाल
वूमा के प्रबाल वे कई स्थानों ऩय लऴाा उत्तभ शोने वे कई
अनाज की ऩैदालाय अच्छ शो वकती शै। ऩानी के स्त्रोत
जल्द वूख वकते शै एलॊ कई स्थानों ऩय कभ लऴाा शो
वकती शै।
14. 14 भार्ा 2020
परेळ वूमा का प्रबाल
वूमा के प्रबाल वे कई प्रकाय के पर-पू र का उत्ऩादन
अऩेषा वे फेशतय शो वकता शै एलॊ कई प्रकाय के पर-
पू र अऩेषा वे कभ शोंगे।
दुगेळ वूमा का प्रबाल
वूमा के प्रबाल वे वयकाय के यषा षेि के कामों भें तेजी
आ वकती शै।
यवेळ ळसन का प्रबाल
ळसन के प्रबाल वे कई स्थानों ऩय बूभीगत जर के
स्त्रोत बी कभ शो वकते शै। लऴाा के उऩयाॊत बी कई
स्थानों ऩय जर कभी शो वकती शै। फेभौवभ की लऴाा वे
त्रलसबन्न ऩयेळानी मा शो वकती शैं। कई जल्द ठ क न
शोने लारे योग बी ऩयेळान कय वकते शै।
वस्मेळ का स्लाभी गुरु
गुरु के प्रबाल वे दूध का उत्ऩादन औय परों के उत्ऩादन भें
लृत्रद्ध शो वकती शै। धासभाक कामा वे जुड़े रोगों के सरए
वभम ळुब यशेगा। त्रलयोध ऩष द्राया शोने लारे अनालश्मक
शो यशे लाद-त्रललाद, ऴड्मॊि दूय शो वकते शै। मथोसर्त
उऩर्ाय वे ऩुयाने योगों वे भुत्रक्त सभर वकती शै।
नीयवेळ गुरु का प्रबाल
गुरु के प्रबाल वे वोना, ऩीत्तर, ताॊफा आफद ऩीरे यॊग की
धातुओॊ भें रोगों की रुसर् फढ़ वकती शै। कृ त्रऴ उत्ऩाद, ऩळु
ऩारन आफद वे जुड़े रोगो को राब शो वकता शै।
भॊि सवद्ध मॊि
रक्ष्भी-गणेळ (सर्िमुक्त) कभरा मॊि वलातोबर मॊि
रक्ष्भी त्रलनामक मॊि बुलनेद्वयी मॊि कासताके म मॊि
लास्तुदोऴ सनलायण (ऩुरुऴाकृ सत मुक्त) वुमा (भुखाकृ तीमुक्त) लवुधया त्रलवा मॊि
लास्तु मॊि (सर्िमुक्त) शीॊगराज मॊि कल्माणकायी सवद्ध त्रलवा मॊि
गृशलास्तु मॊि ब्रह्माणी मॊि कोटा कर्ेयी मॊि
लास्तु ळान्ती मॊि भेरडी भाता का मॊि जैन मॊि
भशाकारी मॊि कात्मामनी मॊि वयस्लती मॊि (सर्िमुक्त)
उत्च्छद्श गणऩती मॊि ऩॊदयीमा मॊि (ऩॊर्दळी मॊि) फालनलीय मॊि
भशा गणऩती मॊि भशावुदळान मॊि ऩॊर्गुरी मॊि
ळिु दभनालणा मॊि काभाख्मा मॊि वूयी भॊि
ऋणभुत्रक्त मॊि रक्ष्भी वॊऩुट मॊि सतजमऩशुत वलातोबर मॊि
रक्ष्भीधाया मॊि लीवा मॊि 16 त्रलद्यादेली मुक्त वलातोबर
रक्ष्भी प्राद्ऱी औय व्माऩायलधाक सछन्नभस्ता (सर्ि + मॊि) गौतभस्लाभी मॊि
सवद्ध भशारक्ष्भी मॊि घुभालती (सर्ि + मॊि) अनॊतरब्धीसनधान गौतभ स्लाभी
कनकधाया मॊि (कृ भऩृद्श) कारी (सर्ि + मॊि) बक्ताम्फय (1 वे 48) फदगम्फय
दुगाा मॊि (अॊकात्भक) श्री भातृका मॊि ऩद्मालती देली मॊि
भातॊगी मॊि वलातोबर मॊि (गणेळ) त्रलजम ऩताका मॊि
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New Arrival
15. 15 भार्ा 2020
प्रथभ ळैरऩुिी
वॊकरन गुरुत्ल कामाारम
नलयाि के प्रथभ फदन भाॊ के ळैरऩुिी स्लरूऩ का ऩूजन कयने का त्रलधान शैं। ऩलातयाज (ळैरयाज) फशभारम के
मशाॊ ऩालाती रुऩ भें जन्भ रेने वे बगलती को ळैरऩुिी कशा जाता शैं।
बगलती नॊदी नाभ के लृऴब ऩय वलाय शैं। भाता ळैरऩुिी के दाफशने शाथ भें त्रिळूर औय फाएॊ शाथ भें कभर
ऩुष्ऩ वुळोसबत शैं।
भाॊ ळैरऩुिी को ळास्रों भें तीनो रोक के वभस्त लन्म जील-
जॊतुओॊ का यषक भाना गमा शैं। इवी कायण वे लन्म जीलन जीने
लारी वभ्मताओॊ भें वफवे ऩशरे ळैरऩुिी के भॊफदय की स्थाऩना
की जाती शैं त्जव वें उनका सनलाव स्थान एलॊ उनके आव-ऩाव
के स्थान वुयत्षत यशे।
भूर भॊि:-
लन्दे लाॊसछतराबाम र्न्दाधाकृ तळेखयाभ्।
लृऴारूढाॊ ळूरधयाॊ ळैरऩुिीॊ मळत्स्लनीभ्।।
ध्मान भॊि:-
लन्दे लाॊसछतराबामार्न्राघाकृ तळेखयाभ्।
लृऴारूढाॊळूरधयाॊळैरऩुिीमळत्स्लनीभ्।
ऩूणेन्दुसनबाॊगौयी भूराधाय त्स्थताॊप्रथभ दुगाा त्रिनेिा।
ऩटाम्फयऩरयधानाॊयत्नफकयीठाॊनानारॊकायबूत्रऴता।
प्रपु ल्र लॊदना ऩल्रलाधॊयाकातॊकऩोराॊतुगकु र्ाभ्।
कभनीमाॊरालण्माॊस्भेयभुखीषीणभध्माॊसनतम्फनीभ्।
स्तोि:-
प्रथभ दुगाा त्लॊफशबलवागय तायणीभ्। धन ऐद्वमा दामनीॊळैरऩुिीप्रणभाम्शभ्।
र्यार्येद्वयीत्लॊफशभशाभोश त्रलनासळन। बुत्रक्त भुत्रक्त दामनी,ळैरऩुिीप्रणभाम्मशभ्।
कलर्:-
ओभकाय: भेसळय: ऩातुभूराधाय सनलासवनी। शीॊकायऩातुरराटेफीजरूऩाभशेद्वयी। श्रीॊकायऩातुलदनेरज्जारूऩाभशेद्वयी। शुॊकाय
ऩातुरृदमेतारयणी ळत्रक्त स्लघृत। पट्काय:ऩातुवलाागेवला सवत्रद्ध परप्रदा।
भाॊ ळैरऩुिी का भॊि-ध्मान-कलर्- का त्रलसध-त्रलधान वे ऩूजन कयने लारे व्मत्रक्त को वदा धन-धान्म वे वॊऩन्न
यशता शैं। अथाात उवे त्जलन भें धन एलॊ अन्म वुख वाधनो को कभी भशवुव नशीॊ शोतीॊ।
नलयाि के प्रथभ फदन की उऩावना वे मोग वाधना को प्रायॊब कयने लारे मोगी अऩने भन वे 'भूराधाय' र्क्र को जाग्रत
कयअऩनीउजााळत्रक्त को कें फरत कयते शैं, त्जववे उन्शें अनेक प्रकाय फक सवत्रद्धमाॊ एलॊ उऩरत्ब्धमाॊ प्राद्ऱ शोती शैं।
***
16. 16 भार्ा 2020
द्वितीमॊ ब्रह्मर्ारयणी
वॊकरन गुरुत्ल कामाारम
नलयाि के दूवये फदन भाॊ के ब्रह्मर्ारयणी स्लरूऩ का ऩूजन कयने का त्रलधान शैं। क्मोफक ब्रह्म का अथा शैं तऩ।
भाॊ ब्रह्मर्ारयणी तऩ का आर्यण कयने लारी बगलती शैं इवी कायण उन्शें ब्रह्मर्ारयणी कशा गमा।
ळास्त्रो भें भाॊ ब्रह्मर्ारयणी को वभस्त त्रलद्याओॊ की साता भाना गमा शैं। ळास्त्रो भें ब्रह्मर्ारयणी देली के स्लरूऩ का
लणान ऩूणा ज्मोसतभाम एलॊ अत्मॊत फदव्म दळाामा गमा शैं।
भाॊ ब्रह्मर्ारयणी द्वेत लस्त्र ऩशने उनके दाफशने शाथ भें अद्शदर फक जऩ भारा एलॊ फामें शाथ भें कभॊडर
वुळोसबत यशता शैं। ळत्रक्त स्लरुऩा देली ने बगलान सळल को प्राद्ऱ कयने के
सरए 1000 वार तक सवपा पर खाकय तऩस्मा यत यशीॊ औय 3000 वार
तक सळल फक तऩस्मा सवपा ऩेड़ों वे सगयी ऩत्रत्तमाॊ खाकय फक, उनकी
इवी कफठन तऩस्मा के कायण उन्शें ब्रह्मर्ारयणी नाभ वे जाना गमा।
भॊि:
दधानाऩयऩद्माभ्माभषभाराककभण्डरभ्।
देली प्रवीदतु भसम ब्रह्मर्ारयण्मनुत्तभा।।
ध्मान:-
लन्दे लाॊसछत राबामर्न्राघाकृ तळेखयाभ्।
जऩभाराकभण्डरुधयाॊब्रह्मर्ारयणी ळुबाभ्।
गौयलणाास्लासधद्षानत्स्थताॊफद्रतीम दुगाा त्रिनेिाभ्।
धलर ऩरयधानाॊब्रह्मरूऩाॊऩुष्ऩारॊकायबूत्रऴताभ्।
ऩदभलॊदनाॊऩल्रलाधयाॊकातॊकऩोराॊऩीन ऩमोधयाभ्।
कभनीमाॊरालण्माॊस्भेयभुखीॊसनम्न नासबॊसनतम्फनीभ्।।
स्तोि:-
तऩद्ळारयणीत्लॊफशताऩिमसनलायणीभ्। ब्रह्मरूऩधयाब्रह्मर्ारयणीॊप्रणभाम्मशभ्।।
नलर्ग्रबेदनी त्लॊफशनलऐद्वमाप्रदामनीभ्।
धनदावुखदा ब्रह्मर्ारयणी प्रणभाम्मशभ्॥
ळॊकयत्रप्रमात्लॊफशबुत्रक्त-भुत्रक्त दासमनी ळाॊसतदाभानदाब्रह्मर्ारयणी प्रणभाम्मशभ्।
कलर्:-
त्रिऩुया भेशदमेऩातुरराटेऩातुळॊकयबासभनी। अऩाणावदाऩातुनेिोअधयोर्कऩोरो॥ ऩॊर्दळीकण्ठेऩातुभध्मदेळेऩातुभाशेद्वयी
ऴोडळीवदाऩातुनाबोगृशोर्ऩादमो। अॊग प्रत्मॊग वतत ऩातुब्रह्मर्ारयणी॥
भॊि-ध्मान-कलर्- का त्रलसध-त्रलधान वे ऩूजन कयने लारे व्मत्रक्त को अनॊत पर फक प्रासद्ऱ शोती शैं। व्मत्रक्त भें तऩ,
त्माग, वदार्ाय, वॊमभ जैवे वद् गुणों फक लृत्रद्ध शोती शैं।
***
17. 17 भार्ा 2020
तृतीमॊ र्न्रघण्टा
वॊकरन गुरुत्ल कामाारम
नलयाि के तीवये फदन भाॊ के र्न्रघण्टा स्लरूऩ का ऩूजन कयने का त्रलधान शैं। र्न्रघण्टा का स्लरूऩ
ळाॊसतदामक औय ऩयभ कल्माणकायी शैं। र्न्रघण्टा के भस्तक ऩय घण्टे के आकाय का अधार्न्र ळोसबत यशता शैं ।
इव सरमे भाॊ को र्न्रघण्टा देली कशा जाता शैं। र्न्रघण्टा के देश का यॊग स्लणा के वभान र्भकीरा शैं औय देत्रल
उऩत्स्थसत भें र्ायों तयप अद्भुत तेज फदखाई देता शैं।
भाॊ तीन नेि एलॊ दव बुजाए शैं, त्जवभें कभर, धनुऴ-फाण, खड्ग, कभॊडर, तरलाय, त्रिळूर औय गदा आफद
अस्त्र-ळस्त्र, फाण आफद वुळोसबत यशते शैं। भाॊ के कॊ ठ भें वपे द ऩुष्ऩों फक भारा औय ळीऴा ऩय यत्नजत्ी़डत भुकु ट
ळोबामभान शैं। र्न्रघण्टा का लाशन सवॊश शैं, इनकी भुरा मुद्ध के सरए
तैमाय यशने की शोती शैं। इनके घण्टे वी बमानक प्रर्ॊड ध्लसन वे
अत्मार्ायी दैत्म, दानल, याषव ल दैल बमसबत यशते शैं।
भॊि:
त्रऩण्डज प्रलयारूढ़ा र्ण्डकोऩास्त्रकै मुाता।
प्रवादॊ तनुते भशमॊ र्न्दघण्टेसत त्रलश्रुता।।
ध्मान:-
लन्दे लाॊसछत राबामर्न्राघाकृ तळेखयाभ ्।
सवॊशारूढादळबुजाॊर्न्रघण्टामळस्लनीभ ्॥
कॊ र्नाबाॊभत्णऩुय त्स्थताॊतृतीम दुगाा त्रिनेिाभ ्।
खॊग गदा त्रिळूर र्ाऩशयॊऩदभकभण्डरु भारा लयाबीतकयाभ ्।
ऩटाम्फयऩरयधाॊनाभृदुशास्माॊनानारॊकायबूत्रऴताभ ्।
भॊजीय, शाय, के मूय फकॊ फकत्णयत्नकु ण्डरभत्ण्डताभ ्॥
प्रपु ल्र लॊदना त्रफफाधायाकातॊकऩोराॊतुॊग कु र्ाभ ्।
कभनीमाॊरालण्माॊषीणकॊ फटसनतम्फनीभ ्॥
स्त्रोत:-
आऩदुद्रारयणी स्लॊफशआघाळत्रक्त: ळुबा ऩयाभ ्।
भत्णभाफदसवफदधदािीर्न्रघण्टेप्रणबाम्मशभ ्॥
र्न्रभुखीइद्शदािी इद्श भॊि स्लरूऩणीभ ्। धनदािीआनॊददािीर्न्रघण्टेप्रणभाम्मशभ ्॥
नानारूऩधारयणीइच्छाभमीऐद्वमादामनीभ ्। वौबाग्मायोग्मदामनीर्न्रघण्टेप्रणभाम्मशभ ्॥
कलर्:-
यशस्मॊ श्रुणुलक्ष्मासभळैलेळीकभरानने। श्री र्न्रघण्टास्मकलर्ॊवलासवत्रद्ध दामकभ ्॥ त्रफना न्मावॊत्रफना त्रलसनमोगॊत्रफना ळाऩोद्धायत्रफना
शोभॊ। स्नानॊळौर्ाफदकॊ नात्स्तश्रद्धाभािेणसवत्रद्धदभ ्॥ कु सळष्माभकु फटरामलॊर्कामसनन्दाकामर्। न दातव्मॊन दातव्मॊऩदातव्मॊकदासर्तभ ्॥
भॊि-ध्मान-कलर्- का त्रलसध-त्रलधान वे ऩूजन कयने वे व्मत्रक्त का भत्णऩुय र्क्र जाग्रत शो जाता शैं। उऩावना वे व्मत्रक्त
को वबी ऩाऩों वे भुत्रक्त सभरती शैं उवे वभस्त वाॊवारयक आसध-व्मासध वे भुत्रक्त सभरती शैं। इवके उऩयाॊत व्मत्रक्त को
सर्यामु, आयोग्म, वुखी औय वॊऩन्न शोनता प्राद्ऱ शोती शैं। व्मत्रक्त के वाशव एल त्रलयता भें लृत्रद्ध शोती शैं। व्मत्रक्त स्लय भें
सभठाव आती शैं उवके आकऴाण भें बी लृत्रद्ध शोती शैं। र्न्रघण्टा को सान की देली बी भाना गमा शै।
18. 18 भार्ा 2020
र्तुथा कू ष्भाण्डा
वॊकरन गुरुत्ल कामाारम
नलयाि के र्तुथा फदन भाॊ के कू ष्भाण्डा स्लरूऩ का ऩूजन कयने का त्रलधान शैं। अऩनी भॊद शॊवी द्राया ब्रह्माण्ड
को उत्ऩन्न फकमा था इवीके कायण इनका नाभ कू ष्भाण्डा देली यखा गमा।
ळास्त्रोक्त उल्रेख शैं, फक जफ वृत्रद्श का अत्स्तत्ल नशीॊ था, तो र्ायों तयप सवपा अॊधकाय फश था। उव वभम
कू ष्भाण्डा देली ने अऩने भॊद वी शास्म वे ब्रह्माॊड फक उत्ऩत्रत्त फक। कू ष्भाण्डा देली वूयज के घेये भें सनलाव कयती शैं।
इवसरमे कू ष्भाण्डा देली के अॊदय इतनी ळत्रक्त शैं, जो वूयज फक गयभी को वशन कय वकें । कू ष्भाण्डा देली को जीलन
फक ळत्रक्त प्रदान कयता भाना गमा शैं।
कू ष्भाण्डा देली का स्लरुऩ अऩने लाशन सवॊश ऩय वलाय शैं, भाॊ अद्श बुजा लारी शैं। उनके भस्तक ऩय यत्न
जत्ी़डत भुकु ट वुळोसबत शैं, त्जस्वे उनका स्लरूऩ अत्मॊम उज्जलर प्रसतत शोता शैं। उनके शाथभें शाथों भें क्रभळ:
कभण्डर, भारा, धनुऴ-फाण, कभर, ऩुष्ऩ, करळ, र्क्र तथा गदा वुळोसबत यशती शैं।
भॊि:
वुयावम्ऩूणाकरळॊ रूसधयाप्रुतभेल र्।
दधाना शस्तऩद्माभ्माॊ कु ष्भाॊडा ळुबदास्तुभे।।
ध्मान:-
लन्दे लाॊसछत काभथेर्न्राघाकृ तळेखयाभ्।
सवॊशरूढाअद्शबुजा कु ष्भाण्डामळस्लनीभ्॥
बास्लय बानु सनबाॊअनाशत त्स्थताॊर्तुथा दुगाा त्रिनेिाभ्।
कभण्डरु र्ाऩ, फाण, ऩदभवुधाकरळर्क्र गदा जऩलटीधयाभ्॥
ऩटाम्फयऩरयधानाॊकभनीमाकृ दुशगस्मानानारॊकायबूत्रऴताभ्।
भॊजीय शाय के मूय फकॊ फकणयत्नकु ण्डरभत्ण्डताभ्।
प्रपु ल्र लदनाॊनारू सर्कु काॊकाॊत कऩोराॊतुॊग कू र्ाभ्।
कोराॊगीस्भेयभुखीॊषीणकफटसनम्ननासबसनतम्फनीभ्॥
स्त्रोत:-
दुगासतनासळनी त्लॊफशदारयराफदत्रलनासळनीभ्। जमॊदाधनदाॊकू ष्भाण्डेप्रणभाम्मशभ्॥
जगन्भाता जगतकिीजगदाधायरूऩणीभ्। र्यार्येद्वयीकू ष्भाण्डेप्रणभाम्मशभ्॥
िैरोक्मवुॊदयीत्लॊफशदु:ख ळोक सनलारयणाभ्। ऩयभानॊदभमीकू ष्भाण्डेप्रणभाम्मशभ्॥
कलर्:-
शवयै भेसळय: ऩातुकू ष्भाण्डेबलनासळनीभ्। शवरकयीॊनेिथ,शवयौद्ळरराटकभ्॥ कौभायी ऩातुवलागािेलायाशीउत्तयेतथा। ऩूले
ऩातुलैष्णली इन्राणी दत्षणेभभ। फदत्ग्दधवलािैलकूॊ फीजॊवलादालतु॥
भॊि-ध्मान-कलर्- का त्रलसध-त्रलधान वे ऩूजन कयने लारे व्मत्रक्त का अनाशत र्क्र जाग्रत शो शैं। भाॊ
कू ष्भाण्डाका के ऩूजन वे वबी प्रकाय के योग, ळोक औय क्रेळ वे भुत्रक्त सभरती शैं, उवे आमुष्म, मळ, फर औय फुत्रद्ध
प्राद्ऱ शोती शैं।
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