1. Font Help >> http://gurutvajyotish.blogspot.com
गु व कायालय ारा तुत मािसक ई-प का जून- 2011
शिनदे व का प रचय शिनदे व क कृ पा ाि
शिन क विभ न मं
े क सरल उपाय
े
शिन-साढ़े साती क शांित
े शिनवार त
उपाय
सामु क शा म शिन रे खा का मह व शिन क विभ न पाय का
े
शिन ह से संबिधत रोग
ं शिन दोष त का मह व
NON PROFIT PUBLICATION
2. FREE
E CIRCULAR
गु व योितष प का जून 2011
संपादक िचंतन जोशी
गु व योितष वभाग
संपक गु व कायालय
92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA,
BHUBNESWAR-751018, (ORISSA) INDIA
फोन 91+9338213418, 91+9238328785,
gurutva.karyalay@gmail.com,
ईमेल gurutva_karyalay@yahoo.in,
http://gk.yolasite.com/
वेब http://www.gurutvakaryalay.blogspot.com/
प का तुित िचंतन जोशी, व तक.ऎन.जोशी
फोटो ाफ स िचंतन जोशी, व तक आट
हमारे मु य सहयोगी व तक.ऎन.जोशी ( व तक सो टे क इ डया िल)
ई- ज म प का E HOROSCOPE
अ याधुिनक योितष प ित ारा Create By Advanced Astrology
उ कृ भ व यवाणी क साथ
े Excellent Prediction
१००+ पेज म तुत 100+ Pages
हं द / English म मू य मा 750/-
GURUTVA KARYALAY
92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA,
BHUBNESWAR-751018, (ORISSA) INDIA
Call Us – 91 + 9338213418, 91 + 9238328785
Email Us:- gurutva_karyalay@yahoo.in, gurutva.karyalay@gmail.com
3. 3 जून 2011
वशेष लेख
शिनदे व का प रचय 5 शिनदे व क कृ पा ाि क सरल उपाय
े 28
शिनवार त 11 शिन क विभ न मं
े 30
शिन दोष त का मह व 17 महाकाल शिन मृ युंजय तो 31
शिन-साढ़े साती क शांित उपाय
े 18 शनै र तवराज(भ व यपुराण) 35
ी शिन चालीसा 20 शनै र तो म ् ( ी ा डपुराण) 36
सामु क शा म शिन रे खा का मह व 22 शिनव पंजरकवचम ् 36
शिन क विभ न पाय का
े 24 दशरथकृ त-शिन- तो 37
शिन ह से संबंिधत रोग 27 शिन अ ो रशतनामाविल 41
अनु म
संपादक य 4 दन-रात क चौघ डये
े 59
राम र ा यं 42 दन-रात क होरा सूय दय से सूया त तक 60
व ा ाि हे तु सर वती कवच और यं 43 ह चलन जून -2011 61
मं िस प ना गणेश 43 सव रोगनाशक यं /कवच 62
मं िस साम ी 44 मं िस कवच 64
मािसक रािश फल 47 YANTRA LIST 65
रािश र 51 GEM STONE 67
जून 2011 मािसक पंचांग 52 BOOK PHONE/ CHAT CONSULTATION 68
जून -2011 मािसक त-पव- यौहार 54 सूचना 69
मं िस साम ी 57 हमारा उ े य 71
जून 2011 - वशेष योग 58
दै िनक शुभ एवं अशुभ समय ान तािलका 58
4. 4 जून 2011
संपादक य
य आ मय
बंधु/ ब हन
जय गु दे व
विभ न सं कृ ित म शिनदे व को अकपु , सौ र, भा क र, यम, आ क, छाया सुत, तर णतनय, कोण, नील,
आिसत, फारसी व अरबी म जुदल, कदवान, हहल तथा अं ेजी म सैटन आ द नाम से जना जाता ह। शिन
ु े ु ह
सौरमंडल म सूय क प र मा करने वाला छठा ह है ।
वेद-पुराण क अनुसार शिनदे व सूय दे व क दसर प ी दे वीछाया क पु
े ू े है, और इसका वण यामल है । एक बार
शिनदे व के याम वण दे खकर सूय ने उसे अपना पु मानने से इनकार कर दया। अपने ित पता क इस
े यवहार
को दे खकर शिन क भावनाओं को ठे स लगी जसक प रणाम व प वह अपने पता सूय से श ुभाव रखने लगे।
े
रामायण म उ लेखीत ह क जब लंकापित रावण क सभी
े ाता व पु क यु म मृ यु हो रह थी तब रावण
ने अपने अमर व क िलए सौरमंडल क सभी
े े ह को अपने दरबार म कदकर िलया। रावण क कडली म शिन ह एक
ै ुं
मा ऐसा ह था जसक व ाव था और योग क कारण रावण क िलए माकश क
े े थित उ प न हो रह थी, जसे
प रवितत करने क िलए रावण ने अपने दरबार म शिन को उलटा लटका दया व घोर यातनाएं दे ने लगा। ले कन
े
रावण क एसा करने से शिन क यवहार म कोई बदलाव नह ं आया और वह क
े े सहते रहे ।
पवन पु ी हनुमान वहां पहंु चे और शिन को रावण क कद से मु
ै कराया। इसी उपकार क बदले शिनदे व ने
े
हनुमानजी को वचब दया क जो भी आपक आराधना करे गा, म अपनी साढे साती, ढै या, दशा-महादशा से उसक सवदा
र ा क ं गा।
इसी िलये ी हनुमानजी क भ
े क िलए शुभ फलदायक होते ह शिनदे व
े ी हनुमान ने शिन को क से मु
कराकर उसक र ा कथी इसीिलए वह भी ी हनुमान क उपासना करने वाल क क
े को दर कर उनक हत क
ू े
र ा करता है । शिन से उ प न क क िनवारण हे तु
े ी हनुमान को अिधक से अिधक स न कया जाए। इससे न
कवल शिन से उ प न दोष का िनवारण होता है , ब क सूय व मंगल क साथ शिन क श ुता व योग क कारण
े े े
उ प न सारे क भी दर हो जाते ह।
ू
शिन दे व ह येक जीव क आयु क कारक ह, आयु वृ
े े करने वाले ह भी शिनदे व ह, आयुष योग म शिन
का थान मह वपूण है क तु शुभ थित म होने पर शिन आयु वृ करते ह तो अशुभ थित म होने पर आयु का
हरण कर लेते ह।
शिनदे व ल बी बमार क भी
े मुख कारक ह ह अतः जो य ल बे समय से बमार से पी डत ह। रोग,
क , िनधनता आ द उनका पीछा नह ं छोड रहे हो उ ह शिनदे व क उपासना अव य करनी चा हये।
शिनदे व के स न होने से य को िनरोगी काया व दःख द र ता से मु
ु िमलती ह व दधायु क ाि
होती ह।
िचंतन जोशी
5. 5 जून 2011
शिनदे व का प रचय
िचंतन जोशी, व तक.ऎन.जोशी.
े
पद: ा
रं ग: काला
त व: वायु
जाित: शू
कृ ित: तामिसक
ववरण: ीण और ल बा शर र, गहर पीली आँख, वात,
बड़े दांत, अकम य, लंगड़ापन, मोटे बाल .
धातु: नायु
िनवास: मिलन जमीन
समय अविध: साल
वाद: कसैले
मजबूत दशा: प म
पेड़: पीपल, बांबी
कपड़े : काले, नीले, बहु रं ग का व
मौसम: िसिशर Sishira
पदाथ: धातु, शिन क छ ले
े
शिन ह शिन ह क चार ओर कई उप ह छ ले ह। यह
े
शिन सौरम डल के एक सद य ह है । यह छ ले बहत ह पतले होते ह। हालां क यह छ ले चौड़ाई
ु
सूरज से छठे थान पर है और सौर मंडल म बृ ह पित म २५०,००० कलोमीटर है ले कन यह मोटाई म एक
क बाद सबसे बड़ा
े ह ह। इसक क ीय प र मण का
े कलोमीटर से भी कम ह। इन छ ल क कण मु यत:
े
पथ १४,२९,४०,००० कलोमीटर है । शिन ह क खोज बफ और बफ से ढ़क पथर ले पदाथ से बने ह। नये
े
ाचीन काल म ह हो गई थी। ले कन वै ािनक ी वै ािनक शोध क अनुशार शिन
े ह क छ ले ४-५ अरब
े
कोण से गैलीिलयो गैिलली ने सन ् १६१० म दरबीन क
ू वष पहले बने ह जस समय सौर णाली अपनी िनमाण
सहायता से इस ह को खोजा था। शिन ह क रचना अव था म ह थी। पहले ऐसा माना जाता था क ये
७५% हाइ ोजन और २५% ह िलयम से हई है । जल,
ु छ ले डायनासौर युग म अ त व म आए थे। अमे रका
िमथेन,अमोिनया और प थर यहाँ बहत कम मा ा म पाए
ु म वै ािनक ने म पाया क शिन ह क छ ले दस
े
जाते ह। सौर म डल म चार ह को गैस दानव कहा करोड़ साल पहले बनने क बजाय उस समय अ त व म
े
जाता है , य क इनम िमटट -प थर क बजाय आए जब सौर णाली अपनी शैशवाव था म थी। १९७०
अिधकतर गैस है और इनका आकार बहत ह
ु वशाल है । क दशक म वै ािनक यह मानने लगे थे क शिन
े ह के
शिन इनमे से एक है - बाक तीन बृ ह पित, छ ले काफ युवा ह और संभवत: यह कसी धूमकतु क
े े
अ ण(युरेनस) और व ण (नॅ टयून) ह। बड़े चं मा से टकराने क कारण पैदा हए ह। कछ
े ु ु
6. 6 जून 2011
वै ािनको क अनुशार शिन क छ ले हमेशा से थे ले कन
े े अनुसार ह अ य ह संबंिधत य को शुभा-शुभ फल
उनम लगातार बदलाव आता रहा और वे आने वाले कई दान करते ह। जड़-चेतन सभी पर ह का अनुकल या
ू
अरब साल तक अ त व म रहगे। ितकल
ू भाव िन त पड़ता ह। आपक मागदशन हे तु
े
शिनदे व से संबंिधत कछ विश
ु जानका रयां यहां तुत
भारतीय शा ो क अनुशार शिनदे व का वणन
े ह।
वैदय कांित रमल,
ू जानां वाणातसी पुरातन काल से लोग क अंदर शिनदे व क
े े ित
कसुम वण वभ
ु शरत:। गलत धारणाएं, भय घर कये बैठा ह, शिनदे व नाम
अ या प वण भुव ग छित त सवणािभ सुनते ह लोग भयभीत हो जाते ह। शिनदे व का पौरा णक
सूया मज: अ यतीित मुिन वाद:॥ प रचय आपक जानकार हे तु तुत
शिन र नीलम ह जससे शिनदे व से संबंधी या
भावाथ:- शिन ह वैदयर
ू अथवा विभ न ांितय के िनवारण म
बाणफ़ल
ू या अलसी के फ़ल
ू जैसे आपको सहायता िमले।
िनमल रं ग से जब कािशत होता है , व वध पुराण म शिनदे व के
तो उस समय जा क िलये शुभ फ़ल
े ादभाव व उनक
ु े विश गुण क
दे ता है यह अ य वण को काश दे ता अनेक चचा उ ल ध है ।
है , तो उ च वण को समा करता है , पुराणो के अनुसार शिनदे व मह ष
ऐसाऋ ष महा मा कहते ह। क यप क पु
े सूय क संतान ह। सूय
व क आ मा व सा ात का
शिनदे व का व प: व प ह। शिनदे वक माता का नाम
B.Sapphire छाया अथवा सुवणा ह। मनु साव ण,
शनै र का शर र-का त
(Special Qulaty) यमराज शिनदे व क भाई और यमुना
े
इ नीलम ण क समान ह। शिनदे व क
े े
बहन ह।
िसर पर वण मुकट गले म माला
ु
B.Sapphire - 5.25" Rs. 30000
B.Sapphire - 6.25" Rs. 37000
शा ो व णत ह क वंश का
तथा शर र पर नीले रं ग क व
े B.Sapphire - 7.25" Rs. 55000
B.Sapphire - 8.25" Rs. 73000 भाव संतान पर अव य पड़ता ह।
सुशोिभत होते ह। शिनदे व का वण B.Sapphire - 9.25" Rs. 91000
शिनदे व का ज म क यप वंश म हवा
ु
कृ ण, वाहन गीध तथा लोहे का बना B.Sapphire- 10.25" Rs.108000
** All Weight In Rati ह और शिनदे व सा ात व प
रथ है । * उपयो वजन और मू य से अिधक
सूय दे व के पु ह अतः शिनदे व
और कम वजन और मू य का नीलम
सूयदे व क पु
े ह शिनदे व उिचत मू य पर ाि हे तु संपक कर। अ तीय श व य व के वामी
योितष क व ानो क अनुशार
े े GURUTVA KARYALAY ह।
यह संपूण संसार सौरमंडल के ह
Call Us: शिनदे व आशुतोष भगवान िशव के
91 + 9338213418,
ारा िनयं त ह और शिनदे व इन हो 91 + 9238328785, अन य भ ह।
म से मु य िनयं क ह। शिनदे व को पोरा णक कथा के अनुशार
ह के यायाधीश मंडल का धान यायाधीश कहा गया शंगवश सूय दे व ने अपनी प ी अथात शिनदे व क मां
ह। कछ
ु व ानो का मत ह क शिनदे व क िनणय क
े े छाया पर नाराज हो गये और उ ह शाप तक दे ने को
7. 7 जून 2011
तैयार हो गये। शिनदे व को सूय दे व का ऐसा यवहार पूव कृ त कम क फल भोग को भी अपने अनु प बनाने
े
सहन न हआ। उनक मन म सूय से भी अिधक
ु े म स म हो सकता ह।
श शाली बनने क इ छा जागृ त हई। शिनदे व ने बना
ु योितषीय व ेषण क अनुशार बताये गये उपाय
े
कसी संकोच सूय से ह अपनी श ाि क उपाय पूछने
े अपना कर ितकल प र थितय
ू को अपने अनुकल
ू
लगे। बनाया जा सकता है । योितष व ा से मनु य अपने
सूय दे व ने सुना क शिन उनसे भव य के वषय म जानकार ा
अिधक श शाली होना चाहता है , शिन का उपर कर अपने क य ारा ितकल
ू
सुनते ह उ ह बड़ स नता हई। सब
ु थितय को अपने अनुकल बनाने क
ू े
सूय दे व ने शिन को काशी म जाकर कटे ला(एमेिथ ट) िलए मागदशन ा कर सकता ह।
भगवान िशव का पािथविलंग बनाकर संपूण चराचर जगत ई रय
पूजन व अिभषेक करने का आदे श श य क संक प से सृ जन हवा ह।
े ु
दया। शिनदे व काशी म आकर पािथव उसी ई रय श य क इ छानुसार
िशविलंग बनाकर उपासना म िलन हो नव ह को व क सम त जड़-
े
गये। िशवजी ने उनक उपासना से चेतन को िनयं त व अनुशािसत करने
स न होकर वरदान मांगने को कहां। का काय दया गया है । मानव समेत
शिन ने िशवजी से दो वरदान मांगे। सम त जीवो को िमलने वाले सुख-दख
ु
एक यह क म अपने पता से भी ह क शुभ-अशुभ
े भावो ारा ह
अिधक श शाली बनूं और दसरा यह
ू Amethyst दान कये जाते ह। ले कन हो के
क पता से सात गुना दर पर सात
ू Katela शुभ-अशुभ भाव म कसी य या
उप ह से िघरा हआ मेरा मंडल हो।
ु Amethyst- 5.25" Rs. 550 जीव वशेष से इन हो का कोई
Amethyst- 6.25" Rs. 640
िशवजी ने तथा तु कह उ ह वरदान दे Amethyst- 7.25" Rs. 730 प पात नह ं होता, यो क कसी भी
दया। Amethyst- 8.25" Rs. 820
य या जीव को िमलने वाले सुख-
Amethyst- 9.25" Rs. 910
योितषशा म अंत र , Amethyst - 10.25" Rs.1050 दख उस जीव
ु ारा कये गय कम ह
** All Weight In Rati
वरान थान , मसान , बीहड़ वन, होते ह।
* उपयो वजन और मू य से अिधक
ांतर , दगम-घा टय , पवत , गुफाओं,
ु और कम वजन और मू य का नीलम जीव वशेष क कम क कारक
े े
खदान व जन शू य आकाश-पाताल उिचत मू य पर ाि हे तु संपक कर। ह शिनदे व होने क वजह से उनक
क रह यपूण- थल आ द को शिनदे व
े GURUTVA KARYALAY यमाण कम क संपादन म
े मुख
Call Us:
के अिधकार े माना गया है । भूिमका होती है । जीव के ारा कये
91 + 9338213418,
शिनदे व क अिधकार
े े म कवल
े 91 + 9238328785, गये कम से कसी कम का फल कब
रह यमय व गु ान क उपरांत
े और कस कार भोगना है , इसका
कम े म, सतत ् चे ा, म, सेवा -लाचार, वकलांग , िनधारण नव ह ारा ह होता ह।
रोगी व वृ द क सहायता आ द भी आते ह। सभी जीव क शुभ-अशुभ कम
े का फल दान
शिनदे व कम क कारक
े ह होने क वजह से करने म शिनदे व द डािधकार यायाधीश के प म काय
मनु य को यमाण कम का अवलंबन लेकर अपने करते ह। यो क अशुभ कम क िलए द ड
े दान करते
8. 8 जून 2011
समय शिन नह ं दे र करते है और नह ं प पात। द ड दे ते शिनदे व उ ह ं लोगो को अिधक क दान करते
समय दया आ द भाव शिनदे व को छ नह ं पाते, इस
ू ह जो लोग गलत काम म सल न होते ह। अ छे कम
िलये लोग म शिन क नाम से भय क लहर दौड जाती
े े करने वाल पर शिनदे व अित स न व उनक अनुकल
े ू
है । इसी िलये शा म शिनदे व को ू र, क टल व पाप
ु फल दान करते ह।
ह सं ा द गई है । शिनदे व जतने कठोर ह उतने ह अतः शुभ कम करने से शिन क कृ पा ा होगी
अंदर से कृ पालु व दयालु भी है । शिनदे व क कृ पा ाि और शिन कृ पा से ह जीवन का मूल उ े य पूण होगा।
हे तु मनु यो को अपने कम को शा ो म उ ले खत ह क शिनदे व के
सुधारना चा हए। शिन क र
े और उपर दं ड से शिनदे व क गु
े सा ात िशवजी
यो क व ानो क मतानुशार
े को भी ढाई दन क िलये छपना पडा
े ु
नीलम, नीिलमा, नीलम ण,
पूव ज म क संिचत पु य और पाप का
े था। शिनदे व क कोप क कारण पावती
े े
जामुिनया, नीला कटे ला, आ द
फल जीव को वतमान जीवन म ह नंदन गणेशजी का िशर कट गया था।
क अनुसार भोगने पडते ह।
े शिन क र
े और उपर ह।
योितषी जानकार :
हो के शुभ-अशुभ भाव अ छा र शिनवार को पु य
शिन एक रािश म तीस मह ने रहते ह।
महादशा, अंतदशा आ द क अनुशार
े न म धारण करना
शिन मकर और क भ रािश क
ु े वामी
ा होते ह। अतः हो क अिन
े
चा हये। इन र मे कसी ह तथा शिनक महादशा 19 वष क
फल से बचाव क िलए उिचत उपाय
े
भी र को धारण करते ह होती है । शिन का भाव एक रािश पर
कया जा सकता है ।
हमारे ाचीन मनी षय ने शा ो म
फ़ायदा िमल जाता है । ढ़ाई वष और साढ़े साती के प म
साढे ़ सात वष अविध तक भोगना
शिनदे व क अनुकल व
े ू ितकल
ू भाव
शिन क जड बू टयां पढ़ता ह।
का बड़ सू मता से िनर ण कर
उसक व तृ त जानकार हम दान क ू
ब छ बूट क जड या शमी
शिनदे व क काले होने का रह य!
े
ह। जसे छ करा भी कहते है क
यद कसी जातक क िलये
े जड शिनवार को पु य न इस बारे म एक कथा चिलत
शिनदे व अनुकल होते ह तो जातक को
ू है , जब शिनदे व माता क गभ म थे,
े
म काले धागे म पु ष और
अपार धन-वैभव व ऐ या द क ाि तब िशव भ नी माता ने घोर तप या
ी दोनो ह दा हने हाथ क
होती ह, य द ितकल हो, तो
ू य क , धूप-गम क तपन म शिन का रं ग
को भीषण क का सामना करना भुजा म बा धने से शिन के काला हो गया। ले कन मां क इसी तप
े
पड़ता है । ऐसी थित म य वशेष क भाव म कमी आना शु
ु ने उ हे आपार श द और न हो म
क संिचत धन, संपदा का नाश होता
े हो जाता है । से एक ह बना दया।
है । य क िनं दत कम रत हो जाता ह
उसे लोकिनंदा का पा बनना पड़ता ह। उसे पग-पग पर शिनदे व क गित धीमी होने का कारण
दःख, क , रोग व अपमान का सामना करना पड़ता है ।
ु
शिनदे व का अ य सभी ह से मंद होने का
उ ह तरह-तरह क यातनाएं भी झेलनी पड़ जाती ह।
कारण इनका लंगड़ाकर चलना है । वे लंगड़ाकर य
9. 9 जून 2011
चलते ह, इसक संबंध म सूय तं
े म व णत कथा इस शिनदे व को ते ल य होने का कारण
कार ह।
शिन दे व पर तेल चढाया जाता ह, इस संबंध म
एक बार सूय दे व का तेज सहन न कर पाने क आनंद रामायण म एक कथा का उ लेख िमलता ह। जब
वजह से सं ा दे वी ने अपने शर र से अपने जैसी ह एक ी राम क सेना ने सागर सेतु बांध िलया, तब रा स
ितमूित तैयार क और उसका नाम वणा रखा। उसे इसे हािन न पहंु चा सक, उसक िलए पवन सुत हनुमान
े
आ ा द क तुम मेर अनुप थित म मेर सार संतान को उसक दे खभाल क ज मेदार सौपी गई। जब
क दे खरे ख करते हए सूय दे व क सेवा करो और प ी
ु हनुमान जी शाम क समय अपने इ दे व राम क
े े यान म
सुख भोगो। म न थे, तभी सूय पु शिन ने अपना काला क प चेहरा
ु
एसा आदे श दे कर सं ा अपने पता क घर चली
े बनाकर ोधपूण कहा- हे वानर म दे वताओ म श शाली
गई। वणा ने भी अपने आप को इस तरह ढ़ाला क शिन हँू । सुना ह, तुम बहत बलशाली हो। आँख खोलो
ु
सूय दे व भी यह रह य न जान सक। इस बीच सूय दे व
े और मेरे साथ यु करो, म तुमसे यु करना चाहता हँू ।
से वणा को पांच पु और दो पु यां हई। धीरे -धीरे
ु इस पर हनुमान ने वन तापूव क कहा- इस समय म
वणा अपने ब च पर अिधक और सं ा क संतान पर अपने भु को याद कर रहा हंू । आप मेर पूजा म व न
कम यान दे ने लगी। एक दन सं ा क पु
े शिन को मत डािलए। आप मेरे आदरणीय है । कृ पा करक आप
े
तेज भूख लगी, तो उसने वणा से भोजन मांगा। तब यहा से चले जाइए।
वणा ने कहा क अभी ठहरो, पहले म भगवानका भोग
् जब शिन दे व लड़ने पर उतर आए, तो हनुमान जी
लगा लूं और तु हारे छोटे भाई-बहन को खला दं , फर
ू ने अपनी पूंछ म लपेटना शु कर दया। फर उ हे
तु ह भोजन दं गी। यह सुनकर शिन को
ू ोध आ गया कसना ारं भ कर दया जोर लगाने पर भी शिन उस
और उ ह ने माता को मारने क िलए अपना पैर उठाया,
े बंधन से मु न होकर पीड़ा से याकल होने लगे।
ु
तो वणा ने शिन को ू
ाप दया क तेरा पांव अभी टट हनुमान ने फर सेतु क प र मा कर शिन क घमंड को
े
जाए। तोड़ने क िलए प थरो पर पूंछ को झटका दे -दे कर
े
माता का ाप सुनकर शिनदे व डरकर अपने पता पटकना शु कर दया। इससे शिन का शर र लहलुहान
ु
क पास गए और सारा
े क सा कह सुनाया। सूय दे व हो गया, जससे उनक पीड़ा बढ़ती गई। तब शिन दे व ने
तुर त समझ गए क कोई भी माता अपने पु को इस हनुमान जी से ाथना क क मुझे बधंन मु कर
तरह का शाप नह दे सकती। इसी िलए उनक साथ
े द जए। म अपने अपराध क सजा पा चुका हँू , फर
अपनी प ी नह कोई और ह। सूय दे व ने ोध म आकर मुझसे ऐसी गलती नह होगी।
पूछा क बताओ तुम कौन हो, सूय का तेज दे खकर वणा इस पर हनुमान जी बोले-म तु हे तभी छोडू ं गा,
घबरा गई और सार स चाई उ हे बता द । तब सूय दे व जब तुम मुझे वचन दोगे क ी राम क भ
े को कभी
न शिन को समझाया क वणा तुमार माता नह ह, परे शान नह करोगे। य द तुमने ऐसा कया, तो म तु ह
ले कन मां समान ह। इसीिलए उनका दया शाप यथ तो कठोर दं ड दं गा। शिन ने िगड़िगड़ाकर कहा -म वचन दे ता
ू
नह होगा, पर तु यह इतना कठोर नह होगा क टांग हंू क कभी भूलकर भी आपक और
े ी राम क भ
े क
पूर तरह से अलग हो जाए। हां, तुम आजीवन एक पाँव रािश पर नह आऊगा। आप मुझे छोड़ द। तभी हनुमान
ँ
से लंगडाकर चलोगे। जी ने शिनदे व को छोड़ दया। फर हनुमान जी से
10. 10 जून 2011
शिनदे व ने अपने घावो क पीड़ा िमटाने क िलए तेल
े लोगे, वह न हो जायगा। ू
यान टटने पर शिनदे व ने
मांगा। हनुमान जी ने जो तेल दया, उसे घाव पर लगाते अपनी प ी को मनाया। प ी को भी अपनी भूल पर
ह शिन दे व क पीड़ा िमट गई। उसी दन से शिनदे व को प ाताप हआ, क तु शाप क
ु े तीकार क श उसम न
तेल चढ़ाया जाता ह, जससे उनक पीडा शांत हो जाती ह थी, तभी से शिन दे वता अपना िसर नीचा करक रहने
े
और वे स न हो जाते ह। लगे। य क यह नह ं चाहते थे क इनके ारा कसी का
अिन हो।
शिनदे व क ूर ी का कारण अतः कहा गया है , शिनदे व ुर ह नह ं ह, वो
शिनदे व जी क म जो ू रता है , वह इनक यायकता है । य पाप करता रहता है, और जब उस
प ी क शाप क कारण है ।
े े पुराण म इनक कथा इस य पर शिन क साढ़े साती आती है , तो उसक पापो का
े
कार आयी है - बचपन से ह शिन दे वता ीकृ ण के हसाब वयं शिनदे व करते है । जब य लोभ, वासना,
परम भ थे। वे ीकृ ण क अनुराग म िनम न रहा
े गु सा, मोह से भा वत होकर अ याय, अ याचार, दराचार,
ू
करते थे। वय क होने पर इनके पता ने िच रथ क अनाचार, पापाचार, यिभचार का सहारा लेता है , जब सबसे
क या से इनका ववाह कर दया। इनक प ी सती- िछप कर कोई पाप काय करता ह, तब समय आने पर
सा वी और परम तेज वनी थी। एक रात वह ऋतु- नान शिनदे व के ारा य को दं ड भी ा होता ह। जो
करक पु -
े ाि क इ छा से इनक पास पहँु ची, पर यह
े राजा का रं क बना दे ती ह, वह शिन क साढे -साित ह
ीकृ ण के यान म िनम न थे। इ ह बा संसार क होती है । ले कन य द साढे -साती दशा क दौरान भी य
े
सुधबुध ह नह ं थी। प ी ती ा करक थक गयी। उसका
े स य को नह ं छोड़े ता, पुनः, दया और याय का सहारा
ऋतुकाल िन फल हो गया। इसिलये उसने ु होकर लेता ह, एसी अव था म सब बहत ह अ छे से
ु यतीत
शिनदे व को शाप दे दया क आज से जसे तुम दे ख हो जाता ह।
या आपक ब चे कसंगती क िशकार ह?
े ु े
या आपक ब चे आपका कहना नह ं मान रहे ह?
े
या आपक ब चे घर म अशांित पैदा कर रहे ह?
े
ु
घर प रवार म शांित एवं ब चे को कसंगती से छडाने हे तु ब चे क नाम से गु
ु े व कायालत ारा
शा ो विध- वधान से मं िस ाण- ित त पूण चैत य यु वशीकरण कवच एवं
एस.एन. ड बी बनवाले एवं उसे अपने घर म था पत कर अ प पूजा, विध- वधान से आप
वशेष लाभ ा कर सकते ह। य द आप तो आप मं िस वशीकरण कवच एवं एस.एन. ड बी
बनवाना चाहते ह, तो संपक इस कर सकते ह।
GURUTVA KARYALAY
92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA, BHUBNESWAR-751018, (ORISSA)
Call us: 91 + 9338213418, 91+ 9238328785
Mail Us: gurutva.karyalay@gmail.com, gurutva_karyalay@yahoo.in,
11. 11 जून 2011
शिनवार त
व तक.ऎन.जोशी.
े
त माहा यं एवं कथा विध
शिन- ह क शांित व सभी कार क सुख क
े ॐ कोण थाय नमः।
इ छा रखने वाले ी-पु ष को शिनवार का त करना ॐ रौ ा मकाय नमः।
चा हए। संपूण विध- वधान से शिनवार का त करने से ॐ शनै राय नमः।
शिन से संबंिधत संपूण पीडा-दोष, रोग-शोक न हो जाते ॐ यमाय नमः।
ह, और धन का लाभ होता ह। ती को वा य सुख ॐ ब वे नमः।
तथा आयु व बु क वृ होती ह। ॐ कृ णाय नमः।
शिनदे व के भाव म सभी कार क उ ोग,
े ॐ मंदाय नमः।
यवसाय, कल-कारखाने, धातु उ ोग, लौह व तु, तेल, ॐ प पलाय नमः।
काले रं ग क व तु, काले जीव, जानवर, अकाल मृ यु, ॐ पंगलाय नमः।
पुिलस भय, कारागार, रोग भय, गुरदे का रोग, जुआ, ॐ सौरये नमः।
स टा, लॉटर , चोर भय तथा ू र काय आते ह।
व ानो क अनुशार शिन से संबंिधत क
े िनवारण उस वृ म सूत क सात धागे लपेटकर सात
े
क िलए शिनवार का
े त करना परम लाभ द होता ह। प र मा करे तथा वृ का पूजन करे । शिन पूजन
शिनवार के त को जानकार य क सलाह से येक सूय दय से पूव तार क छांव म करना चा हए। शिनवार
उ के ी-पु ष कर सकता ह। त-कथा को भ और ेमपूव क सुने। कथा कहने वाले
शिनवार का त कसी भी शिनवार से आरं भ को द णा दे । ितल, जौ, उड़द, गुड़, लोहा, तेल, नीले
कया जा सकता ह। ले कन ावण मास क शिनवार से
े व का दान करे । आरती और ाथना करके साद बांटे।
त को ारं भ कया जाए तो वशेष लाभ द रहता ह। पहले शिनवार को उड़द का भात और दह , दसरे
ू
शिनवार को सूयोदय से पूव ती मनु य को शिनवार को खीर, तीसरे को खजला, चौथे शिनवार को
कसी प व नद -जलाशय आ द क जल म
े नान कर, घी और पू रय का भोग लगावे। इस कार ततीस
ऋ ष- पतृ अपण करक, सुंदर कलश म जल भरकर लाये,
े शिनवार तक इस त को करे । इस कार त करने से
उस कलश को शमी अथवा पीपल क पेड़ क नीचे सुंदर
े े शिनदे व स न होते ह। इससे सव कार क क , अ र
े
वेद बनावे, उसे गोबर से लीपे, लौह िनिमत शिन क आद यािधय का नाश होता है और अनेक कार के
ितमा को पंचामृ त म नान कराकर काले चावल से सुख, साधन, धन, पु -पौ ा द क ाि होती ह। कामना
बनाए हए चौबीस दल क कमल पर
ु े था पत करे । क पूित होने पर शिनवार के त का उ ापन कर। ततीस
शिनदे व का काले रं ग क गंध, पु प, अ ांग, धूप, फल,
े ू ा ण को भोजन करावे, त का वसजन करे । इस
उ म कार क नैवे
े आ द से पूजन करे । कार त का उ ापन करने से पूण फल क ाि होती
उस क प यात शिन क इन दस नाम का
े े ा ा है एवं सभी कार क कामनाओं क पूित होती ह।
व भ -भाव से से उ चारण करे -
12. 12 जून 2011
कामना पूित होने पर य द यह त कया जाए, तो ा कतु हे तु कतु मं
े े से कशा क सिमधा म, कृ ण जौ क
ु े
व तु का नाश नह ं होता। घी व काले ितल से येक क िलए १०८ आहितया दे
े ु
योितष शा म शिन राहु और कतु क क
े े और ा ण को भोजन करावे।
िनवारण हे तु भी शिनवार के त का वधान ह। इस त इस कार शिनवार के त के भाव से शिन और
म शिन क लोहे क , राहु व कतु क शीशे क मूित
े राहु-कतु जिनत क , सभी
े कार क अ र
े तथा आ द-
बनवाएं। यािधय का सवथा नाश होता ह।
कृ ण वण व , दो भुजा द ड और अ मालाधार ,
काले रं ग क आठ घोड़े वाले रथ म बैठे शिन का
े संपूण ाण ित त 22 गेज शु
यान करे ।
ट ल म िनिमत अखं डत
कराल बदन, ख ग, चम और शूल से यु नीले
िसंहासन पर वराजमान वर द राहु का
धू वण, गदा द आयुध से यु ,
यान करे ।
गृ ासन पर
पु षाकार
शिन यं
वराजमान वकटासन और वर द कतु का
े यान
करे ।
पु षाकार शिन यं ( ट ल म) को ती भावशाली
इ ह व प म मुितय का िनमाण करावे अथवा बनाने हे तु शिन क कारक धातु शु ट ल(लोहे ) म
गोलाकार मूित बनावे या बाजार से खर द ले। बनाया गया ह। जस के भाव से साधक को त काल
काले रं ग क चावलोम से चौबीस दल का कमल
े लाभ ा होता ह। य द ज म कडली म शिन
ुं
िनमाण करे । कमल क म य म शिन, द
े ण भाग म ितकल
ू होने पर य को अनेक काय म
राहु और वाम भाग म कतु क
े थापना करे । र चंदन असफलता ा होती है , कभी यवसाय म घटा,
म कशर िमलाकर, गंध चावल म काजल िमलाकर, काले
े नौकर म परे शानी, वाहन दघटना, गृ ह
ु लेश आ द
चावल, काकमाची, कागलहर क काले पु प, क तूर आ द
े परे शानीयां बढ़ती जाती है ऐसी थितय म
से 'कृ ण धूप' और ितल आ द क संयोग से कृ ण नैवे
े ाण ित त ह पीड़ा िनवारक शिन यं क अपने
(भोग) अपण करे और इस मं से ाथना एवं नम कार को यपार थान या घर म थापना करने से अनेक
कर- लाभ िमलते ह। य द शिन क ढै ़या या साढ़े साती का
शनैश ्चर नम तु यं नम तेतवथ राहवे। समय हो तो इसे अव य पूजना चा हए। शिनयं के
कतवेऽथ नम तु यं सवशांित
े दो भव॥ पूजन मा से य को मृ यु, कज, कोटकश, जोडो
े
ॐ ऊ वकायं महाघोरं चंडा द य वमदनम।
् का दद, बात रोग तथा ल बे समय क सभी
े कार के
िसं हकायाः सुतं रौ ं तं राहंु णमा यहम॥
् रोग से परे शान य क िलये शिन यं
े अिधक
ॐ पातालधूम संकाशं तारा ह वमदनम।
् लाभकार होगा। नौकर पेशा आ द क लोग
े को
रौम रौ ा मकं ू रं तं कतु
े णमा यहम॥
् पदौ नित भी शिन ारा ह िमलती है अतः यह यं
अित उपयोगी यं है जसके ारा शी ह लाभ पाया
सात शिनवार का त करे । शिन हे तु शिन-मं से शिन
जा सकता है । मू य: 1050 से 8200
क सिमधा म, राहु हे तु राहु मं से पूवा क सिमधा म,
13. 13 जून 2011
ी शिनवार त कथा हे युिध र! कशलपूव क तो हो? युिध र ने कहा- हे
ु
भो! आपक कृ पा है । आपसे कछ िछपा न हं है ! कृ पाकर
ु
पौरा णक कथा क अनुशार एक बार सम त
े
कोई ऐसा उपाय बतलाएं, जसक करने से यह
े ह क
ा णय का हत चाहने वाले मुिनगण नैिमषार य म
न यापे। हम इससे छटकारा िमले। यह शिन
ु ह बहत
ु
एक हए। उस समय
ु यास जी क िश य सूतजी अपने
े
क दे ता है ।
िश यो क साथ
े ीह र का मरण करते हए वहां पर
ु
ीकृ ण बोले- राजन! आपने बहत ह सुंदर बात
ु
आए। सम त शा के ाता ी सूतजी को आया
दे खकर महातेज वी शौनका द मुिनय ने उठकर ी
सूतजी को
सूतजी बैठ गए।
णाम कया। मुिनय ारा दए आसन पर ी
संपूण ाण ित त
22 गेज शु टल म
ी सूतजी से शौनक आ द मुिनय ने वनयपूव क
पूछा- हे मुिन! इस किलकाल म ह र भ कस कार से
होगी? सभी ाणी पाप करने म त पर ह गे, मनु य क
आयु कम होगी। ह क , धन र हत और अनेक िनिमत अखं डत
पीड़ायु मनु य ह गे। हे सूतजी! पु य अित प र म से
शिन
ा होता है , इस कारण किलयुग म कोई भी मनु य
पु य न कर पायेगा। पु य क न
े होने से मनु य क
कृ ित पापमय होगी, इस कारण तु छ वचार करने वाले
मनु य अपने अंश स हत न हो जाएंगे। हे सूतजी! जस
तैितसा यं
तरह थोड़े ह प र म, थोड़े धन से, थोड़े समय म पु य
ा हो, ऐसा कोई उपाय हम लोग को बतलाइए। हे
महामुन, हमने यह भी सुना है
े क शिन के कोप से
दे वता भी मु नह ं हो पाते । शिन क ूर ने
भगवान ीगणेश जी का िसर उसक पता क हाथ कटवा
े े
शिन ह से संबंिधत पीडा के
दया। शिन क क को दे ने वाली ह, इसिलए कोई
ऐसा त बताएं, जसे करने से शिनदे व स न हो। िनवारण हे तु वशेष लाभकार यं ।
सूतजी बोले- हे मुिन े तुम ध य हो। तु ह ं मू य: 550 से 8200
वै णव म अ ग य हो, य क सब ा णय का हत
चाहते हो। म आपसे उ म त को कहता हंू । यान दे कर
GURUTVA KARYALAY
सुन- इसक करने से भगवान शंकर
े स न होते है और 92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR
शिन ह क क
े ा नह ं होते। PATNA, BHUBNESWAR-751018, (ORISSA)
Call us: 91 + 9338213418, 91+ 9238328785
हे ऋ षयो! युिध र आ द पांडव जब वनवास म
Mail Us: gurutva.karyalay@gmail.com,
अनेक क भोग रहे थे, उस समय उनके य सखा gurutva_karyalay@yahoo.in,
ीकृ ण उनक पास पहंु चे। युिध र ने
े ीकृ ण का बहत
ु Our Website:- http://gk.yolasite.com/ and
http://gurutvakaryalay.blogspot.com/
आदर कया और सुंदर आसन पर बैठाया। ीकृ ण बोले-
14. 14 जून 2011
पूछ है । आपसे एक उ म त कहता हंू , सुनो। जो ा णी ने राजकमार धमगु
ु को अपने साथ ले िलया
मनु य भ और ायु होकर शिनवार के दन और नगर को छोड़कर चल द ।
भगवान शंकर का त करते ह, उ ह शिन क ह दशा गर ब ा णी दोन कमारो का बहत क ठनाई से
ु ु
मे कोई क नह ं होता। उनको िनधनता नह ं सताती िनवाह कर पाती थी। कभी कसी शहर म और कभी
तथा इस लोक म अनेक कार क सुख को भोगकर अंत
े कसी नगर म दोन कमार को िलए घूमती रहती थी।
ु
म िशवलोक क ाि होती है । युिध र बोले- हे भु! एक दन वह ा णी जब दोन कमार को िलए एक
ु
सबसे पहले यह त कसने कया था, कृ पा करक इसे
े नगर से दसरे नगर जा रह थी क उसे माग म मह ष
ु
व तारपूव क कह तथा इसक विध भी बतलाएं। शां ड य क दशन हए।
े ु ा णी ने दोन बालक क साथ
े
भगवान ीकृ ण बोले- राजन! शिनवार क दन,
े मुिन क चरण मे
े णाम कया और बोली- मह ष! म
वशेषकर ावण मास म शिनवार के दन लौहिनिमत आज आपक दशन कर कृ ताथ हो गई। यह मेरे दोन
े
ितमा को पंचामृ त से नान कराकर, अनेक कार के कमार आपक शरण है , आप इनक र ा कर। मुिनवर!
ु
गंध, अ ांग, धूप, फल, उ म कार क नैवे
े आ द से यह शुिच त मेरा पु है और यह धमगु राजपु है और
पूजन करे , शिन क दस नाम का उ चारण करे । ितल,
े मेरा धमपु है । हम घोर दा र य म ह, आप हमारा उ ार
जौ, उड़द, गुड़, लोहा, नीले व का दान करे । फर क जए। मुिन शां ड य ने ा णी क सब बात सुनी और
भगवान शंकर का विधपूव क पूजन कर आरती- ाथना बोले-दे वी! तु हारे ऊपर शिन का कोप है , अतः आप
करे - हे भोलेनाथ! म आपक शरण हंू , आप मेरे ऊपर शिनवार के दन त करक भोले शंकर क
े आराधना
कृ पा कर। मेर र ा कर। कया करो, इससे तु हारा क याण होगा।
हे युिध र! पहले शिनवार को उड़द का भात, ा णी और दोन कमार मुिन को
ु णाम कर
दसरे को कवल खीर, तीसरे को खजला, चौथे को पू रय
ू े िशव मं दर क िलए चल दए। दोन कमार ने
े ु ा णी
का भोग लगावे। त क समाि पर यथाश ा ण स हत मुिन क उपदे श क अनुसार शिनवार का
े े त कया
भोजन करावे। इस कार करने से सभी अिन , क , तथा िशवजी का पूजन कया। दोन कमार को यह
ु त
आिध या दय का सवथा नाश होता है । शिन, राहु, कते
े करते-करते चार मास यतीत हो गए। एक दन शुिच त
से ा होने वाले दोष दर होते ह और अनेक
ू कार के नान करने क िलए गया। उसक साथ राजकमार नह ं
े े ु
सुख-साधन एवं पु -पौ ा द का सुख ा होता ह। था। क चड़ म उसे एक बहत बड़ा कलश दखाई दया।
ु
शुिच त ने उसको उठाया और दे खा तो उसम धन था।
सबसे पूव जसने इस त को कया था, उसका इितहास शुिच त उस कलश को लेकर घर आया और मां से
भी सुनो- बोला- हे मां! िशवजी ने इस कलश के प म धन दया
पूव काल म इस पृ वी पर एक राजा रा य करता है ।
था। राजाने अपने श ुओं को अपने वश म कर िलया। माता ने आदे श दया- बेटा! तुम दोन इसको बांट
दै व गित से राजा और राजकमार पर शिन क दशा आई।
ु लो। मां का वचन सुनकर शुिच त बहत ह
ु स न हआ
ु
राजा को उसक श ुओं ने मार
े दया। राजकमार भी
ु और धमगु से बोला- भैया! अपना ह सा ले लो। परं तु
बेसहारा हो गया। राजगु को भी बै रय ने मार दया। िशवभ राजकमार धमगु
ु ने कहा-मां! म हसा लेना
उसक वधवा ा णी तथा उसका पु शुिच त रह गया। नह ं चाहता, य क जो कोई अपने सुकृत से कछ भी
ु