SlideShare uma empresa Scribd logo
1 de 72
Font Help >> http://gurutvajyotish.blogspot.com

गु   व कायालय   ारा   तुत मािसक ई-प का                             जून- 2011




 शिनदे व का प रचय                                        शिनदे व क कृ पा ाि
 शिन क विभ न मं
      े                                                          क सरल उपाय
                                                                  े

 शिन-साढ़े साती क शांित
                े                                                   शिनवार त
 उपाय




 सामु क शा      म शिन रे खा का मह व              शिन क विभ न पाय का
                                                      े

 शिन ह से संबिधत रोग
             ं                                   शिन दोष त का मह व

                      NON PROFIT PUBLICATION
FREE
                                     E CIRCULAR
                          गु   व     योितष प का जून 2011
संपादक               िचंतन जोशी
                     गु   व    योितष वभाग

संपक                 गु    व कायालय
                     92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA,
                     BHUBNESWAR-751018, (ORISSA) INDIA
फोन                  91+9338213418, 91+9238328785,
                     gurutva.karyalay@gmail.com,
ईमेल                 gurutva_karyalay@yahoo.in,

                     http://gk.yolasite.com/
वेब                  http://www.gurutvakaryalay.blogspot.com/

प का       तुित      िचंतन जोशी,     व तक.ऎन.जोशी
फोटो     ाफ स        िचंतन जोशी,     व तक आट
हमारे मु य सहयोगी     व तक.ऎन.जोशी       ( व तक सो टे क इ डया िल)




           ई- ज म प का                              E HOROSCOPE
      अ याधुिनक      योितष प ित            ारा Create By Advanced Astrology
         उ कृ     भ व यवाणी क साथ
                             े                             Excellent Prediction
             १००+ पेज म            तुत                              100+ Pages

                           हं द / English म मू य मा 750/-
                               GURUTVA KARYALAY
                     92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA,
                         BHUBNESWAR-751018, (ORISSA) INDIA
                       Call Us – 91 + 9338213418, 91 + 9238328785
            Email Us:- gurutva_karyalay@yahoo.in, gurutva.karyalay@gmail.com
3                               जून 2011




                                         वशेष लेख
शिनदे व का प रचय                         5    शिनदे व क कृ पा ाि क सरल उपाय
                                                                  े                      28

शिनवार त                                 11   शिन क विभ न मं
                                                   े                                     30

शिन दोष त का मह व                        17   महाकाल शिन मृ युंजय तो                     31

शिन-साढ़े साती क शांित उपाय
               े                         18   शनै र तवराज(भ व यपुराण)                    35

 ी शिन चालीसा                            20   शनै र तो म ् ( ी   ा डपुराण)               36

सामु क शा      म शिन रे खा का मह व       22   शिनव पंजरकवचम ्                            36

शिन क विभ न पाय का
     े                                   24   दशरथकृ त-शिन- तो                           37

शिन ह से संबंिधत रोग                     27   शिन अ ो रशतनामाविल                         41




                                         अनु म
संपादक य                                 4     दन-रात क चौघ डये
                                                       े                                 59

राम र ा यं                               42    दन-रात क होरा सूय दय से सूया त तक         60

 व ा ाि      हे तु सर वती कवच और यं      43       ह चलन जून -2011                        61

मं   िस प ना गणेश                        43   सव रोगनाशक यं /कवच                         62

मं िस साम ी                              44   मं िस कवच                                  64

मािसक रािश फल                            47   YANTRA LIST                                65

रािश र                                   51   GEM STONE                                  67

जून 2011 मािसक पंचांग                    52   BOOK PHONE/ CHAT CONSULTATION              68

जून -2011 मािसक     त-पव- यौहार          54   सूचना                                      69

मं िस साम ी                              57   हमारा उ े य                                71

जून 2011 - वशेष योग                      58

दै िनक शुभ एवं अशुभ समय      ान तािलका   58
4                                   जून 2011




                                                     संपादक य
     य आ मय

            बंधु/ ब हन

                         जय गु दे व
          विभ न सं कृ ित म शिनदे व को अकपु , सौ र, भा क र, यम, आ क, छाया सुत, तर णतनय, कोण, नील,
आिसत, फारसी व अरबी म जुदल, कदवान, हहल तथा अं ेजी म सैटन आ द नाम से जना जाता ह। शिन
                        ु   े      ु                                                                                 ह
सौरमंडल म सूय क प र मा करने वाला छठा             ह है ।
       वेद-पुराण क अनुसार शिनदे व सूय दे व क दसर प ी दे वीछाया क पु
                  े                           ू                 े             है, और इसका वण यामल है । एक बार
शिनदे व के    याम वण दे खकर सूय ने उसे अपना पु            मानने से इनकार कर दया। अपने          ित पता क इस
                                                                                                       े      यवहार
को दे खकर शिन क भावनाओं को ठे स लगी जसक प रणाम व प वह अपने पता सूय से श ुभाव रखने लगे।
                                       े

       रामायण म उ लेखीत ह क जब लंकापित रावण क सभी
                                             े                     ाता व पु    क यु    म मृ यु हो रह थी तब रावण
ने अपने अमर व क िलए सौरमंडल क सभी
               े             े                 ह को अपने दरबार म कदकर िलया। रावण क कडली म शिन ह एक
                                                                  ै                 ुं
मा    ऐसा     ह था जसक व ाव था और योग क कारण रावण क िलए माकश क
                                       े           े                                   थित उ प न हो रह थी, जसे
प रवितत करने क िलए रावण ने अपने दरबार म शिन को उलटा लटका दया व घोर यातनाएं दे ने लगा। ले कन
              े
रावण क एसा करने से शिन क यवहार म कोई बदलाव नह ं आया और वह क
      े                 े                                                         सहते रहे ।

       पवन पु       ी हनुमान वहां पहंु चे और शिन को रावण क कद से मु
                                                            ै                 कराया। इसी उपकार क बदले शिनदे व ने
                                                                                                े
हनुमानजी को वचब दया क जो भी आपक आराधना करे गा, म अपनी साढे साती, ढै या, दशा-महादशा से उसक सवदा
र ा क ं गा।

       इसी िलये     ी हनुमानजी क भ
                                े          क िलए शुभ फलदायक होते ह शिनदे व
                                            े                                     ी हनुमान ने शिन को क       से मु
कराकर उसक र ा कथी इसीिलए वह भी                 ी हनुमान क उपासना करने वाल क क
                                                                           े              को दर कर उनक हत क
                                                                                              ू       े
र ा करता है । शिन से उ प न क          क िनवारण हे तु
                                       े                   ी हनुमान को अिधक से अिधक        स न कया जाए। इससे न
कवल शिन से उ प न दोष का िनवारण होता है , ब क सूय व मंगल क साथ शिन क श ुता व योग क कारण
 े                                                       े                       े
उ प न सारे क       भी दर हो जाते ह।
                       ू
       शिन दे व ह        येक जीव क आयु क कारक ह, आयु वृ
                                  े     े                         करने वाले    ह भी शिनदे व ह, आयुष योग म शिन
का    थान मह वपूण है क तु शुभ         थित म होने पर शिन आयु वृ        करते ह तो अशुभ           थित म होने पर आयु का
हरण कर लेते ह।
       शिनदे व ल बी बमार क भी
                          े               मुख कारक    ह ह अतः जो     य    ल बे समय से बमार से पी डत ह। रोग,
क , िनधनता आ द उनका पीछा नह ं छोड रहे हो उ ह शिनदे व क उपासना अव य करनी चा हये।
       शिनदे व के    स न होने से      य     को िनरोगी काया व दःख द र ता से मु
                                                              ु                        िमलती ह व दधायु क        ाि
होती ह।

                                                                                                    िचंतन जोशी
5                              जून 2011




                                               शिनदे व का प रचय
                                                                                        िचंतन जोशी,    व तक.ऎन.जोशी.
                                                                                                            े

पद:      ा
रं ग: काला
त व: वायु
जाित: शू
 कृ ित: तामिसक
ववरण:          ीण और ल बा शर र, गहर पीली आँख, वात,
बड़े दांत, अकम य, लंगड़ापन, मोटे बाल .
धातु: नायु
िनवास: मिलन जमीन
समय अविध: साल
 वाद: कसैले
मजबूत दशा: प          म
पेड़: पीपल, बांबी
कपड़े : काले, नीले, बहु रं ग का व
मौसम: िसिशर Sishira
पदाथ: धातु,                                                            शिन क छ ले
                                                                            े
शिन      ह                                                                   शिन   ह क चार ओर कई उप ह छ ले ह। यह
                                                                                      े
       शिन सौरम डल के             एक सद य          ह है । यह           छ ले बहत ह पतले होते ह। हालां क यह छ ले चौड़ाई
                                                                              ु
सूरज से छठे       थान पर है और सौर मंडल म बृ ह पित                     म २५०,०००   कलोमीटर है ले कन यह मोटाई म एक
क बाद सबसे बड़ा
 े                        ह ह। इसक क ीय प र मण का
                                  े                                    कलोमीटर से भी कम ह। इन छ ल क कण मु यत:
                                                                                                   े
पथ १४,२९,४०,०००           कलोमीटर है । शिन     ह क खोज                 बफ और बफ से ढ़क पथर ले पदाथ से बने ह। नये
                                                                                     े
 ाचीन काल म ह हो गई थी। ले कन वै ािनक                          ी       वै ािनक शोध क अनुशार शिन
                                                                                    े                ह क छ ले ४-५ अरब
                                                                                                        े
कोण से गैलीिलयो गैिलली ने सन ् १६१० म दरबीन क
                                       ू                               वष पहले बने ह    जस समय सौर     णाली अपनी िनमाण
सहायता से इस          ह को खोजा था। शिन        ह क रचना                अव था म ह थी। पहले ऐसा माना जाता था       क ये
७५% हाइ ोजन और २५% ह िलयम से हई है । जल,
                              ु                                        छ ले डायनासौर युग म अ त व म आए थे। अमे रका
िमथेन,अमोिनया और प थर यहाँ बहत कम मा ा म पाए
                             ु                                         म वै ािनक ने म पाया     क शिन     ह क छ ले दस
                                                                                                            े
जाते ह। सौर म डल म चार                ह को गैस दानव कहा                करोड़ साल पहले बनने क बजाय उस समय अ त व म
                                                                                           े
जाता    है ,     य क      इनम     िमटट -प थर       क      बजाय         आए जब सौर       णाली अपनी शैशवाव था म थी। १९७०
अिधकतर गैस है और इनका आकार बहत ह
                             ु                      वशाल है ।          क दशक म वै ािनक यह मानने लगे थे क शिन
                                                                        े                                         ह के
शिन    इनमे      से    एक    है   -   बाक    तीन       बृ ह पित,       छ ले काफ युवा ह और संभवत: यह कसी धूमकतु क
                                                                                                            े   े
अ ण(युरेनस) और व ण (नॅ टयून) ह।                                        बड़े चं मा से टकराने क कारण पैदा हए ह। कछ
                                                                                            े           ु     ु
6                                          जून 2011



वै ािनको क अनुशार शिन क छ ले हमेशा से थे ले कन
          े            े                                             अनुसार ह अ य         ह संबंिधत य               को शुभा-शुभ फल
उनम लगातार बदलाव आता रहा और वे आने वाले कई                            दान करते ह। जड़-चेतन सभी पर                    ह का अनुकल या
                                                                                                                             ू
अरब साल तक अ त व म रहगे।                                              ितकल
                                                                         ू       भाव िन       त पड़ता ह। आपक मागदशन हे तु
                                                                                                           े
                                                                     शिनदे व से संबंिधत कछ विश
                                                                                         ु                  जानका रयां यहां               तुत
भारतीय शा ो क अनुशार शिनदे व का वणन
             े                                                       ह।
             वैदय कांित रमल,
                ू                  जानां वाणातसी                             पुरातन काल से लोग क अंदर शिनदे व क
                                                                                                े              े                           ित
                   कसुम वण वभ
                    ु                  शरत:।                         गलत धारणाएं, भय घर              कये बैठा ह, शिनदे व नाम
            अ या प वण भुव ग छित त सवणािभ                             सुनते ह लोग भयभीत हो जाते ह। शिनदे व का पौरा णक
    सूया मज: अ यतीित मुिन          वाद:॥                                              प रचय आपक                 जानकार हे तु              तुत

                                                   शिन र             नीलम             ह       जससे शिनदे व से संबंधी                      या
भावाथ:- शिन          ह वैदयर
                          ू           अथवा                                                विभ न           ांितय      के       िनवारण       म
बाणफ़ल
    ू        या    अलसी    के    फ़ल
                                  ू    जैसे                                           आपको सहायता िमले।
िनमल रं ग से जब           कािशत होता है ,                                                           व वध पुराण            म शिनदे व के
तो उस समय          जा क िलये शुभ फ़ल
                       े                                                                  ादभाव व उनक
                                                                                            ु        े                  विश        गुण     क
दे ता है यह अ य वण को            काश दे ता                                            अनेक चचा उ ल ध है ।
है , तो उ च वण को समा             करता है ,                                           पुराणो        के    अनुसार          शिनदे व        मह ष
ऐसाऋ ष महा मा कहते ह।                                                                 क यप क पु
                                                                                            े                  सूय क संतान ह। सूय
                                                                                          व     क        आ मा व सा ात                      का

शिनदे व का         व प:                                                                   व प ह। शिनदे वक माता का नाम
                                                         B.Sapphire                   छाया अथवा सुवणा ह। मनु साव ण,
           शनै र     का         शर र-का त
                                                   (Special Qulaty)                   यमराज शिनदे व क भाई और यमुना
                                                                                                     े
इ     नीलम ण क समान ह। शिनदे व क
              े                 े
                                                                                      बहन ह।
िसर पर        वण मुकट गले म माला
                    ु
                                               B.Sapphire - 5.25"      Rs. 30000
                                               B.Sapphire - 6.25"      Rs. 37000
                                                                                                 शा ो           व णत ह क वंश का
तथा शर र पर नीले रं ग क व
                       े                       B.Sapphire - 7.25"      Rs. 55000
                                               B.Sapphire - 8.25"      Rs. 73000          भाव संतान पर अव य पड़ता ह।
सुशोिभत होते ह। शिनदे व का वण                  B.Sapphire - 9.25"      Rs. 91000
                                                                                      शिनदे व का ज म क यप वंश म हवा
                                                                                                                 ु
कृ ण, वाहन गीध तथा लोहे का बना                 B.Sapphire- 10.25"      Rs.108000
                                                        ** All Weight In Rati         ह       और     शिनदे व        सा ात                व प
रथ है ।                                        * उपयो     वजन और मू य से अिधक
                                                                                      सूय दे व      के     पु       ह     अतः        शिनदे व
                                               और कम वजन और मू य का नीलम
सूयदे व क पु
         े          ह शिनदे व                  उिचत मू य पर     ाि   हे तु संपक कर।   अ तीय श                   व   य         व के       वामी

            योितष क व ानो क अनुशार
                   े       े                     GURUTVA KARYALAY                     ह।

यह संपूण संसार सौरमंडल के                ह
                                                             Call Us:                 शिनदे व        आशुतोष         भगवान िशव              के
                                                        91 + 9338213418,
    ारा िनयं त ह और शिनदे व इन           हो             91 + 9238328785,              अन य भ              ह।

म से मु य िनयं क ह। शिनदे व को                                                                   पोरा णक            कथा       के     अनुशार

    ह के    यायाधीश मंडल का        धान     यायाधीश कहा गया            शंगवश सूय दे व ने अपनी प ी अथात शिनदे व क मां

ह। कछ
    ु        व ानो का मत ह क शिनदे व क िनणय क
                                      े      े                       छाया पर नाराज हो          गये और उ ह शाप तक दे ने को
7                                           जून 2011



तैयार हो गये। शिनदे व को सूय दे व का ऐसा                      यवहार        पूव कृ त कम क फल भोग को भी अपने अनु प बनाने
                                                                                        े
सहन न हआ। उनक मन म सूय से भी अिधक
       ु     े                                                             म स म हो सकता ह।
श    शाली बनने क इ छा जागृ त हई। शिनदे व ने बना
                              ु                                                      योितषीय व ेषण क अनुशार बताये गये उपाय
                                                                                                    े
कसी संकोच सूय से ह अपनी श                      ाि   क उपाय पूछने
                                                     े                     अपना कर          ितकल प र थितय
                                                                                               ू                          को अपने अनुकल
                                                                                                                                      ू
लगे।                                                                       बनाया जा सकता है ।             योितष       व ा से मनु य अपने
        सूय दे व ने सुना क शिन उनसे                                                             भव य के          वषय म जानकार                       ा
अिधक      श     शाली      होना       चाहता   है ,       शिन का उपर                              कर     अपने       क       य         ारा          ितकल
                                                                                                                                                    ू
सुनते ह उ ह बड़            स नता हई। सब
                                 ु                                                                  थितय को अपने अनुकल बनाने क
                                                                                                                     ू        े
सूय दे व ने शिन को काशी म जाकर                          कटे ला(एमेिथ ट)                         िलए मागदशन ा                  कर सकता ह।
भगवान िशव का पािथविलंग बनाकर                                                                              संपूण चराचर जगत ई                        रय
पूजन व अिभषेक करने का आदे श                                                                     श     य क संक प से सृ जन हवा ह।
                                                                                                         े                ु
दया। शिनदे व काशी म आकर पािथव                                                                   उसी ई       रय श          य     क         इ छानुसार
िशविलंग बनाकर उपासना म िलन हो                                                                   नव     ह    को        व       क सम त जड़-
                                                                                                                               े
गये। िशवजी ने उनक                    उपासना से                                                  चेतन को िनयं त व अनुशािसत करने
 स न होकर वरदान मांगने को कहां।                                                                 का काय      दया गया है । मानव समेत
शिन ने िशवजी से दो वरदान मांगे।                                                                 सम त जीवो को िमलने वाले सुख-दख
                                                                                                                             ु
एक यह         क म अपने               पता से भी                                                   ह     क शुभ-अशुभ
                                                                                                        े                       भावो           ारा ह
अिधक श        शाली बनूं और दसरा यह
                            ू                                  Amethyst                          दान      कये जाते ह। ले कन                      हो के
क पता से सात गुना दर पर सात
                   ू                                             Katela                         शुभ-अशुभ      भाव म कसी                    य       या
उप ह से िघरा हआ मेरा मंडल हो।
              ु                                     Amethyst- 5.25" Rs. 550                     जीव    वशेष से इन                हो का कोई
                                                    Amethyst- 6.25" Rs. 640
िशवजी ने तथा तु कह उ ह वरदान दे                     Amethyst- 7.25" Rs. 730                     प पात नह ं होता,               यो क        कसी भी
दया।                                                Amethyst- 8.25" Rs. 820
                                                                                                 य     या जीव को िमलने वाले सुख-
                                                    Amethyst- 9.25" Rs. 910
          योितषशा           म           अंत र ,     Amethyst - 10.25" Rs.1050                   दख उस जीव
                                                                                                 ु                    ारा कये गय कम ह
                                                             ** All Weight In Rati
वरान      थान ,         मसान , बीहड़ वन,                                                         होते ह।
                                                    * उपयो     वजन और मू य से अिधक
 ांतर , दगम-घा टय , पवत , गुफाओं,
         ु                                          और कम वजन और मू य का नीलम                             जीव वशेष क कम क कारक
                                                                                                                    े    े
खदान     व जन शू य आकाश-पाताल                       उिचत मू य पर      ाि   हे तु संपक कर।        ह शिनदे व होने क वजह से उनक
क रह यपूण- थल आ द को शिनदे व
 े                                                    GURUTVA KARYALAY                              यमाण कम           क संपादन म
                                                                                                                       े                          मुख
                                                                  Call Us:
के     अिधकार       े     माना         गया   है ।                                               भूिमका होती है । जीव के                    ारा    कये
                                                             91 + 9338213418,
शिनदे व क अिधकार
         े                       े     म कवल
                                          े                  91 + 9238328785,                   गये कम से कसी कम का फल कब
रह यमय व गु                 ान क उपरांत
                                े                                                               और     कस         कार भोगना है , इसका
कम े      म, सतत ् चे ा,              म, सेवा -लाचार,    वकलांग ,          िनधारण नव        ह    ारा ह होता ह।
रोगी व वृ द क सहायता आ द भी आते ह।                                                 सभी जीव क शुभ-अशुभ कम
                                                                                            े                                  का फल              दान
        शिनदे व कम क कारक
                    े                        ह होने क    वजह से            करने म शिनदे व द डािधकार           यायाधीश के                  प म काय
मनु य को          यमाण कम              का अवलंबन लेकर अपने                 करते ह।      यो क अशुभ कम क िलए द ड
                                                                                                      े                                   दान करते
8                                   जून 2011



समय शिन नह ं दे र करते है और नह ं प पात। द ड दे ते                            शिनदे व उ ह ं लोगो को अिधक क          दान करते
समय दया आ द भाव शिनदे व को छ नह ं पाते, इस
                            ू                                       ह जो लोग गलत काम म सल न होते ह। अ छे कम
िलये लोग म शिन क नाम से भय क लहर दौड जाती
                े           े                                       करने वाल पर शिनदे व अित          स न व उनक अनुकल
                                                                                                              े    ू
है । इसी िलये शा         म शिनदे व को         ू र, क टल व पाप
                                                    ु               फल        दान करते ह।
  ह सं ा द गई है । शिनदे व जतने कठोर ह उतने ह                                 अतः शुभ कम करने से शिन क कृ पा         ा    होगी
अंदर से कृ पालु व दयालु भी है । शिनदे व क कृ पा           ाि        और शिन कृ पा से ह जीवन का मूल उ े य पूण होगा।
हे तु   मनु यो    को     अपने   कम       को                                            शा ो म उ ले खत ह क शिनदे व के
सुधारना चा हए।                                  शिन क र
                                                     े              और उपर             दं ड से शिनदे व क गु
                                                                                                        े       सा ात िशवजी
          यो क        व ानो क मतानुशार
                             े                                                         को भी ढाई दन क िलये छपना पडा
                                                                                                     े      ु
                                                नीलम, नीिलमा, नीलम ण,
पूव ज म क संिचत पु य और पाप का
         े                                                                             था। शिनदे व क कोप क कारण पावती
                                                                                                    े     े
                                                जामुिनया, नीला कटे ला, आ द
फल जीव को वतमान जीवन म                   ह                                             नंदन गणेशजी का िशर कट गया था।
क अनुसार भोगने पडते ह।
 े                                              शिन क र
                                                     े          और उपर            ह।
                                                                                            योितषी जानकार :
          हो     के     शुभ-अशुभ     भाव        अ छा र         शिनवार को पु य
                                                                                       शिन एक रािश म तीस मह ने रहते ह।
महादशा, अंतदशा आ द क अनुशार
                    े                           न        म       धारण          करना
                                                                                       शिन मकर और क भ रािश क
                                                                                                   ु        े            वामी
  ा     होते ह। अतः        हो क अिन
                               े
                                                चा हये। इन र             मे     कसी    ह तथा शिनक महादशा 19 वष क
फल से बचाव क िलए उिचत उपाय
            े
                                                भी र     को धारण करते ह                होती है । शिन का       भाव एक रािश पर
 कया जा सकता है ।
हमारे     ाचीन मनी षय       ने शा ो म
                                                फ़ायदा िमल जाता है ।                    ढ़ाई वष और साढ़े साती के            प म
                                                                                       साढे ़ सात वष अविध तक भोगना
शिनदे व क अनुकल व
         े    ू             ितकल
                               ू     भाव
                                                 शिन क जड बू टयां                      पढ़ता ह।
का बड़       सू मता से िनर          ण कर
उसक      व तृ त जानकार हम          दान क            ू
                                                 ब छ बूट क जड या शमी
                                                                                       शिनदे व क काले होने का रह य!
                                                                                                े
ह।                                               जसे छ करा भी कहते है क
         यद      कसी जातक क िलये
                           े                    जड शिनवार को पु य न                            इस बारे म एक कथा          चिलत
शिनदे व अनुकल होते ह तो जातक को
            ू                                                                          है , जब शिनदे व माता क गभ म थे,
                                                                                                             े
                                                म काले धागे म पु ष और
अपार धन-वैभव व ऐ या द क               ाि                                               तब िशव भ     नी माता ने घोर तप या
                                                    ी दोनो ह दा हने हाथ क
होती ह, य द           ितकल हो, तो
                         ू           य                                                 क , धूप-गम क तपन म शिन का रं ग
को भीषण क              का सामना करना            भुजा म बा धने से शिन के                काला हो गया। ले कन मां क इसी तप
                                                                                                               े
पड़ता है । ऐसी         थित म य        वशेष       क भाव म कमी आना शु
                                                 ु                                     ने उ हे आपार श         द और न हो म
क संिचत धन, संपदा का नाश होता
 े                                              हो जाता है ।                           से एक     ह बना दया।
है । य क िनं दत कम रत हो जाता ह
उसे लोकिनंदा का पा         बनना पड़ता ह। उसे पग-पग पर                शिनदे व क गित धीमी होने का कारण
दःख, क , रोग व अपमान का सामना करना पड़ता है ।
 ु
                                                                              शिनदे व का अ य सभी          ह   से मंद होने का
उ ह तरह-तरह क यातनाएं भी झेलनी पड़ जाती ह।
                                                                    कारण इनका लंगड़ाकर चलना है । वे लंगड़ाकर                 य
9                                   जून 2011



चलते ह, इसक संबंध म सूय तं
           े                      म व णत कथा इस            शिनदे व को ते ल       य होने का कारण
 कार ह।
                                                                   शिन दे व पर तेल चढाया जाता ह, इस संबंध म
        एक बार सूय दे व का तेज सहन न कर पाने क             आनंद रामायण म एक कथा का उ लेख िमलता ह। जब
वजह से सं ा दे वी ने अपने शर र से अपने जैसी ह एक            ी राम क सेना ने सागर सेतु बांध िलया, तब रा स
 ितमूित तैयार क और उसका नाम           वणा रखा। उसे         इसे हािन न पहंु चा सक, उसक िलए पवन सुत हनुमान
                                                                                     े
आ ा द      क तुम मेर अनुप थित म मेर सार संतान              को उसक       दे खभाल क       ज मेदार      सौपी गई। जब
क दे खरे ख करते हए सूय दे व क सेवा करो और प ी
                 ु                                         हनुमान जी शाम क समय अपने इ दे व राम क
                                                                          े                     े             यान म
सुख भोगो।                                                  म न थे, तभी सूय पु     शिन ने अपना काला क प चेहरा
                                                                                                    ु
        एसा आदे श दे कर सं ा अपने पता क घर चली
                                       े                   बनाकर     ोधपूण कहा- हे वानर म दे वताओ म श           शाली
गई।     वणा ने भी अपने आप को इस तरह ढ़ाला          क        शिन हँू । सुना ह, तुम बहत बलशाली हो। आँख खोलो
                                                                                   ु
सूय दे व भी यह रह य न जान सक। इस बीच सूय दे व
                            े                              और मेरे साथ यु      करो, म तुमसे यु       करना चाहता हँू ।
से     वणा को पांच पु    और दो पु यां हई। धीरे -धीरे
                                       ु                   इस पर हनुमान ने       वन तापूव क कहा- इस समय म
 वणा अपने ब च पर अिधक और सं ा क संतान पर                   अपने    भु को याद कर रहा हंू । आप मेर पूजा म व न
कम      यान दे ने लगी। एक दन सं ा क पु
                                   े        शिन को         मत डािलए। आप मेरे आदरणीय है । कृ पा करक आप
                                                                                                  े
तेज भूख लगी, तो उसने        वणा से भोजन मांगा। तब          यहा से चले जाइए।
 वणा ने कहा क अभी ठहरो, पहले म भगवानका भोग
                                    ्                              जब शिन दे व लड़ने पर उतर आए, तो हनुमान जी
लगा लूं और तु हारे छोटे भाई-बहन को खला दं , फर
                                          ू                ने अपनी पूंछ म लपेटना शु            कर    दया।   फर उ हे
तु ह भोजन दं गी। यह सुनकर शिन को
             ू                           ोध आ गया          कसना     ारं भ कर   दया जोर लगाने पर भी शिन उस
और उ ह ने माता को मारने क िलए अपना पैर उठाया,
                         े                                 बंधन से मु      न होकर पीड़ा से           याकल होने लगे।
                                                                                                       ु
तो     वणा ने शिन को                             ू
                         ाप दया क तेरा पांव अभी टट         हनुमान ने फर सेतु क प र मा कर शिन क घमंड को
                                                                                              े
जाए।                                                       तोड़ने क िलए प थरो पर पूंछ को झटका दे -दे कर
                                                                  े
        माता का   ाप सुनकर शिनदे व डरकर अपने पता           पटकना शु     कर दया। इससे शिन का शर र लहलुहान
                                                                                                   ु
क पास गए और सारा
 े                         क सा कह सुनाया। सूय दे व        हो गया, जससे उनक पीड़ा बढ़ती गई। तब शिन दे व ने
तुर त समझ गए क कोई भी माता अपने पु           को इस         हनुमान जी से        ाथना क     क मुझे बधंन मु          कर
तरह का शाप नह          दे सकती। इसी िलए उनक साथ
                                           े               द जए। म अपने अपराध क            सजा पा चुका हँू , फर
अपनी प ी नह कोई और ह। सूय दे व ने        ोध म आकर          मुझसे ऐसी गलती नह होगी।
पूछा क बताओ तुम कौन हो, सूय का तेज दे खकर       वणा                इस पर हनुमान जी बोले-म तु हे तभी छोडू ं गा,
घबरा गई और सार स चाई उ हे बता द । तब सूय दे व              जब तुम मुझे वचन दोगे क          ी राम क भ
                                                                                                  े          को कभी
न शिन को समझाया क           वणा तुमार माता नह ह,           परे शान नह करोगे। य द तुमने ऐसा कया, तो म तु ह
ले कन मां समान ह। इसीिलए उनका दया शाप यथ तो                कठोर दं ड दं गा। शिन ने िगड़िगड़ाकर कहा -म वचन दे ता
                                                                        ू
नह होगा, पर तु यह इतना कठोर नह होगा          क टांग        हंू क कभी भूलकर भी आपक और
                                                                                 े                  ी राम क भ
                                                                                                           े      क
पूर तरह से अलग हो जाए। हां, तुम आजीवन एक पाँव              रािश पर नह आऊगा। आप मुझे छोड़ द। तभी हनुमान
                                                                        ँ
से लंगडाकर चलोगे।                                          जी ने शिनदे व को छोड़         दया।    फर हनुमान जी से
10                                        जून 2011



शिनदे व ने अपने घावो क पीड़ा िमटाने क िलए तेल
                                    े                             लोगे, वह न       हो जायगा।            ू
                                                                                                   यान टटने पर शिनदे व ने
मांगा। हनुमान जी ने जो तेल दया, उसे घाव पर लगाते                  अपनी प ी को मनाया। प ी को भी अपनी भूल पर
ह शिन दे व क पीड़ा िमट गई। उसी दन से शिनदे व को                    प ाताप हआ, क तु शाप क
                                                                          ु            े             तीकार क श         उसम न
तेल चढ़ाया जाता ह, जससे उनक पीडा शांत हो जाती ह                    थी, तभी से शिन दे वता अपना िसर नीचा करक रहने
                                                                                                         े
और वे    स न हो जाते ह।                                           लगे।   य क यह नह ं चाहते थे क इनके                ारा कसी का
                                                                  अिन    हो।
शिनदे व क         ूर       ी का कारण                                      अतः कहा गया है , शिनदे व           ुर    ह नह ं ह, वो
        शिनदे व जी क            म जो     ू रता है , वह इनक         यायकता है ।      य         पाप करता रहता है, और जब उस
प ी क शाप क कारण है ।
     े     े                      पुराण म इनक कथा इस               य     पर शिन क साढ़े साती आती है , तो उसक पापो का
                                                                                                           े
 कार आयी है - बचपन से ह शिन दे वता                ीकृ ण के        हसाब    वयं शिनदे व करते है । जब           य      लोभ, वासना,
परम भ       थे। वे         ीकृ ण क अनुराग म िनम न रहा
                                  े                               गु सा, मोह से         भा वत होकर अ याय, अ याचार, दराचार,
                                                                                                                    ू
करते थे। वय क होने पर इनके             पता ने िच रथ क             अनाचार, पापाचार, यिभचार का सहारा लेता है , जब सबसे
क या से इनका           ववाह कर     दया। इनक      प ी सती-         िछप कर कोई पाप काय करता ह, तब समय आने पर
सा वी और परम तेज वनी थी। एक रात वह ऋतु- नान                       शिनदे व के      ारा     य     को दं ड भी    ा     होता ह। जो
करक पु -
   े         ाि     क इ छा से इनक पास पहँु ची, पर यह
                                 े                                राजा का रं क बना दे ती ह, वह शिन क साढे -साित ह
 ीकृ ण के     यान म िनम न थे। इ ह बा             संसार क          होती है । ले कन य द साढे -साती दशा क दौरान भी य
                                                                                                      े
सुधबुध ह नह ं थी। प ी          ती ा करक थक गयी। उसका
                                       े                          स य को नह ं छोड़े ता, पुनः, दया और               याय का सहारा
ऋतुकाल िन फल हो गया। इसिलये उसने                  ु   होकर        लेता ह, एसी अव था म सब बहत ह अ छे से
                                                                                           ु                              यतीत
शिनदे व को शाप दे          दया क आज से जसे तुम दे ख               हो जाता ह।


           या आपक ब चे कसंगती क िशकार ह?
                  े      ु      े

           या आपक ब चे आपका कहना नह ं मान रहे ह?
                  े

           या आपक ब चे घर म अशांित पैदा कर रहे ह?
                  े

                                           ु
  घर प रवार म शांित एवं ब चे को कसंगती से छडाने हे तु ब चे क नाम से गु
                                 ु                          े                                           व कायालत          ारा
  शा ो            विध- वधान से मं           िस        ाण- ित त पूण चैत य यु                        वशीकरण कवच एवं
  एस.एन. ड बी बनवाले एवं उसे अपने घर म                        था पत कर अ प पूजा,                    विध- वधान से आप
  वशेष लाभ             ा    कर सकते ह। य द आप तो आप मं                   िस       वशीकरण कवच एवं एस.एन. ड बी
  बनवाना चाहते ह, तो संपक इस कर सकते ह।

                                         GURUTVA KARYALAY
            92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA, BHUBNESWAR-751018, (ORISSA)
                            Call us: 91 + 9338213418, 91+ 9238328785
                             Mail Us: gurutva.karyalay@gmail.com, gurutva_karyalay@yahoo.in,
11                                   जून 2011




                                                    शिनवार               त
                                                                                                           व तक.ऎन.जोशी.
                                                                                                                े


    त माहा    यं एवं कथा विध
           शिन- ह क शांित व सभी         कार क सुख क
                                             े                     ॐ कोण थाय नमः।
इ छा रखने वाले          ी-पु ष को शिनवार का        त करना          ॐ रौ ा मकाय नमः।
चा हए। संपूण विध- वधान से शिनवार का            त करने से           ॐ शनै राय नमः।
शिन से संबंिधत संपूण पीडा-दोष, रोग-शोक न            हो जाते        ॐ यमाय नमः।
ह, और धन का लाभ होता ह।              ती को    वा    य सुख          ॐ ब वे नमः।
तथा आयु व बु         क वृ    होती ह।                               ॐ कृ णाय नमः।
           शिनदे व के    भाव म सभी       कार क उ ोग,
                                              े                    ॐ मंदाय नमः।
यवसाय, कल-कारखाने, धातु उ ोग, लौह व तु, तेल,                       ॐ प पलाय नमः।
काले रं ग क व तु, काले जीव, जानवर, अकाल मृ यु,                     ॐ पंगलाय नमः।
पुिलस भय, कारागार, रोग भय, गुरदे का रोग, जुआ,                      ॐ सौरये नमः।
स टा, लॉटर , चोर भय तथा         ू र काय आते ह।
           व ानो क अनुशार शिन से संबंिधत क
                  े                                 िनवारण                   उस वृ    म सूत क सात धागे लपेटकर सात
                                                                                             े
क िलए शिनवार का
 े                        त करना परम लाभ द होता ह।                 प र मा करे तथा वृ          का पूजन करे । शिन पूजन
शिनवार के       त को जानकार य          क सलाह से       येक         सूय दय से पूव तार क छांव म करना चा हए। शिनवार
उ     के     ी-पु ष कर सकता ह।                                         त-कथा को भ      और    ेमपूव क सुने। कथा कहने वाले
           शिनवार का     त   कसी भी शिनवार से आरं भ                को द      णा दे । ितल, जौ, उड़द, गुड़, लोहा, तेल, नीले
कया जा सकता ह। ले कन             ावण मास क शिनवार से
                                          े                        व     का दान करे । आरती और     ाथना करके       साद बांटे।
    त को     ारं भ कया जाए तो वशेष लाभ द रहता ह।                             पहले शिनवार को उड़द का भात और दह , दसरे
                                                                                                                ू
           शिनवार को सूयोदय से पूव          ती मनु य को            शिनवार को खीर, तीसरे को खजला, चौथे शिनवार को
कसी प व         नद -जलाशय आ द क जल म
                               े                   नान कर,         घी और पू रय        का भोग लगावे। इस            कार ततीस
ऋ ष- पतृ अपण करक, सुंदर कलश म जल भरकर लाये,
                े                                                  शिनवार तक इस        त को करे । इस        कार   त करने से
उस कलश को शमी अथवा पीपल क पेड़ क नीचे सुंदर
                         े     े                                   शिनदे व     स न होते ह। इससे सव कार क क , अ र
                                                                                                        े
वेद बनावे, उसे गोबर से लीपे, लौह िनिमत शिन क                       आद        यािधय का नाश होता है और अनेक            कार के
    ितमा को पंचामृ त म       नान कराकर काले चावल से                सुख, साधन, धन, पु -पौ ा द क         ाि    होती ह। कामना
बनाए हए चौबीस दल क कमल पर
      ु           े                           था पत करे ।          क पूित होने पर शिनवार के     त का उ ापन कर। ततीस
शिनदे व का काले रं ग क गंध, पु प, अ ांग, धूप, फल,
                      े                        ू                       ा ण   को भोजन करावे,     त का        वसजन करे । इस
उ म        कार क नैवे
                े       आ द से पूजन करे ।                              कार   त का उ ापन करने से पूण फल क            ाि   होती
           उस क प यात शिन क इन दस नाम का
               े           े                            ा ा        है एवं सभी        कार क   कामनाओं क         पूित होती ह।
व भ        -भाव से से उ चारण करे -
12                                                जून 2011



कामना पूित होने पर य द यह             त कया जाए, तो            ा         कतु हे तु कतु मं
                                                                          े         े           से कशा क सिमधा म, कृ ण जौ क
                                                                                                    ु                      े
व तु का नाश नह ं होता।                                                   घी व काले ितल से                येक क िलए १०८ आहितया दे
                                                                                                              े          ु
            योितष शा        म शिन राहु और कतु क क
                                           े   े                         और     ा ण को भोजन करावे।
िनवारण हे तु भी शिनवार के          त का वधान ह। इस             त                इस       कार शिनवार के              त के       भाव से शिन और
म शिन क लोहे क , राहु व कतु क शीशे क मूित
                         े                                               राहु-कतु जिनत क , सभी
                                                                               े                               कार क अ र
                                                                                                                    े               तथा आ द-
बनवाएं।                                                                   यािधय का सवथा नाश होता ह।
   कृ ण वण व , दो भुजा द ड और अ मालाधार ,
    काले रं ग क आठ घोड़े वाले रथ म बैठे शिन का
               े                                                            संपूण              ाण ित त 22 गेज शु
      यान करे ।
                                                                                       ट ल म िनिमत अखं डत
   कराल बदन, ख ग, चम और शूल से यु                          नीले



    िसंहासन पर वराजमान वर द राहु का
    धू वण,       गदा द     आयुध      से     यु ,
                                                   यान करे ।
                                                   गृ ासन      पर
                                                                                                पु षाकार
                                                                                                शिन यं
      वराजमान        वकटासन और वर द कतु का
                                     े                      यान
    करे ।

                                                                          पु षाकार शिन यं              ( ट ल म) को ती               भावशाली
    इ ह        व प    म मुितय का िनमाण करावे अथवा                         बनाने हे तु शिन क कारक धातु शु                         ट ल(लोहे ) म
गोलाकार मूित बनावे या बाजार से खर द ले।                                   बनाया गया ह। जस के                  भाव से साधक को त काल
    काले रं ग क चावलोम से चौबीस दल का कमल
               े                                                          लाभ      ा      होता ह। य द ज म कडली म शिन
                                                                                                           ुं
िनमाण करे । कमल क म य म शिन, द
                 े                                  ण भाग म                ितकल
                                                                              ू         होने    पर      य           को     अनेक     काय    म
राहु और वाम भाग म कतु क
                   े                      थापना करे । र     चंदन          असफलता           ा    होती है , कभी              यवसाय म घटा,
म कशर िमलाकर, गंध चावल म काजल िमलाकर, काले
   े                                                                      नौकर म परे शानी, वाहन दघटना, गृ ह
                                                                                                 ु                                 लेश आ द
चावल, काकमाची, कागलहर क काले पु प, क तूर आ द
                       े                                                  परे शानीयां     बढ़ती         जाती    है        ऐसी      थितय     म
से 'कृ ण धूप' और ितल आ द क संयोग से कृ ण नैवे
                          े                                                ाण ित त             ह पीड़ा िनवारक शिन यं                 क अपने
(भोग) अपण करे और इस मं                से     ाथना एवं नम कार              को    यपार      थान या घर म               थापना करने से अनेक
कर-                                                                       लाभ िमलते ह। य द शिन क ढै ़या या साढ़े साती का
             शनैश ्चर नम तु यं नम तेतवथ राहवे।                            समय हो तो इसे अव य पूजना चा हए। शिनयं                            के
            कतवेऽथ नम तु यं सवशांित
             े                                दो भव॥                      पूजन मा        से    य        को मृ यु, कज, कोटकश, जोडो
                                                                                                                          े
            ॐ ऊ वकायं महाघोरं चंडा द य वमदनम।
                                            ्                             का दद, बात रोग तथा ल बे समय क सभी
                                                                                                       े                              कार के
        िसं हकायाः सुतं रौ ं तं राहंु       णमा यहम॥
                                                   ्                      रोग से परे शान           य        क िलये शिन यं
                                                                                                             े                         अिधक
            ॐ पातालधूम संकाशं तारा ह वमदनम।
                                          ्                               लाभकार        होगा। नौकर            पेशा आ द क लोग
                                                                                                                        े                 को
            रौम रौ ा मकं    ू रं तं कतु
                                     े     णमा यहम॥
                                                  ्                       पदौ नित भी शिन               ारा ह िमलती है अतः यह यं
                                                                          अित उपयोगी यं            है जसके          ारा शी      ह लाभ पाया
सात शिनवार का            त करे । शिन हे तु शिन-मं         से शिन
                                                                          जा सकता है ।                      मू य: 1050 से 8200
क सिमधा म, राहु हे तु राहु मं             से पूवा क सिमधा म,
13                                 जून 2011




     ी शिनवार       त कथा                                               हे युिध र! कशलपूव क तो हो? युिध र ने कहा- हे
                                                                                    ु
                                                                         भो! आपक कृ पा है । आपसे कछ िछपा न हं है ! कृ पाकर
                                                                                                  ु
         पौरा णक कथा क अनुशार एक बार सम त
                      े
                                                                        कोई ऐसा उपाय बतलाएं, जसक करने से यह
                                                                                                े                   ह क
 ा णय      का    हत चाहने वाले मुिनगण नैिमषार य म
                                                                        न   यापे। हम इससे छटकारा िमले। यह शिन
                                                                                           ु                       ह बहत
                                                                                                                       ु
एक       हए। उस समय
          ु                 यास जी क िश य सूतजी अपने
                                    े
                                                                        क   दे ता है ।
िश यो क साथ
       े            ीह र का         मरण करते हए वहां पर
                                              ु
                                                                                  ीकृ ण बोले- राजन! आपने बहत ह सुंदर बात
                                                                                                           ु
आए। सम त शा                 के     ाता    ी सूतजी को आया
दे खकर महातेज वी शौनका द मुिनय                ने उठकर          ी
सूतजी को
सूतजी बैठ गए।
                णाम कया। मुिनय           ारा दए आसन पर         ी
                                                                               संपूण          ाण ित त
                                                                            22 गेज शु                    टल म
           ी सूतजी से शौनक आ द मुिनय ने वनयपूव क
पूछा- हे मुिन! इस किलकाल म ह र भ                कस        कार से
होगी? सभी        ाणी पाप करने म त पर ह गे, मनु य क
आयु कम होगी।            ह क , धन र हत और अनेक                                      िनिमत अखं डत
पीड़ायु     मनु य ह गे। हे सूतजी! पु य अित प र म से



                                                                                          शिन
 ा     होता है , इस कारण किलयुग म कोई भी मनु य
पु य न कर पायेगा। पु य क न
                        े                 होने से मनु य क
 कृ ित पापमय होगी, इस कारण तु छ वचार करने वाले
मनु य अपने अंश स हत न              हो जाएंगे। हे सूतजी! जस




                                                                             तैितसा यं
तरह थोड़े ह प र म, थोड़े धन से, थोड़े समय म पु य
 ा     हो, ऐसा कोई उपाय हम लोग को बतलाइए। हे
महामुन, हमने यह भी सुना है
      े                                  क शिन के         कोप से
दे वता भी मु       नह ं हो पाते । शिन क              ूर       ने
भगवान       ीगणेश जी का िसर उसक पता क हाथ कटवा
                               े     े
                                                                         शिन ह           से   संबंिधत       पीडा     के
दया। शिन क              क        को दे ने वाली ह, इसिलए कोई
ऐसा      त बताएं, जसे करने से शिनदे व         स न हो।                    िनवारण हे तु वशेष लाभकार यं ।
         सूतजी बोले- हे मुिन े           तुम ध य हो। तु ह ं                                       मू य: 550 से 8200
वै णव म अ ग य हो,                 य क सब      ा णय का        हत
चाहते हो। म आपसे उ म              त को कहता हंू ।     यान दे कर
                                                                                GURUTVA KARYALAY
सुन- इसक करने से भगवान शंकर
        े                                   स न होते है और                   92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR
शिन      ह क क
            े       ा   नह ं होते।                                          PATNA, BHUBNESWAR-751018, (ORISSA)
                                                                            Call us: 91 + 9338213418, 91+ 9238328785
         हे ऋ षयो! युिध र आ द पांडव जब वनवास म
                                                                               Mail Us: gurutva.karyalay@gmail.com,
अनेक क          भोग रहे थे, उस समय उनके                   य सखा                      gurutva_karyalay@yahoo.in,
 ीकृ ण उनक पास पहंु चे। युिध र ने
          े                                   ीकृ ण का बहत
                                                         ु                   Our Website:- http://gk.yolasite.com/ and
                                                                                 http://gurutvakaryalay.blogspot.com/
आदर कया और सुंदर आसन पर बैठाया।                     ीकृ ण बोले-
14                                    जून 2011



पूछ       है । आपसे एक उ म             त कहता हंू , सुनो। जो               ा णी ने राजकमार धमगु
                                                                                       ु              को अपने साथ ले िलया
मनु य भ           और          ायु      होकर शिनवार के         दन         और नगर को छोड़कर चल द ।
भगवान शंकर का           त करते ह, उ ह शिन क                ह दशा                गर ब     ा णी दोन कमारो का बहत क ठनाई से
                                                                                                   ु         ु
मे कोई क          नह ं होता। उनको िनधनता नह ं सताती                      िनवाह कर पाती थी। कभी        कसी शहर म और कभी
तथा इस लोक म अनेक               कार क सुख को भोगकर अंत
                                     े                                    कसी नगर म दोन कमार को िलए घूमती रहती थी।
                                                                                         ु
म िशवलोक क             ाि     होती है । युिध र बोले- हे       भु!        एक     दन वह     ा णी जब दोन     कमार को िलए एक
                                                                                                           ु
सबसे पहले यह         त कसने कया था, कृ पा करक इसे
                                             े                           नगर से दसरे नगर जा रह थी क उसे माग म मह ष
                                                                                 ु
व तारपूव क कह तथा इसक                 विध भी बतलाएं।                     शां ड य क दशन हए।
                                                                                  े     ु         ा णी ने दोन बालक क साथ
                                                                                                                    े
          भगवान     ीकृ ण बोले- राजन! शिनवार क दन,
                                              े                          मुिन क चरण मे
                                                                               े              णाम   कया और बोली- मह ष! म
वशेषकर        ावण मास म शिनवार के                दन लौहिनिमत             आज आपक दशन कर कृ ताथ हो गई। यह मेरे दोन
                                                                               े
 ितमा को पंचामृ त से           नान कराकर, अनेक             कार के        कमार आपक शरण है , आप इनक र ा कर। मुिनवर!
                                                                          ु
गंध, अ ांग, धूप, फल, उ म                कार क नैवे
                                             े         आ द से            यह शुिच त मेरा पु     है और यह धमगु    राजपु    है और
पूजन करे , शिन क दस नाम का उ चारण करे । ितल,
                े                                                        मेरा धमपु     है । हम घोर दा र य म ह, आप हमारा उ ार
जौ, उड़द, गुड़, लोहा, नीले व                 का दान करे ।       फर         क जए। मुिन शां ड य ने      ा णी क सब बात सुनी और
भगवान शंकर का               विधपूव क पूजन कर आरती- ाथना                  बोले-दे वी! तु हारे ऊपर शिन का     कोप है , अतः आप
करे - हे भोलेनाथ! म आपक शरण हंू , आप मेरे ऊपर                            शिनवार के      दन   त करक भोले शंकर क
                                                                                                  े                     आराधना
कृ पा कर। मेर र ा कर।                                                     कया करो, इससे तु हारा क याण होगा।
          हे युिध र! पहले शिनवार को उड़द का भात,                                  ा णी और दोन        कमार मुिन को
                                                                                                     ु               णाम कर
दसरे को कवल खीर, तीसरे को खजला, चौथे को पू रय
 ू       े                                                               िशव मं दर क िलए चल दए। दोन कमार ने
                                                                                    े                ु                    ा णी
का भोग लगावे।           त क समाि          पर यथाश            ा ण         स हत मुिन क उपदे श क अनुसार शिनवार का
                                                                                    े        े                          त कया
भोजन करावे। इस               कार करने से सभी अिन , क ,                   तथा िशवजी का पूजन कया। दोन कमार को यह
                                                                                                     ु                      त
आिध या दय का सवथा नाश होता है । शिन, राहु, कते
                                            े                            करते-करते चार मास यतीत हो गए। एक दन शुिच त
से    ा    होने वाले दोष दर होते ह और अनेक
                          ू                                कार के          नान करने क िलए गया। उसक साथ राजकमार नह ं
                                                                                     े            े        ु
सुख-साधन एवं पु -पौ ा द का सुख              ा    होता ह।                 था। क चड़ म उसे एक बहत बड़ा कलश दखाई दया।
                                                                                             ु
                                                                         शुिच त ने उसको उठाया और दे खा तो उसम धन था।
सबसे पूव जसने इस              त को कया था, उसका इितहास                   शुिच त उस कलश को लेकर घर आया और मां से
भी सुनो-                                                                 बोला- हे मां! िशवजी ने इस कलश के      प म धन दया
          पूव काल म इस पृ वी पर एक राजा रा य करता                        है ।
था। राजाने अपने श ुओं को अपने वश म कर िलया।                                     माता ने आदे श दया- बेटा! तुम दोन इसको बांट
दै व गित से राजा और राजकमार पर शिन क दशा आई।
                        ु                                                लो। मां का वचन सुनकर शुिच त बहत ह
                                                                                                       ु             स न हआ
                                                                                                                          ु
राजा को उसक श ुओं ने मार
           े                              दया। राजकमार भी
                                                   ु                     और धमगु       से बोला- भैया! अपना ह सा ले लो। परं तु
बेसहारा हो गया। राजगु               को भी बै रय ने मार दया।              िशवभ     राजकमार धमगु
                                                                                      ु              ने कहा-मां! म   हसा लेना
उसक        वधवा    ा णी तथा उसका पु             शुिच त रह गया।           नह ं चाहता,     य क जो कोई अपने सुकृत से कछ भी
                                                                                                                   ु
Gurutva jyotish jun 2011
Gurutva jyotish jun 2011
Gurutva jyotish jun 2011
Gurutva jyotish jun 2011
Gurutva jyotish jun 2011
Gurutva jyotish jun 2011
Gurutva jyotish jun 2011
Gurutva jyotish jun 2011
Gurutva jyotish jun 2011
Gurutva jyotish jun 2011
Gurutva jyotish jun 2011
Gurutva jyotish jun 2011
Gurutva jyotish jun 2011
Gurutva jyotish jun 2011
Gurutva jyotish jun 2011
Gurutva jyotish jun 2011
Gurutva jyotish jun 2011
Gurutva jyotish jun 2011
Gurutva jyotish jun 2011
Gurutva jyotish jun 2011
Gurutva jyotish jun 2011
Gurutva jyotish jun 2011
Gurutva jyotish jun 2011
Gurutva jyotish jun 2011
Gurutva jyotish jun 2011
Gurutva jyotish jun 2011
Gurutva jyotish jun 2011
Gurutva jyotish jun 2011
Gurutva jyotish jun 2011
Gurutva jyotish jun 2011
Gurutva jyotish jun 2011
Gurutva jyotish jun 2011
Gurutva jyotish jun 2011
Gurutva jyotish jun 2011
Gurutva jyotish jun 2011
Gurutva jyotish jun 2011
Gurutva jyotish jun 2011
Gurutva jyotish jun 2011
Gurutva jyotish jun 2011
Gurutva jyotish jun 2011
Gurutva jyotish jun 2011
Gurutva jyotish jun 2011
Gurutva jyotish jun 2011
Gurutva jyotish jun 2011
Gurutva jyotish jun 2011
Gurutva jyotish jun 2011
Gurutva jyotish jun 2011
Gurutva jyotish jun 2011
Gurutva jyotish jun 2011
Gurutva jyotish jun 2011
Gurutva jyotish jun 2011
Gurutva jyotish jun 2011
Gurutva jyotish jun 2011
Gurutva jyotish jun 2011
Gurutva jyotish jun 2011
Gurutva jyotish jun 2011
Gurutva jyotish jun 2011
Gurutva jyotish jun 2011

Mais conteúdo relacionado

Mais procurados

Mais procurados (19)

Gurutva jyotish may 2012
Gurutva jyotish may 2012Gurutva jyotish may 2012
Gurutva jyotish may 2012
 
Antarnaad march 2012_final
Antarnaad march 2012_finalAntarnaad march 2012_final
Antarnaad march 2012_final
 
Gurutva Jyotish July 2012
Gurutva Jyotish July 2012Gurutva Jyotish July 2012
Gurutva Jyotish July 2012
 
Sant avtaran
Sant avtaranSant avtaran
Sant avtaran
 
Gurutva jyotish jan 2012
Gurutva jyotish jan 2012Gurutva jyotish jan 2012
Gurutva jyotish jan 2012
 
W 27-bhavfladhyay
W 27-bhavfladhyayW 27-bhavfladhyay
W 27-bhavfladhyay
 
Arogyanidhi
ArogyanidhiArogyanidhi
Arogyanidhi
 
Gurutva jyotish jun 2012
Gurutva jyotish jun 2012Gurutva jyotish jun 2012
Gurutva jyotish jun 2012
 
Shri krishnadarshan
Shri krishnadarshanShri krishnadarshan
Shri krishnadarshan
 
W 22-dvigrahayoga avam pravrajyayogadhyaya
W 22-dvigrahayoga avam pravrajyayogadhyayaW 22-dvigrahayoga avam pravrajyayogadhyaya
W 22-dvigrahayoga avam pravrajyayogadhyaya
 
Gurutva jyotish oct 2011
Gurutva jyotish oct 2011Gurutva jyotish oct 2011
Gurutva jyotish oct 2011
 
W 21-chandrayoga vichar
W 21-chandrayoga vicharW 21-chandrayoga vichar
W 21-chandrayoga vichar
 
W 23-rikshasheeladhyaya
W 23-rikshasheeladhyayaW 23-rikshasheeladhyaya
W 23-rikshasheeladhyaya
 
Yog yatra3
Yog yatra3Yog yatra3
Yog yatra3
 
Gurutva jyotish jan 2013
Gurutva jyotish jan 2013Gurutva jyotish jan 2013
Gurutva jyotish jan 2013
 
Mukti kasahajmarg
Mukti kasahajmargMukti kasahajmarg
Mukti kasahajmarg
 
Satsang suman
Satsang sumanSatsang suman
Satsang suman
 
Gurutva jyotish sep 2012
Gurutva jyotish sep 2012Gurutva jyotish sep 2012
Gurutva jyotish sep 2012
 
Vyas poornima
Vyas poornimaVyas poornima
Vyas poornima
 

Destaque

What is Eventivous?
What is Eventivous?What is Eventivous?
What is Eventivous?Kair Kasper
 
GURUTVA JYOTISH APR-2011
GURUTVA JYOTISH APR-2011GURUTVA JYOTISH APR-2011
GURUTVA JYOTISH APR-2011GURUTVAKARYALAY
 
What is Eventivous?
What is Eventivous?What is Eventivous?
What is Eventivous?Kair Kasper
 
Sotsiaalmeedia treeningplaan
Sotsiaalmeedia treeningplaanSotsiaalmeedia treeningplaan
Sotsiaalmeedia treeningplaanKair Kasper
 
Hype vs. Reality: The AI Explainer
Hype vs. Reality: The AI ExplainerHype vs. Reality: The AI Explainer
Hype vs. Reality: The AI ExplainerLuminary Labs
 
Study: The Future of VR, AR and Self-Driving Cars
Study: The Future of VR, AR and Self-Driving CarsStudy: The Future of VR, AR and Self-Driving Cars
Study: The Future of VR, AR and Self-Driving CarsLinkedIn
 
How To Create An Impacting Startup Name
How To Create An Impacting Startup NameHow To Create An Impacting Startup Name
How To Create An Impacting Startup NameTommaso Di Bartolo
 
The Future of Everything
The Future of EverythingThe Future of Everything
The Future of EverythingCharbel Zeaiter
 
Mobile-First SEO - The Marketers Edition #3XEDigital
Mobile-First SEO - The Marketers Edition #3XEDigitalMobile-First SEO - The Marketers Edition #3XEDigital
Mobile-First SEO - The Marketers Edition #3XEDigitalAleyda Solís
 

Destaque (10)

What is Eventivous?
What is Eventivous?What is Eventivous?
What is Eventivous?
 
Amigos
AmigosAmigos
Amigos
 
GURUTVA JYOTISH APR-2011
GURUTVA JYOTISH APR-2011GURUTVA JYOTISH APR-2011
GURUTVA JYOTISH APR-2011
 
What is Eventivous?
What is Eventivous?What is Eventivous?
What is Eventivous?
 
Sotsiaalmeedia treeningplaan
Sotsiaalmeedia treeningplaanSotsiaalmeedia treeningplaan
Sotsiaalmeedia treeningplaan
 
Hype vs. Reality: The AI Explainer
Hype vs. Reality: The AI ExplainerHype vs. Reality: The AI Explainer
Hype vs. Reality: The AI Explainer
 
Study: The Future of VR, AR and Self-Driving Cars
Study: The Future of VR, AR and Self-Driving CarsStudy: The Future of VR, AR and Self-Driving Cars
Study: The Future of VR, AR and Self-Driving Cars
 
How To Create An Impacting Startup Name
How To Create An Impacting Startup NameHow To Create An Impacting Startup Name
How To Create An Impacting Startup Name
 
The Future of Everything
The Future of EverythingThe Future of Everything
The Future of Everything
 
Mobile-First SEO - The Marketers Edition #3XEDigital
Mobile-First SEO - The Marketers Edition #3XEDigitalMobile-First SEO - The Marketers Edition #3XEDigital
Mobile-First SEO - The Marketers Edition #3XEDigital
 

Semelhante a Gurutva jyotish jun 2011

Semelhante a Gurutva jyotish jun 2011 (20)

GURUTVA JYOTISH AUGUST-2014
GURUTVA JYOTISH AUGUST-2014GURUTVA JYOTISH AUGUST-2014
GURUTVA JYOTISH AUGUST-2014
 
Gurutva jyotish dec 2012
Gurutva jyotish dec 2012Gurutva jyotish dec 2012
Gurutva jyotish dec 2012
 
पंचांग क्या हैं.docx
पंचांग क्या हैं.docxपंचांग क्या हैं.docx
पंचांग क्या हैं.docx
 
पञ्चाङ्ग.docx
पञ्चाङ्ग.docxपञ्चाङ्ग.docx
पञ्चाङ्ग.docx
 
Gati Margna
Gati MargnaGati Margna
Gati Margna
 
BalSanskarKendraPathhykram
BalSanskarKendraPathhykramBalSanskarKendraPathhykram
BalSanskarKendraPathhykram
 
Yog Shikhar
Yog ShikharYog Shikhar
Yog Shikhar
 
12 easy yoga poses for women's health issues like pcos, infertility
12 easy yoga poses for women's health issues like pcos, infertility12 easy yoga poses for women's health issues like pcos, infertility
12 easy yoga poses for women's health issues like pcos, infertility
 
नाड़ी एवं चक्र.pptx
नाड़ी एवं चक्र.pptxनाड़ी एवं चक्र.pptx
नाड़ी एवं चक्र.pptx
 
MuktiKaSahajMarg
MuktiKaSahajMargMuktiKaSahajMarg
MuktiKaSahajMarg
 
Gurutva jyotish nov 2011
Gurutva jyotish nov 2011Gurutva jyotish nov 2011
Gurutva jyotish nov 2011
 
SatsangSuman
SatsangSumanSatsangSuman
SatsangSuman
 
Antar jyot
Antar jyotAntar jyot
Antar jyot
 
Yogasan
YogasanYogasan
Yogasan
 
Yogasan
YogasanYogasan
Yogasan
 
How to do supta baddha konasana (reclining bound angle pose) and what are its...
How to do supta baddha konasana (reclining bound angle pose) and what are its...How to do supta baddha konasana (reclining bound angle pose) and what are its...
How to do supta baddha konasana (reclining bound angle pose) and what are its...
 
W 28-aashryayogvichar
W 28-aashryayogvicharW 28-aashryayogvichar
W 28-aashryayogvichar
 
Gurutva jyotish feb 2012
Gurutva jyotish feb 2012Gurutva jyotish feb 2012
Gurutva jyotish feb 2012
 
AntarJyot
AntarJyotAntarJyot
AntarJyot
 
Yoga and total health
Yoga and total healthYoga and total health
Yoga and total health
 

Mais de GURUTVAKARYALAY

GURUTVA JYOTISH APRIL-2020 VOL: 2
GURUTVA JYOTISH APRIL-2020 VOL: 2GURUTVA JYOTISH APRIL-2020 VOL: 2
GURUTVA JYOTISH APRIL-2020 VOL: 2GURUTVAKARYALAY
 
GURUTVA JYOTISH Apr 2020 vol 1
GURUTVA JYOTISH Apr 2020 vol 1GURUTVA JYOTISH Apr 2020 vol 1
GURUTVA JYOTISH Apr 2020 vol 1GURUTVAKARYALAY
 
GURUTVA JYOTISH MARCH-2020
GURUTVA JYOTISH MARCH-2020GURUTVA JYOTISH MARCH-2020
GURUTVA JYOTISH MARCH-2020GURUTVAKARYALAY
 
GURUTVA JYOTISH SEPTEMBER-2019
GURUTVA JYOTISH SEPTEMBER-2019GURUTVA JYOTISH SEPTEMBER-2019
GURUTVA JYOTISH SEPTEMBER-2019GURUTVAKARYALAY
 
GURUTVA JYOTISH E-MAGAZINE AUGUST-2019
GURUTVA JYOTISH E-MAGAZINE AUGUST-2019GURUTVA JYOTISH E-MAGAZINE AUGUST-2019
GURUTVA JYOTISH E-MAGAZINE AUGUST-2019GURUTVAKARYALAY
 
GURUTVA JYOTISH E-MAGAZINE JULY-2019
GURUTVA JYOTISH E-MAGAZINE JULY-2019GURUTVA JYOTISH E-MAGAZINE JULY-2019
GURUTVA JYOTISH E-MAGAZINE JULY-2019GURUTVAKARYALAY
 
Gurutva jyotish jun 2019
Gurutva jyotish jun 2019Gurutva jyotish jun 2019
Gurutva jyotish jun 2019GURUTVAKARYALAY
 
GURUTVA JYOTISH APRIL-2019
GURUTVA JYOTISH APRIL-2019GURUTVA JYOTISH APRIL-2019
GURUTVA JYOTISH APRIL-2019GURUTVAKARYALAY
 
GURUTVA JYOTISH MONTHLY E-MAGAZINE NOVEMBER-2018
GURUTVA JYOTISH MONTHLY E-MAGAZINE NOVEMBER-2018GURUTVA JYOTISH MONTHLY E-MAGAZINE NOVEMBER-2018
GURUTVA JYOTISH MONTHLY E-MAGAZINE NOVEMBER-2018GURUTVAKARYALAY
 
GURUTVA JYOTISH NOV-2012
GURUTVA JYOTISH NOV-2012GURUTVA JYOTISH NOV-2012
GURUTVA JYOTISH NOV-2012GURUTVAKARYALAY
 

Mais de GURUTVAKARYALAY (10)

GURUTVA JYOTISH APRIL-2020 VOL: 2
GURUTVA JYOTISH APRIL-2020 VOL: 2GURUTVA JYOTISH APRIL-2020 VOL: 2
GURUTVA JYOTISH APRIL-2020 VOL: 2
 
GURUTVA JYOTISH Apr 2020 vol 1
GURUTVA JYOTISH Apr 2020 vol 1GURUTVA JYOTISH Apr 2020 vol 1
GURUTVA JYOTISH Apr 2020 vol 1
 
GURUTVA JYOTISH MARCH-2020
GURUTVA JYOTISH MARCH-2020GURUTVA JYOTISH MARCH-2020
GURUTVA JYOTISH MARCH-2020
 
GURUTVA JYOTISH SEPTEMBER-2019
GURUTVA JYOTISH SEPTEMBER-2019GURUTVA JYOTISH SEPTEMBER-2019
GURUTVA JYOTISH SEPTEMBER-2019
 
GURUTVA JYOTISH E-MAGAZINE AUGUST-2019
GURUTVA JYOTISH E-MAGAZINE AUGUST-2019GURUTVA JYOTISH E-MAGAZINE AUGUST-2019
GURUTVA JYOTISH E-MAGAZINE AUGUST-2019
 
GURUTVA JYOTISH E-MAGAZINE JULY-2019
GURUTVA JYOTISH E-MAGAZINE JULY-2019GURUTVA JYOTISH E-MAGAZINE JULY-2019
GURUTVA JYOTISH E-MAGAZINE JULY-2019
 
Gurutva jyotish jun 2019
Gurutva jyotish jun 2019Gurutva jyotish jun 2019
Gurutva jyotish jun 2019
 
GURUTVA JYOTISH APRIL-2019
GURUTVA JYOTISH APRIL-2019GURUTVA JYOTISH APRIL-2019
GURUTVA JYOTISH APRIL-2019
 
GURUTVA JYOTISH MONTHLY E-MAGAZINE NOVEMBER-2018
GURUTVA JYOTISH MONTHLY E-MAGAZINE NOVEMBER-2018GURUTVA JYOTISH MONTHLY E-MAGAZINE NOVEMBER-2018
GURUTVA JYOTISH MONTHLY E-MAGAZINE NOVEMBER-2018
 
GURUTVA JYOTISH NOV-2012
GURUTVA JYOTISH NOV-2012GURUTVA JYOTISH NOV-2012
GURUTVA JYOTISH NOV-2012
 

Gurutva jyotish jun 2011

  • 1. Font Help >> http://gurutvajyotish.blogspot.com गु व कायालय ारा तुत मािसक ई-प का जून- 2011 शिनदे व का प रचय शिनदे व क कृ पा ाि शिन क विभ न मं े क सरल उपाय े शिन-साढ़े साती क शांित े शिनवार त उपाय सामु क शा म शिन रे खा का मह व शिन क विभ न पाय का े शिन ह से संबिधत रोग ं शिन दोष त का मह व NON PROFIT PUBLICATION
  • 2. FREE E CIRCULAR गु व योितष प का जून 2011 संपादक िचंतन जोशी गु व योितष वभाग संपक गु व कायालय 92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA, BHUBNESWAR-751018, (ORISSA) INDIA फोन 91+9338213418, 91+9238328785, gurutva.karyalay@gmail.com, ईमेल gurutva_karyalay@yahoo.in, http://gk.yolasite.com/ वेब http://www.gurutvakaryalay.blogspot.com/ प का तुित िचंतन जोशी, व तक.ऎन.जोशी फोटो ाफ स िचंतन जोशी, व तक आट हमारे मु य सहयोगी व तक.ऎन.जोशी ( व तक सो टे क इ डया िल) ई- ज म प का E HOROSCOPE अ याधुिनक योितष प ित ारा Create By Advanced Astrology उ कृ भ व यवाणी क साथ े Excellent Prediction १००+ पेज म तुत 100+ Pages हं द / English म मू य मा 750/- GURUTVA KARYALAY 92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA, BHUBNESWAR-751018, (ORISSA) INDIA Call Us – 91 + 9338213418, 91 + 9238328785 Email Us:- gurutva_karyalay@yahoo.in, gurutva.karyalay@gmail.com
  • 3. 3 जून 2011 वशेष लेख शिनदे व का प रचय 5 शिनदे व क कृ पा ाि क सरल उपाय े 28 शिनवार त 11 शिन क विभ न मं े 30 शिन दोष त का मह व 17 महाकाल शिन मृ युंजय तो 31 शिन-साढ़े साती क शांित उपाय े 18 शनै र तवराज(भ व यपुराण) 35 ी शिन चालीसा 20 शनै र तो म ् ( ी ा डपुराण) 36 सामु क शा म शिन रे खा का मह व 22 शिनव पंजरकवचम ् 36 शिन क विभ न पाय का े 24 दशरथकृ त-शिन- तो 37 शिन ह से संबंिधत रोग 27 शिन अ ो रशतनामाविल 41 अनु म संपादक य 4 दन-रात क चौघ डये े 59 राम र ा यं 42 दन-रात क होरा सूय दय से सूया त तक 60 व ा ाि हे तु सर वती कवच और यं 43 ह चलन जून -2011 61 मं िस प ना गणेश 43 सव रोगनाशक यं /कवच 62 मं िस साम ी 44 मं िस कवच 64 मािसक रािश फल 47 YANTRA LIST 65 रािश र 51 GEM STONE 67 जून 2011 मािसक पंचांग 52 BOOK PHONE/ CHAT CONSULTATION 68 जून -2011 मािसक त-पव- यौहार 54 सूचना 69 मं िस साम ी 57 हमारा उ े य 71 जून 2011 - वशेष योग 58 दै िनक शुभ एवं अशुभ समय ान तािलका 58
  • 4. 4 जून 2011 संपादक य य आ मय बंधु/ ब हन जय गु दे व विभ न सं कृ ित म शिनदे व को अकपु , सौ र, भा क र, यम, आ क, छाया सुत, तर णतनय, कोण, नील, आिसत, फारसी व अरबी म जुदल, कदवान, हहल तथा अं ेजी म सैटन आ द नाम से जना जाता ह। शिन ु े ु ह सौरमंडल म सूय क प र मा करने वाला छठा ह है । वेद-पुराण क अनुसार शिनदे व सूय दे व क दसर प ी दे वीछाया क पु े ू े है, और इसका वण यामल है । एक बार शिनदे व के याम वण दे खकर सूय ने उसे अपना पु मानने से इनकार कर दया। अपने ित पता क इस े यवहार को दे खकर शिन क भावनाओं को ठे स लगी जसक प रणाम व प वह अपने पता सूय से श ुभाव रखने लगे। े रामायण म उ लेखीत ह क जब लंकापित रावण क सभी े ाता व पु क यु म मृ यु हो रह थी तब रावण ने अपने अमर व क िलए सौरमंडल क सभी े े ह को अपने दरबार म कदकर िलया। रावण क कडली म शिन ह एक ै ुं मा ऐसा ह था जसक व ाव था और योग क कारण रावण क िलए माकश क े े थित उ प न हो रह थी, जसे प रवितत करने क िलए रावण ने अपने दरबार म शिन को उलटा लटका दया व घोर यातनाएं दे ने लगा। ले कन े रावण क एसा करने से शिन क यवहार म कोई बदलाव नह ं आया और वह क े े सहते रहे । पवन पु ी हनुमान वहां पहंु चे और शिन को रावण क कद से मु ै कराया। इसी उपकार क बदले शिनदे व ने े हनुमानजी को वचब दया क जो भी आपक आराधना करे गा, म अपनी साढे साती, ढै या, दशा-महादशा से उसक सवदा र ा क ं गा। इसी िलये ी हनुमानजी क भ े क िलए शुभ फलदायक होते ह शिनदे व े ी हनुमान ने शिन को क से मु कराकर उसक र ा कथी इसीिलए वह भी ी हनुमान क उपासना करने वाल क क े को दर कर उनक हत क ू े र ा करता है । शिन से उ प न क क िनवारण हे तु े ी हनुमान को अिधक से अिधक स न कया जाए। इससे न कवल शिन से उ प न दोष का िनवारण होता है , ब क सूय व मंगल क साथ शिन क श ुता व योग क कारण े े े उ प न सारे क भी दर हो जाते ह। ू शिन दे व ह येक जीव क आयु क कारक ह, आयु वृ े े करने वाले ह भी शिनदे व ह, आयुष योग म शिन का थान मह वपूण है क तु शुभ थित म होने पर शिन आयु वृ करते ह तो अशुभ थित म होने पर आयु का हरण कर लेते ह। शिनदे व ल बी बमार क भी े मुख कारक ह ह अतः जो य ल बे समय से बमार से पी डत ह। रोग, क , िनधनता आ द उनका पीछा नह ं छोड रहे हो उ ह शिनदे व क उपासना अव य करनी चा हये। शिनदे व के स न होने से य को िनरोगी काया व दःख द र ता से मु ु िमलती ह व दधायु क ाि होती ह। िचंतन जोशी
  • 5. 5 जून 2011 शिनदे व का प रचय  िचंतन जोशी, व तक.ऎन.जोशी. े पद: ा रं ग: काला त व: वायु जाित: शू कृ ित: तामिसक ववरण: ीण और ल बा शर र, गहर पीली आँख, वात, बड़े दांत, अकम य, लंगड़ापन, मोटे बाल . धातु: नायु िनवास: मिलन जमीन समय अविध: साल वाद: कसैले मजबूत दशा: प म पेड़: पीपल, बांबी कपड़े : काले, नीले, बहु रं ग का व मौसम: िसिशर Sishira पदाथ: धातु, शिन क छ ले े शिन ह शिन ह क चार ओर कई उप ह छ ले ह। यह े शिन सौरम डल के एक सद य ह है । यह छ ले बहत ह पतले होते ह। हालां क यह छ ले चौड़ाई ु सूरज से छठे थान पर है और सौर मंडल म बृ ह पित म २५०,००० कलोमीटर है ले कन यह मोटाई म एक क बाद सबसे बड़ा े ह ह। इसक क ीय प र मण का े कलोमीटर से भी कम ह। इन छ ल क कण मु यत: े पथ १४,२९,४०,००० कलोमीटर है । शिन ह क खोज बफ और बफ से ढ़क पथर ले पदाथ से बने ह। नये े ाचीन काल म ह हो गई थी। ले कन वै ािनक ी वै ािनक शोध क अनुशार शिन े ह क छ ले ४-५ अरब े कोण से गैलीिलयो गैिलली ने सन ् १६१० म दरबीन क ू वष पहले बने ह जस समय सौर णाली अपनी िनमाण सहायता से इस ह को खोजा था। शिन ह क रचना अव था म ह थी। पहले ऐसा माना जाता था क ये ७५% हाइ ोजन और २५% ह िलयम से हई है । जल, ु छ ले डायनासौर युग म अ त व म आए थे। अमे रका िमथेन,अमोिनया और प थर यहाँ बहत कम मा ा म पाए ु म वै ािनक ने म पाया क शिन ह क छ ले दस े जाते ह। सौर म डल म चार ह को गैस दानव कहा करोड़ साल पहले बनने क बजाय उस समय अ त व म े जाता है , य क इनम िमटट -प थर क बजाय आए जब सौर णाली अपनी शैशवाव था म थी। १९७० अिधकतर गैस है और इनका आकार बहत ह ु वशाल है । क दशक म वै ािनक यह मानने लगे थे क शिन े ह के शिन इनमे से एक है - बाक तीन बृ ह पित, छ ले काफ युवा ह और संभवत: यह कसी धूमकतु क े े अ ण(युरेनस) और व ण (नॅ टयून) ह। बड़े चं मा से टकराने क कारण पैदा हए ह। कछ े ु ु
  • 6. 6 जून 2011 वै ािनको क अनुशार शिन क छ ले हमेशा से थे ले कन े े अनुसार ह अ य ह संबंिधत य को शुभा-शुभ फल उनम लगातार बदलाव आता रहा और वे आने वाले कई दान करते ह। जड़-चेतन सभी पर ह का अनुकल या ू अरब साल तक अ त व म रहगे। ितकल ू भाव िन त पड़ता ह। आपक मागदशन हे तु े शिनदे व से संबंिधत कछ विश ु जानका रयां यहां तुत भारतीय शा ो क अनुशार शिनदे व का वणन े ह। वैदय कांित रमल, ू जानां वाणातसी पुरातन काल से लोग क अंदर शिनदे व क े े ित कसुम वण वभ ु शरत:। गलत धारणाएं, भय घर कये बैठा ह, शिनदे व नाम अ या प वण भुव ग छित त सवणािभ सुनते ह लोग भयभीत हो जाते ह। शिनदे व का पौरा णक सूया मज: अ यतीित मुिन वाद:॥ प रचय आपक जानकार हे तु तुत शिन र नीलम ह जससे शिनदे व से संबंधी या भावाथ:- शिन ह वैदयर ू अथवा विभ न ांितय के िनवारण म बाणफ़ल ू या अलसी के फ़ल ू जैसे आपको सहायता िमले। िनमल रं ग से जब कािशत होता है , व वध पुराण म शिनदे व के तो उस समय जा क िलये शुभ फ़ल े ादभाव व उनक ु े विश गुण क दे ता है यह अ य वण को काश दे ता अनेक चचा उ ल ध है । है , तो उ च वण को समा करता है , पुराणो के अनुसार शिनदे व मह ष ऐसाऋ ष महा मा कहते ह। क यप क पु े सूय क संतान ह। सूय व क आ मा व सा ात का शिनदे व का व प: व प ह। शिनदे वक माता का नाम B.Sapphire छाया अथवा सुवणा ह। मनु साव ण, शनै र का शर र-का त (Special Qulaty) यमराज शिनदे व क भाई और यमुना े इ नीलम ण क समान ह। शिनदे व क े े बहन ह। िसर पर वण मुकट गले म माला ु B.Sapphire - 5.25" Rs. 30000 B.Sapphire - 6.25" Rs. 37000 शा ो व णत ह क वंश का तथा शर र पर नीले रं ग क व े B.Sapphire - 7.25" Rs. 55000 B.Sapphire - 8.25" Rs. 73000 भाव संतान पर अव य पड़ता ह। सुशोिभत होते ह। शिनदे व का वण B.Sapphire - 9.25" Rs. 91000 शिनदे व का ज म क यप वंश म हवा ु कृ ण, वाहन गीध तथा लोहे का बना B.Sapphire- 10.25" Rs.108000 ** All Weight In Rati ह और शिनदे व सा ात व प रथ है । * उपयो वजन और मू य से अिधक सूय दे व के पु ह अतः शिनदे व और कम वजन और मू य का नीलम सूयदे व क पु े ह शिनदे व उिचत मू य पर ाि हे तु संपक कर। अ तीय श व य व के वामी योितष क व ानो क अनुशार े े GURUTVA KARYALAY ह। यह संपूण संसार सौरमंडल के ह Call Us: शिनदे व आशुतोष भगवान िशव के 91 + 9338213418, ारा िनयं त ह और शिनदे व इन हो 91 + 9238328785, अन य भ ह। म से मु य िनयं क ह। शिनदे व को पोरा णक कथा के अनुशार ह के यायाधीश मंडल का धान यायाधीश कहा गया शंगवश सूय दे व ने अपनी प ी अथात शिनदे व क मां ह। कछ ु व ानो का मत ह क शिनदे व क िनणय क े े छाया पर नाराज हो गये और उ ह शाप तक दे ने को
  • 7. 7 जून 2011 तैयार हो गये। शिनदे व को सूय दे व का ऐसा यवहार पूव कृ त कम क फल भोग को भी अपने अनु प बनाने े सहन न हआ। उनक मन म सूय से भी अिधक ु े म स म हो सकता ह। श शाली बनने क इ छा जागृ त हई। शिनदे व ने बना ु योितषीय व ेषण क अनुशार बताये गये उपाय े कसी संकोच सूय से ह अपनी श ाि क उपाय पूछने े अपना कर ितकल प र थितय ू को अपने अनुकल ू लगे। बनाया जा सकता है । योितष व ा से मनु य अपने सूय दे व ने सुना क शिन उनसे भव य के वषय म जानकार ा अिधक श शाली होना चाहता है , शिन का उपर कर अपने क य ारा ितकल ू सुनते ह उ ह बड़ स नता हई। सब ु थितय को अपने अनुकल बनाने क ू े सूय दे व ने शिन को काशी म जाकर कटे ला(एमेिथ ट) िलए मागदशन ा कर सकता ह। भगवान िशव का पािथविलंग बनाकर संपूण चराचर जगत ई रय पूजन व अिभषेक करने का आदे श श य क संक प से सृ जन हवा ह। े ु दया। शिनदे व काशी म आकर पािथव उसी ई रय श य क इ छानुसार िशविलंग बनाकर उपासना म िलन हो नव ह को व क सम त जड़- े गये। िशवजी ने उनक उपासना से चेतन को िनयं त व अनुशािसत करने स न होकर वरदान मांगने को कहां। का काय दया गया है । मानव समेत शिन ने िशवजी से दो वरदान मांगे। सम त जीवो को िमलने वाले सुख-दख ु एक यह क म अपने पता से भी ह क शुभ-अशुभ े भावो ारा ह अिधक श शाली बनूं और दसरा यह ू Amethyst दान कये जाते ह। ले कन हो के क पता से सात गुना दर पर सात ू Katela शुभ-अशुभ भाव म कसी य या उप ह से िघरा हआ मेरा मंडल हो। ु Amethyst- 5.25" Rs. 550 जीव वशेष से इन हो का कोई Amethyst- 6.25" Rs. 640 िशवजी ने तथा तु कह उ ह वरदान दे Amethyst- 7.25" Rs. 730 प पात नह ं होता, यो क कसी भी दया। Amethyst- 8.25" Rs. 820 य या जीव को िमलने वाले सुख- Amethyst- 9.25" Rs. 910 योितषशा म अंत र , Amethyst - 10.25" Rs.1050 दख उस जीव ु ारा कये गय कम ह ** All Weight In Rati वरान थान , मसान , बीहड़ वन, होते ह। * उपयो वजन और मू य से अिधक ांतर , दगम-घा टय , पवत , गुफाओं, ु और कम वजन और मू य का नीलम जीव वशेष क कम क कारक े े खदान व जन शू य आकाश-पाताल उिचत मू य पर ाि हे तु संपक कर। ह शिनदे व होने क वजह से उनक क रह यपूण- थल आ द को शिनदे व े GURUTVA KARYALAY यमाण कम क संपादन म े मुख Call Us: के अिधकार े माना गया है । भूिमका होती है । जीव के ारा कये 91 + 9338213418, शिनदे व क अिधकार े े म कवल े 91 + 9238328785, गये कम से कसी कम का फल कब रह यमय व गु ान क उपरांत े और कस कार भोगना है , इसका कम े म, सतत ् चे ा, म, सेवा -लाचार, वकलांग , िनधारण नव ह ारा ह होता ह। रोगी व वृ द क सहायता आ द भी आते ह। सभी जीव क शुभ-अशुभ कम े का फल दान शिनदे व कम क कारक े ह होने क वजह से करने म शिनदे व द डािधकार यायाधीश के प म काय मनु य को यमाण कम का अवलंबन लेकर अपने करते ह। यो क अशुभ कम क िलए द ड े दान करते
  • 8. 8 जून 2011 समय शिन नह ं दे र करते है और नह ं प पात। द ड दे ते शिनदे व उ ह ं लोगो को अिधक क दान करते समय दया आ द भाव शिनदे व को छ नह ं पाते, इस ू ह जो लोग गलत काम म सल न होते ह। अ छे कम िलये लोग म शिन क नाम से भय क लहर दौड जाती े े करने वाल पर शिनदे व अित स न व उनक अनुकल े ू है । इसी िलये शा म शिनदे व को ू र, क टल व पाप ु फल दान करते ह। ह सं ा द गई है । शिनदे व जतने कठोर ह उतने ह अतः शुभ कम करने से शिन क कृ पा ा होगी अंदर से कृ पालु व दयालु भी है । शिनदे व क कृ पा ाि और शिन कृ पा से ह जीवन का मूल उ े य पूण होगा। हे तु मनु यो को अपने कम को शा ो म उ ले खत ह क शिनदे व के सुधारना चा हए। शिन क र े और उपर दं ड से शिनदे व क गु े सा ात िशवजी यो क व ानो क मतानुशार े को भी ढाई दन क िलये छपना पडा े ु नीलम, नीिलमा, नीलम ण, पूव ज म क संिचत पु य और पाप का े था। शिनदे व क कोप क कारण पावती े े जामुिनया, नीला कटे ला, आ द फल जीव को वतमान जीवन म ह नंदन गणेशजी का िशर कट गया था। क अनुसार भोगने पडते ह। े शिन क र े और उपर ह। योितषी जानकार : हो के शुभ-अशुभ भाव अ छा र शिनवार को पु य शिन एक रािश म तीस मह ने रहते ह। महादशा, अंतदशा आ द क अनुशार े न म धारण करना शिन मकर और क भ रािश क ु े वामी ा होते ह। अतः हो क अिन े चा हये। इन र मे कसी ह तथा शिनक महादशा 19 वष क फल से बचाव क िलए उिचत उपाय े भी र को धारण करते ह होती है । शिन का भाव एक रािश पर कया जा सकता है । हमारे ाचीन मनी षय ने शा ो म फ़ायदा िमल जाता है । ढ़ाई वष और साढ़े साती के प म साढे ़ सात वष अविध तक भोगना शिनदे व क अनुकल व े ू ितकल ू भाव शिन क जड बू टयां पढ़ता ह। का बड़ सू मता से िनर ण कर उसक व तृ त जानकार हम दान क ू ब छ बूट क जड या शमी शिनदे व क काले होने का रह य! े ह। जसे छ करा भी कहते है क यद कसी जातक क िलये े जड शिनवार को पु य न इस बारे म एक कथा चिलत शिनदे व अनुकल होते ह तो जातक को ू है , जब शिनदे व माता क गभ म थे, े म काले धागे म पु ष और अपार धन-वैभव व ऐ या द क ाि तब िशव भ नी माता ने घोर तप या ी दोनो ह दा हने हाथ क होती ह, य द ितकल हो, तो ू य क , धूप-गम क तपन म शिन का रं ग को भीषण क का सामना करना भुजा म बा धने से शिन के काला हो गया। ले कन मां क इसी तप े पड़ता है । ऐसी थित म य वशेष क भाव म कमी आना शु ु ने उ हे आपार श द और न हो म क संिचत धन, संपदा का नाश होता े हो जाता है । से एक ह बना दया। है । य क िनं दत कम रत हो जाता ह उसे लोकिनंदा का पा बनना पड़ता ह। उसे पग-पग पर शिनदे व क गित धीमी होने का कारण दःख, क , रोग व अपमान का सामना करना पड़ता है । ु शिनदे व का अ य सभी ह से मंद होने का उ ह तरह-तरह क यातनाएं भी झेलनी पड़ जाती ह। कारण इनका लंगड़ाकर चलना है । वे लंगड़ाकर य
  • 9. 9 जून 2011 चलते ह, इसक संबंध म सूय तं े म व णत कथा इस शिनदे व को ते ल य होने का कारण कार ह। शिन दे व पर तेल चढाया जाता ह, इस संबंध म एक बार सूय दे व का तेज सहन न कर पाने क आनंद रामायण म एक कथा का उ लेख िमलता ह। जब वजह से सं ा दे वी ने अपने शर र से अपने जैसी ह एक ी राम क सेना ने सागर सेतु बांध िलया, तब रा स ितमूित तैयार क और उसका नाम वणा रखा। उसे इसे हािन न पहंु चा सक, उसक िलए पवन सुत हनुमान े आ ा द क तुम मेर अनुप थित म मेर सार संतान को उसक दे खभाल क ज मेदार सौपी गई। जब क दे खरे ख करते हए सूय दे व क सेवा करो और प ी ु हनुमान जी शाम क समय अपने इ दे व राम क े े यान म सुख भोगो। म न थे, तभी सूय पु शिन ने अपना काला क प चेहरा ु एसा आदे श दे कर सं ा अपने पता क घर चली े बनाकर ोधपूण कहा- हे वानर म दे वताओ म श शाली गई। वणा ने भी अपने आप को इस तरह ढ़ाला क शिन हँू । सुना ह, तुम बहत बलशाली हो। आँख खोलो ु सूय दे व भी यह रह य न जान सक। इस बीच सूय दे व े और मेरे साथ यु करो, म तुमसे यु करना चाहता हँू । से वणा को पांच पु और दो पु यां हई। धीरे -धीरे ु इस पर हनुमान ने वन तापूव क कहा- इस समय म वणा अपने ब च पर अिधक और सं ा क संतान पर अपने भु को याद कर रहा हंू । आप मेर पूजा म व न कम यान दे ने लगी। एक दन सं ा क पु े शिन को मत डािलए। आप मेरे आदरणीय है । कृ पा करक आप े तेज भूख लगी, तो उसने वणा से भोजन मांगा। तब यहा से चले जाइए। वणा ने कहा क अभी ठहरो, पहले म भगवानका भोग ् जब शिन दे व लड़ने पर उतर आए, तो हनुमान जी लगा लूं और तु हारे छोटे भाई-बहन को खला दं , फर ू ने अपनी पूंछ म लपेटना शु कर दया। फर उ हे तु ह भोजन दं गी। यह सुनकर शिन को ू ोध आ गया कसना ारं भ कर दया जोर लगाने पर भी शिन उस और उ ह ने माता को मारने क िलए अपना पैर उठाया, े बंधन से मु न होकर पीड़ा से याकल होने लगे। ु तो वणा ने शिन को ू ाप दया क तेरा पांव अभी टट हनुमान ने फर सेतु क प र मा कर शिन क घमंड को े जाए। तोड़ने क िलए प थरो पर पूंछ को झटका दे -दे कर े माता का ाप सुनकर शिनदे व डरकर अपने पता पटकना शु कर दया। इससे शिन का शर र लहलुहान ु क पास गए और सारा े क सा कह सुनाया। सूय दे व हो गया, जससे उनक पीड़ा बढ़ती गई। तब शिन दे व ने तुर त समझ गए क कोई भी माता अपने पु को इस हनुमान जी से ाथना क क मुझे बधंन मु कर तरह का शाप नह दे सकती। इसी िलए उनक साथ े द जए। म अपने अपराध क सजा पा चुका हँू , फर अपनी प ी नह कोई और ह। सूय दे व ने ोध म आकर मुझसे ऐसी गलती नह होगी। पूछा क बताओ तुम कौन हो, सूय का तेज दे खकर वणा इस पर हनुमान जी बोले-म तु हे तभी छोडू ं गा, घबरा गई और सार स चाई उ हे बता द । तब सूय दे व जब तुम मुझे वचन दोगे क ी राम क भ े को कभी न शिन को समझाया क वणा तुमार माता नह ह, परे शान नह करोगे। य द तुमने ऐसा कया, तो म तु ह ले कन मां समान ह। इसीिलए उनका दया शाप यथ तो कठोर दं ड दं गा। शिन ने िगड़िगड़ाकर कहा -म वचन दे ता ू नह होगा, पर तु यह इतना कठोर नह होगा क टांग हंू क कभी भूलकर भी आपक और े ी राम क भ े क पूर तरह से अलग हो जाए। हां, तुम आजीवन एक पाँव रािश पर नह आऊगा। आप मुझे छोड़ द। तभी हनुमान ँ से लंगडाकर चलोगे। जी ने शिनदे व को छोड़ दया। फर हनुमान जी से
  • 10. 10 जून 2011 शिनदे व ने अपने घावो क पीड़ा िमटाने क िलए तेल े लोगे, वह न हो जायगा। ू यान टटने पर शिनदे व ने मांगा। हनुमान जी ने जो तेल दया, उसे घाव पर लगाते अपनी प ी को मनाया। प ी को भी अपनी भूल पर ह शिन दे व क पीड़ा िमट गई। उसी दन से शिनदे व को प ाताप हआ, क तु शाप क ु े तीकार क श उसम न तेल चढ़ाया जाता ह, जससे उनक पीडा शांत हो जाती ह थी, तभी से शिन दे वता अपना िसर नीचा करक रहने े और वे स न हो जाते ह। लगे। य क यह नह ं चाहते थे क इनके ारा कसी का अिन हो। शिनदे व क ूर ी का कारण अतः कहा गया है , शिनदे व ुर ह नह ं ह, वो शिनदे व जी क म जो ू रता है , वह इनक यायकता है । य पाप करता रहता है, और जब उस प ी क शाप क कारण है । े े पुराण म इनक कथा इस य पर शिन क साढ़े साती आती है , तो उसक पापो का े कार आयी है - बचपन से ह शिन दे वता ीकृ ण के हसाब वयं शिनदे व करते है । जब य लोभ, वासना, परम भ थे। वे ीकृ ण क अनुराग म िनम न रहा े गु सा, मोह से भा वत होकर अ याय, अ याचार, दराचार, ू करते थे। वय क होने पर इनके पता ने िच रथ क अनाचार, पापाचार, यिभचार का सहारा लेता है , जब सबसे क या से इनका ववाह कर दया। इनक प ी सती- िछप कर कोई पाप काय करता ह, तब समय आने पर सा वी और परम तेज वनी थी। एक रात वह ऋतु- नान शिनदे व के ारा य को दं ड भी ा होता ह। जो करक पु - े ाि क इ छा से इनक पास पहँु ची, पर यह े राजा का रं क बना दे ती ह, वह शिन क साढे -साित ह ीकृ ण के यान म िनम न थे। इ ह बा संसार क होती है । ले कन य द साढे -साती दशा क दौरान भी य े सुधबुध ह नह ं थी। प ी ती ा करक थक गयी। उसका े स य को नह ं छोड़े ता, पुनः, दया और याय का सहारा ऋतुकाल िन फल हो गया। इसिलये उसने ु होकर लेता ह, एसी अव था म सब बहत ह अ छे से ु यतीत शिनदे व को शाप दे दया क आज से जसे तुम दे ख हो जाता ह।  या आपक ब चे कसंगती क िशकार ह? े ु े  या आपक ब चे आपका कहना नह ं मान रहे ह? े  या आपक ब चे घर म अशांित पैदा कर रहे ह? े ु घर प रवार म शांित एवं ब चे को कसंगती से छडाने हे तु ब चे क नाम से गु ु े व कायालत ारा शा ो विध- वधान से मं िस ाण- ित त पूण चैत य यु वशीकरण कवच एवं एस.एन. ड बी बनवाले एवं उसे अपने घर म था पत कर अ प पूजा, विध- वधान से आप वशेष लाभ ा कर सकते ह। य द आप तो आप मं िस वशीकरण कवच एवं एस.एन. ड बी बनवाना चाहते ह, तो संपक इस कर सकते ह। GURUTVA KARYALAY 92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA, BHUBNESWAR-751018, (ORISSA) Call us: 91 + 9338213418, 91+ 9238328785 Mail Us: gurutva.karyalay@gmail.com, gurutva_karyalay@yahoo.in,
  • 11. 11 जून 2011 शिनवार त  व तक.ऎन.जोशी. े त माहा यं एवं कथा विध शिन- ह क शांित व सभी कार क सुख क े ॐ कोण थाय नमः। इ छा रखने वाले ी-पु ष को शिनवार का त करना ॐ रौ ा मकाय नमः। चा हए। संपूण विध- वधान से शिनवार का त करने से ॐ शनै राय नमः। शिन से संबंिधत संपूण पीडा-दोष, रोग-शोक न हो जाते ॐ यमाय नमः। ह, और धन का लाभ होता ह। ती को वा य सुख ॐ ब वे नमः। तथा आयु व बु क वृ होती ह। ॐ कृ णाय नमः। शिनदे व के भाव म सभी कार क उ ोग, े ॐ मंदाय नमः। यवसाय, कल-कारखाने, धातु उ ोग, लौह व तु, तेल, ॐ प पलाय नमः। काले रं ग क व तु, काले जीव, जानवर, अकाल मृ यु, ॐ पंगलाय नमः। पुिलस भय, कारागार, रोग भय, गुरदे का रोग, जुआ, ॐ सौरये नमः। स टा, लॉटर , चोर भय तथा ू र काय आते ह। व ानो क अनुशार शिन से संबंिधत क े िनवारण उस वृ म सूत क सात धागे लपेटकर सात े क िलए शिनवार का े त करना परम लाभ द होता ह। प र मा करे तथा वृ का पूजन करे । शिन पूजन शिनवार के त को जानकार य क सलाह से येक सूय दय से पूव तार क छांव म करना चा हए। शिनवार उ के ी-पु ष कर सकता ह। त-कथा को भ और ेमपूव क सुने। कथा कहने वाले शिनवार का त कसी भी शिनवार से आरं भ को द णा दे । ितल, जौ, उड़द, गुड़, लोहा, तेल, नीले कया जा सकता ह। ले कन ावण मास क शिनवार से े व का दान करे । आरती और ाथना करके साद बांटे। त को ारं भ कया जाए तो वशेष लाभ द रहता ह। पहले शिनवार को उड़द का भात और दह , दसरे ू शिनवार को सूयोदय से पूव ती मनु य को शिनवार को खीर, तीसरे को खजला, चौथे शिनवार को कसी प व नद -जलाशय आ द क जल म े नान कर, घी और पू रय का भोग लगावे। इस कार ततीस ऋ ष- पतृ अपण करक, सुंदर कलश म जल भरकर लाये, े शिनवार तक इस त को करे । इस कार त करने से उस कलश को शमी अथवा पीपल क पेड़ क नीचे सुंदर े े शिनदे व स न होते ह। इससे सव कार क क , अ र े वेद बनावे, उसे गोबर से लीपे, लौह िनिमत शिन क आद यािधय का नाश होता है और अनेक कार के ितमा को पंचामृ त म नान कराकर काले चावल से सुख, साधन, धन, पु -पौ ा द क ाि होती ह। कामना बनाए हए चौबीस दल क कमल पर ु े था पत करे । क पूित होने पर शिनवार के त का उ ापन कर। ततीस शिनदे व का काले रं ग क गंध, पु प, अ ांग, धूप, फल, े ू ा ण को भोजन करावे, त का वसजन करे । इस उ म कार क नैवे े आ द से पूजन करे । कार त का उ ापन करने से पूण फल क ाि होती उस क प यात शिन क इन दस नाम का े े ा ा है एवं सभी कार क कामनाओं क पूित होती ह। व भ -भाव से से उ चारण करे -
  • 12. 12 जून 2011 कामना पूित होने पर य द यह त कया जाए, तो ा कतु हे तु कतु मं े े से कशा क सिमधा म, कृ ण जौ क ु े व तु का नाश नह ं होता। घी व काले ितल से येक क िलए १०८ आहितया दे े ु योितष शा म शिन राहु और कतु क क े े और ा ण को भोजन करावे। िनवारण हे तु भी शिनवार के त का वधान ह। इस त इस कार शिनवार के त के भाव से शिन और म शिन क लोहे क , राहु व कतु क शीशे क मूित े राहु-कतु जिनत क , सभी े कार क अ र े तथा आ द- बनवाएं। यािधय का सवथा नाश होता ह।  कृ ण वण व , दो भुजा द ड और अ मालाधार , काले रं ग क आठ घोड़े वाले रथ म बैठे शिन का े संपूण ाण ित त 22 गेज शु यान करे । ट ल म िनिमत अखं डत  कराल बदन, ख ग, चम और शूल से यु नीले  िसंहासन पर वराजमान वर द राहु का धू वण, गदा द आयुध से यु , यान करे । गृ ासन पर पु षाकार शिन यं वराजमान वकटासन और वर द कतु का े यान करे । पु षाकार शिन यं ( ट ल म) को ती भावशाली इ ह व प म मुितय का िनमाण करावे अथवा बनाने हे तु शिन क कारक धातु शु ट ल(लोहे ) म गोलाकार मूित बनावे या बाजार से खर द ले। बनाया गया ह। जस के भाव से साधक को त काल काले रं ग क चावलोम से चौबीस दल का कमल े लाभ ा होता ह। य द ज म कडली म शिन ुं िनमाण करे । कमल क म य म शिन, द े ण भाग म ितकल ू होने पर य को अनेक काय म राहु और वाम भाग म कतु क े थापना करे । र चंदन असफलता ा होती है , कभी यवसाय म घटा, म कशर िमलाकर, गंध चावल म काजल िमलाकर, काले े नौकर म परे शानी, वाहन दघटना, गृ ह ु लेश आ द चावल, काकमाची, कागलहर क काले पु प, क तूर आ द े परे शानीयां बढ़ती जाती है ऐसी थितय म से 'कृ ण धूप' और ितल आ द क संयोग से कृ ण नैवे े ाण ित त ह पीड़ा िनवारक शिन यं क अपने (भोग) अपण करे और इस मं से ाथना एवं नम कार को यपार थान या घर म थापना करने से अनेक कर- लाभ िमलते ह। य द शिन क ढै ़या या साढ़े साती का शनैश ्चर नम तु यं नम तेतवथ राहवे। समय हो तो इसे अव य पूजना चा हए। शिनयं के कतवेऽथ नम तु यं सवशांित े दो भव॥ पूजन मा से य को मृ यु, कज, कोटकश, जोडो े ॐ ऊ वकायं महाघोरं चंडा द य वमदनम। ् का दद, बात रोग तथा ल बे समय क सभी े कार के िसं हकायाः सुतं रौ ं तं राहंु णमा यहम॥ ् रोग से परे शान य क िलये शिन यं े अिधक ॐ पातालधूम संकाशं तारा ह वमदनम। ् लाभकार होगा। नौकर पेशा आ द क लोग े को रौम रौ ा मकं ू रं तं कतु े णमा यहम॥ ् पदौ नित भी शिन ारा ह िमलती है अतः यह यं अित उपयोगी यं है जसके ारा शी ह लाभ पाया सात शिनवार का त करे । शिन हे तु शिन-मं से शिन जा सकता है । मू य: 1050 से 8200 क सिमधा म, राहु हे तु राहु मं से पूवा क सिमधा म,
  • 13. 13 जून 2011 ी शिनवार त कथा हे युिध र! कशलपूव क तो हो? युिध र ने कहा- हे ु भो! आपक कृ पा है । आपसे कछ िछपा न हं है ! कृ पाकर ु पौरा णक कथा क अनुशार एक बार सम त े कोई ऐसा उपाय बतलाएं, जसक करने से यह े ह क ा णय का हत चाहने वाले मुिनगण नैिमषार य म न यापे। हम इससे छटकारा िमले। यह शिन ु ह बहत ु एक हए। उस समय ु यास जी क िश य सूतजी अपने े क दे ता है । िश यो क साथ े ीह र का मरण करते हए वहां पर ु ीकृ ण बोले- राजन! आपने बहत ह सुंदर बात ु आए। सम त शा के ाता ी सूतजी को आया दे खकर महातेज वी शौनका द मुिनय ने उठकर ी सूतजी को सूतजी बैठ गए। णाम कया। मुिनय ारा दए आसन पर ी संपूण ाण ित त 22 गेज शु टल म ी सूतजी से शौनक आ द मुिनय ने वनयपूव क पूछा- हे मुिन! इस किलकाल म ह र भ कस कार से होगी? सभी ाणी पाप करने म त पर ह गे, मनु य क आयु कम होगी। ह क , धन र हत और अनेक िनिमत अखं डत पीड़ायु मनु य ह गे। हे सूतजी! पु य अित प र म से शिन ा होता है , इस कारण किलयुग म कोई भी मनु य पु य न कर पायेगा। पु य क न े होने से मनु य क कृ ित पापमय होगी, इस कारण तु छ वचार करने वाले मनु य अपने अंश स हत न हो जाएंगे। हे सूतजी! जस तैितसा यं तरह थोड़े ह प र म, थोड़े धन से, थोड़े समय म पु य ा हो, ऐसा कोई उपाय हम लोग को बतलाइए। हे महामुन, हमने यह भी सुना है े क शिन के कोप से दे वता भी मु नह ं हो पाते । शिन क ूर ने भगवान ीगणेश जी का िसर उसक पता क हाथ कटवा े े शिन ह से संबंिधत पीडा के दया। शिन क क को दे ने वाली ह, इसिलए कोई ऐसा त बताएं, जसे करने से शिनदे व स न हो। िनवारण हे तु वशेष लाभकार यं । सूतजी बोले- हे मुिन े तुम ध य हो। तु ह ं मू य: 550 से 8200 वै णव म अ ग य हो, य क सब ा णय का हत चाहते हो। म आपसे उ म त को कहता हंू । यान दे कर GURUTVA KARYALAY सुन- इसक करने से भगवान शंकर े स न होते है और 92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR शिन ह क क े ा नह ं होते। PATNA, BHUBNESWAR-751018, (ORISSA) Call us: 91 + 9338213418, 91+ 9238328785 हे ऋ षयो! युिध र आ द पांडव जब वनवास म Mail Us: gurutva.karyalay@gmail.com, अनेक क भोग रहे थे, उस समय उनके य सखा gurutva_karyalay@yahoo.in, ीकृ ण उनक पास पहंु चे। युिध र ने े ीकृ ण का बहत ु Our Website:- http://gk.yolasite.com/ and http://gurutvakaryalay.blogspot.com/ आदर कया और सुंदर आसन पर बैठाया। ीकृ ण बोले-
  • 14. 14 जून 2011 पूछ है । आपसे एक उ म त कहता हंू , सुनो। जो ा णी ने राजकमार धमगु ु को अपने साथ ले िलया मनु य भ और ायु होकर शिनवार के दन और नगर को छोड़कर चल द । भगवान शंकर का त करते ह, उ ह शिन क ह दशा गर ब ा णी दोन कमारो का बहत क ठनाई से ु ु मे कोई क नह ं होता। उनको िनधनता नह ं सताती िनवाह कर पाती थी। कभी कसी शहर म और कभी तथा इस लोक म अनेक कार क सुख को भोगकर अंत े कसी नगर म दोन कमार को िलए घूमती रहती थी। ु म िशवलोक क ाि होती है । युिध र बोले- हे भु! एक दन वह ा णी जब दोन कमार को िलए एक ु सबसे पहले यह त कसने कया था, कृ पा करक इसे े नगर से दसरे नगर जा रह थी क उसे माग म मह ष ु व तारपूव क कह तथा इसक विध भी बतलाएं। शां ड य क दशन हए। े ु ा णी ने दोन बालक क साथ े भगवान ीकृ ण बोले- राजन! शिनवार क दन, े मुिन क चरण मे े णाम कया और बोली- मह ष! म वशेषकर ावण मास म शिनवार के दन लौहिनिमत आज आपक दशन कर कृ ताथ हो गई। यह मेरे दोन े ितमा को पंचामृ त से नान कराकर, अनेक कार के कमार आपक शरण है , आप इनक र ा कर। मुिनवर! ु गंध, अ ांग, धूप, फल, उ म कार क नैवे े आ द से यह शुिच त मेरा पु है और यह धमगु राजपु है और पूजन करे , शिन क दस नाम का उ चारण करे । ितल, े मेरा धमपु है । हम घोर दा र य म ह, आप हमारा उ ार जौ, उड़द, गुड़, लोहा, नीले व का दान करे । फर क जए। मुिन शां ड य ने ा णी क सब बात सुनी और भगवान शंकर का विधपूव क पूजन कर आरती- ाथना बोले-दे वी! तु हारे ऊपर शिन का कोप है , अतः आप करे - हे भोलेनाथ! म आपक शरण हंू , आप मेरे ऊपर शिनवार के दन त करक भोले शंकर क े आराधना कृ पा कर। मेर र ा कर। कया करो, इससे तु हारा क याण होगा। हे युिध र! पहले शिनवार को उड़द का भात, ा णी और दोन कमार मुिन को ु णाम कर दसरे को कवल खीर, तीसरे को खजला, चौथे को पू रय ू े िशव मं दर क िलए चल दए। दोन कमार ने े ु ा णी का भोग लगावे। त क समाि पर यथाश ा ण स हत मुिन क उपदे श क अनुसार शिनवार का े े त कया भोजन करावे। इस कार करने से सभी अिन , क , तथा िशवजी का पूजन कया। दोन कमार को यह ु त आिध या दय का सवथा नाश होता है । शिन, राहु, कते े करते-करते चार मास यतीत हो गए। एक दन शुिच त से ा होने वाले दोष दर होते ह और अनेक ू कार के नान करने क िलए गया। उसक साथ राजकमार नह ं े े ु सुख-साधन एवं पु -पौ ा द का सुख ा होता ह। था। क चड़ म उसे एक बहत बड़ा कलश दखाई दया। ु शुिच त ने उसको उठाया और दे खा तो उसम धन था। सबसे पूव जसने इस त को कया था, उसका इितहास शुिच त उस कलश को लेकर घर आया और मां से भी सुनो- बोला- हे मां! िशवजी ने इस कलश के प म धन दया पूव काल म इस पृ वी पर एक राजा रा य करता है । था। राजाने अपने श ुओं को अपने वश म कर िलया। माता ने आदे श दया- बेटा! तुम दोन इसको बांट दै व गित से राजा और राजकमार पर शिन क दशा आई। ु लो। मां का वचन सुनकर शुिच त बहत ह ु स न हआ ु राजा को उसक श ुओं ने मार े दया। राजकमार भी ु और धमगु से बोला- भैया! अपना ह सा ले लो। परं तु बेसहारा हो गया। राजगु को भी बै रय ने मार दया। िशवभ राजकमार धमगु ु ने कहा-मां! म हसा लेना उसक वधवा ा णी तथा उसका पु शुिच त रह गया। नह ं चाहता, य क जो कोई अपने सुकृत से कछ भी ु