2. “शिक्षण का अर्थ सीखने में सहायता
करना।”
शिक्षण में अध्यापक द्वारा बालक को एक
ननश्चित स्र्ान एक ववशिष्ट वातावरण में
पाठ्यक्रम क
े अनुसार पररवतथन ककया
जाता है।
3. "शिक्षण क
े तीन ब िंदु हैं शिक्षक , शिक्षार्थी एविं पाठ्यवस्तु। इन
तीनों क
े ीच सिं िंध स्र्थापपत करना ही शिक्षा है। यह सिं िंध
ालक की िक्ततयों का पवकास करता है।”
“शिक्षण दो या दो से अधधक व्यक्ततयों क
े ीच आमना-
सामना है क्िसमें एक व्यक्तत (अध्यापक) दूसरे व्यक्तत
(छात्र) में पविेष पररवततन लाना चाहता है।"
4.
5.
6.
7. • इसमें क
े वल शिक्षक सक्रिय होता है।
• इसमें छात्र की इच्छाओिं को कोई स्र्थान नहीिं ददया
िाता है।
• इसमें क
े वल स्मृतत स्तर(Memory level) का ही
शिक्षण होता है।
• इसमें अध्यापक पवद्यार्थी को अिुद्ध ज्ञान भी प्रदान
कर सकता है।
8. • इसमें अध्यापक और छात्र दोनों सक्रिय होते हैं।
• इसमें अध्यापक और छात्र क
े ीच िाक्ददक व
अिाक्ददक अिंतः क्रिया होती है।
• इसमें छात्रों को तक
त करने प्रश्न करने आदद क
े
अवसर ददए िाते हैं।
• इसमें ोध स्तर ( Understanding level) का
शिक्षण होता है।
9. • इसमें अध्यापक की अपेक्षा छात्र अधधक सक्रिय होते हैं।
• इसमें अध्यापक द्वारा छात्रों को पवशभन्न समस्याओिं
को सुलझाने क
े अवसर ददए िाते हैं।
• इसमें छात्र द ाव एविं ाधा मुतत होकर सीखते हैं।
• शिक्षक छात्र की रचनात्मक प्रकृ तत (Creative
Abilities) को ढावा देता है।
10. शिक्षण ालक क
े व्यवहार में पररवततन करने की
प्रक्रिया है।
शिक्षण एक उद्देश्य पूणत प्रक्रिया है।
शिक्षण सामाक्िक प्रक्रिया है।
शिक्षा व्यावसातयक प्रक्रिया है।
शिक्षण ताक्रक
त क प्रक्रिया है क्िसमें तक
त करने का गुण
भी पवकशसत होता है ।
11. • ालक एविं अध्यापक क
े ीच सिं िंध स्र्थापपत
करने की समस्या
• कक्षा में अनुिासन की समस्या
• कक्षा में उपद्रवी ालकों की समस्या
• वयक्ततक शभन्नता की समस्या