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पर्यावरणवाद
[ Environmentalism ]
https://www.aias.org/change-making-privilege-in-environmentalism/
द्वारा- डॉ. ममता उपाध्याय
प्रोफ़
े सर, राजनीति विज्ञान
एएमजीजीपीजी कॉलेज, बादलपुर
गौतम बुद्ध नगर, उत्तर प्रदेश, भारत
उद्देश्य-
● पर्यावरणीय संकट क
े प्रति संवेदनशीलता उत्पन्न करना
● पर्यावरणीय मुद्दों क
े प्रति समझ एवं जागरूकता विकसित करना
● पर्यावरण संरक्षण से संबंधित सामाजिक -राजनीतिक सिद्धांतों एवं आंदोलनों का ज्ञान
● पर्यावरण संबंधी मुद्दों क
े तथ्यात्मक विश्लेषण की क्षमता का विकास
मुख्य शब्द- पर्यावरण, नारीवादी पर्यावरण वाद, गहरा पर्यावरण वाद, उथला पर्यावरण वाद , समाजवादी
पर्यावरण वाद, पर्यावरणीय न्याय
पर्यावरणवाद 18वीं -19वीं शताब्दी में विकसित एक सामाजिक राजनीतिक विचारधारा एवं आंदोलन है जिसका
उद्देश्य पर्यावरण संरक्षण की चेतना से युक्त समाज का निर्माण करना है। यह आंदोलन जर्मन रोमांचवाद एवं
ब्रिटेन में औद्योगिकरण क
े विरोध क
े साथ प्रारंभ हुआ तथा समसामयिक राजनीतिक- सामाजिक जीवन में
अत्यधिक लोकप्रिय हुआ। विज्ञान और तकनीक तथा औद्योगिकरण क
े विकास क
े साथ मनुष्य की बदलती
जीवन शैली ने अनेक पर्यावरणीय समस्याओं जैसे- धरती का बढ़ता तापमान, बढ़ता प्रदूषण, जैव विविधता का
नाश, जलवायु परिवर्तन, ग्रीन हाउस गेसेस का अत्यधिक उत्सर्जन, ग्लेशियर का पिघलना, समुद्र का जल स्तर
बढ़ना, बढ़ते मरुस्थल, आदि को जन्म दिया जिसक
े कारण आज धरती क
े जीव धारियों का जीवन संकट में है और
स्वयं मनुष्य भी इस संकट से अछ
ू ता नहीं है। जीवन और स्वास्थ्य का गहरा संकट उसक
े सम्मुख है । सामाजिक
-आर्थिक -राष्ट्रीय भिन्नताओं क
े दृष्टिगत पर्यावरणीय समस्याओं क
े कारण सामाजिक- राजनीतिक संघर्ष भी
बढ़े हैं एवं पर्यावरणीय न्याय का प्रश्न उपस्थित हुआ है। पर्यावरणवाद इन समस्याओं का दार्शनिक एवं
राजनीतिक समाधान प्रस्तुत करता है। दूसरे शब्दों में पर्यावरणवाद पर्यावरण क
े विभिन्न अंगों क
े साथ मानव क
े
संतुलित संबंधों की स्थापना का उद्देश्य रखता है और यह मानता है कि पर्यावरण क
े सभी अंगो का तालमेल इस
प्रकार होना चाहिए पृथ्वी की सततता बनी रहे। हालांकि इस संतुलन का परिणाम क्या होगा, यह विवाद का विषय
बना हुआ है जिसकी अभिव्यक्ति विभिन्न विचारधाराओं में होती है। पर्यावरण संबंधी चर्चाओं का स्वरूप बहुलवादी
है।पारिस्थितिकी वाद [ Ecologism], हरित राजनीति [ Green Politics], गहरा परिस्थितिकीवाद[ Deep
Ecology] , उथला पारिस्थितिकी वाद [ Shalow Ecology ] , मानव क
ें द्रीय वाद [ Anthropocentrism ]
,पर्यावरणीय महिला वाद [ Ecofeminism ] आदि कई अवधारणाओं क
े रूप में प्रचलित है। प्रमुख पर्यावरण वादी
विचारक है- एल्डो लियोपोल्ड, अरने नेज ,डोब्सन ,गुडिन , वंदना शिवा, ओ नेल , शूमाकर आदि।
पर्यावरणवाद को परिभाषित करते हुए कहा जा सकता है कि ‘’यह एक ऐसा सामाजिक आंदोलन है जो
राजनीतिक प्रक्रिया को लॉबिंग, कार्यवाही एवं शिक्षा क
े माध्यम से प्रभावित करना चाहता है ताकि पारिस्थितिकी
एवं प्राकृ तिक संसाधनों का संरक्षण हो सक
े ।’’
महत्वपूर्ण पुस्तक
ें - पर्यावरणीय चर्चाओं से संबंधित क
ु छ महत्वपूर्ण पुस्तक
ें इस प्रकार हैं-
1. Green History by D. Wall
2. Green Political Theory by Ball Terence
3. Environmental Politics by Hamphrey Mathew
4. Green Political Thought by Andrew Dobson
5. From The Death of Environmentalism To Politics of Possibility by Michel Shellenberger and
Ted Nordhavs.
इतिहास -
पर्यावरण संरक्षण क
े प्रति चेतना दुनिया क
े विभिन्न देशों में विभिन्न निकाल खंडों में नाना रूपों में विद्यमान
रही है। पूर्वी देशों क
े इतिहास का अवलोकन करने पर पता चलता है कि प्राचीन भारत क
े जैन और बौद्ध धर्म में
ईसा से छठी शताब्दी पूर्व महावीर स्वामी एवं गौतम बुद्ध की शिक्षा में पर्यावरण संरक्षण संबंधी मूल्य एवं
कार्यवाही मिलती है। जैसे- अहिंसा क
े माध्यम से जीवो की सुरक्षा, पृथ्वी क
े पर्यावरण का गठन करने वाले पांच
आधारभूत तत्वों क
े रूप में पृथ्वी ,जल, अग्नि ,आकाश एवं वायु का उल्लेख मिलता है। बौद्ध ग्रंथों में ऐसे
बोधिसत्व का वर्णन मिलता है इसका प्रत्येक कार्य पर्यावरण संरक्षण की चेतना से संयुक्त था। मध्य पूर्व क
े
इस्लामिक समाज में भी क
ु छ परंपराएं पर्यावरण अनुक
ू ल थी। जैसे- टोंटी युक्त जल पात्र का प्रयोग ताकि जल
का की बर्बादी रोकी जा सक
े । छठी शताब्दी मैं खलीफा अबू बकर ने अपनी सेना को आदेशित किया था कि वह
वृक्षों को नुकसान न पहुंचाएं और न ही उनमें आग लगाए। नौवीं एवं तेरहवीं शताब्दियों में बहुत सी ऐसी अरब
संधियों का उल्लेख मिलता है जिनमें प्रदूषण सहित पर्यावरणीय विज्ञान क
े मुद्दे उठाए गए। आधुनिक युग में
औद्योगिक क्रांति क
े बाद उद्योगों से होने वाले वायु प्रदूषण क
े विरोध में पर्यावरण संबंधी आंदोलन उदित हुआ ।
19वीं शताब्दी में उद्योगों से निकलने वाले रासायनिक कचरे ने समस्या को और गंभीर बना दिया। पर्यावरण
संरक्षण संबंधी पहला व्यापक कानून 1863 में ब्रिटेन में ‘Alkali Acts’ क
े रूप में सामने आया जिसक
े माध्यम से
वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने का प्रयास किया गया। The Coal Smoke Abatement Society’ क
े रूप में
1898 मे पहला पर्यावरण वादी गैर सरकारी संगठन अस्तित्व में आया जिसकी स्थापना विलियम ब्लेक रिचमंड
नामक कलाकार क
े द्वारा की गई । 1936 की स्पेनिश क्रांति क
े दौरान आंदोलनकारियों द्वारा जिस भूमि पर
कब्जा किया गया उसमें अनेक पर्यावरण वादी सुधार किए गए जैसे- विविधता युक्त फसलों का रोपण, सिंचाई,
जंगलों को पुनः लगाया जाना, जंगलों में रहने वाले जनसमुदाय की सहायता हेतु पौधों की नर्सरी शुरू किया जाना
आदि। 1952 में जब लंदन में ग्रेट स्मॉग हुआ था और पूरा शहर धुएं से भर गया था जिसक
े कारण लगभग
6000 लोगों की जान गई थी, तब 1956 में ‘क्लीन एयर एक्ट’ पास किया गया तथा कोयले का उपयोग न करने
वाले घरों को वित्तीय सुविधा प्रदान की गई । पहली बार पर्यावरण जनित जीवन क
े खतरे एवं जीवन की गुणवत्ता
कम होने पर ध्यान आकृ ष्ट हुआ। जंतु वैज्ञानिक अल्फ्र
े ड न्यूटन क
े शोध क
े आधार पर जानवरों को बचाने की
मुहिम शुरू हुई और इस दिशा में ‘रॉयल सोसायटी फॉर प्रोटेक्शन ऑफ बर्ड्स ‘ का गठन किया गया और ‘सी बर्ड
प्रिजर्वेशन एक्ट’ 1869 मे पारित किया गया।
19वीं शताब्दी में पर्यावरण संबंधी प्रथम आंदोलन यूरोप में प्रारंभ हुए रोमांटिक
आंदोलन में दिखाई दिया जिसमें कलाकारों, संगीतज्ञों एवं कवियों ने औद्योगिक क्रांति एवं पुनर्जागरण आंदोलन
में परिलक्षित तर्क वाद क
े विपरीत मनुष्य की भावनाओं को महत्व दिया। विलियम वर्ड्सवर्थ, रॉबर्ट हंटर,
ऑक्टेविया हिल, एवं जॉन रस्किन की रचनाओं में पर्यावरण वाद स्पष्ट दिखाई देता है। पीटर क्रोपोटकिन ने
पारिस्थितिकी , कृ षि विज्ञान आदि पर लेखन करते हुए निरीक्षण किया कि स्विट्जरलैंड क
े और साइबेरियन
ग्लेशियर औद्योगिक क्रांति क
े साथ-साथ पिघल रहे हैं । इसी क्रम में ‘बैक टू नेचर मूवमेंट’का प्रारंभ जॉन
रस्किन, जॉर्ज बर्नार्ड शॉ एवं विलियम मॉरिस द्वारा किया गया। इन बुद्धिजीवियों ने स्वीकार किया कि
उपभोक्तावाद एवं प्रदूषण प्राकृ तिक दुनिया क
े लिए घातक है। संयुक्त राज्य अमेरिका में जॉन मूर एवं डेविड थोरू
ने पर्यावरण वाद की दिशा में दार्शनिक योगदान दिया। अपनी पुस्तक ‘ वाल्डेन ‘ में उन्होंने मनुष्य एवं प्रकृ ति क
े
सह संबंधों पर जोर दिया । 1930 में जर्मन नाजीवाद को वन्यजीवों क
े अधिकारों का समर्थक पाया गया। 1949
में ‘ A Sand County Almanac’ क
े माध्यम से एल्डो लियोपोल्ड ने यह विचार व्यक्त किया कि मनुष्य प्रजाति
में अपने पर्यावरण क
े प्रति नैतिक सम्मान का भाव होना चाहिए और पर्यावरण को नुकसान पहुंचाना अनैतिक है।
‘सिएरा क्लब’ क
े रूप में पर्यावरण वादी समूहों का एक ऐसा संगठन बनाया गया जो नाना माध्यमों से पर्यावरण
चेतना फ
ै लाने का कार्य करता है। अमेरिकी जीव वैज्ञानिक राचेल कार्सन द्वारा 1952 में प्रकाशित ‘ साइलेंट
स्प्रिंग’ मे कृ षि कार्यों में क
े मिकल क
े प्रयोग की तरफ ध्यान आकर्षित किया गया. ‘ ग्रीनपीस’ एवं ‘फ्र
ें ड्स ऑफ द
अर्थ’ जैसे अमेरिकी दबाव समूह भी 1960 क
े दशक से सक्रिय है। यूरोप का पहला ग्रीन राजनीतिक दल 1973 में
ग्रेट ब्रिटेन में ‘ पीपल’ नाम से गठित हुआ जो बाद में इकोलॉजी पार्टी और फिर ग्रीन पार्टी क
े रूप में परिवर्तित हुआ।
विकासशील देशों में भी पर्यावरण आंदोलन कई मुद्दों को लेकर प्रारंभ
किया गया। भारत में ‘चिपको आंदोलन’ जंगलों की कटाई क
े विरोध में प्रारंभ हुआ जिसमें आंदोलनकारियों ने
गांधी की रणनीति को अपनाते हुए वृक्षों से चिपक कर उन्हें कटने से बचाया. ‘Ecology is permanent
economy’ इस आंदोलन का मुख्य नारा था जो अत्यधिक प्रभावी सिद्ध हुआ। पर्यावरण वादी आंदोलन का एक
मुख्य पड़ाव 1997 मे ‘अर्थ डे’ की घोषणा था। आज पृथ्वी दिवस अर्थ डे नेटवर्क क
े माध्यम से पूरी दुनिया में
मनाया जाता है। पर्यावरण संरक्षण की दिशा में प्रमुख अंतरराष्ट्रीय प्रयास 1972 में संपन्न हुआ ‘स्टॉकहोम
सम्मेलन’ था ।
21 वी शताब्दी में पर्यावरणवाद कई मुद्दों को लेकर सामने आया । धरती का
बढ़ता तापमान, अत्यधिक जनसंख्या वृद्धि, जेनेटिक इंजीनियरिंग एवं प्लास्टिक प्रदूषण आदि । इस दिशा में
हुए शोध से सिद्ध होता है कि 2000 क
े बाद अमरीकी लोग पर्यावरणीय मुद्दों क
े प्रति कम संवेदनशील हुए हैं
और इसकी मुख्य वजह 2008 की आर्थिक मंदी है। पहले जहां उनकी मान्यता थी आर्थिक विकास से पूर्व
पर्यावरण संरक्षण को प्राथमिकता मिलनी चाहिए, वही 2005 क
े बाद उनका मंतव्य है कि आर्थिक समृद्धि पहले,
पर्यावरण संरक्षण बाद में।
मूल मान्यताएं -
1. पर्यावरण की मानव क
ें द्रित विचारधारा का विरोध -
पर्यावरणवाद पश्चिम क
े इस दर्शन का विरोधी है कि प्रकृ ति क
े सभी जीवों में मनुष्य सर्वोत्तम है और प्राकृ तिक
संसाधनों पर मनुष्य का स्वामित्व है। प्राकृ तिक संसाधन मनुष्य की आवश्यकताओं की पूर्ति क
े लिए है। उनक
े
उपयोग का अधिकार मनुष्य क
े पास सर्वाधिक है। पर्यावरणीय विचारधारा की मान्यता है कि मनुष्य सभी
जीवधारियों और वनस्पतियों में विवेक युक्त होने क
े कारण अनुपम कृ ति ह। विवेक होने क
े कारण ही उससे यह
अपेक्षा की जाती है कि वह पर्यावरणीय संसाधनों का दोहन नहीं, बल्कि उनका उपयोग और संरक्षण करें ताकि
सतत विकास क
े लक्ष्य को प्राप्त किया जा सक
े । मनुष्य की जीवन शैली इस प्रकार की होनी चाहिए पर्यावरण क
े
विभिन्न घटकों में संतुलन बना रहे एवं सभ्यता गत विकास का लाभ सभी पीढ़ियों , समाज क
े सभी वर्गों एवं
पर्यावरण क
े सभी अवयवों को प्राप्त हो सक
े ।
2. सभी जीवधारियों एवं प्राकृ तिक संसाधनों क
े अस्तित्व का अधिकार की स्वीकृ ति-
पर्यावरण वाद की यह मान्यता है कि पर्यावरण का निर्माण प्राकृ तिक संसाधनों एवं जीव धारियों से मिलकर हुआ
है और ये सभी अपने अस्तित्व क
े लिए एक दूसरे पर निर्भर हैं। पर्यावरण क
े प्रत्येक अंग को जीवित रहने का
उतना ही महत्वपूर्ण अधिकार है जितना मनुष्य का है। इसी पर्यावरण वादी मान्यता क
े अनुसार विगत वर्षों में
भारतीय सर्वोच्च न्यायालय ने नदियों क
े जीवन क
े अधिकार को मान्यता प्रदान करते हुए निर्णय दिया और उसे
दूषित करने की प्रवृत्ति पर रोक लगाया। भारत की सांस्कृ तिक परंपरा में वृक्षों नदियों जानवरों और यहां तक कि
पत्थरों की पूजा को महत्व प्रदान करते हुए पर्यावरणीय संरक्षण वाद को प्रोत्साहित किया गया है।
3. उदार, निस्वार्थ, वैश्विक दृष्टिकोण से युक्त मानव का समर्थन-
पर्यावरण वादी चेतना क
े अंतर्गत एक ऐसे मानव की कल्पना की गई है जो प्रकृ ति की सभी जीवो एवं प्राकृ तिक
संसाधनों क
े प्रति उदार दृष्टिकोण अपनाएं, निस्वार्थ भाव से पर्यावरण का संरक्षण करें और वैश्विक दृष्टिकोण
अपनाते हुए यह भाव रखे कि यह पृथ्वी एक है और इसक
े संरक्षण क
े लिए सभी को समन्वित प्रयास करना होगा
। पर्यावरण क्षरण क
े नुकसान से मनुष्य अछ
ू ता नहीं रह सकता। पर्यावरणीय समस्याओं क
े कारण उसका जीवन
भी कालांतर में दांव पर लग सकता है।
4. पर्यावरणीय न्याय की मांग-
पर्यावरण वादी विचारधारा पर्यावरण से मिलने वाले लाभ एवं हानि का न्याय संगत वितरण किए जाने की
सिफारिश करती है। उल्लेखनीय है समाज में वर्ग विभाजन की स्थिति क
े अंतर्गत पर्यावरण से होने वाले लाभ का
भागीदार उच्च वर्ग अधिक है, जबकि पर्यावरणीय संकट से होने वाली हानियां उसक
े द्वारा कम उठाई जाती है।
अपने संसाधनों क
े बल पर वह जलवायु परिवर्तन एवं धरती क
े बढ़ते तापमान का सामना करने में अपेक्षाकृ त
अधिक सक्षम होता है, जबकि समाज का जो हाशिये पर रहने वाला वर्ग है,उसे पर्यावरण से मिलने वाला लाभ
कम मिलता है एवं हानि ज्यादा उठानी पड़ती है। उदाहरणार्थ- समुचित आवास न होने क
े कारण उसे सर्दी, गर्मी
व बरसात अधिक झेलनी पड़ती है, अतिवृष्टि क
े कारण विस्थापन झेलना पड़ता है तथा इसक
े कई अन्य
सामाजिक- आर्थिक दुष्प्रभाव होते हैं। पर्यावरणवादी यह मानते हैं कि न्याय की प्राप्ति सभी जीवो और प्राकृ तिक
संसाधनों का अधिकार है।
5. पर्यावरण संरक्षण एक नागरिक दायित्व-
एक राजनीतिक विचारधारा क
े रूप में पर्यावरणवाद यह मानता है कि पर्यावरण को सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी
प्राथमिक तौर पर प्रत्येक नागरिक की है। सरकार या क
ु छ संगठन मिलकर अक
े ले ही पर्यावरण संरक्षण जैसे गुरु
तर कार्य को संपन्न करने में सफल नहीं हो सकते, जब तक कि प्रत्येक देश का प्रत्येक नागरिक इस तथ्य क
े प्रति
सजग न हो कि स्वच्छ, सुरक्षित पर्यावरण जैव विविधता की रक्षा एवं स्वयं मनुष्य क
े अस्तित्व क
े लिए आवश्यक
है।सजगता क
े साथ उसे छोटे -छोटे स्तर पर पर्यावरण संरक्षण संबंधी पहल करनी होगी। इस प्रकार पर्यावरण वाद
पर्यावरण क
े प्रति चेतनशील एवं प्रयत्नशील हरित नागरिकता [ Green Citizenship ] क
े विकास पर जोर देता
है।
6.पर्यावरण संरक्षण हेतु विकसित देशों की जिम्मेदारी ज्यादा-
पर्यावरणवादी चर्चा इस तथ्य क
े प्रति सचेत है कि राजनीतिक कारणों से दुनिया क
े बड़े विकसित देश
विकासशील देशों पर आरोप लगाते हैं कि जनसंख्या की अधिकता एवं पर्यावरण संरक्षण क
े अनुक
ू ल व्यवहार न
होने क
े कारण पर्यावरणीय हानि क
े लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार विकासशील देश ही है। दूसरी तरफ विकासशील
देशों का तर्क यह है कि कम जनसंख्या क
े बावजूद 80% प्राकृ तिक संसाधनों का उपभोग विकसित देशों क
े द्वारा
किया जाता है , अतः परमाणु तकनीक एवं अन्य पर्यावरण की दृष्टि से अनुक
ू ल तकनीकों का प्रयोग न करने क
े
कारण विकसित देश पर्यावरणीय संकट क
े लिए कहीं अधिक जिम्मेदार हैं। वे विज्ञान और तकनीक का सहारा
लेकर निरंतर भौतिक विकास कर रहे हैंऔर दिनोंदिन जीवन शैली क
े उच्च स्तर को प्राप्त कर रहे हैं, जबकि
विकासशील देश अपने विकास क
े लिए यदि विज्ञान और तकनीक का सहारा लेते हैं विशेष रूप से परमाणु तकनीक
का तो वे उन पर प्रतिबंध लगाते हैं। पर्यावरणवादी विचारधारा इस बहस में विकासशील देशों का पक्ष लेती है और
यह मानती है कि अधिक साधन संपन्न होने क
े कारण और विश्व में संतुलित विकास तथा गरीबी निवारण क
े
उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए विकसित देशों को पर्यावरण संरक्षण की अधिक जिम्मेदारी लेनी होगी।
7. पर्यावरण संरक्षण हेतु संगठित जनतांत्रिक प्रयत्नों पर बल -
पर्यावरण वादी विचारधारा पर्यावरणीय समस्याओं क
े समाधान हेतु संगठित, किन्तु जनतांत्रिक प्रयत्नों पर बल
देती है। यह स्थानीय स्तर पर ग्राम पंचायतों, शिक्षण संस्थानों एवं गैर सरकारी संगठनों क
े सम्मिलित सहयोग
को आवश्यक समझती है। विद्यालयों एवं महाविद्यालयों में विभिन्न अवसरों पर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित
कर, रैलियों क
े माध्यम से आसपास क
े ग्रामों क
े लोगों को सचेत कर एवं अध्ययन तथा शोध क
े माध्यम से
पारंपरिक समाजों की पर्यावरण मैत्रीपूर्ण परंपराओं को पुनर्जीवित एवं प्रोत्साहित कर पर्यावरण संरक्षण क
े लक्ष्य को
प्राप्त किया जा सकता है।
8. विज्ञान और तकनीक क
े माध्यम से ही पर्यावरणीय समस्याओं का निदान संभव-
उत्तर आधुनिक विचारकों क
े द्वारा अक्सर विज्ञान और तकनीक को पर्यावरणीय समस्याओं क
े लिए जिम्मेदार
ठहराया जाता है। वैज्ञानिक एवं तकनीकी आविष्कारों क
े कारण बढ़ते उपभोक्तावाद ने प्राकृ तिक संसाधनों पर
भारी दबाव डाला है, जिसक
े कारण पर्यावरणीय असंतुलन जनित अनेक समस्याएं उदित हुई है, ऐसी आमतौर पर
मान्यता है। किं तु पर्यावरण वाद विज्ञान और तकनीक को सभ्यतागत विकास का प्रमुख आयाम मानता है और
यह प्रस्तावित करता है कि पर्यावरणीय समस्याओं का निदान भी विज्ञान और तकनीक क
े माध्यम से ही संभव है।
निसंदेह विज्ञान और तकनीक का एक पक्ष ऐसा है जो पर्यावरण क
े लिए नुकसान देह सिद्ध हो रहा है,किन्तु
जीवन शैली की दिशा में अब पीछे जाना संभव ही नहीं है और न ही वांछनीय ,अतः पर्यावरण संरक्षण की
तकनीकों क
े आविष्कार और प्रयोग को अधिकाधिक प्रोत्साहित किया जाना चाहिए ।
पर्यावरण संबंधी प्रमुख धारणायें या सिद्धांत
पर्यावरणीय आंदोलन समसामयिक दौर में कई धारणाओं एवं प्रवृत्तियों पर आधारित है। इनमें से क
ु छ प्रमुख इस
प्रकार है-
● मुक्त बाजार आधारित पर्यावरणवाद - [Market based Environmentalism]यह सिद्धांत मुक्त
बाजार एवं संपत्ति संबंधी अधिकारों को पर्यावरण संरक्षण का सर्वोत्तम साधन मानता है। साथ ही
प्राकृ तिक रूप से पर्यावरण क
े संरक्षण पर जोर देने क
े साथ व्यक्तिगत एवं वर्गीय प्रयत्नों क
े माध्यम से
प्रदूषण फ
ै लाने वालों क
े विरुद्ध कठोर कार्यवाही पर जोर देता है।
● ईसाई पर्यावरणवाद - [Evangelical Environmentalism]
संयुक्त राज्य अमेरिका में संचालित आंदोलन ईसाई धर्म क
े मूल्यों क
े आधार पर पर्यावरण क
े संरक्षण
की जिम्मेदारी मनुष्य की मानता है। हालांकि इस आंदोलन की इस कारण से आलोचना की जाती है कि
यह धर्म विशेष क
े मूल्यों पर ही बल देता है।
● सुरक्षा एवं संरक्षण आधारित पर्यावरणवाद - [ Preservation and Conservation based
Environmentalism]
अमेरिका एवं ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों तक विस्तृत यह आंदोलन प्राकृ तिक संसाधनों क
े क्षरण का मूल
कारण मनुष्य की गतिविधियों को मानता है। जैसे- जनसंख्या का घनत्व, खनिज पदार्थों क
े लिए खुदाई,
शिकार और मछली पालन। इन गतिविधियों क
े स्थान पर आंदोलन नई मानवीय गतिविधियों जैसे
पर्यटन एवं मनोरंजन तथा नए नियमों और कानूनों क
े निर्माण की आवश्यकता पर बल देता है ताकि
प्राकृ तिक संसाधनों का संरक्षण किया जा सक
े ।
● उग्र पर्यावरणवाद -[ Radical Environmentalism]
जैसा कि सुपरमैन क्रिस्टोफर मेंस ने लिखा है कि यह एक नए तरह की पर्यावरणीय कार्यवाही है जो
पर्यावरण संरक्षण की पारंपरिक नीतियों से असंतुष्ट है। उग्र पर्यावरण वादी पश्चिम की धर्म और दर्शन
संबंधी धारणाओं जिसमें पूंजीवाद, पितृसत्तावाद एवं वैश्वीकरण भी सम्मिलित है, पर पुनर्विचार की
आवश्यकता पर बल देते हैं। इस आंदोलन की विशेषता यह है कि यह नेतृत्व विहीन संगठनों जैसे अर्थ
फर्स्ट, अर्थ लिबरेशन आर्मी, अर्थ लिबरेशन फ्र
ं ट द्वारा संचालित है जो प्रत्यक्ष कार्यवाही में विश्वास रखते
हैं ।
● पर्यावरणवादी आधुनिकतावाद- [Modernist Environmentalism] 2013 से प्रयोग मे लाए जा रहे
पर्यावरण संबंधी इस दर्शन की विशेषता यह है कि यह तकनीकी विकास को आर्थिक प्रगति क
े साथ-साथ
प्रकृ ति एवं सभ्यता क
े संरक्षण हेतु आवश्यक मानता है । यह कृ षि की आधुनिक तकनीकों, एक्वेरियम
फॉर्म, पानी को प्रदूषण मुक्त करना, कचरे का प्रबंधन एवं नगरीकरण का समर्थक है। तकनीक क
े प्रयोग
से खेती योग्य भूमि का कम से कम प्रयोग करक
े अधिक से अधिक भूमि वन्यजीवों क
े लिए छोड़ी जा
सकती है,ऐसी इसकी मान्यता है । 2015 में आधुनिक पर्यावरणवादी विचारकों ने एक घोषणा पत्र
प्रकाशित करक
े कार्य योजना को लागू करने का संकल्प लिया ।
● गहरा पर्यावरण वाद- ( Deep Ecology ) नॉर्वे क
े दार्शनिक अरने नेज द्वारा प्रतिपादित यह एक
पर्यावरणवा दी दर्शन एवं सामाजिक आंदोलन है जो पारंपरिक रूप में प्रचलित इस धारणा का विरोधी है कि
प्राकृ तिक संसाधनों का महत्व क
े वल मनुष्य मात्र क
े जीवन क
े लिए है और मनुष्य को उसक
े उपयोग का
सर्वोच्च अधिकार है। इसक
े स्थान पर इसकी प्रस्थापना यह है कि प्रकृ ति का अपना एक अलग मूल्य है
तथा पर्यावरणीय नैतिकता एवं न्याय का तकाजा है कि मनुष्य पर्यावरण क
े संरक्षण का दायित्व ले ,
पर्यावरण का निर्माण करने वाले सभी तत्वों क
े अस्तित्व एवं अधिकार को स्वीकार करें एवं प्रकृ ति क
े
साथ एक सद्भावना पूर्ण संबंध स्थापित करें। आरने नेज का आग्रह है कि पर्यावरण संरक्षण हेतु
मनुष्य स्वभाव का पुनर्मूल्यांकन किया जाना अत्यंत आवश्यक है। मनुष्य क
े स्वत्व की व्याख्या
पारंपरिक रूप में गलत ढंग से की गई है जिसक
े कारण मनुष्य अपने अहम भाव क
े कारण प्रकृ ति से
अलग-थलग हो गया है । अतः आवश्यकता इस बात की है कि मनुष्य क
े स्वभाव को इस ढंग से समझा
जाए कि उसका प्रकृ ति क
े अन्य जीव धारियों क
े साथ अमूल्य एवं अभिन्न संबंध है ।
1984 में नेज एवं सेशन ने पर्यावरण संरक्षण हेतु 8 सिद्धांतों का
प्रतिपादन किया, जो इस प्रकार है-
1. पृथ्वी पर मानवीय एवं गैर मानवीय जीवन की खुशहाली एवं समृद्धि का अपना एक अलग मूल्य है
जो उस मूल्य से स्वतंत्र है जिसक
े अंतर्गत गैर मानवीय दुनिया को मनुष्य क
े उद्देश्यों की पूर्ति क
े लिए
उपयोग में लाया जाता है।
2. पृथ्वी पर जीव धारियों की विविधता एवं समृद्धि पर्यावरण संबंधी दार्शनिक मूल्यों की प्राप्ति में
योगकारक है।
3. मनुष्य को अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति क
े लिए जैव विविधता का नाश करने का अधिकार नहीं है।
4. वर्तमान में प्रकृ ति मे मनुष्य का हस्तक्षेप अत्यधिक बढ़ गया है जिसक
े कारण स्थिति दिनों दिन
बदतर होती जा रही है।
5. मानव जीवन और सभ्यता क
े विकास क
े लिए आवश्यक है कि मानवीय जनसंख्या में कमी लाई
जाए। अन्य जीवधारियों क
े जीवन क
े लिए जनसंख्या में कमी आवश्यक है।
6. आधारभूत आर्थिक, तकनीकी एवं विचारधारा गत संरचनाओं को प्रभावी बनाने क
े लिए नीतियों में
परिवर्तन आवश्यक है।
7. विचारधारा क
े आधार पर यह परिवर्तन आवश्यक है कि जीवन स्तर को उच्च बनाने क
े बजाय जीवन
की गुणवत्ता में वृद्धि की जाए।
8. जो लोग उक्त मूल्यों में विश्वास रखते हैं उनका यह दायित्व बनता है कि वे प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से
इन सिद्धांतों क
े क्रियान्वयन में भागीदार बने।
● उथला पर्यावरणवाद- ( Shallow Environmentalism ) उथला पर्यावरण वाद वह दार्शनिक-
राजनीतिक विचारधारा है जिसकी मान्यता है कि पर्यावरण का संरक्षण उसी सीमा तक किया जा सकता
है , जहां तक वह मानवीय आवश्यकताओं की पूर्ति में बाधक न बने। यह पर्यावरण क
े विषय में किसी
क्रांतिकारी परिवर्तन का समर्थक न होकर प्रदूषण एवं प्राकृ तिक संसाधनों क
े क्षरण को रोकने क
े प्रति
ज्यादा उत्साहित है। यह मनुष्य की वर्तमान जीवन शैली को बनाए रखना चाहता है, किं तु इसक
े साथ
पर्यावरण का कम से कम नुकसान हो, इस ओर भी यह ध्यान आकर्षित करता है।
● मानवक
ें द्रित पर्यावरणवाद -( Anthropocentrism )
यह पर्यावरणवाद का वह रूप है जो मनुष्य को प्रकृ ति का स्वामी समझता है प्रकृ ति क
े अन्य जीव-जंतुओं
एवं संसाधनों को मनुष्य क
े उद्देश्य की पूर्ति का माध्यम मात्र समझता है। यह धारणा पश्चिम क
े धर्म
और दर्शन पर आधारित है। बाइबिल में इस बात का उल्लेख मिलता है कि मनुष्यों की रचना ईश्वर की
प्रतिनिधि क
े रूप में की गई और उसे धरती पर वर्चस्व स्थापित करने का निर्देश दिया गया। अरस्तु की
पॉलिटिक्स एवं कांट क
े नैतिक दर्शन में भी सभी जीव धारियों में मनुष्य की सर्वोच्चता का विचार मिलता
है। मानव क
ें द्रित दृष्टिकोण में विश्वास रखने वाले दार्शनिक इस बात से इनकार करते हैं की धरती क
े
संसाधन सीमित हैं और यदि मानव जनसंख्या में वृद्धि को रोका नहीं गया पृथ्वी की भरण- पोषण की
क्षमता प्रभावित होगी जिसका परिणाम युद्ध एवं दुर्भिक्ष होगे। यह विचारक यह मानते हैं कि पर्यावरण
संकट को बढ़ा -चढ़ा कर पेश किया जा रहा है और यदि वास्तव में यह संकट है भी तो इसका निदान
तकनीकी विकास क
े माध्यम से किया जा सकता है। उनकी दृष्टि में पर्यावरण को सुरक्षित रखने क
े लिए
किसी वैधानिक या व्यवहारिक नियंत्रण की जरूरत नहीं है। यह भी संभव है कि मानव क
ें द्रीयता क
े साथ
ही पर्यावरण संरक्षण की बात भी सोची जाय । मनुष्य होने क
े नाते मनुष्य का पर्यावरण क
े प्रति दायित्व
बनता है,किं तु इसे इस संदर्भ में भी देखा जाना चाहिए कि पर्यावरणीय प्रदूषण क
े कारण न क
े वल
जीव-जंतुओं बल्कि दूसरे मनुष्यों का भी जीवन का अधिकार नकारात्मक रूप से प्रभावित हो रहा है।
1970 क
े दशक में धर्म शास्त्री और दार्शनिक होम्स रोल्सटन थर्ड ने इस दृष्टिकोण में एक नया आयाम
जोड़ते हुए यह बताया मनुष्य का यह नैतिक दायित्व है कि वह जैव विविधता की रक्षा करें । यदि ऐसा
करने में विफल रहते हैं, तो यह ईश्वर की सृष्टि का अपमान होगा। पर्यावरणवादी विचारक मानव को
सर्वोच्च मानने वाले इस दर्शन को नैतिक दृष्टि से गलत और सभी पर्यावरणीय समस्याओं की जड़
मानते हैं।
● महिलावादी पर्यावरणवाद - ( Ecofeminism)
महिला वादी पर्यावरण बाद मानव क
ें द्रित पर्यावरण बाद क
े स्थान पर पुरुष क
ें द्रित पर्यावरण बात को
पर्यावरण क
े चरण का सबसे बड़ा कारण मानता है। पारंपरिक रूप में जिस प्रकार समाज में पुरुष सत्ता
पाई जाती है वही सत्ता प्रकृ ति पर भी वर्चस्व स्थापित करती है। जैसे पुरुषों ने महिलाओं पर शासन किया
है वैसे ही वे प्रकृ ति को भी अपनी अनुगामिनी बनाना चाहते हैं।
इकोफ
े मिनिज्म को फ
े मिनिज्म की एक शाखा माना जाता है। इस शब्द
को फ्रांसीसी नारीवादी फ्र
ैं को इबोन ने 1974 में गढ़ा था । यह दर्शन नारी और प्रकृ ति में एक समानता
देखता है और यह मानता है कि ऐतिहासिक रूप से पुरुष ने स्त्री और प्रकृ ति दोनों को अपने दमन का
शिकार बनाया है। दोनों को अक्सर अराजकतावादी एवं अतार्कि क क
े रूप में चित्रित किया गया है जिन
को नियंत्रित करने की आवश्यकता है, जबकि पुरुष सुव्यवस्थित और तार्कि क है जो नारी और प्रकृ ति
दोनों को नियंत्रित करने में सक्षम है। इकोफ
े मिनिज्म क
े संस्थापकों में से एक रोजमेरी रेदर ने यह विचार
दिया यदि स्त्रियों को स्वतंत्रता चाहिए तो उन्हें प्रकृ ति पर पुरुष क
े वर्चस्व को तोड़ने की दिशा में कार्य
करना होगा। उन्होंने पर्यावरण वादियों एवं नारी वादियों को मिलकर कार्य करने की सलाह दी ताकि
पितृसत्ता क
े पारंपरिक पदसोपान को तोड़ा जा सक
े ।
1980 क
े दशक क
े अंत में इकोफ
े मिनिज्म एक लोकप्रिय आंदोलन बन गया
और इसका श्रेय एन्सट्र किं ग को दिया जाता है जिन्होंने अपनी पुस्तक ‘ व्हाट इज इकोफ
े मिनिज्म’ क
े
माध्यम से इस धारणा को लोकप्रिय बनाया। आगे चलकर महिला पर्यावरण वादी दो भागों में विभाजित
हो गए- उग्र महिला पर्यावरण वादी एवं सांस्कृ तिक महिला पर्यावरण वादी। उग्र पर्यावरण वादियों क
े
अनुसार पितृसत्तात्मक समाज मनुष्य और प्रकृ ति क
े बीच समानता दोनों को कमतर बताने क
े लिए देखता
है, जबकि दूसरी ओर सांस्कृ तिक पर्यावरण वादी महिलाओं और प्रकृ ति क
े मध्य संबंधों को प्रोत्साहित
करना चाहते हैं और यह मानते हैं की महिलाओं का प्रकृ ति क
े साथ संबंध समाज में उनकी लिंग आधारित
भूमिका से मेरे रखता है। जैसे प्रकृ ति क
े समान ही महिलाओं को भी परिवार में पोषण करता माना जाता
है, अतः महिलाएं स्वभाव से प्रकृ ति क
े प्रति ज्यादा संवेदनशील बन जाती है। महिलाओं एवं प्रकृ ति को
देवी क
े रूप में पूजा जाना सांस्कृ तिक महिला पर्यावरण वाद का द्योतक है।
● प्रोमिथियनिसम - ( Promethianism)-यह पर्यावरण संबंधी वह धारणा है जिस की यह मान्यता है
कि पृथ्वी क
े संसाधन मनुष्य की आवश्यकताओं की पूर्ति क
े लिए हैं एवं पर्यावरणीय समस्याओं का
समाधान मानवीय आविष्कारों क
े माध्यम से ही किया जा सकता है। इस धारणा को सिद्धांत कार जॉन
डेरकने अपनी पुस्तक ‘पॉलिटिक्स ऑफ द अर्थ; एनवायरमेंटल डिसकोर्सेज’[ 1997] मे प्रतिपादित
किया। यह गहरी पर्यावरणवादी धारणा से भिन्न है।
● पर्यावरणवादी फासीवाद ( Ecofascism)-पर्यावरणवादी फासीवाद क
े अंतर्गत ऐसे जनसमूह को
सम्मिलित किया जाता है जो पर्यावरण संरक्षण की नीतियों को लागू करने क
े लिए कठोर सत्तात्मक
साधनों का सहारा लिए जाने की बात करते हैं। इसक
े अंतर्गत एक ऐसी सरकार की कल्पना की जाती है
जो लोगों की आवश्यकता और स्वतंत्रता से अधिक महत्व पर्यावरणीय नीतियों को दे और उन्हें बलपूर्वक
लागू करे । राजनीतिक जीवन क
े क्षेत्र में 1970 क
े दशक में एंडरे गॉर्ज क
े द्वारा इस धारणा का प्रयोग
किया गया जो निरंक
ु शता वादी राजनीति का प्रतीक बना जिसमें सरकार और राजनीति क
े वल और क
े वल
पर्यावरण अभिमुख होती है ,ऐसी राजनीति कठोर दक्षिणपंथी मानी जाती है जिसमें पर्यावरण संबंधित
समस्याओं का मूल कारण जनसंख्या वृद्धि को माना जाता है और उसे नियंत्रित करने क
े लिए आव्रजन
नीतियों को कठोरता पूर्वक लागू किया जाता है और अपने चरम रूप में अल्पसंख्यक समूहों क
े नरसंहार
से भी परहेज नहीं किया जाता है । जिम्मर्न ने जर्मन राष्ट्रीय समाजवाद को पर्यावरण वादी फासीवाद की
श्रेणी में सम्मिलित किया है जिसका क
ें द्रीय नारा ‘ ब्लड एंड लैंड’ था। अपनी पुस्तक ‘बर्निंग अर्थ’ मे मुरे
ने यह बताने का प्रयास किया है कि किस प्रकार जलवायु परिवर्तन संबंधी बहस अप्रत्यक्ष रूप से
प्रजातिवाद को प्रोत्साहित कर रही है। इसी प्रकार क
े ल्विन क्लें ने कोविड-19 क
े दौरान लॉकडाउन की
स्थिति में जल चरों एवं वन चरों की स्वतंत्र गतिविधियों क
े वायरल हुए वीडियो का हवाला देते हुए
बताया कि क
ै से इस दौर में मनुष्य को ही प्रकृ ति क
े सबसे बड़े वायरस क
े रूप में प्रस्तुत किया गया। ऐसे
विचार फासीवादी विचार धारा को पुष्ट करने वाले थे ।
● ग्रीन अराजकतावाद ( Green Anarchism)-
ग्रीन अराजकतावाद अराजकतावादी विचारधारा की एक शाखा है जो पर्यावरणीय समस्याओं का समाधान
औद्योगिकरण से पूर्व क
े समाज में वापस जाने को मानती है। विज्ञान, तकनीक और औद्योगिकरण को
सामाजिक अलगाव का कारण मानते हुए यह उसे समाप्त करने की पक्षधर है एवं जलवायु परिवर्तन की
समस्या का एकमात्र समाधान अराजकतावाद में मानती है जैसा कि मोरे बुकचिन एवं एलेन कार्टर का
भी अभिमत है। अराजकतावादियों ने विभिन्न स्वैच्छिक संगठनों जैसे- ‘अर्थ फर्स्ट’ ‘अर्थ लिबरेशन
आर्मी’ आदि क
े माध्यम से मांस एवं डेयरी उद्योग, जानवरों पर परीक्षण की जाने वाली प्रयोगशालाओं
और जेनेटिक इंजीनियरिंग की सुविधाओं पर प्रत्यक्ष कार्यवाही क
े माध्यम से प्रहार किया है.
● पर्यावरणवादी समाजवाद ( Eco Socialism )-
सामाजिक पर्यावरण वादियों की यह मान्यता है कि प्राकृ तिक असंतुलन की समस्या सामाजिक
असंतुलन से उपजी है। समाज में क
ु छ वर्ग, लिंग और प्रजातियों क
े लोग शक्ति का प्रयोग करते हैं और
बहुसंख्यक लोग सत्ता से वंचित रहते हैं जिसक
े कारण गरीबी और अपराध जैसी सामाजिक समस्याएं
जन्म लेती है । जब तक इन समस्याओं का समाधान नहीं किया जाता, तब तक पर्यावरण क
े नुकसान की
भरपाई नहीं की जा सकती। सामाजिक पारिस्थितिकी मुरी बुक चिन क
े विचारों से नजदीकी संबंध रखती
है और अराजकतावादी पीटर क्रोपोटकिन से प्रभावित है। 1970 क
े दशक में ऑस्ट्रेलियन मार्क्सवादी
विचारक एलन रॉबर्ट ने यह विचार व्यक्त किया कि लोगों की अपूर्ण आवश्यकताएं उपभोक्तावाद को
प्रोत्साहित करती है, टेड ट्रेनर जैसे विचारक ने समाजवादियों से एक ऐसी व्यवस्था स्थापित करने हेतु
पहल करने की अपील की जो मानवीय आवश्यकताओं को पूर्ण कर सक
े , न कि इच्छाओं को। 90 क
े दशक
में आगे चलकर समाजवादी नारी वादियों मेरी मेलर एवं एरियल सालेह आदि ने पर्यावरणीय मुद्दों को
समाजवाद क
े परिपेक्ष में प्रस्तुत किया। वैश्वीकरण क
े विरुद्ध चल रहे आंदोलन ने ‘ग्लोबल साउथ’ एवं
‘गरीबों क
े लिए पर्यावरणवाद’ जैसे आंदोलनों को जन्म दिया जो पर्यावरणीय न्याय की मांग करते हैं।
1994 में डेविड पेपर की महत्वपूर्ण पुस्तक ‘ इको सोशलिज्म; फ्रॉम दीप ईकालजी टू सोशल जस्टिस’’
प्रकाशित हुई जिसमें पारंपरिक पर्यावरण विदों विशेष रूप से गहरे पर्यावरण वाद से संबंधित विचारों की
आलोचना की गई। वर्तमान में दुनिया में कई ग्रीन पार्टी जैसे -’डच ग्रीन लेफ्ट पार्टी’’ रेड ग्रीन एलाएन्स’
आदि पर हरित समाजवाद का प्रभाव दिखाई देता है । बोलीविया का संविधान जो 2009 में लागू हुआ,
दुनिया का एकमात्र ऐसा संविधान है जो हरित समाजवाद क
े सिद्धांतों पर आधारित है।
पर्यावरण वादी समाजवादी पर्यावरणीय समस्याओं क
े लिए पूंजीवादी व्यवस्था को उत्तरदाई समझते है
और पर्यावरणीय संकट क
े समाधान से पहले सामाजिक न्याय की समस्या को हल करने की अपेक्षा रखते
है। अंग्रेज उपन्यासकार विलियम मॉरिस को हरित समाजवाद क
े सिद्धांतों क
े प्रतिपादन का श्रेय
दिया जाता है। यह विचारधारा परंपरागत पर्यावरण वादियों की तुलना एक तरबूज से करती है जो ऊपर
से हरा दिखाई देता है किं तु अंदर लाल होता है। पर्यावरण वादी भी ऊपरी तौर पर स्वयं को पर्यावरण
संरक्षण का हिमायती बताते हैं, किं तु अंदर ही अंदर पूंजीवादी अर्थव्यवस्था का समर्थन करते हैं। ये
समाजवादी एक ऐसे समाज की स्थापना करना चाहते हैं जिसमें मानवीय आवश्यकताओं की पूर्ति को
प्राथमिकता दी जाए। साथ ही मनुष्य का प्रकृ ति क
े अन्य जीव धारियों क
े साथ सद्भावना पूर्ण संबंधों का
विकास भी किया जाए। उत्पादन क
े साधनों पर सामूहिक स्वामित्व की स्थापना क
े माध्यम से ही इस
लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है। पर्यावरण वादी समाजवादी राज्य क
े स्वामित्व में गठित समाजवादी
व्यवस्था क
े आलोचक हैं क्योंकि इस व्यवस्था में नौकरशाही सत्ता क
े माध्यम से राज्य का वर्चस्व
स्थापित हो जाता है, अतः यह स्वतंत्र रूप से संगठित उत्पादक समूहों क
े माध्यम से प्रजातिगत लिंगगत
भेद को समाप्त कर एक समता पूर्ण ,न्याय पूर्ण समाज की स्थापना करना चाहते हैं। इनकी रणनीति
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जमीन से जुड़े लोगों और समूहों का नेटवर्क स्थापित कर अहिंसक तरीक
े से समाज
में क्रांतिकारी बदलाव लाने की है।
● पर्यावरणवादी राष्ट्रवाद-( Eco Nationalism )
यह राष्ट्रवाद की वह धारा है जो राष्ट्रवाद को पर्यावरण संरक्षण क
े संदर्भ में परिभाषित करती है और
राज्य क
े नागरिकों से अपेक्षा करती है कि वे पर्यावरण की रक्षा कर मातृभूमि क
े प्रति लगाव प्रदर्शित करें।
डॉसन क
े अनुसार ‘’ हरित राष्ट्रवाद पर्यावरण वाद, राष्ट्रीय पहचान एवं न्याय क
े लिए संघर्ष का एक
समन्वित रूप है। ‘’ वंचित वर्ग एवं सांस्कृ तिक मानव शास्त्र की दृष्टि से हरित राष्ट्रवाद किसी देश की
देशज वनस्पतियों, प्राणियों एवं मानव समुदायों की पहचान करता है और उनक
े संरक्षण हेतु कानून
बनाने की अपील करता है। हरित राष्ट्रवाद दो रूपों में दिखाई देता है- नृजातीय राष्ट्रवाद एवं नागरिक
राष्ट्रवाद। प्रथम का यह विश्वास है कि राष्ट्र राज्य का गठन एक प्रजाति क
े आधार पर किया जाना
चाहिए, जबकि नागरिक राष्ट्रवाद यह मान्यता है कि राष्ट्र राज्य विविधताओं से युक्त मानव समूहों का
समन्वित रूप है।ऐसे समूह जिनक
े मूल्य, विश्वास एवं संस्कृ ति एक समान हैं। हरित राष्ट्रवाद की
अभिव्यक्ति वर्तमान में हरित पर्यटन क
े रूप में हो रही है। राष्ट्रवादी कवियों की कविताएं एवं चित्रकारों क
े
चित्र इस प्रकार क
े राष्ट्रवाद क
े अन्य उदाहरण है।
आलोचनात्मक मूल्यांकन- 20 वीं शताब्दी में पर्यावरणवादी आंदोलन अत्यधिक लोकप्रिय हुआ जब इसका क
ें द्र
बिंदु वन्य जीवन का संरक्षण था , किन्तु वर्तमान समय में कई आधारों पर इसकी आलोचना की जाती है। इनमें
से क
ु छ प्रमुख इस प्रकार है-
1. यह एक अभिजन वादी आंदोलन है जो उच्च मध्यम वर्ग क
े श्वेत लोगों द्वारा प्रारंभ किया गया। अपने द्वारा
की गई पर्यावरण संबंधी कार्यवाही की प्रशंसा में इस आंदोलन ने जंगलों में रहने वाली जनजातियों क
े पर्यावरण
संरक्षण संबंधी प्रयत्न को नजरअंदाज किया।
2. पर्यावरण संरक्षण संबंधी प्रयत्न क
े एकांगी स्वरूप क
े कारण क बहुत से अल्पसंख्यक समुदायों को
आजीविका से हाथ धोना पड़ा।
3. पर्यावरणवादी पर्यावरण संरक्षण क
े नाम पर मनुष्य द्वारा प्रकृ ति में कम से कम हस्तक्षेप क
े समर्थक हैं ,
जबकि आलोचकों की मान्यता है कि मनुष्य का प्रकृ ति क
े साथ जितना अधिक भावनात्मक लगाव होगा, वह
उतना ही उसक
े संरक्षण क
े प्रति उद्यम शील होगा। अतः मनुष्य को प्रकृ ति में सकारात्मक भाव से अत्यधिक
हस्तक्षेप करने की आवश्यकता है।
4. अमेरिकी लेखक फिल्म निर्देशक माइकल क्रिप्टन ने पर्यावरणवाद की यह कहकर आलोचना की कि यह धर्म
प्रेरित अधिक है, न कि तथ्य आधारित। जलवायु परिवर्तन एक प्राकृ तिक घटना है जो सदियों से चली आ रही है
और प्रकृ ति में स्वयं संतुलन की क्षमता है, इसक
े लिए किसी खास प्रयत्न की आवश्यकता नहीं है, ऐसा तर्क उनक
े
द्वारा दिया गया है।
5. आलोचकों ने गहरे पर्यावरणवाद की आलोचना करते हुए कहा है कि यह आंदोलन एक धार्मिक विश्वास क
े रूप
में ज्यादा है न कि पर्यावरणीय मुद्दों पर एक तार्कि क सोच क
े रूप में। महिला पर्यावरण वादियों एवं सामाजिक
पर्यावरण वादियों ने गहरे पर्यावरणवाद की इस आधार पर आलोचना की है कि यह दर्शन प्रामाणिक नही है और
लिंग, वर्ग एवं प्रजाति जैसे मुद्दों पर कोई सार्थक चर्चा नहीं करता है।
References & Suggested Readings
● Environmental Philosophy,Encyclopaedia Britannica,http//britannica.com
● Green Anarchism;Towards the Abolition of Hierarchy,freedomnews.org.uk
● Dawson,2000, The Two Faces Of Environmental Justice;Lessons From The Eco
Nationalist Phenomenon
● Ramchandra Guha,2016 Environmentalism;A Global History
● Eco- Socialism; Economics For The Climate Crisis,2022, http//www.noemamag.com
● Alberto Garzon Espinosa,2022,The Limits To Growth;Eco- Socialismor
Barbarism,la-u.org
प्रश्न -
निबंधात्मक
1. पर्यावरणवादी आंदोलन पर एक निबंध लिखें।
2. पर्यावरण वादी बहस से संबद्ध विभिन्न सिद्धांतों का आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिए।
3. महिला पर्यावरणवाद एवं पर्यावरण वादी राष्ट्रवाद पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।
वस्तुनिष्ठ
1. ‘ बर्निंग अर्थ’ किसकी पुस्तक है?
[ अ ] मुरे [ ब ] आयनलैंड [ स ] क्लीवलैंड [ द ] वंदना शिवा
2. दुनिया का प्रथम हरित संविधान किस देश का है?
[ अ ] बेल्जियम [ ब ] बोलीविया [ स ] अर्जेंटीना [ द ] नीदरलैंड
3. प्रोमिथियनिसम की धारणा किसक
े द्वारा प्रतिपादित की गई?
[ अ ] जॉन डीरेक [ ब ] टेड ट्रेनर [ स ] एलन बॉर्डर [ द ] डेविड पेपर
4. किसी राष्ट्र द्वारा देशज वनस्पति क
े लिए पेटेंट दायर किया जाना किस प्रकार क
े पर्यावरण वाद क
े अंतर्गत
आएगा?
[ अ ] समाजवादी पर्यावरणवाद [ ब ] राष्ट्रवादी पर्यावरणवाद [ स ] अराजकतावादी पर्यावरण वाद [ द ]
महिला वादी पर्यावरण वाद
5. आव्रजन नीतियों को कठोरता पूर्वक लागू करना किस प्रकार क
े पर्यावरण वाद क
े अंतर्गत आता है?
[ अ ] राष्ट्रवादी पर्यावरणवाद [ ब ] फासीवादी पर्यावरण वाद [ स ] समाजवादी पर्यावरणवाद [ द ] उपर्युक्त
सभी।
उत्तर- 1. अ 2.ब 3. अ 4. ब 5. ब
References & Suggested Readings
● Environmental Philosophy,Encyclopaedia Britannica,http//britannica.com
● Green Anarchism;Towards the Abolition of Hierarchy,freedomnews.org.uk
● Dawson,2000, The Two Faces Of Environmental Justice;Lessons From The Eco
Nationalist Phenomenon
● Ramchandra Guha,2016 Environmentalism;A Global History
● Eco- Socialism; Economics For The Climate Crisis,2022, http//www.noemamag.com
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पर्यावरणवाद.

  • 1. पर्यावरणवाद [ Environmentalism ] https://www.aias.org/change-making-privilege-in-environmentalism/ द्वारा- डॉ. ममता उपाध्याय प्रोफ़ े सर, राजनीति विज्ञान एएमजीजीपीजी कॉलेज, बादलपुर गौतम बुद्ध नगर, उत्तर प्रदेश, भारत उद्देश्य- ● पर्यावरणीय संकट क े प्रति संवेदनशीलता उत्पन्न करना ● पर्यावरणीय मुद्दों क े प्रति समझ एवं जागरूकता विकसित करना ● पर्यावरण संरक्षण से संबंधित सामाजिक -राजनीतिक सिद्धांतों एवं आंदोलनों का ज्ञान ● पर्यावरण संबंधी मुद्दों क े तथ्यात्मक विश्लेषण की क्षमता का विकास मुख्य शब्द- पर्यावरण, नारीवादी पर्यावरण वाद, गहरा पर्यावरण वाद, उथला पर्यावरण वाद , समाजवादी पर्यावरण वाद, पर्यावरणीय न्याय
  • 2. पर्यावरणवाद 18वीं -19वीं शताब्दी में विकसित एक सामाजिक राजनीतिक विचारधारा एवं आंदोलन है जिसका उद्देश्य पर्यावरण संरक्षण की चेतना से युक्त समाज का निर्माण करना है। यह आंदोलन जर्मन रोमांचवाद एवं ब्रिटेन में औद्योगिकरण क े विरोध क े साथ प्रारंभ हुआ तथा समसामयिक राजनीतिक- सामाजिक जीवन में अत्यधिक लोकप्रिय हुआ। विज्ञान और तकनीक तथा औद्योगिकरण क े विकास क े साथ मनुष्य की बदलती जीवन शैली ने अनेक पर्यावरणीय समस्याओं जैसे- धरती का बढ़ता तापमान, बढ़ता प्रदूषण, जैव विविधता का नाश, जलवायु परिवर्तन, ग्रीन हाउस गेसेस का अत्यधिक उत्सर्जन, ग्लेशियर का पिघलना, समुद्र का जल स्तर बढ़ना, बढ़ते मरुस्थल, आदि को जन्म दिया जिसक े कारण आज धरती क े जीव धारियों का जीवन संकट में है और स्वयं मनुष्य भी इस संकट से अछ ू ता नहीं है। जीवन और स्वास्थ्य का गहरा संकट उसक े सम्मुख है । सामाजिक -आर्थिक -राष्ट्रीय भिन्नताओं क े दृष्टिगत पर्यावरणीय समस्याओं क े कारण सामाजिक- राजनीतिक संघर्ष भी बढ़े हैं एवं पर्यावरणीय न्याय का प्रश्न उपस्थित हुआ है। पर्यावरणवाद इन समस्याओं का दार्शनिक एवं राजनीतिक समाधान प्रस्तुत करता है। दूसरे शब्दों में पर्यावरणवाद पर्यावरण क े विभिन्न अंगों क े साथ मानव क े संतुलित संबंधों की स्थापना का उद्देश्य रखता है और यह मानता है कि पर्यावरण क े सभी अंगो का तालमेल इस प्रकार होना चाहिए पृथ्वी की सततता बनी रहे। हालांकि इस संतुलन का परिणाम क्या होगा, यह विवाद का विषय बना हुआ है जिसकी अभिव्यक्ति विभिन्न विचारधाराओं में होती है। पर्यावरण संबंधी चर्चाओं का स्वरूप बहुलवादी है।पारिस्थितिकी वाद [ Ecologism], हरित राजनीति [ Green Politics], गहरा परिस्थितिकीवाद[ Deep Ecology] , उथला पारिस्थितिकी वाद [ Shalow Ecology ] , मानव क ें द्रीय वाद [ Anthropocentrism ] ,पर्यावरणीय महिला वाद [ Ecofeminism ] आदि कई अवधारणाओं क े रूप में प्रचलित है। प्रमुख पर्यावरण वादी विचारक है- एल्डो लियोपोल्ड, अरने नेज ,डोब्सन ,गुडिन , वंदना शिवा, ओ नेल , शूमाकर आदि। पर्यावरणवाद को परिभाषित करते हुए कहा जा सकता है कि ‘’यह एक ऐसा सामाजिक आंदोलन है जो राजनीतिक प्रक्रिया को लॉबिंग, कार्यवाही एवं शिक्षा क े माध्यम से प्रभावित करना चाहता है ताकि पारिस्थितिकी एवं प्राकृ तिक संसाधनों का संरक्षण हो सक े ।’’ महत्वपूर्ण पुस्तक ें - पर्यावरणीय चर्चाओं से संबंधित क ु छ महत्वपूर्ण पुस्तक ें इस प्रकार हैं- 1. Green History by D. Wall 2. Green Political Theory by Ball Terence 3. Environmental Politics by Hamphrey Mathew 4. Green Political Thought by Andrew Dobson 5. From The Death of Environmentalism To Politics of Possibility by Michel Shellenberger and Ted Nordhavs.
  • 3. इतिहास - पर्यावरण संरक्षण क े प्रति चेतना दुनिया क े विभिन्न देशों में विभिन्न निकाल खंडों में नाना रूपों में विद्यमान रही है। पूर्वी देशों क े इतिहास का अवलोकन करने पर पता चलता है कि प्राचीन भारत क े जैन और बौद्ध धर्म में ईसा से छठी शताब्दी पूर्व महावीर स्वामी एवं गौतम बुद्ध की शिक्षा में पर्यावरण संरक्षण संबंधी मूल्य एवं कार्यवाही मिलती है। जैसे- अहिंसा क े माध्यम से जीवो की सुरक्षा, पृथ्वी क े पर्यावरण का गठन करने वाले पांच आधारभूत तत्वों क े रूप में पृथ्वी ,जल, अग्नि ,आकाश एवं वायु का उल्लेख मिलता है। बौद्ध ग्रंथों में ऐसे बोधिसत्व का वर्णन मिलता है इसका प्रत्येक कार्य पर्यावरण संरक्षण की चेतना से संयुक्त था। मध्य पूर्व क े इस्लामिक समाज में भी क ु छ परंपराएं पर्यावरण अनुक ू ल थी। जैसे- टोंटी युक्त जल पात्र का प्रयोग ताकि जल का की बर्बादी रोकी जा सक े । छठी शताब्दी मैं खलीफा अबू बकर ने अपनी सेना को आदेशित किया था कि वह वृक्षों को नुकसान न पहुंचाएं और न ही उनमें आग लगाए। नौवीं एवं तेरहवीं शताब्दियों में बहुत सी ऐसी अरब संधियों का उल्लेख मिलता है जिनमें प्रदूषण सहित पर्यावरणीय विज्ञान क े मुद्दे उठाए गए। आधुनिक युग में औद्योगिक क्रांति क े बाद उद्योगों से होने वाले वायु प्रदूषण क े विरोध में पर्यावरण संबंधी आंदोलन उदित हुआ । 19वीं शताब्दी में उद्योगों से निकलने वाले रासायनिक कचरे ने समस्या को और गंभीर बना दिया। पर्यावरण संरक्षण संबंधी पहला व्यापक कानून 1863 में ब्रिटेन में ‘Alkali Acts’ क े रूप में सामने आया जिसक े माध्यम से वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने का प्रयास किया गया। The Coal Smoke Abatement Society’ क े रूप में 1898 मे पहला पर्यावरण वादी गैर सरकारी संगठन अस्तित्व में आया जिसकी स्थापना विलियम ब्लेक रिचमंड नामक कलाकार क े द्वारा की गई । 1936 की स्पेनिश क्रांति क े दौरान आंदोलनकारियों द्वारा जिस भूमि पर कब्जा किया गया उसमें अनेक पर्यावरण वादी सुधार किए गए जैसे- विविधता युक्त फसलों का रोपण, सिंचाई, जंगलों को पुनः लगाया जाना, जंगलों में रहने वाले जनसमुदाय की सहायता हेतु पौधों की नर्सरी शुरू किया जाना आदि। 1952 में जब लंदन में ग्रेट स्मॉग हुआ था और पूरा शहर धुएं से भर गया था जिसक े कारण लगभग 6000 लोगों की जान गई थी, तब 1956 में ‘क्लीन एयर एक्ट’ पास किया गया तथा कोयले का उपयोग न करने वाले घरों को वित्तीय सुविधा प्रदान की गई । पहली बार पर्यावरण जनित जीवन क े खतरे एवं जीवन की गुणवत्ता कम होने पर ध्यान आकृ ष्ट हुआ। जंतु वैज्ञानिक अल्फ्र े ड न्यूटन क े शोध क े आधार पर जानवरों को बचाने की मुहिम शुरू हुई और इस दिशा में ‘रॉयल सोसायटी फॉर प्रोटेक्शन ऑफ बर्ड्स ‘ का गठन किया गया और ‘सी बर्ड प्रिजर्वेशन एक्ट’ 1869 मे पारित किया गया। 19वीं शताब्दी में पर्यावरण संबंधी प्रथम आंदोलन यूरोप में प्रारंभ हुए रोमांटिक आंदोलन में दिखाई दिया जिसमें कलाकारों, संगीतज्ञों एवं कवियों ने औद्योगिक क्रांति एवं पुनर्जागरण आंदोलन में परिलक्षित तर्क वाद क े विपरीत मनुष्य की भावनाओं को महत्व दिया। विलियम वर्ड्सवर्थ, रॉबर्ट हंटर, ऑक्टेविया हिल, एवं जॉन रस्किन की रचनाओं में पर्यावरण वाद स्पष्ट दिखाई देता है। पीटर क्रोपोटकिन ने पारिस्थितिकी , कृ षि विज्ञान आदि पर लेखन करते हुए निरीक्षण किया कि स्विट्जरलैंड क े और साइबेरियन ग्लेशियर औद्योगिक क्रांति क े साथ-साथ पिघल रहे हैं । इसी क्रम में ‘बैक टू नेचर मूवमेंट’का प्रारंभ जॉन रस्किन, जॉर्ज बर्नार्ड शॉ एवं विलियम मॉरिस द्वारा किया गया। इन बुद्धिजीवियों ने स्वीकार किया कि उपभोक्तावाद एवं प्रदूषण प्राकृ तिक दुनिया क े लिए घातक है। संयुक्त राज्य अमेरिका में जॉन मूर एवं डेविड थोरू ने पर्यावरण वाद की दिशा में दार्शनिक योगदान दिया। अपनी पुस्तक ‘ वाल्डेन ‘ में उन्होंने मनुष्य एवं प्रकृ ति क े
  • 4. सह संबंधों पर जोर दिया । 1930 में जर्मन नाजीवाद को वन्यजीवों क े अधिकारों का समर्थक पाया गया। 1949 में ‘ A Sand County Almanac’ क े माध्यम से एल्डो लियोपोल्ड ने यह विचार व्यक्त किया कि मनुष्य प्रजाति में अपने पर्यावरण क े प्रति नैतिक सम्मान का भाव होना चाहिए और पर्यावरण को नुकसान पहुंचाना अनैतिक है। ‘सिएरा क्लब’ क े रूप में पर्यावरण वादी समूहों का एक ऐसा संगठन बनाया गया जो नाना माध्यमों से पर्यावरण चेतना फ ै लाने का कार्य करता है। अमेरिकी जीव वैज्ञानिक राचेल कार्सन द्वारा 1952 में प्रकाशित ‘ साइलेंट स्प्रिंग’ मे कृ षि कार्यों में क े मिकल क े प्रयोग की तरफ ध्यान आकर्षित किया गया. ‘ ग्रीनपीस’ एवं ‘फ्र ें ड्स ऑफ द अर्थ’ जैसे अमेरिकी दबाव समूह भी 1960 क े दशक से सक्रिय है। यूरोप का पहला ग्रीन राजनीतिक दल 1973 में ग्रेट ब्रिटेन में ‘ पीपल’ नाम से गठित हुआ जो बाद में इकोलॉजी पार्टी और फिर ग्रीन पार्टी क े रूप में परिवर्तित हुआ। विकासशील देशों में भी पर्यावरण आंदोलन कई मुद्दों को लेकर प्रारंभ किया गया। भारत में ‘चिपको आंदोलन’ जंगलों की कटाई क े विरोध में प्रारंभ हुआ जिसमें आंदोलनकारियों ने गांधी की रणनीति को अपनाते हुए वृक्षों से चिपक कर उन्हें कटने से बचाया. ‘Ecology is permanent economy’ इस आंदोलन का मुख्य नारा था जो अत्यधिक प्रभावी सिद्ध हुआ। पर्यावरण वादी आंदोलन का एक मुख्य पड़ाव 1997 मे ‘अर्थ डे’ की घोषणा था। आज पृथ्वी दिवस अर्थ डे नेटवर्क क े माध्यम से पूरी दुनिया में मनाया जाता है। पर्यावरण संरक्षण की दिशा में प्रमुख अंतरराष्ट्रीय प्रयास 1972 में संपन्न हुआ ‘स्टॉकहोम सम्मेलन’ था । 21 वी शताब्दी में पर्यावरणवाद कई मुद्दों को लेकर सामने आया । धरती का बढ़ता तापमान, अत्यधिक जनसंख्या वृद्धि, जेनेटिक इंजीनियरिंग एवं प्लास्टिक प्रदूषण आदि । इस दिशा में हुए शोध से सिद्ध होता है कि 2000 क े बाद अमरीकी लोग पर्यावरणीय मुद्दों क े प्रति कम संवेदनशील हुए हैं और इसकी मुख्य वजह 2008 की आर्थिक मंदी है। पहले जहां उनकी मान्यता थी आर्थिक विकास से पूर्व पर्यावरण संरक्षण को प्राथमिकता मिलनी चाहिए, वही 2005 क े बाद उनका मंतव्य है कि आर्थिक समृद्धि पहले, पर्यावरण संरक्षण बाद में। मूल मान्यताएं - 1. पर्यावरण की मानव क ें द्रित विचारधारा का विरोध - पर्यावरणवाद पश्चिम क े इस दर्शन का विरोधी है कि प्रकृ ति क े सभी जीवों में मनुष्य सर्वोत्तम है और प्राकृ तिक संसाधनों पर मनुष्य का स्वामित्व है। प्राकृ तिक संसाधन मनुष्य की आवश्यकताओं की पूर्ति क े लिए है। उनक े उपयोग का अधिकार मनुष्य क े पास सर्वाधिक है। पर्यावरणीय विचारधारा की मान्यता है कि मनुष्य सभी जीवधारियों और वनस्पतियों में विवेक युक्त होने क े कारण अनुपम कृ ति ह। विवेक होने क े कारण ही उससे यह अपेक्षा की जाती है कि वह पर्यावरणीय संसाधनों का दोहन नहीं, बल्कि उनका उपयोग और संरक्षण करें ताकि
  • 5. सतत विकास क े लक्ष्य को प्राप्त किया जा सक े । मनुष्य की जीवन शैली इस प्रकार की होनी चाहिए पर्यावरण क े विभिन्न घटकों में संतुलन बना रहे एवं सभ्यता गत विकास का लाभ सभी पीढ़ियों , समाज क े सभी वर्गों एवं पर्यावरण क े सभी अवयवों को प्राप्त हो सक े । 2. सभी जीवधारियों एवं प्राकृ तिक संसाधनों क े अस्तित्व का अधिकार की स्वीकृ ति- पर्यावरण वाद की यह मान्यता है कि पर्यावरण का निर्माण प्राकृ तिक संसाधनों एवं जीव धारियों से मिलकर हुआ है और ये सभी अपने अस्तित्व क े लिए एक दूसरे पर निर्भर हैं। पर्यावरण क े प्रत्येक अंग को जीवित रहने का उतना ही महत्वपूर्ण अधिकार है जितना मनुष्य का है। इसी पर्यावरण वादी मान्यता क े अनुसार विगत वर्षों में भारतीय सर्वोच्च न्यायालय ने नदियों क े जीवन क े अधिकार को मान्यता प्रदान करते हुए निर्णय दिया और उसे दूषित करने की प्रवृत्ति पर रोक लगाया। भारत की सांस्कृ तिक परंपरा में वृक्षों नदियों जानवरों और यहां तक कि पत्थरों की पूजा को महत्व प्रदान करते हुए पर्यावरणीय संरक्षण वाद को प्रोत्साहित किया गया है। 3. उदार, निस्वार्थ, वैश्विक दृष्टिकोण से युक्त मानव का समर्थन- पर्यावरण वादी चेतना क े अंतर्गत एक ऐसे मानव की कल्पना की गई है जो प्रकृ ति की सभी जीवो एवं प्राकृ तिक संसाधनों क े प्रति उदार दृष्टिकोण अपनाएं, निस्वार्थ भाव से पर्यावरण का संरक्षण करें और वैश्विक दृष्टिकोण अपनाते हुए यह भाव रखे कि यह पृथ्वी एक है और इसक े संरक्षण क े लिए सभी को समन्वित प्रयास करना होगा । पर्यावरण क्षरण क े नुकसान से मनुष्य अछ ू ता नहीं रह सकता। पर्यावरणीय समस्याओं क े कारण उसका जीवन भी कालांतर में दांव पर लग सकता है। 4. पर्यावरणीय न्याय की मांग- पर्यावरण वादी विचारधारा पर्यावरण से मिलने वाले लाभ एवं हानि का न्याय संगत वितरण किए जाने की सिफारिश करती है। उल्लेखनीय है समाज में वर्ग विभाजन की स्थिति क े अंतर्गत पर्यावरण से होने वाले लाभ का भागीदार उच्च वर्ग अधिक है, जबकि पर्यावरणीय संकट से होने वाली हानियां उसक े द्वारा कम उठाई जाती है। अपने संसाधनों क े बल पर वह जलवायु परिवर्तन एवं धरती क े बढ़ते तापमान का सामना करने में अपेक्षाकृ त अधिक सक्षम होता है, जबकि समाज का जो हाशिये पर रहने वाला वर्ग है,उसे पर्यावरण से मिलने वाला लाभ कम मिलता है एवं हानि ज्यादा उठानी पड़ती है। उदाहरणार्थ- समुचित आवास न होने क े कारण उसे सर्दी, गर्मी व बरसात अधिक झेलनी पड़ती है, अतिवृष्टि क े कारण विस्थापन झेलना पड़ता है तथा इसक े कई अन्य सामाजिक- आर्थिक दुष्प्रभाव होते हैं। पर्यावरणवादी यह मानते हैं कि न्याय की प्राप्ति सभी जीवो और प्राकृ तिक संसाधनों का अधिकार है। 5. पर्यावरण संरक्षण एक नागरिक दायित्व- एक राजनीतिक विचारधारा क े रूप में पर्यावरणवाद यह मानता है कि पर्यावरण को सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी प्राथमिक तौर पर प्रत्येक नागरिक की है। सरकार या क ु छ संगठन मिलकर अक े ले ही पर्यावरण संरक्षण जैसे गुरु तर कार्य को संपन्न करने में सफल नहीं हो सकते, जब तक कि प्रत्येक देश का प्रत्येक नागरिक इस तथ्य क े प्रति सजग न हो कि स्वच्छ, सुरक्षित पर्यावरण जैव विविधता की रक्षा एवं स्वयं मनुष्य क े अस्तित्व क े लिए आवश्यक है।सजगता क े साथ उसे छोटे -छोटे स्तर पर पर्यावरण संरक्षण संबंधी पहल करनी होगी। इस प्रकार पर्यावरण वाद पर्यावरण क े प्रति चेतनशील एवं प्रयत्नशील हरित नागरिकता [ Green Citizenship ] क े विकास पर जोर देता है।
  • 6. 6.पर्यावरण संरक्षण हेतु विकसित देशों की जिम्मेदारी ज्यादा- पर्यावरणवादी चर्चा इस तथ्य क े प्रति सचेत है कि राजनीतिक कारणों से दुनिया क े बड़े विकसित देश विकासशील देशों पर आरोप लगाते हैं कि जनसंख्या की अधिकता एवं पर्यावरण संरक्षण क े अनुक ू ल व्यवहार न होने क े कारण पर्यावरणीय हानि क े लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार विकासशील देश ही है। दूसरी तरफ विकासशील देशों का तर्क यह है कि कम जनसंख्या क े बावजूद 80% प्राकृ तिक संसाधनों का उपभोग विकसित देशों क े द्वारा किया जाता है , अतः परमाणु तकनीक एवं अन्य पर्यावरण की दृष्टि से अनुक ू ल तकनीकों का प्रयोग न करने क े कारण विकसित देश पर्यावरणीय संकट क े लिए कहीं अधिक जिम्मेदार हैं। वे विज्ञान और तकनीक का सहारा लेकर निरंतर भौतिक विकास कर रहे हैंऔर दिनोंदिन जीवन शैली क े उच्च स्तर को प्राप्त कर रहे हैं, जबकि विकासशील देश अपने विकास क े लिए यदि विज्ञान और तकनीक का सहारा लेते हैं विशेष रूप से परमाणु तकनीक का तो वे उन पर प्रतिबंध लगाते हैं। पर्यावरणवादी विचारधारा इस बहस में विकासशील देशों का पक्ष लेती है और यह मानती है कि अधिक साधन संपन्न होने क े कारण और विश्व में संतुलित विकास तथा गरीबी निवारण क े उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए विकसित देशों को पर्यावरण संरक्षण की अधिक जिम्मेदारी लेनी होगी। 7. पर्यावरण संरक्षण हेतु संगठित जनतांत्रिक प्रयत्नों पर बल - पर्यावरण वादी विचारधारा पर्यावरणीय समस्याओं क े समाधान हेतु संगठित, किन्तु जनतांत्रिक प्रयत्नों पर बल देती है। यह स्थानीय स्तर पर ग्राम पंचायतों, शिक्षण संस्थानों एवं गैर सरकारी संगठनों क े सम्मिलित सहयोग को आवश्यक समझती है। विद्यालयों एवं महाविद्यालयों में विभिन्न अवसरों पर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित कर, रैलियों क े माध्यम से आसपास क े ग्रामों क े लोगों को सचेत कर एवं अध्ययन तथा शोध क े माध्यम से पारंपरिक समाजों की पर्यावरण मैत्रीपूर्ण परंपराओं को पुनर्जीवित एवं प्रोत्साहित कर पर्यावरण संरक्षण क े लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है। 8. विज्ञान और तकनीक क े माध्यम से ही पर्यावरणीय समस्याओं का निदान संभव- उत्तर आधुनिक विचारकों क े द्वारा अक्सर विज्ञान और तकनीक को पर्यावरणीय समस्याओं क े लिए जिम्मेदार ठहराया जाता है। वैज्ञानिक एवं तकनीकी आविष्कारों क े कारण बढ़ते उपभोक्तावाद ने प्राकृ तिक संसाधनों पर भारी दबाव डाला है, जिसक े कारण पर्यावरणीय असंतुलन जनित अनेक समस्याएं उदित हुई है, ऐसी आमतौर पर मान्यता है। किं तु पर्यावरण वाद विज्ञान और तकनीक को सभ्यतागत विकास का प्रमुख आयाम मानता है और यह प्रस्तावित करता है कि पर्यावरणीय समस्याओं का निदान भी विज्ञान और तकनीक क े माध्यम से ही संभव है। निसंदेह विज्ञान और तकनीक का एक पक्ष ऐसा है जो पर्यावरण क े लिए नुकसान देह सिद्ध हो रहा है,किन्तु जीवन शैली की दिशा में अब पीछे जाना संभव ही नहीं है और न ही वांछनीय ,अतः पर्यावरण संरक्षण की तकनीकों क े आविष्कार और प्रयोग को अधिकाधिक प्रोत्साहित किया जाना चाहिए । पर्यावरण संबंधी प्रमुख धारणायें या सिद्धांत
  • 7. पर्यावरणीय आंदोलन समसामयिक दौर में कई धारणाओं एवं प्रवृत्तियों पर आधारित है। इनमें से क ु छ प्रमुख इस प्रकार है- ● मुक्त बाजार आधारित पर्यावरणवाद - [Market based Environmentalism]यह सिद्धांत मुक्त बाजार एवं संपत्ति संबंधी अधिकारों को पर्यावरण संरक्षण का सर्वोत्तम साधन मानता है। साथ ही प्राकृ तिक रूप से पर्यावरण क े संरक्षण पर जोर देने क े साथ व्यक्तिगत एवं वर्गीय प्रयत्नों क े माध्यम से प्रदूषण फ ै लाने वालों क े विरुद्ध कठोर कार्यवाही पर जोर देता है। ● ईसाई पर्यावरणवाद - [Evangelical Environmentalism] संयुक्त राज्य अमेरिका में संचालित आंदोलन ईसाई धर्म क े मूल्यों क े आधार पर पर्यावरण क े संरक्षण की जिम्मेदारी मनुष्य की मानता है। हालांकि इस आंदोलन की इस कारण से आलोचना की जाती है कि यह धर्म विशेष क े मूल्यों पर ही बल देता है। ● सुरक्षा एवं संरक्षण आधारित पर्यावरणवाद - [ Preservation and Conservation based Environmentalism] अमेरिका एवं ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों तक विस्तृत यह आंदोलन प्राकृ तिक संसाधनों क े क्षरण का मूल कारण मनुष्य की गतिविधियों को मानता है। जैसे- जनसंख्या का घनत्व, खनिज पदार्थों क े लिए खुदाई, शिकार और मछली पालन। इन गतिविधियों क े स्थान पर आंदोलन नई मानवीय गतिविधियों जैसे पर्यटन एवं मनोरंजन तथा नए नियमों और कानूनों क े निर्माण की आवश्यकता पर बल देता है ताकि प्राकृ तिक संसाधनों का संरक्षण किया जा सक े । ● उग्र पर्यावरणवाद -[ Radical Environmentalism] जैसा कि सुपरमैन क्रिस्टोफर मेंस ने लिखा है कि यह एक नए तरह की पर्यावरणीय कार्यवाही है जो पर्यावरण संरक्षण की पारंपरिक नीतियों से असंतुष्ट है। उग्र पर्यावरण वादी पश्चिम की धर्म और दर्शन संबंधी धारणाओं जिसमें पूंजीवाद, पितृसत्तावाद एवं वैश्वीकरण भी सम्मिलित है, पर पुनर्विचार की आवश्यकता पर बल देते हैं। इस आंदोलन की विशेषता यह है कि यह नेतृत्व विहीन संगठनों जैसे अर्थ फर्स्ट, अर्थ लिबरेशन आर्मी, अर्थ लिबरेशन फ्र ं ट द्वारा संचालित है जो प्रत्यक्ष कार्यवाही में विश्वास रखते हैं । ● पर्यावरणवादी आधुनिकतावाद- [Modernist Environmentalism] 2013 से प्रयोग मे लाए जा रहे पर्यावरण संबंधी इस दर्शन की विशेषता यह है कि यह तकनीकी विकास को आर्थिक प्रगति क े साथ-साथ प्रकृ ति एवं सभ्यता क े संरक्षण हेतु आवश्यक मानता है । यह कृ षि की आधुनिक तकनीकों, एक्वेरियम फॉर्म, पानी को प्रदूषण मुक्त करना, कचरे का प्रबंधन एवं नगरीकरण का समर्थक है। तकनीक क े प्रयोग से खेती योग्य भूमि का कम से कम प्रयोग करक े अधिक से अधिक भूमि वन्यजीवों क े लिए छोड़ी जा सकती है,ऐसी इसकी मान्यता है । 2015 में आधुनिक पर्यावरणवादी विचारकों ने एक घोषणा पत्र प्रकाशित करक े कार्य योजना को लागू करने का संकल्प लिया ।
  • 8. ● गहरा पर्यावरण वाद- ( Deep Ecology ) नॉर्वे क े दार्शनिक अरने नेज द्वारा प्रतिपादित यह एक पर्यावरणवा दी दर्शन एवं सामाजिक आंदोलन है जो पारंपरिक रूप में प्रचलित इस धारणा का विरोधी है कि प्राकृ तिक संसाधनों का महत्व क े वल मनुष्य मात्र क े जीवन क े लिए है और मनुष्य को उसक े उपयोग का सर्वोच्च अधिकार है। इसक े स्थान पर इसकी प्रस्थापना यह है कि प्रकृ ति का अपना एक अलग मूल्य है तथा पर्यावरणीय नैतिकता एवं न्याय का तकाजा है कि मनुष्य पर्यावरण क े संरक्षण का दायित्व ले , पर्यावरण का निर्माण करने वाले सभी तत्वों क े अस्तित्व एवं अधिकार को स्वीकार करें एवं प्रकृ ति क े साथ एक सद्भावना पूर्ण संबंध स्थापित करें। आरने नेज का आग्रह है कि पर्यावरण संरक्षण हेतु मनुष्य स्वभाव का पुनर्मूल्यांकन किया जाना अत्यंत आवश्यक है। मनुष्य क े स्वत्व की व्याख्या पारंपरिक रूप में गलत ढंग से की गई है जिसक े कारण मनुष्य अपने अहम भाव क े कारण प्रकृ ति से अलग-थलग हो गया है । अतः आवश्यकता इस बात की है कि मनुष्य क े स्वभाव को इस ढंग से समझा जाए कि उसका प्रकृ ति क े अन्य जीव धारियों क े साथ अमूल्य एवं अभिन्न संबंध है । 1984 में नेज एवं सेशन ने पर्यावरण संरक्षण हेतु 8 सिद्धांतों का प्रतिपादन किया, जो इस प्रकार है- 1. पृथ्वी पर मानवीय एवं गैर मानवीय जीवन की खुशहाली एवं समृद्धि का अपना एक अलग मूल्य है जो उस मूल्य से स्वतंत्र है जिसक े अंतर्गत गैर मानवीय दुनिया को मनुष्य क े उद्देश्यों की पूर्ति क े लिए उपयोग में लाया जाता है। 2. पृथ्वी पर जीव धारियों की विविधता एवं समृद्धि पर्यावरण संबंधी दार्शनिक मूल्यों की प्राप्ति में योगकारक है। 3. मनुष्य को अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति क े लिए जैव विविधता का नाश करने का अधिकार नहीं है। 4. वर्तमान में प्रकृ ति मे मनुष्य का हस्तक्षेप अत्यधिक बढ़ गया है जिसक े कारण स्थिति दिनों दिन बदतर होती जा रही है। 5. मानव जीवन और सभ्यता क े विकास क े लिए आवश्यक है कि मानवीय जनसंख्या में कमी लाई जाए। अन्य जीवधारियों क े जीवन क े लिए जनसंख्या में कमी आवश्यक है। 6. आधारभूत आर्थिक, तकनीकी एवं विचारधारा गत संरचनाओं को प्रभावी बनाने क े लिए नीतियों में परिवर्तन आवश्यक है। 7. विचारधारा क े आधार पर यह परिवर्तन आवश्यक है कि जीवन स्तर को उच्च बनाने क े बजाय जीवन की गुणवत्ता में वृद्धि की जाए। 8. जो लोग उक्त मूल्यों में विश्वास रखते हैं उनका यह दायित्व बनता है कि वे प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से इन सिद्धांतों क े क्रियान्वयन में भागीदार बने। ● उथला पर्यावरणवाद- ( Shallow Environmentalism ) उथला पर्यावरण वाद वह दार्शनिक- राजनीतिक विचारधारा है जिसकी मान्यता है कि पर्यावरण का संरक्षण उसी सीमा तक किया जा सकता है , जहां तक वह मानवीय आवश्यकताओं की पूर्ति में बाधक न बने। यह पर्यावरण क े विषय में किसी
  • 9. क्रांतिकारी परिवर्तन का समर्थक न होकर प्रदूषण एवं प्राकृ तिक संसाधनों क े क्षरण को रोकने क े प्रति ज्यादा उत्साहित है। यह मनुष्य की वर्तमान जीवन शैली को बनाए रखना चाहता है, किं तु इसक े साथ पर्यावरण का कम से कम नुकसान हो, इस ओर भी यह ध्यान आकर्षित करता है। ● मानवक ें द्रित पर्यावरणवाद -( Anthropocentrism ) यह पर्यावरणवाद का वह रूप है जो मनुष्य को प्रकृ ति का स्वामी समझता है प्रकृ ति क े अन्य जीव-जंतुओं एवं संसाधनों को मनुष्य क े उद्देश्य की पूर्ति का माध्यम मात्र समझता है। यह धारणा पश्चिम क े धर्म और दर्शन पर आधारित है। बाइबिल में इस बात का उल्लेख मिलता है कि मनुष्यों की रचना ईश्वर की प्रतिनिधि क े रूप में की गई और उसे धरती पर वर्चस्व स्थापित करने का निर्देश दिया गया। अरस्तु की पॉलिटिक्स एवं कांट क े नैतिक दर्शन में भी सभी जीव धारियों में मनुष्य की सर्वोच्चता का विचार मिलता है। मानव क ें द्रित दृष्टिकोण में विश्वास रखने वाले दार्शनिक इस बात से इनकार करते हैं की धरती क े संसाधन सीमित हैं और यदि मानव जनसंख्या में वृद्धि को रोका नहीं गया पृथ्वी की भरण- पोषण की क्षमता प्रभावित होगी जिसका परिणाम युद्ध एवं दुर्भिक्ष होगे। यह विचारक यह मानते हैं कि पर्यावरण संकट को बढ़ा -चढ़ा कर पेश किया जा रहा है और यदि वास्तव में यह संकट है भी तो इसका निदान तकनीकी विकास क े माध्यम से किया जा सकता है। उनकी दृष्टि में पर्यावरण को सुरक्षित रखने क े लिए किसी वैधानिक या व्यवहारिक नियंत्रण की जरूरत नहीं है। यह भी संभव है कि मानव क ें द्रीयता क े साथ ही पर्यावरण संरक्षण की बात भी सोची जाय । मनुष्य होने क े नाते मनुष्य का पर्यावरण क े प्रति दायित्व बनता है,किं तु इसे इस संदर्भ में भी देखा जाना चाहिए कि पर्यावरणीय प्रदूषण क े कारण न क े वल जीव-जंतुओं बल्कि दूसरे मनुष्यों का भी जीवन का अधिकार नकारात्मक रूप से प्रभावित हो रहा है। 1970 क े दशक में धर्म शास्त्री और दार्शनिक होम्स रोल्सटन थर्ड ने इस दृष्टिकोण में एक नया आयाम जोड़ते हुए यह बताया मनुष्य का यह नैतिक दायित्व है कि वह जैव विविधता की रक्षा करें । यदि ऐसा करने में विफल रहते हैं, तो यह ईश्वर की सृष्टि का अपमान होगा। पर्यावरणवादी विचारक मानव को सर्वोच्च मानने वाले इस दर्शन को नैतिक दृष्टि से गलत और सभी पर्यावरणीय समस्याओं की जड़ मानते हैं। ● महिलावादी पर्यावरणवाद - ( Ecofeminism) महिला वादी पर्यावरण बाद मानव क ें द्रित पर्यावरण बाद क े स्थान पर पुरुष क ें द्रित पर्यावरण बात को पर्यावरण क े चरण का सबसे बड़ा कारण मानता है। पारंपरिक रूप में जिस प्रकार समाज में पुरुष सत्ता पाई जाती है वही सत्ता प्रकृ ति पर भी वर्चस्व स्थापित करती है। जैसे पुरुषों ने महिलाओं पर शासन किया है वैसे ही वे प्रकृ ति को भी अपनी अनुगामिनी बनाना चाहते हैं। इकोफ े मिनिज्म को फ े मिनिज्म की एक शाखा माना जाता है। इस शब्द को फ्रांसीसी नारीवादी फ्र ैं को इबोन ने 1974 में गढ़ा था । यह दर्शन नारी और प्रकृ ति में एक समानता देखता है और यह मानता है कि ऐतिहासिक रूप से पुरुष ने स्त्री और प्रकृ ति दोनों को अपने दमन का शिकार बनाया है। दोनों को अक्सर अराजकतावादी एवं अतार्कि क क े रूप में चित्रित किया गया है जिन को नियंत्रित करने की आवश्यकता है, जबकि पुरुष सुव्यवस्थित और तार्कि क है जो नारी और प्रकृ ति
  • 10. दोनों को नियंत्रित करने में सक्षम है। इकोफ े मिनिज्म क े संस्थापकों में से एक रोजमेरी रेदर ने यह विचार दिया यदि स्त्रियों को स्वतंत्रता चाहिए तो उन्हें प्रकृ ति पर पुरुष क े वर्चस्व को तोड़ने की दिशा में कार्य करना होगा। उन्होंने पर्यावरण वादियों एवं नारी वादियों को मिलकर कार्य करने की सलाह दी ताकि पितृसत्ता क े पारंपरिक पदसोपान को तोड़ा जा सक े । 1980 क े दशक क े अंत में इकोफ े मिनिज्म एक लोकप्रिय आंदोलन बन गया और इसका श्रेय एन्सट्र किं ग को दिया जाता है जिन्होंने अपनी पुस्तक ‘ व्हाट इज इकोफ े मिनिज्म’ क े माध्यम से इस धारणा को लोकप्रिय बनाया। आगे चलकर महिला पर्यावरण वादी दो भागों में विभाजित हो गए- उग्र महिला पर्यावरण वादी एवं सांस्कृ तिक महिला पर्यावरण वादी। उग्र पर्यावरण वादियों क े अनुसार पितृसत्तात्मक समाज मनुष्य और प्रकृ ति क े बीच समानता दोनों को कमतर बताने क े लिए देखता है, जबकि दूसरी ओर सांस्कृ तिक पर्यावरण वादी महिलाओं और प्रकृ ति क े मध्य संबंधों को प्रोत्साहित करना चाहते हैं और यह मानते हैं की महिलाओं का प्रकृ ति क े साथ संबंध समाज में उनकी लिंग आधारित भूमिका से मेरे रखता है। जैसे प्रकृ ति क े समान ही महिलाओं को भी परिवार में पोषण करता माना जाता है, अतः महिलाएं स्वभाव से प्रकृ ति क े प्रति ज्यादा संवेदनशील बन जाती है। महिलाओं एवं प्रकृ ति को देवी क े रूप में पूजा जाना सांस्कृ तिक महिला पर्यावरण वाद का द्योतक है। ● प्रोमिथियनिसम - ( Promethianism)-यह पर्यावरण संबंधी वह धारणा है जिस की यह मान्यता है कि पृथ्वी क े संसाधन मनुष्य की आवश्यकताओं की पूर्ति क े लिए हैं एवं पर्यावरणीय समस्याओं का समाधान मानवीय आविष्कारों क े माध्यम से ही किया जा सकता है। इस धारणा को सिद्धांत कार जॉन डेरकने अपनी पुस्तक ‘पॉलिटिक्स ऑफ द अर्थ; एनवायरमेंटल डिसकोर्सेज’[ 1997] मे प्रतिपादित किया। यह गहरी पर्यावरणवादी धारणा से भिन्न है। ● पर्यावरणवादी फासीवाद ( Ecofascism)-पर्यावरणवादी फासीवाद क े अंतर्गत ऐसे जनसमूह को सम्मिलित किया जाता है जो पर्यावरण संरक्षण की नीतियों को लागू करने क े लिए कठोर सत्तात्मक साधनों का सहारा लिए जाने की बात करते हैं। इसक े अंतर्गत एक ऐसी सरकार की कल्पना की जाती है जो लोगों की आवश्यकता और स्वतंत्रता से अधिक महत्व पर्यावरणीय नीतियों को दे और उन्हें बलपूर्वक लागू करे । राजनीतिक जीवन क े क्षेत्र में 1970 क े दशक में एंडरे गॉर्ज क े द्वारा इस धारणा का प्रयोग किया गया जो निरंक ु शता वादी राजनीति का प्रतीक बना जिसमें सरकार और राजनीति क े वल और क े वल पर्यावरण अभिमुख होती है ,ऐसी राजनीति कठोर दक्षिणपंथी मानी जाती है जिसमें पर्यावरण संबंधित समस्याओं का मूल कारण जनसंख्या वृद्धि को माना जाता है और उसे नियंत्रित करने क े लिए आव्रजन नीतियों को कठोरता पूर्वक लागू किया जाता है और अपने चरम रूप में अल्पसंख्यक समूहों क े नरसंहार से भी परहेज नहीं किया जाता है । जिम्मर्न ने जर्मन राष्ट्रीय समाजवाद को पर्यावरण वादी फासीवाद की श्रेणी में सम्मिलित किया है जिसका क ें द्रीय नारा ‘ ब्लड एंड लैंड’ था। अपनी पुस्तक ‘बर्निंग अर्थ’ मे मुरे ने यह बताने का प्रयास किया है कि किस प्रकार जलवायु परिवर्तन संबंधी बहस अप्रत्यक्ष रूप से प्रजातिवाद को प्रोत्साहित कर रही है। इसी प्रकार क े ल्विन क्लें ने कोविड-19 क े दौरान लॉकडाउन की
  • 11. स्थिति में जल चरों एवं वन चरों की स्वतंत्र गतिविधियों क े वायरल हुए वीडियो का हवाला देते हुए बताया कि क ै से इस दौर में मनुष्य को ही प्रकृ ति क े सबसे बड़े वायरस क े रूप में प्रस्तुत किया गया। ऐसे विचार फासीवादी विचार धारा को पुष्ट करने वाले थे । ● ग्रीन अराजकतावाद ( Green Anarchism)- ग्रीन अराजकतावाद अराजकतावादी विचारधारा की एक शाखा है जो पर्यावरणीय समस्याओं का समाधान औद्योगिकरण से पूर्व क े समाज में वापस जाने को मानती है। विज्ञान, तकनीक और औद्योगिकरण को सामाजिक अलगाव का कारण मानते हुए यह उसे समाप्त करने की पक्षधर है एवं जलवायु परिवर्तन की समस्या का एकमात्र समाधान अराजकतावाद में मानती है जैसा कि मोरे बुकचिन एवं एलेन कार्टर का भी अभिमत है। अराजकतावादियों ने विभिन्न स्वैच्छिक संगठनों जैसे- ‘अर्थ फर्स्ट’ ‘अर्थ लिबरेशन आर्मी’ आदि क े माध्यम से मांस एवं डेयरी उद्योग, जानवरों पर परीक्षण की जाने वाली प्रयोगशालाओं और जेनेटिक इंजीनियरिंग की सुविधाओं पर प्रत्यक्ष कार्यवाही क े माध्यम से प्रहार किया है. ● पर्यावरणवादी समाजवाद ( Eco Socialism )- सामाजिक पर्यावरण वादियों की यह मान्यता है कि प्राकृ तिक असंतुलन की समस्या सामाजिक असंतुलन से उपजी है। समाज में क ु छ वर्ग, लिंग और प्रजातियों क े लोग शक्ति का प्रयोग करते हैं और बहुसंख्यक लोग सत्ता से वंचित रहते हैं जिसक े कारण गरीबी और अपराध जैसी सामाजिक समस्याएं जन्म लेती है । जब तक इन समस्याओं का समाधान नहीं किया जाता, तब तक पर्यावरण क े नुकसान की भरपाई नहीं की जा सकती। सामाजिक पारिस्थितिकी मुरी बुक चिन क े विचारों से नजदीकी संबंध रखती है और अराजकतावादी पीटर क्रोपोटकिन से प्रभावित है। 1970 क े दशक में ऑस्ट्रेलियन मार्क्सवादी विचारक एलन रॉबर्ट ने यह विचार व्यक्त किया कि लोगों की अपूर्ण आवश्यकताएं उपभोक्तावाद को प्रोत्साहित करती है, टेड ट्रेनर जैसे विचारक ने समाजवादियों से एक ऐसी व्यवस्था स्थापित करने हेतु पहल करने की अपील की जो मानवीय आवश्यकताओं को पूर्ण कर सक े , न कि इच्छाओं को। 90 क े दशक में आगे चलकर समाजवादी नारी वादियों मेरी मेलर एवं एरियल सालेह आदि ने पर्यावरणीय मुद्दों को समाजवाद क े परिपेक्ष में प्रस्तुत किया। वैश्वीकरण क े विरुद्ध चल रहे आंदोलन ने ‘ग्लोबल साउथ’ एवं ‘गरीबों क े लिए पर्यावरणवाद’ जैसे आंदोलनों को जन्म दिया जो पर्यावरणीय न्याय की मांग करते हैं। 1994 में डेविड पेपर की महत्वपूर्ण पुस्तक ‘ इको सोशलिज्म; फ्रॉम दीप ईकालजी टू सोशल जस्टिस’’ प्रकाशित हुई जिसमें पारंपरिक पर्यावरण विदों विशेष रूप से गहरे पर्यावरण वाद से संबंधित विचारों की आलोचना की गई। वर्तमान में दुनिया में कई ग्रीन पार्टी जैसे -’डच ग्रीन लेफ्ट पार्टी’’ रेड ग्रीन एलाएन्स’ आदि पर हरित समाजवाद का प्रभाव दिखाई देता है । बोलीविया का संविधान जो 2009 में लागू हुआ, दुनिया का एकमात्र ऐसा संविधान है जो हरित समाजवाद क े सिद्धांतों पर आधारित है।
  • 12. पर्यावरण वादी समाजवादी पर्यावरणीय समस्याओं क े लिए पूंजीवादी व्यवस्था को उत्तरदाई समझते है और पर्यावरणीय संकट क े समाधान से पहले सामाजिक न्याय की समस्या को हल करने की अपेक्षा रखते है। अंग्रेज उपन्यासकार विलियम मॉरिस को हरित समाजवाद क े सिद्धांतों क े प्रतिपादन का श्रेय दिया जाता है। यह विचारधारा परंपरागत पर्यावरण वादियों की तुलना एक तरबूज से करती है जो ऊपर से हरा दिखाई देता है किं तु अंदर लाल होता है। पर्यावरण वादी भी ऊपरी तौर पर स्वयं को पर्यावरण संरक्षण का हिमायती बताते हैं, किं तु अंदर ही अंदर पूंजीवादी अर्थव्यवस्था का समर्थन करते हैं। ये समाजवादी एक ऐसे समाज की स्थापना करना चाहते हैं जिसमें मानवीय आवश्यकताओं की पूर्ति को प्राथमिकता दी जाए। साथ ही मनुष्य का प्रकृ ति क े अन्य जीव धारियों क े साथ सद्भावना पूर्ण संबंधों का विकास भी किया जाए। उत्पादन क े साधनों पर सामूहिक स्वामित्व की स्थापना क े माध्यम से ही इस लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है। पर्यावरण वादी समाजवादी राज्य क े स्वामित्व में गठित समाजवादी व्यवस्था क े आलोचक हैं क्योंकि इस व्यवस्था में नौकरशाही सत्ता क े माध्यम से राज्य का वर्चस्व स्थापित हो जाता है, अतः यह स्वतंत्र रूप से संगठित उत्पादक समूहों क े माध्यम से प्रजातिगत लिंगगत भेद को समाप्त कर एक समता पूर्ण ,न्याय पूर्ण समाज की स्थापना करना चाहते हैं। इनकी रणनीति अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जमीन से जुड़े लोगों और समूहों का नेटवर्क स्थापित कर अहिंसक तरीक े से समाज में क्रांतिकारी बदलाव लाने की है। ● पर्यावरणवादी राष्ट्रवाद-( Eco Nationalism ) यह राष्ट्रवाद की वह धारा है जो राष्ट्रवाद को पर्यावरण संरक्षण क े संदर्भ में परिभाषित करती है और राज्य क े नागरिकों से अपेक्षा करती है कि वे पर्यावरण की रक्षा कर मातृभूमि क े प्रति लगाव प्रदर्शित करें। डॉसन क े अनुसार ‘’ हरित राष्ट्रवाद पर्यावरण वाद, राष्ट्रीय पहचान एवं न्याय क े लिए संघर्ष का एक समन्वित रूप है। ‘’ वंचित वर्ग एवं सांस्कृ तिक मानव शास्त्र की दृष्टि से हरित राष्ट्रवाद किसी देश की देशज वनस्पतियों, प्राणियों एवं मानव समुदायों की पहचान करता है और उनक े संरक्षण हेतु कानून बनाने की अपील करता है। हरित राष्ट्रवाद दो रूपों में दिखाई देता है- नृजातीय राष्ट्रवाद एवं नागरिक राष्ट्रवाद। प्रथम का यह विश्वास है कि राष्ट्र राज्य का गठन एक प्रजाति क े आधार पर किया जाना चाहिए, जबकि नागरिक राष्ट्रवाद यह मान्यता है कि राष्ट्र राज्य विविधताओं से युक्त मानव समूहों का समन्वित रूप है।ऐसे समूह जिनक े मूल्य, विश्वास एवं संस्कृ ति एक समान हैं। हरित राष्ट्रवाद की अभिव्यक्ति वर्तमान में हरित पर्यटन क े रूप में हो रही है। राष्ट्रवादी कवियों की कविताएं एवं चित्रकारों क े चित्र इस प्रकार क े राष्ट्रवाद क े अन्य उदाहरण है। आलोचनात्मक मूल्यांकन- 20 वीं शताब्दी में पर्यावरणवादी आंदोलन अत्यधिक लोकप्रिय हुआ जब इसका क ें द्र बिंदु वन्य जीवन का संरक्षण था , किन्तु वर्तमान समय में कई आधारों पर इसकी आलोचना की जाती है। इनमें से क ु छ प्रमुख इस प्रकार है-
  • 13. 1. यह एक अभिजन वादी आंदोलन है जो उच्च मध्यम वर्ग क े श्वेत लोगों द्वारा प्रारंभ किया गया। अपने द्वारा की गई पर्यावरण संबंधी कार्यवाही की प्रशंसा में इस आंदोलन ने जंगलों में रहने वाली जनजातियों क े पर्यावरण संरक्षण संबंधी प्रयत्न को नजरअंदाज किया। 2. पर्यावरण संरक्षण संबंधी प्रयत्न क े एकांगी स्वरूप क े कारण क बहुत से अल्पसंख्यक समुदायों को आजीविका से हाथ धोना पड़ा। 3. पर्यावरणवादी पर्यावरण संरक्षण क े नाम पर मनुष्य द्वारा प्रकृ ति में कम से कम हस्तक्षेप क े समर्थक हैं , जबकि आलोचकों की मान्यता है कि मनुष्य का प्रकृ ति क े साथ जितना अधिक भावनात्मक लगाव होगा, वह उतना ही उसक े संरक्षण क े प्रति उद्यम शील होगा। अतः मनुष्य को प्रकृ ति में सकारात्मक भाव से अत्यधिक हस्तक्षेप करने की आवश्यकता है। 4. अमेरिकी लेखक फिल्म निर्देशक माइकल क्रिप्टन ने पर्यावरणवाद की यह कहकर आलोचना की कि यह धर्म प्रेरित अधिक है, न कि तथ्य आधारित। जलवायु परिवर्तन एक प्राकृ तिक घटना है जो सदियों से चली आ रही है और प्रकृ ति में स्वयं संतुलन की क्षमता है, इसक े लिए किसी खास प्रयत्न की आवश्यकता नहीं है, ऐसा तर्क उनक े द्वारा दिया गया है। 5. आलोचकों ने गहरे पर्यावरणवाद की आलोचना करते हुए कहा है कि यह आंदोलन एक धार्मिक विश्वास क े रूप में ज्यादा है न कि पर्यावरणीय मुद्दों पर एक तार्कि क सोच क े रूप में। महिला पर्यावरण वादियों एवं सामाजिक पर्यावरण वादियों ने गहरे पर्यावरणवाद की इस आधार पर आलोचना की है कि यह दर्शन प्रामाणिक नही है और लिंग, वर्ग एवं प्रजाति जैसे मुद्दों पर कोई सार्थक चर्चा नहीं करता है। References & Suggested Readings ● Environmental Philosophy,Encyclopaedia Britannica,http//britannica.com ● Green Anarchism;Towards the Abolition of Hierarchy,freedomnews.org.uk ● Dawson,2000, The Two Faces Of Environmental Justice;Lessons From The Eco Nationalist Phenomenon ● Ramchandra Guha,2016 Environmentalism;A Global History ● Eco- Socialism; Economics For The Climate Crisis,2022, http//www.noemamag.com ● Alberto Garzon Espinosa,2022,The Limits To Growth;Eco- Socialismor Barbarism,la-u.org प्रश्न - निबंधात्मक
  • 14. 1. पर्यावरणवादी आंदोलन पर एक निबंध लिखें। 2. पर्यावरण वादी बहस से संबद्ध विभिन्न सिद्धांतों का आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिए। 3. महिला पर्यावरणवाद एवं पर्यावरण वादी राष्ट्रवाद पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखें। वस्तुनिष्ठ 1. ‘ बर्निंग अर्थ’ किसकी पुस्तक है? [ अ ] मुरे [ ब ] आयनलैंड [ स ] क्लीवलैंड [ द ] वंदना शिवा 2. दुनिया का प्रथम हरित संविधान किस देश का है? [ अ ] बेल्जियम [ ब ] बोलीविया [ स ] अर्जेंटीना [ द ] नीदरलैंड 3. प्रोमिथियनिसम की धारणा किसक े द्वारा प्रतिपादित की गई? [ अ ] जॉन डीरेक [ ब ] टेड ट्रेनर [ स ] एलन बॉर्डर [ द ] डेविड पेपर 4. किसी राष्ट्र द्वारा देशज वनस्पति क े लिए पेटेंट दायर किया जाना किस प्रकार क े पर्यावरण वाद क े अंतर्गत आएगा? [ अ ] समाजवादी पर्यावरणवाद [ ब ] राष्ट्रवादी पर्यावरणवाद [ स ] अराजकतावादी पर्यावरण वाद [ द ] महिला वादी पर्यावरण वाद 5. आव्रजन नीतियों को कठोरता पूर्वक लागू करना किस प्रकार क े पर्यावरण वाद क े अंतर्गत आता है? [ अ ] राष्ट्रवादी पर्यावरणवाद [ ब ] फासीवादी पर्यावरण वाद [ स ] समाजवादी पर्यावरणवाद [ द ] उपर्युक्त सभी। उत्तर- 1. अ 2.ब 3. अ 4. ब 5. ब
  • 15. References & Suggested Readings ● Environmental Philosophy,Encyclopaedia Britannica,http//britannica.com ● Green Anarchism;Towards the Abolition of Hierarchy,freedomnews.org.uk ● Dawson,2000, The Two Faces Of Environmental Justice;Lessons From The Eco Nationalist Phenomenon ● Ramchandra Guha,2016 Environmentalism;A Global History ● Eco- Socialism; Economics For The Climate Crisis,2022, http//www.noemamag.com ● Alberto Garzon Espinosa,2022,The Limits To Growth;Eco- Socialismor Barbarism,la-u.org