दर्शन योग धर्मार्थ ट्रस्ट [पंजीकरण क्रमांक- ई/३६१७/साबरकांठा (गुज)],कार्यालय- आर्यवन विकास क्षेत्र,रोजड,पत्रालय-सागपुर,जिला- साबरकांठा,गुजरात,पिन- ३८३३०७] अपने पूर्वजों ऋषि-मुनियों के द्वारा अनुपालित परम्पराओं की अनमोल थाती को सुरक्षित रखने के लिए सदैव प्रयासशील है । ट्रस्ट संविधान(Trust Deed)(न्यासियों के अधिकार क्रमांक- ठ) के अनुसार दिनांक ०१-०२-२०१७ को ट्रस्ट की प्रस्ताव सभा-२० में क्रमांक -४ में इसी दिशा में एक प्रस्ताव पारित किया गया है । आर्य समाज में योग-विद्या में आदर्श माने जाने वाले पूज्य स्वामी सत्यपति जी परिव्राजक की यह अभिलाषा रही है कि समाज में ऐसे सत्यवादी परोपकारी दार्शनिक आदर्श योगियों का निर्माण किया जाये, जिनका मुख्य उद्देश्य निष्ठापूर्वक ईश्वर, जीव, प्रकृति व भौतिक पदार्थों का वैदिक ज्ञान-विज्ञान आदान-प्रदान करना हो । यह सब कार्य समान लक्ष्य वाले व्यक्तियों के धार्मिक संगठन द्वारा ही सम्भव है । दर्शन योग धर्मार्थ ट्रस्ट ने अपने उपरोक्त प्रस्ताव द्वारा ऐसे संगठन-निर्माण का निश्चय किया है ।
पूज्य श्री स्वामी सत्यपति जी परिव्राजक के आशीर्वाद पूर्वक चैत्र शु.०५ वि. २०७४ तदनुसार ०१ अप्रैल २०१७, शनिवार को न्यास के कार्यालय में प्रवंधक न्यासी श्री स्वामी विवेकानन्द जी परिव्राजक के अध्यक्षता में न्यासियों तथा अनेक आमंत्रित महानुभावों के उपस्थिति में सर्वसम्मति पूर्वक परिषद का निर्माण किया गया ।
1.
पर्ाक्कथन
दशर्न
िवकास क्षेतर्
ऋिष-मुिन
पर्यासशील
०१-०२-२
िकया गया
पिरवर्ाजक
का िनमार्ण
वैिदक ज्ञान
संगठन ार
का िन य
पूज्य शर्
०१ अपर्ैल
पिरवर्ाजक
पूवर्क पिरष
पिरषद् का
शाखा
सदस्यता
के अनुसार
चयन अंतर
पिरषदध्यक्ष
संयोजक
अन्तरंग स
िवशेष सभ
साधारण स
पिरषद् के
• वै
योग धमार्थ
तर्, रोजड,
नय के ार
ल है । टर्स्ट
२०१७ को
ा है । आयर्
क की यह अि
ण िकया जा
न-िवज्ञान आ
रा ही सम्भ
िकया है ।
शर्ी स्वामी
ल २०१७, श
क के अध्यक्ष
षद का िनम
ा नाम :-
:-
:-
र ही सभा
रंग सभा ा
क्ष :- द
:- त
सभा :- न्
भा :- न्
सभा :- स
मुख्य पर्योज
विदक योगिव
थर् टर्स्ट [पंज
पतर्ालय-स
रा अनुपािल
संिवधान(T
टर्स्ट की पर्
यर् समाज म
िभलाषा रही
ाये, िजनका
आदान-पर्दा
भव है । दशर्न
सत्यपित ज
शिनवार को
क्षता म न्याि
मार्ण िकया ग
“ वैिदक पि
१- िव ा प
२- पर्बन्ध
३- सहयोग
िक्त की य
ा म भाग
ारा होगा ।
दशर्न योग ध
तीन पिरष
न्यासीगण त
न्यासीगण त
सभी सदस्य
जन:-
िव ा के ार
॥ वैिदक
पजीकरण कर्
सागपुर, िजल
लत परम्परा
Trust Dee
पर्स्ताव सभा
म योग-िव
ही है िक सम
ा मुख्य उ ेश्
ान करना हो
न योग धमार्
जी पिरवर्ाज
को न्यास के
िसय तथा
गया ।
िरषद्”
पिरषद्
पिरषद्
ग पिरषद्
योग्यता के आ
ग लेने व सम्
धमार्थर् टर्स्ट
षद् के पृथक्-
तथा कुछ यो
तथा सभी प
सिम्मिलत
रा ई र सा
॥ ओ३म
क पिरषद्
कर्मांक- ई/३
ला- साबरक
ा की अन
d)(न्यािसय
ा-२० म कर्
ा म आदश
माज म ऐसे
श्य िन ापूव
हो । यह सब
ार्थर् टर्स्ट ने अ
जक के आशी
क कायार्लय
अनेक आम
आधार पर
म्मित देने क
के पर्बन्धक
-पृथक् संयो
योग्य चयिनत
पिरषद् के प
ह गे । (वष
ाक्षात्कार कर
म् ॥
की रूपरेख
३६१७/साब
कांठा, गुजर
नमोल थाती
य के अिधक
कर्मांक -४ म
शर् माने जा
स सत्यवादी
वर्क ई र,
ब कायर् सम
अपने उपरोक्त
शीवार्द पूवर्क
म पर्वंधक
मंितर्त महान
पिरषद् की
की िस्थित
क न्यासी ।
ोजक का चय
त िक्त सि
पदािधकारी
षर् म कम से
रना तथा क
खा ॥
बरकांठा (गु
रात, िपन-
ती को सुरिक्ष
कार कर्मांक
म इसी िदश
ाने वाले पूज्
परोपकारी
जीव, पर्कृि
मान ल य व
क्त पर्स्ताव
क चैतर् शु.०
न्यासी शर्ी
नुभाव के
ी शर्ेणी म पर्व
होगी । पर्त्
यन टर्स्ट सभ
िम्मिलत ह
सिम्मिलत
स कम एक ब
करवाना ।
गज)], कायार्
३८३३०७]
िक्षत रखने
क- ठ) के अ
शा म एक पर्
पूज्य स्वामी
दाशर्िनक आ
ित व भौित
वाले िक्त
ारा ऐसे स
५ िव. २०
ी स्वामी िव
उपिस्थित
वेश िदया ज
त्येक शर्ेणी के
भा करेगी ।
गे ।
ह गे ।
बार)
1 | P a g
ार्लय- आयर्व
] अपने पूवर्
के िलए सद
अनुसार िदन
पर्स्ताव पाि
सत्यपित
आदशर् योिग
ितक पदाथ
क्तय के धािम
संगठन-िनम
७४ तदनुस
िववेकानन्द
म सवर्सम्म
जाएगा । शर्े
के सदस्य
g e
वन
वर्ज
दैव
नांक
िरत
जी
िगय
का
िमक
मार्ण
सार
जी
मित
शर्णी
का
2.
• वै
• वै
स
•
क
• िश
पर्च
• वै
• िव
की
• पर्ा
पि
• क
सं
• स
• ध
• वै
• स
पिरषद् – पर्
१. वै
त
पर्ा
२. पि
३. भ
व
क
४. पि
य
विदक दशर्न
वराग्यवान् य
सहयोग करन
ातक तथा
करना ।
िशिवर, गो ी
चार-पर्सार
विदक योगिव
िविभ स्थान
की स्थापना त
ांतीय, मंड
िरवार का
कायर्रत् समा
सब ता (Af
साधक , ात
धािमक िक्त
विदक िस ान्
सभी को योग्
पर्वेश से ला
विदक योगिव
तथा सभी स
ा होती रहे
िरषद् योग्य
भिवष्य म स
वषर् के उपरान्
का पर्य करे
िरषद् िव
या सेवा की
व योग िव
योगाभ्यासी
ना ।
ा साधक के
ी, सम्मेलन
करना ।
िव ा पर िकर्
न म साधन
तथा संचाल
डलीय से ले
िनमार्ण कर
ाज, संगठन
ffiliation) दे
तक , पर्चार
िक्तय के साथ
न्त के अनुक
ग्यतानुसार स
ाभ :-
िव ा के ा
सदस्य अथार्
हेगी ।
यतानुसार पर्
साधन उपल
न्त अवस्था
रेगी ।
ापिरषद् के
वस्था का
ा के ातक
ी िव ान् बर्
क िलए िनव
न आिद िवि
कर्यात्मक अन
नाशर्म, पर्च
लन करना ।
लेकर गर्ाम
रना ।
न, सिमित,
देना ।
रक के िलए
थ सभी पर्क
कूल सािहत्य
सेवा के अव
ारा ई र-स
ार्त् िजज्ञासु
पर्त्येक को क
लब्ध होने प
होने पर उ
क अिधकािर
ा पर्यास करे
क , आचाय
चािरय व
वास तथा वृ
िभ कायर्कर्
नुसंधान कर
चार केन्दर्, ि
स्तरीय पर्च
संस्थान म
ए कायर्क्षेतर् उ
कार से िमलक
त्य की रचना
वसर उपलब्
साक्षात्कार
को परस्प
कायर्क्षेतर् तथ
पर पिरषद् ि
उनके िलये िन
रय की वृ
रेगी ।
य , साधक ,
व संन्यािसय
वृ ावस्था म
कर्म के माध्य
रना ।
िशिवर केन्दर्
चार सिमित
म योगिव
उपलब्ध कर
कर संगिठत
ा, पर्काशन त
ब्ध करवाना
करने और
स्पर एक दूस
था सेवा का अ
िव ापिरष
िनवास, व
ावस्था या
पर्चारक क
य हेतु साध
म उनकी सेव
ध्यम से वैिद
दर्, गुरुकुल,
ितय के म
ा की संवृि
रवाना ।
त रहना ।
तथा िवतरण
ा । आिद आ
करवाने व
सरे को ज्ञान
अवसर भी
षद् के चयिन
, भोजन, स
दीघर् िचिक
का िनमार्ण
धना की
वा व सुरक्ष
दक दशर्न, य
योग महािव
माध्यम से ि
ि व सुरक्ष
ण करना ।
आिद … ।
वाले योगाभ्
न िवज्ञान सं
उपलब्ध कर
िनत अिधका
सुरक्षा, सहा
कत्सािद म िन
2 | P a g
करना ।
वस्था व अ
क्षा की वस्
योग िव ा
िव ालय आ
िवशु वैिद
क्षा देना । त
भ्यासी साध
सबंधी सहाय
रवाएगी ।
ािरय की ५
ायता वस्
िनयिमत सेव
g e
अन्य
स्था
का
आिद
िदक
तथा
धक
यता
५०
स्था
वक
3.
५. पि
य
६. पि
स
७. पि
क
८. पि
वै
९. पि
श
१०. पि
अ
स
११. पय
त
पिरषद् – पर्
१. स
२. स
पर्
से
३. पर्
अ
श
िरषद् िव
यथायोग्य सह
िरषद् सभी
सहयोग करेग
िरषद् का क
कायर्कर्म, िश
िरषद् का क
विदक िस ान्
िरषद् का क
शाखा का संच
िरषद् का क
अथार्त् महाि
सकता है ।
यार्वरण शुि
तथा शु सा
पर्वेश के िन
सदस्य के िल
क. वैिदक
दयान
ख. पर्ितिद
ग. मानि
शुभिच
घ. १००
पर्दान
ङ. शाका
करने
च. जुआ,
सहयोग पिर
पर्कल्प म अथ
स कम कुल १
पर्बन्ध पिरष
अथवा िकसी
शारीिरक रूप
ापिरषद् के
हयोग उपल
ी सदस्य व
गी ।
कोई भी स
शिवर, सम्मेल
कोई भी सद
न्त व योग ि
कोई भी सद
चालन कर स
कोई भी अि
िव ालय, गु
ि हेतु अि
ाित्वक जैिवक
नयम :-
लए सामान्य
क मन्त व
नन्द के गर्ंथ
िदन वैिदक उ
िसक, वाचि
िचन्तक हो ।
०/- (एक ह
न करना ।
ाहारी होना
वाला ।
अफीम, म
रषद् की सद
थवा कोई िव
१,००,०००
षद् की सदस्य
सी िवशेष क
प से कम से
क सभी सदस्
लब्ध करवाये
व अिधकािर
सदस्य कह
लन, गोि य
दस्य वेद-पर्च
िव ा का पर्
दस्य “पर्ांती
सकेगा ।
िधकारी कह
गुरुकुल, पर्च
िग्नहोतर् के ि
क अ तथा
योग्यता-
व िस ान्त (
म विणत)
उपासना क
चिनक, शारी
(सदस्यता
हजार) रुपय
ा तथा बीडी
म मांसािद क
दस्यता के
िवशेष कायर्कर्
०/- (एक ला
स्यता के िलए
कायर्कर्म आ
स कम तीन व
स्य को आरं
येगी ।
रय को िव
भी पिरष
यां आिद कर
चार सिमित
पर्चार कर स
ीय-सिमित
ह भी टर्स्ट
चार केन्दर्, ि
िलए उ म
ा भोज्य पद
(जो वेद तथ
को स्वीकार
करने वाला ।
रीिरक व आ
शुल्क के अ
या व इस से
डी, िसगरेट,
का वसाय
िलए दशर्न
कर्म आयोज
ाख) रुपया
ए दशर्न योग
आयोजन म
वष से जुड़े
रंभ से ही आ
वशेष धािमक
षद् संयोजक
र सकेगा ।
त के माध्यम
सकेगा ।
अध्यक्ष” की
की अनुमित
िशिवर केन्दर्
हवन साम
दाथर् आिद उ
था वेदानुकूल
र करने वाल
आिथक रूप
अितिरक्त आि
से अिधक रा
अफीम, श
य न करने व
न योग महा
जन अथवा आ
इस संस्थान
ग महािव
वस्था स
हुए हो ।
आकिस्मक य
क पर्चारािद
क की अनुम
म से वैिदक प
ी अनुमित
ितपूवर्क स्वत
न्दर् आिद का
मगर्ी, सिमध
उपलब्ध होग
ल आषर् वाङ्
ला ।
प म दशर्न
िथक सहयो
ािश सदस्यत
शराब आिद
वाला ।
ािव ालय
आवेदन िदन
न को दान के
ालय अथव
सम्बिन्धत क
या न्यूनकाली
िद कायर्कर्म
मित से संस्थ
पिरवार का
से वेद-पर्चा
तन्तर् रूप म
ा िनमार्ण व
धा, गाय का
गा ।
ङ्मय पर आ
न योग धम
ोग देना स्वैि
ता शुल्क रू
मादक दर्
म अथवा टर्
नांक से पूवर्
के रूप म िद
वा टर्स्ट के िक
कायर् म िव
3 | P a g
लीन रुग्णता
म यथाशि
था के नाम
ा िनमार्ण त
ार सिमित
म नूतन पर्क
व संचालन क
ा घी आिद
आधािरत मह
मार्थर् टर्स्ट
िच्छत है ।)
रूप म एक ब
का सेवन
टर्स्ट के िक
३ वषर् म क
दये हो ।
िकसी पर्कल्प
िवशेष बौि
g e
ा म
िक्त
से
तथा
की
कल्प
कर
का
हिष
का
बार
न न
कसी
कम
प म
क/
4.
अ
आ
अ
द
रहे
४. िव
(क) द
िदया
बर् च
(ख) ि
दश
पर्
(ग) पर्
(घ) य
५. स
अ
६. ए
आ
७. िन
प
१- िव ा
क. स्व
ख. स्व
ग. गू
िव
घ. वै
भ
ङ. िक
च. दी
अथवा
आयर्वन पिरस
अथवा
शर्न योग म
हे ह ।
िव ा पिरषद
दशर्न योग म
हो ।
वैिदक (आ
चारी/ संन्या
िकसी भी गुरु
शर्न योग म
थमावृि अ
पर्ायः पर्ितिदन
यम-िनयम क
साधारण सद
अिधकार आि
एक िक्त ए
आिद म एक
िनधार्िरत यो
पिरषद् के सद
पिरषद् के
स्व-पिरषदीय
स्व-पिरषद् क
गूढ वैिदक य
िववेक-वैराग्य
विदक िव ान
भाषा का पर्
िकसी एक व
ीघर् कालीन
सर म कम
महािव ालय
द् की सदस्य
महािव ालय
आयर् समाज) ि
ासी ३ वषर् त
रुमुख से योग
महािव ालय
अध्ययन िकया
न दोन समय
का पालन कर
दस्य को यो
िद म पिरव
एकािधक पि
ही पद का
ोग्यता के अं
दस्य आिद
कायर् :-
य सभा क
का उप-संयो
योगिव ा क
य की अनुभ
न्, उपदेशक
पर्िशक्षण देक
अनेक वैिद
योग साधन
से कम ५ ब
य के सघन
यता के िलए
य म अथवा इ
िवचार रखने
तक तथा वान
पिरषद्
गदशर्न सिहत
य म अथवा
ा हो ।
य िनयिमत व
रने म तत्पर
योग्यता अथार्
वतर्न / पिरव
िरषद् म सद
अिधकारी ब
अतगर्त आने
बन सकते ह
का आयोजन
ोजक आिद
का अनुसंध
भवात्मक पर्ेर
क, साधक क
कर पर्चार के
दक िवचार
ना िशिवर
बार योग िश
साधना िश
ए ।
इस की कोई
अथव
ने वाले अन्य
अथव
नपर्स्थ/ गृहस्थ
द् म सदस्य आ
त कुल २ दशर्
अथव
दशर्न योग
वैिदक ई र
रहता हो (यो
ार्त् कायर्काल
वधर्न िकया
दस्य बन सक
बन सकेगा
वाले संस्था
ह ।
न करना ।
कायर्क ार् क
धानात्मक ज्ञ
रणा का आ
का िनमार्ण
के अवसर उ
को लेकर ग
का आयोज
शिवर म भाग
िशिवर म कम
शाखा म कम
वा
गुरुकुल म २
वा
स्थी ५ वषर् त
आिद पद म र
शर्न पढ़ा हो ।
वा
महािव ाल
उपासना क
योगाभ्यासािद
ल, अवस्था
जा सकेगा
कता है परंतु
।
ान, टर्स्ट, स
का चयन कर
ज्ञान, योगाभ्
आदान-पर्दान
करना । उन
उपलब्ध कर
गो ी, चचार्,
जन करना ।
ग िलया हो
म से कम १
म से कम १ व
२ वषर् अध्यय
तक दशर्नयोग
रहा हो ।
लय की िशष्य
करता हो ।
िद साधना अ
ा, सेवा आिद
।
तु एक-एक क
सिमित आिद
रना ।
भ्यास से उ
न करने हेतु
नम से रुिच
राना ।
, अनुसन्धान
ो ।
१ माह िशिव
वषर् का सम
यन के िलए र
ग सहयोग पि
ष्य परम्परा
अभ्यास म पर्व
िद के आधार
कायर्क्षेतर् म
द के सुयोग्य
उपलब्ध अनु
तु िवशेष का
च व योग्यता
न आिद कर
4 | P a g
िवराथ रूप
मय अध्ययन
रहे ह ।
िरषद् / पर्बन्
से कम से क
व र्मान हो )
र पर सम्मा
अथार्त पर्क
य पर्ितिनिध
नुभूितयां त
ायर्कर्म करन
ानुसार िवदे
रना ।
g e
प म
हेतु
न्ध
कम
)।
ान,
कल्प
भी
तथा
ना ।
दशी
5.
छ. वै
क
ज. वै
झ. वै
आ
ञ. नूत
ट. िक
ठ. िव
२- पर्बन्ध
क.
ख
ग.
घ.
ङ.
च.
छ.
ज.
झ.
ञ.
ट.
ठ.
ड.
ढ.
ण.
विदक पर्वक्त
करना । उन क
विदक गर्न्थ
विदक गर्ंथ र
आध्याित्मक
नूतन पर्कल्प
िकसी भी पर्क
िव ा पिरषद
ध पिरषद् के
. स्व पिरषद
. स्व-पिरषद
दूसरे टर्स्ट
. नूतन पर्कल्
. पंचायत स्
िनमार्ण क
. पर्बन्ध पिर
पिरषद् म
. साधक ,
. िव ापिरष
पर्कल्प अध्
. िवशेष-िव
सम्मान स
. िशिवर, स
वेद-पर्चार
गृह त्यागी
आवश्यकत
धािमक, स
िनकट स्थ
करना तथ
पुस्तक पर्द
मेले म स्ट
. पर्ाकृितक
क्ता, भजनोपदे
को पर्वचन
पर िनणर्या
रचना म आ
सािहत्य की
बनाने म स
कल्प को िव
द् के सदस्य
कायर् :-
दीय सभा
द् का उप-स
ट व संस्थान
ल्प के िनमार्
स्तरीय, िज
करते हुए “वै
िरषद् के सद
म जुड़ने के िल
ातक , पर्च
रषद् के अिध
ध्यक्ष के िनद
व ान-योगाभ्
समारोह का
सम्मेलन आि
र सिमितय
गी िव ान
ता के अनुस
सामािजक
थान पर य
था इन िवषय
दशर्नी तथा
टाल लगाकर
आपदा से
देशक , उप
तथा शंका
ात्मक शोध
आवश्यक भू
की समीक्षा क
सहयोग करन
ान् उपदेश
के िलए न
का आयोज
संयोजक आि
को संब त
ार्ण म सहयो
िजला स्तरीय
विदक पिरवा
दस्य , पर्चार
िलए पर्ेिरत क
चारक , उप
िधकािरय के
दशन म )
भ्यािसय क
ा आयोजन
िद का आयो
की रक्षा व
के माता-िप
सार उन की
एवं राजनी
यज्ञ, ध्यान,
य की पर्दशर्
पुस्तक मेल
र वैिदक तथ
से पीिड़त त
पदेशक आि
समाधान की
करना ।
भूिमका िनभ
करना । उन
ना ।
शक आिद की
नाम पर्स्तािव
जन करना
िद कायर्क
ता (affiliati
ोग देना ।
य, राज्य स्
ार ” का गठ
रक पर्हरी,
करना ।
पदेशक आिद
क िलए िनव
का िकसी
करना ।
ोजन करवा
व संवृि आ
िपता पिरजन
पिरचयार् त
ीितक संस्थ
वेद उपदेश
शर्िनयां लगा
ल का आयो
था आध्याित्म
तथा िनधर्न
िद हेतु िस
की कला तथ
भाना । िव
न म आवश्य
की सेवा क
िवत करना ।
।
ार् का चयन
ion) देने के
स्तरीय अने
ठन करना ।
पर्चारक आ
िद के िलए क
वास, भोजन
िवशेष अव
ाना ।
आिद करना ।
न को िवशे
तथा सुशर्ुषा क
था के बृह
श तथा शंक
ाना ।
योजन करना
ित्मक सािहत्य
हेतु बचाव
ान्त पर्िशक्ष
था िवज्ञान क
ान गो ी
यक संशोधन
का आदान-पर्
न ।
क िलए नाम
नेक पर्कार
।
आिद के िलए
कायर्क्षेतर् उप
न आिद व
वसर पर स
शेष कायर्कर्म
का पर्बंध क
हद िवशाल
का समाधान
ा अथवा रा
त्य का पर्चार
तथा सहयो
क्षण िशिवर
को पर्दान क
आयोिजत
न कराने का
पर्दान करन
पर्स्तािवत
से पर्चार स
ए उपयुक्त म
पलब्ध करव
वस्था करन
सावर्जिनक
म म सम्मा
करना ।
आयोजन के
न कायर्कर्म
ाि य -अंता
र-पर्सार कर
ोग करना ।
5 | P a g
का आयोज
करना ।
कर के वैिद
पर्यास करन
ना ।
करना ।
सिमितय
महानुभाव
वाना ।
ना । (संबिन्ध
अिभनंदन
ािनत करना
के अवसर
का आयोज
ाराि य पुस्त
रना ।
आिद......
g e
जन
िदक
ना।
का
का
न्धत
व
ना ।
पर
जन
स्तक
6.
३- सहयो
क.
ख
ग.
घ.
ङ.
च.
छ.
ज.
झ.
ञ.
पिरषद से
(क) पिर
(ख) न्या
(ग) मान
की ज
(घ) स्व-
(ङ) न्या
िव.दर्.
स
अ
ोग पिरषद् के
. स्व पिरष
करना।
. पर्त्येक पर्क
िव ापिरष
व अन्य स
. नूतन पर्कल्
. पिरषद् के
सुरक्षा िन
सम्मान व
. िव ापिरष
की वस्थ
. पयार्वरण
िनमार्ण त
. शु साित्व
. पुस्तक, सी
. औषधीय व
पृथक् करने
िरषद् ारा ि
ास/पिरषद्
निसक िवकृ
जाएगी ।
-पद से त्याग
ायालय ार
:- १ -आव
२- पर्ित
संपािदत क
अध्यक्ष शर्ी
के कायर् :-
षदीय सभा
कल्प, सिमित
रषद् के अिध
सहयोग करन
ल्प के िनमार्
क कायर् कला
िनिध, गुरुकुल
व अिभनन्दन
रषद् के सभी
स्था करना ।
शुि हेतु अ
तथा िवतरण
ित्वक जैिवक
सीडी, आिद
वनस्पित त
ने के िलए िन
िनधार्िरत यो
के िवरु अ
कृित घोिषत
ग पतर् देने से
रा आिथक/च
आवश्यकतानुस
ित सदस्य स्
कर सकते है
ी / स्व पिरष
का आय
ित, पर्चार के
िधकािरय के
ना।
ार्ण म आिथ
ाप हेतु िन
कल- संचाल
न िनिध, यज्ञ
भी अिधकािर
(संबिन्धत
अिग्नहोतर् के
ण करवाना ।
अ तथा भ
का िनमार्ण
तथा वृक्ष, उ
िनयम :-
योग्यता से िव
अथवा हािन
त होने पर प
से ।
चािरितर्क/ह
नसार िनयम
स्वपिरषद् के
है । परंतु ए
षद् के संयोज
योजन करन
कन्दर् की आि
क िलए िनव
िथक व अन्य स
निधय की स्
लन िनिध,
ज्ञ-पर्सार िन
िरय के िल
पर्कल्प अध्य
क िलए उ म
।
भोज्य पदाथ
ण व िवतरण
ान, वन आ
िवरु आचर
नकारक गित
पदमुक्त कर
हत्या संबिन्ध
म व वस्थ
के कायर् के
एकरूपता त
जक से पूवर् अ
ना । उप-स
िथक िस्थित
वास,भोजन
सहयोग देन
स्थापना तथ
गौवंश संव
निध आिद आ
लए स्वास्थ्य
ध्यक्ष की सह
म हवन साम
थर् आिद का
ण करना ।
आिद का िन
रण /उल्लंघ
तिविधय म
रते हुए यथ
धत अपराधी
था म संशो
अंतगर्त सभ
तथा संगठन
अनुमित व अ
संयोजक आ
तय का समा
आिद हेतु उ
ना ।
था पिरवधर्न
वधर्न िनिध,
आिद ।
बीमा (he
हमित से)
मगर्ी, सिमध
िनमार्ण तथ
नमार्ण करना
घन करने से
म संलग्न होने
थायोग्य िचि
धी घोिषत हो
शोधन व संव
भी पर्कार क
न रूप देने क
अनुमोदन ले
आिद कायर्क
ायोजन कर
उ म वस्
न करना ।
, सािहत्य
ealth Insu
धा, गाय का
था िवतरण
ा । आिद ..
।
न से ।
िकत्सा आिद
होने से ।
वधर्न संभव ह
कायर् को स्व
के िलए िव
लेना आवश्य
6 | P a g
क ार् का चय
रना ।
स्था म आिथ
यथा- ात
पर्चार िनि
urance) जै
ा घी आिद
करवाना ।
...
िद की वस्
है ।
स्वतन्तर् भाव
िवशेष काय
यक रहता है
g e
यन
िथक
तक-
िध,
जैसे
का
स्था
व से
म
है ।
7.
पिरषद की
पर्ाक्कथ
दशर्
स्थापना क
देगी ।
नाम :
वेद-पर्च
• सु
अ
• वैि
• ज
रा
वेद-पर्च
१. उ े
का
२. वैि
३. पर्त्
४. यो
पर्य
५. संस्
६. वैि
वैि
सह
७. िव
की
८. का
व
९. वैि
१०. धा
११. इच्
की एक पिरयो
थन
शर्न योग धम
करेगी व इस
-
चार सिमित
सुिनयंितर्त व
अनुसार आव
विदक योगिव
जन साधारण
ा भिक्त, िव
चार सिमित
ेश्य कायर्ि
ा आयोजन
िदक योगिव
त्येक पिरवा
ोजनाब रू
यास करना
स्कृत िशक्षा
िदक संस्कृित
िदक गवेषक
हायता देना
िविभ स्थान
ी स्थापना म
ायर्रत समा
सुरक्षा देना
िदक साधक
ािमक िक्त
च्छुक िक्त
योजना :-
मार्थर् टर्स्ट
स सिमित के
“वेद पर्चा
ित (शाखा) के
व विस्थत
वश्यक वैिदक
िव ा के ार
ण तक वैिद
िव भर्ातृत्व
ित (शाखा) क
िन्वत करने
करना ।
िव ा पर िकर्
ार म वैिदक
रूप म वैिदक
।
ा के पर्चार-पर्
ित के पर्चार
क आिद को
ा ।
न म चल र
म आिथक व
ाज, संगठन,
ा ।
क तथा वैिद
क्तय के साथ
क्तय को योग्
॥ वे
ारा संचािल
क माध्यम से
ार सिमित”
के उ ेश्य :-
त रूप से ज
क दशर्न आि
रा ई र सा
िदक ज्ञान, य
आिद गुण
की कायर्िवि
के िलए िश
कर्यात्मक अनु
क संस्कार त
क पिरवार,
पर्सार के िल
र के िलए वेद
को पुरस्कृत
रहे साधनाशर्
व शारीिरक
, सिमित, स
दक िव ान
थ सभी पर्का
ग्यतानुसार
वेद-पर्चार-
॥ रूपरेख
िलत वैिदक प
स अपने मुख्य
।
-
जन - जन त
िद सािहत्य
ाक्षात्कार कर
योग िव ा,
को स्थािपत
िध :-
िशिवर, कायर्
नुसंधान कर
तथा पंच मह
वैिदक गर्ाम
िलए िशिवर,
दपाठी, वैिद
व सम्मािन
शर्म, पर्चार के
क सहयोग क
संस्थान म
के िलए का
ार से िमलक
सेवा के अव
-सिमित ॥
खा ॥
पिरषद् पर्त्ये
ख्य पर्योजन
तक वेद का
का अध्याप
रना तथा क
, ई रभिक्त
त करना ।
यर्शाला, वक्त
रना ।
हायज्ञ का स्
म िनमार्ण क
कायर्शाला
िदक िव ान
िनत करना,
केन्दर्, िशिव
करना ।
वैिदक िव
ायर्क्षेतर् उपल
कर संगिठत
वसर उपलब्
॥
येक राज्य म
को एक सुि
ा संदेश पहुं
पन करवाना
करवाना ।
िक्त, नैितकत
क्तृत्वािद पर्ित
स्थापन करन
करते हुए वैि
, सािहत्य पर्
, वेद-पर्चार
आिथक अ
वर केन्दर्, गुरु
ा और योग
लब्ध करवान
रहना ।
ब्ध करवाना
म “वेद पर्चार
िनयंितर्त
हुचाना । यो
ा ।*
ता, मानवत
ितयोिगता,
ना ।
िदक रा िन
पर्काशन कर
रक, वैिदक
अनुदान, वृि
रुकुल, योग
गिव ा की
ना ।
ा ।
7 | P a g
ार सिमित”
वहािरक रू
ोग्यता व रु
ता, अनुशास
पर्दशर्नी आ
िनमार्ण के िल
रना ।
गर्ंथ रचियत
ि तथा अ
महािव ाल
संवृि कर
g e
की
रूप
रुिच
सन,
आिद
िलए
ता,
अन्य
लय
रना
8.
१२. अ
आ
अ
१३. पय
िन
१४. शु
१५. पय
स
सिमित
शाखा
• एक
• एक
• एक
• एक
सिम
• पर्त्ये
“िक
पर्व
पर्ग
वैिदक िजज्ञ
क. बाल
तथ
ख. वैिद
के गर्
ग. पर्ित
घ. पर्ित
स्वा
ङ. मान
च. पंजी
कर
कर
अकाल, भूकम्
आपदा की
अथवा िक्त
यार्वरण शुि
िनमार्ण तथा
शु साित्वक
यार्वरण की
समायोजक
ित-अध्यक्ष :-
(“पर्ांती
, शाखा के ि
क राज्य म क्षे
क िवभाग म
क िजले म अ
क ब्लॉक म
िमित शाखा
त्येक गर्ाम व
कशोर वैिदक
वक्ता” तथा
गित के िलए
ज्ञासु के िलए
ल वैिदक-िज
था युवक वैिद
िदक मन्त
गर्ंथ म विण
ितिदन िनराक
ितिदन पर्ातः
ाध्याय आिद
निसक, वाच
जीकृत शुल्क
रने के िलए स
रनी होगी ।
म्प, बाढ़, अ
ी िस्थित म
क्तय को दान
ि हेतु अि
िवतरण कर
क जैिवक अ
ी शुि , सुर
को आिथक
- वैिदक पिर
ीय-सिमित
िवभाग :-
क्षेतर्ानुसार ि
म अनेक िजल
अनेक ब्लॉक
अनेक पंच
।
व पंचायत
क िजज्ञासु”
“वैिदक पि
ए पर ध्यान ि
ए न्यूनतम य
िजज्ञासु १२
िदक-िजज्ञासु
व िस ान्त
णत) के पर्ित
ाकार ई र
ः ५ से ९ ब
िद के िलए स
चिनक, शारी
क ५०/- रुप
संबिन्धत स
अिग्नकाण्ड,
राहत कायर्
न, चन्दा, अ
िग्नहोतर् के ि
करवाना ।
तथा भोज्
रक्षा एवं स
क सहायता दे
िरषद के अंत
अध्यक्ष” के
िवभाग (zo
ला स्तरीय वे
स्तरीय वेद
चायत स्तरी
स्तरीय वेद
, “युवक वै
िरवार” । (ि
िदया जाएग
योग्यता :-
वषर् अवस्थ
सु २१ से अि
त (जो वेद त
शर् ा रखने
की वैिदक उ
बजे के अंद
समय लगाने
रीिरक व आ
पये रािश पर्
साधन जैसे पर्
महामारी त
यर् करना तथ
अथवा अंशदा
िलए उ म
ज्य पदाथर् आ
सन्तुलन हेतु
देना । आिद
तरंग सभा
अभाव म द
one) स्तरीय
वेद-पर्चार-स
द-पर्चार-सि
ीय वेद-पर्च
द-पर्चार सि
वैिदक िजज्ञा
िजनको पर्म
गा ।)
था तक, िकश
िधक अवस्थ
तथा वेदानुकू
न वाला हो ।
उपासना कर
दर िन ापूवर्
ने वाला हो
आिथक रूप म
पर्दान करने
पर्ितिदन के
तथा इसी पर्
था ऐसे राहत
ान देना ।
हवन साम
आिद का िनम
तु यज्ञािद क
आिद … ।
ारा चयिनत
दशर्न योग ध
य वेद-पर्चार
सिमित शाख
िमित शाखा
चार-सिमित
िमित शाख
ासु”, “वैिदक
माण पतर् व
शोर वैिदक-ि
था वाला हो
कूल आषर् वा
।
रने की इच्छ
वर्क१५ िमिन
।
म वेद-पर्चार
वाला हो
मुिदर्त साम
पर्कार की अ
त काय म
मगर्ी, सिमध
मार्ण तथा ि
का आयोजन
त “पर्ांतीय-
धमार्थर् टर्स्ट
र-सिमित ।
खा ।
ा ।
शाखा व
खा म अनेक
क शर् ालु”
व सम्मान िद
िजज्ञासु १३
ो ।
ाङ्मय पर आ
छा रखने वा
िनट सिमित
र-सिमित क
। पिरषद/टर्
मगर्ी आिद हे
अन्य भौितक
संलग्न संस्थ
धा, गाय का
िवतरण कर
न, सम्पादन
-सिमित अध्
)
गर्ाम स्तरी
क “बाल वैि
, “वैिदक पर्े
िदया जाएग
३ से २० वष
आधािरत म
ाला हो ।
त के िनदशा
का शुभिचन्त
टर्स्ट से िवशे
हेतु अितिरक्त
8 | P a g
क व पर्ाकृित
था , संस्था
ा घी आिद
रवाना ।
न तथा एतद
ध्यक्ष” ।
ीय वेद-पर्चा
िदक िजज्ञास
पर्ेरक”, “वैिद
गा और िवशे
षर् अवस्था त
महिष दयान
ानुसार ध्या
न्तक हो ।
शेष लाभ पर्
क्त रािश पर्द
g e
ितक
ान
का
दथर्
ार-
सु”,
िदक
शेष
तक
नन्द
ान-
पर्ा
दान
9.
छ. शाक
िलए
(ध
व संवध
वैिदक शर्
क. वैिद
गर्ंथ
ख. पर्ित
ग. पर्ित
स्वा
घ. मान
ङ. पंजी
च. संब
सह
छ. शाक
हो
ज. जुआ
झ. जीव
(धम
व स
वैिदक पर्ेरक
क. वैिद
गर्ंथ
ख. वैिद
ग. िनय
घ. पर्ित
ङ. पर्ित
स्वा
च. स्वय
संक
छ. मान
ज. पंजी
काहारी हो
ए संकल्प िक
धमर् व संस्कृि
धर्न संभव है
ालु के िलए
िदक मन्त
थ म विणत)
ितिदन िनराक
ितिदन पर्ातः
ाध्याय आिद
निसक, वाच
जीकृत शुल्क
बिन्धत वेद-पर्
हयोग रािश
काहारी हो
।
आ, म , मां
वन म िकसी
मर् व संस्कृित
संवधर्न संभ
क के िलए न्
िदक मन्त
थ म विणत)
िदक धमर् के पर्
यिमत कम स
ितिदन िनराक
ितिदन पर्ातः
ाध्याय आिद
यं आजीवन
कल्प/िनयम
निसक, वाच
जीकृत शुल्क
ो तथा बीडी
िकया हो ।
ित की रक्षा
है ।)
ए न्यूनतम यो
व िस ान्त
को स्वीका
ाकार ई र
ः ५ से ९ ब
िद के िलए स
चिनक, शारी
क ५०/- रुपये
पर्चार-सिम
िनयिमत रू
तथा बीडी
ांस, अफीम
सी आदशर् आ
ित की रक्षा
भव है ।)
न्यूनतम योग्
व िस ान्त
को स्वीका
पर्सार के िल
से कम पािक्ष
ाकार ई र
ः ५ से ९ ब
िद के िलए स
न िन ापूवर्
वाला हो ।
चिनक, शारी
क ५०/- रुपये
डी, िसगरेट,
ा के िलए पर्ा
योग्यता :-
त (वेद तथा
ार करने वाल
की वैिदक उ
बजे के अंद
समय लगाने
रीिरक व आ
ये रािश पर्दा
मित शाखा से
रूप म पर्दान
ी, िसगरेट,
आिद का
आध्याित्मक ल
के िलए पर्ां
ग्यता :-
त (वेद तथा
ार करने वाल
िलए लोग क
िक्षक हवन क
की वैिदक उ
बजे के अंद
समय लगाने
वर्क धमार्चर
रीिरक व आ
ये रािश पर्दा
अफीम, श
ांतीय अध्य
ा वेदानुकूल
ला हो ।
उपासना कर
दर िन ापूवर्
ने वाला हो
आिथक रूप म
ान करने वा
से पूवर् िनधार्
न करने वाल
अफीम, शर
वसाय न क
ल य के िल
ांतीय अध्यक्ष
ा वेदानुकूल
ला ।
को जोड़ने की
करने वाला
उपासना कर
दर िन ापूवर्
ने वाला हो
रण म पर्वृ
आिथक रूप म
ान करने वा
शराब आिद
क्ष की सहम
आषर् वाङ्म
रने के िलए
वर्क१५ िमिन
।
म वेद-पर्चार
ाला हो ।
ार्िरत (न्यूनत
ला हो ।
राब आिद म
करने वाला
लए संकल्प/िन
क्ष की सहम
आषर् वाङ्म
की भावना व
हो ।
रने वाला हो
वर्क१५ िमिन
।
वृ रहने
म वेद-पर्चार
ाला हो ।
द मादक दर्
मित से िनय
मय पर आध
ए समय लगा
िनट सिमित
र-सिमित क
तम वािषक
मादक दर्
ा हो ।
िनयम ब ह
मित से िनयम
मय पर आध
वाला हो ।
हो ।
िनट सिमित
व अन्य क
र-सिमित क
का सेव
यम व योग्यत
धािरत महि
ाने वाला हो
त के िनदशा
का शुभिचन्त
क ५००/-रुप
का सेवन
हो ।
यम व योग्यत
धािरत महि
त के िनदशा
को भी पर्व
का शुभिचन्त
9 | P a g
वन न करने
ता म संशोध
िष दयानन्द
ो ।
ानुसार ध्या
न्तक हो ।
पया) सदस्य
न करने वा
ता म संशोध
िष दयानन्द
ानुसार ध्या
वृ करने
न्तक हो ।
g e
न के
धन
द के
ान-
यता
ाला
धन
द के
ान-
के
10.
झ. संब
सद
ञ. शाक
हो
ट. जुआ
संश
वैिदक पर्व
क. वैिद
गर्ंथ
ख. िनय
ग. पर्ित
घ. जीव
की
ङ. मान
च. पंजी
छ. संब
सद
ज. शाक
हो
झ. जुआ
संश
वैिदक पिर
क. १०
िस
स्वी
ख. िनय
ग. पर्ित
घ. पिर
ङ. पिर
का
बिन्धत वेद
दस्यता सहय
काहारी हो
।
आ, म , मां
(धमर् व स
शोधन व संव
वक्ता के िलए
िदक मन्त
थ म विणत)
यिमत दैिनक
ितिदन दोन
वन म साध
पर्ाि की ओ
निसक, वाच
जीकृत शुल्क
बिन्धत वेद-
दस्यता सहयो
काहारी हो
।
आ, म , मां
(धमर् व स
शोधन व संव
रवार के िलए
० से ७० व
ान्त (वेद
ीकार करने
यिमत दैिनक
ितिदन पिरव
िरवार म सभ
िरवार के सभ
सेवन न कर
द-पर्चार-सिम
योग रािश ि
तथा बीडी
ांस, अफीम
संस्कृित की
वधर्न संभव
ए न्यूनतम य
व िस ान्त
को स्वीका
क हवन कर
समय (पर्ात
धक -बाधक
ओर पर्यासर
चिनक, शारी
५०/- रुपये
-पर्चार-सिम
योग रािश िन
तथा बीडी
ांस, अफीम
संस्कृित की
वधर्न संभव
ए न्यूनतम य
वषर् तक की
तथा वेदानु
वाला हो ।
क/सा ािहक
वार के सभी
भी कायर्कर्म
भी सदस्य श
रने वाले ह
िमित शाखा
िनयिमत रूप
ी, िसगरेट,
आिद का
रक्षा के िल
है ।)
योग्यता :-
त (वेद तथा
ार करने वाल
रने वाला हो
तः-सायं) वैि
को जानक
रत हो ।
रीिरक व आ
ये रािश पर्दा
िमित शाखा
िनयिमत रूप
ी, िसगरेट,
आिद का
रक्षा के िल
है ।)
योग्यता :-
अवस्था के
नुकूल आषर् व
क हवन करन
ी सदस्य वैिद
म (नामकरण
शाकाहारी ह
।
ा से पूवर्
प म पर्दान
अफीम, शर
वसाय न क
िलए पर्ांतीय
ा वेदानुकूल
ला हो ।
ो ।
िदक उपास
कर हटाते हु
आिथक रूप म
ान करने वा
ा से पूवर्
प म पर्दान
अफीम, शर
वसाय न क
िलए पर्ांतीय
क पिरवार म
वाङ्मय पर
ने वाला हो
िदक उपासन
ण-उपनयन आ
ह तथा बी
िनधार्िरत
करना ।
राब आिद म
करने वाला
य अध्यक्ष की
आषर् वाङ्म
सना करने वा
हुए आदशर्
म वेद-पर्चार
ाला हो ।
िनधार्िरत
करना ।
राब आिद म
करने वाला
य अध्यक्ष की
म उपिस्थत
आधािरत म
ो ।
ना करने वाल
आिद) वैिदक
ीडी, िसगरेट
(न्यूनतम
मादक दर्
ा हो ।
की सहमित
मय पर आध
वाला हो ।
ल य (ई
र-सिमित क
(न्यूनतम व
मादक दर्
ा हो ।
की सहमित
त सभी सदस्
महिष दयान
ले ह ।
क सोलह सं
ट, अफीम,
वािषक १
का सेवन
से िनयम
धािरत महि
र पर्ाि कर
का शुभिचन्त
वािषक १५
का सेवन
से िनयम
स्य जो वैिद
नन्द के गर्ंथ
सस्कार की प
शराब आिद
10 | P a g
०००/-रुपय
न करने वा
व योग्यता
िष दयानन्द
रना/करवान
न्तक हो ।
५००/-रूपय
न करने वा
व योग्यता
िदक मन्त
म विणत)
प ित से हो
िद मादक दर्
g e
या)
ाला
ा म
द के
ना)
या)
ाला
ा म
व
को
ोव।
11.
च. पिर
छ. पिर
संश
शाखा की
क. आय
से पर्
ख. य
पूणर्
वेद-पर्चार
क. साम
सिम
िनध
सह
ख. पर्त्ये
वषर्
जान
िनध
संयो
ग. वैिद
घ. साम
वेद पर्चार
िरवार के िक
िरवार म पर्ित
(धमर् व स
शोधन व संव
आिथक
य – १. सद
पर्ा रािश व
य – १. िन
णर् करने के िल
र-सिमित की
मूिहक रूप
िमित अध्यक्ष
धार्रण, िवष
हमित से सिम
त्येक वेद-पर्च
षर् म कम से
नकारी व
धार्रण और
योजक व सह
िदक पिरवार
मान्य रूप म
(आवश्यक
सिमित के
क. देश भर
पर्वक्ता
जा रहा
ख. सा ािह
ग. एक िन
घ. पर्त्येक
है ।
ङ. पर्त्येक
वाले क
कसी सदस्य क
ितिदन वेद/
संस्कृित की
वधर्न संभव
वस्था :-
दस्यता शुल्क
व भौितक स
धार्िरत अिध
िलए आवश्य
की बैठक :-
म सभी स
क्ष की अध्य
षय का िनध
िमित-संयोज
चार-सिमित
से कम एक
योजना आ
सूचना का
ह-संयोजक
र के साथ ि
म सिमित श
कतानुसार िन
उ ेश्य व क
भर म पर्चार
, वैिदक
हा है ।
िहक सत्संग
िनधार्िरत यज्ञ
पािरवािरक
िदन पर्ातः
को पृथक-पृ
का जुआ, म
ऋिषकृत वै
रक्षा के िल
है ।)
क रूप से, २
साधन । (स
िधकािरय की
यक और िनय
सिमितय के
यक्षता म बै
धार्रण और
जक करेगा।
त शाखा म
क बार िवशे
आिद िवषय
ा आदान-पर्द
करेगा ।
िजला संयोज
शाखा संयोज
िनयम व
कायर्िविध क
रक /आचाय
िजज्ञासु
का आयोजन
ज्ञ, स्वाध्याय
क, सामािजक
५ से ९ के म
पृथक कर्मश
म , मांस, अ
वैिदक सािहत्
िलए पर्ांतीय
२. संस्कार-य
सभी की रसी
की जानकारी
यमानुसार
क अिधकािर
बठक करना
सूचना का
मुख्य अिधक
शेष /साधार
हो । इस
पर्दान आिद
जक मध्य-म
जक कभी भी
वस्था म
की पूित हेतु
य /आध्याित्
व वैिदक शर्
न क्षेतर्ानुसा
य आिद व
क, आध्याित्
मध्य िभ -ि
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त्य का स्वाध्
य अध्यक्ष की
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री व सहमि
य ।
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बैठक की ि
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म संशोधन व
त व र्मान ग
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की सहमित
से पर्ा दिक्ष
अिनवायर् है
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स्य की वषर्
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वा सिमित स
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ित- संयोज
क करते रहगे
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व संवधर्न सं
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का आवेदन
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बनाया जा र
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पर्गित के
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िक्षणा रूप से
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स व सिमित
ष म कम से
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कायर् सिमि
संयोजक की
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स्थान िनधार्र
जक की सहम
गे ।
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रहा है ।
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ो और िभ -
िलए योजन
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व योग्यता
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ितिथ व स्थ
ित अध्यक्ष
ी अध्यक्षता
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मित से शा
रक व वैिद
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ा जाता है ।
िकया जा र
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रूप
को
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का
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संपािदत क
पिरषद् के
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पा कर्
है । (िज
िवषय
समाधा
च. web-s
पर्यास
छ. िशिवर
रहा है
१- आव
२- पर्ित
कर सकते है
क संयोजक से
3- अि
nyog.org प
कर्म को लेख
िजस से पर्ित
से संबिन्ध
ान, सत्संग
site तथा M
चल रहा है
र, सत्संग का
।
आवश्यकतानुस
ित सदस्य स्
है । परंतु एक
से पूवर् अनुमि
अिधक जानक
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नसार िनयम
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नकारी तथा
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ग समान आ
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ा पतर् आिद
म व वस्थ
के कायर् के
था संगठन रू
मोदन लेना आ
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माध्यम से पर्े
समान िवचार
आयु, योग्य
से अनेक पर्
के माध्यम
था म संशो
अंतगर्त सभ
रूप देने के िल
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Applicati
पर्ेषण की
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िलए िवशेष
रहता है ।
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Mr./Ms./Mrs./Mx. First Name Middle Name Last Name
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2. Father’s/Spouse’s Name :
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3. PAN No. 4. Aadhar No./UID
5. tUe fnukad :- 6. oSokfgd fLFkfr :- Single Married 7. Gender :- Male Female
8. ykSfdd f’k{kk Education :- Non Matric SSC/HSC Graduate Post Graduate Others__________
9. vk/;kfRed f’k{kk :-________________________________________________________________________
10. i= O;ogkj ds fy, irk :-
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11.lEidZ lw= :-Mobile No : +91 , Whatsapp No: +91
E-mail ID : ____________________________________________
12.O;olk; (Ocupation) :-
13.ekfld vk; (Monthly Income) (Rs.):- Upto 5000/- 5000-10000 10001-20000 50001-1lac Above lac
14. dk;Z vuqHko (Work Exprience) :-
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(In English)
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Date of Birth Marital Status
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