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1 पोवारी साहित्य सररता भाग ६५
पोवारी साहित्य अना साांस्क
ृ हतक उत्कर्ष द्वारा आयोहित
पोवारी साहित्य सररता भाग ६५
आयोिक
डॉ. िरगोहवांद टेंभरे
मागषदर्षक
श्री. व्ही. बी.देर्मुख
2 पोवारी साहित्य सररता भाग ६५
1.
आमरी पोवारी बोली...
(एक स्वाहभमान गीत)
मधुर - मीठी वाणी , आमरी पोवारी बोली l
आमरोों माथो की बबोंदी,आमरीपोवारी बोली l
सुख -दु:ख की से साथी, पोवारी बोली l
आमरोों जीवन की सोंगाती,पोवारी बोली l
मन मा नाोंद् से हरदम, पोवारी बोली l
आम्ीों पोवार भाई,आमरी पोवारी बोली ll
कहानी बकस्सा मा से, पोवारी बोली l
बबहया को दस्तूर मा से,पोवारी बोली l
मन मा नाोंद् से हरदम, पोवारी बोली l
आम्ीों पोवार भाई,आमरी पोवारी बोली l
जुनो लोकगीतोों मा से, पोवारी बोली l
कहावत मुहावरा मा से, पोवारी बोली l
3 पोवारी साहित्य सररता भाग ६५
मन मा नाोंद् से हरदम, पोवारी बोली l
आम्ीों पोवार भाई,आमरी पोवारी बोली ll
पोरा की झड़ती मा से, पोवारी बोली l
फाग की फगनोटी मा से, पोवारी बोली l
मन मा नाद् से हरदम, पोवारी बोली l
आम्ीों पोवार भाई,आमरी पोवारी बोली ll
फ
ु गड़ी को गाना मा से, पोवारी बोली l
लावणी ना झड़ती मा से,पोवारी बोली l
मन मा नाोंद् से हरदम, पोवारी बोली l
आम्ीों पोवार भाई, आमरी पोवारी बोली ll
इबतहासकार प्राचायय ओ सी पटले
प्रणेता -पोवारी भाषाबवश्व नवी क्ाोंबत अबभयान, भारतवषय.
*रबव.१८/०९/२०२२.
-------------------🚩🚩🚩---------------
4 पोवारी साहित्य सररता भाग ६५
2.
आमरोां लेखनी की हिम्मेदारी
बड़ी अनमोल भाषा से पोवारी l
वोकी उपेक्षा या आमरी गोंवारी l
मायबोली ला भाषा बनावन की,
आमरोों लेखनी की से बजम्मेदारी ll
पोवारी या से मीठी मधुर वाणी l
या से आमरो माथो की बबोंदी वानी l
बड़ी अनमोल भाषा से पोवारी l
वोकी उपेक्षा या आमरी गोंवारी ll
समाज की पहचान से पोवारी l
समाज को स्वाबभमान से पोवारी l
बड़ी अनमोल भाषा से पोवारी l
वोकी उपेक्षा या आमरी गोंवारी ll
5 पोवारी साहित्य सररता भाग ६५
समाजोत्थान की आधार पोवारी l
बनसगय- शक्ति को उपहार पोवारी l
बड़ी अनमोल भाषा से पोवारी l
वोकी उपेक्षा या आमरी गोंवारी ll
उन्नत कर लो भाषा पोवारी l
गौरव पाये समाज पोवारी l
बड़ी अनमोल भाषा से पोवारी l
वोकी उपेक्षा या आमरी गोंवारी ll
इबतहासकार प्राचायय ओ सी पटले
प्रणेता -पोवारी भाषाबवश्व नवी क्ाोंबत अबभयान, भारतवषय.
बुध.२१/०९/२०२२.
--------------------🚩🚩----------------
6 पोवारी साहित्य सररता भाग ६५
3.
भार्ा बनावन की हिम्मेदारी
बड़ो भाग्य लक बमली से आमला
दुबनया मा अलग भाषा पोवारी l
बजोंदगी करता- करता बनभाओ
बोली ला भाषा बनावन की बजम्मेदारी ll
मधुर- मीठी से आमरी या भाषा
सरल- सहज से भाषा पोवारी l
बजोंदगी करता करता बनभाओ
बोली ला भाषा बनावन की बजम्मेदारी ll
सोंस्क
ृ बत की सोंवाहक से भाषा
सोंस्क
ृ बत की सोंरक्षक से पोवारी l
बजोंदगी करता करता बनभाओ
बोली ला भाषा बनावन की बजम्मेदारी ll
7 पोवारी साहित्य सररता भाग ६५
समाज को माथो की बबोंदी वानी
पोवारोों की पहचान से पोवारी l
बजोंदगी करता करता बनभाओ
बोली ला भाषा बनावन की बजम्मेदारी ll
इबतहासकार प्राचायय ओ सी पटले
शबन.२४/०९/२०२२.
-------------------🔷🔶🔷----------------
8 पोवारी साहित्य सररता भाग ६५
4.
पोवारी साहित्यत्यक : हिांदी ना मराठी मा हनपुणता
आवश्यक
पोवारी साबहक्तिकोों सीन अपेक्षा से बक पोवारी बोली ला
भाषा को दजाय बमलावन साती उनकी लेखनी लक दजेदार पोवारी
साबहि को सजयन होनो आवश्यक से . असो श्रेष्ठ साबहि की
बनबमयबत क
े वल वयच साबहक्तिक कर पायेती, बजनकी बहोंदी व
मराठी पर मजबूत पकड़ से. येका प्रमुख कारण बनम्नबलक्तखत
सेत-
(१) पोवारी साबहक्तिक ला एखाद प्रसोंग को बचत्रण करन को समय
वोला वू प्रसोंग रेखाटन साती दूसरोों व्यक्ति सोंग् बहन्दी अथवा मराठी
मा सोंवाद भयी रहें त् अन्य व्यक्ति का बवचार वोकी भाषा व शैली
मा नमूद करनोों भी आवश्यक से.
(२) बहन्दी व्याकरण को जेला ज्ञान से वोन् साबहक्तिक ला व्याकरण
सम्मत पोवारी साबहि को सजयन करनो सुलभ होसे.
(३) बहन्दी अना मराठी को काव्य प्रकारोों को बजनला ज्ञान से असो
साबहक्तिकोों ला नवा- नवा काव्य प्रकार पोवारी मा आनक
े पोवारी
साबहि ला बहुआयामी बनावनोों मा अबधक महत्वपूणय योगदान
देनोों सोंभव से.
9 पोवारी साहित्य सररता भाग ६५
साराोंश, पोवारी भाषा को भबवतव्य उन साबहक्तिकोों को हाथ
मा से बजनकी पोवारी, बहन्दी अना मराठी असी बतन्ही भाषाओों पर
अच्छी पकड़ से.
इहतिासकार प्राचायष ओ सी पटले
र्हन.२४/०९/२०२२.
-----------------🔷🔶🔷----------------
10 पोवारी साहित्य सररता भाग ६५
5.
प्राचीन इहतिास को अनुभव
उज्जयनी नरेश पोवार राजा सम्राट बवक्माबदिको दरबारमा ज्ञानी
मनुष्यइनमा आपलो बवद्वताको कारण चमकतो असो महाकबव
काबलदास सररसो रत्न शोभामयान होथो । जेन प्रकार लक
समोंदरमा यात्रा करती नावला बकनारोोंपर उभो दीपस्तम्भ
मागयदबशयत करसे तसोच अनेक सोंस्क
ृ त ग्रन्थइनको लेखक कबव
काबलदासकी रचना अज बी साबहि जगतला मागयदबशयत करसे ।
उदाहरणतः
उनको एक ग्रोंथ से रघुवोंशम ।
वोन ग्रन्थमा महाराज रघुको बदक्तिजयको उल्लेख आवसे।
चार ही बदशामा उनको प्रतापको वणयन अिोंत सुोंदर तरीकालक
कबव काबलदास करसेत ।
कबव काबलदास बलखसेत् -
"प्रचोंड वेग लक बव्हबत नदीमा तनकर उभो झाड़ला नदी को
प्रवाह जड़मूल सबहत उखाड कर फ
ें क देसे । वहा को वहान
झाड़झुडुप की बेला झुक जासे , अना वोकोपरलक आवेगमा
बव्हतो नदीको उमड़तो पानी बबना वोला उखाड़े बनकल जासे ।
तसोच महाप्रतापी रघुको प्रचोंड शौयय धारामा जो राजा उदण्ड
बनकर सामने आयो वोला राजा रघु न पुरो तरीका लक समाप्त
11 पोवारी साहित्य सररता भाग ६५
कर देइस । अना जो राजा वोको सामने बवन्रमतालक स्वागतोत्सुक
होयक
े बमलनला आया उनकी रक्षा खुदच भय गयी ।"
उपमा अलोंकार युि उनकी साबहि रचना बाचो त् लगसे जसो
आमी वोनच समयामा हाबजर सेजन ।
देख्यव जाहै त् येन ग्रोंथइनको द्वारा छु पी सीख बी बमल जासे । जब
पररक्तथथबत बबकट होन लगी त् थोडासो रुकक
े , झुकक
े , समझक
े ,
शाोंत रहेक
े , शान्त बचत्त लक पररक्तथथबत को सामना करनला होना ।
असो लक नुकसान नही होय । पुनः थथाबपत होन को मौका बमलसे
। पररक्तथथबत लक बवचबलत होयकर , उबद्वग्न होयकर , अकडक
े ,
क्ोध मा , बबना बबचार करे , जो नही होय सक
े असो असम्भव कायय
नही करनला होना ।
प्राचीन इबतहास को अनुभव बडो मूल्यवान से । ...
....मिेन पटले
*****************
12 पोवारी साहित्य सररता भाग ६५
6.
पुण्यप्रद कमष को अर्ष : प्रत्यक्ष अनुभव द्वारा स्पष्टीकरण
"कमयण्येवाबधकारस्ते मा फलेषु कदाबचन्" येव
श्रीमद्भगवद्गीता को बसद्ाोंत सभी बुक्तद्जीबवयोों ला अवगत से. यहाों
श्रीमद्भगवद्गीता मानवमात्र ला सत्कमय करन की अना फल प्राक्तप्त
की अबभलाषा न करता फल की बजम्मेदारी बवधाता पर सौोंप देन
की बशक्षा देसे. या बशक्षा सब ला सहजता लक समझ मा भी आय
जासे.
परोंतु मोरोों बाचनोों मा कभी तरी या भी बात आयी से बक
"मनुष्य न् पुण्यप्रद कमय करें पाबहजे." येको अथय येव अवगत भयेव
होतो बक मनुष्य न् सत्कमय द्वारा अबजयत आपली कमाई को
१०प्रबतशत पैसा एखाद पुण्य कायय मा दान कर देये पाबहजे. लेबकन
इन बदनोों पुण्यप्रद कमय को एक सही अथय मोला श्रीमती ज्योबत
मनीष नाईक अना इनको पररवार को प्रिक्ष व्यवहार द्वारा
अवगत भयेव.
भयेव असो बक इन बदनोों मी आपली पत्नी श्रीमती पामेश्वरी
पटले इनको उपचार को उद्देश्य लक गोोंबदया का सुप्रबसद्
डाॅ.पुष्पराज बगरी इनको हाॅक्तिटल मा सेव. यहाों एक बदन
बदवस बुड़ेव को बाद लगभग ८ बजे मोरी पत्नी न् दूध पीवन की
इच्छा व्यि करीस. अतः मी दवाखानो जवर की चाय की दुकान
मा गयेव अना दुकानदार मबहला ला १पाव दूध माोंगेव. लेबकन वहाों
13 पोवारी साहित्य सररता भाग ६५
दूध समाप्त भय गयेव होतो. येको कारण वोन् मबहला न् साोंगीस
बक " हमारी दुकान में दूध खतम हो गया है." येको बाद वोन्
साोंगीस बक " भैया जी, तुम यहाों से पबिम बदशा में जाईये. इसी
बववेकानन्द काॅलनी में पाोंच -दस मकान क
े बाद क
ु छ गायें बोंधी
हुई आपको बदखेगी . उस घर में घर में तुम्ें दू ध बमल जायेगा."
दूकानदार मबहला ला मी कहेव बक " मुझे तो गरम एवों शक्कर
डाला हुआ दू ध चाबहए था". येको पर वोन् बाई न् साोंगीस बक "
उस घर क
े लोग मरीजोों क
े बलए दू ध गरम करक
े भी दे देते हैं.
अतः वे आपको एक पाव दूध गरम करक
े एवों उसमें शक्कर डाल
क
े भी दे देंगे." वोन् मबहला को कथन पर बवश्वास करक
े मी वोन्
साोंगेव थथान पर गयेव. जहाों चार -पाोंच गायी बोंधी बदसी वहाों
गायीन को मालक को घर को पता पूोंछकर वोन् घर् गयेव.घर मा
श्रीमती ज्योबत नाईक अना उनका पबत श्री मनीष नाईक ये दूही
अपलो समस्त पररवार क
े साथ उपक्तथथत होता.
ज्योबत अना मबनष नाईक इनला मी जब् साोंगेव बक मी "
डाॅ. बगरी साहब क
े दवाखाने से आया हों एवों मुझे १पाव दू ध
चाबहए ." जब् उनन् कहीन बक "दू ध बमल जायेगा", तब मी थोड़ी
राहत की साोंस लेयेव अना उनला पूोंछे व बक "क्या आप दू ध
गरम करक
े एवों उसमें शक्कर डालकर दे सकते है ?" येको पर
उनन् "हाों" मा जवाब देईन. येको बाद वय आपलो घर को डब्बा
मा लगभग अधो लीटर दूध देईन. मी जब् उनला पैसा देन लगेव त्
उनन् पैसा लेन मना कर देईन. येको पिात जब् दवाखानोों मा दूध
14 पोवारी साहित्य सररता भाग ६५
पहुोंचायकर उनको डब्बा वाबपस करन दुबारा उनको घर् गयेव
तब् उनन् मोला नाश्ता कराईन. नाश्ता मा शुद् घीव का दुय सत्तु
का लड्डू अना दुय कदली फल (क
े रा/क
े ला) होता.
मी उनको येन् दया ना उदारतापूणय व्यवहार को आगे
आपलो ला बहुत बौना महसूस करन लगेव. मी नाश्ता करता-
करता सोचत रहेव बक श्रीमती ज्योबत नाईक अना उनका पबत श्री
मनीष नाईक येन् दूही न् आपलो दूग्ध व्यवसाय ला पुण्यप्रद कमय
बनाय लेई सेन. वस्तुत: ज्योबत अना मबनष नाईक ये दूही व्यक्ति
दवाखानोों मा मरीजोों ला कभी भी रात- बेरात दू ध की आवश्यकता
पड़ी त् बबना पैसा लक उनकी आवश्यकता सहषय पूणय कर् सेत.
मी स्वयों पुण्यप्रद कमय को सही अथय नाईक पररवार को प्रिक्ष
आचरण लक ज्ञात कर पायेव. पुण्यप्रद कमय को अथय से बक
"उदरबनवायह साती जब् आम्ीों अथोपाजयन कर् सेज् त् येन् कायय
को साथ आम्ीों जरुरतमोंद व्यक्तियोों की भी थोड़ी-बहुत मदत
अवश्य करें पाबहजे. येको पररणामस्वरुप मनुष्य द्वारा
अथोपाजयन साती करेव गयेव पूरो कमय पुण्यप्रद कमय बन जासे."
श्रीमती ज्योबत नाईक अना उनको पररवार को पूण्यप्रद कमय न्
मोला बहुत महत्वपूणय सीख देईस. येन् सीख ला मी जीवनभर भूल
पावनोों असम्भव से. नाईक पररवार लक सीख लेयकर प्रिेक
मानव अपलो कमय ला पुण्यप्रद कमय मा बदल बसक
् से. अना सोंसार
ला स्वगय बनावनोों मा आपलो अमूल्य योगदान देय सक
् से
-इहतिासकार प्राचायष ओ सी पटले
15 पोवारी साहित्य सररता भाग ६५
7.
समाि िोडो अहभयान: एक मूलमांत्र
समबवचारी स्वजनोों मा मतभेद लक बहुत दु:ख होसे. असो
लग् से जसो आपन एखाद तारा ला धरन की कोबशश कर रहया
सेजन,वू ताराच तूट क
े बबखर रही. अथवा जेन् खाोंदी ला हाथ धरया
वाच टूट रही से.
समाज बहत साध्य करन साती, लक्ष्य प्राक्तप्त साती अथवा
सोंगठन चलावनसाती "तोड़नोों सहज से.जोड़नोॅ
ों बहुत कठीन से."
या बात एखाद मूल्यवान मोंत्रवानी ध्यान मा ठे वनोों मा ज्यादा भलाई
से.
इबतहासकार प्राचायय ओ सी पटले
शबन.२४/०९/२०२२.
*****************************
16 पोवारी साहित्य सररता भाग ६५
8. दांडार
चलोरे भाऊ जाबीन, देखन ला दोंडार |
सोोंग वाला देखन, भेटसेती रात भर ||टेक||
राखड लग्या चेहरा रोंगी बेरोंगी बदस
कोरसा की दाढी बमशी बन गयी वा खास |
सज गयी मस्तक की चूनो की लकीर ||१||
गोंध की लगी लाली, लाल रोंग ओठपर
मुक
ु ट जटा पर, झगा बदससे सुोंदर |
दोंडार करन सज गया उभा पात्रकार ||२||
नारी रूप धर, आदमी करसे बसनगार
साडी चोळी पेहरसे चाल लचकदार |
क
े स मा लगावसे गजरा झुमक
े दार ||३||
जसो सोोंग तसो उनको पेहराव होसे
दोहा चौपाई की धून मज्जेदार होसे |
17 पोवारी साहित्य सररता भाग ६५
हालदार भालदार की शोभसे तलवार ||४||
ढोलकी को तालपर, नाच्या नाचन बसी
शाहीर को नक्कल मा ,मज्जा आवसे कसी |
अटक मटक कर, नाच करसे जोकर ||५||
पेटी ढोलकी पर, सुरमा चलसे गायन
बफल्मी गाना की बजी धून नाच्या लगी नाचन |
पक्तिक की फरमाइस पडसे जोरदार ||६||
गणपती वोंदना लक होसे सुरवात
आरती भयी तब सबला जोडसेती हात |
मनोरोंजन को साधन गाव मा दोंडार ||७||
पोवारी साहित्य सररता भाग ६५
हदनाांक:२४:९:२०२२
िेमांत पी पटले धामणगाव (आमगाव)
९२७२११६५०१
18 पोवारी साहित्य सररता भाग ६५
9. व्यसन लक परिेि
वतयमानमा एक गम्भीर समस्या समाजमा व्याप्त भय गयी से जो
पतन को तरफ समाजला क्तखोंच तानकर लेकर जाहै ।
या समस्या आय दारूको व्यसन ।
सबला मालूम से की दारू लक कएक घर बबायद भया । आमरो
समाज मा दारूको प्रमाण जो पहले शून्य होतो आब थोड़ो बढयव
असो चोवहसे । आमला दारू मुि समाज बनबमयबत करनो से ।
पहले को जमानामा दारू बपनो यानी गलत समझयव जात होतो ।
पहले हलकट कवत दारूबाज लोगईनला । कोणीबी दारू बपनो
पसोंद नही करत होतो। अना कोणी दारू बपयकर कही बमलयव त्
वोको पर दण्ड होत होथोों । समाज की पोंचायत बड़ी मजबुत होती
। समाज मा बड़ी सभ्यता होती । एकदूसरोको बडो मान होतो अना
बुजुगोंइनको भेव भी सबला सीधो राखनोमा कारण होतो ।
स्वतोंत्रताको बाद क्तथथबत बदली । जमाना बदलयव। साोंस्क
ृ बतक
पतन भयौ । लोग स्वछन्द रूप लक रव्हन लग्या । समाज सोंथथा
खत्म भयी । एक प्रकारलक कहो त् समाज सोंथथा खत्म करनोमा
आयी । आब वोका दुष्पररणाम बी चोव्हन लग्या । आमला गाोंव
गाोंव एकजुट होयक
े पुनः समाज को भलाईलायी समाज पोंचायत
मजबुत करनो जरूरी से ।
साोंस्क
ृ बतक , नैबतक पतन रोकनो से त् आमला सबला जुड़नो पड़े ।
सब बमलक
े समाज काययमा साथ देनो पडे । आमला कभी नही
19 पोवारी साहित्य सररता भाग ६५
भूलनला होना की आमी सामाबजक प्राणी आजन । आमला एक
प्रकारलक कहो त् आपलो पररवारलायी आपलो लोगइनसोंग जुड़क
े
रव्हनो जरूरी से । एकलो दुकलो व्यक्तिला पररक्तथथबत कबअ
कमजोर साबबत कर देये पता नही चल ।
सामाबजक बुराई सब बमलक
े खत्म करनो आमरो सबकी
जबाबदारी से ।
समाजमा दारू सररसो व्यसन बबल्क
ु ल नही होना , यकोलाय
उपाय जरूरी सेत । बुजुगयइनला थोड़ी कड़ाई लक पेश आवनो
जरूरी से । व्यक्तिगत पतनको नुकसान समाज ला नही बक्तल्क
पररवार ला सहनो पडसे । आमला सोंस्काररत पररवार सोंथथा बी
वोतरीच मजबूत करनो पड़े ।
घर का अच्छा सोंस्कार अना अनुशासन द्वारा जो गलत होय रही से
वोकोपरा रोक लग सकसे । घर मा अनुशासन अना अच्छा
सोंस्कार तब रहेती जब घरका बुजुगय या पालक बी आदशय प्रस्तुत
करेती । माताबपताला बालबच्चाकी सोंगत पर बी ध्यान देनो पड़े ।
जो दारू पीने वाला सेत उनला हर काययक्म लक बाहर को रस्ता
देखावनो जरूरी से । उनको सन्मान नही बक्तल्क उनला नकारनो
पडे । तब येन व्यसन नामक सामाबजक बीमारी परा अोंक
ु श लगे ।
सभ्य समाजकी बनबमयबतमा सबकी भलाई से।
....मिेन पटले
********************
20 पोवारी साहित्य सररता भाग ६५
10. िास्य कहवता
तोांड
सहनशीलता की बमसाल
योव बबचारो तोोंड
सहन करसे थोंडी आईस्क्रीम
कभी खासे गरम आलू बोोंड
खानो, बोलनो को काम
तरी कसेत लगाव ताला
थोडोसो का बास माररस त्
देखो योव सडेव नाला
हाय हाय करत झेलसे
बमची बतखट की आग
पोट खासे भरभर अना
तोोंड सहसे बपत्त को राग
21 पोवारी साहित्य सररता भाग ६५
बदल जीतन साती
यलाच पडसे हसनो
कोणीला भी काहीच होय
बचलायकन पडसे रोवनो
पोंचइोंबिय को सोंगतना
तोोंड की मोठी बपसनी
साडे तीन हात शरीर की
तोोंड को मोंग लगी से शनी
र्ेर्राव येळे कर
हद.२४/०९//२२
****************
22 पोवारी साहित्य सररता भाग ६५
11.
तोोंडच कष्ट करक
े
भरसे सबको पोट,
शरीरक
् पोषणसाठी
काममा नही आण खोट.
वोलाच कसेत लेहळा
नाहाय वोको काही स्वाथय,
सबक
् पोषणसाती वुच
करत रव्हसे परमाथय.
लोक इनला समझावनो
प्रश्नको उत्तर देनो वोकोच काम,
येन कामसाठी तजसे
वु आपलो आराम.
चुप रहेवत् दोष वोलाच
23 पोवारी साहित्य सररता भाग ६५
जादा बोलेव त् वोकीच गलती,
समझमा नही आव भाऊ
सोंसार का बनयम सेत भलती.
- हचरांिीव हबसेन
गोांहदया
****************************
24 पोवारी साहित्य सररता भाग ६५
12
ठाट - बाट
========
पहले पोवार घर होतो, बहुत थाट-बाट,
मोठाोंग क
् सपरीपर रव्ह शहानो की खाट.
मोठाोंग सहसा आवत नोहोती बह बयदी,
आयी बी त् डोईपर सेव रव्हत होतो जरूरी.
आदमी लोक इनकी पोंगत बस सोंगच जेवनला,
बाई लोक एक एक चीज वाढत होती सातरोमा.
आदमी लोक बाहेर गया त् देखनो पड बाट,
उनक जेये बबगुर बाई लोक कभी नोहोती खात.
पाहुणा इनकी होत होती बहुत खाबतरदारी,
25 पोवारी साहित्य सररता भाग ६५
पाय धोवनको, चुरूको पानी होतो जरूरी.
पर आता बवभि क
ु टूोंब पद्तीमा वा बात नही रहीसे,
धीरू - धीरू पुरानो बनयम मा कमी आय रहीसे.
- हचरांिीव हबसेन
गोांहदया
********************
26 पोवारी साहित्य सररता भाग ६५
13.
िय 36 क
ु ल पोवार.
36 क
ु ल पोवार.
येव नारा करे उद्ार.
36 क
ु ल पोंवार.
कोई ना कर सक इनकार.
समाज की पुकार.
बवकास साती लेव पुढाकार.
देवघर की चौरी.
खरी जमापूोंजी आय मोरी.
दसरा की मयरी.
कोचयी को बड़ीसोंग लगसे साजरी.
दीवारी की खीर.
36 क
ु ल पोवार की तकदीर.
बनवज की अठई.
पोवार की उत्क
ृ ष्ट बमठाई.
✒️ऋहर्क
े र् गौतम (24-sep-2022)
******************************
27 पोवारी साहित्य सररता भाग ६५
14.
िमारो िीवन अना तेली को बईल
तेली को बईल चल त बदनभर से, पर पहुोंच कहीों नहीों. बवचार
करे पायजे की हमारी बजोंदगी भी त काही असोोंच प्रकार की नहाय.
बजोंदगी की शुरुआत पासून हामी बलखाई पढाई, नौकरी, शादी
बबहया बच्चा आबद को कोल्हह मा चलनो शुरू कर सेजन.
बुढापा मा अोंत समय पर देख सेजन की, यतरो बेतहाशा भागनो
को बाद भी कहीों नहीों पहुोंच्या. अोंततः जसो रोवता रोवता खाली
हाथ जन्मया तसोोंच अशाोंत अवथथा मा पछतावा करत यहाों ल
खाली हाथ चल देया.
हमारी बजोंदगी की या बहुत बड़ी हार से. वस्तुतः – "बजोंदगी मा
वोन मोठी बात कर लेईस, जेन आपलो आप सीन मुलाकात कर
लेईस."
बजोंदगी ला फि वस्तु अना सामान लकाच नहीों त, अच्छो कमय
अना पबवत्र सोंस्कार लका भी सजाएों पायजे.
✒️ ऋहर्क
े र् गौतम (24-sep-2022)
***********************************
28 पोवारी साहित्य सररता भाग ६५
15.
इांहि.गोवधषन िी हबसेन
***••••••***
पोवारी मराठी न बहोंदी भाषामा
चल बजनकी साबहक्तिक कलम|
शब्द को साठा अमाप से उनको
लेखनीमा बदससे जोरदार दम||
बहोंदी को पटलपरा नाव बसद्
पोवारी पटल भी गाजावसेती|
काव्य लेख बगत गायन उनका
सबको मनाला मस्त भावसेती||
आन बाण शान साबहि क्षेत्र का
समाज को नाव करीन लौबकक|
इोंबजबनअर गोवधयन बबसेन
इनकी या प्रबतभा से अलौबकक||
29 पोवारी साहित्य सररता भाग ६५
जलम बदन पर उनको अज
काव्यमयी शुभकामना से खरी|
नाव प्रबसद्ी साबहक्तिक क्षेत्रमा
बढे या मनोकामना से आमरी||
====================
उमेंद्र युवराि हबसेन (प्रेरीत)
गोांहदया (श्रीक्षेत्र देहू पुणे)
***************************
30 पोवारी साहित्य सररता भाग ६५
16
|| अहभनांदन ||
******
अबभनोंदन करसे पोवारी समाज
जनम बदन से गोवधयन जी को आज ||टेक||
पावन भूमी बडेगाव की से महान
खेल क
ु दकर गयेव लहान पण
रोज जात होतो इस्क
ु ल बशकण
बबसेनघरणोकी गावमा पबहचान
इोंबजनीयर की नोकरीपर से नाज ||१||
बलखीस ग्रोंथ पोवारी बहोंदी मराठी पर
साबहक्तिक को नावला करीस अमर
गोक
ु ल नावला करीस उजागर
पोवारी समाज को बनेव कोबहनूर
पोवार जाती को पहणावो सरताज ||२||
31 पोवारी साहित्य सररता भाग ६५
गायत्री माता को उपासक बनकर
रोज समाज सेवा करसे खुलकर
इबतहास पोवार को साोंगसे जमकर
पोवार जाबतको येव से पक्षधर
मायबोली बचावन करसेती काज ||३||
हवर्य: साहित्यत्यक गोवधषन हबसेन
हदनाांक:२५:९:२०२२
िेमांत पी पटले धामणगाव (आमगाव)
९२७२११६५०१
****************************
32 पोवारी साहित्य सररता भाग ६५
17.
बेटी /पुत्री
**********
हर, हर को जनम माय लक होसे,
हर, हर ला नही एको अहसास से।
माय का कई कई अवतार,
कई जोक्तखम ना कई बकरदार।
दुबनयाों मा माय को पहलो अवतार,
बेटी बनकर घर ला करीस गुलजार।
पररवार जन को पक्को बवचार,
घर मा भय गयो माय लक्ष्मी अवतार।
देवी देवता लक चली से या ररवाज,
वेद, पुराण आना सब ग्रोंथ देसेती प्रमाण।
बेटी आोंगन की रोंगीन रोंगोली आय,
बेटी हर पूजा मा बदओ की ज्योती आय।
बेटी पररवार की इज्जत को नगीना,
भाई की राखी नहीों सज बबन बहना।
33 पोवारी साहित्य सररता भाग ६५
दुय क
ु ल को योजन को पूल आय बेटी,
माय बाप को याद को बपटारा आय बेटी।
बहु बनकर घर आई ना गई वा आय बेटी,
क
ु ल को मान सम्मान आना बवधान बढाए बेटी।
बसफ
य बेटी का एक जनम मा तीन अवतार,
भगवान भी नहीों बदल सक येतरा बकरदार।
बेटी बदवस को रुप मा नहानी से गागर,
हर बदन भरयो से बेटी को प्रेम सागर।
बड़ो जतन की भगवान की रचना आय बेटी,
हर माय बाप को अबभमान आय बेटी।
दुहनया की सब बेटी, बिन, भाभी, बुआ, मौसी, बहु और माय
ला समहपषत 🙏🙏
यर्वन्त कटरे
२५/०९/२०२२
**************************
34 पोवारी साहित्य सररता भाग ६५
18.
--------- धुरांधर --------
*********
पोवारीको बवशाल अगासमा
चमचम करतो तारा
गोवधयन भाऊ सेत प्यारा -२
मायबोलीको कवी धुरोंधर
अक्तिता बहरदाको अोंदर
कलम चलाय बमटावों सेतीsss
बादर कारा कारा
गोवधयन भाऊ सेत प्यारा -२
बमठो बोलनो सबका सोंगी
स्वभावमा नवरस सतरोंगी
हुशार बुद्ीलक बसक
ों सेतsss
हुन्नर न्यारा न्यारा
35 पोवारी साहित्य सररता भाग ६५
गोवधयन भाऊ सेत प्यारा -२
भायाय बी सोंस्कारी भेटी
तसाच उनका बेटा बेटी
समाज ऋण फ
े ड़ती देयक
े sss
सेवाको बोझारा
गोवधयन भाऊ सेत प्यारा -२
लोंबो उमरकी देसू शुभेच्छा
पुरी होय जाये हर ईच्छा
अमर होय जाय साबहिमाsss
नाव तोरो बदलदारा
गोवधयन भाऊ सेत प्यारा -२
*********
डॉ. प्रल्हाद िरीणखेडे "प्रिरी"
डोांगरगाव, ता. हि. गोांहदया
************************
36 पोवारी साहित्य सररता भाग ६५
19.
िय मा गडकाली
र्ैलपुत्री
***********
नाकमा नथनी कान मा क
ुों डल, शोभकन बदससे
माों शैलपुत्री ला देखकन,माय की याद आवसे
डावो हातमा बत्रशूल धरकन उजो हातमा कमल
माई को रुप देखो,होये शुभ ही शुभमोंगल
आवो भिो लेवो दशयन,माता भिी भाव देखसे
माों शैलपुत्री ला देखकन माय की याद आवसे
माय की ममता शैलपुत्री को बहरदामा
हर दुः ख की दवा माों शैलपुत्री को ममतामा
आवो दरबार मा ,श्रद्ा भाव मा माता रवसे
माों शैलपुत्री ला देखकन, माय की याद आवसे
37 पोवारी साहित्य सररता भाग ६५
वृषम आसनथथ, माय आयी भि भेटन
टुरा माय को नाता,माता नही दे कभी तुटन
माता मी तोरी पुजारण कण कण मा रुप बदससे
माों शैलपुत्री ला देखकन, माय की याद आवसे
र्ेर्राव येळे कर
हद.२६/०९/२२
****************
38 पोवारी साहित्य सररता भाग ६५
20
पोवारी बोली से लाखोां मा भारी
पोवारी बोली से बहुत मनोहारी l
पोवारी बोली आमरी लाखोों मा से भारी ll
जूनो लोकगीतोों मा से पोवारी बोली l
परहा को गानाओों मा से पोवारी बोली l
चोंदन राजा को परहा गड़् से,
बझबमर बझबमर पानी पड़् से l
येव गीत से क
े तरो मनोहारी ?
पोवारी बोली आमरी लाखोों मा से भारी ll
जूनो लोकगीतोों मा से पोवारी बोली l
बबहया को गानाओों मा से पोवारी बोली l
रामू पुस् सीता ला, तोरोच का
मावशी न् कायको दायजो देईस l
येव गीत से क
े तरो मनोहारी ?
पोवारी बोली आमरी लाखोों मा से भारी ll
39 पोवारी साहित्य सररता भाग ६५
मीठोों शब्दोों लक बनी से पोवारी बोली l
मीठोों शब्दोों को कारण मीठी पोवारी बोली l
झुोंझुरका, महातनी बेरा
लखलखती तपन वानी शब्द देसे पोवारी l
ये शब्द सेती क
े तरा मनोहारी ?
पोवारी बोली आमरी लाखोों मा से भारी ll
पेटाओ क्ाोंबत की आता लाखोों मशाली l
बनशाना आमरो पक्को जान को नहीों खाली l
बोली से या मधुर मीठी
येला भाषा बनावन की आमरी से तैयारी l
बहुत सुोंदर बवचार आमरा मनोहारी l
पोवारी बोली आमरी लाखोों मा से भारी ll
इहतिासकार प्राचायष ओ सी पटले
प्रणेता -पोवारी भार्ाहवश्व नवी क्ाांहत अहभयान, भारतवर्ष.
घटस्र्ापना,सोम.२६/०९/२०२२.
40 पोवारी साहित्य सररता भाग ६५
21. नवरात्रीका नवरुप
(दुिेरी अष्टाक्षरी रचना)
सुरू भयी नवरात्री, करो घटकी थथापना |
अज पयलो बदवस, शैलपुत्री आराधना ||१||
बशव पती भेटनला, घोर तपस्या करीस |
मून ब्रह्मचारीणीको, रुप दुसरो धरीस ||२||
रुप बतसरो देवीको, चोंिघोंटा शाोंतीदायी |
साधकला अनुभव, आवों ध्वनी घोंटाघाई ||३||
रुप चवथो क
ु ष्ाोंडा, ब्रह्माोंडकी बनरमाती |
अष्टभुजा याच माय, आयु बल स्वास्थ्यदाती ||४||
रुप पाचवो देवीको, स्क
ों धमाता सुखदायी |
द्वार मोक्षका खोलसे, च्यारभुजा वाली मायी ||५||
41 पोवारी साहित्य सररता भाग ६५
कािायन घरों जन्मी, रुप साव्वो कािायनी |
पाप नष्ट कर देसे, च्यार फलकी दायनी ||६||
रुप सातवो धरीस, महाकाली कालरात्री |
नाश करों बुरी शिी, ब्रह्माोंडकी बसक्तदददात्री ||७||
रुप आठवो मायको, महागौरी शिी नाम |
शाोंत श्वेताोंबर धारी, पूणय करे रुक्या काम ||८||
रुप नौोंवो बसक्तदददात्री, बसक्तदद देसे माई खुप |
बसक्तददलक धरों बशव, अद्यनारीश्वर रुप ||९||
नवरुप भवानीको, करो ब्रत उपवास |
मनोकामनाकी माय, पूती करे हमखास ||१०||
© इांिी. गोवधषन हबसेन "गोक
ु ल"
गोांहदया, मो. ९४२२८३२९४१
*****************************
42 पोवारी साहित्य सररता भाग ६५
22
स्वागतम...
तुम्ी आयात याहा, शुभ मोंगलम् ..२
स्वागतम् स्वागतम् स्वागतम्...४
देव समान पावना,क्तखलेव आमोरो आोंगण
बवणा बनी ध्वनी,क्तखल उठे व सावन...२
जय राजा भोज,सालेभाटा नगरम्
स्वागतम्......२
फ
ु ल मन भाव का,तुमला से अपयण
तुमी आमरो साती,देव सम दपयण
अज को काययक्म,पद पग शोबभतम्
स्वागतम्..
हषय आनोंद को,याह उमळे व सागर
मायबोली पोवारी,होय रही से जागर
तुम्ी आयात याहान, मन भयोव पुलबकतोंम्
स्वागतम...
र्ेर्राव येळे कर
हद.२७/०९/२२
**************
43 पोवारी साहित्य सररता भाग ६५
23
माां ब्रम्हचाररणी
****
जपत माला हात कमोंडलू
बदस् बशव बबना अधूरी
हजार साल तप करकन
स्वरुप जाणकन भयी पूरी
नवधा भिी मा दुसरी शिी
जप तप की उपासना
योगथथ कमय पथ पर
सोडकन फल की वासना
िागे जो अोंधश्रद्ा
जाने खूदको स्वरूप
वूच देख सखसे
माों ब्रम्चाररणी को रूप
44 पोवारी साहित्य सररता भाग ६५
बनक्तचचत करो मागय
धरो एकच ध्येय
माों ब्रम्चाररणी की
क
ृ पा करे अजेय
र्ेर्राव येळे कर
हद.२७/०९/२२
*************
45 पोवारी साहित्य सररता भाग ६५
24
मांगलमय से नवराहत्र त्यौिार
माों भवानी को से कण- कण मा सोंचार l
माों दुगाय महाकाली से सोंसार को आधार l
मोंगलमय से माों दुगाय को नवराबत्र िौहार l
चैतन्यमय कर देसे भिजनोों को सोंसार ll
माों दुगाय को आशीष लक होसे उद्ार l
आबदशक्ति की क
ृ पा लक होसे नैया पार l
माता को व्रत मा से चैतन्य शक्ति अपार l
चैतन्यमय कर देसे भिजनोों को सोंसार ll
माता दुगाय से जगत की पालनहार l
माता दुगाय भिजनोों की तारणहार l
माता को व्रत लक होसे जीवनको उद्ार l
चैतन्ममय कर देसे भिजनोों को सोंसार ll
इहतिासकार ओ सी पटले
नवराहत्र,मांग.२७/०९/२०२२
*****************************
46 पोवारी साहित्य सररता भाग ६५
25
पांवार(पोवार) समाि की हदर्ा
***********
पोवार(पोंवार) समाज की बसाहट मुख्यतया भोंडारा,
बसवनी, बालाघाट अना गोोंबदया बजला मा से। यन बजला का
सीमावती बजला, कवधाय, नागपुर अन राजनाोंदगाोंव मा बी क
ु छ
पोवारी बस्ती सेती। वैनगोंगा क्षेत्र मा समाज ला तीन सौ बरस को
आसपास भय गयी सेत। मराठा इबतहास, बजला गैज़ेट, बब्रबटश
इबतहास, जनगणना का दस्तावेज, इबतहासकार अन बवचारक द्वारा
रबचत साबहि असा अनेकानेक स्रोत को माध्यम लक समाज का
इबतहास हमला बमल जासे। इनमा समाज ला उन्नत काश्तकार,
मेहनती, सृजनशील, नेतृत्वकताय असो कई गुन का बलखी गयी से।
आजादी को बाद आधुबनक बशक्षा को लगत प्रचार-प्रसार
भयो। समाज बी आधुबनक बशक्षा लेनमा कोनी क मोंघा नहीों रहीसे
अन सप क्षेत्रमा तरक्की भई। आपरो समाज का भाट को अनुसार
आपरो पोवारी का कई क
ु र गुजरात अन मालवा-राजपुताना लक
नगरधन परा होयकन वैनगोंगा क्षेत्रमा आयी सेती। यवच कारन से
की आपरो पोवार समाज मा गुजराती उद्यमशीलता अन मालवा-
राजपुताना का क्षबत्रय वैभव का समक्तित व्य्वहार बदस जासे।
पोवार समाज सनातनी धरम सोंस्क
ृ बत का पालन करसेती
अन दुसरो ला एकी सीख बी देसेती। सबला सोंग मा धरकन अना
47 पोवारी साहित्य सररता भाग ६५
सुसोंस्कारी रह्वन की सीख आपरो पुरखाइनकी सीख आय परा
आधुबनकता अना भौबतकवाद को कारन समाज मा आता छु टपुट
अपराध की प्रवबत्त देखनमा मा आय रही से यव मोठी बचोंता की
बात से। बुजरुग इनको मान कम होय रही से, धमायन्तरण का बी
कई उदाहरण देखनमा आय रही से तसाच अोंतजायतीय बववाह मा
वृक्तद् बदस रही से।
यव देखनमा आय रही से की समाज का सोंगठन आता
राजनीबत को अखाड़ा बन रही सेत यव सही नहाय। सोंगठन इनला
त बदवो को माबफक समाज ला बदशा देनको से। समाज की भाषा
अन सोंस्क
ृ बत का रक्षण को सोंग एको जन-जन मा प्रचार करन की
सबलक अपेक्षा से। युवापीढी ला असो मागयदशयन देनको से की
उनला रोजगार को सोंग आपरी पबहचान अना सोंस्क
ृ बत का सही
ज्ञान बमलहे।
✍️ऋहर् हबसेन, बालाघाट
☀️🌸☀️🌸☀️🌸☀️🌸☀️
48 पोवारी साहित्य सररता भाग ६५
26
नववो रूप हसत्यिदात्री
**^**^^^*^**
देवी को नववो|बसक्तद्दात्री रूप||
बसद्ी की स्वरूप| माताराणी ||१||
----------------------------------------
इच्छा करसे या| बसक्तद्दात्री पुणय||
क्षण ऐ सुवणय| सबलायी ||२||
----------------------------------------
कमल आसन| सोंख चक् गदा||
पद्म रव्ह सदा| हातपरा ||३||
----------------------------------------
बसक्तद्दात्री को से| सरस्वती रूप||
बवद्या को प्रारूप| देखावसे ||४||
----------------------------------------
अष्टबसद्ी माता| महाबवद्या धारी||
49 पोवारी साहित्य सररता भाग ६५
भिों की क
ै वारी| बसक्तद्दात्री ||५||
----------------------------------------
कामना भी पुणय| कर बसक्तद्दात्री||
सुख की वा खात्री| माता द्वारा ||६||
----------------------------------------
बसक्तद्दात्री देवी| पूजन को लाभ||
धन को भी लाभ| होसे सदा ||७||
----------------------------------------
देवी वरदान| देसे भोंिनला||
बहत साधनला| अवतरी ||८||
====================
उमेंद्र युवराि हबसेन (प्रेरीत)
गोांहदया (श्रीक्षेत्र देहू पुणे)
९६७३९६५३११
**********************
50 पोवारी साहित्य सररता भाग ६५
27
सकार
******
देखो, सुनो, बोलो भई पोवारी सकार।
सब बमलकर कर रही सेती ओको सत्कार।।
क
े तरी सुोंदर से येन बोली की बयार।
बचड़ी, भौरा आना भानु साोंगसेती सोंस्कार।। देखो....
कबव, लेखक आना इबतहासकार।
सब बमलकर कर रही सेती पोवारी श्रृोंगार।। देखो....
सबको मन मा बहलोर रही सेती पोवारी बवचार।
उनको सब कर रही सेती रचनाकर बवस्तार।। देखो....
सब बमलकर देखावसेती पोवारी इबतहास।
भूगोल को बारे मा भी अटूट से बवश्वास।।देखो.....
जाबत, बोली, कमय आना सोंस्कार।
सबको मूल मा से भोज आना नगरी धार।। देखो.....
माय गड़कबलका को से सबला आधार।
माय को सहारा लक चल से वोंश पोवार।। देखो....
51 पोवारी साहित्य सररता भाग ६५
कभी नहीों बदखी आसी लगन ना धार ।
एक मोंच पर बमल रही सेती सबका बवचार।। देखो.....
पोवारी धारा लक नोकाॅ
े करो रार।
सब लक उत्तम सेती पोवारी सोंस्कार। देखो.....
यर्वन्त कटरे
िबलपुर २८/०९/२०२२
*******************************
52 पोवारी साहित्य सररता भाग ६५
28
देवी चांद्रघांटा
********
बसोंह पर से सवारी
चोंिघोंटा माय मोरी
बेल फ
ू ल सोंग दूध
पूजा करे नर नारी
शूर वीर पराक्म
माय तोरा आभूषण
तोरी ललकार तोडे
मन बवकार दूषण
बनलो रोंग तोला भाये
तेज सुवणय से रुप
तोरो दर पर माथा
कसी लगे मोला धूप
53 पोवारी साहित्य सररता भाग ६५
दशभुजा धारी माता
अस्त्र शस्त्र सेती हातों
गाथा तोरी से अगाध
बनरोंतर जले ज्योत
माता मोरी सुखदायी
क
ृ पा ठे व सबपर
शेशू करे आराधना
तोड मोह भवोंडर
र्ेर्राव येळे कर
हद.२९/०९/२२
*****************
54 पोवारी साहित्य सररता भाग ६५
29
नवरात्रीका नवरांग
(दर्ाक्षरी रचना)
*********
नवरात्रीका नवरोंगकी,
आयको सबजन महत्ता |
येनों धरापर पसरीसे,
माय दुगाय भवानीकी सत्ता ||१||
धारण करो वस्त्र बपवरा,
पयलो बदन नवरात्री सन |
उष्ाको प्रबतक रव्हसे,
प्रफ
ु क्तल्लत होयजासे मन ||२||
दुसरो बदन बहवरा कपडा,
प्रक
ृ बतको रव्हसे प्रबतक |
देसे बवकास अना शाोंबत,
55 पोवारी साहित्य सररता भाग ६५
क्तथथरताको भाव सबटक ||३||
बतसरो बदन करडो रोंग,
सोंतुबलत बबचार खास |
चौथो बदन नारोंगी रोंग,
देसे स्फ
ू बतय ना उल्हास ||४||
पाोंढरो रोंग पाचवो बदन,
भेटे सुरक्षा आत्मशाोंबत |
सहावो बदन लाल वस्त्र,
चमक
े उत्साह प्रेमकाोंबत ||५||
गहरो बनळो सातवो बदन,
भेटे खुब आनोंदको भाव |
आठवो बदन गुलाबी रोंग,
देसे प्रेम, स्नेह ना सद्भाव ||६||
नववो बदन जाोंभळो रोंग,
56 पोवारी साहित्य सररता भाग ६५
समृद्ीकी होसे प्राक्तप्त |
धारन करो नवरोंग वस्त्र,
देवी भावकी बढे व्याक्तप्त ||७||
खुब पसोंद सेत मायला,
नव बदवसका नवरोंग |
करो प्रेमलक जगराता,
सपाई पररवारको सोंग ||८||
भिी भावलक करो पुजा,
धरशान ब्रत उपवास |
प्रसन्न होये माय भवानी,
आबशवायद भेटे हमखास ||९||
© इांिी. गोवधषन हबसेन, "गोक
ु ल"
गोांहदया, मो. ९४२२८३२९४१
*****************************
57 पोवारी साहित्य सररता भाग ६५
30
माय गडकाहलक
(चाल:- माां ज्वाला तेरी )
**********
जय अोंबे माय गड काबलका नमन तोला बारबार
भि की तू रखवाली से २ //
बसोंहासन पर चढी भवानी कर सोळा बसोंनगार ss
मबहमा अजब बनराली से //धृ //मबहमा........
कोणी कसेती माय दुगाय कोणी कसेती भवानी /
धारानगरी मा आसन तोरो चोंबडका कसेत कोणी //
भि आया तोर चरनमा करदे बेडापार ssss
तोर बबन कोन वाली से २ //१//बसोंहासनपर......
राजा भोज की क
ु लदेवी जेका आम्ी वोंशज आजन /
पोवार जाती आय आमरी सेवा तोरीच कर सेजन //
तोर द्वार पर मस्तक ठे ऊ ना बेलफ
ु ल चढावू ssss
58 पोवारी साहित्य सररता भाग ६५
हात आरतीकी थाली से २ //२// बसोंहासनपर......
वैनगोंगा क ओटामा बसीसे पोवार की जाती/
रातदीन वय गावसेती माय तोरीच आरती //
नोको दुरावजो माय आमला गुण गावुन तोरो sss
पोवारी च मायबोली से २ //३//बसोंहासनपर.......
धरती क कोना कोना मा बसी पोवारकी जाती/
बोलसेत वय पोवारी ना करसेती तोरीच आरती //
आशीवायद सबला देजो करूसू बीनती बारम्बार sss
तुच भि की रखवाली से २ //४//
०००००००००
डी.पी.रािाांगडाले
गोांहदया
****************
59 पोवारी साहित्य सररता भाग ६५
31
हलखां से कलम मोरी
***********
बलखों से कलम मोरी प्यार भी बसनगार भी
बबझाये ज्या जराये ज्या धार भी अोंगार भी -१-
आयी गर उफान पर बलखे कभी तुफान पर
बन बलखों माट्या कभी करार भी थरार भी -२-
बजोंदगी का रोंग ढोंग लग रह्या जोंग जसा
क्तखन क्तखन अनूभव बलखों हार भी प्रबतकार भी -३-
जहेर अमृत बलखों दरद चुप्पी अना खुशी
सोंयमकी शाही लक बलखों सार भी सोंसार भी -४-
गर सुलग गयी कभी मशाल बन धधक उठों
जुलूम खोटो पर करों वार भी प्रहार भी -५-
60 पोवारी साहित्य सररता भाग ६५
रसरोंग मा सुन्य ला सजावों अलोंकार लक
ब्रम्नाद मा भरों आकार भी ओोंकार भी -६-
सम्ाल प्रहरी तोरी कलम बड़ी अनमोल से
पयचान बयतो पानी की धार भी पोवार भी -७-
***********
हदनाांक: १९.०८.२०२२
डॉ. प्रल्हाद िररणखेडे 'प्रिरी'
डोांगरगाांव/ उलवे, नवी मुांबई
मो. ९८६९९९३९०७
************************
61 पोवारी साहित्य सररता भाग ६५
32
भोग चढ़ावो नवरात्रीमा
(दर्ाक्षरी रचना)
पयलो बदन शैलपुत्री ला
घीव गाय को चढावो भोग |
दुगाय मायको करे उपास
भि वु रहे सदा बनरोग ||१||
प्रसन्न होये ब्रह्मचारीणी
दुसरो बदन साखर देवो |
घरों सब की बढे उमर
ब्रत करक
े उपास ठे वो ||२||
करो उपास चढाा़वो भोग
बतसरो बदन दुध की खीर |
दुः ख करे दू र चोंिघोंटा
जीवन बीते आनोंदशीर ||३||
क
ु ष्ाोंडासाती चवथो बदन
62 पोवारी साहित्य सररता भाग ६५
मालपुवा को चढावो भोग |
दुगाय माय को उपासक का
नाश होयेती सप्पाई रोग ||४||
पाचवो बदन स्क
ों दमाता ला
क
े रा चढावो करो उपास |
काबतयक
े य की माता तुमला
देये बसक्तदद ना सेहत खास ||५||
शहद चढावो साव्वो बदन
कािायनी की करो रे भिी |
उपास करे वोनों भि की
बढ जाये आकषयण शिी ||६||
गुड़ चढावो सातवो बदन
कालरात्री को करो उपास |
शोक सोंकट दू र होयेती
भूत बपशाच को होये नाश ||७||
महागौरी को करो उपास
63 पोवारी साहित्य सररता भाग ६५
अष्टमी ला नारेन चढावो |
असोंभव काम पूणय होये
दुगायमाय की भिी बढावो ||८||
नववो बदन बतर को भोग
उपास पावसे बसक्तदददात्री |
घटना अनहोनी टालसे
अभय देसे या नवरात्री ||९||
भोग चढावो नवरात्रीमा
बनयम लका करो उपास |
करो समापन नवमी ला
बड़ो शुभ से चईत मास ||१०||
© इांिी. गोवधषन हबसेन "गोक
ु ल"
गोांहदया (मिाराष्टर) मो. ९४२२८३२९४
*********************************
64 पोवारी साहित्य सररता भाग ६५
33
पृथ्वी बडो पांवार की किावत करनो पडे सच
आमी आब खुदला भूल गया सेजन , आमी आपलो आपमाच
बसमटक
े रहे गया सेजन, खुद् ला कमजोर समझन लग्यासेजन,
पर आमरो अतीत की कड़ी बहुत दू र इबतहासको पन्नाइनमा
दजय से जो उत्तम इबतहास आमला मालूमभी नहाय !
समय को पन्नाइनमा आमरो महान अतीत कही खोय गयी से !
प्रचोंड अबग्नको समान दहकतो शौयय , श्रेष्ठता , उत्तमता की बमसाल
आमरा पूवयज होता ! वा उनकी अबग्न जाने कहान धूबमल भय गयी
! आब क्तथथबत या आय गयी की आमरा कएक लोग खुदला पीबड़त
समझन लग्या ! जोंगलमा बसक
े ग्रामीण ढाोंचा मा असा रच बस
गया की खुदकी की प्राचीन पहचान लक आमी दूर जान लग्या !
आमरो नवी पीढीला बनिालक आब जागनो पड़े ! आमला
आमी कौन होता , क
े तरा शक्तिशाली होता येन बात की इज्जत
बनाय क
े राखनो जरूरी से ! समया बवपरीत से पर आब आमला
अोंदरको आत्मबवश्वास मजबूत करनो जरूरी पड़े ! कमसे कम
ठान लेनो पड़े की हर क्षेत्र मा आमरो दबदबा रहे ! हर क्षेत्र मा
आमी अव्वल रव्हबबन ! आब सबला आपलो आपलो क्षेत्र मा सामने
बढ्नो शुरू करनो पड़े अगर भबवष्य मा दौड़ लगावनो से त ...
बचोंतन २९.०९.२०२२....मिेन पटले
65 पोवारी साहित्य सररता भाग ६५
34
पोवार समाि को िागरण
********
सम्मानीय पोवार भाउ बबहनी बगनलक बनवेदन से बक वतयमान मा
पोवार समाज का ढेर सारा सोंगठन गााँव लक धरकर अोंतरायष्टरीय
स्तर तक अन व्हाटसाफ ग्रुप बन गयी सेत। हर सोंगठन अन ग्रुप
अपरी मोंशा को अनुसार काम कर रही सेत। सबका अपरा अपरा
मानदण्ड अन अपरी अपरी गबतबवबध सेतीन।
समाज को जागरण लाई अनेक बबन्दू अन काम होय सकसेतीन
पर मी प्रमुख रूप लक समाज जागरण लाई चार बबन्दु पर सब
सोंगठन अन ग्रुप को ध्यान आक
ृ ष्ट करनो चाह रही सेव।
(1) स्वाबभमान
(2) सोंस्कार
(3) पबहचान
(4) शक्ति
(1) स्वाहभमान ---- पोवार समाज को स्वाबभमान --स्वाबभमान
जो शुप्त होय गयी से वोला जाग्रत करन लाई पोवार समाज को
इबतहास की जानकारी पुरो पोवार समाज ला देन की शि जरुरत
से
66 पोवारी साहित्य सररता भाग ६५
यो काम लेख कबवता गीत गाना नाटक डर ामा डोंढ्यार रोंगमोंच अन
अपरी बवरासत को माधयम् लक काम कयो जाय सक से अन
साोंगयो जाय सक से बक तुम्ी राज करन वाला राजपूत क्षबत्रय
आव। तुम्ी राजा की सोंतान आव। जसो बक हजारो हजारो साल
लक हमारी माय बबहन गीत गाना को माध्यम लक साोंगत होबतन
को तुम्ी राजा महाराजा की सोंतान राज करन वाला राजक
ुाँ वर
आव। जसो की फलदान अन बबजोरा को गाना मा गावत होबतन ।
(1)-- कोन गााँव की आई बरात
अयोध्या गााँव की आई बरात
झलमा पदाय की आई गुडुर
लोखोंड की असक
ु ड़ माय बकस धूर।
बैल जुपीसेत धवल पवन
धुरकोरी बसी सेत राजक
ुाँ वर
अपरी माय का आतीन बार
हाथ मा धरी सेत ढाल तलवार।
(2) गााँव को आखर पर आमा की अमराई।
वहााँ उतरयो राजा को रनवास।
राजा को रनवास खेल से गोटी।
बपता सोप अपरी बेटी।
67 पोवारी साहित्य सररता भाग ६५
(3) -- सोबनया ची आढनी भौर ठाट।
चल ओ बाई जेवन ला दूध का भात।
बटकी को दू ध भात बटकी मा रह्यो।
राजक
ुाँ वर परनू आयो बपता बेटी सोपन लगयो।
(4) --राजा जनक बोलतो भयो बुलाओ गााँव को भाली।
आईन हमरा सजन समधी करो पाय पानी।
असा हमारा बबह्या होली छटी बारसा परहा अन दरन क
ु टन का
गाना बहनमा लगत सा उदाहरण बमल जाहेत की हमी राज करन
वाला राजा महाराजा की सोंतान आजन।
(2) -- सांस्कार -- सोंस्कार पररवार की प्रमुख जरूर आय।
सोंस्काररत पररवार अन समाज ही सभ्य अन शाबलन कहलायो
जासे।
सोंस्कार कोई वस्तु नोहोय जो बक पररवार की जरुरत को अनुसार
बजार लक लेयकर आन लेबो।
सोंस्कार बमल सेतीन रीबत ररवाज नेग दस्तूर परम्परा मानबबन्दू
आदशय तीज िौहार गीत गाना कथा कहानी अन हमारा धाबमयक
ग्रोंथ लक।
जसो बक हमारा बबह्या को गीत मा नवरदेव सार होसे तब गाव
सेत।
(1) --नवरदेव भाऊ सार होसे
68 पोवारी साहित्य सररता भाग ६५
माय आड़वी होसे।
देजो बार देजो बार
मोरो दूध को दाम।
जोड़ी जीतकर आहाँ माय
देहाँ तोरो दूध को दाम।
हमारा पारोंपररक गीत गाना मा ही स्वाबभमान सोंस्कार पबहचान अन
इबतहास छु पी से।
बफर लक बवरासत ला अमल ला आनन की जरुरत से अन हमारा
रीबत ररवाज नेग दस्तूर तीज िौहार परम्परा पर शोधकर बफरलक
चलन मा आनन की जरुरत से तब जाय क
े पररवार अन समाज
सोंस्काररत होये।
(3)-- पहिचान --कोई भी जाबत समाज वगय सम्प्रदाय की पबहचान
एकमात्र वोकी बोली होसे।
पोवार समाज ला अपरी बोली ला बफर लक चलन मा आनन को
भागीरथ प्रयास करन की जरूरत से। यह बात हमला इजराइली
यहबदयोों लक सीखन की जरूरत से जो बक हजारो साल परतोंत्र
अन दुबनया मा बततर बबतर रवहन को बाद भी अपरी बहब्रू भाषा
ला नही भूलीन अन हजारो साल बाद भी अपरी मातृभूबम इज़राइल
ला
पायकर दुबनया मा अपरो परचम लहराय रही सेतीन।
69 पोवारी साहित्य सररता भाग ६५
(4) -र्त्यि -- दुबनया मा शक्तिशाली की ही पूजा होसे। कमजोर
क
े तरो च अच्छो रह्व वोबक पूजा नही होय।
चाहे कोई व्यक्ति समाज वगय या राष्टर होय। शक्तिशाली की पूजा
होसे। येको लाई आज पोवार समाजला शक्तिशाली बनावन की
जरूरत से ।कलयुग मा सोंगठन ला शक्ति कह्यो गई से। सोंघै शक्ति
कलयुगे।
आज पोवार समाज ला भी पारा टोला मोहल्ला गााँव नगर तालुका
बजला प्राोंत राष्टर अन अन्तरायष्टरीय स्तर तक सोंगठन एक बैनर या
झोंडा खाल्या करन की शि जरुरत से।
बसवनी बजला मा गााँव तालुका लक बजला स्तर तक वररष्ठ मबहला
युवा काययकाररणी गबठत कर उपरोि चारी (4) बबन्दू पर काम
चल रही से।
हमरो बवश्वास से बक येन बबन्दुओों को आधार पर पोवार समाज
परम वैभव ला प्रात कर भारतमाता ला परमवैभव को पद पर
आसीन करबो। धन्यवाद।
जय राजा भोज जय भारत माता।
कोमलप्रसाद रािँगडाले
कल्याणपुर धारनाकलाँ तिसील बरघाट
हिला हसवनी म प्र।
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पोवारी साहित्य सरिता भाग ६५

  • 1. 1 पोवारी साहित्य सररता भाग ६५ पोवारी साहित्य अना साांस्क ृ हतक उत्कर्ष द्वारा आयोहित पोवारी साहित्य सररता भाग ६५ आयोिक डॉ. िरगोहवांद टेंभरे मागषदर्षक श्री. व्ही. बी.देर्मुख
  • 2. 2 पोवारी साहित्य सररता भाग ६५ 1. आमरी पोवारी बोली... (एक स्वाहभमान गीत) मधुर - मीठी वाणी , आमरी पोवारी बोली l आमरोों माथो की बबोंदी,आमरीपोवारी बोली l सुख -दु:ख की से साथी, पोवारी बोली l आमरोों जीवन की सोंगाती,पोवारी बोली l मन मा नाोंद् से हरदम, पोवारी बोली l आम्ीों पोवार भाई,आमरी पोवारी बोली ll कहानी बकस्सा मा से, पोवारी बोली l बबहया को दस्तूर मा से,पोवारी बोली l मन मा नाोंद् से हरदम, पोवारी बोली l आम्ीों पोवार भाई,आमरी पोवारी बोली l जुनो लोकगीतोों मा से, पोवारी बोली l कहावत मुहावरा मा से, पोवारी बोली l
  • 3. 3 पोवारी साहित्य सररता भाग ६५ मन मा नाोंद् से हरदम, पोवारी बोली l आम्ीों पोवार भाई,आमरी पोवारी बोली ll पोरा की झड़ती मा से, पोवारी बोली l फाग की फगनोटी मा से, पोवारी बोली l मन मा नाद् से हरदम, पोवारी बोली l आम्ीों पोवार भाई,आमरी पोवारी बोली ll फ ु गड़ी को गाना मा से, पोवारी बोली l लावणी ना झड़ती मा से,पोवारी बोली l मन मा नाोंद् से हरदम, पोवारी बोली l आम्ीों पोवार भाई, आमरी पोवारी बोली ll इबतहासकार प्राचायय ओ सी पटले प्रणेता -पोवारी भाषाबवश्व नवी क्ाोंबत अबभयान, भारतवषय. *रबव.१८/०९/२०२२. -------------------🚩🚩🚩---------------
  • 4. 4 पोवारी साहित्य सररता भाग ६५ 2. आमरोां लेखनी की हिम्मेदारी बड़ी अनमोल भाषा से पोवारी l वोकी उपेक्षा या आमरी गोंवारी l मायबोली ला भाषा बनावन की, आमरोों लेखनी की से बजम्मेदारी ll पोवारी या से मीठी मधुर वाणी l या से आमरो माथो की बबोंदी वानी l बड़ी अनमोल भाषा से पोवारी l वोकी उपेक्षा या आमरी गोंवारी ll समाज की पहचान से पोवारी l समाज को स्वाबभमान से पोवारी l बड़ी अनमोल भाषा से पोवारी l वोकी उपेक्षा या आमरी गोंवारी ll
  • 5. 5 पोवारी साहित्य सररता भाग ६५ समाजोत्थान की आधार पोवारी l बनसगय- शक्ति को उपहार पोवारी l बड़ी अनमोल भाषा से पोवारी l वोकी उपेक्षा या आमरी गोंवारी ll उन्नत कर लो भाषा पोवारी l गौरव पाये समाज पोवारी l बड़ी अनमोल भाषा से पोवारी l वोकी उपेक्षा या आमरी गोंवारी ll इबतहासकार प्राचायय ओ सी पटले प्रणेता -पोवारी भाषाबवश्व नवी क्ाोंबत अबभयान, भारतवषय. बुध.२१/०९/२०२२. --------------------🚩🚩----------------
  • 6. 6 पोवारी साहित्य सररता भाग ६५ 3. भार्ा बनावन की हिम्मेदारी बड़ो भाग्य लक बमली से आमला दुबनया मा अलग भाषा पोवारी l बजोंदगी करता- करता बनभाओ बोली ला भाषा बनावन की बजम्मेदारी ll मधुर- मीठी से आमरी या भाषा सरल- सहज से भाषा पोवारी l बजोंदगी करता करता बनभाओ बोली ला भाषा बनावन की बजम्मेदारी ll सोंस्क ृ बत की सोंवाहक से भाषा सोंस्क ृ बत की सोंरक्षक से पोवारी l बजोंदगी करता करता बनभाओ बोली ला भाषा बनावन की बजम्मेदारी ll
  • 7. 7 पोवारी साहित्य सररता भाग ६५ समाज को माथो की बबोंदी वानी पोवारोों की पहचान से पोवारी l बजोंदगी करता करता बनभाओ बोली ला भाषा बनावन की बजम्मेदारी ll इबतहासकार प्राचायय ओ सी पटले शबन.२४/०९/२०२२. -------------------🔷🔶🔷----------------
  • 8. 8 पोवारी साहित्य सररता भाग ६५ 4. पोवारी साहित्यत्यक : हिांदी ना मराठी मा हनपुणता आवश्यक पोवारी साबहक्तिकोों सीन अपेक्षा से बक पोवारी बोली ला भाषा को दजाय बमलावन साती उनकी लेखनी लक दजेदार पोवारी साबहि को सजयन होनो आवश्यक से . असो श्रेष्ठ साबहि की बनबमयबत क े वल वयच साबहक्तिक कर पायेती, बजनकी बहोंदी व मराठी पर मजबूत पकड़ से. येका प्रमुख कारण बनम्नबलक्तखत सेत- (१) पोवारी साबहक्तिक ला एखाद प्रसोंग को बचत्रण करन को समय वोला वू प्रसोंग रेखाटन साती दूसरोों व्यक्ति सोंग् बहन्दी अथवा मराठी मा सोंवाद भयी रहें त् अन्य व्यक्ति का बवचार वोकी भाषा व शैली मा नमूद करनोों भी आवश्यक से. (२) बहन्दी व्याकरण को जेला ज्ञान से वोन् साबहक्तिक ला व्याकरण सम्मत पोवारी साबहि को सजयन करनो सुलभ होसे. (३) बहन्दी अना मराठी को काव्य प्रकारोों को बजनला ज्ञान से असो साबहक्तिकोों ला नवा- नवा काव्य प्रकार पोवारी मा आनक े पोवारी साबहि ला बहुआयामी बनावनोों मा अबधक महत्वपूणय योगदान देनोों सोंभव से.
  • 9. 9 पोवारी साहित्य सररता भाग ६५ साराोंश, पोवारी भाषा को भबवतव्य उन साबहक्तिकोों को हाथ मा से बजनकी पोवारी, बहन्दी अना मराठी असी बतन्ही भाषाओों पर अच्छी पकड़ से. इहतिासकार प्राचायष ओ सी पटले र्हन.२४/०९/२०२२. -----------------🔷🔶🔷----------------
  • 10. 10 पोवारी साहित्य सररता भाग ६५ 5. प्राचीन इहतिास को अनुभव उज्जयनी नरेश पोवार राजा सम्राट बवक्माबदिको दरबारमा ज्ञानी मनुष्यइनमा आपलो बवद्वताको कारण चमकतो असो महाकबव काबलदास सररसो रत्न शोभामयान होथो । जेन प्रकार लक समोंदरमा यात्रा करती नावला बकनारोोंपर उभो दीपस्तम्भ मागयदबशयत करसे तसोच अनेक सोंस्क ृ त ग्रन्थइनको लेखक कबव काबलदासकी रचना अज बी साबहि जगतला मागयदबशयत करसे । उदाहरणतः उनको एक ग्रोंथ से रघुवोंशम । वोन ग्रन्थमा महाराज रघुको बदक्तिजयको उल्लेख आवसे। चार ही बदशामा उनको प्रतापको वणयन अिोंत सुोंदर तरीकालक कबव काबलदास करसेत । कबव काबलदास बलखसेत् - "प्रचोंड वेग लक बव्हबत नदीमा तनकर उभो झाड़ला नदी को प्रवाह जड़मूल सबहत उखाड कर फ ें क देसे । वहा को वहान झाड़झुडुप की बेला झुक जासे , अना वोकोपरलक आवेगमा बव्हतो नदीको उमड़तो पानी बबना वोला उखाड़े बनकल जासे । तसोच महाप्रतापी रघुको प्रचोंड शौयय धारामा जो राजा उदण्ड बनकर सामने आयो वोला राजा रघु न पुरो तरीका लक समाप्त
  • 11. 11 पोवारी साहित्य सररता भाग ६५ कर देइस । अना जो राजा वोको सामने बवन्रमतालक स्वागतोत्सुक होयक े बमलनला आया उनकी रक्षा खुदच भय गयी ।" उपमा अलोंकार युि उनकी साबहि रचना बाचो त् लगसे जसो आमी वोनच समयामा हाबजर सेजन । देख्यव जाहै त् येन ग्रोंथइनको द्वारा छु पी सीख बी बमल जासे । जब पररक्तथथबत बबकट होन लगी त् थोडासो रुकक े , झुकक े , समझक े , शाोंत रहेक े , शान्त बचत्त लक पररक्तथथबत को सामना करनला होना । असो लक नुकसान नही होय । पुनः थथाबपत होन को मौका बमलसे । पररक्तथथबत लक बवचबलत होयकर , उबद्वग्न होयकर , अकडक े , क्ोध मा , बबना बबचार करे , जो नही होय सक े असो असम्भव कायय नही करनला होना । प्राचीन इबतहास को अनुभव बडो मूल्यवान से । ... ....मिेन पटले *****************
  • 12. 12 पोवारी साहित्य सररता भाग ६५ 6. पुण्यप्रद कमष को अर्ष : प्रत्यक्ष अनुभव द्वारा स्पष्टीकरण "कमयण्येवाबधकारस्ते मा फलेषु कदाबचन्" येव श्रीमद्भगवद्गीता को बसद्ाोंत सभी बुक्तद्जीबवयोों ला अवगत से. यहाों श्रीमद्भगवद्गीता मानवमात्र ला सत्कमय करन की अना फल प्राक्तप्त की अबभलाषा न करता फल की बजम्मेदारी बवधाता पर सौोंप देन की बशक्षा देसे. या बशक्षा सब ला सहजता लक समझ मा भी आय जासे. परोंतु मोरोों बाचनोों मा कभी तरी या भी बात आयी से बक "मनुष्य न् पुण्यप्रद कमय करें पाबहजे." येको अथय येव अवगत भयेव होतो बक मनुष्य न् सत्कमय द्वारा अबजयत आपली कमाई को १०प्रबतशत पैसा एखाद पुण्य कायय मा दान कर देये पाबहजे. लेबकन इन बदनोों पुण्यप्रद कमय को एक सही अथय मोला श्रीमती ज्योबत मनीष नाईक अना इनको पररवार को प्रिक्ष व्यवहार द्वारा अवगत भयेव. भयेव असो बक इन बदनोों मी आपली पत्नी श्रीमती पामेश्वरी पटले इनको उपचार को उद्देश्य लक गोोंबदया का सुप्रबसद् डाॅ.पुष्पराज बगरी इनको हाॅक्तिटल मा सेव. यहाों एक बदन बदवस बुड़ेव को बाद लगभग ८ बजे मोरी पत्नी न् दूध पीवन की इच्छा व्यि करीस. अतः मी दवाखानो जवर की चाय की दुकान मा गयेव अना दुकानदार मबहला ला १पाव दूध माोंगेव. लेबकन वहाों
  • 13. 13 पोवारी साहित्य सररता भाग ६५ दूध समाप्त भय गयेव होतो. येको कारण वोन् मबहला न् साोंगीस बक " हमारी दुकान में दूध खतम हो गया है." येको बाद वोन् साोंगीस बक " भैया जी, तुम यहाों से पबिम बदशा में जाईये. इसी बववेकानन्द काॅलनी में पाोंच -दस मकान क े बाद क ु छ गायें बोंधी हुई आपको बदखेगी . उस घर में घर में तुम्ें दू ध बमल जायेगा." दूकानदार मबहला ला मी कहेव बक " मुझे तो गरम एवों शक्कर डाला हुआ दू ध चाबहए था". येको पर वोन् बाई न् साोंगीस बक " उस घर क े लोग मरीजोों क े बलए दू ध गरम करक े भी दे देते हैं. अतः वे आपको एक पाव दूध गरम करक े एवों उसमें शक्कर डाल क े भी दे देंगे." वोन् मबहला को कथन पर बवश्वास करक े मी वोन् साोंगेव थथान पर गयेव. जहाों चार -पाोंच गायी बोंधी बदसी वहाों गायीन को मालक को घर को पता पूोंछकर वोन् घर् गयेव.घर मा श्रीमती ज्योबत नाईक अना उनका पबत श्री मनीष नाईक ये दूही अपलो समस्त पररवार क े साथ उपक्तथथत होता. ज्योबत अना मबनष नाईक इनला मी जब् साोंगेव बक मी " डाॅ. बगरी साहब क े दवाखाने से आया हों एवों मुझे १पाव दू ध चाबहए ." जब् उनन् कहीन बक "दू ध बमल जायेगा", तब मी थोड़ी राहत की साोंस लेयेव अना उनला पूोंछे व बक "क्या आप दू ध गरम करक े एवों उसमें शक्कर डालकर दे सकते है ?" येको पर उनन् "हाों" मा जवाब देईन. येको बाद वय आपलो घर को डब्बा मा लगभग अधो लीटर दूध देईन. मी जब् उनला पैसा देन लगेव त् उनन् पैसा लेन मना कर देईन. येको पिात जब् दवाखानोों मा दूध
  • 14. 14 पोवारी साहित्य सररता भाग ६५ पहुोंचायकर उनको डब्बा वाबपस करन दुबारा उनको घर् गयेव तब् उनन् मोला नाश्ता कराईन. नाश्ता मा शुद् घीव का दुय सत्तु का लड्डू अना दुय कदली फल (क े रा/क े ला) होता. मी उनको येन् दया ना उदारतापूणय व्यवहार को आगे आपलो ला बहुत बौना महसूस करन लगेव. मी नाश्ता करता- करता सोचत रहेव बक श्रीमती ज्योबत नाईक अना उनका पबत श्री मनीष नाईक येन् दूही न् आपलो दूग्ध व्यवसाय ला पुण्यप्रद कमय बनाय लेई सेन. वस्तुत: ज्योबत अना मबनष नाईक ये दूही व्यक्ति दवाखानोों मा मरीजोों ला कभी भी रात- बेरात दू ध की आवश्यकता पड़ी त् बबना पैसा लक उनकी आवश्यकता सहषय पूणय कर् सेत. मी स्वयों पुण्यप्रद कमय को सही अथय नाईक पररवार को प्रिक्ष आचरण लक ज्ञात कर पायेव. पुण्यप्रद कमय को अथय से बक "उदरबनवायह साती जब् आम्ीों अथोपाजयन कर् सेज् त् येन् कायय को साथ आम्ीों जरुरतमोंद व्यक्तियोों की भी थोड़ी-बहुत मदत अवश्य करें पाबहजे. येको पररणामस्वरुप मनुष्य द्वारा अथोपाजयन साती करेव गयेव पूरो कमय पुण्यप्रद कमय बन जासे." श्रीमती ज्योबत नाईक अना उनको पररवार को पूण्यप्रद कमय न् मोला बहुत महत्वपूणय सीख देईस. येन् सीख ला मी जीवनभर भूल पावनोों असम्भव से. नाईक पररवार लक सीख लेयकर प्रिेक मानव अपलो कमय ला पुण्यप्रद कमय मा बदल बसक ् से. अना सोंसार ला स्वगय बनावनोों मा आपलो अमूल्य योगदान देय सक ् से -इहतिासकार प्राचायष ओ सी पटले
  • 15. 15 पोवारी साहित्य सररता भाग ६५ 7. समाि िोडो अहभयान: एक मूलमांत्र समबवचारी स्वजनोों मा मतभेद लक बहुत दु:ख होसे. असो लग् से जसो आपन एखाद तारा ला धरन की कोबशश कर रहया सेजन,वू ताराच तूट क े बबखर रही. अथवा जेन् खाोंदी ला हाथ धरया वाच टूट रही से. समाज बहत साध्य करन साती, लक्ष्य प्राक्तप्त साती अथवा सोंगठन चलावनसाती "तोड़नोों सहज से.जोड़नोॅ ों बहुत कठीन से." या बात एखाद मूल्यवान मोंत्रवानी ध्यान मा ठे वनोों मा ज्यादा भलाई से. इबतहासकार प्राचायय ओ सी पटले शबन.२४/०९/२०२२. *****************************
  • 16. 16 पोवारी साहित्य सररता भाग ६५ 8. दांडार चलोरे भाऊ जाबीन, देखन ला दोंडार | सोोंग वाला देखन, भेटसेती रात भर ||टेक|| राखड लग्या चेहरा रोंगी बेरोंगी बदस कोरसा की दाढी बमशी बन गयी वा खास | सज गयी मस्तक की चूनो की लकीर ||१|| गोंध की लगी लाली, लाल रोंग ओठपर मुक ु ट जटा पर, झगा बदससे सुोंदर | दोंडार करन सज गया उभा पात्रकार ||२|| नारी रूप धर, आदमी करसे बसनगार साडी चोळी पेहरसे चाल लचकदार | क े स मा लगावसे गजरा झुमक े दार ||३|| जसो सोोंग तसो उनको पेहराव होसे दोहा चौपाई की धून मज्जेदार होसे |
  • 17. 17 पोवारी साहित्य सररता भाग ६५ हालदार भालदार की शोभसे तलवार ||४|| ढोलकी को तालपर, नाच्या नाचन बसी शाहीर को नक्कल मा ,मज्जा आवसे कसी | अटक मटक कर, नाच करसे जोकर ||५|| पेटी ढोलकी पर, सुरमा चलसे गायन बफल्मी गाना की बजी धून नाच्या लगी नाचन | पक्तिक की फरमाइस पडसे जोरदार ||६|| गणपती वोंदना लक होसे सुरवात आरती भयी तब सबला जोडसेती हात | मनोरोंजन को साधन गाव मा दोंडार ||७|| पोवारी साहित्य सररता भाग ६५ हदनाांक:२४:९:२०२२ िेमांत पी पटले धामणगाव (आमगाव) ९२७२११६५०१
  • 18. 18 पोवारी साहित्य सररता भाग ६५ 9. व्यसन लक परिेि वतयमानमा एक गम्भीर समस्या समाजमा व्याप्त भय गयी से जो पतन को तरफ समाजला क्तखोंच तानकर लेकर जाहै । या समस्या आय दारूको व्यसन । सबला मालूम से की दारू लक कएक घर बबायद भया । आमरो समाज मा दारूको प्रमाण जो पहले शून्य होतो आब थोड़ो बढयव असो चोवहसे । आमला दारू मुि समाज बनबमयबत करनो से । पहले को जमानामा दारू बपनो यानी गलत समझयव जात होतो । पहले हलकट कवत दारूबाज लोगईनला । कोणीबी दारू बपनो पसोंद नही करत होतो। अना कोणी दारू बपयकर कही बमलयव त् वोको पर दण्ड होत होथोों । समाज की पोंचायत बड़ी मजबुत होती । समाज मा बड़ी सभ्यता होती । एकदूसरोको बडो मान होतो अना बुजुगोंइनको भेव भी सबला सीधो राखनोमा कारण होतो । स्वतोंत्रताको बाद क्तथथबत बदली । जमाना बदलयव। साोंस्क ृ बतक पतन भयौ । लोग स्वछन्द रूप लक रव्हन लग्या । समाज सोंथथा खत्म भयी । एक प्रकारलक कहो त् समाज सोंथथा खत्म करनोमा आयी । आब वोका दुष्पररणाम बी चोव्हन लग्या । आमला गाोंव गाोंव एकजुट होयक े पुनः समाज को भलाईलायी समाज पोंचायत मजबुत करनो जरूरी से । साोंस्क ृ बतक , नैबतक पतन रोकनो से त् आमला सबला जुड़नो पड़े । सब बमलक े समाज काययमा साथ देनो पडे । आमला कभी नही
  • 19. 19 पोवारी साहित्य सररता भाग ६५ भूलनला होना की आमी सामाबजक प्राणी आजन । आमला एक प्रकारलक कहो त् आपलो पररवारलायी आपलो लोगइनसोंग जुड़क े रव्हनो जरूरी से । एकलो दुकलो व्यक्तिला पररक्तथथबत कबअ कमजोर साबबत कर देये पता नही चल । सामाबजक बुराई सब बमलक े खत्म करनो आमरो सबकी जबाबदारी से । समाजमा दारू सररसो व्यसन बबल्क ु ल नही होना , यकोलाय उपाय जरूरी सेत । बुजुगयइनला थोड़ी कड़ाई लक पेश आवनो जरूरी से । व्यक्तिगत पतनको नुकसान समाज ला नही बक्तल्क पररवार ला सहनो पडसे । आमला सोंस्काररत पररवार सोंथथा बी वोतरीच मजबूत करनो पड़े । घर का अच्छा सोंस्कार अना अनुशासन द्वारा जो गलत होय रही से वोकोपरा रोक लग सकसे । घर मा अनुशासन अना अच्छा सोंस्कार तब रहेती जब घरका बुजुगय या पालक बी आदशय प्रस्तुत करेती । माताबपताला बालबच्चाकी सोंगत पर बी ध्यान देनो पड़े । जो दारू पीने वाला सेत उनला हर काययक्म लक बाहर को रस्ता देखावनो जरूरी से । उनको सन्मान नही बक्तल्क उनला नकारनो पडे । तब येन व्यसन नामक सामाबजक बीमारी परा अोंक ु श लगे । सभ्य समाजकी बनबमयबतमा सबकी भलाई से। ....मिेन पटले ********************
  • 20. 20 पोवारी साहित्य सररता भाग ६५ 10. िास्य कहवता तोांड सहनशीलता की बमसाल योव बबचारो तोोंड सहन करसे थोंडी आईस्क्रीम कभी खासे गरम आलू बोोंड खानो, बोलनो को काम तरी कसेत लगाव ताला थोडोसो का बास माररस त् देखो योव सडेव नाला हाय हाय करत झेलसे बमची बतखट की आग पोट खासे भरभर अना तोोंड सहसे बपत्त को राग
  • 21. 21 पोवारी साहित्य सररता भाग ६५ बदल जीतन साती यलाच पडसे हसनो कोणीला भी काहीच होय बचलायकन पडसे रोवनो पोंचइोंबिय को सोंगतना तोोंड की मोठी बपसनी साडे तीन हात शरीर की तोोंड को मोंग लगी से शनी र्ेर्राव येळे कर हद.२४/०९//२२ ****************
  • 22. 22 पोवारी साहित्य सररता भाग ६५ 11. तोोंडच कष्ट करक े भरसे सबको पोट, शरीरक ् पोषणसाठी काममा नही आण खोट. वोलाच कसेत लेहळा नाहाय वोको काही स्वाथय, सबक ् पोषणसाती वुच करत रव्हसे परमाथय. लोक इनला समझावनो प्रश्नको उत्तर देनो वोकोच काम, येन कामसाठी तजसे वु आपलो आराम. चुप रहेवत् दोष वोलाच
  • 23. 23 पोवारी साहित्य सररता भाग ६५ जादा बोलेव त् वोकीच गलती, समझमा नही आव भाऊ सोंसार का बनयम सेत भलती. - हचरांिीव हबसेन गोांहदया ****************************
  • 24. 24 पोवारी साहित्य सररता भाग ६५ 12 ठाट - बाट ======== पहले पोवार घर होतो, बहुत थाट-बाट, मोठाोंग क ् सपरीपर रव्ह शहानो की खाट. मोठाोंग सहसा आवत नोहोती बह बयदी, आयी बी त् डोईपर सेव रव्हत होतो जरूरी. आदमी लोक इनकी पोंगत बस सोंगच जेवनला, बाई लोक एक एक चीज वाढत होती सातरोमा. आदमी लोक बाहेर गया त् देखनो पड बाट, उनक जेये बबगुर बाई लोक कभी नोहोती खात. पाहुणा इनकी होत होती बहुत खाबतरदारी,
  • 25. 25 पोवारी साहित्य सररता भाग ६५ पाय धोवनको, चुरूको पानी होतो जरूरी. पर आता बवभि क ु टूोंब पद्तीमा वा बात नही रहीसे, धीरू - धीरू पुरानो बनयम मा कमी आय रहीसे. - हचरांिीव हबसेन गोांहदया ********************
  • 26. 26 पोवारी साहित्य सररता भाग ६५ 13. िय 36 क ु ल पोवार. 36 क ु ल पोवार. येव नारा करे उद्ार. 36 क ु ल पोंवार. कोई ना कर सक इनकार. समाज की पुकार. बवकास साती लेव पुढाकार. देवघर की चौरी. खरी जमापूोंजी आय मोरी. दसरा की मयरी. कोचयी को बड़ीसोंग लगसे साजरी. दीवारी की खीर. 36 क ु ल पोवार की तकदीर. बनवज की अठई. पोवार की उत्क ृ ष्ट बमठाई. ✒️ऋहर्क े र् गौतम (24-sep-2022) ******************************
  • 27. 27 पोवारी साहित्य सररता भाग ६५ 14. िमारो िीवन अना तेली को बईल तेली को बईल चल त बदनभर से, पर पहुोंच कहीों नहीों. बवचार करे पायजे की हमारी बजोंदगी भी त काही असोोंच प्रकार की नहाय. बजोंदगी की शुरुआत पासून हामी बलखाई पढाई, नौकरी, शादी बबहया बच्चा आबद को कोल्हह मा चलनो शुरू कर सेजन. बुढापा मा अोंत समय पर देख सेजन की, यतरो बेतहाशा भागनो को बाद भी कहीों नहीों पहुोंच्या. अोंततः जसो रोवता रोवता खाली हाथ जन्मया तसोोंच अशाोंत अवथथा मा पछतावा करत यहाों ल खाली हाथ चल देया. हमारी बजोंदगी की या बहुत बड़ी हार से. वस्तुतः – "बजोंदगी मा वोन मोठी बात कर लेईस, जेन आपलो आप सीन मुलाकात कर लेईस." बजोंदगी ला फि वस्तु अना सामान लकाच नहीों त, अच्छो कमय अना पबवत्र सोंस्कार लका भी सजाएों पायजे. ✒️ ऋहर्क े र् गौतम (24-sep-2022) ***********************************
  • 28. 28 पोवारी साहित्य सररता भाग ६५ 15. इांहि.गोवधषन िी हबसेन ***••••••*** पोवारी मराठी न बहोंदी भाषामा चल बजनकी साबहक्तिक कलम| शब्द को साठा अमाप से उनको लेखनीमा बदससे जोरदार दम|| बहोंदी को पटलपरा नाव बसद् पोवारी पटल भी गाजावसेती| काव्य लेख बगत गायन उनका सबको मनाला मस्त भावसेती|| आन बाण शान साबहि क्षेत्र का समाज को नाव करीन लौबकक| इोंबजबनअर गोवधयन बबसेन इनकी या प्रबतभा से अलौबकक||
  • 29. 29 पोवारी साहित्य सररता भाग ६५ जलम बदन पर उनको अज काव्यमयी शुभकामना से खरी| नाव प्रबसद्ी साबहक्तिक क्षेत्रमा बढे या मनोकामना से आमरी|| ==================== उमेंद्र युवराि हबसेन (प्रेरीत) गोांहदया (श्रीक्षेत्र देहू पुणे) ***************************
  • 30. 30 पोवारी साहित्य सररता भाग ६५ 16 || अहभनांदन || ****** अबभनोंदन करसे पोवारी समाज जनम बदन से गोवधयन जी को आज ||टेक|| पावन भूमी बडेगाव की से महान खेल क ु दकर गयेव लहान पण रोज जात होतो इस्क ु ल बशकण बबसेनघरणोकी गावमा पबहचान इोंबजनीयर की नोकरीपर से नाज ||१|| बलखीस ग्रोंथ पोवारी बहोंदी मराठी पर साबहक्तिक को नावला करीस अमर गोक ु ल नावला करीस उजागर पोवारी समाज को बनेव कोबहनूर पोवार जाती को पहणावो सरताज ||२||
  • 31. 31 पोवारी साहित्य सररता भाग ६५ गायत्री माता को उपासक बनकर रोज समाज सेवा करसे खुलकर इबतहास पोवार को साोंगसे जमकर पोवार जाबतको येव से पक्षधर मायबोली बचावन करसेती काज ||३|| हवर्य: साहित्यत्यक गोवधषन हबसेन हदनाांक:२५:९:२०२२ िेमांत पी पटले धामणगाव (आमगाव) ९२७२११६५०१ ****************************
  • 32. 32 पोवारी साहित्य सररता भाग ६५ 17. बेटी /पुत्री ********** हर, हर को जनम माय लक होसे, हर, हर ला नही एको अहसास से। माय का कई कई अवतार, कई जोक्तखम ना कई बकरदार। दुबनयाों मा माय को पहलो अवतार, बेटी बनकर घर ला करीस गुलजार। पररवार जन को पक्को बवचार, घर मा भय गयो माय लक्ष्मी अवतार। देवी देवता लक चली से या ररवाज, वेद, पुराण आना सब ग्रोंथ देसेती प्रमाण। बेटी आोंगन की रोंगीन रोंगोली आय, बेटी हर पूजा मा बदओ की ज्योती आय। बेटी पररवार की इज्जत को नगीना, भाई की राखी नहीों सज बबन बहना।
  • 33. 33 पोवारी साहित्य सररता भाग ६५ दुय क ु ल को योजन को पूल आय बेटी, माय बाप को याद को बपटारा आय बेटी। बहु बनकर घर आई ना गई वा आय बेटी, क ु ल को मान सम्मान आना बवधान बढाए बेटी। बसफ य बेटी का एक जनम मा तीन अवतार, भगवान भी नहीों बदल सक येतरा बकरदार। बेटी बदवस को रुप मा नहानी से गागर, हर बदन भरयो से बेटी को प्रेम सागर। बड़ो जतन की भगवान की रचना आय बेटी, हर माय बाप को अबभमान आय बेटी। दुहनया की सब बेटी, बिन, भाभी, बुआ, मौसी, बहु और माय ला समहपषत 🙏🙏 यर्वन्त कटरे २५/०९/२०२२ **************************
  • 34. 34 पोवारी साहित्य सररता भाग ६५ 18. --------- धुरांधर -------- ********* पोवारीको बवशाल अगासमा चमचम करतो तारा गोवधयन भाऊ सेत प्यारा -२ मायबोलीको कवी धुरोंधर अक्तिता बहरदाको अोंदर कलम चलाय बमटावों सेतीsss बादर कारा कारा गोवधयन भाऊ सेत प्यारा -२ बमठो बोलनो सबका सोंगी स्वभावमा नवरस सतरोंगी हुशार बुद्ीलक बसक ों सेतsss हुन्नर न्यारा न्यारा
  • 35. 35 पोवारी साहित्य सररता भाग ६५ गोवधयन भाऊ सेत प्यारा -२ भायाय बी सोंस्कारी भेटी तसाच उनका बेटा बेटी समाज ऋण फ े ड़ती देयक े sss सेवाको बोझारा गोवधयन भाऊ सेत प्यारा -२ लोंबो उमरकी देसू शुभेच्छा पुरी होय जाये हर ईच्छा अमर होय जाय साबहिमाsss नाव तोरो बदलदारा गोवधयन भाऊ सेत प्यारा -२ ********* डॉ. प्रल्हाद िरीणखेडे "प्रिरी" डोांगरगाव, ता. हि. गोांहदया ************************
  • 36. 36 पोवारी साहित्य सररता भाग ६५ 19. िय मा गडकाली र्ैलपुत्री *********** नाकमा नथनी कान मा क ुों डल, शोभकन बदससे माों शैलपुत्री ला देखकन,माय की याद आवसे डावो हातमा बत्रशूल धरकन उजो हातमा कमल माई को रुप देखो,होये शुभ ही शुभमोंगल आवो भिो लेवो दशयन,माता भिी भाव देखसे माों शैलपुत्री ला देखकन माय की याद आवसे माय की ममता शैलपुत्री को बहरदामा हर दुः ख की दवा माों शैलपुत्री को ममतामा आवो दरबार मा ,श्रद्ा भाव मा माता रवसे माों शैलपुत्री ला देखकन, माय की याद आवसे
  • 37. 37 पोवारी साहित्य सररता भाग ६५ वृषम आसनथथ, माय आयी भि भेटन टुरा माय को नाता,माता नही दे कभी तुटन माता मी तोरी पुजारण कण कण मा रुप बदससे माों शैलपुत्री ला देखकन, माय की याद आवसे र्ेर्राव येळे कर हद.२६/०९/२२ ****************
  • 38. 38 पोवारी साहित्य सररता भाग ६५ 20 पोवारी बोली से लाखोां मा भारी पोवारी बोली से बहुत मनोहारी l पोवारी बोली आमरी लाखोों मा से भारी ll जूनो लोकगीतोों मा से पोवारी बोली l परहा को गानाओों मा से पोवारी बोली l चोंदन राजा को परहा गड़् से, बझबमर बझबमर पानी पड़् से l येव गीत से क े तरो मनोहारी ? पोवारी बोली आमरी लाखोों मा से भारी ll जूनो लोकगीतोों मा से पोवारी बोली l बबहया को गानाओों मा से पोवारी बोली l रामू पुस् सीता ला, तोरोच का मावशी न् कायको दायजो देईस l येव गीत से क े तरो मनोहारी ? पोवारी बोली आमरी लाखोों मा से भारी ll
  • 39. 39 पोवारी साहित्य सररता भाग ६५ मीठोों शब्दोों लक बनी से पोवारी बोली l मीठोों शब्दोों को कारण मीठी पोवारी बोली l झुोंझुरका, महातनी बेरा लखलखती तपन वानी शब्द देसे पोवारी l ये शब्द सेती क े तरा मनोहारी ? पोवारी बोली आमरी लाखोों मा से भारी ll पेटाओ क्ाोंबत की आता लाखोों मशाली l बनशाना आमरो पक्को जान को नहीों खाली l बोली से या मधुर मीठी येला भाषा बनावन की आमरी से तैयारी l बहुत सुोंदर बवचार आमरा मनोहारी l पोवारी बोली आमरी लाखोों मा से भारी ll इहतिासकार प्राचायष ओ सी पटले प्रणेता -पोवारी भार्ाहवश्व नवी क्ाांहत अहभयान, भारतवर्ष. घटस्र्ापना,सोम.२६/०९/२०२२.
  • 40. 40 पोवारी साहित्य सररता भाग ६५ 21. नवरात्रीका नवरुप (दुिेरी अष्टाक्षरी रचना) सुरू भयी नवरात्री, करो घटकी थथापना | अज पयलो बदवस, शैलपुत्री आराधना ||१|| बशव पती भेटनला, घोर तपस्या करीस | मून ब्रह्मचारीणीको, रुप दुसरो धरीस ||२|| रुप बतसरो देवीको, चोंिघोंटा शाोंतीदायी | साधकला अनुभव, आवों ध्वनी घोंटाघाई ||३|| रुप चवथो क ु ष्ाोंडा, ब्रह्माोंडकी बनरमाती | अष्टभुजा याच माय, आयु बल स्वास्थ्यदाती ||४|| रुप पाचवो देवीको, स्क ों धमाता सुखदायी | द्वार मोक्षका खोलसे, च्यारभुजा वाली मायी ||५||
  • 41. 41 पोवारी साहित्य सररता भाग ६५ कािायन घरों जन्मी, रुप साव्वो कािायनी | पाप नष्ट कर देसे, च्यार फलकी दायनी ||६|| रुप सातवो धरीस, महाकाली कालरात्री | नाश करों बुरी शिी, ब्रह्माोंडकी बसक्तदददात्री ||७|| रुप आठवो मायको, महागौरी शिी नाम | शाोंत श्वेताोंबर धारी, पूणय करे रुक्या काम ||८|| रुप नौोंवो बसक्तदददात्री, बसक्तदद देसे माई खुप | बसक्तददलक धरों बशव, अद्यनारीश्वर रुप ||९|| नवरुप भवानीको, करो ब्रत उपवास | मनोकामनाकी माय, पूती करे हमखास ||१०|| © इांिी. गोवधषन हबसेन "गोक ु ल" गोांहदया, मो. ९४२२८३२९४१ *****************************
  • 42. 42 पोवारी साहित्य सररता भाग ६५ 22 स्वागतम... तुम्ी आयात याहा, शुभ मोंगलम् ..२ स्वागतम् स्वागतम् स्वागतम्...४ देव समान पावना,क्तखलेव आमोरो आोंगण बवणा बनी ध्वनी,क्तखल उठे व सावन...२ जय राजा भोज,सालेभाटा नगरम् स्वागतम्......२ फ ु ल मन भाव का,तुमला से अपयण तुमी आमरो साती,देव सम दपयण अज को काययक्म,पद पग शोबभतम् स्वागतम्.. हषय आनोंद को,याह उमळे व सागर मायबोली पोवारी,होय रही से जागर तुम्ी आयात याहान, मन भयोव पुलबकतोंम् स्वागतम... र्ेर्राव येळे कर हद.२७/०९/२२ **************
  • 43. 43 पोवारी साहित्य सररता भाग ६५ 23 माां ब्रम्हचाररणी **** जपत माला हात कमोंडलू बदस् बशव बबना अधूरी हजार साल तप करकन स्वरुप जाणकन भयी पूरी नवधा भिी मा दुसरी शिी जप तप की उपासना योगथथ कमय पथ पर सोडकन फल की वासना िागे जो अोंधश्रद्ा जाने खूदको स्वरूप वूच देख सखसे माों ब्रम्चाररणी को रूप
  • 44. 44 पोवारी साहित्य सररता भाग ६५ बनक्तचचत करो मागय धरो एकच ध्येय माों ब्रम्चाररणी की क ृ पा करे अजेय र्ेर्राव येळे कर हद.२७/०९/२२ *************
  • 45. 45 पोवारी साहित्य सररता भाग ६५ 24 मांगलमय से नवराहत्र त्यौिार माों भवानी को से कण- कण मा सोंचार l माों दुगाय महाकाली से सोंसार को आधार l मोंगलमय से माों दुगाय को नवराबत्र िौहार l चैतन्यमय कर देसे भिजनोों को सोंसार ll माों दुगाय को आशीष लक होसे उद्ार l आबदशक्ति की क ृ पा लक होसे नैया पार l माता को व्रत मा से चैतन्य शक्ति अपार l चैतन्यमय कर देसे भिजनोों को सोंसार ll माता दुगाय से जगत की पालनहार l माता दुगाय भिजनोों की तारणहार l माता को व्रत लक होसे जीवनको उद्ार l चैतन्ममय कर देसे भिजनोों को सोंसार ll इहतिासकार ओ सी पटले नवराहत्र,मांग.२७/०९/२०२२ *****************************
  • 46. 46 पोवारी साहित्य सररता भाग ६५ 25 पांवार(पोवार) समाि की हदर्ा *********** पोवार(पोंवार) समाज की बसाहट मुख्यतया भोंडारा, बसवनी, बालाघाट अना गोोंबदया बजला मा से। यन बजला का सीमावती बजला, कवधाय, नागपुर अन राजनाोंदगाोंव मा बी क ु छ पोवारी बस्ती सेती। वैनगोंगा क्षेत्र मा समाज ला तीन सौ बरस को आसपास भय गयी सेत। मराठा इबतहास, बजला गैज़ेट, बब्रबटश इबतहास, जनगणना का दस्तावेज, इबतहासकार अन बवचारक द्वारा रबचत साबहि असा अनेकानेक स्रोत को माध्यम लक समाज का इबतहास हमला बमल जासे। इनमा समाज ला उन्नत काश्तकार, मेहनती, सृजनशील, नेतृत्वकताय असो कई गुन का बलखी गयी से। आजादी को बाद आधुबनक बशक्षा को लगत प्रचार-प्रसार भयो। समाज बी आधुबनक बशक्षा लेनमा कोनी क मोंघा नहीों रहीसे अन सप क्षेत्रमा तरक्की भई। आपरो समाज का भाट को अनुसार आपरो पोवारी का कई क ु र गुजरात अन मालवा-राजपुताना लक नगरधन परा होयकन वैनगोंगा क्षेत्रमा आयी सेती। यवच कारन से की आपरो पोवार समाज मा गुजराती उद्यमशीलता अन मालवा- राजपुताना का क्षबत्रय वैभव का समक्तित व्य्वहार बदस जासे। पोवार समाज सनातनी धरम सोंस्क ृ बत का पालन करसेती अन दुसरो ला एकी सीख बी देसेती। सबला सोंग मा धरकन अना
  • 47. 47 पोवारी साहित्य सररता भाग ६५ सुसोंस्कारी रह्वन की सीख आपरो पुरखाइनकी सीख आय परा आधुबनकता अना भौबतकवाद को कारन समाज मा आता छु टपुट अपराध की प्रवबत्त देखनमा मा आय रही से यव मोठी बचोंता की बात से। बुजरुग इनको मान कम होय रही से, धमायन्तरण का बी कई उदाहरण देखनमा आय रही से तसाच अोंतजायतीय बववाह मा वृक्तद् बदस रही से। यव देखनमा आय रही से की समाज का सोंगठन आता राजनीबत को अखाड़ा बन रही सेत यव सही नहाय। सोंगठन इनला त बदवो को माबफक समाज ला बदशा देनको से। समाज की भाषा अन सोंस्क ृ बत का रक्षण को सोंग एको जन-जन मा प्रचार करन की सबलक अपेक्षा से। युवापीढी ला असो मागयदशयन देनको से की उनला रोजगार को सोंग आपरी पबहचान अना सोंस्क ृ बत का सही ज्ञान बमलहे। ✍️ऋहर् हबसेन, बालाघाट ☀️🌸☀️🌸☀️🌸☀️🌸☀️
  • 48. 48 पोवारी साहित्य सररता भाग ६५ 26 नववो रूप हसत्यिदात्री **^**^^^*^** देवी को नववो|बसक्तद्दात्री रूप|| बसद्ी की स्वरूप| माताराणी ||१|| ---------------------------------------- इच्छा करसे या| बसक्तद्दात्री पुणय|| क्षण ऐ सुवणय| सबलायी ||२|| ---------------------------------------- कमल आसन| सोंख चक् गदा|| पद्म रव्ह सदा| हातपरा ||३|| ---------------------------------------- बसक्तद्दात्री को से| सरस्वती रूप|| बवद्या को प्रारूप| देखावसे ||४|| ---------------------------------------- अष्टबसद्ी माता| महाबवद्या धारी||
  • 49. 49 पोवारी साहित्य सररता भाग ६५ भिों की क ै वारी| बसक्तद्दात्री ||५|| ---------------------------------------- कामना भी पुणय| कर बसक्तद्दात्री|| सुख की वा खात्री| माता द्वारा ||६|| ---------------------------------------- बसक्तद्दात्री देवी| पूजन को लाभ|| धन को भी लाभ| होसे सदा ||७|| ---------------------------------------- देवी वरदान| देसे भोंिनला|| बहत साधनला| अवतरी ||८|| ==================== उमेंद्र युवराि हबसेन (प्रेरीत) गोांहदया (श्रीक्षेत्र देहू पुणे) ९६७३९६५३११ **********************
  • 50. 50 पोवारी साहित्य सररता भाग ६५ 27 सकार ****** देखो, सुनो, बोलो भई पोवारी सकार। सब बमलकर कर रही सेती ओको सत्कार।। क े तरी सुोंदर से येन बोली की बयार। बचड़ी, भौरा आना भानु साोंगसेती सोंस्कार।। देखो.... कबव, लेखक आना इबतहासकार। सब बमलकर कर रही सेती पोवारी श्रृोंगार।। देखो.... सबको मन मा बहलोर रही सेती पोवारी बवचार। उनको सब कर रही सेती रचनाकर बवस्तार।। देखो.... सब बमलकर देखावसेती पोवारी इबतहास। भूगोल को बारे मा भी अटूट से बवश्वास।।देखो..... जाबत, बोली, कमय आना सोंस्कार। सबको मूल मा से भोज आना नगरी धार।। देखो..... माय गड़कबलका को से सबला आधार। माय को सहारा लक चल से वोंश पोवार।। देखो....
  • 51. 51 पोवारी साहित्य सररता भाग ६५ कभी नहीों बदखी आसी लगन ना धार । एक मोंच पर बमल रही सेती सबका बवचार।। देखो..... पोवारी धारा लक नोकाॅ े करो रार। सब लक उत्तम सेती पोवारी सोंस्कार। देखो..... यर्वन्त कटरे िबलपुर २८/०९/२०२२ *******************************
  • 52. 52 पोवारी साहित्य सररता भाग ६५ 28 देवी चांद्रघांटा ******** बसोंह पर से सवारी चोंिघोंटा माय मोरी बेल फ ू ल सोंग दूध पूजा करे नर नारी शूर वीर पराक्म माय तोरा आभूषण तोरी ललकार तोडे मन बवकार दूषण बनलो रोंग तोला भाये तेज सुवणय से रुप तोरो दर पर माथा कसी लगे मोला धूप
  • 53. 53 पोवारी साहित्य सररता भाग ६५ दशभुजा धारी माता अस्त्र शस्त्र सेती हातों गाथा तोरी से अगाध बनरोंतर जले ज्योत माता मोरी सुखदायी क ृ पा ठे व सबपर शेशू करे आराधना तोड मोह भवोंडर र्ेर्राव येळे कर हद.२९/०९/२२ *****************
  • 54. 54 पोवारी साहित्य सररता भाग ६५ 29 नवरात्रीका नवरांग (दर्ाक्षरी रचना) ********* नवरात्रीका नवरोंगकी, आयको सबजन महत्ता | येनों धरापर पसरीसे, माय दुगाय भवानीकी सत्ता ||१|| धारण करो वस्त्र बपवरा, पयलो बदन नवरात्री सन | उष्ाको प्रबतक रव्हसे, प्रफ ु क्तल्लत होयजासे मन ||२|| दुसरो बदन बहवरा कपडा, प्रक ृ बतको रव्हसे प्रबतक | देसे बवकास अना शाोंबत,
  • 55. 55 पोवारी साहित्य सररता भाग ६५ क्तथथरताको भाव सबटक ||३|| बतसरो बदन करडो रोंग, सोंतुबलत बबचार खास | चौथो बदन नारोंगी रोंग, देसे स्फ ू बतय ना उल्हास ||४|| पाोंढरो रोंग पाचवो बदन, भेटे सुरक्षा आत्मशाोंबत | सहावो बदन लाल वस्त्र, चमक े उत्साह प्रेमकाोंबत ||५|| गहरो बनळो सातवो बदन, भेटे खुब आनोंदको भाव | आठवो बदन गुलाबी रोंग, देसे प्रेम, स्नेह ना सद्भाव ||६|| नववो बदन जाोंभळो रोंग,
  • 56. 56 पोवारी साहित्य सररता भाग ६५ समृद्ीकी होसे प्राक्तप्त | धारन करो नवरोंग वस्त्र, देवी भावकी बढे व्याक्तप्त ||७|| खुब पसोंद सेत मायला, नव बदवसका नवरोंग | करो प्रेमलक जगराता, सपाई पररवारको सोंग ||८|| भिी भावलक करो पुजा, धरशान ब्रत उपवास | प्रसन्न होये माय भवानी, आबशवायद भेटे हमखास ||९|| © इांिी. गोवधषन हबसेन, "गोक ु ल" गोांहदया, मो. ९४२२८३२९४१ *****************************
  • 57. 57 पोवारी साहित्य सररता भाग ६५ 30 माय गडकाहलक (चाल:- माां ज्वाला तेरी ) ********** जय अोंबे माय गड काबलका नमन तोला बारबार भि की तू रखवाली से २ // बसोंहासन पर चढी भवानी कर सोळा बसोंनगार ss मबहमा अजब बनराली से //धृ //मबहमा........ कोणी कसेती माय दुगाय कोणी कसेती भवानी / धारानगरी मा आसन तोरो चोंबडका कसेत कोणी // भि आया तोर चरनमा करदे बेडापार ssss तोर बबन कोन वाली से २ //१//बसोंहासनपर...... राजा भोज की क ु लदेवी जेका आम्ी वोंशज आजन / पोवार जाती आय आमरी सेवा तोरीच कर सेजन // तोर द्वार पर मस्तक ठे ऊ ना बेलफ ु ल चढावू ssss
  • 58. 58 पोवारी साहित्य सररता भाग ६५ हात आरतीकी थाली से २ //२// बसोंहासनपर...... वैनगोंगा क ओटामा बसीसे पोवार की जाती/ रातदीन वय गावसेती माय तोरीच आरती // नोको दुरावजो माय आमला गुण गावुन तोरो sss पोवारी च मायबोली से २ //३//बसोंहासनपर....... धरती क कोना कोना मा बसी पोवारकी जाती/ बोलसेत वय पोवारी ना करसेती तोरीच आरती // आशीवायद सबला देजो करूसू बीनती बारम्बार sss तुच भि की रखवाली से २ //४// ००००००००० डी.पी.रािाांगडाले गोांहदया ****************
  • 59. 59 पोवारी साहित्य सररता भाग ६५ 31 हलखां से कलम मोरी *********** बलखों से कलम मोरी प्यार भी बसनगार भी बबझाये ज्या जराये ज्या धार भी अोंगार भी -१- आयी गर उफान पर बलखे कभी तुफान पर बन बलखों माट्या कभी करार भी थरार भी -२- बजोंदगी का रोंग ढोंग लग रह्या जोंग जसा क्तखन क्तखन अनूभव बलखों हार भी प्रबतकार भी -३- जहेर अमृत बलखों दरद चुप्पी अना खुशी सोंयमकी शाही लक बलखों सार भी सोंसार भी -४- गर सुलग गयी कभी मशाल बन धधक उठों जुलूम खोटो पर करों वार भी प्रहार भी -५-
  • 60. 60 पोवारी साहित्य सररता भाग ६५ रसरोंग मा सुन्य ला सजावों अलोंकार लक ब्रम्नाद मा भरों आकार भी ओोंकार भी -६- सम्ाल प्रहरी तोरी कलम बड़ी अनमोल से पयचान बयतो पानी की धार भी पोवार भी -७- *********** हदनाांक: १९.०८.२०२२ डॉ. प्रल्हाद िररणखेडे 'प्रिरी' डोांगरगाांव/ उलवे, नवी मुांबई मो. ९८६९९९३९०७ ************************
  • 61. 61 पोवारी साहित्य सररता भाग ६५ 32 भोग चढ़ावो नवरात्रीमा (दर्ाक्षरी रचना) पयलो बदन शैलपुत्री ला घीव गाय को चढावो भोग | दुगाय मायको करे उपास भि वु रहे सदा बनरोग ||१|| प्रसन्न होये ब्रह्मचारीणी दुसरो बदन साखर देवो | घरों सब की बढे उमर ब्रत करक े उपास ठे वो ||२|| करो उपास चढाा़वो भोग बतसरो बदन दुध की खीर | दुः ख करे दू र चोंिघोंटा जीवन बीते आनोंदशीर ||३|| क ु ष्ाोंडासाती चवथो बदन
  • 62. 62 पोवारी साहित्य सररता भाग ६५ मालपुवा को चढावो भोग | दुगाय माय को उपासक का नाश होयेती सप्पाई रोग ||४|| पाचवो बदन स्क ों दमाता ला क े रा चढावो करो उपास | काबतयक े य की माता तुमला देये बसक्तदद ना सेहत खास ||५|| शहद चढावो साव्वो बदन कािायनी की करो रे भिी | उपास करे वोनों भि की बढ जाये आकषयण शिी ||६|| गुड़ चढावो सातवो बदन कालरात्री को करो उपास | शोक सोंकट दू र होयेती भूत बपशाच को होये नाश ||७|| महागौरी को करो उपास
  • 63. 63 पोवारी साहित्य सररता भाग ६५ अष्टमी ला नारेन चढावो | असोंभव काम पूणय होये दुगायमाय की भिी बढावो ||८|| नववो बदन बतर को भोग उपास पावसे बसक्तदददात्री | घटना अनहोनी टालसे अभय देसे या नवरात्री ||९|| भोग चढावो नवरात्रीमा बनयम लका करो उपास | करो समापन नवमी ला बड़ो शुभ से चईत मास ||१०|| © इांिी. गोवधषन हबसेन "गोक ु ल" गोांहदया (मिाराष्टर) मो. ९४२२८३२९४ *********************************
  • 64. 64 पोवारी साहित्य सररता भाग ६५ 33 पृथ्वी बडो पांवार की किावत करनो पडे सच आमी आब खुदला भूल गया सेजन , आमी आपलो आपमाच बसमटक े रहे गया सेजन, खुद् ला कमजोर समझन लग्यासेजन, पर आमरो अतीत की कड़ी बहुत दू र इबतहासको पन्नाइनमा दजय से जो उत्तम इबतहास आमला मालूमभी नहाय ! समय को पन्नाइनमा आमरो महान अतीत कही खोय गयी से ! प्रचोंड अबग्नको समान दहकतो शौयय , श्रेष्ठता , उत्तमता की बमसाल आमरा पूवयज होता ! वा उनकी अबग्न जाने कहान धूबमल भय गयी ! आब क्तथथबत या आय गयी की आमरा कएक लोग खुदला पीबड़त समझन लग्या ! जोंगलमा बसक े ग्रामीण ढाोंचा मा असा रच बस गया की खुदकी की प्राचीन पहचान लक आमी दूर जान लग्या ! आमरो नवी पीढीला बनिालक आब जागनो पड़े ! आमला आमी कौन होता , क े तरा शक्तिशाली होता येन बात की इज्जत बनाय क े राखनो जरूरी से ! समया बवपरीत से पर आब आमला अोंदरको आत्मबवश्वास मजबूत करनो जरूरी पड़े ! कमसे कम ठान लेनो पड़े की हर क्षेत्र मा आमरो दबदबा रहे ! हर क्षेत्र मा आमी अव्वल रव्हबबन ! आब सबला आपलो आपलो क्षेत्र मा सामने बढ्नो शुरू करनो पड़े अगर भबवष्य मा दौड़ लगावनो से त ... बचोंतन २९.०९.२०२२....मिेन पटले
  • 65. 65 पोवारी साहित्य सररता भाग ६५ 34 पोवार समाि को िागरण ******** सम्मानीय पोवार भाउ बबहनी बगनलक बनवेदन से बक वतयमान मा पोवार समाज का ढेर सारा सोंगठन गााँव लक धरकर अोंतरायष्टरीय स्तर तक अन व्हाटसाफ ग्रुप बन गयी सेत। हर सोंगठन अन ग्रुप अपरी मोंशा को अनुसार काम कर रही सेत। सबका अपरा अपरा मानदण्ड अन अपरी अपरी गबतबवबध सेतीन। समाज को जागरण लाई अनेक बबन्दू अन काम होय सकसेतीन पर मी प्रमुख रूप लक समाज जागरण लाई चार बबन्दु पर सब सोंगठन अन ग्रुप को ध्यान आक ृ ष्ट करनो चाह रही सेव। (1) स्वाबभमान (2) सोंस्कार (3) पबहचान (4) शक्ति (1) स्वाहभमान ---- पोवार समाज को स्वाबभमान --स्वाबभमान जो शुप्त होय गयी से वोला जाग्रत करन लाई पोवार समाज को इबतहास की जानकारी पुरो पोवार समाज ला देन की शि जरुरत से
  • 66. 66 पोवारी साहित्य सररता भाग ६५ यो काम लेख कबवता गीत गाना नाटक डर ामा डोंढ्यार रोंगमोंच अन अपरी बवरासत को माधयम् लक काम कयो जाय सक से अन साोंगयो जाय सक से बक तुम्ी राज करन वाला राजपूत क्षबत्रय आव। तुम्ी राजा की सोंतान आव। जसो बक हजारो हजारो साल लक हमारी माय बबहन गीत गाना को माध्यम लक साोंगत होबतन को तुम्ी राजा महाराजा की सोंतान राज करन वाला राजक ुाँ वर आव। जसो की फलदान अन बबजोरा को गाना मा गावत होबतन । (1)-- कोन गााँव की आई बरात अयोध्या गााँव की आई बरात झलमा पदाय की आई गुडुर लोखोंड की असक ु ड़ माय बकस धूर। बैल जुपीसेत धवल पवन धुरकोरी बसी सेत राजक ुाँ वर अपरी माय का आतीन बार हाथ मा धरी सेत ढाल तलवार। (2) गााँव को आखर पर आमा की अमराई। वहााँ उतरयो राजा को रनवास। राजा को रनवास खेल से गोटी। बपता सोप अपरी बेटी।
  • 67. 67 पोवारी साहित्य सररता भाग ६५ (3) -- सोबनया ची आढनी भौर ठाट। चल ओ बाई जेवन ला दूध का भात। बटकी को दू ध भात बटकी मा रह्यो। राजक ुाँ वर परनू आयो बपता बेटी सोपन लगयो। (4) --राजा जनक बोलतो भयो बुलाओ गााँव को भाली। आईन हमरा सजन समधी करो पाय पानी। असा हमारा बबह्या होली छटी बारसा परहा अन दरन क ु टन का गाना बहनमा लगत सा उदाहरण बमल जाहेत की हमी राज करन वाला राजा महाराजा की सोंतान आजन। (2) -- सांस्कार -- सोंस्कार पररवार की प्रमुख जरूर आय। सोंस्काररत पररवार अन समाज ही सभ्य अन शाबलन कहलायो जासे। सोंस्कार कोई वस्तु नोहोय जो बक पररवार की जरुरत को अनुसार बजार लक लेयकर आन लेबो। सोंस्कार बमल सेतीन रीबत ररवाज नेग दस्तूर परम्परा मानबबन्दू आदशय तीज िौहार गीत गाना कथा कहानी अन हमारा धाबमयक ग्रोंथ लक। जसो बक हमारा बबह्या को गीत मा नवरदेव सार होसे तब गाव सेत। (1) --नवरदेव भाऊ सार होसे
  • 68. 68 पोवारी साहित्य सररता भाग ६५ माय आड़वी होसे। देजो बार देजो बार मोरो दूध को दाम। जोड़ी जीतकर आहाँ माय देहाँ तोरो दूध को दाम। हमारा पारोंपररक गीत गाना मा ही स्वाबभमान सोंस्कार पबहचान अन इबतहास छु पी से। बफर लक बवरासत ला अमल ला आनन की जरुरत से अन हमारा रीबत ररवाज नेग दस्तूर तीज िौहार परम्परा पर शोधकर बफरलक चलन मा आनन की जरुरत से तब जाय क े पररवार अन समाज सोंस्काररत होये। (3)-- पहिचान --कोई भी जाबत समाज वगय सम्प्रदाय की पबहचान एकमात्र वोकी बोली होसे। पोवार समाज ला अपरी बोली ला बफर लक चलन मा आनन को भागीरथ प्रयास करन की जरूरत से। यह बात हमला इजराइली यहबदयोों लक सीखन की जरूरत से जो बक हजारो साल परतोंत्र अन दुबनया मा बततर बबतर रवहन को बाद भी अपरी बहब्रू भाषा ला नही भूलीन अन हजारो साल बाद भी अपरी मातृभूबम इज़राइल ला पायकर दुबनया मा अपरो परचम लहराय रही सेतीन।
  • 69. 69 पोवारी साहित्य सररता भाग ६५ (4) -र्त्यि -- दुबनया मा शक्तिशाली की ही पूजा होसे। कमजोर क े तरो च अच्छो रह्व वोबक पूजा नही होय। चाहे कोई व्यक्ति समाज वगय या राष्टर होय। शक्तिशाली की पूजा होसे। येको लाई आज पोवार समाजला शक्तिशाली बनावन की जरूरत से ।कलयुग मा सोंगठन ला शक्ति कह्यो गई से। सोंघै शक्ति कलयुगे। आज पोवार समाज ला भी पारा टोला मोहल्ला गााँव नगर तालुका बजला प्राोंत राष्टर अन अन्तरायष्टरीय स्तर तक सोंगठन एक बैनर या झोंडा खाल्या करन की शि जरुरत से। बसवनी बजला मा गााँव तालुका लक बजला स्तर तक वररष्ठ मबहला युवा काययकाररणी गबठत कर उपरोि चारी (4) बबन्दू पर काम चल रही से। हमरो बवश्वास से बक येन बबन्दुओों को आधार पर पोवार समाज परम वैभव ला प्रात कर भारतमाता ला परमवैभव को पद पर आसीन करबो। धन्यवाद। जय राजा भोज जय भारत माता। कोमलप्रसाद रािँगडाले कल्याणपुर धारनाकलाँ तिसील बरघाट हिला हसवनी म प्र। **************************************