बाअदब मोहब्बत by Vijay Nayak किताब के बारे में... सुरैया के पिता का निधन हो जाने के बाद उसका इस दुनिया मे कोई नही रह गया , उसके पास इतने पैसे तक नही थे कि अपने पिता के शव को कफ़न से ढक सके, इकलौता घर होने के कारण किसी से मदद मिलने की संभावना भी नही थी अगर वह मदद बुलाने जाती है तो पीछे पिता के शव के पास कौन रुकेगा बस इसी सोच मे सुबह से दोपहर हो गयी आखिरकार उसे पिता के शव को छोड़कर मदद पाने के लिए नगर की ओर आना पड़ा ।। ....... "मेरे पिताजी का अंतिम संस्कार करवाने में मदद करो" लेकिन इस नगर में शायद ऐसा कोई नही था जो बेवजह उसकी मदद करने को तैयार होता सभी ने वहीं बात कही जो उन दोनों सेठो ने उससे कही थी - "अगर एक रात के लिए हमारी हो जाये तो हम कुछ करेंगे" "सुरैया के पिता रामलाल जब तक जीवित थे उसे कभी घर से बाहर नही जाने दिया शायद वह नगर के लोगों की सोच से परिचित थे दिन में थोड़ा बहुत काम करने पर जो पैसा मिलता था उसी से घर का गुजारा चलता सुरैया को घर से बाहर ना जाने देने का मुख्य कारण उसकी खूबसूरती थी उसका दूध सा गोरा बदन किसी कि भी नियत बिगाड़ सकता था.... यदि आप इस पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो नीचे दिए गए लिंक से इस पुस्तक को पढ़ें या नीचे दिए गए दूसरे लिंक से हमारी वेबसाइट पर जाएँ! https://hindi.shabd.in/badab-mohabbat-vijay-nayak/book/10085756 https://shabd.in/