e-Commerce क्या है? ई-कॉमर्स को समझें आसान भाषा में!

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e-Commerce क्या है?
ई-कॉमर्स को र्मझें आर्ान भाषा में!
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e-Commerce क्या है?
क्या आपने कभी इंटरनेट पर शूज, जैके ट या अन्य्कोई भी चीज़ खरीदी है? या,
शायद आपने अपने पुराने मोबाइल या लैपटॉप को बेचने के ललए इंटरनेट का
इस्तेमाल ककया है? यदद हां, तो आपने ई-कॉमर्स में दहस्र्ा ललया है।
e-commerce शब्द "Electronic Commerce" का र्ंक्षिप्त रूप है।
ई-कॉमर्स जजर्े इलेक्रॉननक कॉमर्स के रूप में भी जाना जाता है, यह एक प्रोर्ेर्
हैं, जजर्के द्वारा बबज़नेर् और कन्जू्मर एक इलेक्रॉननक माध्यम र्े माल और
र्र्वसर्ेर् को बेचते और खरीदते हैं।
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ई-कॉमर्स का इनतहार्
ई-कॉमर्स की शुरुआत 1960 के दशक र्े शुरू हुई थी, जब बबज़नेर्ेर् ने अन्य
कं पननयों के र्ाथ बबज़नेर् डयॉक्युमेंट को शेयर करने के ललए Electronic Data
Interchange (EDI) का प्रयोग शुरू ककया।
1979 में, अमेररकन नेशनल स्टैंडडस इंस्टीट्यूट ने ASC X12 को इलेक्रॉननक नेटवकस
के माध्यम र्े डयॉक्युमेंट को शेयर करने के व्यवर्ायों के ललए एक युननवर्सल स्डैंडडस
के रूप में र्वकलर्त ककया था।
ई-कॉमर्स की दहस्री को eBay और Amazon के बबना र्ोचना अर्ंभव है जो
इलेक्रॉननक रैन्र्ैक्शन को शुरू करने वाली पहली इंटरनेट कं पननयों में र्े थे।
1990 के दशक में eBay और Amazon के उदय र्े ई-कॉमर्स उद्योग में क्ांनतकारी
बदलाव आया। यूजर्स अब ई-कॉमर्स के माध्यऔम र्े ककर्ी भी चीज़ को खरीद र्कते
थे।
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ई-कॉमर्स के प्रकार
कई प्रकार के इलेक्रॉननक कॉमर्स हैं, ई-कॉमर्स के 4 बुननयादी प्रकार हैं:
1) Business-to-Consumer (B2C):
इर् बबज़नेर् में एक बबज़नेर् इंटरनेट पर प्रॉडक्ट या र्र्वसर्ेर् को लर्धे कन्जूमर को
बेचता हैं। उदाहरण के ललए आप Amazon, Flipkart या अन्य ककर्ी र्ाइट र्े कोई
भी चीज खरीदते हैं।
2) Business-to-Business (B2B):
यहां कं पननयां इंटरनेट पर अन्य कं पननयों को प्रॉडक्ट या र्र्वसर्ेर् को बेचती हैं।
इर् प्रकार के ई-कॉमर्स में, दोनों पादटसलर्पेंट्र् बबज़नेर्ेर् होते हैं, नतीजतन, B2B e-
commerce का वॉल्यूम और वैल्यू बहुत बडी हो र्कती है।
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ई-कॉमर्स के प्रकार
3) Consumer-to-Consumer (C2C)
जब कन्जूमर अपने प्रॉडक्ट को ककर्ी अन्य्कन्जूमर को इंटरनेट पर बेचता हैं, तब
इर् रैन्र्ैक्शन को Consumer-to-Consumer (C2C) कहा जाता हैं। इर्में एक
कन्जूमर अपनी पूरानी कार, बाइक जैर्ी अपनी प्रॉपटी को अन्य कन्जूमर को लर्धे
इंटरनेट के माध्यम र्े बेचता हैं।
4) Consumer-to-Business (C2B)
इर्का एक उदाहरण एक कन्जूमर वेब र्ाइट बनाने के ललए ऑनलाइन
ररक्वायरमसन्ट देता हैं, और कई कं पननया इर्के ललए अच्छी ककमत पर वेब र्ाइट
बनाकर देने के ललए ऑफर करती हैं। इर्ी तरह र्े हॉललडे पैके ज या इन्शुरन्र् भी
इर्के उदाहरण हो र्कते हैं।
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ई-कॉमर्स के फायदे
1) र्ुर्वधा बढाता है: ग्राहक अपनी र्ुर्वधा के अनुर्ार वस्तुओ की ऑडसर अपने घर
पर बैठ कर दे र्कते हैं। और इर्की डडलेवरी उन्हे उनके घर पर ही लमल जाती हैं। यह
उन लोगों के ललए र्बर्े अच्छा खरीदारी ऑप्शन है जो हमेशा व्यस्त होते हैं।
2) प्रॉडक्ट और ककमत की तुलना कर र्कते है: खरीदारी करते र्मय, ग्राहक उर्
वस्तूह की ककमत को कई बेव र्ाइट पर तुलना कर र्कता हैं, जजर्र्े बेहतरीन
प्रॉडक्ट पर उर्े अच्छी डडल लमल जाती हैं।
3) स्टाटस-अप के ललए आर्ान फं ड: कई लोगों को बबज़नेर् करने की इच्छा होती है,
लेककन शॉप लेने के ललए पयासप्त कै र्पटल नहीं होता। कफजजकल स्टोर ललज पर काफी
महंगे होते है। ई-कॉमर्स, व्यापार को शुरू करने और बढने के ललए आर्ान बनाता है।
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ई-कॉमर्स के फायदे
4) प्रभावशाली: रेडडशनल बबज़नेर् में बबज़नेर् की जरूरतों को पूरा करने के ललए
बहुत र्ारे ररर्ोर्ेर् खचस हो जाते हैं और इर्र्े प्रॉफीट कम हो जाता हैं। ई-कॉमर्स में
ररर्ोर्ेर्े का कु शलता र्े उपयोग ककया जाता है क्योंकक अधधकांश बबज़नेर् र्र्वसर्ेर्
ऑटोमेटेड होती हैं।
5) कन्जूमर तक पहुंच: रेडडशनल बबज़नेर् जैर्े की दुकान की पहुंच काफी र्ीमीत
होती हैं, जबकी इंटरनेट के माध्यम र्े वही बबज़नेर् दुननया भर के कन्जूमर को अपने
प्रॉडक्टर् और र्र्वसर्ेर् बेच र्कते हैं।
6) प्रॉम्टट् पेमेंट: ऑनलाइन स्टोर पर इलेक्रॉननक या मोबाइल रांजेक्शन का उपयोग
करते हुए पेमेंट फास्ट होता हैं।
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ई-कॉमर्स के नुकर्ान
1) खराब क्वा-ललटी वाले प्रॉडक्टं: आप इंटरनेट पर प्रॉडक्ट को देखकर चेक नहीं कर
र्कते हैं। इर्ललए, झूठे माक्े दटंग और खराब क्वावललटी के प्रॉडक्ट आपके घर पर
आने का ररस्क बना रहता हैं। हांल ही में मोबाइल के बॉक्र् में मोबाइल की जगह पर
र्ाबुन आने की कई घटनाए र्ामने आई हैं।
2) अनचाही खरीद: ऑनलाइन स्टोर अपने प्रॉडक्ट को एक बडी र्ंख्या में डडस्ले
करते हैं और ऑनलाइन शॉर्पंग की र्ुर्वधा के कारण, ग्राहक अनचाहे वस्तूट भी
खरीद लेते हैं।
3) इंटरनेट स्कै मर: इंटरनेट एक अच्छी बात है, लेककन कु छ लोगों ने इर्का गलत
कारणों र्े उपयोग करने का फै र्ला ककया है। इंटरनेट पर ककर्ी भी र्ामान को
खरीदने र्े पहले उर् वेब र्ाइट और प्रॉडक्ट के बारें में जानकारी इकठठा करें।
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ई-कॉमर्स के नुकर्ान
4) र्ेल के बाद र्पोटस की कमी: कई बार गलत या डडफे जक्टव प्रॉडक्ट आने पर उर्की
कं म्टलेट करने पर कन्जूमर को अच्छी र्र्वसर् नहीं लमलती और इर्के ललए उनका पैर्ा
और र्मय बबासद हो जाता हैं।
5) माल की डडललवरी में देरी हो र्कती है: कभी-कभी प्रॉडक्ट् की डडलीवरी में देरी हो
जाती हैं और इर्र्े कन्जूमर को अर्ुर्वधा के र्ाथ नुकर्ान भी हो र्कता हैं।
6) र्ुरिा: ऑनलाइन प्रॉडक्ट खरीदने के ललए आपको अपने पर्सनल डडटेल्र् के र्ाथ
क्े डडट काडस की जानकारी भी देनी होती हैं। लेककन कभी-कभी यह इनफॉमेशन चोरी
होने का खतरा भी बना रहता हैं।
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भारत में ई-कॉमर्स
वषस 2009 में भारत का ई-कॉमर्स बाजार लगभग 3.9 अरब डॉलर था, जो 2013 में
12.6 अरब डॉलर रहा। 2016-17 में ऑनलाइन बाजार में 19 फीर्दी की बढोतरी हुई
थी।
भारत में जुलाई 2017 तक लगभग 450 लमललयन का इंटरनेट यूजर बेर् है, जो
आबादी का 40% दहस्र्ा है। दुननया में दूर्री र्बर्े बडा यूजर बेर् बनने के बावजूद,
चीन (650 लमललयन, आबादी का 48%) के पीछे, र्ंयुक्त राज्य अमेररका (266
लमललयन, 84%) या फ्ांर् (54 लमललयन, 81%) के बाजारों की तुलना में भारत में ई-
कॉमर्स कम है।
लेककन भारत में ई-कॉमर्स एक अभूतपूवस दर र्े बढ रहा है, जो हर महीने लगभग 6
लमललयन नए र्दस्य को जोडता है।
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  • 2. e-Commerce क्या है? क्या आपने कभी इंटरनेट पर शूज, जैके ट या अन्य्कोई भी चीज़ खरीदी है? या, शायद आपने अपने पुराने मोबाइल या लैपटॉप को बेचने के ललए इंटरनेट का इस्तेमाल ककया है? यदद हां, तो आपने ई-कॉमर्स में दहस्र्ा ललया है। e-commerce शब्द "Electronic Commerce" का र्ंक्षिप्त रूप है। ई-कॉमर्स जजर्े इलेक्रॉननक कॉमर्स के रूप में भी जाना जाता है, यह एक प्रोर्ेर् हैं, जजर्के द्वारा बबज़नेर् और कन्जू्मर एक इलेक्रॉननक माध्यम र्े माल और र्र्वसर्ेर् को बेचते और खरीदते हैं। https://www.itkhoj.com/
  • 3. ई-कॉमर्स का इनतहार् ई-कॉमर्स की शुरुआत 1960 के दशक र्े शुरू हुई थी, जब बबज़नेर्ेर् ने अन्य कं पननयों के र्ाथ बबज़नेर् डयॉक्युमेंट को शेयर करने के ललए Electronic Data Interchange (EDI) का प्रयोग शुरू ककया। 1979 में, अमेररकन नेशनल स्टैंडडस इंस्टीट्यूट ने ASC X12 को इलेक्रॉननक नेटवकस के माध्यम र्े डयॉक्युमेंट को शेयर करने के व्यवर्ायों के ललए एक युननवर्सल स्डैंडडस के रूप में र्वकलर्त ककया था। ई-कॉमर्स की दहस्री को eBay और Amazon के बबना र्ोचना अर्ंभव है जो इलेक्रॉननक रैन्र्ैक्शन को शुरू करने वाली पहली इंटरनेट कं पननयों में र्े थे। 1990 के दशक में eBay और Amazon के उदय र्े ई-कॉमर्स उद्योग में क्ांनतकारी बदलाव आया। यूजर्स अब ई-कॉमर्स के माध्यऔम र्े ककर्ी भी चीज़ को खरीद र्कते थे। https://www.itkhoj.com/
  • 4. ई-कॉमर्स के प्रकार कई प्रकार के इलेक्रॉननक कॉमर्स हैं, ई-कॉमर्स के 4 बुननयादी प्रकार हैं: 1) Business-to-Consumer (B2C): इर् बबज़नेर् में एक बबज़नेर् इंटरनेट पर प्रॉडक्ट या र्र्वसर्ेर् को लर्धे कन्जूमर को बेचता हैं। उदाहरण के ललए आप Amazon, Flipkart या अन्य ककर्ी र्ाइट र्े कोई भी चीज खरीदते हैं। 2) Business-to-Business (B2B): यहां कं पननयां इंटरनेट पर अन्य कं पननयों को प्रॉडक्ट या र्र्वसर्ेर् को बेचती हैं। इर् प्रकार के ई-कॉमर्स में, दोनों पादटसलर्पेंट्र् बबज़नेर्ेर् होते हैं, नतीजतन, B2B e- commerce का वॉल्यूम और वैल्यू बहुत बडी हो र्कती है। https://www.itkhoj.com/
  • 5. ई-कॉमर्स के प्रकार 3) Consumer-to-Consumer (C2C) जब कन्जूमर अपने प्रॉडक्ट को ककर्ी अन्य्कन्जूमर को इंटरनेट पर बेचता हैं, तब इर् रैन्र्ैक्शन को Consumer-to-Consumer (C2C) कहा जाता हैं। इर्में एक कन्जूमर अपनी पूरानी कार, बाइक जैर्ी अपनी प्रॉपटी को अन्य कन्जूमर को लर्धे इंटरनेट के माध्यम र्े बेचता हैं। 4) Consumer-to-Business (C2B) इर्का एक उदाहरण एक कन्जूमर वेब र्ाइट बनाने के ललए ऑनलाइन ररक्वायरमसन्ट देता हैं, और कई कं पननया इर्के ललए अच्छी ककमत पर वेब र्ाइट बनाकर देने के ललए ऑफर करती हैं। इर्ी तरह र्े हॉललडे पैके ज या इन्शुरन्र् भी इर्के उदाहरण हो र्कते हैं। https://www.itkhoj.com/
  • 6. ई-कॉमर्स के फायदे 1) र्ुर्वधा बढाता है: ग्राहक अपनी र्ुर्वधा के अनुर्ार वस्तुओ की ऑडसर अपने घर पर बैठ कर दे र्कते हैं। और इर्की डडलेवरी उन्हे उनके घर पर ही लमल जाती हैं। यह उन लोगों के ललए र्बर्े अच्छा खरीदारी ऑप्शन है जो हमेशा व्यस्त होते हैं। 2) प्रॉडक्ट और ककमत की तुलना कर र्कते है: खरीदारी करते र्मय, ग्राहक उर् वस्तूह की ककमत को कई बेव र्ाइट पर तुलना कर र्कता हैं, जजर्र्े बेहतरीन प्रॉडक्ट पर उर्े अच्छी डडल लमल जाती हैं। 3) स्टाटस-अप के ललए आर्ान फं ड: कई लोगों को बबज़नेर् करने की इच्छा होती है, लेककन शॉप लेने के ललए पयासप्त कै र्पटल नहीं होता। कफजजकल स्टोर ललज पर काफी महंगे होते है। ई-कॉमर्स, व्यापार को शुरू करने और बढने के ललए आर्ान बनाता है। https://www.itkhoj.com/
  • 7. ई-कॉमर्स के फायदे 4) प्रभावशाली: रेडडशनल बबज़नेर् में बबज़नेर् की जरूरतों को पूरा करने के ललए बहुत र्ारे ररर्ोर्ेर् खचस हो जाते हैं और इर्र्े प्रॉफीट कम हो जाता हैं। ई-कॉमर्स में ररर्ोर्ेर्े का कु शलता र्े उपयोग ककया जाता है क्योंकक अधधकांश बबज़नेर् र्र्वसर्ेर् ऑटोमेटेड होती हैं। 5) कन्जूमर तक पहुंच: रेडडशनल बबज़नेर् जैर्े की दुकान की पहुंच काफी र्ीमीत होती हैं, जबकी इंटरनेट के माध्यम र्े वही बबज़नेर् दुननया भर के कन्जूमर को अपने प्रॉडक्टर् और र्र्वसर्ेर् बेच र्कते हैं। 6) प्रॉम्टट् पेमेंट: ऑनलाइन स्टोर पर इलेक्रॉननक या मोबाइल रांजेक्शन का उपयोग करते हुए पेमेंट फास्ट होता हैं। https://www.itkhoj.com/
  • 8. ई-कॉमर्स के नुकर्ान 1) खराब क्वा-ललटी वाले प्रॉडक्टं: आप इंटरनेट पर प्रॉडक्ट को देखकर चेक नहीं कर र्कते हैं। इर्ललए, झूठे माक्े दटंग और खराब क्वावललटी के प्रॉडक्ट आपके घर पर आने का ररस्क बना रहता हैं। हांल ही में मोबाइल के बॉक्र् में मोबाइल की जगह पर र्ाबुन आने की कई घटनाए र्ामने आई हैं। 2) अनचाही खरीद: ऑनलाइन स्टोर अपने प्रॉडक्ट को एक बडी र्ंख्या में डडस्ले करते हैं और ऑनलाइन शॉर्पंग की र्ुर्वधा के कारण, ग्राहक अनचाहे वस्तूट भी खरीद लेते हैं। 3) इंटरनेट स्कै मर: इंटरनेट एक अच्छी बात है, लेककन कु छ लोगों ने इर्का गलत कारणों र्े उपयोग करने का फै र्ला ककया है। इंटरनेट पर ककर्ी भी र्ामान को खरीदने र्े पहले उर् वेब र्ाइट और प्रॉडक्ट के बारें में जानकारी इकठठा करें। https://www.itkhoj.com/
  • 9. ई-कॉमर्स के नुकर्ान 4) र्ेल के बाद र्पोटस की कमी: कई बार गलत या डडफे जक्टव प्रॉडक्ट आने पर उर्की कं म्टलेट करने पर कन्जूमर को अच्छी र्र्वसर् नहीं लमलती और इर्के ललए उनका पैर्ा और र्मय बबासद हो जाता हैं। 5) माल की डडललवरी में देरी हो र्कती है: कभी-कभी प्रॉडक्ट् की डडलीवरी में देरी हो जाती हैं और इर्र्े कन्जूमर को अर्ुर्वधा के र्ाथ नुकर्ान भी हो र्कता हैं। 6) र्ुरिा: ऑनलाइन प्रॉडक्ट खरीदने के ललए आपको अपने पर्सनल डडटेल्र् के र्ाथ क्े डडट काडस की जानकारी भी देनी होती हैं। लेककन कभी-कभी यह इनफॉमेशन चोरी होने का खतरा भी बना रहता हैं। https://www.itkhoj.com/
  • 10. भारत में ई-कॉमर्स वषस 2009 में भारत का ई-कॉमर्स बाजार लगभग 3.9 अरब डॉलर था, जो 2013 में 12.6 अरब डॉलर रहा। 2016-17 में ऑनलाइन बाजार में 19 फीर्दी की बढोतरी हुई थी। भारत में जुलाई 2017 तक लगभग 450 लमललयन का इंटरनेट यूजर बेर् है, जो आबादी का 40% दहस्र्ा है। दुननया में दूर्री र्बर्े बडा यूजर बेर् बनने के बावजूद, चीन (650 लमललयन, आबादी का 48%) के पीछे, र्ंयुक्त राज्य अमेररका (266 लमललयन, 84%) या फ्ांर् (54 लमललयन, 81%) के बाजारों की तुलना में भारत में ई- कॉमर्स कम है। लेककन भारत में ई-कॉमर्स एक अभूतपूवस दर र्े बढ रहा है, जो हर महीने लगभग 6 लमललयन नए र्दस्य को जोडता है। https://www.itkhoj.com/