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द्वारा प्रस्तुत तथा निकुंज कुशाग्र प्राची परितोष कृतिका काविश निशांत प्राची दोहे  कबीर तथा रहीम के  काविश काविश
रहीम  अर्ब्दुरहीम ख़ानख़ाना (१५५६-१६२७) मुगल सम्राट अकबर के दरबारी कवियों में से एक थे। रहीम उच्च कोटि के विद्वान तथा हिन्दी संस्कृत अरबी फारसी और तुर्की भाषाओं के ज्ञाता थे। उन्होंने अनेक भाषाओं में कविता की किंतु उनकी कीर्ति का आधार हिन्दी कविता ही है। उनके दोहों में भक्ति नीति प्रेम लोक व्यवहार आदि का बड़ा सजीव चित्रण हुआ है।
कबीर  कबीर  कबीर सन्त कवि और समाज सुधारक थे। ये सिकन्दर लोदी के समकालीन थे। कबीर का अर्थ अरबी भाषा में महान होता है। कबीरदासभारत के भक्ति काव्य परंपरा के महानतम कवियों में से एक थे। भारत में धर्म, भाषा या संस्कृति किसी की भी चर्चा बिना कबीर की चर्चा के अधूरी ही रहेगी। कबीरपंथी, एक धार्मिक समुदाय जो कबीर के सिद्धांतों और शिक्षाओं को अपने जीवन शैली का आधार मानते हैं,
दोहे 
दुःख में सुमिरन सबकरें, सुख में करे न कोई I जो सुख में सुमिरन करे  दुःख काहे को होए II
ऐसी वाणीबोलिए, मन  का आपा खोये I औरन को सीतल करे, आपहू सीतल होए II
बड़ा हुआ तो क्याहुआ,  जैसे पेड़ खजूर Iपंछी को छाया नही, फल लागे अति दूर II
दुर्लभ मानुष  जन्म है, होए न दूजी बार I  पक्का फल जो गिर पड़ा,  लगे न दूजी बार II
अच्छे दिन पीछे  गये ,  घर से किया न हेत I  अब पछताए क्या होत,   जब चिडिया चुग गयी खेत II  
जगजीत सिंह को उनकी आवाज़ के लिए हमारा कोटि कोटि धन्यवाद
हम इस प्रयोजना द्वारा कबीर जी तथा रहीम जी को श्रध्धान्जली देना चाहते हैं 
धन्यवाद 

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  • 1. द्वारा प्रस्तुत तथा निकुंज कुशाग्र प्राची परितोष कृतिका काविश निशांत प्राची दोहे  कबीर तथा रहीम के  काविश काविश
  • 2. रहीम  अर्ब्दुरहीम ख़ानख़ाना (१५५६-१६२७) मुगल सम्राट अकबर के दरबारी कवियों में से एक थे। रहीम उच्च कोटि के विद्वान तथा हिन्दी संस्कृत अरबी फारसी और तुर्की भाषाओं के ज्ञाता थे। उन्होंने अनेक भाषाओं में कविता की किंतु उनकी कीर्ति का आधार हिन्दी कविता ही है। उनके दोहों में भक्ति नीति प्रेम लोक व्यवहार आदि का बड़ा सजीव चित्रण हुआ है।
  • 3. कबीर  कबीर  कबीर सन्त कवि और समाज सुधारक थे। ये सिकन्दर लोदी के समकालीन थे। कबीर का अर्थ अरबी भाषा में महान होता है। कबीरदासभारत के भक्ति काव्य परंपरा के महानतम कवियों में से एक थे। भारत में धर्म, भाषा या संस्कृति किसी की भी चर्चा बिना कबीर की चर्चा के अधूरी ही रहेगी। कबीरपंथी, एक धार्मिक समुदाय जो कबीर के सिद्धांतों और शिक्षाओं को अपने जीवन शैली का आधार मानते हैं,
  • 5. दुःख में सुमिरन सबकरें, सुख में करे न कोई I जो सुख में सुमिरन करे  दुःख काहे को होए II
  • 6. ऐसी वाणीबोलिए, मन  का आपा खोये I औरन को सीतल करे, आपहू सीतल होए II
  • 7. बड़ा हुआ तो क्याहुआ,  जैसे पेड़ खजूर Iपंछी को छाया नही, फल लागे अति दूर II
  • 8. दुर्लभ मानुष  जन्म है, होए न दूजी बार I  पक्का फल जो गिर पड़ा,  लगे न दूजी बार II
  • 9. अच्छे दिन पीछे  गये ,  घर से किया न हेत I  अब पछताए क्या होत,   जब चिडिया चुग गयी खेत II  
  • 10. जगजीत सिंह को उनकी आवाज़ के लिए हमारा कोटि कोटि धन्यवाद
  • 11. हम इस प्रयोजना द्वारा कबीर जी तथा रहीम जी को श्रध्धान्जली देना चाहते हैं