2. • rhIma ka janma
laahaoOr maoM sana
1556 maoM huAa.
[naka pUra naama
Abdur-hIma
KanaKanaa qaa.
daoh
o
रिहमन वहां न जाइये, जहां कपट को हेत।
हम तन ढारत ढेकु ली, संिचत अपनी खेत।।
1।।
1.
बुरा जो देखन मै चला, बुरा न िमिलया कोय।
जो िदल खोजा आपना, मुझसा बुरा न कोय ॥2
॥
2.
3. 3.
बडा हआ तो कया हआ, जैसे पेड खजूर।
पंथी को छाया नही, फल लागे अित दूर ॥4 ॥
4.
5.
मीठा सब से बोिलए, फै ले सुख चहँ ओरे!
वािशकणर है मंत येही, ताज दे वचन कठोर ॥
5॥